गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

आवारा मवेशियों की धमाचौकड़ी

आवारा मवेशियों की धमाचौकड़ी

(शरद खरे)

भगवान शिव की नगरी मानी जाती है सिवनी। सिवनी शहर में आवारा मवेशी, सुअर और कुत्तों का जमकर बोलबाला है। लगता है मानों इन पर नगर पालिका परिषद का कोई अंकुश नहीं रह गया है। आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि नगर पालिका परिषद पर भी जिले के संवेदनशील कलेक्टर भरत यादव के स्पष्ट निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। जिला कलेक्टर बार-बार आवारा मवेशियों के संबंध में ‘कड़े और स्पष्ट‘ निर्देश जारी कर चुके हैं। बावजूद इसके शहर में आवारा मवेशी, सुअर और कुत्तों पर कोई अंकुश नहीं लग सका है।
सिवनी शहर में मुख्य बाजार, पॉश इलाके बारापथर सहित कमोबेश हर कॉलोनी में आवारा गाय, बैल, सुअर, कुत्ते, बकरियां आदि गंदगी फैलाते दिख जाते हैं। आलम यह है कि नगर पालिका प्रशासन के कारिंदे भी अनंेकों बार सड़क पर जुगाली करते या आवारा घूमते इन जानवरों के कारण अपने वाहन रोककर, इन्हें रास्ता देते दिख जाते हैं। यातायात पुलिस के लिए निर्धारित स्थानों पर अब यातायात पुलिस के कारिंदे भी वाहनों को नियंत्रित करते नहीं दिखते हैं। इनके स्थान पर आवारा जानवर ही बैठे दिख जाते हैं।
लंबे समय से यातायात पुलिस के कर्मचारी चौक चौराहों पर यातायात को नियंत्रित करते नहीं दिख रहे हैं। लगता है मानो यातायात पुलिस का काम यातायात को नियंत्रित करने के बजाए वाहनों को रोककर उनकी चैकिंग भर का रह गया है। इस चैकिंग में भी अवैध वसूली की शिकायतें आम हो चुकी हैं। याद पड़ता है कभी छिंदवाड़ा चौक, नगर पालिका के सामने, शुक्रवारी बाजार, कचहरी चौक, सर्किट हाउस, बाहुबली चौक आदि पर यातायात पुलिस के सिपाही खड़े होकर हाथ हिलाते यातायात को संचालित करते थे। अब यह सब कुछ इतिहास की बात हो चली है।
सड़कों पर पसरे आवारा पशु लोगों का जीना मुहाल किए हुए हैं। अनेक दुकानदार तो सुबह सवेरे अपने प्रतिष्ठान को खोलकर सबसे पहले इन मवेशियों, कुत्तों और सुअर के मल को ही साफ करते दिख जाते हैं। वे भी इससे आज़िज आ चुके हैं। यह सब कुछ हो रहा है और मोटी चमड़ी वाला नगर पालिका प्रशासन आंख बंद किए सब कुछ देख सुनकर अपनी बैठकें कर निर्माण कार्याें में ही ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहा है।
सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात तो यह है कि जिला कलेक्टर का भी भय नगर पालिका प्रशासन को नहीं बचा है। जिला कलेक्टर द्वारा आवारा मवेशियों के लिए आदेश जारी किया गया था। इसमें चेतावनी भी दी गई थी। पता नहीं नगर पालिका प्रशासन ने जिला कलेक्टर के आदेश को किस रद्दी की टोकरी के हवाले कर दिया है। वरना क्या कारण है कि शहर में आवारा मवेशियों के विरूद्ध अभियान नहीं छेड़ा जा रहा है। संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव एवं पुलिस अधीक्षक बी.पी.चंद्रवंशी से अपेक्षा ही की जा सकती है कि वे इस दिशा में ‘कड़े निर्देश‘ के बजाए ‘कड़े कदम‘ उठाएं ताकि वह नजीर बने और सिवनी के नागरिक चैन की सांस ले सकें।

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