सोमवार, 29 जुलाई 2013

सावन की झड़ी ने रूलाया सभी को

सावन की झड़ी ने रूलाया सभी को

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। सावन के महीने में सालों बाद लोगों ने सावन की झड़ी का आनंद लिया। आषाढ़ माह में हुई अतिवर्षा से किसानों के चमके चेहरों पर मायूसी टपकने लगी। अब लगातार हो रही बारिश ने मौसम में ठण्ड़क घोल दी है और किसानों को बीजों के अंकुरण की चिंता सताने लगी है।
गौरतलब है कि आषाढ़ माह में ही इतना पानी गिर गया है कि लोग अब त्राही माम त्राही माम करते नजर आ रहे हैं। गर्मी इस साल अपेक्षाकृत कम पड़ी है, जिससे कमजोर मानूसन की उम्मीद की जा रही थी, पर मौसम विभाग द्वारा तगड़े मानसून की भविष्यवाणी की गई थी।
पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश अब गरीबों के लिए अभिशाप बनने लगी है, क्योंकि लगातार हो रही बारिश से गरीबों के घर की दीवारें धसकना शुरू हो गई है। बताया जाता है कि लगातार हो रही बारिश के चलते बरघाट रोड बायपास में स्थित चूना भट्टी के दो मकानों की दीवार रात के समय गिर गई, जिससे बड़ा हादसा होते होते बचा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चूना भट्टी निवासी नसीम अपने दो छोटे-छोटे बच्चों को मजदूरी कर पालती हैं। बीती देर रात जब वह सो रहीं थी, तभी दीवार का एक हिस्सा नीचे गिर गया, हालांकि इस घटना से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन यदि उक्त दोनों बच्चों के साथ नसीम बी दीवार के किनारे सोते रहती तो एक बड़ा हादसा घट सकता था।
वहीं दूसरी घटना चूना भट्टी की है, जहां चैनसिंह राठोरिया अपने परिवार के साथ रहते हैं उनके मकान की भी दीवार बारिश के चलते नीचे गिर गई। भरी बारिश में दोनों की दीवार गिर जाने से दोनों परिवारों के सामने सिर छिपाने की समस्या आ खड़ी हुई है। फिलहाल समाचार लिखे जाने तक प्रशासन की ओर से कोई भी मदद उक्त पीड़ितों को नहीं मिल पाई थी।

वहीं, समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के भोपाल ब्यूरो से सोनल सूर्यवंशी ने मौसम विभाग के हवाले से बताया कि मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में प्रदेश में मानसून के तेजी से सक्रिय होने की बात कही है। साथ ही साथ प्रदेश में जबलपुर संभागों सहित अनेक स्थानों पर भारी वर्षा की चेतावनी भी दी है। सिवनी जिले में भी बारिश का कहर बरप सकता है।

मच्छरों की खेती कर रही नगर पालिका!

मच्छरों की खेती कर रही नगर पालिका!

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। सिवनी शहर में मलेरिया के सैकड़ों मरीजों के मिलने के बाद अब डेंगू ने भी अपनी दस्तक दे दी है। ज्ञातव्य है कि खतरनाक डेंगू अब तक दिल्ली के अलावा कुछ गिने चुने शहरों में ही कहर बरपा रहा था। जिला मुख्यालय में जगह जगह भरे डबरे, पोखर आदि में मच्छरों के लिए उपजाऊ माहौल तैयार हो रहा है।
मलेरिया विभाग का कार्यालय जिला चिकित्सालय के प्रांगण में है। जिला चिकित्सालय में ही मच्छरों के लार्वा पनपने के लिए उपजाऊ माहौल तैयार होता दिख रहा है। अस्पताल परिसर में ही जगह जगह पानी भरा दिख जाता है। आलम यह है कि अस्पताल की छत पर ही कई जगह पानी भरा हुआ है।
इसी तरह शहर भर में जगह जगह पोखरों में मच्छरों के लार्वा पनप रहे हैं। शहर के पॉश इलाके बारापत्थर में तो काफी बड़े आकार के मच्छरों का डेरा साफ दिखाई पड़ता है। मजे की बात तो यह है कि शहर में अनेक स्थानों पर दूध डेरियां संचालित हैं। इन दूध डेरियों में गाय और भैंस भी पर्याप्त मात्रा में गंदगी फैला रही हैं।
सालों से नगर पालिका प्रशासन की ओर से मच्छरों के शमन के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है। नगर पालिका प्रशासन के पास एक अदद फागिंग मशीन भी है जिससे वह मच्छरों को भगाने का काम करती है। साल में महज दस से पंद्रह दिन ही यह फागिंग मशीन अपनी कर्कश ध्वनि के साथ लोगों को दिखाई पड़ जाती है।
आम जनता की तो छोड़िए सत्ता में बैठी भातरीय जनता पार्टी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस के नेताओं ने भी फागिंग मशीन की आवाज शायद ही सुनी हो। मजे की बात तो यह है कि नगर पालिका प्रशासन द्वारा इस फागिंग मशीन को आपरेट करने की मद में बड़ी मात्रा में राशि का आहरण भी किया जाता है, पर पालिका में चल रहे कमीशन के गंदे धंधे के चलते विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी के पार्षद भी पालिका की सभा या बजट अधिवेशन में इस बात पर आपत्ति दर्ज नहीं करते कि जब फागिंग मशीन चली ही नहीं तो भला इसकी मद में राशि का आहरण क्यों किया जा रहा है।
शहर में आज मलेरिया विभाग के कुछ कर्मचारी अवश्य ही विवेकानंद वार्ड में घूमकर पानी में दवा डालते दिखाई दिए। मठ तालाब के आसपास यह टीम खासी सक्रिय नजर आई। जिला चिकित्सालय, निजी चिकित्सालयों, निजी तौर पर चिकित्सा करने वाले चिकित्सकों के दर पर मलेरिया के मरीजों की संख्या देखकर इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मच्छरों के शमन के प्रति पालिका और मलेरिया विभाग कितना सक्रिय है।
शहर में डेंगू के संदिग्ध मरीज मिलने से अब सिवनी में भी डेंगू फैलाने के जिम्मेदार मच्छरों की आवक से खतरे की घंटी बजने लगी है। गौरतलब है कि डेंगू के लिए जिम्मेदार मच्छर साफ पानी में ही अंडे देता है। बरसात के मौसम में घरों की छतों पर एकत्र पानी, डबरे, पोखरों का पानी, गर्मी के उपरांत बाहर रखे कूलर, अन्य बेकार सामान आदि में एकत्र पानी इनके लार्वा के लिए उपजाऊ माहौल तैयार करता है।

यहां यह उल्लेखनीय होगा कि देश की राजधानी दिल्ली में बारिश और ठण्ड के मौसम में डेंगू के मरीजों और इससे मरने वालों की तादाद में खासा इजाफा होता है। दिल्ली में तो अगर किसी के घर पानी एकत्र मिलता है तो उसके मालिक पर नगर निगम द्वारा चालान बना दिया जाता है। पर चर्चा है कि सिवनी की नगर पालिका को शायद कमीशन के गंदे धंधे से फुर्सत ही नहीं मिल पाती कि वह नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति कोई कदम उठाए।

. . . तो शक्ति के निष्कासन की मांग करूंगा: योगेंद्र बाबा

. . . तो शक्ति के निष्कासन की मांग करूंगा: योगेंद्र बाबा

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। अगर शक्ति सिंह ने कांग्रेस के खिलाफ कोई बात कही है और आगे वे कांग्रेस के खिलाफ कोई काम करते हैं तो पहला व्यक्ति मैं होउंगा जो शक्ति सिंह के निष्कासन की बात कांग्रेस से करूंगा।‘‘ उक्ताशय की बात लखनादौन से टिकिट मांग रहे और कुंवर शक्ति सिंह द्वारा समर्थित कांग्रेस के नेता योगेंद्र सिंह उर्फ बाबा द्वारा आज समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से दूरभाष पर चर्चा के दौरान कही गयी।
योगेंद्र सिंह ने कहा कि वे भोपाल में हैं, अतः लखनादौन और केवलारी में क्या हुआ इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि सिवनी जिले की चारों विधानसभा सीट पर कांग्रेस का परचम लहराए। कांग्रेस पार्टी जिस किसी को भी टिकिट देती है वे उसका तन मन धन से ईमानदारी के साथ सहयोग करेंगे।
ज्ञातव्य है कि गत दिवस केवलारी में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक अबरार अहमद की उपस्थिति में काफी हंगामा हुआ था। बताया जाता है कि घंसौर क्षेत्र के कद्दावर नेता कुंवर शक्ति सिंह ने पर्यवेक्षक के समक्ष यह तक कह डाला था कि मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे हरवंश सिंह ने उन्हें ढाल बनाकर घंसौर की तत्कालीन विधायक श्रीमति उर्मिला सिंह को हरवाया था।
बताया जाता है कि कुंवर शक्ति सिंह ने पर्यवेक्षक के सामने यह तक कह दिया था कि हरवंश सिंह ठाकुर धोखे की राजनीति करते थे। उन्होंने कुंवर शक्ति सिंह के माध्यम से उर्मिला सिंह को चुनाव तक हरवा दिया था। इसके बाद गोंडवाना का प्रलोभन देकर उन्हें कांग्रेस में लाया गया था। कुंवर शक्ति सिंह ने आरोप लगाया कि हरवंश सिंह ने बाद में कुंवर शक्ति सिंह को भी धोखा दिया है।
तैश में आकर कुंवर शक्ति सिंह ने दिवंगत हरवंश सिंह पर गंभीर आरोप मढ़कर यह भी कहा कि हरवंश सिंह की सियासी बाजीगरी समझ से परे ही रही है। हरवंश सिंह द्वारा निर्दलीय प्रत्याशियों को लड़वाकर कांग्रेस को कमजोर करने का प्रयास किया जाता रहा है। कुंवर शक्ति सिंह ने यह भी कहा कि सिवनी में कांग्रेस बची ही नहीं है, जो कांग्रेस बची है वह हरवंश कांग्रेस है।
बताया जाता है कि कुंवर शक्ति सिंह ने यह भी कहा कि अगर केवलारी विधानसभा सीट से हरवंश सिंह के पुत्र रजनीश सिंह को टिकिट दी जाती है तो वे स्वयं निर्दलीय के बतौर चुनाव मैदान में उतरेंगे, भले ही इसके लिए उन्हें कांग्रेस क्यों ना छोड़ना पड़े। कुंवर शक्ति सिंह की इस दंभोक्ति से हरवंश सिंह के पुत्र रजनीश सिंह का सियासी कैरियर संकट में पड़ता दिख रहा है।
इन तथ्यों के बारे में जब योगेंद्र सिंह से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि उन्हें इन सारी बातों की जानकारी नहीं है कि किसने क्या कहा? योगेंद्र सिंह का कहना था कि हरवंश सिंह द्वारा उर्मिला सिंह को कुंवर शक्ति सिंह के ढाल के रूप में इस्तेमाल कर हराने की बात पर वे कुछ नहीं कहना चाहते।
योगेंद्र सिंह ने कहा कि अगर केवलारी से रजनीश सिंह को टिकिट दी जाती है और कुंवर शक्ति सिंह उनका विरोध करते हैं अथवा निर्दलीय के बतौर मैदान में उतरते हैं तो वे इसका विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो योगेंद्र सिंह पहला व्यक्ति होगा जो कांग्रेस से यह अपील करेगा कि कुंवर शक्ति सिंह को छः सालों के लिए कांग्रेस से निष्कासित किया जाए।

योगेंद्र सिंह ने कुंवर शक्ति सिंह के सियासी हल्केपन पर परोक्ष तौर पर चोट करते हुए यह भी कहा कि वे इस बारे में ज्यादा टिप्पणी इसलिए भी नहीं करना चाहते क्योंकि कुंवर शक्ति सिंह जैसे नेता जोश में कुछ भी बोल देते हैं और बाद में जब किरकिरी होती है तो अपने इन बयानों का खण्डन करने से नहीं चूकते।

गंदे बदबूदार पेयजल से कब मिलेगी निजात

गंदे बदबूदार पेयजल से कब मिलेगी निजात

(शरद खरे)

माना जाता है कि सत्तर फीसदी बीमारियों की जड़ दूषित जल ही होता है। जल को शुद्ध कर ही जनता के बीच बांटने की जवाबदेही है स्थानीय निकायों की। स्थानीय निकाय जल के शोधन में लाखों करोड़ों रूपए हर साल खर्च करती है, फिर भी अगर जनता को साफ पानी पीने को ना मिले तो यह किसकी जवाबदेही मानी जाएगी। आज अस्पताल पूरी तरह आंत्रशोध, डायरिया जैसी जलजनित बीमारियों के मरीजों से अटे पड़े हैं।
जिला मुख्यालय सिवनी में पानी की सप्लाई के लिए व्यवस्थाओं में परिवर्तन होता रहा है। जानकार बताते हैं कि 1920 में जब शहर की आबादी महज चार हजार से भी कम थी, तब शहर की जलापूर्ति के लिए बबरिया तालाब बनवाया गया था। इस तालाब से नहरों के माध्यम से पीने का पानी शहर में आता था। जानकार यह भी बताते हैं कि बबरिया तालाब में अगर पानी ज्यादा हो जाता था तो वह भूमिगत नहर के माध्यम से बरास्ता कंपनी गार्डन होते हुए दलसागर में पहुंचता था। दलसागर में ओवर फ्लो की स्थिति में यह भूमिगत नहर के माध्यम से बुधवारी तालाब और फिर बुधवारी तालाब का आउटलेट ललमटिया वाले सिरे से किया जाता था।
काफी लंबे अरसे तक सिवनी में नहरों, कुओं, वावलियों आदि से पीने का पानी मिलता रहा। शहर के अंदर के दलसागर, बुधवारी, मठ और स्टेशन के सामने के तालाबों का पानी पीने योग्य नहीं माना जाता था। कालांतर में नगर पालिका परिषद के ओवरसियर लाला हरगोविंद राय सरीन ने सिवनी में नहरों के बजाए भूमिगत पाईप लाईन डलवाना आरंभ किया। डॉ.विजय कुमार सरीन के दादा लाला जी को उसके बाद शहर के लोग उन्हें नल बाबू के नाम से ही पुकारने लगे। आज भी पुराने लोग शहर में पानी की सप्लाई के लिए नल बाबू का जिकर अवश्य कर लिया करते हैं। जब घरों घर में भूमिगत लोहे के पाईपों के माध्यम से बबरिया से पानी का प्रदाय आरंभ हुआ तब पुरानी नहरों का उपयोग बंद हो गया और ये शहर के बड़े नालों में तब्दील हो गए। आज बुधवारी में सरचा होटल के सामने वाला नाला पुरानी नहर ही है।
1972 में शहर में पानी की सप्लाई के लिए लखनवाड़ा के बैनगंगा के तट का उपयोग किया जाने लगा, पर यह साल में महज तीन चार माह ही साथ दे पाता था। यहां एक विशेषता यह कही जाएगी कि शहर में लंबे समय तक टिग्गा मोहल्ला की इकलोती पानी की टंकी से सुबह और शाम दोनों ही समय पानी की सप्लाई की जाती थी। उस समय शहर में पानी का हाहाकार नहीं मचता था। इसके साथ ही मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला और कटंगी नाके के नलकूप से पानी की व्यवस्था प्रथक से की जाती थी।
जब शहर की आबादी बढ़ी तो पानी का प्रदाय एक ही समय होना आरंभ हुआ। इसके बाद शहर में और पानी की टंकियों की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। पानी की टंकियों की तादाद बढ़ाने के साथ ही साथ एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बांध का दर्जा प्राप्त संजय सरोवर परियोजना यानी भीमगढ़ बांध में सुआखेड़ा से श्रीवनी होकर सिवनी पानी लाना सुनिश्चित किया गया। इस योजना की सबसे बड़ी खामी लगभग 22 किलोमीटर दूर श्रीवनी से पानी साफ कर पाईप के सहारे सिवनी लाया जाना था। एक बार तत्कालीन प्रभारी मंत्री गणपत सिंह उईके ने इसके निरीक्षण के दौरान आश्चर्य व्यक्त किया था कि आखिर 22 किलोमीटर तक साफ पानी कैसे लाया जा रहा है?
पॉलीटिकल माईलेज के चलते मार्ग में पड़ने वाले गांवों में इस लाईन से होने वाली पानी की चोरी पर अनदेखी की गई। इस लाईन के परीक्षण के दौरान मिशन इंग्लिश मीडियम स्कूल के पास पाईप, पानी के तेज दबाव में जमीन से निकलकर आसमान की ओर खड़ी हो गई थी। बेहतर होता अगर उस समय ही जल शोधन संयंत्र को श्रीवनी के स्थान पर बबरिया में ही बनाया जाता और भीमगढ़ का पानी रोजाना बबरिया लाया जाना सुनिश्चित किया जाता।
अगर ऐसा होता तो निस्संदेह बार बार फटने वाली इस पाईप लाईन के कारण नलों के ना आने की समस्या से नागरिक दो चार नहीं होते क्योंकि कम से कम दो माह का पानी तो बबरिया में स्टाक में रहता ही साथ ही साथ लोगों को साफ पानी मुहैया हो पाता। इस बारे में अनेक बार पत्राचार करने पर इसे अव्यवहारिक बताया गया है। पता नहीं यह अव्यवहारिक कैसे है? जब यह योजना कार्यरूप में परिणित हो रही थी तब प्रदेश में विपक्ष में बैठी भाजपा के विधायक भी मौन धारण किए रहे।
सिवनी शहर में आज कम से कम दस हजार 460 नल कनेक्शनधारी हैं और शहर में चार पानी की टंकियां हैं, प्रत्येक पानी की टंकी की क्षमता 13 लाख पचास हजार लीटर है। बावजूद इसके प्रत्येक घर में महज दस से पंद्रह मिनिट ही पानी की सप्लाई हो पा रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पानी सुआखेड़ा से ही कम दबाव में लाया जा रहा है, क्योंकि विभाग को डर है कि अगर पूरी क्षमता का उपयोग किया गया तो कहीं पाईप फट ना जाएं। यही कारण है कि पानी की टंकियां आधी अधूरी ही भर रही हैं।
अभी बारिश का मौसम अपने पूरे शवाब पर है, अभी तक पानी भी पिछले वर्ष की तुलना में अच्छा खासा गिर चुका है इसके बाद भी शहर में पानी का हाहाकर मचता दिख रहा है। जिला प्रशासन के आला अफसरान् के घरों पर तो उम्दा क्वालिटी के फिल्टर होंगे जिससे साफ किया हुआ पानी वे उपभोग करते होंगे पर उन गरीबों की कौन सुने जो दो से तीन फिट गहरे गड्ढ़े में उतरकर पीने का पानी लाने को मजबूर हैं? कई इलाकों में तो गंदा और बदबूदार पानी ही पीने पर मजबूर हैं सिवनी के वाशिंदे।
नगर पालिका की स्थिति काफी दयनीय है। नगर पालिका को विधायक निधि से घटिया टेंकर्स देने की पंरपरा का बाकायदा निर्वहन हो रहा है, पर भाजपा से उपकृत कांग्रेस के नुमाईंदे खामोश हैं। अगर ऐसा नहीं है तो आखिर शहर के लोगों को साफ पानी ना मुहैया होने का मामला विधानसभा में क्यों नहीं गूंज पाया? कारण आईने के मानिंद साफ है कि अगर बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी की तर्ज पर इस मामले में अंत में कांग्रेस ही कटघरे में खड़ी दिखाई देगी। सिवनी का कोई धनी धोरी नहीं बचा है यह बात सच है। अपने जमाने के मुखर नेता रहे हरीश क्षेत्रपाल सदा ही कहा करते थे, इसकी चिंता मत करो यारों यह मुर्दों का शहर है।