शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

कमल नाथ की सभा का व्यय जुड़ सकता है रजनीश और राजकुमार के खाते में!

कमल नाथ की सभा का व्यय जुड़ सकता है रजनीश और राजकुमार के खाते में!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। 13 नवंबर को सिवनी और केवलारी विधानसभा में संपन्न हुई केंद्रीय मंत्री कमल नाथ की सभा का व्यय भी सिवनी से कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार खुराना और केवलारी के कांग्रेस प्रत्याशी रजनीश सिंह के खाते में जोड़ा जा सकता है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के बाद यह कवायद की जा सकती है।
ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश के जनसंपर्क संचालनालय द्वारा 13 अक्टूबर को जारी समाचार में कहा गया था कि मध्यप्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा निर्वाचन के दौरान उम्मीदवारों को चुनाव खर्च के मामले में बेहद सतर्क रहना होगा। निर्वाचन व्यय पर आयोग और विभिन्न टीमों की लगातार निगरानी रहेगी। उम्मीदवारों की निर्वाचन अभियान संबंधी प्रत्येक गतिविधियाँ भी वीडियोग्राफर के केमरे में दर्ज हांेगी।
विज्ञप्ति में आगे कहा गया था कि चुनाव के दौरान राजनैतिक दलों के स्टार प्रचारकों का दौरा, रैली, सभाओं पर भी विशेष निगाह रखी जायेगी। यदि उम्मीदवार स्टार प्रचारक के साथ यात्रा करता है तो पचास प्रतिशत यात्रा खर्च प्रत्याशी के चुनाव खर्च में जोड़ा जायेगा। यदि उम्मीदवार स्टार प्रचारक के साथ पंडाल सभा करता है और सभा में अपने नाम के साथ उसका फोटो या पोस्टर प्रदर्शित होता है तो सभा का खर्च भी प्रत्याशी के खाते में जोड़ा जायेगा। स्टार प्रचारक के साथ यात्रा खर्च में उन्हीं को छूट मिलेगी, जो परिचारक, सुरक्षा एवं चिकित्सा कर्मी, प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का कोई प्रतिनिधि, कोई व्यक्ति या दल का सदस्य जो चुनाव क्षेत्र का प्रत्याशी तथा प्रत्याशी के चुनाव अभियान में सम्मिलित नहीं है।

जुड़ेगा प्रत्याशी के व्यय में खर्च: गुप्ता
इस संबंध में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। मीडिया सर्टिफिकेशन और मीडिया मानीटरिंग समिति की प्रभारी बबीता मिश्रा ने बताया कि इस बारे में समूची जानकारी व्यय प्रेक्षक दे पाएंगे। इस संबंध में सिवनी के व्यय प्रेक्षक श्री गुप्ता से (9425827384) जब चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि आयोग के निर्देश पर स्टार प्रचारकों के कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी करवाई जा रही है। सिवनी एवं केवलारी विधानसभा में 13 जून को हुई केंद्रीय मंत्री की सभा की सीडी तैयार हो गई है एवं आज संपन्न एल.के.आडवाणी की सभा की वीडियोग्राफी वे देखेंगे और निर्धारित करेंगे कि प्रत्याशी के खाते में व्यय जोड़ा जाए अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि अगर स्टार प्रचारक द्वारा अभ्यार्थी के पक्ष में प्रचार किया जाता है, तो आधा खर्च प्रत्याशी के खाते में चला जाएगा।

दिया तले अंधेरा की कहावत चरितार्थ हो रही छपारा में

कौन समझेगा सिवनी की प्रसव वेदना. . .2

दिया तले अंधेरा की कहावत चरितार्थ हो रही छपारा में

(लिमटी खरे)

सिवनी के नाम से शहरों के नामों की कमी प्रदेश में नहीं है। होशंगाबाद जिले का सिवनी मालवा भी काफी मशहूर है। जिला सिवनी को सिवनी छपारा के नाम से पहचाना जाता है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। सिवनी को देश प्रदेश में पहचान दिलाने में छपारा का अपना अलग महत्व है। बावजूद इसके छपारा आज भी विकास को बुरी तरह तरस रहा है। छपारा के अविकसित रहने की पीड़ा यहां के निवासियों को अवश्य ही सालती होगी।
छपारा का नाम आते ही लोगों के जेहन में कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर का नाम आना स्वाभाविक ही है। हरवंश सिंह ठाकुर ने छपारा को एक पहचान दिलवाई है। इसका कारण हरवंश सिंह ठाकुर की रिहाईश छपारा के करीब बर्रा में होना है। इसके अलावा सिवनी की सांसद रहीं और वर्तमान में सिवनी की विधायिका श्रीमति नीता पटेरिया का आशियाना भी छपारा में है। छपारा निवासी रमेश जैन को सिवनी विधानसभा के लोगों ने विशाल जनादेश देकर विधायक बनाया।
छपारा की जनता ने वैसे तो कांग्रेस पर ही भरोसा जताया है। वर्ष 2008 में जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हैट्रिक लगाई उस समय भी छपारा अंचल के लोगों ने कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर को ही अपना भाग्य विधाता चुना। छपारा के लोगों का दर्द आज भी उनके चेहरे पर दिखाई पड़ता है क्योंकि भाजपा की सांसद रहीं और वर्तमान में सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कांग्रेस के हरवंश सिंह ठाकुर, कांग्रेस के विधायक रमेश जैन के रहते हुए भी छपारा आज भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक सात पर अवस्थित छपारा शहर के लोगों के दर्द को इस बात से समझा जा सकता है कि प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा के भरपूर कद के नेता देने के बाद भी छपारा को नगर पंचायत का दर्जा नहीं मिल पाया है। छपारा संभवतः प्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है जिसमें तीस हजार से अधिक जनता निवासरत है। छपारा को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बनाने की मांग नई नहीं है। इसके पहले भी छपारा के निवासियों ने कांग्रेस के तत्कालीन त्रिविभागीय मंत्री हरवंश सिंह ठाकुर के अलावा भाजपा की सांसद और वर्तमान सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, पूर्व विधायक रमेश चंद जैन सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अनेकों बार गुहार लगाई। विडम्बना ही कही जाएगी कि छपारा के लोगों के हाथों में हर बार ही लालीपॉप लगा। कमोबेश यही आलम कान्हीवाड़ा का है, जिसे उपतहसील का दर्जा दिया जाना था।
छपारा की माटी में पलकर देश प्रदेश में नाम रोशन करने वाले नेताओं के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि नेता यहीं से पनपे हैं मगर इन नेताओं ने छपारा के विकास के बारे में कभी विचार नहीं किया है। स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधनों का अभाव किसी से छिपा नहीं है और वहीं दूसरी ओर यहां के नेताओं की दिन दूगनी रात चौगनी दर से बढ़ने वाली संपत्ति भी किसी से छिपी नहीं है।
कहने को तो छपारा शहर के दक्षिणी मुहाने से पुण्य सलिला बैनगंगा गुजरती है, बावजूद इसके छपारा के लोगों के कण्ठ प्यासे ही रह जाते हैं। कहा जाता है कि छपारा शहर में चार दशकों पुरानी नल जल योजना के भरोसे ही पानी की सप्लाई हो रही है। छपारा से कुछ ही दूरी पर बर्रा में निवास करने वाले स्व.हरवंश सिंह ठाकुर प्रदेश सरकार में दस साल तक मंत्री रहे। इतना ही नहीं हरवंश सिंह ठाकुर प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री रहे पर छपारा में दिया तले अंधेराकी कहावत चरितार्थ हो रही है। हरवंश सिंह ठाकुर जैसे कद्दावर नेता के रहते हुए भी छपारा में नल जल योजना का न बन पाना अपने आप में विकास की झूठी कहानी कहने के लिए पर्याप्त है।
वर्तमान में चुनावी बिसात में गर्माहट महसूस की जाने लगी है। इस चुनावी गर्माहट में अब जनता प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा से उनके द्वारा पिछले दशकों में किए गए कामों का लेखा जोखा लेकर बैठी है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही तब हरवंश सिंह विधायक और मंत्री रहे, उस वक्त विपक्ष में भाजपा थी। वर्ष 2003 के उपरांत दस सालों से प्रदेश में भाजपा की सरकार है और विपक्ष में कांग्रेस बैठी है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि पिछले ढाई दशकों में छपारा की समस्याओं को लेकर किसी ने भी विधानसभा में इस संबंध में प्रश्न करना तो दूर एक ध्यानाकर्षण लगाना तक मुनासिब नहीं समझा।

छपारा क्षेत्र की जनता की खामोशी से लग रहा है मानो वह अब सोच समझकर ही कोई फैसला लेने वाली है। छपारा वर्तमान में केवलारी विधानसभा का अंग है। क्षेत्र की जनता कांग्रेस और भाजपा को सालों से आजमाए हुए है, बावजूद इसके छपारा में विकास की किरण प्रस्फुटित न हो पाना भी अपने आप में रिकार्ड ही माना जाएगा। प्रमुख सियासी दलों के प्रत्याशियों से अगर जनता ने यह प्रश्न पूछ लिया कि आखिर दशकों से उनके हितों में इन प्रत्याशियों द्वारा उपयुक्त मंच यानी विधानसभा में क्या प्रश्न किए गए और उन पर क्या कार्यवाही हुई तो प्रत्याशियों के सामने समस्या खड़ी हो सकती है। वहीं दूसरी ओर अब क्षेत्र की जनता नए चेहरे की ओर देखे तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

लगा कांग्रेस को झटका! भाजपा ने झटके दो विकेट!

लगा कांग्रेस को झटका! भाजपा ने झटके दो विकेट!

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। सिवनी में पूर्व उप प्रधानमंत्री एल.के.आडवाणी की यात्रा से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं ने आज कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा की रीति निति में आस्था जताते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
आज एल.के.आडवाणी की सभा के पूर्व जिला कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुंगवानी क्षेत्र में पैठ रखने वाले धर्मेंद्र सिंह ठाकुर एवं कमलनाथ प्रशंसक फोरम से सालों से जुड़े रहे एवं मण्डी के सदस्य रहे संजय चौधरी ने आज भाजपा की सदस्यता ले ली। इन दोनों नेताओं के साथ ही साथ सिवनी से कांग्रेस के विधायक रहे अब्दुल रहमान फारूखी की पुत्री डॉ.असरा फारूखी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार भाजपा की रीति नीतियों, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यों एवं भाजपा जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर की मिलनसार व सेवाभावी छवि से प्रभावित होकर आज माननीय लालकृष्ण आडवानी जी की सभा के दौरान कांग्रेस के पूर्व विधायक स्वर्गीय अब्दुल रहमान फारूकी की पुत्री डॉ.असरा फारूकी सहित, जिला इंका के उपाध्यक्ष ठाकुर धर्मेन्द्र सिंह, कमलनाथ प्रशंसक फोरम के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं पूर्व मंडी सदस्य व किसान कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री संजय चौधरी ने आज अपने 202 साथी कार्यकर्ताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
भाजपा मीडिया प्रभारी श्रीकांत अग्रवाल ने बताया कि इन सभी नवागत सदस्यों का मंच पर आसीन पार्टी पदाधिकारियों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। नवागत सदस्यों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा गांव और किसान की छवि वाले मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश में शासन कर रही हैं। हम सभी भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने पर बहुत गर्व महसूस कर रहे है। आज हमें कांग्रेस पार्टी के कष्टों और घुटन से मुक्त होने का अवसर मिला है।

नवागत सदस्यों ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश को दोबारा सामंतशाही व्यवस्था की ओर ढकेलना चाह रही है। कांग्रेस के अनेक नेता पार्टी में चल रही गतिविधियों से बेहद खफा है। इस वेदना से मुक्ती पाने के लिए ही हमने भाजपा का दामन थामा है। हम भाजपा की गरीब किसान एवं मजदूर की सेवा के प्रति संकल्पबद्धता से प्रभावित हैं और ऐसी पार्टी मे आज हम सभी शामिल होकर प्रसन्नता महसूस कर रहे हैं। हम अपने भाजपा के सभी साथियों को यह विश्वास भी दिलाते हैं कि हम सभी पार्टी की विचारधारा के अनुरूप पूरे तन-मन से कार्य करने के लिए संकल्पित हैं।

इतिहास की क्लास ले गए आडवाणी!

इतिहास की क्लास ले गए आडवाणी!

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। ‘1984 में लोकसभा नहीं, शोकसभा के चुनाव हुए थे। उस समय राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस आतुर थी। उस चुनाव में कांग्रेस को जितनी सीटें मिली थीं उतनी सीटें तो पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भी कभी नहीं मिलीं।
उक्ताशय की बात कल तक राजग के पीएम इन वेटिंग रहे एल.के.आडवाणी ने आज मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला के दो तिहाई से ज्यादा रिक्त मैदान में जनसभा को संबोधित करते हुए कही। भाजपा नेता आडवाणी आज देर शाम हेलीकॉप्टर से सिवनी पहुंचे और सभा स्थल पर लगभग आधे घंटे रूकने के बाद वापस लौट गए। आडवाणी का भाषण पूरी तरह 2004 तक के लोकसभा चुनावों पर केंद्रित लगा जिसमें उन्होंने संसद के इतिहास को बताने में ही ज्यादा दिलचस्पी दिखाई।
लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि वे 1951 से सक्रिय राजनीति में हैं, जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि वे समूचे भारत वर्ष के अनेक जिलों में जा चुके हैं, कम ही जिले ऐसे बचे होंगे जहां वे नहीं गए होंगे। उन्होंने कहा कि 1984 में भाजपा को महज दो सीट मिली थीं, उस चुनाव के बाद कार्यकर्ता उनसे पूछा करते थे कि आखिर क्या हुआ कि लोकसभा में इतनी कम सीटें मिलीं। इस पर वे कार्यकर्ताओं को जवाब दिया करते थे कि चौरासी का लोकसभा चुनाव वाकई में शोकसभा का चुनाव था। उस समय सहानुभूति लहर का फायदा कांग्रेस को मिला। इस समय इंदिरा गांधी की उनके ही सुरक्षा कर्मियों ने हत्या कर दी थी।
आडवाणी ने कहा कि देश में लाल बहादुर शास्त्री और गुलजारी लाल नंदा जैसे ईमानदार और योग्य प्रधानमंत्री देश में हुए हैं। उन्होंने कहा कि 1989 के चुनावों में भाजपा का परफार्मेंस देखने लायक था जिसमें भाजपा को 86 सीट मिली थीं। गठबंधन सरकारों पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा ही दो ऐसी पार्टी हैं जिनके प्रधानमंत्री सबसे ज्यादा समय तक रहे हैं, शेष दलों के पीएम कुछ ही समय के लिए गद्दी पर बैठे। उन्होंने कहा कि एक समय था जब दिल्ली का 7 रेसकोर्स रोड का बंग्ला (भारत के प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) सबसे महत्वपूर्ण माना जाता था, पर बाद में यह खिसककर 10, जनपथ (कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) हो गया है।

नरेश से नहीं मिल पाए आडवाणी
अपने भाषण में पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी ने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देशों के चलते वे नरेश दिवाकर से नहीं मिल पाए हैं, क्योकि अगर प्रत्याशी मंच पर आएगा तो उनकी यात्रा का सारा खर्च प्रत्याशी के खाते में जुड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि वे चुनाव आयोग से इस बारे में बात करेंगे। भाजपा प्रत्याशी नरेश दिवाकर को जिताने की परोक्ष अपील करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप (सिवनी की जनता) उन्हें जिता देगी तो वे बतौर विधायक उनसे बाद में मिल लेंगे।

जुड़ सकता है यात्रा का खर्च
वहीं, यह चर्चा भी मीडिया के बीच रही कि एल.के.आडवाणी ने नरेश दिवाकर को जिताने की अपील की है, भले ही वह परोक्ष तौर पर की गई हो, तो आडवाणी की सिवनी यात्रा का खर्च नरेश दिवाकर के खाते में जोड़ा जा सकता है। वहीं, एक महिला वक्ता द्वारा आडवाणी के आने के पूर्व नरेश दिवाकर को विजयी बनाने की अपील की गई, जिसे भी व्यय की दृष्टि से प्रत्याशी के खाते में जोड़ने की चर्चा चलती रही।

पढ़ा गए इतिहास
वहीं, श्रोताओं के बीच यह चर्चा चलती रही कि एल.के.आडवाणी द्वारा विधानसभा सिवनी के चुनाव प्रचार के दौरान संसद के इतिहास को क्यों बताया जा रहा है। मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला लगभग दो तिहाई खाली मैदान में श्रोता कुछ समय बाद ही इतिहास सुनने में दिलस्पी नहीं दिखाते हुए धीरे धीरे सभास्थल से कूच करते देखे गए।

रहा महिलाओं का स्थल रीता!

सिवनी में हुई इस सभा में पुरूषों के लिए निर्धारित स्थल भी आधे से ज्यादा खाली ही था, वहीं दूसरी ओर महिलाओं के लिए आरक्षित स्थल में मीडिया कर्मी अलबत्ता इस आरक्षित स्थल पर अवश्य ही देखे गए। मीडिया कर्मियों के अनुसार उनके लिए आरक्षित स्थल में कुर्सियों पर एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं ने कब्जा जमा लिया था, अतः मजबूरी में उन्हें महिलाओं के लिए आरक्षित किन्तु खाली पड़े स्थान पर जाकर रिपोर्टिंग करना पड़ा।

कौन देगा बुनियादी सुविधाएं

कौन देगा बुनियादी सुविधाएं

(शरद खरे)

सिवनी शहर आज़ाद भारत का ही एक अंग है। आज़ाद भारत में हर नागरिक को पीने को साफ पानी, प्रकाश, साफ सफाई आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना शासन प्रशासन का प्रथम दायित्व है। अगर किसी नागरिक को यह बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? जाहिर है स्थानीय निकाय यानि नगर पालिका, नगर पंचायत या नगर निगम ही इसके लिए जवाबदेह हैं।
सिवनी शहर में साफ पानी जनता को पिलाने की जवाबदेही नगर पालिका की ही है। नगर पालिका को चाहिए कि वह पानी की गुणवत्ता का पूरा पूरा ध्यान रखे। साथ ही साथ साफ सफाई भी नगर पालिका की ही जवाबदेही है। दोनों ही मामलों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली नगर पालिका परिषद् फेल्युअर ही साबित हुई है। सिवनी शहर के नागरिक आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरसते ही नजर आ रहे हैं।
सिवनी में भीमगढ़ जलावर्धन योजना के आरंभ होते ही लोगों को लगने लगा था मानो उन्हें जन्नत मिलने वाली हो। वे जन्नत का मजा ले सकेंगे। जैसे ही यह योजना मूर्त रूप में आई, वैसे ही लोगों की आशाओं पर तुषारापात हो गया। लोगों को दो समय पूरा पानी तो छोड़िए, एक समय भी साफ पानी मयस्सर नहीं हो पाया। लोगों का भरोसा तब टूटा जब उनके नलों से, फिल्टर किए हुए पानी के बजाए गंदा बदबूदार और कीड़े युक्त पानी आने लगा। लोगों के नलों ने इस तरह का गंदा पानी उगला तो लोगों का दिल टूट गया। जब भीमगढ़ जलावर्धन योजना आरंभ हुई और सालों तक गंदा पानी मिला तब भी किसी विधायक ने इस बारे में विधानसभा में प्रश्न उठाकर इसकी गुणवत्ता या इसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया। जिससे यह साबित हो गया कि चोर चोर मौसेर भाई की तर्ज पर सभी जनता को छलने में अपने अपने हुनर का प्रदर्शन करते आए हैं।
सिवनी शहर में कहने को तो विशाल जलसंग्रह क्षमता वाला बबरिया, दलसागर, बुधवारी, मठ तालाब है। इसके अलावा यहां रेल्वे स्टेशन के पास दो तालाब और न जाने कितने कुंए बावली और नलकूप हैं। बावजूद इसके भगवान शिव की नगरी में लोग गर्मी तो छोड़िए बारिश के मौसम में भी कण्ठ की प्यास बुझाने के लिए तरसते नजर आते हैं। क्या यही है भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के सिवनी जिले की किस्मत!
सिवनी में चहुंओर गंदगी पसरी हुई है। नालियां गंदगी से बजबजा रही हैं। जहां तहां निर्माण कार्य मनमाने तरीके से संचालित हो रहे हैं। नगर पालिका के चहेते ठेकेदारों ने सड़कों पर निर्माण सामग्री बेतरतीब बगरा रखी है। नाली और सड़कों का निर्माण, घटिया और स्तरहीन हो रहा है। कहीं किसी की जमीन पर ही नगर पालिका ने बिना किसी पूर्व सूचना के ही सड़क या नाली का निर्माण करवा दिया है, कहीं नाली उबड़ खाबड़ है तो कहीं नाली पूरी बनी ही नहीं है। महीनों से नाली आधी अधूरी ही पड़ी है।
अतिक्रमण का दानव सिवनी की सड़कों को निगल रहा है। सिवनी में सड़कें तंग गलियों में तब्दील हो गई हैं। सड़कों की स्थिति ऐसी है, उसे देखकर लग रहा है मानों इस पर सर्कस के बाजीगर ही चल सकें। हां कुछ जगहों की सड़कें दुरूस्त हैं। ये जगहें वे मानी जा सकती हैं, जहां प्रशासन के आला अधिकारियों के अलावा सांसद विधायक, पूर्व विधायक आदि निवास कर रहे हैं। इन लोगों के घरों के सामने की या घर पहुंच मार्ग बनाने में पूरी गुणवत्ता का ध्यान रखा जाता है। क्या इसी तरह की सड़कों का जाल पूरे शहर में नहीं बिछाया जा सकता? क्या कारण है कि नगर पालिका परिषद् द्वारा शेष शहर की सड़कों के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
एसपी बंग्ले से लेकर कलेक्टर बंग्ले, और बाहुबली चौक से लेकर पुराने आरटीओ तक के पहुंच मार्ग पर चलना दूभर था। यह सड़क बनने के बाद ही उखड़ गई। सिवनी में नगर पालिका जो न कराए, कम ही है। बाहुबली चौक से पुराने आरटीओ वाले मार्ग पर सीमेंटीकृत सड़क पर जब तब डामर लगाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इस सड़क से होकर व्हीव्हीआईपीज यदा कदा आते जाते हैं। दरअसल, सिवनी में अतिविशिष्ट लोगों के उड़न खटोले स्थानीय पॉलीटेक्निक कॉलेज में ही उतरा करते हैं। ये लोग इसी मार्ग का प्रयोग कर गंतव्य तक जाकर वापस उड़न खटोले से सिवनी से रवानगी ले लेते हैं।
शहर की सफाई व्यवस्था भी इस तरह की हैं कि सारे शहर में जहां तहां कचरों के ढेर पर आवारा मवेशी, कुत्ते, सुअर आदि मुंह मारते नजर आ जाते हैं। लोग परेशान हैं कि आखिर इन आवारा मवेशियों का ईलाज किया जाए तो कैसे? लोगों के घरों में में आवारा मवेशी घुसकर नुकसान कर रहे हैं। दुकानदार भी परेशान हैं, उनके प्रतिष्ठानों के सामने आवारा मवेशी गोबर कर जाते हैं, और सुबह सवेरे जब वे अपने प्रतिष्ठान पहुंचते हैं तो उनके सामने गोबर हटाने की समस्या सबसे बड़ी होती है।
शहर में दलसागर तालाब को लोग आन बान और शान के रूप में देखा करते थे। आज आलम यह है कि दलसागर तालाब में ही गंदगी पसरी पड़ी है। लगभग सवा करोड़ रूपए पानी में बहाने के बाद भी दलसागर की स्थिति नहीं सुधर सकी है। इसके बाद अब पर्यटन विभाग द्वारा इसमें राशि खर्च की जाना प्रस्तावित है।

शहर की अव्यवस्था के संबंध में अनेक बार लोगों के द्वारा भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर से संपर्क भी किया गया, उनसे शिकायत भी की। एक बार तो व्यापारियों के लीज के मामले में नरेश दिवाकर द्वारा जिला कलेक्टर से चर्चा भी की थी। पर पता नहीं क्यों जनता से जुड़े मुद्दों के मामले में उन्होंने ध्यान देना उचित नहीं समझा। भाजपा शासित नगर पालिका परिषद् के द्वारा इस तरह की कार्यप्रणाली में विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी मौन रहकर सहभागी बनी हुई है। टूटी पुलिया के पास वाले इलाके में एक सड़क विशेष के इर्द गिर्द रहने वाले लोगों का हवा पानी, आवागमन भी पालिका द्वारा दो तीन माह से अवरूद्ध किया हुआ है किन्तु कांग्रेस के भी किसी छोटे बड़े नेता को जनता की समस्याओं से लेना देना नजर नहीं आ रहा है। हो सकता है कांग्रेस और भाजपा के छद्म युद्ध में सिवनी की जनता बुरी तरह पिस रही हो, और यही उसके भाग्य में भी लिखा हो!