रविवार, 8 सितंबर 2013

राजा बघेल को प्रदेश कांग्रेस सचिव की मिली जिम्मेदारी

राजा बघेल को प्रदेश कांग्रेस सचिव की मिली जिम्मेदारी

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया की टीम में इजाफा करते हुए 04 उपाध्यक्ष, 04 महामंत्री और 76 सचिवों की नियुक्ति की गई है, जिसमें सिवनी को स्थान देते हुए राजा बघेल को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का सचिव बनाया गया है।
छात्र जीवन से ही जुझारू रहने वाले राजा बघेल की सक्रियता देखते उन्हें 1997 में एनएसयूआई का जिलाध्यक्ष बनाया गया था, बाद में 1998 में कांग्रेस की टिकिट से पार्षद का चुनाव लड़ वह नगरपालिका उपाध्यक्ष बने। बताया जाता है कि वर्ष 2004 में राजा बघेल युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बनाए गए, जिसके चलते अपनी सक्रियता और विशिष्ट कार्यप्रणाली के चलते उन्हें यूथ कांग्रेस का राष्ट्रीय समन्वयक बना दिया गया।

राजनीति में संगठन क्षमता देखते हुए बघेल को प्रदेश कांग्रेस का सचिव बनाकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजा बघेल को प्रदेश कांग्रेस का सचिव बनाए जाने पर उनके ईष्ट मित्र शुभचिंतकों ने उन्हें बधाई देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की है।

कलेक्टर के निर्देशों की सरेआम हो रहे अव्हेलना!

कलेक्टर के निर्देशों की सरेआम हो रहे अव्हेलना!

जिला मुख्यालय में ही कचरे की टोकरी की शोभा बढ़ा रहे कलेक्टर के निर्देश

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनंी (साई)। जिले को सुव्यवस्थित करने की गरज से संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा लगभग रोज ही बैठकों का आयोजन कर कड़े निर्देशजारी किए जा रहे हैं। उनके निर्देशों का पालन हो रहा है अथवा नहीं इसकी मानिटरिंग नहीं हो पाने से जिला कलेक्टर के निर्देश अब उनके मातहतों के लिए मायने नहीं रख रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण जिला मुख्यालय में नगर पालिका प्रशासन ही दे रहा है।
जिला कलेक्टर द्वारा दो तीन बार इस बात को कड़ाई से कहा गया है कि आवारा मवेशी सड़कों पर न घूमें। आवारा मवेशी यातायात को बाधित न करें। इसके लिए जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा जिले भर की नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों, ग्राम पंचायतों आदि को साफ तौर पर निर्देशित किया जा चुका है।
विडम्बना ही कही जाएगी कि जिला मुख्यालय में ही नगर पालिका परिषद् को जिला कलेक्टर के निर्देशों की ज्यादा परवाह नहीं दिख रही है। जब भी जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा कड़े निर्देशदिए जाते हैं, नगर पालिका उसके अनुपालन का स्वांग रचकर दूसरे ही दिन पुराने फिल्टर प्लांट में जंग खा रही कुत्ते पकड़ने की ट्राली निकालकर रस्म अदायगी कर दी जाती है।
नगर पालिका की हाका गैंग के दीदार लोगों को कई सालों से नहीं हुए हैं। शहर में डेंगू मलेरिया का खतरा मण्डरा रहा है। फागिंग मशीन कहां चल रही है, किसी को नहीं पता। गटर का पानी उगल रहे हैं नल, पर विपक्ष में बैठी कांग्रेस चुपचाप तमाशबीन बनी है, जिसके चलतेे आंत्रशोध, पीलिया, डायरिया, उल्टी दस्त, आदि जल जनित बीमारियां कहर बरपा रही हैं।
पिछले एक सप्ताह में दो घटनाएं घटीं। एक तो भाजपा के एक जनसेवक ने कुत्तों के कर्कश नाद से तंग आकर आधी रात को उन्हें भगाने पत्थर बरसाए तो उनकी अपनी ही स्कॉर्पियो का कांच टूट गया। दूसरा शुक्रवारी चौक में एक सांड ने दो महिलाओं को उठाकर पटक दिया। इसके पहले बारापत्थर में भी एक वृद्धा को सांड ने इस कदर पटका था कि उनकी इहलीला ही समाप्त हो गई थी।
इन परिस्थितियों को देखकर लोगों का अब जिला प्रशासन से भी विश्वास उठने लगा है। लोगों का मानना है कि संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव के कड़े निर्देशकी मानिटरिंग न हो पाने से उनके मातहत कर्मचारी अधिकारी ही उनके निर्देशों को हल्के में लेेने लगे हैं। अगर जिला कलेक्टर हुक्म उदूली के मामलों पर गंभीर होकर दो चार अधिकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दें फिर देखिए उनके आदेशों की तामीली किस कदर होती है। लोगों का मानना है कि जिला कलेक्टर भरत यादव को चाहिए कि वे अपने इस निलंबन अभियान का श्रीगणेश नगर पालिका परिषद् सिवनी से ही आरंभ करें।

आतंक मचाने वाले सांड की मौत

गत दिवस शुक्रवारी के आसपास एक सांड जमकर बिफर गया और वह रास्तों से गुजरने वाले लोगों को मारकर घायल कर रिहा था। बताया जाता है कि बीती शाम 3-4 बजे के बीच शुक्रवारी में सांड ने दो महिलाओं को सींग से पटककर घायल कर दिया फिर उक्त सांड महाराष्ट्र बैंक के पस पहुंची वहां भी सांड ने आतंक फैलाया और एक महिला को मारा। बताया जाता है कि सांड के पागलपन के कारण थोड़ी देर में ही अफरा-तफरी मच गई। शाम को पता चला कि उक्त सांड बरघाट रोड एमपीईबी ऑफिस के सामने गिरकर मर गया और उसके मुंह से खून निकल रहा था। बताया जाता है कि उक्त सांड को किसी कुत्ते ने काट दिया था, उसके बाद से ही सांड पागलों की तरह उत्पात मचा रहा था। खुलेआम सांड का उत्पात मचाना और जगह- जगह मवेशियों का बैठे रहना व आवारा कुत्तों के आतंक से एक बार फिर हाका गैंक की पोल खुल गई क्योंकि यदि हाका गैंक सक्रिय रहती तो सड़कों में आवारा पशुओं का आतंक नहीं रहता। 

हुकुम से भयाक्रांत नजर आ रहे रजनीश

हुकुम से भयाक्रांत नजर आ रहे रजनीश

दिनेश पटेल के कारण हो रहे रजनीश बुरी तरह बदनाम

(पीयूष भार्गव)

सिवनंी (साई)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केवलारी में चार बार परचम लहराने वाले मरहूम हरवंश सिंह ठाकुर के पुत्र रजनीश सिंह भले ही केवलारी विधानसभा क्षेत्र में अपने चाटुकार मीडिया के माध्यम से यह प्रचारित करवाने में सफल हो रहे हों कि वे केवलारी से कांग्रेस उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं पर हरवंश सिंह द्वारा पोषित घंसौर क्षेत्र के नेता कुंवर शक्ति सिंह जिन्हें लोग हुकुम के नाम से भी जानते हैं, उनकी राह में कांटे ही कांटे बिखराते जा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि हरवंश सिंह ने अपने सियासी जीवन में मैनेज करने वाली राजनीति ही की है। चाहे विमला वर्मा को घर बिठाने का षणयंत्र रहा हो या फिर जिले में कांग्रेस संगठन को नेस्तनाबूत करने का काम हो। हरवंश सिंह ने कांग्रेस के अति महात्वाकांक्षी लोगों को चिन्हित कर उनके माध्यम से इस काम को बखूबी अंजाम दिया है। हरवंश सिंह के निधन के उपरांत कांग्रेस के लोगों की जुबानें खुलना आरंभ हुईं और अब वे एक दूसरे को बता रहे हैं कि किस तरह हरवंश सिंह ने उन्हें अस्त्र की तरह इस्तेमाल कर अपना उल्लू सीधा किया है।

हरवंश ने किया उपयोग
कुंवर शक्ति सिंह ने कई बार इस बात को दोहराया है कि उनका उपयोग कर हरवंश सिंह ने घंसौर क्षेत्र की कद्दावर नेता, प्रदेश की मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहीं उर्मिला सिंह (वर्तमान में महामहिम राज्यपाल, हिमाचल प्रदेश) को रास्ते से हटवाया था। शक्ति सिंह को रूपहले पर्दे का शक्ति कपूर जैसा विलेन बनाकर रख दिया हरवंश सिंह ने।

स्वीकारोक्ति के बाद भी मौन डीसीसी
कांग्रेस के अंदर अब अनुशासनहीनता शगल बनता जा रहा है। दरअसल, अनुशासनहीनता करने और उसके बाद सीना ठोंककर उस अनुशासनहीनता की गर्व के साथ स्वीकारोक्ति के बाद भी जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा अपने कार्यकर्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही न किया जाना इसकी सबसे बड़ी वजह है। कुंवर शक्ति सिंह द्वारा सरेआम यह कह दिया गया कि उन्हें टिकिट नहीं मिली तो वे निर्दलीय मैदान में उतरेंगे, बावजूद इसके जिला कांग्रेस कमेटी अज्ञातभय के चलते शक्ति सिंह के खिलाफ कार्यवाही से कतरा रही है।

डरे हुए हैं रजनीश
कुंवर शक्ति सिंह द्वारा लगाई गई इस दहाड़ के बारे में जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडियाने जिला कांग्रेस महामंत्री रजनीश सिंह से संपर्क किया और फोन पर उनसे शक्ति सिंह की इस हुंकार के बारे में प्रतिक्रिया जाननी चाही तो रजनीश सिंह ने मौन ही साधे रखा। जब जिला महामंत्री रजनीश सिंह से यह पूछा गया कि क्या जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा शक्ति सिंह की इस दहाड़ के बाद उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही जैसा कदम उठाएगी? इस पर भी रजनीश सिंह ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी।

उगलत निगलत पीर घनेरी
उधर, ‘बर्रा दरबारके भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि दरअसल, रजनीश सिंह इस बात से बुरी तरह डरे हुए हैं कि अगर जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा कुंवर शक्ति सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाती है तो शक्ति सिंह इस कदर रायताफैलाएंगे कि रजनीश सिंह को केवलारी में चुनाव जीतना तो दूर लड़ने में भी पसीना आ जाएगा। अगर वे कार्यवाही नहीं करवाते हैं तो कार्यकर्ताओं में यह संदेश जा रहा है कि जिस तरह की राजनीति हरवंश सिंह द्वारा की गई अब वही राजनीति कुंवर शक्ति सिंह द्वारा की जा रही है और रजनीश सिंह अपने लाभ हानि के चक्कर में पार्टी को ही दांव पर लगा रहे हैं। कुल मिलाकर रजनीश सिंह के सामने उगलत निगलत पीर घनेरी की स्थिति निर्मित हो चुकी है।

दिनेश पटेल और सचिव होंगे पोलिंग एजेंट!

छपारा और केवलारी क्षेत्र में चल रही चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस भाजपा की नूरा कुश्ती जारी है। भाजपा के निचले दर्जे के कार्यकर्ता इस बात से हैरान हैं कि आखिर कांग्रेस के क्षत्रप रहे हरवंश सिंह के राजनीति में अभी अचानक उभरे पुत्र रजनीश सिंह के कथित संरक्षण वाले छपारा कला ग्राम पंचायत के सचिव लक्ष्मण सिंह और केवलारी के शिक्षक दिनेश पटेल के खिलाफ भाजपा सरकार कार्यवाही करने से कतरा क्यों रही है? अब तो लोग यह भी कहने लगे हैं कि भाजपा के जिला स्तर के बड़े नेता ही रजनीश सिंह के विजय के मार्ग प्रशस्त करने पर तुले हुए हैं। वरना क्या कारण है कि मीडिया में खबरों के बाद भी इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है। वहीं अब यह चर्चा भी आम हो गई है कि भाजपा ने केवलारी में रजनीश सिंह के सामने हथियार डाल दिए हैं, और दिनेश पटेल, लक्ष्मण सिंह सहित सरकारी कर्मचारी ही रजनीश सिंह के पोलिंग एजेंट बने नजर आएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

गौतम थापर की जेब में है प्रदूषण नियंत्रण मण्डल

आदिवासियों को छलने में लगे गौतम थापर . . . 12

गौतम थापर की जेब में है प्रदूषण नियंत्रण मण्डल

थापर के इशारों पर कत्थक कर रहा है पीसीबी


(ब्यूरो कार्यालय)

घंसौर (साई)। मध्य प्रदेश का प्रदूषण नियंत्रण मण्डल (पीसीबी) पिछले कुछ दिनों से देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान् झाबुआ पावर लिमिटेड के लिए प्राईवेट लिमिटेड कंपनी बनकर काम करता दिख रहा है। पर्यावरण के प्रहरी के बतौर भूमिका निभाने के बजाय यह सरकारी संस्थान झाबुआ पावर लिमिटेड की मदद में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहा है। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में स्थापित होने वाले 1260 मेगावाट (कागजों पर 1200 मेगावाट) के पावर प्लांट के मामले में कमोबेश यही कुछ होता दिख रहा है।
गौरतलब है कि वर्ष 2009 मेें 22 अगस्त को इस पावर प्लांट के पहले चरण की लोकसुनवाई में पीसीबी ने अपनी वेब साईट पर इस लोकसुनवाई के बारे में मौन साधे रखा था। बाद में जब इस मामले में शोर शराबा मचाया गया तब जाकर पीसीबी की वेब साईट पर इसे 17 अगस्त को बमुश्किल अपलोड किया गया था। ठीक इसी तर्ज पर इस साल 22 नवंबर को हुई लोकसुनवाई में तो पीसीबी ने कमाल ही कर दिया। पीसीबी ने अपनी वेब साईट पर लोकसुनवाई की तिथि और अन्य विवरण के बारे में 22 नवंबर तक मौन साधे रखा।
पीसीबी के द्वारा ही इस लोकसुनवाई को आहूत किया गया था। इस लोक सुनवाई में लोगों को पर्यावरण के प्रभावों के बारे में ही न पता चले इसका पूरा पूरा बंदोबस्त कर रखा था प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने। मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर के सीमावर्ती सिवनी जिले में संभागीय मुख्यालय जबलपुर से महज सौ किलोमीटर दूर लगने वाले झाबुआ पावर प्लांट के इस संयंत्र के बारे में प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की वेब साईट का मौन रहना आश्चर्य जनक ही माना जा रहा है।
22 नवंबर को जब संचार क्रांति का अभिनव उदाहरण देते हुए आदिवासी बाहुल्य ग्राम गोरखपुर में लेपटाप पर वहां उपस्थित संयंत्र प्रशासन और जनसुनवाई कराने आए मेजबान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिकारियों को वेब साईट दिखाई गई तो उनके हाथों से तोते उड़ना स्वाभाविक ही था, क्योंकि उन्हें आशा ही नहीं थी कि मौके पर भी कोई उन्हें ऐसा करारा तमाचा मार सकता है।
आनन-फानन 23 नवंबर को पीसीबी ने अपनी वेब साईट को अपडेट किया पर तब तक तो जनसुनवाई ही हो चुकी थी। विधि विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की गफलत अगर पीसीबी के अधिकारियों ने की है तो यह तो घोर अनियमितता की श्रेणी में आता है और चूंकि इंटरनेट का मामला है अतः इसका रिकार्ड आसानी से उपलब्ध हो सकता है, इन परिस्थितियों में 22 नवंबर की जनसुनवाई ही शून्य मानी जानी चाहिए।

विडम्बना तो देखिए प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा गौतम थापर की देहरी पर मुजरा करते हुए न केवल इसे वैधानिक माना गया वरन, पीसीबी की अनुशंसा पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग की एनओसी भी गौतम थापर के कदमों में लाकर रख दी गई।

अंडर वर्ल्ड को भा सकती है सिवनी की शांति

अंडर वर्ल्ड को भा सकती है सिवनी की शांति

लखन कुंवर की नगरी के रास्ते आमद दे सकता है सिवनी में अंडर वर्ल्ड

(महेश रावलानी/अय्यूब कुरैशी)

सिवनंी (साई)। लखन कुंवर की नगरी में पिछले एक दशक से आरंभ हुई भौंडे प्रदर्शन की परंपरा अगर सिवनी का अमन चैन छीन ले तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जिले में मनोरंजन के नाम पर रूपहले पर्दे के थर्ड ग्रेड के अदाकारों को बुलवाकर शराब के नशे में उल जलूल प्रदर्शन करवाकर नई संस्कृति का आगाज किया गया, जिसकी परिणिति में अंडर वर्ल्ड की सिवनी में आमद की संभावना के बतौर देखा जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि नगर पंचायत के अध्यक्ष रहते हुए शराब करोबारी रहे, लखनादौन मस्ज़िद के सरपरस्त (जबकि इस्लाम में शराब को हराम माना गया है) लखनादौन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष (राय पेट्रोलियम के संचालक, जबकि एडव्होकेट एक्ट के तहत अधिवक्ता अन्य कोई व्यवसाय नहीं कर सकता) सिवनी से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके दिनेश राय उर्फ मुनमुन द्वारा जनता की अदालत में जाने का ढोंग रचा गया था।

हर साल जाते रहे जनता की अदालत में
वे लगातार हर साल जनता की अदालत में जाते रहे हैं। जनता से समर्थन पाने का उनका तरीका भी नायाब ही बताया जाता रहा है। इसे इत्तेफाक ही माना जाए कि वे सिवनी से विधानसभा चुनाव नहीं जीते वरना सिवनी में भी हर साल वालीवुड के थर्ड ग्रेड के सितारे आते और शराब के नशे में ठुमके लगाकर सिवनी की संस्कृति में अश्लीलता परोस जाते।

तरीका रहा शानदार
प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार जनता की अदालत में जाने के स्वांग के बीच ही एनाउंसमेंट होता कि जो दिनेश राय से सहमत है वह हाथ उठाए। इसके साथ ही आसमान में आतिशबाजी छोड़ दी जाती और लोग हाथ उठा उठाकर एक दूसरे को आतिशबाजी दिखाते। इसी बीच 53 ग्रेड की सीमेंट के मानिंद उनके चाटुकार मीडिया पर्सन्स इसे अपने कैमरे में कैद करते और फिर क्या, दिनेश राय की वाहवाही की गूंज चहुंओर हो जाती।

इतिहास गौरवशाली है सिवनी का
सिवनी का इतिहास बहुत ही शानदार रहा है। सिवनी का हर नागरिक गर्व के साथ सिवनी का नागरिक होने का दावा इसलिए करता है क्योंकि सिवनी में गंगा जमुनी संस्कृति के साथ ही साथ यहां सामाजिक, व्यवहारिक, राजनैतिक भाईचारा और संयमित जीवन शैली पटी पड़ी है।

हाथ में लट्ठ नहीं देखा पर वो टांगते हैं कमर में पिस्टल!
सिवनी का इतिहास गवाह है कि यहां आज तक कोई भी व्यक्ति हाथ में लट्ठ लेकर नहीं घूमता नजर आया है, पर लखनादौन नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष दिनेश राय उर्फ मुनमुन को पता नहीं किससे खौफ है कि वे हर वक्त कमर में रिवाल्वर लटकाए घूमते नजर आते हैं। सिवनी मेें आधे से ज्यादा लोगों ने रिवाल्वर या तो सिनेमा में ही देखी होगी या फिर चित्रों में। कहा जाता है कि दिनेश राय उर्फ मुनमुन के इर्द गिर्द जुटने वाली भीड़ उनके आकर्षण के बजाए उनकी कमर में टंगे होस्टलर के अंदर फंसी रिवाल्वर को देखने ज्यादा उमड़ती है।

पति की बजाए पुत्र की परंपरा का पालन
अब तक का इतिहास इस बात का साक्षी है कि पिता या माता के आचरण का अनुपालन पुत्र या पुत्री द्वारा किया जाता रहा है। पर लखन कुंवर की नगरी में उलट बंसी बज रही है। लखनादौन के मर्ददिनेश राय के हवाले से मीडिया में जो बात परोसी गई है उसके मुताबिक लखनादौन नगर परिषद् की अध्यक्ष श्रीमती सुधा राय अपने पति या अन्य वरिष्ठ परिजनों के कामों या परंपराओं का अनुसरण करने के स्थान पर अपने पुत्र दिनेश राय की परंपराओं को ही आगे बढ़ा रही है। उसी क्रम में लखनादौन में जनता की अदालत का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि पुत्र की परंपराओं का अनुपालन बहुत ही अच्छी बात है पर अगर वे अपने पति या अन्य किसी वरिष्ठ पारिवारिक सदस्य की परंपराओं का अनुपालन करतीं तो यह वाकई अनुकरणीय ही होता।

भोगमान भोगेंगे खुद, कहां है आयकर विभाग!
मीडिया में अपनी वाहवाही लूटने के चक्कर में दिनेश राय उर्फ मुनमुन के हवाले से यह भी प्रकाशित किया गया है कि जनता की अदालत के इस आयोजन का खर्च भी दिनेश राय और श्रीमती सुधा राय द्वारा ही उठाया जाएगा। इसके पहले सालों साल जनता की अदालत का स्वांग रचा गया और हर बार उसका खर्च दिनेश राय द्वारा उठाया जाना दर्शाया गया है। सवाल यह उठता है कि इस साल रवीना टंडन, मोनिका बेदी जैसे सितारे आ रहे हैं, क्या ये महज दो चार हजार रूपए पारिश्रमिक लेकर आ रहे होंगे? जाहिर है नहीं? ये लाखों के नीचे तो बात भी नहीं करते हैं। इन परिस्थितियों में यक्ष प्रश्न फिर वही खड़ा हुआ है कि आखिर कल तक सायकल को मोहताज लखनादौन में मिलन होटल के बाजू में पीसीओ और फोटोकॉपी की दुकान चलाने वाले एक शख्स के पास कौन सा अलाऊद्दीन का चिराग आ गया है और वह रातोंरात इतना दौलतमंद हो गया है कि वह दोनों हाथों से पैसा लुटा रहा है। धार्मिक आयोजनों में बढ़ चढ़कर पैसा बांट रहा है। इस तरह के भौंडे प्रदर्शन में करोड़ों उड़ा रहा है। आखिर इन परिस्थितियों में आयकर विभाग का मौन यही साबित कर रहा है मानो आयकर विभाग का मुंह भी भारी भरकम थैली रखकर बंद कर दिया गया है।

सेट है कांग्रेस भाजपा
कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी को धूल चटाने वाले जिले के इकलौते कथित मर्द (पिछले विधानसभा में दिनेश राय उर्फ मुनमुन द्वारा खुद को मर्द कहा गया था, जो काफी हद तक मजाक का विषय बना रहा) के खिलाफ कांग्रेस और भाजपा के साथ ही साथ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी कार्यवाही से कतराती है। लखन कुंवर की नगरी में बच्चे बच्चे की जुबान पर चर्चा है कि अगर दिनेश राय उर्फ मुनमुन के खिलाफ कोई भी कार्यवाही की गई तो रात की पर्चीबंद हो जाएगी और फिर सोडे की डकार के लिए अंटी के पैसे खर्चने होंगे। इसके साथ ही साथ यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस और भाजपा के नेता इसलिए भी लखनादौन नगर परिषद् के कामों में हस्ताक्षेप नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि दोनों दलों के आला नेताओं की भागीदारी, अनेक कामों में एक नेता विशेष के साथ है।

मोनिका बेदी का आना. . .
अंडर वर्ल्ड डॉन अबू सलेम की घोषित माशूका रही हैं मोनिका बेदी। मोनिका बेदी से अबू सलेम बेइंतहा मोहब्बत करता है, यह बात भी आईने की तरह ही साफ है। नगर परिषद् लखनादौन के अध्यक्ष के चुनावों के दर्मयान भी श्रीमती सुधा राय जिनकी छवि भद्र, घरेलू, कुलीन एवं आदर्शवादी महिला की है के द्वारा अपनी छवि से हटकर मोनिका बेदी को प्रचार हेतु बुला भेजा था। उस दौरान सोशल मीडिया पर मोनिका बेदी के लखन कुंवर की नगरी आकर उसे अपवित्र करने की बातें सामने आईं। इसके बाद पता नहीं कैसे बाकी के कलाकार तो आए पर मोनिका बेदी प्रचार में नजर नहीं आईं।

अंडर वर्ल्ड के लिए बन रहा रास्ता
कहा जा रहा है कि मोनिका बेदी को बार बार सिवनी जिले की सरजमीं पर लाने के प्रयासों से जाने अनजाने में अंडरवर्ल्ड के लोगों के लिए सिवनी में आमद के लिए उपजाऊ माहौल तैयार किया जा रहा है। पता नहीं लखन कुंवर की नगरी की नगर पंचायत में ऐसा कौन सा झाड़ लगा हुआ है जिसके पत्ते तोड़कर यहां के अध्यक्ष रातों रात धन्ना सेठ बन जाते हैं। इसके बाद हर साल जनता की अदालत में जाने के बहाने वालीवुड के थर्ड ग्रेड के कलाकरों को बुलवाकर फूहड़ता का प्रदर्शन करने से बाज नही आते हैं। वस्तुतः श्रीमती सुधा राय को अपनी अच्छी छवि और आयु के अनुरूप एक साल पूरे होने पर लखनादौन में अखंड रामायण पाठ, भागवत कथा जैसे धार्मिक आयोजन कराना चाहिए था। लोग तो यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि श्रीमती सुधा राय नाती पोतों वाली हो चुकीं हैं इस तरह के भौंडे आयोजन न तो उन्हें कराने चाहिए और न ही देखने की ही उनकी उम्र है। अगर उन्हें धर्म कर्म में आस्था नहीं है तो अपनी आयु के अनुरूप वे कवि सम्मेलन का आयोजन करवा देतीं तो आलोचना से बच सकतीं थीं।

कहा जा रहा है कि मोनिका बेदी के आगे पीछे अबू सलेम के गुर्गे एकाध सप्ताह पहले से सिवनी में आकर डेरा डाल लेंगे। उस वक्त सिवनी के नवागत पुलिस अधीक्षक बी.पी.चंद्रवंशी के लिए एक नया सरदर्द खड़ा हो सकता है। यह भी माना जा रहा है कि सिवनी की शांत फिजां और ढीला पोला लचर खुफिया सूचना तंत्र इन गुर्गों के लिए मुफीद साबित हो सकता है। सिवनी में अगर अंडरवर्ल्ड के लोगों की आमद हुई तो वह लखनादौन के रास्ते ही सबसे सुलभ मानी जा रही है।