मंगलवार, 9 जुलाई 2013

कहां से वसूलकर दूंगा दस हजार!: तांडेकर

कहां से वसूलकर दूंगा दस हजार!: तांडेकर

(जितेश अवधवाल)

सिवनी (साई)। सिवनी को पिछले साल झंडा दिवस पर सर्वाधिक संग्रहण के लिए महामहिम राज्यपाल द्वारा पुरूस्कृत किए जाने के बाद जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा जिले के अधिकारियों से झंडा दिवस पर अधिक से अधिक जनसहयोग लेकर राशि के एकत्रीकरण के निर्देश दिए गए हैं।
सिवनी में जिला कलेक्टर के निर्देशों की आड़ में दबंगई के साथ दो रूपए के झंडे के पांच सौ, दो सौ या एक सौ रूपए वसूल किए जा रहे हैं। गत दिवस नेशनल हाईवे पर वाहनों को रोक रोक कर झंडा टिकाकर वसूली करने की शिकायत प्राप्त हुई थी तो आज शहर के पॉश इलाके बारापत्थर में दुकानदारों से दबंगई के साथ झंडा टिकाकर वसूली करने की शिकायतें मिलीं हैं।
एक दुकानदार ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि पिछले शनिवार को गुमाश्ता विभाग द्वारा उनका पांच सौ का चालान बनाया गया था। आज जब उक्त दुकान में जिला पंचायत सिवनी में पदस्थ परियोजना अधिकारी डॉ.वाय.के.टांडेकर पहुंचे और उन्होंने उक्त दुकानदार से सीधे पूछा कि चालान जमा कर दिया है!
दुकानदार ने सोचा कि वे चालान वसूलने आए हैं, अतः उक्त दुकानदार ने सहमते हुए कहा कि अभी नहीं जमा हुआ है। इसके साथ ही साथ उसने पांच सौ रूपयों का नोट आगे बढ़ा दिया। डॉ.टांडेकर ने पांच सौ रूपए लिए और एक रजिस्टर में दस्तखत करवाकर उन्हें कुछ झंडे टिका दिए।
यह वाक्या उक्त दुकानदार को समझ में नहीं आया। तब डॉ.टांडेकर ने कहा कि यह राशि झंडा दिवस की वसूली की है। इसके साथ ही साथ बारापत्थर के अनेक दुकानदारों से सौ दो सौ रूपयों में झंडे दुकानदारों को बलात टिकाए गए। जब इसकी जानकारी हिन्द गजट को लगी और हिन्द गजट के कार्यालय के सामने से यह दल गुजरा तो इस दल से पूछताछ की गई।
डॉ.टांडेकर ने हिन्द गजट कार्यालय में आकर बताया कि उन्हें दस हजार रूपए के झंडे टिका दिए गए हैं, वे आखिर दस हजार रूपए कहां से देंगे। उन्होंने कहा कि उनके पास गुमाश्ता का प्रभार है अतः वे दुकानदारों को झंडा दे रहे हैं। जब उनसे कहा गया कि इसके पूर्व में गत दिवस नेशनल हाईवे पर झंडे की वसूली की जा रही है, तो उन्होंने इस काम को गलत करार दिया।

जब उनसे एक दुकानदार से पांच सौ, एक से दो सौ, एक से सौ रूपए वसूली की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि दस हजार के झंडे वे कहां और किसको दें?

शराब पर जमकर प्रहार किए अण्णा ने

शराब पर जमकर प्रहार किए अण्णा ने

बारिश पानी के बाद भी अण्णा को सुनने पहुंचे हजारों लोग: दिनेश राय के चेहरे से टपक रही थी मायूसी

(महेश रावलानी / पीयूष भार्गव / जितेश अवधवाल)

सिवनी (साई)। मंदिर में रहता हूं, खाने की थाली और बिस्तर के अलावा मेरे पास कुछ भी नहीं है। एक बार आत्महत्या का ख्याल मन में आया, फिर स्वामी विवेकानंद की किताब पढ़कर लगा कि जनता की सेवा में ही सब कुछ है। महाराष्ट्र के छः मंत्रियों और 480 अफसरों के विकेट इसी मुहिम में लिए हैं। केंद्र सरकार ने जन लोकपाल पर जनता के साथ धोखा किया है। बाबा रामदेव जैसा सुलूक मेरे साथ भी करने की प्लानिंग थी केंद्र सरकार की। जहां शराब की चालीस दुकानें थीं आज 16 साल से वहां एक भी दुकान नहीं है। उक्ताशय की बात खचाखच भरे महावीर लॉन में आज अण्णा हजारे ने कहीं।
आज अण्णा हजारे धूमा लखनादौन छपरा होते हुए सिवनी पहुंचे। सिवनी में छिंदवाड़ा चौक से अण्णा की रैली आरंभ हुई। इस रैली में लगभग डेढ़ दर्जन मंहगे विलासिता वाले चौपाया और चार दर्जन से अधिक दुपहिया वाहन शामिल थे। रैली में अण्ण हजारे बीच बीच में अण्णा हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे।
रैली के उपरांत अण्णा महावीर लॉन पहुंचे। खचाखच भरे महावीर लॉन में अण्णा के आते ही इंद्रदेव ने भी उनका स्वागत किया। बारिश की परवाह ना करते हुए लोग अण्णा को सुनने अपने अपने स्थानों पर खड़े रहे। अण्णा के साथ चल रहे पत्रकार संतोष भारतीय ने कहा कि इस सभा में जितने लोग आए हैं उससे तीन गुना लोग अण्णा की सभाओं में पहुंच रहे हैं। संतोष भारतीय का यह कथन लोगों में अंत तक चर्चित रहा।
वहां उपस्थित लोगों का कहना था कि हो सकता है संतोष भारतीय को सिवनी के समाचार पत्रों की आज की कटिंग मिल गई हो जिसमें अण्णा के स्वागत में एक शराब व्यवसाई के जुड़ने की खबर प्रमुखता के साथ प्रकाशित हुई थी। इसके बाद ही सिवनी में अण्णा की सभा को लेकर लोगों का उत्साह फीका पड़ने लगा था। संभवतः टीम अण्णा की खुफिया टीम ने सिवनी की फिजां को भांपकर उन्हें इससे आवगत करा दिया हो और इशारों ही इशारों में संतोष भारतीय ने शराब के कारोबारी पर भी वार कर दिया हो।
सभा को एक बच्ची ने भी संबोधित किया। हाच पाच आयोजन में मीडिया के अनेक लोगों को यह पता ही नहीं चल सका कि वह बच्ची कौन थी।
सभा को संबोधित करते हुए अण्णा हजारे ने कहा कि छोटी सी बच्ची का भाषण सुनने के बाद उन्हें लगा कि यही असली भारत है। उन्होंने कहा कि वे तीस साल से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अब तक 55 लाख रूपए के नगद इनाम मिल चुके हैं, जो उन्होंने ट्रस्ट के हवाले कर दिए हैं।
उन्होंने कहा कि उनके पास अपना कुछ भी नहीं है। वे मंदिर में रहते हैं और खाने की प्लेट तथा बिस्तर के अलावा और कुछ भी उनके पास नहीं है। अण्णा ने कहा कि उन्होंने 5 अप्रेल 2011 को जनलोकपाल का ड्राफ्ट सरकार को सौंपा था, सरकार ने जनलोकपाल के नाम पर जनता के साथ धोखा किया है।
गांधी वादी समाजसेवी अण्णा हजारे ने परोक्ष रूप से कहा कि वे शराब विरोधी हैं। जिस गांव में शराब की चालीस भट्टियां थीं, जहां पान गुटखे की दुकानें हुआ करती थीं, आज वहां सोलह साल से एक भी शराब भट्टी या पान की दुकान नहीं है। जैसे ही अण्णा ने यह कहा वहां उपस्थित हुजूम मंच के आसपास ही शराब के कारोबार से जुड़ी शख्सियत को ढूंढता पाया गया।
अण्णा ने कहा कि सरकार के क्लास एक से चार तक के कर्मचारियों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त कर जनलोकपाल के अधीन लाना है। उन्होंने कहा कि अब दो ही मामले सामने हैं एक तो विकास का है और दूसरा विकास से भ्रष्टाचार के खात्मे का। उन्होंने कहा कि देश के 120 करोड़ लोग जागें वे यह नहीं मानते, पर अगर छः करोड़ लोग भी जाग गए तो जनवरी के आसपास वे दिल्ली के रामलीला मैदान में होंगे।

अण्णा की इस सभा में दिनेश राय उर्फ मुनमुन को मंच पर स्थान ना मिल पाने से युवा उत्साही नवेंदु मिश्र एवं गौरव जायस्वाल की साख में जबर्दस्त इजाफा हुआ है, वहीं मंच के नीचे की ओर खड़े दिनेश राय उर्फ मुनमुन एवं उनके समर्थकों के चेहरों पर मायूसी साफ दिखाई पड़ रही थी।

स्तरहीन शिक्षा से कैसे बनेगा भविष्य

स्तरहीन शिक्षा से कैसे बनेगा भविष्य

(शरद खरे)

सिवनी जिले में माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल के तहत संचालित सरकारी और निजी शालाओं का इस साल का दसवीं और बारहवीं का परीक्षा परिणाम निराशाजनक कहा जा सकता है। दोनों ही कक्षाओं में प्रदेश की प्रावीण्य सूची में सिवनी जिले का नामोनिशान ही नहीं है। इसके साथ ही साथ परीक्षा का परिणाम दसवीं में सरकारी स्कूल में 47.41 तो निजी शालाओं में 15.48 फीसदी रहा है। बारहवीं की परीक्षाओं में सरकारी स्कूल में यह 83.24 तो निजी शालाओं में 73.66 फीसदी है। बाहरवीं का परीक्षा परिणाम कुछ हद तक संतोषप्रद माना जा सकता है।
मध्य प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मण्डल के हाई स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा (दसवीं) के निराशाजनक परीक्षा परिणामों को देखकर लगने लगा है कि अब मध्य प्रदेश सरकार और सिवनी के शिक्षा के क्षेत्र के आलंबरदारों को अपने शिक्षा तंत्र के बारे में सोचना आवश्यक हो गया है। एचएसएस परीक्षा परिणाम वैसे भी अनेक संकेत दे रहे हैं।
कितने आश्चर्य की बात है कि इस बार दसवीं में सरकारी स्कूलों में 47 तो निजी स्कूलों में 15 फीसदी विद्यार्थियों के हाथ सफलता ही लगी है। परिणामों की घोषणा के साथ ही समूचे जिले में मायूसी की लहर व्याप्त हो जाना स्वाभाविक ही है। दुनिया भर में पसरी आर्थिक मंदी से भारत अछूता नहीं है। इस मंहगाई के जमाने में मध्य प्रदेश में निवास करने वाले मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के सामने अपने बच्चों को शिक्षा दिलाना काफी दुष्कर ही प्रतीत हो रहा है। माध्यमिक शिक्षा मण्डल से संबद्ध शालाओं में अध्ययन करने वाले असफल विद्यार्थियों के परिवारों में उदासी और असंतोष के बीज पनपना जाहिर है।
मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को मानो जंग लग चुकी है। शिक्षक के पद पर भर्ती होकर अन्य विभागों में संविलियन के साथ ही साथ सरकारी शिक्षकों से पल्स पोलियो, नसबंदी, चुनाव जैसे कार्यों में बेगार करवाना निश्चित रूप से देश के नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही कहा जाएगा।
कितने आश्चर्य की बात है कि प्रतिबंध के बावजूद भी शिक्षकों का अध्यापन से इतर अन्य कार्यों के निष्पादन के लिए अटेचमेंट आज भी बदस्तूर जारी है। पहुंच संपन्न शिक्षक शहरों की ओर रूख करते नजर आते हैं, गांव के स्कूल शिक्षक विहीन पड़े हुए हैं। न शासन और न प्रशासन यहां तक कि राजनेताओं को भी अपने वोट बैंक की खातिर इस ओर देखने की फुर्सत नहीं है।
ऐसा नहीं कि विभागीय उच्चाधिकारियों अथवा शासन में बैठे प्रमुख सचिव से लेकर सेक्शन के बाबू को इस बारे में माहिति न हो। जानते सभी हैं पर मजबूर हैं मौन रहने को। साल भर शालाओं का निरीक्षण चलता है, किन्तु रीते पद रीते ही रह जाते हैं। निरीक्षक की औपचारिकता कैसे पूरी होती हैं, यह बात सभी बेहतर तरीके से जानते हैं।
यहां आश्चर्यजनक पहलू यह भी है कि मोटी फीस लेकर अध्यापन को पेशा बनाने वाले अशासकीय स्कूलों में परीक्षा परिणाम प्रभावित क्यों हुए? इस तरह की शालाओं को तो चुनाव और अन्य बेगार के कामों से मुक्त रखा गया है। फिर आखिर ऐसी कौन सी वजह है कि इन शालाओं मेें भी विद्यार्थियों का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा।
एक समय था जब शालाओं में शिक्षिकाएं बैठकर स्वेटर बुना करती थीं, पर तब भी उनके द्वारा कराया जाने वाला अध्यापन का काम वास्तव में उचित और करीने वाला होता था। कुछ सालों पहले तक शिक्षा का स्तर संतोषजनक कहा जा सकता था, पर अब यह स्तर तेजी से नीचे गिरा है, जो चिंतनीय ही कहा जाएगा।
सिवनी में निजी स्तर पर माध्यमिक शिक्षा मण्डल से मान्यता प्राप्त ना जाने कितने शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों को गढ़ने के काम में लगे हुए हैं, पर उनके हाथ असफलता ही लगी है। कारण स्पष्ट है कि शिक्षकों ने इस साल मेहनत ना के बराबर ही की है। शिक्षकों के घरों पर ट्यूशन की भीड़ साफ कर देती है कि अब शिक्षा का पेशा धन कमाने का साधन बन चुका है।

जिला प्रशासन को चाहिए कि शिक्षा विभाग के प्रभारी उपजिलाध्यक्ष (ओआईसी) को इसके लिए पाबंद करे कि इस साल परीक्षा परिणाम सुधारे जा सकें। इसके लिए सरकारी और निजी विद्यालयों का औचक निरीक्षण डिप्टी कलेक्टर द्वारा समय समय पर किया जाए यह सुनिश्चित किया जाए। साथ ही साथ शिक्षकों द्वारा घरों पर पढ़ाई जाने वाली ट्यूशन को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए ऐसे कुछ मार्ग निकालने होंगे, वरना इस साल की तरह पालक लुटते रहेंगे और विद्यार्थी पास तो हो जाएंगे पर उनका ज्ञानार्जन का सपना अधूरा ही रह जाएगा।