बुधवार, 8 मई 2013

जानें उपभोक्ताओं के अधिकार


जानें उपभोक्ताओं के अधिकार

(डी.बी.नायर)

सिवनी (साई)। उपभोक्ता संरक्षण के लिये यह बात जरूरी है कि उपभोक्ताओें द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं तथा प्राप्त की जाने वाली सेवाओं के मामले में तौल तथा माप सहीं हो। उपभोक्ता को किसी भी सेवा में शिकायत होने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता अदालतों में प्रकरण दर्ज करना चाहिये।
उपभोक्ताओं के हित में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी निम्नानुसार है।
1. अगर सामान में खराबी या सेवा में कमी के कारण आपको हानि/क्षति हुई है अथवा किसी व्यापारी द्वारा अनुचित/प्रतिबंधात्मक पद्धति का प्रयोग किया है अथवा उनको हुई हानि या क्षति के लिये पर्याप्त क्षतिपूर्ति नहीं दी गई है अथवा आपकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया है तो अपने जिले के उपभोक्ता फोरम में शिकायत करने में न हिचकिचायें।
शिकायत कौन कर सकते हैं-
उपभोक्ता, कोई स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन जो कंपनी अधिनियम 1956 अथवा फिलहाल लागू किसी अन्य विधि के अधीन पंजीकृत है। केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार, एक अथवा एक से अधिक उपभोक्ता, उपभोक्ता की मृत्यु की दिशा में उसके कानूनी अथवा प्रतिनिधि
शिकायत कैसे की जाए-
शिकायत सादे कागज पर की जा सकती है। शिकायत में निम्नलिखित विवरण होना चाहिये-
शिकायतकर्ता तथा विपरीत पार्टी के नाम का विवरण तथा पता, शिकायत से संबंधित तथ्य एवं घटना के स्थान व तिथि का विवरण, शिकायत में उल्लेखित आरोपों के समर्थन में दस्तावेज, शिकायत पर शिकायतकर्ता अथवा उसके प्राधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिये, शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी वकील की अनिवार्यता नहीं है।
नाममात्र शुल्क-
अः एक लाख रूपये तक - 100 रू,
बः एक लाख रूपये और उससे ऊपर किंतु पांच लाख रूपये से कम - 200 रू.
सः पांच लाख रूपये और उससे ऊपर किंतु दस लाख रूपये से कम - 400 रू.
दः दस लाख रूपये और उससे ऊपर किंतु बीस लाख रूपये से कम - 500 रू,
शिकायत कहां की जाए -
यह सामान अथवा सेवाओं की लागत, मांगी गई क्षतिपूर्ति एवं क्षेत्र पर निर्भर करता है। यदि यह 20 लाख रू. से कम है- जिला फोरम में। यदि यह 20 लाख रू. से अधिक लेकिन एक करोड़ से कम है- राज्य आयोग के समक्ष। यदि एक करोड़ रू. से अधिक है-राष्ट्रीय आयोग के समक्ष।

अपराधियों को प्रश्रय दे रहे हुकुम


अपराधियों को प्रश्रय दे रहे हुकुम

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड से निकलकर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष तक का सफर करने वाले कुंवर शक्ति सिंह जो क्षेत्र में हुकुम के नाम से जाने पहचाने जाते हैं इन दिनों अपराधियों को प्रश्रय देते नजर आ रहे हैं।
घंसौर क्षेत्र में जहां देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा दो चरणों में पावर प्लांट की संस्थापना का काम तेजी से चल रहा है में हुकुम की वजनदारी आज भी बरकरार ही है।
बताया जाता है कि जब बनारस में हुकुम ने अपना मौन वृत किया और उसे नवरात्र के अंतिम दिन 19 अप्रेल को छोड़ा तब उस अवसर के बजाए 06 मई को उन्हें बधाई देकर उनका अभिनंदन किया गया। हुकुम का अभिनंदन करने वालों में सबसे पहला नाम सामने आया है क्षत्रिय महासभा के समरजीत सिंह सोलंकी का। इसके अलावा अधिवक्ता संग्राम सिंह सिसोदिया, अधिवक्ता महेंद्र सिंह सोलंकी, ठेकेदार रंजीत चौहान एवं विनय नाथन आदि के नाम भी उभरकर सामने आए हैं।
बताया जाता है कि समरजीत सिंह सौलंकी के खिलाफ धारा 324 का प्रकरण पंजीबद्ध है और पुलिस रिकर्ड में समरजीत सिंह सौलंकी फरार हैं। क्षेत्र में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार समरजीत सिंह सौलंकी जैसे आपराधिक चरित्र के व्यक्ति से अपना अभिवादन करवाने वाले हुकुम यानी कुंवर शक्ति सिंह क्या अपराधियों को घंसौर क्षेत्र में संरक्षण दे रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि बीते दिनों घंसौर के मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के एक वेल्डर फिरोज द्वारा गांव की ही एक चार साल की दुधमुंही गुड़िया के साथ दुष्कर्म किया था, जिसने बाद में नागपुर में दम तोड़ दिया था। चर्चा तो यहां तक है कि झाबुआ पावर लिमिटेड में बाहर से आकर काम करने वाले मजदूरों के बारे में पतासाजी की जाए तो अधिकांश यहां फरारी काट रहे मुजरिम हो सकते हैं।

कानून और व्यवस्था की स्थिति में होगा आपेक्षित सुधार: शुक्ला


कानून और व्यवस्था की स्थिति में होगा आपेक्षित सुधार: शुक्ला

सिवनी (साई)। सिवनी जिले की कानून और व्यवस्था की स्थिति में बेहतर सुधार करने का प्रयास किया जाएगा। जिले में अपराधों की रोकथाम सुनिश्चित की जाएगी ताकि जनता अमन चैन के साथ रह सके। पुलिस की छवि जनता के बीच मित्र की तो अपराधियों में पुलिस का खौफ कायम हो यह प्रयास होगा। सिवनी जिले में पहले एसपी बी.पी..दुबे थे तो अब 47वें जिला पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थ मिथलेश शुक्ला ने उक्ताश की बात समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के सिवनी ब्यूरो टीम जिसमें संजीव प्रताप सिंह, शरद खरे एवं महेश रावलानी का समावेश था से चर्चा के दौरान कही। प्रस्तुत है एसपी मिथलेश शुक्ला के साथ हुई चर्चा के मुख्य अंश:

साई न्यूज: सिवनी की कानून व्यवस्था के बारे में आपका क्या सोचना है?
श्री शुक्ला: सिवनी में दुर्भाग्यवश कुछ अनहोनी घटनाएं घटी हैं। त्योहार के लगातार रहने के चलते पुलिस पर कानून और व्यवस्था बनाने हेतु अतिरिक्त दबाव रहा। सिवनी में कानून और व्यवस्था को और अधिक बेहतर बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसमें नागरिकों का और मीडिया का सहयोग लिया जाएगा।
साई न्यूज: धूमा डकैती के मामले में भी अभी तक कोई प्रगति होती नहीं दिख रही है. . .।
श्री शुक्ला: इसके लिए नवागत पुलिस महानिरीक्षक ने एक दल का गठन किया है। उम्मीद है कि एक पखवाड़े में आरोपी पुलिस की पकड़ में होंगे।
साई न्यूज: यह राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर बसा है इन परिस्थितियों में अपराध की गुंजाईश ज्यादा रहती है?
श्री शुकला: इस बात को विशेष तौर पर ध्यान में रखा जाएगा कि सिवनी हाईवे पर है। दरअसल, वाहनों और बल की कमी के चलते पुलिस पर अतिरिक्त भार होता है। हाईवे पेट्रोल के लिए भी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएंगी।
साई न्यूज: शहर की बिगड़ेल यातायात व्यवस्था के बारे में क्या कुछ योजना है?
श्री शुक्ला: हां यातायात समिति की बैठक के लिए मुद्दे एकत्र हो रहे हैं। शहर का यातायात कैसे सुव्यवस्थित हो इसका प्रयास अवश्य किया जाएगा। शहर में अनेक बस स्टेंड बनने की जानकारी भी आई है। जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। शहर के अंदर से गुजरने वाली अवैध बसों की नकेल कसने का प्रयास किया जाएगा। अगर किसी के पास कोई जानकारी है तो वह दे हम उस पर कार्यवाही करेंगे और जानकारी देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा।
साई न्यूज: शहर में निजी भवनों में संचालित होने वाले बैंक्स के पास पार्किंग का आभाव है इससे यातायात प्रभावित होता है!
श्री शुक्ला: जी, यह बात भी संज्ञान में लाई गई है। इसकी सूची बनाकर संबंधित बैंक्स को पार्किंग सुनिश्चित करने को कहा जाएगा, नहीं तो कार्यवाही की जाएगी।
साई न्यूज: कानून और व्यवस्था बनाने के बारे में नई योजनाएं क्या हैं?
श्री शुक्ला: अभी हम प्राथमिकताएं तय कर रहे हैं। बाहर से आने वाले लोगों की मुसाफिरी दर्ज करवाई जाए, पीसी रोल, और हिस्ट्रीशीटर्स के साथ ही साथ संदिग्ध लोगों पर नजर रखी जाए। किराएदारों की जानकारी पुलिस को देना और सत्यापन कराना अब मकान मालिक की जवाबदेही बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
साई न्यूज: होली के पूर्व सिवनी में अप्रिय घटनाएं घटी और कर्फयू लगा दिया गया, मीडिया को घरों में कैद कर दिया, अखबार तक नहीं बटने दिए गए?
श्री शुक्ला: अगर एसा हुआ है तो गलत है? उस समय क्या परिस्थितियां थीं, तत्कालीन अफसरों ने किस आधार पर किया इस बारे में टिप्पणी करना मुश्किल है। कई बार मर्ज ठीक करने के लिए कड़वी दवा भी खानी होती है। कानून और व्यवस्था बनाने के लिए कई बार ना चाहते हुए भी कठोर कदम उठाने पड़ते हैं।
साई न्यूज: सिवनी में बम पकड़ाए कुछ सरगना भी, इन्हें एटीएस की टीम ने पकड़ा क्या इसे इंटेलिजेंस फेल्युअर माना जाए स्थानीय स्तर पर पुलिस का!
श्री शुक्ला: कुछ मायनों में कहा जा सकता है कि स्थानीय स्तर पर पुलिस का सूचना तंत्र कामयाब नहीं रहा। किन्तु जब एटीएस की कार्यवाही हुई तब सिवनी पुलिस की भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। सिवनी पुलिस ने शानदार परफार्मेंस दिखाया है।
साई न्यूज: सिवनी की जनता, मीडिया आदि से आप क्या अपेक्षा रखते हैं?
श्री शुक्ला: अपेक्षा बस यही है कि अफवाहों पर बिल्कुल ध्यान ना दें। अगर कोई सूचना कहीं की भी मिलती है तो उसे तत्काल पुलिस को दें और एक अच्छे नागरिक होने का फर्ज अदा करें। बेकार गलत सूचनाओं को पुलिस तक पहुंचाकर पुलिस का समय ना नष्ट करें। पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए आपकी मित्र है। रही बात मीडिया की तो जनसंपर्क कार्यालय से पत्रकारों की एक सूची बुलवा ली है। मीडिया भी अनावश्यक और तनाव फैलाने वाली खबरों से परहेज करे तो बेहतर होगा।
(यह साक्षात्कार, घंसौर की गुड़िया के दुष्कर्म की घटना के पहले का है अतः इसमें उसका उल्लेख नहीं है)

हरवंश के संरक्षण में केवलारी हो गया सत्यानाश: गोंगपा


हरवंश के संरक्षण में केवलारी हो गया सत्यानाश: गोंगपा

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार और कांग्रेस पार्टी विपक्ष की भ्ूामिका में बैठकर दोनों मिलजुलकर रोटी, बेटी व संस्कृति को समाप्त करने का ठेका मिलकर चला रहे है । मध्य प्रदेश में रोटी-बेटी-संस्कृति को बचाने के लिये गोंडवाना रत्न, गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन के महानायक दादा हीरा सिंह मरकाम के गोंडवाना आंदोलन के मिशन को कामयाब बनाना होगा।
भाजपा के संरक्षण में कांग्रेस विधायक के राज में केवलारी में सुरसा की तरह बढ़ रहे भ्रष्टाचार, अन्याय, अत्याचार, शोषण रूपी क्षल कपट वृक्ष के लिये केवलारी के अर्थानुसार यहां पर केवल आरी ही सफाया बन सकती है और इसके लिये चुनावी प्रबंधन एवं चुनावी प्रशिक्षण के माध्यम से ही कार्यकर्ताओं को आरी की पैनी धार के माफिक प्रशिक्षित करना बहुत जरूरी हो गया है ताकि केवलारी विधानसभा क्षेत्र से क्षलकपट वृक्ष को जड़ सहित उखाड़कर फैंक सके उक्त बाते गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में गोंगपा के राष्ट्रीय महासचिव श्याम सिंह मरकाम ने कान्हीवाड़ा जोनल कमेटी के अंतर्गत आने वाले ग्राम प्रभारी, मतदान केंद्र प्रभारी, मतदान एजेण्ट, सेक्टर प्रभारी, जोनल प्रभारी एवं रोको, टोको, ठोको समिति के अध्यक्षों को ग्राम बम्हनी में भीषण गर्मी में खुले मंच में पेड़ों के नीचे बैठे हुये कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुये कही।
उन्होंने कहा कि मिशन 2013 के चुनाव में इस बार केवलारी विधानसभा में गोंगपा का कब्जा प्रत्येक कार्यकर्ता को अपना तन, मन, धन लगाकर करना ही होगा। ग्राम समिति, मतदान केंद्र समिति, सेक्टर समिति, जोनल कमेटी  में प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं को ही जिम्मेदारी सौंपा जायेगा बिना प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं को चुनावी प्रबंधन संबंधी कोई भी जिम्मेदारी नहीं दिये जाने के लिये जिला अध्यक्ष हरिश्चंद उईके को निर्देशित किया। प्रत्येक ग्राम में रोको-टोको-ठोकों के लिये दस युवाओं, दस युवतियों, दस मातृशक्ति एवं दस पितृशक्ति की नियुक्ती, ग्राम प्रभारी, मतदान केंद्र कमेटी, सेक्टर कमेटी, जोनल कमेटी का गठन 15 जून 2013 तक तैयार करके 24 जून 2013 रानी दुर्गावती बलिदान दिवस तक सूची बनाकर अंतिम रूप दे दिया जाये।
विगत माह पूर्व बरघाट में आदिवासी युवा मंच के कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते, बरघाट विधायक कमल मर्सकोले व लखनादौन विधायक श्रीमती शशि ठाकुर के द्वारा आदिवासी समाज के समक्ष किये गये झूठा वायदा करने वालों को आने वाले 2013 के चुनाव में तो सबक सिखाना ही है लेकिन उसके पहले अभी से उनका विरोध करने के लिये कार्यक्रम की सीडी का गांव गांव में वितरण प्रारंभ किये जाने के निर्देश जिला अध्यक्ष को दिये है ताकि इनकी आदिवासी हितेषी होने की हकीकत सामने आ सके। जिला अध्यक्ष हरिश्चंद उईके को जून माह के पहले तीन-तीन दिवस का प्रशिक्षण कार्यक्रम केवलारी विधानसभा, सहित सिवनी, लखनादौन, बरघाट विधानसभा में प्रत्येक सेक्टर में अलग अलग प्रशिक्षण कार्यक्रम कराने के निर्देश दिये है।

साढ़े छः दशकों से रहे अंधेरे में


साढ़े छः दशकों से रहे अंधेरे में

(विपिन सिंह राजपूत)

सिवनी (साई)। एक तरफ तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एमपी में अटल ज्योति योजना का आगाज कर चौबीसों घंटे बिजली देने का प्रयास कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर ठाकुर हरवंश सिंह के विधानसभा क्षेत्र केवलारी में आधा दर्जन से भी ज्यादा ऐसे गांव है जहां एक दो नहीं 66 साल से लाईट का अता पता नहीं है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार केवलारी विधानसभा के पीपरदौन, हीर्रीटोला, कोपीझोला, चिरईडोंगरी, पांडरवानी में आजादी के बाद से आज तक बिजली नहीं पहुंची यानि की आधा दर्ज गांव ऐसे हैं, जहां 66 वर्षाे से लोग बिजली के लिये तरस रहे हैं, जिस ओर न तो स्थानीय विधायकों ने ध्यान दिया और न ही मप्र शासन ने। वही बरघाट विधानसभा क्षेत्र के गुंजई गांव की भी यही हालत है। ऐसी परिस्थिति में जब मप्र के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जिले के वनग्राम को बिजली नहीं दे पा रहे हैं, वह अटल ज्योति योजना के तहत 24 घंटे बिजली कैसे देंगे।
लगभग इन आधा दर्जन गांव के लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत मौजूदा जिला प्रशासन के मुखिया को भी की और शासन के मंत्रियों को भी अवगत कराया, बावजूद इसके आज तक किसी ने भी रोशनी से दूर इन गांव में रोशनी फैलाने का काम नही कर पाये। पीपरदौन, हिर्रीटोला, कोपीझोला, चिरईडोंगरी, पांडरवानी, गुंजई के लोगों को नये संवेदनशील कलेक्टर से उम्मीद है कि कम से कम वह प्रयास कर गांव में प्रकाश पहुंचाने प्रयास करेंगे। वहीं 17 मई को आने वाले प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान अटल ज्योति योजना के शुभारंभ मौके पर कम से कम बिजली से दूर इन गांवों में रोशनी फैलाने का काम करें, ऐसी भी ग्रामीणों ने अपेक्षा व्यक्त की है।
यहां यह बात उल्लेखनीय है कि बरघाट विधानसभा का प्रतिनिधित्व भाजपा के डॉ.ढाल सिंह बिसेन जो वर्तमान में राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष हैं ने चार बार किया है। वहीं केवलारी विधानसभा का प्रतिनिधित्व लगातार चौथी बार हरवंश सिंह ठाकुर कर रहे हैं जो वर्तमान में मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हैं।

सिवनी सहित 6 एसपी पर गिर सकती है गाज!


सिवनी सहित 6 एसपी पर गिर सकती है गाज!

चुनाव आयोग नान आईपीएस को जिलों की कमान सौंपने से है खफा

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। अगर सियासी दखलंदाजी ज्यादा ना हुई तो आने वाले समय में सिवनी सहित आधा दर्जन जिलों के पुलिस अधीक्षक बदले जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को जिलों की कमान सौंपे जाने पर सख्त एतराज जताया है। चुनाव आयोग ने सरकार को निर्देश दिया है कि नान आईपीएस अफसरों को काडर पोस्ट से हटाया जाए।
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि वर्तमान में मिथलेश शुक्ला सिवनी, मनीष कपूरिया नरसिंहपुर, शशिकांत शुक्ला रायसेन, विनीत खन्ना पन्ना, तिलकसिंह अनूपपुर और राजेश हिंगणकार कटनी जिले के एसपी है, जो राज्य पुलिस सेवा के होते हुए भी इन्हें जिलों की कमान सौंपी गई है।
यहां उल्लेखनीय होगा कि सिवनी में रमन सिंह सिकरवार, राकेश जैन के बाद मिथलेश शुक्ला तीसरे पुलिस अधीक्षक हैं जो नान आईपीएस हैं। इनमें से रमन सिंह सिकरवार और राकेश जैन को सिवनी तैनाती के दौरान ही आईपीएस अवार्ड हुआ था। वैसे 18 मार्च को पदभार ग्रहण करने के महज डेढ़ माह के भीतर ही श्री शुक्ला ने गौकशी, जुआं, सट्टा और अवैध शराब बिक्री पर अंकुश लगाया है, जिसकी सर्वत्र प्रशंसा ही हो रही है।
0 सीनियर अफसर की है सिवनी में दरकार
अतिसंवेदनशील जिलों की फेहरिस्त में शामिल सिवनी जिले में सीनियर आईपीएस अफसर की दरकार है। कम से कम एक जिला करने के बाद ही सिवनी में शीर्ष अधिकारियों की पदस्थापना की जानी चाहिए, किन्तु कांग्रेस के शासनकाल से ही यहां नए अफसरों को पहला जिला सौंपने की परंपरा का आगाज किया गया था। वैसे देखा जाए तो मिथलेश शुक्ला का जबलपुर का कार्यकाल काफी हद तक सफल रहा है, साथ ही पुलिस सेवा में उनकी तैनाती दो दशक से ज्यादा यानी 22 साल की है।
0 डीपीसी में हैं दो एसपी के नाम
राज्य सचिवालय वल्लभ भवन में सामान्य प्रशासन विभाग के सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि इस साल आईपीएस के सात पदों के लिए डीपीसी होना है। इसमें सात अफसरों की लाटरी लग सकती है। सूत्रों की मानें तो इस सूची में कटनी एसपी राजेश हिंगणकर और नरसिंहपुर के मनीष कपूरिया का नाम फेहरिस्त में शामिल है।
0 चमक सकती है किस्मत बहुगुणा की
परीवीक्षा अवधि में सिवनी में अनुविभागीय अधिकारी पुलिस के पद पर पदस्थ सिद्धार्थ बहुगुणा को समय से पूर्व ही जिले की कमान मिलने की संभावनाएं जताई जा रही है। वर्ष 2010 के आईपीएस अफसरों में सिद्धार्थ बहुगुणा के अलावा आबिद खान, गौरव तिवारी, निमीष अग्रवाल, आशुतोष प्रताप, युसूफ कुरैशी, डी कल्याण वर्तमान में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर परीवीक्षा अवधि में पदस्थ हैं। इन्हें जिलों की कमान सौंपे जाने पर विचार चल रहा है। वैसे आईपीएस अफसरों की परीवीक्षा अवधि पूरी होने पर इन्हें पीएचक्यू में बतौर सहायक पुलिस महानिरीक्षक पदस्थ किया जाता रहा है।

गौर क्या सिर्फ नागोर के लिए!


गौर क्या सिर्फ नागोर के लिए!

(संजीव प्रताप सिंह)

 उत्तर प्रदेश के नागौर गांव के हैं प्रदेश के स्थानीय शासन विकास मंत्री बाबू लाल गौर। उमा भारती सत्ता से बाहर हुंईं और जब वे मुख्यमंत्री बने तब उन्हें अपने गांव की याद आई और उत्तर प्रदेश के नागौर गांव जाकर उन्होंने वहां के विकास के लिए मध्य प्रदेश का खजाना लुटा दिया। उन्हें माटी का कर्ज याद आया। नब्बे के दशक के आरंभ में सुंदर लाल पटवा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में बाबू लाल गौर ने जो चमत्कार किया वह हर किसी के बस की बात नहीं थी। गौर ने प्रदेश के अनेक जिलों की संकरी गलियों को चौड़ा कर दिया। लोग संकरी गलियों से जब गुजरते थे तो नारकीय पीड़ा भोगा करते थे, पर 1992 के बाद इन सड़कों पर दुपहिया तो छोड़िए चौपहिया वाहन फर्राटे भरने लगे।
शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद बाबू लाल गौर की यह दूसरी सिवनी यात्रा थी। इसके पहले वे बरघाट आए थे। बाबू लाल गौर की सिवनी यात्रा से सिवनी को क्या फायदा हुआ यह बात कोई भी नहीं बता सकता है। उनकी सिवनी यात्रा से बस एक दिन के लिए सिवनी शहर साफ सुथरा दिखाई दिया है। इसके अलावा और कोई दूसरा लाभ प्रत्यक्षतः तो प्रतीत नहीं होता है। बाबूलाल गौर ने सिवनी के लोगों को सब्ज बाग दिखाए। उन्होंने ना जाने कितनी सौगातें देने की बात कही है। सवाल यह उठता है कि उनके द्वारा रेवड़ी की तरह बांटी गई सौगाते क्या वास्तव में अमली जामा पहन सकेंगी।
इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव हैं। सितम्बर या अक्टूबर में आचार संहिता लग जाएगी। मई का माह समाप्त होने को है। इन परिस्थितियों में तीन माह ही बचते हैं काम करने के लिए। इसमें से जून के दूसरे सप्ताह से मानसून की दस्तक सुनाई देने लगेगी। तब बाबू लाल गौर की घोषणाओं का क्या होगा यह कहना मुश्किल है। लगता है बाबू लाल गौर भाजपा के हिडन एजेंडे पर ही काम कर रहे हैं। शहरी आबादी काफी हद तक बढ़ चुकी है और यह कम से कम एक विधानसभा के लिए निर्णायक की भूमिका अदा करती है।
बाबूलाल गौर जहां भी जा रहे हैं वहां अगर भाजपा का नगर पालिका या नगर निगम का अध्यक्ष है तो वे उसकी तारीफों में कसीदे पढ़ने से नहीं चूकते। मतलब साफ है कि नगर पालिका या नगर निगम की अर्कमण्यता का खामियाजा उस विधानसभा क्षेत्र की जनता भाजपा को ना भोगवाए। सिवनी में भी कमोबेश यही स्थिति है। सिवनी में भाजपा की नगर पालिका है। सिवनी का दुर्भाग्य है कि जिला मुख्यालय के निवासी साफ पानी पीने को तरस रहे हैं।
बाबूलाल गौर ने एक करोड़ तीन लाख रूपए की राशि एक सप्ताह यानी दस मई तक नगर पालिका सिवनी को उपलब्ध कराने की बात कही है। यक्ष प्रश्न तो यह है कि जब पीने को ही पानी नहीं मिल पा रहा है तो आखिर स्वीमिंग पूल में पानी कहां से भरा जाएगा? बाबूलाल गौर सड़क मार्ग से हरवंश सिंह ठाकुर द्वारा आहूत रामकथा सुनकर लौटे, जाहिर है उन्हें उनकी गाड़ी में बैठे नेताओं ने बायीं ओर का भीमगढ़ तालाब तो दाईं ओर श्रीवनी फिल्टर प्लांट अवश्य दिखाया होगा। दोनों को देखने और फिर लंबा रास्ता तय कर सिवनी पहुंचने के बाद क्या बाबूलाल गौर के मन में यह प्रश्न नहीं कौंधा कि आखिर 22 किलोमीटर दूर तक फिल्टर्ड पानी कैसे पहुंच रहा होगा?
इसी अवसर पर सिवनी की विधायक श्रीमति नीता पटेरिया ने अवैध कालोनियों के विकास का मामला उठाया। शायद श्रीमति पटेरिया यह भूल गई होंगी कि वह मंच इस मामले को उठाने के लिए माकूल नहीं था। सिवनी की जनता ने एक बार उन्हें देश की सबसे बड़ी पंचायत में सांसद बनाकर भेजा और अब वे सिवनी की विधायक हैं, इस नाते इस तरह की बातें उठाने का सही मंच विधानसभा ही होता है क्योंकि वहां सब कुछ रिकार्डेड रहता है। जरूरी नहीं है कि जिस मंच से उन्होंने बात उठाई वहां से उनकी बात को बाबूलाल गौर भोपाल पहुंचने के बाद तवज्जो दें।
मौका सिवनी में आयोजित प्रोग्राम का और सिवनी तथा बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सांसद के.डी.देशमुख बात करें बालाघाट की तो वाकई आश्चर्य ही होता है। क्या बाबूलाल गौर बालाघाट नहीं जाते? सांसद देशमुख की मांग पर बाबूलाल गौर ने बालाघाट जिले के कटंगी नगर परिषद के लिए 37 लाख रूपए मंजूर किए। वाकई आश्चर्यजनक बात तो यह रही कि बाबूलाल गौर की इस घोषणा पर वहां उपस्थित सिवनी जिले के भाजपा के साथ ही साथ कांग्रेस के नेता भी तालियां पीटते रहे। कम से कम कांग्रेस के पार्षदों को तो उनसे यह प्रश्न करना था कि आखिर 2008 में विधानसभा चुनावों के बाद सिवनी नगर पालिका को शासन ने क्या दिया? कम से कम सिवनी नगर पालिका परिषद के पिछले और इस कार्यकाल के कारनामों की शिकायतों पर आखिर प्रदेश शासन मौन क्यों है इस बात को उठाना था। विडम्बना ही कही जाएगी कि कांग्रेस के पार्षद भी कठपुतली के मानिंद वहां सम्मोहित होकर तालियां ही बजाते रहे।
हालात देखकर लगता है कि बाबूलाल गौर जादूगर के मानिंद आए, अपना हिडन मूल एजेंडा निपटाया, नगर पालिका के कार्यक्रम में शामिल हुए, घोषणाएं की और चलते बने। सिवनी जिले में बाबूलाल गौर ने अपनी इस यात्रा में सड़क मार्ग से जो दूरी तय की है वह सिवनी से भोपाल की दूरी से ज्यादा है, इन परिस्थितियों में क्या उन्हें सरकारी उड़न खटोले की मंहगी सवारी गांठने की दरकार थी? निश्चित तौर पर नहीं, पर कोई कर भी क्या सकता है? पक्षाघात की शिकार विपक्ष में बैठी कांग्रेस को प्रदेश से जिला स्तर तक छद्म विरोध कर ही जनता को तमाशा जो दिखा रही है।