सोमवार, 24 मार्च 2014

साक्षर भारत में हुआ जमकर फर्जीवाड़ा!

साक्षर भारत में हुआ जमकर फर्जीवाड़ा!

अनेक विसंगतियां हैं सिवनी ब्लॉक के कार्यों में

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। साक्षर भारत योजनांतर्गत सिवनी विकास खण्ड में चल रहे कार्यों में जमकर अनियमितताएं प्रकाश में आ रही हैं। मास्टर्स ट्रेनर्स प्रशिक्षण, विकास खण्ड स्तर पर कार्यालयों के बिल बाउचर, प्रेरक प्रशिक्षण में हुए व्यय प्रशिक्षण बैठकों में लिए गए निर्णय, आदि के बारे में तरह-तरह की चर्चाएं फिजां में तैर रही हैं।
बताया जाता है कि जिला स्तरीय मास्टर्स ट्रेनर्स प्रशिक्षण के यात्रा भत्ता देयक और बिल बाउचर्स में भी जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है। इसमें भी लोगों के खातों में मनमाने पैसे जमा करवाए गए हैं। इसके साथ ही साथ विकास खण्ड सिवनी स्तर पर साक्षर भारत यूनिट के कार्यालयों के व्यय, के बिल बाउचर और कोटेशन में भी फर्जीवाड़ा होने की बात कही जा रही है।
कहा जा रहा है कि कार्यालय के टेबिल कुर्सी एवं अन्य फर्नीचर भी बिना किसी निविदा के ही मनमानी दरों पर खरीदे गए हैं। इनके कार्यालय कहां संचालित हो रहे हैं, यह बात केवल और केवल अधिकारी ही जानते है। विभागीय सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि खरीदी के पहले समिति की बैठक कर निविदा बुलवाई जानी चाहिए थी, वस्तुतः बिना निविदा बुलवाए ही सामग्री को खरीद लिया गया।
सूत्रों ने बताया कि पिछले साल ग्रीष्म काल में संपन्न हुए साक्षर भारत के विकास खण्ड स्तरीय प्रशिक्षण शिविर में विभिन्न मदों में किए गए व्यय के कोटेशन भी नहीं बुलवाए गए। इतना ही नहीं सूत्रों की मानें तो इस शिविर के पहले भी बैठक आहूत कर निर्णय लिए जाने थे किन्तु बिना बैठक बुलवाए ही प्रशिक्षण संपन्न करवा दिया गया।

सूत्रों के अनुसार साक्षर भारत अभियान सिवनी में कागजों पर ही संपादित हो रहा है, और इसके लिए सरकार की लाखों की इमदाद का बंदरबांट कर लिया गया है। इस संबंध में जब इसके प्रभारी और बींझावाड़ा के प्रधान पाठक आर.एस.कुमरे से संपर्क किया गया तो उन्होंने मोबाईल ही काट दिया।

दुकानों में लगी रही जमकर भीड़!

दुकानों में लगी रही जमकर भीड़!

समग्र छात्रवृत्ति योजना में परेशान हो रहे शिक्षक, प्रधान पाठक

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। जैसे-जैसे 25 मार्च करीब आ रहा है वैसे-वैसे समग्र छात्रवृत्ति योजना के प्रभारी डीडीओ और प्राचार्यों के दिलों की धड़कनंे तेज होती जा रही हैं। बार-बार अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बाद भी अधिकारियों द्वारा इस दिशा में ध्यान न दिए जाने से निजि तौर पर फीडिंग करवाने के लिए आज जिला मुख्यालय के आधा दर्जन कंप्यूटर से लैस प्रतिष्ठानों में प्रधान पाठक और शिक्षकों का तांता लगा रहा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आज रविवार को भी शहर के आधा दर्जन प्रतिष्ठानों में शिक्षक और प्रधान पाठक अपने-अपने शिक्षण संस्थानों के बच्चों की फीडिंग के लिए मशक्कत करते देखे गए। शिक्षकों से पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके प्रधान पाठकों, डीडीओ द्वारा उनके वेेतन रोकने की धमकी दिए जाने के बाद मजबूरी में वे 15 से 20 रूपए प्रति छात्र की दर से कंप्यूटर में इंद्राज करवाने पर मजबूर हो रहे हैं।
इस संबंध में जब जिला पंचायत सीईओ श्रीमति प्रियंका दास के संज्ञान में यह बात लाई गई और उनसे अनुरोध किया गया कि सिवनी में निजि स्तर पर कंप्यूटर्स के संचालकों द्वारा इंद्राज किए जा रहे हैं, में किसी सक्षम अधिकारी के द्वारा जाकर देखा जाए और अगर यह कार्य किया जा रहा है एवं इसकी इजाजत शासन या प्रशासन स्तर पर नहीं दी गई है तो इसे रोका जाए एवं संबंधित को दण्डित किया जाए। इस पर उन्होंने कहा कि वे किसी सक्षम अधिकारी को भेजकर दिखवाती हैं।
वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी रवि बघेल (9425427241) ने कहा कि इस तरह का कार्य अगर हो रहा है तो यह नियमों के विपरीत है एवं वे इसे दिखवाते हैं कि कहां कहां निजि स्तर पर कंप्यूटर्स के संचालकों द्वारा फीडिंग करवाई जा रही है। इस बारे में जब इसके को-ऑर्डिनेटर डी.एल.तिवारी (9424327090) से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वे एक आवश्यक प्रशिक्षण में हैं, इस बारे में अगर आपके पास डीईओ साहेब का नंबर है तो उनसे बात कर लें।
फलां जगह चले जाओ, पासवर्ड है उसके पास!

वहीं, एक स्थान पर हो रही फीडिंग स्थल पर जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संवाददाता ने जाकर वहां उपस्थित हुजूम में से एक से बात की तो उस शिक्षक ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि उनके डीडीओ ने साफ तौर पर निर्देशित किया है कि फलां जगह चले जाओ, वहां पंद्रह रूपए प्रति बच्चे के हिसाब से फीडिंग करवा लो, पासवर्ड उनके पास दिया हुआ है। उक्त शिक्षक ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि पासवर्ड को निजि कंप्यूटर संचालक को आखिर किस आधार पर दिया गया? क्या यह नियमों के विपरीत नहीं है?

कहां हैं खुद के खर्च पर एनएच बनवाने वाले: नरेंद्र ठाकुर

कहां हैं खुद के खर्च पर एनएच बनवाने वाले: नरेंद्र ठाकुर

कहां गया एनएचएआई का सड़क निर्माण की मंजूरी वाला पत्र?

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। नेशनल हाईवे पर छपारा लखनादौन के बीच छः साल से अटकी फोरलेन पर सड़क बनाने का रास्ता साफ होने का दावा करने वाले सिवनी विधायक दिनेश राय जनता को बताएं कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) या भूतल परिवहन मंत्रालय अथवा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी का पत्र कहां अटक गया है और कब तक सिवनी आएगा।
उक्ताशय की बात भारतीय जनता पार्टी के नगर उपाध्यक्ष नरेंद्र ठाकुर गुड्डूने आज यहां जारी एक विज्ञप्ति में कही है। उन्होंने कहा कि छपास के रोगी सिवनी विधायक दिनेश राय खबरों की सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं। नरेद्र ठाकुर ने जनता को याद दिलाते हुए बताया कि शुक्रवारी के मंच से इन्हीं के द्वारा घोषणा की गई थी कि ये अपने खुद के पैसों से फोरलेन बनवाएंगे। अब जनता यह जानना चाह रही है कि करोड़ों-अरबों रूपयों की फोरलेन बनवाने की क्षमता रखने वाले धन्नासेठ महज दो तीन हजार रूपए की इमदाद पर विज्ञप्ति और फोटो जारी कर सुर्खियां क्यों बटोर रहे हैं। इन्होंने कहा कि मार्च के बाद इन्हें विधायक निधि मिल जाएगी तब तो इनके द्वारा आधे शहर के माध्यम से विधायक निधि, जनसंपर्क निधि को बंटवाया जाएगा!
नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि पिछले माह सिवनी के मीडिया में दिनेश राय द्वारा यह प्रकाशित करवाया गया था कि वे 10 फरवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोईली से मिलने गए थे। इसके फोटो भी उनके द्वारा सिवनी भेजकर छपवाए गए। उस समय विधायक दिनेश राय ने बताया था कि वीरप्पा मोईली द्वारा छपारा-लखनादौन के खण्ड में वीरप्पा मोईली के द्वारा अनुमति प्रदान कर दी गई है। इस संबंध में एनएचएआई के भोपाल और सिवनी कार्यालय को भी सूचित कर दिया गया है।
गुड्डू ठाकुर ने कहा कि सिवनी विधायक के दिल्ली जाने और आने के बाद लगभग डेढ़-पौने दो माह बीत जाने के बाद भी इस सड़क के निर्माण का कार्य तो छोड़िए यहां इसके रख रखाव का कार्य भी आरंभ नहीं हुआ है, जिससे स्पष्ट हो जाता है कि सिवनी विधायक द्वारा सिर्फ और सिर्फ खबरों में बने रहने के लिए ही इस तरह का ढिंढोरा पिटवाया गया है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि सिवनी विधायक अभी आचार संहिता को ढाल बना लें पर अगर वीरप्पा माईली द्वारा इस बारे में सहमति दे दी गई है तो फिर क्या कारण है कि इसका रखरखाव नहीं किया जा रहा है। इतना ही नहीं डेढ़-पौने दो माह बाद आदेश तो आ ही जाना चाहिए था।
नरेंद्र ठाकुर ने आगे कहा है कि वर्ष 2009 में भी दिनेश राय द्वारा लखनादौन में किए गए चक्का जाम को खुलवाने पहुंची तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर श्रीमति अलका श्रीवास्तव द्वारा उन्हें (दिनेश राय को) लिखित में इस सड़क को बनवाने के कार्य को आरंभ करवाने का आश्वासन दिए जाने की बात मीडिया के माध्यम से प्रचारित करवाई गई थी। उन्होंने कहा कि 2009 से 2014 आ गया है और श्रीमति अलका श्रीवास्तव के हस्ताक्षरित पत्र को सिवनी विधायक द्वारा सार्वजनिक नहीं किया गया है। लगता है यह पत्र या तो इनके बैठक खाने की शोभा बढ़ा रहा है या फिर इन्होंने इसे किसी बड़े षणयंत्रकारीके पास गिरवी रख दिया है।

नरेंद्र ठाकुर ने दिनेश राय को मशविरा देते हुए कहा है कि उन्हें जनता ने अपना संरक्षक चुना है, ताकि विधानसभा में सिवनी के हितों की बातें रखी जा सकें। इसलिए थोथी पब्लिसिटी लेने के लिए तथ्यहीन बातों का प्रचार-प्रसार करवाकर जनता को गुमराह करने के बजाए ठोस बातों को ही जनता के सामने रखें। इस तरह के कार्य तो वही करता है जो अपनी जिम्मेदारी से भागकर कामचोरी करना चाहता है और जनता का ध्यान अपनी ओर से हटाने के लिए समय-समय पर कहानियां गढ़कर उन्हें गुमराह करता है।

चुनाव के चलते तालाबंदी!

चुनाव के चलते तालाबंदी!
(शरद खरे)
मतदान को लोकतंत्र के हवन की बहुत बड़ी आहुती माना गया है। मतदान के पहले प्रशासनिक स्तर पर माकूल व्यवस्थाएं सुनिश्चित होना बेहद आवश्यक है। यही कारण है कि चुनाव के एक डेढ़ माह पहले से ही प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद हो जाता है। चुनाव के दौरान अवकाश प्रतिबंधित ही हो जाता है। सत्तर के दशक के आसपास यह कहा जाता था कि चुनाव और जंग के मौसम में अवकाश पर जाना टेड़ी खीर होता है।
सिवनी में बीते शनिवार का अवकाश जिला प्रशासन की ओर से निरस्त कर दिया गया था। इसका कारण शायद होली का बीच में पड़ जाना हो सकता है। सरकारी तौर पर बाकायदा इसकी विज्ञप्ति भी जारी कर सूचना दी गई थी। बावजूद इसके संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव के आदेशों को धता बताते हुए लखनादौन में लगभग सभी कार्यालयों में ताले झूलते मिले। इसके छायाचित्र भी समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा प्रमुखता के साथ प्रसारित किए गए थे।
अब जब गायब अधिकारियों से मीडिया द्वारा पूछताछ की जा रही है तो मीडिया को संतोषजनक उत्तर नहीं मिल पा रहा है। वैसे मीडिया में मामला उछलने के बाद यह जवाबदेही लखनादौन के अनुविभागीय राजस्व अधिकारी की है। पता नहीं उन्होंने इस संबंध में शोकॉज नोटिस जारी किया है अथवा नहीं।
इस मामले में कुछ का कहना है कि उन्हें शनिवार के अवकाश निरस्त होने की सूचना नहीं मिली तो कुछ मैदानी कर्मचारी अधिकारियों का कहना है कि वे फील्ड में गए थे। सवाल यह उठता है कि अगर सूचना नहीं मिली तो सूचना देने की जवाबदेही किसकी थी। लखनादौन में जिला स्तर के कार्यालय शायद ही हों। इस लिहाज से तहसील स्तर के कार्यालयों को सूचना देने का कार्य जिला स्तर के कार्यालयों का था। क्या उनके द्वारा यह सूचना वहां तक नहीं पहुंचाई गई?
वहीं, दूसरी और मैदानी कर्मचारी और अधिकारी अगर यह दलील दें कि वे फील्ड में गए थे तो किसी को भी बरबस ही हंसी आ जाएगी, क्योंकि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी अपने कार्यालय में ताला लगाकर तो फील्ड में कतई नहीं जाएगा। 15 मार्च शनिवार था और यह अवकाश निरस्त कर दिया गया था। इस संबंध में जिला या तहसील प्रशासन ने क्या कार्यवाही की है यह बात भविष्य के गर्भ में ही मानी जा सकती है।

संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव से जनापेक्षा है कि जिला प्रशासन के आदेश के बाद भी लखनादौन में अगर शासकीय कार्यालयों में शनिवार को तालाबंदी रही और सुदूर ग्रामीण अंचलों से आए लोग भटकते रहे तो इसकी जांच की जानी चाहिए। चुनाव के चलते जिला प्रशासन की व्यस्तता को समझा जा सकता है किन्तु इसके लिए किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच अवश्य करवाई जाए और अनुशासनहीनता के लिए जिम्मेदार लोगों के विरूद्ध कार्यवाही कर एक नजीर पेश की जानी चाहिए।

8 अप्रैल के बाद क्या होगा विंडोज एक्सपी का?

8 अप्रैल के बाद क्या होगा विंडोज एक्सपी का?
(अमित कौशल)
नई दिल्ली (साई)। विंडोज एक्सपी से माइक्रोसॉफ्ट का सपोर्ट 8 अप्रैल को खत्म हो रहा है। इसके बाद किसी भी विंडोज एक्सपी यूजर को कंपनी की तरफ से कोई अपडेट नहीं दिया जाएगा।
इससे एटीएम समेत कई बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ सकता है। यही नहीं इसका प्रभाव और भी कई तरह से पड़ेगा। यूं तो सपोर्ट बंद होने के बाद भी आप विंडोज एक्सपी का इस्तेमाल कर सकेंगे, लेकिन इसको इस्तेमाल करने को लेकर आपके खतरे बढ़ जाएंगे।
 यह नहीं मिलेगा
विंडोज़ अपडेट की गैर-मौजूदगी में आपके कंप्यूटर को यह सब नहीं मिलेगा रू
- हैकिंग, वायरसों और दूसरे हमलों से बचाने वाले नए अपडेट्स।
- नए बनने वाले हार्डवेयरों के लिए सपोर्ट नहीं मिलेगा।
- हो सकता है कि कई नए सॉफ्टवेयर कंप्यूटर में न चलें। भले ही वे माइक्रोसॉफ्ट के ही क्यों न हों।
- उसमें कोई नए फीचर्स नहीं जोड़े जाएंगे, कोई नई सुविधा नहीं आएगी।
क्यों होगा खतरा
8 अप्रैल के बाद कंपनी कोई सपोर्ट प्रोवाइड नहीं करेगी। ऐसी स्थिति में दो रास्ते होंगे या तो आप अधिक पैसे देकर कस्टम विंडोज एक्सपी का इस्तेमाल करे या फिर नया ओएस अपना लें। पुराना विंडोज एक्सपी इस्तेमाल करने वाले कमजोर सिक्यॉरिटी के कारण हैकरों और वाइरय के निशाने पर होंगे।
क्या नहीं होगा
- अगर आपके सिस्टम में विंडोज एक्सपी है तो आपका सिस्टम 8 अप्रैल के बाद से काम करना बंद नहीं करेगा।
- आपको जबरन विंडोज 8 के लिए अपडेट नहीं करना पड़ेगा।
- एक्सपी पर ट्रबलशूटिंगपर माइक्रोसॉफ्ट का सपॉर्ट भले न मिले लेकिन इंटरनेट पर ऐसे हजारों आर्टिकल्स हैं जिनके जरिए आप अपनी छोटी-मोटी समस्याएं ठीक कर सकेंगे।
क्या करें
- अगर सामान्य यूज़र हैं और इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते तो आपका काम एकाध साल चलता रह सकता है। फिर भी पेन ड्राइव या दूसरे जरियों से नए वायरसों के आने का कुछ खतरा रहेगा।
- अच्छे ऐंटिवाइरस, ऐंटिस्पाईवेयर सॉफ्टवेयरों और फायरवॉल्स का इस्तेमाल करके आप अपने कंप्यूटर को सुरक्षित रखने की कोशिश कर सकते हैं।
- जो लोग, कंपनियां या कारोबारी ऑपरेटिंग सिस्टम बदलने की स्थिति में हैं, उनके लिए 8 अप्रैल 2014 से पहले विंडोज 7 या 8 को अपना लेना बेहतर रहेगा।
- अगर आप नए ऑपरेटिंग सिस्टम का खर्च उठाने में सक्षम हैं तो आपको एक्सपी से आगे बढ़ जाना चाहिए।
- ऐसा नहीं कर सकते और फिर भी कंप्यूटर को सुरक्षित बनाए रखना चाहते हैं तो उसे बाहरी दुनिया से अलग-थलग रखकर काम करना चाहिए।
- सोचिए तीन नए संस्करण विस्टा, विंडोज7 और विडोज़ 8 आने के बाद भी विंडोज के 12 साल पुराने संस्करण पर टिके रहना कितना सही है, जबकि तकनीकी दुनिया में इस बीच न जाने कितने बदलाव आ चुके हैं।
काम के टिप्स
- अगर अभी ओएस नहीं बदल रहे तो 8 अप्रैल के बाद से इंटरनेट एक्सप्लोरर या मोजिला फायरफॉक्स यूज न करें क्योंकि ये भी सिक्यॉर नहीं रह जाएंगे। गूगल क्रोम का इस्तेमाल करके कम से कम अप्रैल 2015 तक सिक्यॉर रह सकते हैं, क्योंकि अभी गूगल क्रोम विंडोज एक्सपी को सपोर्ट करेगा।
- अधिकतर ऐंटिवाइरस सॉल्यूशन विंडोज एक्सपी को सपोर्ट करते रहेंगे। माइक्रोसॉफ्ट का खुद का माइक्रोसॉफ्ट सिक्यॉरिटी इसैंशियल भी विंडोज एक्सपी को 14 जुलाई 2015 तक सपोर्ट करेगा।
- जावा ब्राउजर प्लग-इन हैकरों के लिए आसान टारगेट हैं, ऐसे में बहुत जरूरत न हो तो जावा को रिमूव कर दें। अगर आपको इसकी बहुत जरूरत है तो ध्यान रखें कि ब्राउजर प्लग-इन पूरी तरह से डिसेबल्ड हैं और अप-टू-डेट भी हैं। अडोबी प्लैश और अडोबी रीडर भी हैकरों का टारगेट हो सकते हैं। आपको जिन सॉफ्टवेयर की जरूरत है तो उन्हें अप-टू-डेट रखें।
- अपने विंडोज एक्पसी ओएस और ऐंटिवाइरस को अपडेट कर लें।
- अगर एक्सपी ही इस्तेमाल कर रहे हैं तो जरूरी ड्राइवर्स स्टोर कर लें।

- सिस्टम का बैकअप लेने की सुविधा हो तो सेफ्टी के लिए ऐसा कर सकते हैं।

पुराने बोल बन रहे नई पारी के ‘कांटे‘

पुराने बोल बन रहे नई पारी के कांटे
(आकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)। फिल्म राजनीति‘ में मनोज वाजपेयी का एक डायलॉग राजनीति में मुर्दे कभी गाड़े नहीं जाते। उन्हें जिंदा रखा जाता हैजिससे जरूरत आने पर वह बोलें।
लोकसभा चुनाव में यह रील लाइफरीयल होती दिख रही है। चुनाव प्रचार में बड़े नेताओं के अपनी नई पार्टी को लेकर बोले गए पुराने बोल को खूब मुद्दा बनाया जा रहा है। ऐसा ही उमा भारती का एक विडियो सोशल मीडिया से लेकर वॉट्सऐप पर छाया हुआ हैजिसमें वह मोदी को विनाश पुरुष‘ बता रही हैं।
उमा के साथ बीजेपी के लिए भी यह बोल सांसत और सफाई का सबब बना हुआ है। यूपी में बड़े पैमाने पर वाराणसी और वेस्ट यूपी में वाया वॉट्सऐप उमा भारती की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का विडियो वाइरल हो रहा है। इसमें उमा कहती नजर आ रही हैं कि मोदी विनाश पुरुष हैं न कि विकास पुरुष। 3.24 मिनट के इस विडियो में उमा भी यह कहती नजर आ रही हैं कि गुजरात एक ऐसा राज्य हैजहां की हवा में डर बसा हुआ है और हिंदू यहां डरे हुए हैं। विडियो में उन्होंने अरुण जेटली पर भी निशाना साधा है।
 2007 का है यह विडियो
उमा भारती के समर्थकों की सफाई है कि यह विडियो 2007 में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस का है। इस समय उमा बीजेपी में नहीं थीं और उन्होंने भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई थी। उस समय उनकी पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी खड़े किए थे और विपक्षी नेता के तौर पर उन्होंने मोदी की आलोचना की थी। एक समर्थक का तो यहां तक तर्क है कि उस समय तो संघ भी मोदी से नाराज था। सूत्रों की मानें तो विडियो पर सफाई यूपी प्रभारी अमित शाह तक भी पहुंचाई गई है। बीजेपी की आईटी सेल से भी संपर्क साधा गया थालेकिन उसको डिलीट करने का कोई रास्ता फिलहाल नहीं सूझ रहा है।
यह विडियो मध्य प्रदेश में पिछले साल हुए कार्यकर्ता कुंभ के दौरान भी खूब चर्चा में आया थाजब मोदी को भी वहां आना था। फिलहाल इस मामले में उमा भारती से लेकर उनके मीडिया प्रभारी तक से संपर्क करने की कोशिश की गईलेकिन उनकी ओर से कोई भी आधिकारिक तौर पर बोल नहीं रहा है। दो मार्च को हुई लखनऊ रैली में उमा ने मोदी को देवता की संज्ञा दी थी।
 पुराने बोल और नए बयान
जगदंबिका पाल
पहले
साफ है कि बीजेपी में बिखराव हो रहा है। मोदी प्रधानमंत्री के रूप में बीजेपी में ही स्वीकार्य नहीं है।
अब
मोदी अच्छी बातें कर रहे हैं। उससे आप भी सहमत हैं और हम भी।
 सतपाल महाराज
पहले
बीजेपी ने संसद में बजट सत्र में पेश होने वाले बिलों का हर बार विरोध किया। विकास के मामले में हमेशा रोड़े डालने का काम किया। संसद में हमेशा आम लोगों के हितों के लिए जो बिल पास होने चाहिए थेउन्हें पास नहीं होने दिया। इससे देश का करोड़ों का नुकसान लगातार होता रहा है।
अब
प्रधानमंत्री बनने पर नरेन्द्र मोदी भारत को चीन से आगे ले जाएंगे। नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में हम बीजेपी को जीत से भी आगे ले जायेंगे।
 कल्याण सिंह
पहले
बीजेपी मरा हुआ सांप हैमैं इसे कभी गले नहीं लगाऊंगा।
अब
जब जीवन का अंत होने को होतब मेरी इच्छा है कि मेरा शव भी भारतीय जनता पार्टी के झंडे में लिपटाकर श्मशान भूमि की तरफ जाए।

दक्षिणी हिंद महासागर में ही डूबा लापता विमान!

दक्षिणी हिंद महासागर में ही डूबा लापता विमान!

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। लापता मलयेशियाई विमान की खोज में अब तक का सबसे अहम सुराग हाथ लगा है। सैटलाइट द्वारा जारी तीसरे सेट की तस्वीरों में लापता विमान के दक्षिणी हिंद महासागर में होने की ही पुष्टि हुई है। यह तस्वीरें फ्रांस ने जारी की हैं। मलयेशिया ने तुरंत इन तस्वीरों को ऑस्ट्रेलियन सेंटर में भेज दिया है। इस समुद्री क्षेत्र में पहले से ऑस्ट्रेलिया की एक इंटरनैशनल टीम लापता हुई मलयेशियाई फ्लाइट 370 की खोज कर रही है।
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और चीन की सैटलाइट तस्वीरों ने भी लापता विमान के दक्षिणी हिंद महासागर में ही होने की बात कही थी। इसमें पट्टियों वाले बॉक्स जैसा ऑब्जेक्ट तैरता हुआ दिखा था। अब फ्रांस द्वारा इसी क्षेत्र में प्लेन के होने की संभावना पर कुछ और विमानों को खोज में लगा दिया गया है। ऑस्ट्रेलियाई समुद्री सुरक्षा अथॉरिटी की प्रवक्ता ने बताया कि रविवार को आठ विमान खोज के लिए दक्षिणी हिंद महासागर में भेजे गए। इसके अलावा सोमवार से चीन और जापान के दो-दो प्लेन और इस क्षेत्र में लगाए जाएंगे।
मलयेशिया के परिवहन मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि रविवार सुबह मलयेशिया को फ्रांस के अधिकारियों से सैटलाइट द्वारा ली गई नई तस्वीरें मिलीं। इसमें दक्षिणी कोरिडोर में कुछ वस्तुएं दिख रही हैं। बीते एक सप्ताह में तीसरी बार इस तरह की तस्वीरें आई हैं, जिनमें मलयेशिया एयरलाइन के विमान का मलबा होने की आशंका जताई गई है। अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि फ्रांसीसी सैटलाइट ने क्या उसी इलाके की तस्वीर ली है, जहां चीन ने भी कुछ बहती हुई वस्तुएं देखी हैं।
ऑस्ट्रेलियाई पीएम बोले, उम्मीदें बढ़ीं ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टॉनी एबॉट ने कहा कि अब हमारे पास कई विश्वसनीय जानकारियां हैं। इसलिए उम्मीद बढ़ती जा रही है। लेकिन अभी उम्मीद से ज्यादा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि शायद हम उस सड़क पर आ गए हैं, जहां हमें लापता विमान मिल जाएगा। गौरतलब है कि मलयेशियाई विमान क्वालालंपुर से उड़ान भरने के एक घंटे बाद रेडार के दायरे से रहस्यमयी तरीके से बाहर हो गया था।
भारत ने तैनात किए टोही विमान भारत ने लापता मलयेशियाई विमान का पता लगाने में मदद के मकसद से रविवार को हिंद महासगार में अपने दो टोही विमान तैनात कर दिए। मलयेशिया के सुबंग हवाई अड्डे से भारतीय नौसेना के पी-8-आई पोसेडियोन और भारतीय वायुसेना सी-130जे सुपर हर्कुलिस विमान ने उड़ान भरी। ये विमान 21 मार्च को मलयेशिया पहुंचे थे। इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से मलयेशिया को पूरी मदद का वादा किया गया था। दोनों विमान उन इलाकों में खोजी अभियान चला रहे हैं, जो एयरोनॉटिकल रेसक्यू को-ऑर्डिनेशन सेंटर‘ (एआरसीसी) की ओर से चिन्हित किए गए हैं।
टेकऑफ से पहले कैप्टन से किसने की थी बात? लापता मलयेशियाई विमान के कैप्टन को किसी महिला ने टेक ऑफ से पहले फोन किया था। जिस नंबर से फोन आया था, वह जाली आईडी पर लिया गया था और अब यह नंबर अनट्रेसेबल बता रहा है। इस बात को आतंकी संगठनों से जोड़कर देखा जा रहा है। पुलिस के अनुसार, क्वालालंपुर की एक दुकान से एक महिला ने यह नंबर हाल में लिया था। जांचकर्ताओं ने गंभीरता से इस दिशा में जांच शुरू कर दी है। इस रहस्यमयी महिला को छोड़कर फ्लाइट टेकऑफ करने से घंटों पहले तक जिस-जिसने कैप्टन से बात की थी, उन सबसे पुलिस पूछताछ कर चुकी है।
जांच की दूसरी दिशा में जांचकर्ताओं ने कैप्टन की पत्नी फैजह खान से बात करने का मन बनाया है। माना जा रहा है कि एफबीआई द्वारा दबाव पड़ने पर ऐसा किया जा रहा है। इस कपल के तीन बच्चे हैं। सूत्रों के अनुसार दोनों एक ही छत के नीचे अलग-अलग रह रहे थे।

नेताओं को हंसते हुए फैसले कबूल करने चाहिएः जेटली

नेताओं को हंसते हुए फैसले कबूल करने चाहिएः जेटली

(एडविन अमान)

नई दिल्ली (साई)। बीजेपी नेता और अमृतसर से पार्टी के उम्मीदवार अरुण जेटली ने टिकट नहीं मिलने पर बाड़मेर से निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे जसवंत सिंह पर कटाक्ष किया है।
शनिवार को एक टीवी चौनल पर भावुक हो गए जसवंत का नाम लिए बगैर जेटली ने कहा कि अगर किसी नेता को टिकट नहीं दिया गया है तो उसे मुस्कराहटके साथ फैसले को कबूल कर लेना चाहिए। जेटली ने कहा कि नेताओं को सुविधाएं हासिल करने के बाद कई बार नहींको भी कबूल करना चाहिए।
जेटली ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, ‘राजनीतिक दल की सदस्यता हासिल होना एक विशेषाधिकार है। यह खुद को संयमित रखने की भी प्रक्रिया है जहां निजी विचारों और महत्वाकांक्षाओं को पार्टी के सामूहिक सोच को समर्पित कर दिया जाता है। कई बार पार्टी में विशेषाधिकार और पद रखने वाले नेताओं की अधिकता हो सकती है। कुछ अन्य मौकों पर नेता को अपनी आकांक्षाओं के जवाब में नहींसुनना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि अगर किसी नेता को टिकट नहीं दिया गया है तो उसे मुस्कराहटके साथ फैसले को कबूल कर लेना चाहिए। जेटली ने जसवंत सिंह का नाम तो नहीं लिया, लेकिन जाहिर तौर पर उनका संदर्भ लेते हुए कहा, ‘यह उनकी निष्ठा और अनुशासन की परीक्षा है। हमेशा संयम और मौन को तरजीह दी जानी चाहिए। मौन हमेशा गौरवपूर्ण होता और सादगीपूर्ण होता है।

अमृतसर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे जेटली ने कहा कि चुनाव के मौसम में पार्टी का टिकट पाने के इच्छुक कई नेताओं को सफलता मिल जाती है और कई रह जाते हैं। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘लाखों नेताओं के सहयोग से राजनीतिक दल का निर्माण होता है, जिन्होंने पद पाने की आकांक्षा के बिना अपना समय और ऊर्जा कुर्बान कर दी। जब सफल राजनीतिक करियर के बाद कोई पार्टी किसी वक्त एक नेता को जगह नहीं दे पाती तो ऐसे में उनके अनुशासन और राजनीतिक निष्ठा की परीक्षा होती है।

भाजपा को आड़े हाथों लिया दिग्विजय ने

भाजपा को आड़े हाथों लिया दिग्विजय ने

(प्रदीप आर्य)

भोपाल (साई)। एक बार फिर से कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने बीजेपी और मोदी पर निशाना साधा है। दिग्विजय ने रविवार को मीडिया में कहा कि अगर वाकई में मोदी की लहर पूरे देश में है तो फिर क्यों बीजेपी सीनयर नेताओं के पत्ते काट रही है और उन्हें रोने पर मजबूर कर रही है।
विदशा से सुषमा के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं दिग्विजय सिंह दिग्विजय सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू, आडवाणी, टंडन का नाम लेते हुए कहा कि बीजेपी ने इन सभी को मोदी के चलते साइडलाइन कर दिया है जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा। बीजेपी वन मैन पार्टी हो गयी है। आखिर बीजेपी को क्यों नहीं दिख रहे हैं आडवाणी, जोशी, टंडन और जसवंत के आंसू?
दिग्विजय सिंह ने कहा बीजेपी का यह रवैया बताने के लिए काफी है कि उसे अपने दिग्गजों की जीत पर संशय है तभी तो उन्होंने जसवंत सिंह समेत हर किसी को रोने पर मजबूर किया है जिसका समर्थन सुषमा स्वराज जैसी नेता ने दुख जता कर दिया है। मोदी का हौव्वा बनाकर बीजेपी वरिष्ठ नेताओं का अपमान कर रही है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में विदिशा संसदीय क्षेत्र से भाजपा की सुषमा स्वराज के खिलाफ कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव व नेता प्रतिपक्ष सत्येदव कटारे ने पार्टी आलाकमान को दिग्विजय सिंह को विदिशा से चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव भेजा है। कांग्रेस का मानना है कि विदिशा से यदि दिग्विजय को चुनाव मैदान में उतारा जाए तो भाजपा की स्टार प्रचारक सुषमा पूरे देश के दौरे नहीं कर पाएंगी, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विदिशा में रहने के लिए विवश होना पड़ेगा, क्योंकि शिवराज का विधानसभा क्षेत्र इसी संसदीय क्षेत्र में है।

पवार ने बोगस वोटिंग की सलाह!

पवार ने बोगस वोटिंग की सलाह!,
(मोदस्सिर कादरी)
नई दिल्ली (साई)। एनसीपी नेता और केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने मतदाताओं को एक विवादास्पद सलाह दी है। नवी मुंबई में एक जनसभा में पवार ने लोगों को बोगस वोटिंग करने का सुझाव दिया।
पवार ने कहा, ‘स्याही मिटाकर इस बार दो जगह वोट देना। पहले सतारा में वोट डालना फिर मुंबई में आकर वोट देना। पिछली बार दोनों जगह एक ही दिन वोट पड़े थे लेकिन, इस बार सतारा में 17 को जबकि मुंबई में 24 अप्रैल को वोट पड़ेंगे।‘  हालांकि हर ओर से हुई आलोचनाओं के बाद उन्होंने कहा कि वह गलत बात थी, उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था।

मोदी पर भी साधा निशाना
महाराष्ट्र के बीड़ में आयोजित रैली में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बीजेपी के पीएम उम्मीदवार मोदी पर भी निशाना साधा। पवार ने गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि मोदी यदि पीएम बने तो यह देश के लिए खतरा होगा।
पवार ने कहा कि मोदी दंगा पीड़ितों के आंसू पोछने नहीं गए लिहाजा उन पर विश्वास नही किया जा सकता है। पवार के मुताबिक, मोदी ने सत्ता का इस्तेमाल लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए किया।

मोदी को लेकर पवार का रुख

शरद पवार इससे पहले गुजरात दंगों के लेकर मोदी को क्लीन चिट दे चुके हैं। यही नहीं पवार दंगों के लेकर मोदी पर हमला करने वाले लोगों को सलाह दे चुके हैं कि जब कोर्ट उन्हें क्लीन चिट दे चुका है तो विरोधियों के अब हमला करना बंद कर देना चाहिए। लेकिन चुनाव से ठीक पहले पवार ने अपने ही रुख से पलटी मार ली है।

मुतालिक को लेने पर बीजेपी को पड़ गए देने!

मुतालिक को लेने पर बीजेपी को पड़ गए देने!

(सुमित माहेश्वरी)

नई दिल्ली (साई)। बीजेपी ने रविवार को विवादित हिंदूवादी नेता प्रमोद मुतालिक को पार्टी में शामिल कर अपनी भारी फजीहत करवा ली। पार्टी के अंदर-बाहर भारी विरोध के बाद यह फैसला उल्टा पड़ता देख पार्टी को कुछ ही घंटों में इसे पलटना पड़ा और मुतालिक को बीजेपी से मुल्तवी कर दिया गया। इस मामले पर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को चेहरा बचाने के लिए यह मासूम बहाना बनाना पड़ा कि राज्य बीजेपी ने बिना उसे बताए यह फैसला ले लिया था।
कर्नाटक बीजेपी ने भी अच्छे बच्चे की तरह हाईकमान को फजीहत से बचाने के लिए शाम को बयान जारी किया कि उसने बड़ोंको बिना बताए ही मुतालिक को पार्टी में शामिल कर लिया था। बीजेपी के इस बयान पर यकीन करना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि मुतालिक को कर्नाटक बीजेपी के टॉप नेताओं की मौजूदगी में पार्टी में एंट्री दी गई थी। कर्नाटक के पूर्व सीएम जगदीश शेट्टर, कर्नाटक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष प्रह्लाद जोशी और पूर्व डेप्युटी सीएम केएस ईश्वरप्पा समेत तमाम बड़े नेता अपने नए साथी मुतालिक का हाथ थामे हुए थे। ऐसे में आखिर भला बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व यह दावा कैसे कर सकता है कि उन्हें मुतालिक की पार्टी में एंट्री के बारे में पता नहीं था।

दरअसल पार्टी को इसका अंदाजा नहीं था कि मेंगलुरु के एक पब में लड़कियों के साथ बदसलूकी के बाद चर्चा में आए मुतालिक को पार्टी में लाने पर इतना बवाल हो जाएगा। मुतालिक के बीजेपी में शामिल होने का विरोध न सिर्फ पार्टी के अंदर था, बल्कि लोगों ने सोशल मीडिया पर भी पार्टी के इस फैसले की जमकर आलोचना की थी।

नरेंद्र मोदी ने समर्थकों से कहा, हर हर मोदी का नारा नहीं लगाए

नरेंद्र मोदी ने समर्थकों से कहा, हर हर मोदी का नारा नहीं लगाए

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को लेकर लग रहे हर-हर मोदीके नारे पर विभिन्न पार्टियों एवं धर्मगुरुओं की ओर से आपत्ति जताए जाने के बाद मोदी ने अपने समर्थकों से इस नारे का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की है।
मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ‘कुछ उत्साही समर्थक हर-हर मोदीका नारा लगा रहे हैं। मैं उनके उत्साह का सम्मान करता हूं, पर उनसे प्रार्थना भी करता हूं कि भविष्य में इसका इस्तेमाल न करें।
इससे पहले द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने नरेंद्र मोदी के पक्ष में लगाए जा रहे हर हर मोदीके नारे पर आपत्ति जतायी थी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत से कड़ा विरोध दर्ज कराकर उनसे ऐसी व्यक्तिपूजारोकने को कहा था।

बालाघाट में 19 तो मण्डला में पांच नामांकन दाखिल

बालाघाट में 19 तो मण्डला में पांच नामांकन दाखिल
(संतोष पारदसानी)
भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश में 10 अप्रैल को होने वाले पहले चरण के लोकसभा चुनाव के लिए 15 मार्च से 22 मार्च तक 144 उम्मीदवारों ने नाम-निर्देशन पत्र जमा किये। सोमवार 24 मार्च को उम्मीदवारों के नाम-निर्देशन पत्रों की संवीक्षा (स्क्रूटनी) का कार्य होगा। बुधवार 26 मार्च तक उम्मीदवारों द्वारा नाम वापिस लिए जा सकेंगे।
पहले चरण के नामांकन में सबसे अधिक 26 नाम-निर्देशन पत्र सतना में तथा सबसे कम 9 होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र में जमा करवाये गये। इसके अलावा बालाघाट में 19रीवाछिंदवाड़ामें 17-17जबलपुर में 16सीधी में 15शहडोल में 14 और मंडला में 11 नामांकन पर्चे दाखिल करवाये गये।

एक हेलीकॉप्टर के उपयोग की मिली अनुमति

एक हेलीकॉप्टर के उपयोग की मिली अनुमति

(राजेश शर्मा)


भोपाल (साई)। भारत निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश में होने वाले लोकसभा चुनाव में एक हेलीकॉप्टर के उपयोग की अनुमति प्रदान की है। यह अनुमति प्रदेश में लोकसभा निर्वाचन में मतदान के लिए ईवीएम एवं मतदान कर्मियों के आवागमन तथा आकस्मिक घटना से निपटने के लिए दी गई है। हेलीकॉप्टर का उपयोग मध्यप्रदेश में प्रथम चरण (10 अप्रैल) के चुनाव के लिए 9 से 11 अप्रैल तक किया जायेगा।

24 और दल अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल के रूप में पंजीबद्ध

24 और दल अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल के रूप में पंजीबद्ध

(सोनल सूर्यवंशी)

भोपाल (साई)। भारत निर्वाचन आयोग ने 24 और राजनैतिक दलों को अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल के रूप में पंजीबद्ध किया है। अब तक आयोग में कुल 1593 राजनैतिक दल अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल के रूप में रजिस्टर्ड थे। पंजीबद्ध हुए 24 दलों को मिलाकर अब इनकी संख्या 1617 हो गई है।

आयोग ने जिन 24 राजनैतिक दलों को रजिस्टर्ड किया है, उनमें गरीब आदमी पार्टी, हम सबकी पार्टी, राष्ट्रीय विकल्प पार्टी, अपना दल युनाईटेड पार्टी, सर्वजन समता पार्टी, सिक्किम लिब्रेशन पार्टी, मानव अधिकार नेशनल पार्टी, फ्री थॉट पार्टी ऑफ इंडिया, भारत देशभक्ति संगठन, भारतीय ग्रामवासी पार्टी, जनता राज पार्टी, एझुची तमिलारगल मुन्नेत्रा कझगम, अखिला केला, त्रिन्जनूल पार्टी, इंडिपेंडेंट इंडियन कांग्रेस, महाजना सोशलिस्ट पार्टी, एक्स सैनिक किसान पार्टी, जम्मू एंड काश्मीर पिर पेंजल अवामी पार्टी, आवामी विकास पार्टी, गाँधी एकता पार्टी, हिन्दुस्तान अवाम पार्टी, भारतीय सामाजिक पार्टी, आवामी समता पार्टी, हरियाणा जनता पार्टी और जनसेवा सहायक पार्टी शामिल हैं।
चुनाव आयोग को उचित माध्यम से भेजे जाएं संदर्भ

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। भारत निर्वाचन आयोग ने भारत सरकार द्वारा आयोग को भेजे जाने वाले संदर्भों को केबिनेट सचिव के माध्यम से भेजने के निर्देश दिये हैं।
इसी प्रकार राज्य सरकार के संदर्भ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के माध्यम से आयोग को भेजने को कहा गया है। विभिन्न मंत्रालय, विभाग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने कुछ मामलों में आदर्श आचरण संहिता लागू होने को लेकर आयोग से स्पष्टीकरण चाहा था। आयोग ने पूर्व में भी विभिन्न परियोजनाओं, योजनाओं एवं ग्रामीण विकास से जुड़े कार्यक्रमों के क्रियान्वयन/परिचालन के संबंध में निर्देश दिये थे। आयोग के उक्त निर्देश के बावजूद भारत सरकार के संदर्भ सीधे आयोग को भेजे जा रहे हैं, जिनकी संख्या अधिक होती जा रही है। इनमें कुछ संदर्भ ऐसे भी हैं जो अर्जेन्ट नहीं है बल्कि उनमें चुनाव तक इंतजार किया जा सकता है। आयोग के अनुसार विभिन्न मंत्रालय और विभाग आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध दिशा-निर्देशों पर ध्यान दिये बिना भी संदर्भ भेज रहे हैं।
आयोग ने उपरोक्त स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए पुनरू निर्देश दिये हैं कि भारत सरकार के सभी संदर्भ जिन्हें मंत्रि-मण्डल या मंत्रि-मण्डल की किसी समिति में रखा जाना है, उन्हें सीधे आयोग को न भेजकर केबिनेट सचिव के माध्यम से भेजा जाए। विभाग, उप-विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एवं स्वशासी संस्थान अपने संदर्भ संबंधित मंत्रालय/विभाग के माध्यम से भेजें। राज्य सरकार भी अपने संदर्भ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के माध्यम से आयोग को भेजें।
आयोग के अनुसार मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को उन संदर्भों को आयोग को नहीं भेजना चाहिए, जिन पर वे स्वयं अपने स्तर पर निर्णय ले सकते हैं। आयोग को केवल वही संदर्भ भेजना चाहिए जिनके बारे में संदेह हो कि वह आयोग के वर्तमान निर्देशों के दायरे में आते हैं अथवा नहीं।