शनिवार, 24 अगस्त 2013

भीमगढ़ के खोले गए 10 गेट

भीमगढ़ के खोले गए 10 गेट

(पवन आरसे)

भीमगढ़ (साई)। तेज बारिश के चलते लबालब भर चुके भीमगढ़ बांध के रात्रि के समय 10 गेट खोले गये, ताकि पानी खतरे के निशान से ऊपर न आ सके। भीमगढ़ बांध के 10 गेट खोलकर 01 लाख घनफुट प्रति सेकेण्ड पानी छोड़ा गया।
लगातार हो रही तेज बारिश से चिंतित जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से कालोनी में पुलिस बल तैनात कर दिया, वहीं खापा की ओर बज्र वाहन खड़ा किया ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके। बताया जाता है कि भीमगढ़ बांध के 10 गेट खुलने से  पानी का बहाव इतना तेज था कि भीमगढ़ की ओर जाने के लिए बने पुल से 4-5 फिट की ऊंचाई से पानी बहने लगा, जिसके चलते कालोनी की ओर जाने वाला रास्ता बंद हो गया।

बताया जाता है कि सुबह 8 बजे तक पानी का एक सा बहाव था, लेकिन बाद ें पानी के बहाव को कम कर दिया गया ताकि आवागमन प्रारंभ हो सके। बताया जाता है कि भीमगढ़ के 10 गेट खोले जाने के कारण जिले सहित बालाघाट, गोंदिया और भंडारा में भी हाईअलर्ट घोषित कर दिया गया था। 

निचली बस्तियां जलमग्न, खुली आपदा प्रबंधन की पोल!

निचली बस्तियां जलमग्न, खुली आपदा प्रबंधन की पोल!


(अखिलेश दुबे)

सिवनंी (साई)। लगातार अड़तालीस घंटों से हो रही बारिश ने आपदा प्रबंध की कलई खोलकर रख दी है। सरकारी विज्ञप्तियों में आपदा प्रबंधन का राग जमकर गाया जाता है पर सिवनी में आपदा प्रबंधन की हवा निकल गई है। गरीब गुरबों की बन आई है, ना खाने को बचा है और ना ही सोने को बिछौना ही बचा है उनके पास।
सोमवार से लगातार सिवनी में बारिश का तांडव जारी है। श्रावण मास के अंतिम दिन बदरा झूम कर बरसे। राखी की पूर्व संध्या से जो बारिश आरंभ हुई वह इन पंक्तियों के लिखे जाने तक नहीं थम सकी है। गुरूवार को अपरान्ह हुई जोरदार बारिश ने शहर को तर बतर कर दिया। शहर के हर इलाके में जमकर पानी भर गया।
बारापत्थर में बाहुबली चौक से पुराने आरटीओ मार्ग पर लगभग डेढ़ फिट पानी सड़क के उपर बहता रहा। नालियां की गंदगी, कचरे के बजबजाते ढेर सड़कों पर बह रहे थे। दुकानों के अंदर पानी घुस गया। अस्पताल में बनी दुकानों में पानी भर गया। सीमेंट की दुकानों में सीमेंट में पानी भर गया, जिससे काफी नुकसान उठाना पड़ा है दुकानदारों को।
शहर के हर इलाके में नालियों से पानी उपर तक लबालब होकर बह रहा था। बारिश की तीव्रता का अंदाजा सड़क पर बहते पानी से सहज ही लगाया जा सकता था। सवाल यही खड़ा है कि क्या निर्ल्लज नगर पालिका प्रशासन को इस बात का अनुमान नहीं था कि बारिश अगर तेज हुई तो शहर की क्या स्थिति हो सकती है? जाहिर है कि निर्माण एवं अन्य कामों में कमीशन और वर्चस्व की जंग में पालिका के मोटी चमड़ी वाले नुमाईंदे यह भूल गए हैं कि उन्हें जनता ने अपनी सेवा के लिए ही चुनकर भेजा है।
कांग्रेस की चुप्पी पर किसी को आश्चर्य नहीं हो रहा है, इसका कारण यह है कि कांग्रेस की तोपें स्थानीय स्तर पर विधायक सांसदों की नीतियों की आलोचना या उनकी कमी उजागर करने के बजाए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कोसती नजर आती हैं। वस्तुतः यह काम प्रदेश के प्रवक्ताओं का है, जिस पर बेजा अतिक्रमण किया हुआ है सिवनी के प्रवक्ताओं ने।
ललमटिया क्षेत्र, हड्डी गोदाम, विवेकानन्द वार्ड, शहीद वार्ड, लूघरवाड़ा, डूंडा सिवनी आदि क्षेत्र की निचली बस्तियों में लोगों के घरों में घुसे पानी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। लंबे समय बाद लोगों ने इस तरह की जबर्दस्त बारिश का सामना किया है। लोग इसके लिए कतई तैयार नहीं दिख रहे थे।
शहर के मुख्य बाजार बुधवारी में तो देखने लायक आलम था। समूची बुधवारी एक तालाब में तब्दील हो गई थी, दोपहर में। सड़क किनारे बैठकर व्यवसाय करने वालों के उदास चेहरों को देखकर लग रहा था मानों इन्हें रात के खाने की चिंता सता रही है कि घर पर बच्चे भूखे होंगे उन्हें भला क्या खरीदकर ले जाया जाएगा, और पकाकर खिलाया जाएगा?
पानी की टंकी के क्षेत्र का पानी चूना भट्टी के रास्ते विवेकानन्द वार्ड में प्रवेश करता है। इस वार्ड में आर्शीवाद भवन के बाद नाले को रहवासियों द्वारा बंद कर दिया गया है, जिससे पानी सड़क पर बुरी तरह पसर जाता है। वेग से आते पानी ने लोगों के घरों में जमकर कोहराम मचाया। लोग देर रात तक घरों से पानी उलीचते देखे गए।
नगर पालिका प्रशासन को पता नहीं क्यों नालों, नालियों पर अतिक्रमण होता नहीं दिखता है। नगर पालिका के पास जेसीवी मशीन के साथ पर्याप्त अमला है, पर सगा सौतेला के चक्कर में पालिका प्रशासन द्वारा इन नालियों के उपर के अतिक्रमण को नहीं तोड़ा जा रहा है, जिससे शहर में जलप्लावन की स्थिति निर्मित हो रही है।

चेचक के मानिंद उभर आए गड्ढे
जबर्दस्त बारिश ने नगर पालिका परिषद की लीपापोती को भी उजागर कर दिया है। बारिश में सड़कों पर गड्ढों में डाली गई सामग्री बह गई है और शहर की सड़कों पर एक बार फिर से चेचक की तरह से गड्ढे उभरकर सामने आ गए हैं, जिनमें बारिश का पानी भरा होने से इनका अनुमान नहीं लग पाता है और वाहन सवार इनमें गिरकर घायल हो रहे हैं।

अब तक १३३५.८  मि.मी. औसत वर्षा दर्ज

जिले में अबतक १३३५.८ मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है। भू-अभिलेख कायर््ाालय्ा से प्राप्त तहसीलवार वर्षा की जानकारी के अनुसार २३ अगस्त तक सिवनी में ११७६.२ मि.मी., कुरई में १३४३.0 मि.मी., बरघाट में ११५५.६ मि.मी., केवलारी में १२२६.0 मि.मी., छपारा में १२२0.९ मि.मी., लखनादौन में १२६८.५ मि.मी, धनौरा में १६00.0 मि.मी., घंसौर में १६९६.0 मि.मी., कुल १0६८६.२ मि.मी. वर्षा रिकार्ड की गई है। सिवनी जिले में २३ अगस्त को कुल ५३४.७ मि.मी. वर्षा दर्ज की गई। ज्ञात हो कि गत वर्ष इस अवधि तक जिले में मात्र्ा ७८७.८ मि.मी. औसत वर्षा ही दर्ज की गई थी।

भगवान को भी नहीं बख्शा गौतम थापर ने

आदिवासियों को छलने में लगे गौतम थापर . . . 4

भगवान को भी नहीं बख्शा गौतम थापर ने

(ब्यूरो कार्यालय)

घंसौर (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर की पैसा कमाने की हवस कही जाए या कुछ और कि सिवनी जिले में डलने वाले एक पावर प्लांट के लिए उन्होंने सीताराम मंदिर की जमीन तक को नहीं बख्शा है।
मध्य प्रदेश में बिजली की कमी और क्षेत्र के विकास के लिए सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में स्थापित होने वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्लांट ने गोरखपुर में अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन के साथ ही साथ सीताराम के मंदिर की जमीन को भी नहीं बख्शा है। इस मंदिर के प्रबंधक के बतौर जिला कलेक्टर को बताया गया है। सिवनी में एसे कितने निजी मंदिर हैं जिनके प्रबंधक जिला कलेक्टर हैं? अनेक कथित सार्वजनिक  धार्मिक स्थानों में लोगों के एकाधिकार की शिकायतों के बाद भी प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान न दिया जाना आश्चर्यजनक ही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार झाबुआ पावर प्लांट के निर्माण से प्रभावित ग्राम गोरखपुर की निजी अनुसूचित जनजाति एवं सीताराम जी के मंदिर सरवराहकार एवं प्रबंधक जिला कलेक्टर सिवनी की कृषि भूमि एवं उस पर स्थित संरचनाओं के प्रस्तुत अर्जन प्रस्ताव पर 24 जनवरी 1996 को संपन्न भू अर्जन समिति की बैठक में लिए गए निर्णयानुसार तहसील घंसौर जिला सिवनी के ग्राम गोरखपुर की निजी अनुसूचित जाति एवं सीताराम जी के मंदिर सरवाहकार एवं प्रबंधक जिला कलेक्टर सिवनी की कृषि भूमि जिसका क्षेत्रफल 12.66 हेक्टेयर है वह और उस पर स्थित संरचनाओं के संबंध में भूअर्जन अधिनियम 1894 के प्रावधानों के तहत भूअर्जन किए जाने संबंधी स्वीकृति प्रदन की है।
यहां 24 जनवरी 1996 को हुई बैठक का दस्तावेजों में उल्लेख संदेहास्पद ही माना जा रहा है। इसका कारण यह है कि उस वक्त मध्य प्रदेश में राजा दिग्विजय सिंह पहली पारी में मुख्यमंत्री थे, एवं घंसौर से उर्मिला सिंह विधायक और मंत्री थीं। मध्य प्रदेश में भू अर्जन कानून और प्रक्रिया इतनी जटिल नहीं है कि उसके पूरे होने में सोलह साल लग जाएं। अगर 1996 में भूअर्जन समिति की बैठक हुई थी तो उस वक्त इसकी मुनादी क्यों नहीं पीटी गई। अनुसूचित जनजति के किसानों को जो मुआवजा दिया जा रहा है वह आज की दर से दिया जा रहा है अथवा 1996 की दरों से इस बारे में भी झाबुआ पावर लिमिटेड का प्रबंधन पूरी तरह मौन ही है।

दस्तावेजों में मंदिर का प्रबंधक कलेक्टर को दर्शाया जाना आश्चर्यजनक है। जिले में न जाने कितने धार्मिक स्थानों पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। नियमानुसार अगर किसी धार्मिक स्थान का ट्रस्ट बनाकर उसे पंजीकृत नहीं कराया जाता है तो जिला प्रशासन उस पर अपना रिसीवर बिठा सकता है। वस्तुतः सिवनी में एसा कुछ भी होता नहीं दिख रहा है।

पता नहीं कब दी गई, सुअर पालकों को चेतावनी!

पता नहीं कब दी गई, सुअर पालकों को चेतावनी!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नगर पालिका प्रशासन शहर के आवारा सुअरों को लेकर पता नहीं कैसे एकाएक हरकत में आ गया है। सुअर पालकों को चेतावनी दी गई है कि वे आवारा घूमते सुअरों को चौबीस घंटे के अंदर शहर से बाहर कर दें अन्यथा उनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
जिला जनसंपर्क कार्यालय सिवनी के माध्यम से आज यह पत्र समाचार पत्रों को प्रेषित किया गया है। इस पत्र की विशेषता यह है कि इसमें ना तो पत्र का क्रमांक ही अंकित है और ना ही जारी किए जाने की तिथि, जिससे लग रहा है मानो नगर पालिका का निर्लज्ज प्रशासन महज रस्म अदायगी और कागजी खाना पूर्ती की गरज से ऐसा कर रहा है।
बहरहाल, विज्ञप्ति पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पत्र क्रमांक पुअसि / जिविशा / 181 / 2013 का उल्लेख किया गया है जो आज से पांच माह पहले 26 मार्च को जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि समस्त सूअर पालकों को सूचित किया जाता है कि आपके द्वारा पोषित सुअरों के द्वारा शहरी क्षेत्र में कफी गंदगी और धमाचौकड़ी मचा रहे हैं, जिससे आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इस पत्र में आगे कहा गया है कि मौसम को देखते हुए अत्याधिक बारिश से जहां तहां सुअर (शब्द अस्पष्ट हैं) जिससे डेंगू, मलेरिया, स्वाईन फ्लू जैसी घातक बीमारियों के फैलने की आशंका बनी हुई है। वर्तमान में कुछ मरीज डेंगू के भी पाए गए हैं, जिनका इलाज जिला चिकित्सालय में किया जा रहा है।
पत्र में यह भी कहा गया है कि आपके द्वारा पालतू सुअरों के द्वारा गंदगी फैलाई जा रही है, पूर्व में भी आपको सूचित किया जा चुका है, कि आपके पशुओं को नगर सीमा के बाहर करें, किन्तु आपके द्वारा ऐसा नहीं किया गया है। आपके द्वारा सूचना की खुलेआम अव्हेलना की जा रही है।
पत्र के अंत में कहा गया है कि आप 24 घंटे के भीतर अपने पालतू पशु सुअरों को नगर सीमा के बाहर करें अन्यथा आपके विरूद्ध पशुपालन अधिनियम 1961 की धारा 253 के अंतर्गत प्रशासनिक (शब्द अस्पष्ट हैं) प्रसतावित कर पुलिस कार्यवाही कर सुअर पालकों के नाम भेजे जाएंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी आपकी होगी।
इस पत्र में मुख्य नगर पालिका अधिकारी के हस्ताक्षर हैं पर कहीं भी तिथि का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इसकी प्रति जिला कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला मलेरिया अधिकारी, सहायक संचालक जनसंपर्क, के साथ ही साथ किसी वाहन चालक को शहर के 24 वार्ड में ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से मुनादी हेतु भेजा गया है।

बताया जा रहा है कि इस तरह नगर पालिका प्रशासन द्वारा आवारा सुअरों के खिलाफ कार्यवाही का एक स्वांग रचा गया है। उल्लेखनीय होगा कि संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव पूर्व में आवारा सुअर, मवेशियों को पकड़ने के लिए साफ तौर पर कड़े निर्देश दे चुके हैं। बावजूद इसके पालिका को कलेक्टर के आदेश की धज्जियां उड़ाने में ज्यादा मजा आता दिख रहा है। कुछ दिन पूर्व आवारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान पालिका ने अवश्य ही चलाया था, जिसमें पालिका अध्यक्ष ने वाहन में बैठकर फोटो खिचवाकर वाहवाही लूटी थी। यह अभियान एक दिन के बाद ही टॉय टॉय फिस्स हो गया था।