शनिवार, 31 अगस्त 2013

जिला हॉकी संघ का अस्तित्व शून्य!

जिला हॉकी संघ का अस्तित्व शून्य!

एस्ट्रोटर्फ मसले पर होने लगी राजनीति, उपयोग के पूर्व ही टर्फ होने लगी खराब

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। हॉकी के लिए सुविख्यात सिवनी जिले में, अब हॉकी रसातल की ओर अग्रसर है। बाबा राघवदास टूर्नामेंट जैसी प्रतियोगिताएं जिसमें दर्शकों का उत्साह देखते बनता था, इतिहास की बात हो चुकी हैं। भाजपा सरकार ने शहर को एस्ट्रोटर्फ का एक झुनझुना पकड़ाया है। मुख्यमंत्री के हाथों उद्घाटन की जिद में इस स्टेडियम का लोकार्पण नहीं हो पा रहा है जिससे करोड़ों रूपयों की लागत के स्टेडियम का उपयोग स्थानीय हॉकी खिलाड़ी नहीं कर पा रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर तथाकथित जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष का तमगा लगाकर घूमने वाले धन्नालाल गौर की पोल खेल दिवस के दिन ही भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान मधु यादव ने एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल में चल रहे तलाश ध्यान कीकार्यक्रम में खोलकर रख दी। धन्नालाल गौर की पोल खुल जाने के बाद अब यह तो तय हो गया है कि धन्नालाल गौर जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष है ही नहीं और न ही प्रदेश में ऐसी कोई संस्था अस्तित्व में है।
असल में खेल दिवस के दिन इलेक्ट्रॉनिक चैनल एसएमबीसी में सिवनी के एस्ट्रोटर्फ को लेकर आधा घंटे का विशेष एपिसोड तैयार किया गया था, जिसमें स्टुडियो में अखिल भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान मधु यादव को आमंत्रित किया गया था और कार्यक्रम का नाम तलाश ध्यान कीरखा गया था। कार्यक्रम में सिवनी में 05 वर्ष बाद भी एस्ट्रोटर्फ का न बन पाना मुख्य मुद्दा था, जिसमें महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर का साक्षात्कार दिखाया गया।
इसी कार्यक्रम में महाकौशल एक्सप्रेस के संपादक का लाईव फोनो लेते हुए यह पूछा गया था कि खेल संगठनों ने प्रशासन के ऊपर दबाव क्यों नही बनाया? तब संपादक ने उनसे कहा कि सिवनी जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष धन्नालाल गौर हैं जो हॉकी की ओर ध्यान ही नहीं देते हैं, उन्होंने कभी प्रशासन को न तो ज्ञापन सौंपने की पहल की और न ही कोई ठोस कदम उठाया, जिस पर मधु यादव ने कहा कि सिवनी में कोई जिला हॉकी संघ अस्तित्व में ही नहीं है। उन्होंने कहा कि न तो कोई गौर इसके अध्यक्ष हैं और न ही उनकी संस्था को मान्यता है।
टीव्ही में चल रहे सीधे प्रसारण में मधु यादव द्वारा यह कहा जाना आश्चर्यजनक इसलिए है, क्योंकि अभी तक धन्नालाल गौर ने अपनी तरफ से कभी यह बताने का प्रयास नहीं किया कि उनका संघ अस्तित्व में है ही नहीं और उन्हें कोई मान्यता नहीं है। कुल मिलाकर धन्नालाल गौर एक पद के लिए हॉकी खिलाड़ियों और हॉकी प्रेमी दर्शकों के साथ धोखा करते रहे, तभी तो जब से धन्नालाल अध्यक्ष बने तब से आज तक एक-दो स्थानीय प्रतियोगिताओं को छोड़ दिया जाए तो आज तक उन्होंने कोई बड़ी प्रतियोगिता आयोजित ही नहीं करवाई है।

ऐसे में जो लोग धन्नालाल को खेल के प्रति समर्पित मानते हैं, वह उनसे यह पूछने की जहमत अवश्य उठायें कि आखिर श्री गौर ने आज तक हॉकी खिलाड़ियों, दर्शकों और क्लबों के लोगों को धोखे में क्यों रखा? क्यों उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि जिला हॉकी संघ अस्तित्व में है ही नही? क्यों वह अपने नाम के आगे अध्यक्ष जिला हॉकी संघ का तमगा लगाकर घूमते रहे?

अस्पताल में नहीं हुआ इलाज, दिनेश मिश्रा का निधन!

अस्पताल में नहीं हुआ इलाज, दिनेश मिश्रा का निधन!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। अपने जमाने के हरफनमौला ठेकेदार दिनेश मिश्रा का आज जिला चिकित्सालय में निधन हो गया। गत रात्रि लगभग डेढ़ बजे उन्हें स्वांस लेेने में तकलीफ होने पर जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। आज लगभग साढ़े ग्यारह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बरघाट क्षेत्र के कांग्रेस के पूर्व विधायक पंडित महेश प्रसाद मिश्रा के अनुज दिनेश मिश्रा को गत रात्रि, घर पर ही सांस लेने में तकलीफ हुई। उनके परिजनों ने उन्हें तत्काल जिला चिकित्सालय में उन्हें दाखिल करवाया। बताया जाता है कि रात्रि में मौजूद चिकित्सक ने उनका परीक्षण कर एक बोतल लगवा दी।
बताया जाता है कि सुबह जब काफी देर तक राउंड पर कोई चिकित्सक नहीं आया, तो उनके परिजनों ने वहां उपस्थित पेरामेडीकल स्टाफ से इस बावत् चर्चा की। जिस पर उन्हें जवाब मिला कि उन्हें देखने कंसल्टेंट चिकित्सक जल्द ही आएंगे।
जब काफी देर तक कोई उन्हें देखने नहीं आया तो उनके परिजनों ने महिला वार्ड में राउंड ले रहे डॉ.नेमा से अर्ज किया कि वे चलकर उन्हें देख लें। डॉ.नेमा ने हठधर्मिता दिखाते हुए साफ तौर पर यह कह दिया कि वह उनका वार्ड नहीं है, उस वार्ड में जो चिकित्सक होगा वही उन्हें देखेगा।
बताया जाता है कि जब काफी देर तक कोई भी चिकित्सक उन्हें देखने नहीं आया तो उनके परिजनों ने अपने रिश्तेदारों के माध्यम से उनकी ईसीजी करवाई और उन्हें नागपुर ले जाने की तैयारी की गई। अस्पताल से बाहर निकलते समय ही उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनका अंतिम संस्कार आज कटंगी रोड स्थित मो़क्षधाम में शाम लगभग साढ़े पांच बजे कर दिया गया। उन्हें उनके ज्येष्ठ पुत्र सोनू ने मुखाग्नी दी। दिनेश मिश्रा अपने पीछे दो पुत्र, पुत्रवधू, पत्नि का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
वहीं दूसरी ओर जिला चिकित्सालय में बरती गई घोर लापरवाही के कारण लोगों में जमकर आक्रोश भरा हुआ है। गौरतलब होगा कि अस्सी के दशक से सिवनी में पदस्थ निश्चेतक डॉ.सत्यनारायण सोनी को जबसे जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन की कमान सौंपी गई है तबसे जिला चिकित्सालय के हाल बेहाल हो गए हैं। चिकित्सा कर्मियों के बीच चल रही चर्चा को सच माना जाए तो पांच अंको की राशि खर्च कर उन्हें सीएस का पद मिला है।

काले पैसे वाले शराब कारोबारी के चक्कर में नहीं पड़ना: असलम

काले पैसे वाले शराब कारोबारी के चक्कर में नहीं पड़ना: असलम

नेहा सिंह, आशुतोष वर्मा, इमरान पटेल, हीरा आसवानी, पप्पू खुराना, मोहन चंदेल, धर्मेद्र ठाकुर जमकर बरसे भाजपा पर

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। अवैध तरीके से काले पैसे कमाकर, धार्मिक आयोजनों में चंदा देने वाले लखनादौन के शराब कारोबारी के चक्कर में नहीं पड़ना है। वह भाजपा का एजेंट है, और भाजपा के नेताओं से पूछ पूछकर ही वह अपने कार्यक्रम तय करता है।उक्ताशय की बात कांग्रेस की संदेश यात्रा के दौरान बस स्टैंड पर आयोजित सभा में कां्रग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद असलम पत्ते वाले ने कही।
मोहम्मद असलम ने चुन्नू मुन्नू का हवाला देकर लोगों को दिल से गुदगुदाया। मो.असलम की बात पर लोग दिन भर पेट पकड़कर हंसते रहे। उन्होंने कहा कि चुन्नू मुन्नू जिले भर में शराब बंटवा रहे हैं। शराब के पैसों से मुन्नू धार्मिक आयोजनों में सम्मान पा रहे हैं। जगह जगह चार पहिया वाहन लगकर शराब बेची जा रही है, पर भाजपा की सरकार के नुमाईंदों में इतना साहस नहीं है कि वे मुन्नू की अवैध बिकने वाली शराब को पकड़ सकें।
इसके साथ ही साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजकुमार खुराना और धर्मेंद सिंह ठाकुर ने भी कमोबेश इसी तरह की बातें लखनादौन के एक शराब करोबारी के बारे में कहकर अपनी भड़ास जमकर उतारी। लगभग दो दशक के उपरांत यह पहला मौका था जब कांग्रेस के नेता बिना किसी दबाव के आक्रमक होकर अपनी बात कह रहे थे।
आज कांग्रेस की संदेश यात्रा भैरोगंज से आरंभ होकर छिंदवाड़ा चौक, बस स्टैंड, शुक्रवारी, डूंडा सिवनी होते हुए बारापत्थर जाकर समाप्त हुई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता घनश्याम जाड़ेजा ने कहा कि कांग्रेस की संदेश यात्रा के जवाब में भाजपा द्वारा जन आर्शीवाद यात्रा का आयोजन किया जा रहा है जो पूरी ही तरह असफल है।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आशुतोष वर्मा का कहना था कि भाजपा सरकार द्वारा जिओ और खाने दोका नारा बुलंद किया हुआ है। उन्होंने कहा कि यह प्रचार भाजपा का हो रहा है या मुनमुन को महिमामण्डित किया जा रहा है। वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल ने शेरो शायरी के माध्यम से अपनी बातें रखीं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज कुमार खुराना का कहना था कि पिछले छः दिनों में कांग्रेस की संदेश यात्रा ने 870 किलोमीटर का पड़ाव तय किया है। कुछ डिप्लोमेटिक अंदाज में राजकुमार खुराना ने कहा कि कांग्रेस अगर भाजपा का विरोध करती है तो यह बात सिद्धांततः समझ में आती है, पर जब भाजपा के लोग ही भाजपा का विरोध करने लगें तब समझ लेना चाहिए कि अब खतरे की घंटी बज चुकी है।

भारतीय जनता पार्टी की पूर्व विधायक और कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री श्रीमती नेहा सिंह ने कहा कि सड़क, बिजली और पानी के मुद्दे पर भाजपा को प्रदेश में सत्ता हासिल हुई थी, पर अब भाजपा उन्ही मुद्दों को तिलांजली दे चुकी है। शिवराज सिंह चौहान की जुंडाली को अली बाबा और चालीस चोर की उपाधि से नवाजते हुए श्रीमती नेहा सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार की घोषणाएं कोरी घोषणाएं ही साबित हुई हैं, जो योजनाएं प्रदेश में चलती दिख रही हैं, वे सारी की सारी केंद्र की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश को दी हैं।

सकरी होती सड़कें

सकरी होती सड़कें

(शरद खरे)

सिवनी जिले में अतिक्रमण हर तरफ जोर शोर से फैल रहा है। संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधि मौन ही रहकर सब देख सुन रहे हैं। सिवनी शहर के चारों ओर कैंसर के मानिंद, अतिक्रमण पसर चुका है, जिसकी परवाह किसी को नहीं है। शहर की सीमाओं पर चेचक के मानिंद पसरा अतिक्रमण वाकई दुखदायी साबित होता जा रहा है। महाकालेश्वर टेकरी, जनता नगर, झिरिया, हड्डी गोदाम, डूंडा सिवनी, लूघरवाड़ा आदि क्षेत्रों में जिसका मन जहां चाहा वहां उसने अपना आशियाना या दुकान बना ली। धीरे धीरे ये अतिक्रमणकारी इसे अपनी निजी संपत्ति समझने लगते हैं। एक समय के बाद इन्हें विस्थापित करने में जिला प्रशासन की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक जाती हैं।
सिवनी शहर के अंदर भी अतिक्रमण का यही आलम है। दुकानदारों ने सड़कों को सकरा कर दिया है। नगर पालिका परिषद् के कार्यालय के सामने ही अतिक्रमण का बुरा हाल है। सालों से सरकारी कार्यालयों के आसपास केंटीन के लिए निर्धारित स्थान न होने के चलते चाय पान की गुमटियां भी वर्षों से यहां लग रही हैं। युवा एवं उत्साही जिला कलेक्टर भरत यादव ने सिवनी शहर को अतिक्रमण से मुक्त करवाने का प्रयास किया था, पर उनकी मुहिम को बीच में ही अपरिहार्य कारणों से रोकना पड़ा है। अब एक बार फिर शहर की सड़कें अतिक्रमण से पट गई हैं, जिससे आवागमन प्रभावित हुए बिना नहीं है। इसके बाद मानो नगर पालिका ने अतिक्रमण विरोधी अभियान को तिलांजली ही दे दी है।
1991-92 में तत्कालीन स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर द्वारा प्रदेश में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया था। उस समय भोपाल की सड़कें देखने लायक हुआ करती थीं। भोपाल सहित प्रदेश भर में सड़कों के हाल इस कदर बेहतर हो गए थे कि लोगों ने दिल से बाबू लाल गौर को धन्यवाद दिया था। उस समय सिवनी के तत्कालीन जिला कलेक्टर पुखराज मारू ने सिवनी में डोजर, बुलडोजर का उपयोग कर अतिक्रमण को ढहाया था। उसके बाद सिवनी में सड़कें कुछ हद तक चलने लायक हो पाई थी। शहर की जीवन रेखा जीएन रोड़ भी उस समय काफी साफ सुथरी दिखाई पड़ती थी।
उसके पहले नेहरू रोड़ पर व्यापारियों द्वारा सड़कों पर सामान फैलाए जाने की शिकायतें आम हुआ करती थी। उस दौर में कोतवाली के पास एक बड़ा वाहन होता था। कोतवाली का यह डग्गा जब नेहरू रोड पर निकलता तो व्यापारी न केवल अपना सामान अंदर कर लिया करते थे, वरन् साईकिलों के उस दौर में साईकिल तक दुकानों के अंदर हो जाया करती थीं।
शनैः शनैः प्रशासन के ढीले रवैए के चलते जिला मुख्यालय में अतिक्रमण एक बार फिर सुरसा की तरह मुंह उठाने लगा है। शहर में अनेक बैंक ऐसे हैं जिनके पास पार्किंग का अभाव है। किराए के भवनों में लग रहे इन बैंक के सामने वहां आने वालों की भीड़ लगी होती है जिसके चलते आवागमन बाधित हुए बिना नहीं रहता है।
बड़े जैन मंदिर के बाजू में महाराष्ट्र बैंक के सामने तो सड़क पर खड़े वाहनों के चलते आवागमन दिन में कई बार अवरूद्ध हो जाता है, इसके अलावा कचहरी चौक पर स्टेट बैंक की शाखा के सामने भी यही आलम रहता है। मजे की बात तो यह है कि अनुविभागीय दण्डाधिकारी कार्यालय के बाहर मुख्य सड़क पर अतिक्रमण कर साईकल स्टेंड बना दिया गया है जिससे कलेक्टोरेट, सिंधी कॉलोनी और कचहरी जाने आने वालों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। गांधी भवन से पोस्ट ऑफिस तक के हिस्से में सड़कों पर ही वाहन सुधारने का काम धड़ल्ले से होता है। वहीं गांधी भवन से गणेश चौक तक के मार्ग में सड़कों पर भवन निर्माण सामग्री, टेंकर, ट्रेक्टर, डंपर आदि की भीड़ से आवागमन बाधित हुए बिना नहीं रहता है। कुछ दिन पूर्व दिखावे के लिए ही सही यातायात पुलिस ने सड़कों पर खड़े वाहनों को उठा लिया था, पर यह कार्यवाही भी मात्र दिखावे की ही कार्यवाही साबित हुई।
बारापत्थर क्षेत्र में भी भारी वाहन, डंपर, दस चका से बड़े वाहनों की रेलमपेल भी दुर्घटनाओं को न्योता देती नजर आती है। पता नहीं शहर के नाकों पर यातायात पुलिस के कारिंदे होने के बाद भी ये वाहन शहर के अंदर नो एंट्री वाले समय में कैसे घुस आते हैं? शहर में न जाने कितने बस स्टैंड बन चुके हैं। मुख्य बस स्टैंड, प्राईवेट बस स्टैंड, बरघाट नाका, कचहरी चौक, मिशन स्कूल के सामने, गणेश चौक, सर्किट हाउस,, छिंदवाड़ा चौक, शंकर मढ़िया न जाने कहां कहां, निजी वाहन रूक रूककर सवारी भरते नजर आते हैं। पर इन्हें देखने की फुर्सत यातायात पुलिस के पास शायद नहीं है। शहर में जहां देखो वहां यात्री बस खड़ी दिखाई दे जाती है। ज्यारत नाके के पास, पोस्ट आफिस से भैरोगंज पहुंच मार्ग, दलसागर तालाब के मुहाने से हनुमान मंदिर होकर भैरोगंज पहुंच मार्ग आदि स्थानों पर यात्री बस, डम्पर, निजी वाहन यातायात को प्रभावित करते नजर आते हैं। शहरों में सुबह आठ से रात्रि आठ तक भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित है। इसको धता बताकर भारी वाहन, दस चका डंपर आदि यमराज बनकर सड़कों पर बेलगाम दौड़ रहे हैं। नाकों पर तैनात नगर सेना के कर्मी महज दस से बीस रूपए लेकर इन वाहनों को प्रवेश दिलवा रहे हैं, क्या यह सब कुछ आला अधिकारियों से छिपा है? जाहिर है नहीं, पर इसके बाद भी वाहनों के प्रवेश पर अंकुश आखिर क्यों नहीं लग पा रहा है यह शोध का ही विषय है।

जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने की गई प्रभावी पहल को पुनः आरंभ किया जाए, एवं शहर भर में बेतरतीब तरीके से खड़े होने वाहनों को रोकने के लिए यातायात पुलिस को निर्देश दिए जाएं। साथ ही साथ शहर में प्रवेश के समस्त स्थानों पर तैनात पुलिस या नगर सेना के नुमाईंदों को स्पष्ट तौर पर ताकीद किया जाए कि नो एंट्री वाले समय में शहर में प्रतिबंधित वाहनों का प्रवेश रोका जाए।