शुक्रवार, 24 मई 2013

एनएचएआई को जेब में रखे हुए हैं दरबार


एनएचएआई को जेब में रखे हुए हैं दरबार

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। शराब व्यवसाई रहे और लखनादौन मस्जिद के सरपरस्त दिनेश राय उर्फ मुनमुन से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी भी भयाक्रांत नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि लखनादौन से सिवनी आते समय सड़क को भेदता एनएचएआई के बोर्ड के पीछे की ओर लगा एक बड़ा सा राय पेट्रोलियम का बोर्ड भी एनएचएआई के अधिकारियों को आते जाते अब तक नहीं दिख पाया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार लखनादौन से सिवनी मार्ग पर आने पर नरसिंहपुर की ओर जाने वाले रास्ते में एनएचएआई के मार्ग पर किलोमीटर और आगे का मार्ग बताने वाले साईन बोर्ड के पीछे तरफ राय पेट्रोलियम का एक बड़ा सा बोर्ड लगाया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यह बोर्ड निश्चित तौर पर राय पेट्रोलियम की आय में बढोत्तरी की गरज से ही लगाया गया है।
इस संबंध में जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो ने एनएचएआई के परियोजना संचालक श्री सिंघई से उनके मोबाईल 9425426644 पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वे नागपुर दौरे पर हैं, अभी वे कोई बात नहीं कर सकते हैं। उनसे जब यह पूछा गया कि वे वापस कब लौटेंगे? उनसे बात कब संभव है? इस पर उन्होने मोबाईल काट दिया।
जब इस बारे में एनएचएआई के अधिकारी दिलीप पुरी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि विज्ञापन अगर कोई करना चाहता है तो वह आवेदन निश्चित तौर पर उनके कार्यालय से होकर ही गुजरेगा, और अब तक उन्होंने इस तरह का कोई आवेदन देखा नहीं है। श्री पुरी ने कहा कि हो सकता है कि यह नरसिंहपुर कार्यालय से मूव हुआ हो।
जब श्री पुरी के संज्ञान में इस बात को लाया गया कि यह एनएचएआई के संकेत बोर्ड के पीछे की ओर लाल रंग से पुता हुआ है तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है, वे स्वयं जाकर स्थल निरीक्षण कर कार्यवाही करेंगे।
इस संबंध में जब नरसिंहपुर में पदस्थ महेंद्र वाणी से उनके मोबाईल 9425180933 पर संपर्क किया गया तो उन्होने भी श्री पुरी की ही तरह इस बात से अनभिज्ञता ही प्रकट की कि इस तरह का कोई आवेदन स्वीकृति के लिए उन्होंने परियाजना संचालक के कार्यालय को भेजा हो। उन्होंने कहा कि उनके कार्यालय से इभी तक इस सड़क के लिए एक भी विज्ञापन हेतु अनुमति प्रदान नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि अभी वे कुछ करने की स्थिति में इसलिए नहीं हैं क्योंकि सड़क का रखरखाव एक साल तक सड़क के ठेकेदार के हाथों में ही है। अगर यह लखनादौन और सिवनी के बीच का मामला है तो सड़क का मैंटीनेंस मां लक्ष्मी यानी मीनाक्षी कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया जा रहा है।
इस अनियमितता के लिए क्या कार्यवाही की जाएगी, के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि यह तो देखना होगा, क्योंकि इस तरह का यह पहला मामला प्रकाश में आया है। इस पर सड़क के ठेकेदार को कारण बताओ नोटिस दिया जाकर इस बोर्ड को बलात हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर किसी को कोई शिकायत करनी है तो लिखित में करे, मौखिक शिकायतों पर कार्यवाही संभव नहीं है।
वहीं मीनाक्षी कंस्ट्रक्शन कंपनी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मित्रों में दरबार के नाम से मशहूर दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने मीनाक्षी के अनेक वेतनभोगी कर्मचारियों को साध रखा है संभवतः यही कारण है कि एनएचएआई के नियम कायदों को बलाए ताक रखकर यह काम किया गया हो।

लंबे समय तक कोषाध्यक्ष रहे हैं आपत्तिकर्ता


0 साईपुरम साई मंदिर भूमि विवाद

लंबे समय तक कोषाध्यक्ष रहे हैं आपत्तिकर्ता

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। नगझर स्थित साईपुरम के साई मंदिर की जमीन का विवाद अभी भी नहीं सुलझ सका है। किसकी जमीन पर यह मंदिर बना है इस बात पर से पर्दा नहीं उठ सका है। 22 मई को इस संबंध में अनुविभागीय दण्डाधिकारी के कार्यालय में हुई पेशी को अब 29 तारीख तक बढ़ा दिया गया है। इसमें आपत्तिकर्ता शरद अग्रवाल लंबे समय तक सांई मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के द्वारा पीर फकीर के पास जाने की बात को लेकर की गई टिप्पणी के उपरांत साई मंदिर समिति नगझर के सचिव प्रसन्न चंद मालू द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया था कि साई भक्तों के धेर्य को, उनकी श्रृद्धा को, ऐसे तत्वों द्वारा गलत अंदाज में देखा जा रहा है। साई भक्त कतई भी कायर नहीं हैं, यदि कोई भी व्यक्ति हमारे (श्री मालू के) ईष्ट देवता के संबंध में गलत टिप्पणियां करेगा तो उसका माकूल जवाब दिया जाएगा।
इसके अगले दिन हिन्दु महासभा के प्रदेशाध्यक्ष संजय मण्डल ने एक विज्ञप्ति जारी कर साई मंदिर प्रबंधन को ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया था। इस विज्ञप्ति में संजय मण्डल द्वारा मंदिर प्रबंधन पर संगीन आरोप लगाए थे, जिनका जवाब इन पंक्तियों के लिखे जाने तक मंदिर प्रबंधन द्वारा नहीं दिया गया है, ना ही अपनी स्थिति ही स्पष्ट की है।
वहीं दूसरी ओर मंदिर के ट्रस्ट के पंजीयन के लिए राजपत्र में प्रकाशन के उपरांत कुछ कागजी कार्यवाही के लिए अनुविभागीय दण्डाधिकारी के कार्यालय भेजा गया, जहां इसकी जानकारी मिलने पर दूसरे पक्ष शरद अग्रवाल द्वारा अपने अधिवक्ता शैलू सक्सेना के माध्यम से एक आपत्ति पेश कर दी गई है।
शरद अग्रवाल का दावा है कि जिस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया है वह भूमि 11 जून 1992 को श्री शिरडी साई संस्थान सिवनी के तत्कालीन अध्यक्ष अधिवक्ता दादू राघवेंद्र नाथ सिंह द्वारा खरीदी गई थी, इस भूमि पर आमजन के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया था।
भूमि विवाद अब गहराने लगा है। ज्ञातव्य है कि गत 19 मई को अपनी विज्ञप्ति देने दैनिक हिन्द गजट कार्यालय आए साईं मंदिर समिति के सचिव प्रसन्न चंद मालू ने यह दावा किया था कि जिस भूमि पर मंदिर बना है उस भूमि को उन्होंने स्वयं के पैसों से खरीदकर मंदिर को दान दिया है।
वहीं, अब चर्चाओं का ना थमने वाला दौर भी आरंभ हो चुका है। चर्चाओं के अनुसार इस मंदिर के नए नाम से गठित होने वाले प्रस्तावित ट्रस्ट में आरंभ में भूमि खरीदने वाले अधिवक्ता दादू राघवेंद्र नाथ सिंह का नाम आखिर क्यों हटाया गया? इसके अलावा आर.के.शर्मा, श्रीमति सुषमा राय, बी.एस.ठाकुर, श्री आक्टे, वास्तु इंजीनियर दीपक अग्रवाल, पंडित तेजनारायण आदि जैसे साईभक्त जो इस मंदिर की पहली ईंट जुड़ने से साथ में थे को हाशिए पर रख दिया गया है।
वहीं, अब यह बात भी उभरकर सामने आ रही है कि आखिर क्या वजह है कि सालों साल मंदिर समिति के कोष का हिसाब किताब रखने वाले कोषाध्यक्ष शरद अग्रवाल अचानक ही इस मंदिर समिति से एकाएक विमुख हो गए और ना तो मंदिर के प्रस्तावित ट्रस्ट में ही उनका नाम है और ना ही मंदिर में दिखाई ही दे रहे हैं। शरद अग्रवाल के मंदिर से क्रियाकलापों से विमुख होने और मंदिर के ट्रस्ट में ही आपत्ति लगाने पर सभी को आश्चर्य हो रहा है।

सर्वशक्तिमान डॉ.सतीश दत्त गर्ग!


सर्वशक्तिमान डॉ.सतीश दत्त गर्ग!

(लिमटी खरे)

जिला आयुष अधिकारी के पद पर पदस्थ डॉ.सतीश दत्त गर्ग की हिम्मत की दाद देनी होगी। वे आदिवासी बाहुल्य लखनादौन तहसील के आदेगांव में पदस्थ रहे हैं। अपनी पदस्थापना के दौरान उन्होंने वहां जो गुल खिलाए हैं, अगर उनकी ईमानदारी से जांच हो जाए तो उनका निलंबन सुनिश्चित ही है। बावजूद इसके उन्हें निलंबित, पदावनत करने के बजाए जिला आयुष अधिकारी का प्रभार सौंपा जाना आश्चर्यजनक है।
डॉ.सतीश दत्त गर्ग जब कटनी में पदस्थ थे तब वहां अनेक शिकायतें उनके खिलाफ आईं। कटनी में डॉ.सतीश दत्त गर्ग पर आरोप है कि उन्होंनंे अधीनस्थ स्टाफ को जमकर परेशान किया है। इसकी शिकायत जब वहां के लोकल एमएलए संजय पाठक के संज्ञान मे लाई गई तो संजय पाठक ने उन्हें मिले जनादेश का पूरा पूरा सम्मान करते हुए मामले को विधानसभा में उठा दिया। संजय पाठक की चिंघाड़ पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इसमें पहल करना पड़ा। शिवराज सिंह चौहान ने सदन में कहा था कि इस मामले की जांच जबलपुर संभागायुक्त कर रहे हैं।
वहीं, स्थानांतरण नीति 2012 - 2013 का पालन किए बिना अनियमितताएं कर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के मनमाने स्थानांतरण करने के लिए कटनी के तत्कालीन जिला आयुष अधिकारी डॉ.सतीश दत्त गर्ग को संभागायुक्त डॉ.दीपक खाण्डेकर ने नोटिस जारी किया था। मुख्यमंत्री चौहान ने यह भी बताया था कि इस संबंध में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता सोमवती जायस्वाल एवं गीता जायस्वाल के साथ ही साथ दवासाज शिवगोपाल व मुकेश कुमार बर्मन के तबादले निरस्त और संशोधित किए गए।
अगर मुख्यमंत्री ने सदन में यह जानकारी दी है तो इसका मतलब साफ है कि डॉ.सतीश दत्त गर्ग ने कर्तव्यों के निर्वहन में कोताही बरती है। अगर डॉ.सतीश दत्त गर्ग द्वारा किए गए स्थानांतरण निरस्त या संशोधित किए गए हैं तो डॉ.गर्ग ने अनियमितता की है। और ऐसा है तो उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए था।
जिला आयुष अधिकारी कार्यालय कटनी में तैनाती के दौरान डॉ.सतीश दत्त गर्ग को आयुष अधिकारी कटनी का प्रभार 7 नवंबर को दिया गया था, किन्तु इन्होंने गंभीर वित्तीय अनियमितता करते हुए सितम्बर एवं अक्टूबर माह का भी एनपीए एरियर का आहरण कर लिया।
इसके उपरांत डॉ.सतीश दत्त गर्ग जब आदेगांव में पदस्थ रहे तब आदेगांव निवासी राकेश जैन ने इस संबंध में मुख्यमंत्री आनलाईन पर शिकायत भी की थी। इसकी जांच में डॉ.गर्ग को उक्त आलोच्य अवधि में अनुपस्थित होना पाया गया था। इतना ही नहीं आदेगांव औषधालय में दो हाजिरी पत्रक भी जप्त किए गए जिसमें एक में इन्होंने चिकित्सकीय अवकाश तो दूसरे में कर्तव्यों पर उपस्थिति दर्शाई थी।
डॉ.गर्ग के खिलाफ विभागीय कर्मचारियों विशेषकर महिला कर्मचारियों ने अभद्र व्यवहार की शिकायत प्रभारी मंत्री से भी की जा चुकी है। संभागीय आयुष अधिकारी डॉ.के.के.मिश्रा के पास आज भी जांच लंबित है। डॉ.सतीश दत्त गर्ग का प्रभाव इतना जबर्दस्त है कि उनकी जांच 30 अप्रेल को पूरी होने के बाद भी अब तक उच्चाधिकारियों तक नहीं भेजी जा सकी है।
बताते हैं कि एक बार फिर जिला आयुष अधिकारी का प्रभार लेने के बाद डॉ.सतीश दत्त गर्ग ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को हड़काना आरंभ कर दिया है। निश्चित तौर पर जिस कर्मचारी ने डॉ.सतीश दत्त गर्ग की शिकायत की होगी वह आज बुरी तरह डरा हुआ ही होगा, क्योंकि अब डॉ.सतीश दत्त गर्ग उसके जिला प्रमुख बनकर आ चुके हैं।
अब तो इस तरह की खबरें आम होने लगी हैं कि डॉ.सतीश दत्त गर्ग द्वारा अपने मातहतों को डराया धमकाया जा रहा है। इन परिस्थितियों में भय के वातावरण में सरकारी नुमाईंदे भला कैसे काम कर पाएंगे। लखनादौन विधायक श्रीमति शशि ठाकुर, सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह चंदेल से अपनी नजदीकी बताकर कर्मचारियों को भयाक्रांत करने वाले डॉ.सतीश दत्त गर्ग के हौसले बुलंद होना इसलिए भी स्वाभाविक ही माना जा रहा है क्योंकि उच्चाधिकारियों द्वारा प्रमाण होने पर भी उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है।
कर्मचारियों ने लामबंद होकर इसकी शिकायत जिला कलेक्टर, के साथ ही साथ प्रभारी मंत्री से भी की जा चुकी है। बावजूद इसके अब तक डॉ.सतीश दत्त गर्ग के खिलाफ कोई कार्यवाही ना होना आश्चर्यजनक ही है। परिस्थितियां इस ओर इशारा करने पर विवश हो रही हैं कि क्या जिला प्रशासन, मंत्री संत्री से बढ़कर हो चुके हैं डॉ.सतीश दत्त गर्ग!
सिवनी में इस तरह से एक आयुष अधिकारी ने नियम विरूद्ध काम किया और सिवनी जिले के विधायकों ने उसके खिलाफ कोई कार्यवाही भी प्रस्तावित नहीं की है। यह तब हुआ जब श्रीमति नीता पटेरिया के पति डॉ.एच.पी.पटेरिया जिला चिकित्सालय में और श्रीमति शशि ठाकुर के पति डॉ.ठाकुर मुख्य चिकित्सा अधिकारी हैं जो इन बातों को बेहतर समझ सकते हैं।
हालात देखकर लगने लगा है कि सिवनी में अब निरंकुशता चरम पर पहुंच चुकी है। भारतीय जनता पार्टी के बूते सरकारी अधिकारियों की मश्कें कसना नहीं बचा है। जरूर इसके पीछे कुछ और कारण हैं, वरना एक अदने से सरकारी कर्मचारी की हर स्तर पर शिकायतें होने के बाद भी वह सीना तानकर बैठा हुआ है। तरस तो उन तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों पर आ रहा है जिन्होंने अपने साथ हुए इस अन्याय की शिकायत की थी, और अब वे डॉ.सतीश दत्त गर्ग के कोप का भाजन होते दिख रहे हैं। संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव से इस संबंध में उचित और कठोर कार्यवाही की अपेक्षा है।