रविवार, 16 मार्च 2014

चुनाव के दौरान मीडिया समाचार को लेकर संयम बरते


चुनाव के दौरान मीडिया समाचार को लेकर संयम बरते

(सोनल सूर्यवंशी)

भोपाल (साई)। भारत घ्निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव के दौरान प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया को समाचार को लेकर संयम बरतने का आग्रह किया है।
आयोग ने कहा है कि मीडिया समाचार को इस तरह से जारी करे कि निर्वाचन प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाये रखने में मदद मिल सके। आयोग ने कहा है कि किसी चुनाव क्षेत्र मंन चुनाव प्रक्रिया के निर्धारित समय की समाप्ति से 48 घण्टे की अवधि के दौरान ऐसे कार्यक्रम प्रकाशित और प्रसारित नहीं किये जायें, जिससे मतदान प्रक्रिया प्रभावित हो। आयोग ने कहा है कि जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 के प्रावधान की अवेहलना पर 2 साल तक की जेल या जुर्माना किया जा सकता है।
आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि टी.वी, रेडियो व केबल नेटवर्क 48 घण्टे की अवधि के दौरान परिचर्चा में शामिल पेनलिस्ट के विचारों सहित कोई ऐसी बात प्रसारित नहीं करेंगे, जिससे यह महसूस हो कि किसी राजनैतिक दल अथवा उम्मीदवार की जीत की संभावना को प्रोत्साहित किया जा रहा है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रतिबंधित 48 घण्टे के पूर्व कार्यक्रम के प्रसारण के पहले टी.वी., रेडियो चौनल एवं केबल नेटवर्क राज्य, जिला और स्थानीय अधिकारियों से संबंधित प्रसारण की अनुमति प्राप्त करेंगे। उनके द्वारा जो कार्यक्रम प्रसारित किये जायेंगे वे केबल नेटवर्क अधिनियम प्रावधान के अंतर्गत शालीनता, साम्प्रिदायिक, सौहार्द आदि के दायरे में होना चाहिये।
आयोग ने मीडिया को पेड न्यूज के लिये बनाये गये प्रावधानों का पालन किये जाने का भी आग्रह किया है। ब्राडकॉस्ट करने वाले समाचार और पेड न्यूज में साफतौर पर फर्क रखा जाना चाहिये। ऐसे समाचार जो प्रायोजित हों उनमें भुगतान प्राप्त सामग्री‘, ‘भुगतान प्राप्त विज्ञापनअनिवार्य रूप से लिखा जाना चाहिये। आयोग ने ओपेनियन पोल के संबंध में भी तैयार किये गये दिशा-निर्देशों का उल्लेख किया है। आयोग ने मीडिया से कहा है कि ओपेनियन पोल को ठीक एवं उचित तरीके से प्रसारित किया जाना चाहिये। मीडिया से कहा गया है कि वे ओपेनियन पोल के प्रसारण के पूर्व जन सामान्य को यह भी बतायें कि उक्त ओपेनियन पोल किसके द्वारा प्रायोजित किया गया है। ओपेनियन पोल प्रसारण के साथ ऐसी जानकारी भी दी जाए जिससे दर्शक उसके महत्व और विश्वसनीयता को जान सकें। दर्शकों को यह भी जानकारी दी जानी चाहिये कि ओपेनियन पोल को तैयार करने में क्या तरीके अपनाये गये है। मतों की संख्या सीटों की संख्या में कैसे परिवर्तित होती है उसके बारे में भी दर्शकों को जानकारी दी जानी चाहिये। आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि चुनाव की घोषणा से लेकर परिणाम घोषित होने तक ब्राडकास्ट किये जाने वाले समाचारों की मॉनीटरिंग की जायेगी। ब्राडकास्टर द्वारा नियमों का उल्लघंन करने पर संबंधित के खिलाफ नेशनल न्यूज ब्राडकास्टिंग स्टेन्डर्ड अथारिटी (एनबीएसए) के तहत कार्रवाई की जाएगी।
भारत निर्वाचन आयोग ने प्रचार माध्यमों का ध्यान प्रेस कांउसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी दिशा-निर्देश की ओर भी आकर्षित किया है। मीडिया से उम्मीद की गई है कि वे दर्शकों एवं पाठकों को चुनाव के दौरान उम्मीदवारों से संबंधित वस्तुपरक जानकारियाँ दें। मीडिया को अपनी कार्य प्रणाली में यह दिखाना होगा कि उनके द्वारा जारी किये गये समाचार निष्पक्ष हैं। उनके द्वारा जारी किये गये तथ्यों से किसी राजनैतिक दल एवं उम्मीदवार की अनदेखी नहीं हो रही है। निर्वाचन प्रावधानों के अंतर्गत सांप्रदायिक अथवा जाति आधारित चुनावी अभियान पूर्णतरू प्रतिबंधित है। प्रेस को ऐसे समाचार प्रकाशित और प्रसारित करने से बचना चाहिये जिनसे लोगों के मध्य धर्म, जाति, नस्ल, संप्रदाय या भाषा को लेकर वैमनस्य उत्परन्न न हो। प्रेस को किसी उम्मीदवार व राजनैतिक दल के विरूद्ध असत्यापित समाचार प्रकाशित नहीं करना चाहिये। मीडिया को हर प्रकार के राजनैतिक एवं आर्थिक दबाव से खुद को बचाये रखना चाहिये। आयोग ने मीडिया से कहा है कि भूलवश यदि कोई गलत जानकारी प्रकाशित या प्रसारित हो गई है तो उसमें बिना देरी किये हुए भूल सुधार को महत्व के साथ प्रकाशित एवं प्रसारित किया जाना चाहिये।

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