गुरुवार, 22 अगस्त 2013

प्रतिवर्ष 32 लाख टन कोयला जलेगा पावर प्लांट में

आदिवासियों को छलने में लगे गौतम थापर . . . 2

प्रतिवर्ष 32 लाख टन कोयला जलेगा पावर प्लांट में

थापर ग्रुप के लिए सजेगा रीवा लखनादौन राजमार्ग

रेल्वे में लोडिंग अनलोडिंग की है समस्या

(ब्यूरो कार्यालय)

घंसौर (साई)। देश की ख्यातिलब्ध थापर गु्रप की सहयोगी कंपनी झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के बरेला में डाले जा रहे पावर प्लांट में अनूपपुर से प्रतिवर्ष 32 लाख टन कोयला आपूर्ति की जाएगी। वैसे तो कोलकता के दसवीं ओसी गांगुली सारनी, के मेकमेट हाउस की सातवीं मंजिल में मूल कार्यालय वाले झाबुआ पावर प्लांट ने अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में कोयले का परिवहन रेल मार्ग से होना दर्शाया है किन्तु कोयला ब्राडगेज से जबलपुर आकर फिर नेरो गेज से घंसौर पहंुचता है तो जबलपुर में लोडिंग अनलोडिंग में कंपनी की जेब ढीली हो जाएगी।
कंपनी की इस प्रोजेक्ट रिपोर्ट में अनेक तकनीकि पेंच हैं, जिन्हें पूरी तरह से नज़र अन्दाज ही किया गया है। अव्वल तो यह कि अगर ब्राड गेज से कोयला अनूपपुर से ढुलकर जबलपुर आ भी गया तो जबलपुर के ब्राड गेज के यार्ड से उसे नेरो गेज के यार्ड तक कैसे लाया जाएगा। या तो उन्हें ब्राड गेज के यार्ड से नैरो गेज के यार्ड तक लाईन बिछानी पडेगी या फिर ट्रक के माध्यम से नैरो गेज तक ढोना पडेगा। इतना ही नहीं आने वाले समय में जब बालाघाट से जबलपुर अमान परिवर्तन का काम आरम्भ हो जाएगा तब नैरो गेज की पटरियां उखाड दी जाएंगी, एसी परिस्थिति में फिर कोयला परिवहन का वैकल्पिक साधन बच जाएगा सडक मार्ग। वैसे भी लोडिंग अनलोडिंग की प्रक्रिया झाबुआ पावर लिमिटेड के लिए काफी खर्चीली और समय की बरबादी वाली ही होगी।
उधर रेल्वे के सूत्रों का दावा है कि अवंथा गु्रप द्वारा अपने एक व्यवसायी कम राजनेता मित्र के माध्यम से रेल्वे पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि जबलपुर से बालाघाट बरास्ता नैनपुर के रेल खण्ड का अमान परिवर्तन तत्काल जबलपुर के सिरे से आरंभ करवा दिया जाए ताकि झाबुआ पावर के कोयले के रेक सीधे घंसौर तक पहुंच सकें जिसमें उनका परिवहन व्यय कम हो सके। इसके लिए जबलपुर से घंसौर तक लाईन तुरंत ही डालने का काम भी आरंभ किया जाने वाला है।
घंसौर से जबलपुर के बीच जगह जगह पर स्लीपर भी गिरा दिए गए हैं। रेल्वे बोर्ड की हरी झंडी मिलते ही यह काम युद्ध स्तर पर जारी हो जाएगा। घंसौर से नैनुपर और बालाघाट तक का काम किस सन तक पूरा किया जा सकेगा इस मामले मं रेल्वे बोर्ड के सूत्र मौन हैं पर उनका कहना है कि अवंथा गु्रप के राजनैतिक और व्यवसायी मित्र ने रेल मंत्री पर इस काम को तत्काल अंजाम देने के लिए दबाव बना दिया है।

सूत्रों ने तो यहां तक कहा कि इस मामले में मण्डला सिवनी संसदीय क्षेत्र के सांसद बसोरी सिंह मसराम से भी रेल मंत्री पर दबाव बनवाया गया है, कि उनके संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आदिवासी विकासखण्ड मुख्यालय घंसौर को तत्काल ही संभागीय मुख्यालय जबलपुर से रेल से जोड़ा जाए। घंसौर से नैनपुर तक का रेलखण्ड भी मसराम के संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा है पर उसके लिए सांसद मसराम ने मौन ही साध रखा है। मसराम ने इस काम को नैनपुर वाले सिरे से आरंभ करवाने की बात पर भी जोर न दिया जाना आश्चर्यजनक ही माना जाएगा।

विकास में रोढ़ा ना बने हिन्द गजट: भूपेंद्र

विकास में रोढ़ा ना बने हिन्द गजट: भूपेंद्र

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनंी (साई)। लखन कुंवर की नगरी में लखनादौन नगर परिषद द्वारा विकास के काम संचालित किए जा रहे हैं, इन विकास के कामों की खामियां उजागर कर हिन्द गजटसमाचार पत्र विकास में रोढ़ा ना बने।उक्ताशय की बात आज किसी भूपेंद्र (9713720147) द्वारा दैनिक हिन्द गजट से चर्चा के दौरान कही।
आज सुबह हिन्द गजट के विशेष प्रतिनिधि अखिलेश दुबे को उक्त मोबाईल नंबर से फोन आया, जिसमें कहा गया कि लखनादौन नगर परिषद के समाचारों के संबंध में वे चर्चा करना चाह रहे हैं, उन्हें कुछ समाचार और देने हैं जिस संबंध में किसी जिम्मेदार व्यक्ति से चर्चा करना चाहते हैं।
कुछ देर के बाद पुनः इसी नंबर से एक फोन आया और उन्होंने अपना नाम भूपेंद्र और खुद को लखनादौन के छविदर्शन स्टूडियो का संचालक बताया। उन्होंने कहा कि वे पिछले एक माह के हिन्द गजट की प्रतियां चाह रहे हैं, ताकि वे लखनादौन नगर परिषद के समाचारों की डीप स्टेडी कर उसमें सही और गलत समाचारों की व्याख्या कर सकें। उन्हें इस पर सिवनी के कार्यालय आकर प्रतियां लेने का अथवा लखनादौन में ब्यूरो कार्यालय प्रभारी प्रवीण सोनी से प्रतियां ली जा सकती हैं।
इस पर उक्त कथित भूपेंद्र नामक व्यक्ति ने कहा कि उनकी बात प्रवीण सोनी से नहीं होती है। और लखनादौन नगर परिषद द्वारा अगर कोई विकास का काम किया जा रहा है तो हिन्द गजट उसमें रोढ़ा ना बने। जब उनसे यह कहा गया कि लखनादौन में नगर परिषद के नियमों के प्रतिकूल होने वाले कामों में किसका विकास हो रहा है यह बात जनता के सामने लाने का काम मीडिया का है और हिन्द गजट अपनी जवाबदेही का बखूबी निर्वहन कर रहा है, तो उन्होंने कहा कि हिन्द गजट में छपी कुछ बातें बिल्कुल निराधार हैं।
जब उनसे पूछा गया कि कौन सी बात निराधार हैं? इस पर उनका कहना था कि वे पहले समाचार पत्र के एक माह की प्रतियां ले लें और उनकी स्टेडी कर लें फिर बता पाएंगे कि कौन सी बात नगर परिषद लखनादौन के बारे में निराधार प्रकाशित की जा रही है हिन्द गजट द्वारा। वहीं उनके द्वारा यह भी कहा गया कि उनसे एक माह की प्रतियां लखनादौन नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष दिनेश राय मुनमुन के खासुलखास ने एकत्र करने को कहा है।
उक्त कथित भूपेंद्र नामक व्यक्ति का कहना था कि भले ही काम नियम विरूद्ध हो रहे हों पर विकास तो हो रहा है। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या अवैध शराब बेचकर, सट्टा खिलवाकर, रंडी नचवाकर, अवैध धंधे कर कोई धनपति बनना चाहे या विकास करना चाहे तो क्या इस तरह का विकास उचित होगा? इस पर उन्होंने कहा जी बिल्कुल, विकास तो विकास है।

ज्ञातव्य है कि गातांकों में हिन्द गजट द्वारा लखनादौन नगर परिषद विशेषकर सीएमओ राधेश्याम चौधरी एवं स्वच्छ, भद्र महिला एवं ग्रहणी की छवि वाली नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमति सुधा राय की दबंगई के चलते कथित तौर पर कृषि उपज मंडी की जमीन पर बिना निविदा काल किए हुए 18 लाख का काम करवाने, संबंधी के ससुराल के एक ठेकेदार को सड़क का काम दिलवाने और बिना एग्रीमेंट, परफार्मेंस गारंटी जमा करवाए ही ठेकेदार को काम चालू करवाने की खबरें प्रकाशित की थीं।

पुलिस पस्त, चोर मस्त

पुलिस पस्त, चोर मस्त

(शरद खरे)

जिला मुख्यालय सिवनी के लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन हराम हो गया है। दिन में अगर घर पर ताला लगाकर दस मिनिट को गए नहीं कि ताला टूट जाता है। रात में अगर देर रात तक घर में ताला लगा है तब रात में ताला टूटने का भय बना रहता है। चोरों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि लोगों का भरोसा अब पुलिस पर से उठता ही प्रतीत हो रहा है। आए दिन होने वाली चोरी की वारदातों ने लोगों को हिलाकर रख दिया है।
शहर के व्हीव्हीआईपी बंग्लों के आसपास के लोग भी अब चोरों की कारस्तानियों से नहीं बच पा रहे हैं तो बाकी की कौन कहे। जिला कलेक्टर के घर जहां चौबीसों घंटे एक चार की गार्ड पहरा देती है, उस बंग्ले के सामने से चार महीने में चार बार चेन स्नेचिंग हो जाए तो इसे क्या कहा जाएगा? जबकि बंग्ले के ठीक सामने पुलिस लाईन है। कहा जा रहा है कि शाम ढलते ही पुलिस लाईन में पुलिसियों की गिनती के उपरांत इलाका सूनसान हो जाता है। कलेक्टर बंग्ले के सामने पुलिस लाईन्स तो पूर्व में रेस्ट हाउस, सर्किट हाउस एवं पश्चिम में सिन्धी कालोनी है। पुलिस लाईन और रेस्ट हाउस वाला इलाका शाम ढलते ही सन्नाटे में डूब जाता है। सिन्धी कालोनी के रहवासी इक्का दुक्का इस सड़क से होकर गुजरते हैं। यह माहौल चोरों विशेषकर राहजनी, चेन स्नेचिंग आदि के कारिंदों के लिए मुफीद होता है।
यही आमल जिले की सुरक्षा के लिए पाबंद जिला पुलिस अधीक्षक के आवास के आसपास का है। जिला कलेक्टर के आवास पर तो नगर सेना के सुरक्षा कर्मी तैनात होते हैं, किन्तु जिला पुलिस अधीक्षक के आवास पर तो बाकायदा पुलिस के जवान तैनात होते हैं, बावजूद इसके पुलिस अधीक्षक के आवास के आसपास राहजनी, चोरी, छेड़छाड़ जैसी घटनाएं आए दिन घट रही हों तो क्या इसे शिव के राजका सुराजमाना जाएगा? जाहिर है नहीं, सिवनी में अराजकता पूरी तरह हावी होती दिख रही है। आला अधिकारियों की विभागों पर पकड़ ढीली पड़ने लगी है।
एसपी बंग्ले के ठीक सामने से दिन दहाड़े अधिवक्ता राजेंद्र सिसोदिया की अर्धांग्नी के गले से सोने की चेन छीनकर भाग जाते हैं लुटेरे! एसपी बंग्ले पर तैनान सुरक्षा कर्मी मूकदर्शक बने खड़े रह जाते हैं? क्या उनका दायित्व महज बंग्ले की सुरक्षा का ही है? एसपी बंग्ले से सटे बाबूजी नगर में चोरियां जमकर हो रही हैं। बीते दिनों एसपी बंग्ले से महज सौ मीटर की दूरी पर नवल टेलीकाम के संचालक के घर से पांच लाख रूपए की चोरी हो जाती है। पुलिस की रात्रि गश्त शोभा की सुपारी ही प्रतीत होती है।
लगता है कि दिखाने के लिए ही पुलिस द्वारा बस स्टेंड, बाहुबली चौराहे, शुक्रवारी चौराहे पर ही अपनी पूरी ताकत झोंकी जाती है। पुलिस के पास चीता मोबाईल (अब ब्रेकर मोबाईल) है, जो मोटर साईकल से गश्त करती है? क्या कभी आला अधिकारियों ने इनसे हिसाब लिया है कि आखिर ये दिन रात कहां घूमकर पेट्रोल फूंक रहे हैं। जिस रात नवल टेलीकाम या अन्य स्थानों पर चोरी की वारदात हुई हैं, उन रातों में कोतवाली पुलिस के नाईट गश्त अधिकारीसे जवाब तलब किया गया है? क्या जिस दिन कलेक्टर बंग्ले के सामने से चेन स्नेचिंग हुई, उस दिन उस बीट के इंचार्ज से पूछताछ हुई? इन सवालों के जवाब तो जिम्मेदार पुलिस अधिकारी ही दे सकेंगे।
शहर के पॉश इलाके में इन दिनों कोचिंग क्लासेस की धूम मची हुई है। शालाओं में अध्यापन के गिरते स्तर से इन कोचिंग संस्थाओं के संचालकों की बन आई है। क्या कभी सांसद, विधायक, जिला प्रशासन, जिला शिक्षा अधिकारी ने इस बात पर चिंतन किया है कि आखिर कोचिंग क्लासेस में भीड़ दिन ब दिन क्यों बढ़ रही है? यह फैशन नहीं है जनाब, कोई भी अभिभावक अपने गाढ़े पसीने की कमाई इस तरह व्यर्थ जाया नहीं करेगा! मतलब साफ है कि शिक्षण संस्थानों में अध्यापन का स्तर हद दरजे तक गिर चुका है। इन कोचिंग क्लासेस में जाने वाली कोमलांगी बालाओं को धुआं उड़ाते नाबालिग, बालिग बाईक सवार अपने जाल में फंसा रहे हैं, फब्तियां कस रहे हैं, अंधेरे का लाभ उठाकर उनके अंगों पर हाथ मार रहे हैं, कभी कभार रोककर कुछ पैसा भी थमा रहे हैं। यह सब हो रहा है, अभिभावक मजबूर है, पर पुलिस इनकी मजबूरी पर अट्टहास लगाती दिख रही है।
जिले में जुंए, सट्टे, विशेषकर क्रिकेट सट्टे, अवैध मदिरा के कारोबार, गर्म गोश्त के व्यापार का जमकर जोर है। जब तब पुलिस द्वारा इस तरह की वारदातों मंें लिप्त लोगों के पकड़े जाने की विज्ञप्तियां जारी कर पुलिस अपनी पीठ थपथपा लेती है, किन्तु क्या जमीनी हकीकत से पुलिस के आला अधिकारी अनजान हैं? जाहिर है नहीं, पुलिस के पास अपना खुफिया तंत्र होता है। एक वाक्ये का जिकर यहां लाजिमी होगा, पूर्व में प्रशिक्षु आईपीएस सिद्धार्थ बहुगुणा की तैनाती के दौरान एक सिपाही इसलिए निलंबित हुआ क्योंकि उसने एसडीओपी सिद्धार्थ बहुगुणा के नाम से एक कबाड़ी से रिश्वत ले ली थी। बात बढ़ी और ईमानदार अधिकारी ने किसी के सामने घुटने नहीं टेके और सिपाही को निलंबित किया। इस तरह के अनेक मामले हैं जो आला अधिकारियों के संज्ञान में आते होंगे पर उन पर पता नहीं क्यों कार्यवाही नहीं हो पाती है।

यह जिले का सौभाग्य है कि जिला कलेक्टर भरत यादव एवं जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला ना केवल संवेदनशील वरन् दूरदृष्टा भी हैं। एसपी मिथलेश शुक्ला को लंबा प्रशासनिक अनुभव है, उनकी तैनाती के उपरांत लग रहा था कि जिले में अमन चैन कायम हो सकेगा, और कुछ हद तक हुआ भी। दोनों ही विभागीय प्रमुखों से यही अपेक्षा की जा सकती है कि कम से कम नागरिकों का दिन का चैन और रात की नींद बरकरार रहे ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित अवश्य की जाए . . .।