मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

अंकुरित होने लगी बारिश में भीगी धान!

बार बार चेताने के बाद भी नान, मार्कफेड करते रहे लापरवाही

(अखिलेश दुबे)


सिवनी (साई)। ई-उपार्जन के माध्यम से सरकारी स्तर पर खरीदी गई धान में करोड़ों की चपत लगाई जाने के संकेत मिलने लगे हैं। बारिश में गीली हुई धान के बारे में खबरों के प्रकाशन के बाद भी खाद्य विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम, विपणन संघ आदि जिम्मेदार विभागों द्वारा कोई कार्यवाही न किए जाने से गीली धान अब अंकुरित होना आरंभ हो गई है। यह अंकुरित धान अब शायद ही किसी काम की बचे।
सिवनी में इस साल लगभग बीस लाख क्विंटल धान की खरीदी ई-उपार्जन के माध्यम से सरकारी स्तर पर की गई है। इस धान के संग्रहण, भण्डारण आदि के बारे में सरकारी दावों और संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव की चेतावनियों की किस तरह धज्जियां उड़ाई गईं, इसका प्रमाण अंकुरित हो रही धान है।

खुली रखरखाव की पोल
पिछले साल सिवनी में भण्डारित लाखों टन धान को मिलिंग के लिए नहीं भेजा जा सका था। इसके चलते जगह जगह स्टेग में पिछले साल का धान ही पड़ा सड़ रहा है। इसकी सचित्र खबर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा पिछले दिनों चित्रों के साथ सिवनी शहर से सटे नरेला में बने स्टेग में भीग रहे धान का समाचार प्रसारित किया गया था। इसके बाद भी न तो जिला प्रशासन द्वारा ही इस संबंध में कोई संज्ञान लिया गया और न ही सांसद विधायकों ने भी इस संबंध में कोई कार्यवाही की है।
धान के भण्डारण में सुरक्षा के अभाव और रखरखाव की पोल भी अब खुलने लगी है। खाद्य विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम, विपणन संघ आदि के अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही के चलते ओपन केंप में रखी धान सड़ चुकी है या फिर सड़ने के कगार पर पहुंच चुकी है। आलम यह है कि पिछले दिनों ही लाकर यहां छल्ली बनाकर रखी गई धान में अंकुरण आरंभ हो चुका है।

दस फीसदी धान हो सकती है खराब!
बताया जाता है कि सिवनी में लगभग बीस लाख क्विंटल धान की खरीदी की जा चुकी है। इस धान में से दस फीसदी के लगभग धान खराब होना बताया जा रहा है। धान के स्टेग में ही अंकुरण साफ देखा जा सकता है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गीली धान की बिना एफएक्यू जांच के ही भण्डारित कर दिया गया है। इस धान के भण्डारण के महज एक माह के अंदर ही गीली धान में अंकुरण आरंभ हो चुका है।

पिछले साल की ही धान का संग्रहण
वहीं बताया जाता है कि धान खरीदी केंद्रों पर धान की खरीदी कागजों पर ही करके उनका परिवहन भी करवा दिया गया है। अब जब बात नरेला के केंप में आकर भण्डारित कर स्टाक दिखाने का आया तो पिछले साल की संग्रहित धान को ही उठवाकर नए स्टेग में रखवाकर उसे नई धान बताकर राशि हड़पने के षणयंत्र का ताना बाना भी बुना गया है। सूत्रों की मानें तो हाल ही में इस तरह का एक मामला प्रकाश में भी आया था जिसे नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने, ले देकर रफा दफा कर दिया है।