शुक्रवार, 1 मार्च 2013

प्राथमिकताओं में शिक्षा है निचली पायदान पर!


प्राथमिकताओं में शिक्षा है निचली पायदान पर!

(लिमटी खरे)

‘‘गुरू गोबिंद दोउ खड़े, काके लागू पाय, बलिहारी गुरू आपकी गोविंद दियो बताए‘‘। यह सुप्रसिद्ध दोहा आज के हुक्मरानों की समझ से परे ही नजर आ रहा है। इस साल के बजट में भी पलनिअप्पम चिदम्बरम की बाजीगरी साफ दिखाई पड़ रही है। चिदम्बरम के बजट में यह बात लोगों को लुभा सकती है कि शिक्षा मंत्रालय के लिए सरकार ने लगभग एक लाख करोड़ रूपए का प्रावधान किया है, जबकि यह भारत गणराज्य की वर्तमान शैक्षणिक जरूरतों के हिसाब से उंट के मुंह में जीरा ही है। इसका कारण कुल बजट आवंटन का पंद्रह से बीस फीसदी ही असल काम में खर्च हो पाना है। सरकार शिक्षा के अधिकार कानून का ही अनुपालन सुनिश्चित नहीं कर पा रही है, और साथ ही साथ सरकार का मानव संसाधन विभाग भी शिक्षा को लेकर प्रयोग पर प्रयोग करने आमदा नजर आ रहा है।

शिक्षा से ही अच्छे संस्कार और अच्छे संस्कारों से ही अच्छे राष्ट्र का निर्माण हो सकता है। भारत गणराज्य की स्थापना के साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय के जिम्मे आधुनिक भारत को गढ़ने के लिए शिक्षा प्रणाली को निर्धारित करने की जवाबदेही सौंपी गई थी। भारत गणराज्य में शिक्षा को लेकर नित नए प्रयोग होते रहे हैं। याद पड़ता है कि कभी मानव संसाधन मंत्री रहे कुंवर अर्जुन सिंह ने एचआरडी की बागडोर संभालते ही शिक्षा में व्याप्त हिंसा को दूर करने की बात कही तो मुरली मनोहर जोशी के मानव संसाधन मंत्री बनते ही शिक्षा के भगवाकरण के आरोप लगने लगे।
आम जनता विशेषकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के लिए यह बात सुकून दायक हो सकती है कि वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने देश के आम बजट में शिक्षा मंत्रालय के लिए एक लाख करोड़ रूपए से भी ज्यादा का प्रावधान किया है। देखा जाए तो यह 12वींपंचवर्षीय योजना में शैक्षणिक जरूरतों के हिसाब से बेहद कम ही है। शिक्षा के लिए आवंटित कुल राशि में से 65867 करोड़ रुपये विकासात्मक कार्यों के लिए हैं। इसमें सबसे ज्यादा धनराशि स्कूली शिक्षा विशेष रूप से आरटीई के तहत स्कूलों के विस्तार, शिक्षकों की भर्ती एवं वेतन तथा मिड डे मील पर खर्च की जाएगी।
इसी तरह उच्च शिक्षा के लिए कुल 16198 करोड़ दिए गए। इस धनराशि से देश के पांच सौ से अधिक विश्वविद्यालय तथा हजारों की संख्या में महाविद्यालयों के विकास की बात सोचना भी बेमानी है। वहीं केंद्र की सबसे चर्चित आरटीई योजना के लिए चालू वर्ष में कुल 25 हजार करोड़ मिले थे किंतु बाद में दो हजार करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई। इस साल आरटीई मद में 27000 करोड़ का प्रस्ताव है। अप्रैल 2013 से देश में आरटीई कानून लागू हो जाएगा। देश के तमाम राज्यों में अभी तक स्कूली ढांचा भी पूरी तरह खड़ा नहीं हो सका है।
विशेषज्ञों की मानें तो बजट का यही हाल रहा तो आरटीई का लक्ष्य पूरा करने में अभी पांच साल और लगेंगे। माध्यमिक शिक्षा अभियान के लिए इस बार बजट में कुछ वृद्धि की गई है लेकिन बढ़ती जरूरतों के लिए और अधिक बजट एवं प्रयासों की आवश्यकता होगी। उच्च शिक्षा के लिए कुल 16210 करोड़ इसमें से सात हजार करोड़ विश्वविद्यालयों को अनुदान के मद में, छात्रों को वित्तीय मदद के रूप में 1200 करोड़ तथा तकनीकी शिक्षा के लिए 7229 करोड़ रुपये का प्रावधान है। बजट में सूचना, संचार एवं तकनीकी के जरिए शिक्षा को बढ़ावा देने लिए 400 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। यदि शिक्षा के विकास के पांच साल के आंकड़े को देखें तो यह धनराशि बहुत कम है।
अक्सर देखा गया है कि देश में जब भी किसी भी चुनाव की रणभेरी बजती है, वैसे ही राजनैतिक दल अपने अपने एजेंडे सेट करने में लग जाते हैं। कोई मंहगाई को तो कोई बेरोजगारी को टारगेट करता है। देश के अंतिम छोर के व्यक्ति की पूछ परख के लिए घोषणापत्र तैयार किए जाते हैं। मतदाताओं को लुभाने के उपरांत इन मेनीफेस्टो को खोमचे वालों को बेच दिया जाता है।
पिछले कई सालों से तैयार हो रहे मेनीफेस्टो में एक बात खुलकर सामने आई है कि चाहे आधी सदी से अधिक राज करने वाली कांग्रेस हो या दो सीटों के सहारे आगे बढ़कर देश की सबसे बड़ी पंचायत पर कब्जा करने वाली भारतीय जनता पार्टी, किसी भी राजनैतिक दल ने अपने घोषणा पत्र में स्कूली बच्चों के लिए कुछ भी खास नहीं रखा है। यूपीए वन एवं टू के मेनीफेस्टो को अगर उठाकर देखा जाए तो उनके घोषणापत्र में शिक्षा को लेकर बढ़ा चढ़ाकर बातें की गईं थीं किन्तु जब अमली जामा पहनाने की बारी आई तो नेताओं ने किनारा ही कर लिया।
कितने आश्चर्य की बात है कि देश के नौनिहाल जब अट्ठारह की उमर को पाते हैं, तो उनके मत की भी इन्हीं राजनेताओं को बुरी तरह दरकार होती है, किन्तु धूल में अटा बचपन सहलाने की फुर्सत किसी भी राजनेता को नहीं है। हमें यह कहने में किसी तरह का संकोच अनुभव नहीं हो रहा है कि चूंकि इन बच्चों को वोट देने का अधिकार नहीं है, अतः राजनेताओं ने इन पर नजरें इनायत करना मुनासिब नहीं समझा है।
इस तरह की राजनैतिक आपराधिक अनदेखी के चलते देश भर के स्कूल प्रशासन ने भी बच्चों की सुरक्षा के इंतजामात से अपने हाथ खींच रखे हैं। हर एक निजी स्कूल में ढांचागत विकास के नाम पर बिल्डिंग, लाईब्रेरी, गेम्स, कंप्यूटर, सोशल एक्टीविटीज आदि न जाने कितनी मदों में मोटी फीस वसूली जाती है। एक तरफ शासन प्रशासन जहां ध्रतराष्ट्र की भूमिका में है तो स्कूल प्रशासन दुर्दांत अपराधी दाउद की भूमिका में अविभावकांे से फीस के नाम पर चौथ वसूल कर रहा है। देश के स्कूलों का अगर सर्वे करवा लिया जाए तो पंचानवे फीसदी स्कूलों में अग्निशमन के उपाय नदारत ही मिलेंगे।
याद पड़ता है, सत्तर के दशक के पूर्वार्ध तक प्रत्येक शाला में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाता था। हर बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण करवाना शाला प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी हुआ करता था। शिक्षक भी इस पुनीत कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया करते थे। उस वक्त चूंकि हर जिले में पदस्थ जिलाधिकारी (डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट) व्यक्तिगत रूचि लेकर इस तरह के शिविर लगाना सुनिश्चित किया करते थे। आज इस तरह के स्कूल निश्चित तौर पर अपवाद स्वरूप ही अस्तित्व में होंगे जहां विद्यार्थियों के बीमार पड़ने पर समुचित प्राथमिक चिकित्सा मुहैया हो सके।
कितने आश्चर्य की बात है कि आज जो शिक्षक अपना आधा सा दिन अपनी कक्षा के बच्चों के साथ बिता देते हैं, उन्हें अपने छात्र की बीमारी या तासीर के बारे में भी पता नहीं होता। मतलब साफ है, आज के युग में शिक्षक व्यवसायिक होते जा रहे हैं। आज कितने एसे स्कूल हैं, जिन में पढ़ने वालों की बीमारी से संबंधित रिकार्ड रखा जा रहा होगा?
स्कूल में दाखिले के दौरान तो पालकों को आकर्षित करने की गरज से शाला प्रबंधन द्वारा लंबे चौड़े फार्म भरवाए जाते हैं, जिनमें ब्लड गु्रप से लेकर आई साईट और न जाने क्या क्या जानकारियों का समावेश रहता है। सवाल इस बात का है कि इस रिकार्ड को क्या अपडेट रखा जाता है? जाहिर है इसका उत्तर नकारात्मक ही मिलेगा।
दरअसल हमारा तंत्र चाहे वह सरकारी हो या मंहगे अथवा मध्यम या सस्ते स्कूल सभी संवेदनहीन हो चुके हैं। मोटी फीस वसूलना इन स्कूलों का प्रमुख शगल बनकर रह गया है। आज तो हर मोड पर एक नर्सरी से प्राथमिक स्कूल खुला मिल जाता है। कुछ केंद्रीय विद्यालयों में तो प्राचार्यों की तानाशाही के चलते बच्चे मुख्य द्वार से लगभग आधा किलोमीटर दूर तक दस किलो का बस्ता लादकर पैदल चलते जाते हैं, क्योंकि प्राचार्यों को परिसर में आटो या रिक्शे का आना पसंद नहीं है। अगर देखा जाए तो देश का कमोबेश हर स्कूल मानवाधिकार का सीधा सीधा उल्लंघन करता पाया जाएगा। आज जरूरत इस बात की है कि देश के भाग्यविधाता राजनेताओं को इस ओर देखने की महती आवश्यक्ता है, क्योंकि उनके वारिसान भी इन्हीं में से किसी स्कूल में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर रहे होंगे या करने वाले होंगे। (साई फीचर्स)

कभी भी बंद हो सकती है छिंदवाड़ा नैनपुर ट्रेन!


0 सिवनी से नहीं चल पाएगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 11

कभी भी बंद हो सकती है छिंदवाड़ा नैनपुर ट्रेन!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। सिवनी वासियों के लिए यह खबर दर्दनाक हो सकती है कि लगभग 110 साल पुरानी छिंदवाड़ा से बरास्ता सिवनी, नैनपुर छुक छुक गाड़ी को कभी भी बंद किया जा सकता है। इसका कारण इस रेल खण्ड पर माल ढुलाई का ना होना है। अमूमन रेल को जो आय होती है वह माल ढुलाई से ही होती है, सालों से छिंदवाड़ा नैनपुर रेलखण्ड पर माल ढुलाई नहीं हो रही है, जिससे यह रेल खण्ड घाटे में जाकर रेल मंत्रालय के लिए सफेद हाथी बना हुआ है।
रेल मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भारत जब आजाद हुआ था तब रेल द्वारा माल ढुलाई 90 फीसदी से अधिक हुआ करती थी। अब यह माल ढुलाई तीस प्रतिशत से भी कम बची है। शेष 70 फीसदी माल ढुलाई अब सड़क परिहन के भरोसे ही है। रेल माल ढुलाई में कमी का सबसे बड़ा कारण यात्री रेल सुविधाएं एवं कारीडोर का अभाव ही माना जा रहा है।
इस तरह रेल्वे का मुख्य आय का स्त्रोत माल ढुलाई सिकुड रहा हैै। यही कारण है कि देश में माल ढुलाई के कारीडोर में इजाफे के साथ ही साथ रेल्वे द्वारा हर यात्री रेल में अलग से कमोबेश चार चार डिब्बे लगाए जा रहे हैं, जिससे रेल्वे की आय में इजाफा हो सके। अगर रेल्वे को माल ढुलाई से आय कम होती गई तो भारतीय रेल की अर्थव्यवस्था चरमराने में समय नहीं लगेगा।
देखा जाए तो सार्वजनिक परिवहन एक सामाजिक जिम्मेदारी है ना कि लाभ कमाने का जरिया। इस बात को आजाद भारत में रेल मंत्री रहे बिहार के सांसद डॉ.राम सुभग सिंह ने 1977 - 1967 के रेल बजट में साफ किया था। बाद में बिहार के ही सांसद रहे रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने स्वयंभू प्रबंधन गुरू बनकर इसे सामाजिक जिम्मेदारी से ज्यादा लाभ का जरिया बनाने का हर संभव प्रयास किया था।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि रेल्वे बोर्ड द्वारा उन रेल खण्डों को चिन्हित करने का प्रयास किया जा रहा है जिन रेल खण्डों में माल ढुलाई शून्य है। इनमें नैनपुर छिंदवाड़ा का नेरोगेज रेल खण्ड सबसे उपर ही आ रहा है। इन परिस्थितयों में जब इस रेल खण्ड में माल गाड़ी का संचालन सालों से बंद है और इसके अमान परिवर्तन का काम मंथर गति से चल रहा है तो आने वाले समय में इस रेलखण्ड पर रेल का संचालन बंद कर दिया जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
(क्रमशः जारी)

समयसीमा में बिजली उत्पादन आरंभ नही कर सकते गौतम थापर!


0 रिजर्व फारेस्ट में कैसे बन रहा पावर प्लांट . . . 11

समयसीमा में बिजली उत्पादन आरंभ नही कर सकते गौतम थापर!

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के बरेला में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा डाले जा रहे 1260 मेगावाट के पावर प्लांट में नई मुसीबतें आरंभ हो गई हैं। मध्य प्रदेश सरकार के साथ किए करार में इस पावर प्लांट को विद्युत उत्पादन की समय सीमा अब समाप्त होने जा रही है और बिजली उत्पादन तो छोड़िए यहां काम पूरा भी नहीं हो सका है।
मध्य प्रदेश सरकार के उर्जा मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड और मध्य प्रदेश सरकार के बीच हुए करार के तहत इस इकाई द्वारा मार्च 2013 से बिजली का उत्पादन आरंभ कर दिया जाना चाहिए। मार्च का महीना आरंभ हो चुका है और संयंत्र में अभी निर्माण काम मंथर गति से ही चल रहा है, जिससे उम्मीद जताई जा रही हे कि कम से कम इस माह तो बिजली का उत्पादन आरंभ हो ही नहीं सकता है।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2009 से इसकी स्थापना के पहले दिन से ही यह संयंत्र विवादों के दायरे में रहा है। आरंभ में लोकसुनवाई के पहले और उसके बाद यहां मजदूरों और संयंत्र प्रबंधन के बीच समन्वय का अभाव साफ दिखाई पड़ता रहा है। दिल्ली में बैठे संयंत्र के असली डायरेक्टर्स को जमीनी हकीकत कुछ और ही दर्शाई गई जबकि वास्तव में यहां की स्थितियों उत्तर प्रदेश के भट्टा परसौला से भिन्न कतई नहीं थीं।
संयंत्र के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि महाकौशल के कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के ठेकेदार नुमा नेता क्षत्रपों ने इस संयंत्र में निर्माण के काम में अपना एकाधिकार जमा लिया है। यही कारण है कि स्थानीय स्तर पर आदिवासियों के विरोध का बुरी तरह सामना कर रहा है यह संयंत्र। इस संयंत्र में मजदूरों द्वारा जब तब हड़ताल की जाकर संयंत्र के निर्माण में अवरोध खड़ा कर दिया जाता है जिससे दिल्ली में बैठा प्रबंधन अनजान ही रहता है।
(क्रमशः जारी)

फिर चर्चाओं में जनसंपर्क


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 66

फिर चर्चाओं में जनसंपर्क

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग एक बार फिर सुर्खियों में छा गया है। मध्य प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार को लेकर सरकार द्वारा जारी किए गए विज्ञापनों पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। साथ ही नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कहा है कि विज्ञापन हकीकत से दूर है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ दिन पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि पिछले 10 दिनों में महिलाओं पर सामूहिक ज्यादती की पांच घटनाएं हुईं। लाडली लक्ष्मीऔर बेटी बचाओअभियान सिर्फ विज्ञापनों और कागजों पर चलाने से महिलाओं की रक्षा नहीं हो सकती। सिंह ने कहा कि नेशनल क्राइम ब्यूरो ने महिला ज्यादती में मध्य प्रदेश को नम्बर एक बताया है और जो आंकड़े दिए हैं, वे बीजेपी सरकार की महिलाओं के प्रति संवेदनहीनता की कलई खोलता है।
उन्होंने कहा है कि विज्ञापन के आधार पर मुख्यमंत्री रोज घाटित हो रही घटनाओं की असलियत नहीं छुपा सकते। जिन लड़कियों के साथ ज्यादती हुई है, उसके लिए सरकार सीधे जिम्मेदार है क्योंकि वह शासन-प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त बनाने के बजाय उत्सव मनाने और अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त रहती है।
उन्होंने कहा कि जिस समय शिवराज सरकार अखबारों में आधे पेज के विज्ञापन प्रकाशित कर गर्व महसूस कर रही थी कि महिला ज्यादतियां प्रदेश में कम हुई हैं, उसी सप्ताह राजधानी सहित ग्वालियर और दतिया में महिलाएं और नाबालिग बालिकाएं सामूहिक हिंसा की शिकार हो रही थीं।

जम्‍मू : जेएण्डके में स्थिति सुधार पर


जेएण्डके में स्थिति सुधार पर

(विनोद नेगी)

जम्मू (साई)। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने कहा है कि राज्य में पिछले कुछ वर्षों में स्थिति में सुधार को देखते हुए सुरक्षाबलों की संख्या में धीरे-धीरे कमी लाई जा रही है। सामान्य स्थिति बहाल होने के साथ ही राज्य फिर से विकास के रास्ते पर लौट रहा है।
उन्होंने कहा गत दो वर्षों में राज्य में हिंसात्मक घटनाओं में तेजी से कमी आई है। मानव अधिकारों के संदर्भ में श्री वोहरा का कहना था कि सरकार इस विषय में पूरी तरह से गंभीर है और राज्य सरकार लोगों की अपेक्षाओं पर खरी उतरी है और समाज के सभी वर्गों को शांति बहाली से लाभ पहुंचा है। राज्यपाल का कहना था कि घाटी में सामान्य के साथ गत दो वर्षें में जम्मू कश्मीर में विदेशी एवं स्वदेशी रिकार्ड तोड़ संख्या में जहां आए हैं।

सात नए शहर बसाने का प्रस्ताव


सात नए शहर बसाने का प्रस्ताव

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। नगरीकरण की समस्या से निपटने के लिए महानगरों एवं अन्य शहरों के आसपास नई आबादियों को विकसित करने की केंद्र सरकार ने योजना बनाई है। वित्त मंत्री पलनिअप्पम चदंबरम ने अपने बजट अभिभाषण के दौरान कहा कि दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआइसी) परियोजना पर काम तेजी से चल रहा है।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना में सात नये शहर बसाये जायेंगे। इसके साथ ही गुजरात का धौलेरा और महाराष्ट्र का शेंद्रा बिदकिन, स्मार्ट इंडस्ट्रियल सिटी बनाया जायेगा, जिस पर अगले वित्तीय वर्ष में काम शुरू होगा।
इसके लिए जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार अतिरिक्त फंड मुहैया करायेगी। इसके अलावा, डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी ऐंड प्रोमोशन (डीआइपीपी) और जापान इंटरनैशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जेआइसीए) साथ मिल कर चेन्नई-बेंगलुरु इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए एक सघन योजना पर काम कर रहे हैं। इसके क्रियान्वयन में तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की सरकारों का सहयोग लिया जायेगा। वित्त मंत्री ने बताया कि इसके बाद बेंगलुरु-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पर काम शुरू किया जायेगा।

सिवनी : कौन हैं कैंसर के संवाहक दलाल!


कौन हैं कैंसर के संवाहक दलाल!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल 2012 से तंबाकू के गुटखा पाउच की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध वास्तव में कैंसर रोधी टीके की तरह है, लेकिन इस टीके को लगाने में काफी देर हो चुकी है। प्रदेश के साथ ही साथ सिवनी जिले में तम्बाकू गुटखा के पाउच की बिक्री और उत्पादन पर लगे प्रतिबंध के बाद इनका बाजार और भी गर्म हो गया है, जो पाउच सामान्यतः एक रूपए में बिका करते थे वे अब ढ़ाई से तीन रूपए में बिकने लगे।
इस तरह अन्य पाउच की कीमत में भी लगभग दोगुनी वृद्धि हो गई। दुकानदारों के अलावा उपभोक्ताओं ने भी इसे अधिक मात्रा में लेकर रख लिया। दुकानदार ब्लैक में बेच मुनाफा कमाना चाह रहे हैं तो इसके शौकीन कुछ और दिन की जुगाड़ जमा रहे हैं। वहीं नगर में गत दिवस राजश्री से भरा एक बोरा भी पकड़ाया था, किंतु इस मामले के बाद भी खाद्य एवं औषधि विभाग ने दुकानों में जांच शुरू नहीं की है।
बाजार में माल की कमी का फायदा दुकानदार इसके शौकिनों से मोटी राशि वसूलकर उठा रहे हैं। नाम न बताने की शर्त पर सिवनी के एक व्यापारी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इसकी कीमत में करीब दोगुना वृद्धि हुई है। 1 रूपए वाला पाउच दो से ढ़ाई, 2 रूपए वाला पाउच 3 से 4 और 5 रूपए वाला पाउच 7 से 10 रूपए में बिकने लगा है।
तम्बाकू गुटखा पाउच विक्रेता बताते हैं कि कई लोगों ने पहले ही अधिक मात्रा में पाउच ले लिए हैं। वहीं कई व्यापारियों ने नियमों के डर से खुद ही इसकी बिक्री बंद कर दी। कुछ ग्राहक ऐसे भी आए जो ब्लैक में इसे लेने की बात कह रहते हैं। पर माल नहीं होने से बिक्री कैसे की जाए।शिवराज सिंह चौहान सरकार ने तम्बाकू युक्त गुटखों के उत्पादन और बिक्री पर कुछ माह पूर्व पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंध से भले ही इस प्रदेश में गुटखों का उत्पादन बंद हो गया हो, लेकिन बिक्री पर अभी भी रोक नहीं लग पाई है और न जाने कहां से ये गुटखा पाऊच आ रहे है?
एक दर्जन गुटखा उत्पादों की थोक और फुटकर बिक्री छोटी,बड़ी दुकानों से सरेआम हो रही है और इनमें कुछ ऐसे उत्पाद भी हैं जिनमें पंजीयन तिथि और संख्या का उल्लेख नहीं है। हां, वैधानिक चेतावनी तम्बाकू जानलेवा है जरूर अंकित है। पाउच पर मूल्य एक रुपया दर्ज है, पर दुकानदार इसे कुछ शेष स्थानों पर दो रुपये में तो कुछ स्थानों पर तीन रुपये में भी बेच रहे हैं।
बताया जाता है कि गत दिवस एक पुलिसकर्मी जो कि होमगार्ड के सिपाही हैं और ये कई वर्षाे से सिवनी थाने में पदस्थ हैं, उन्होंने उक्त राजश्री के बोरे को पकड़कर अपने सेंट्रल स्कॉड के मित्रों को इसकी जानकारी दी। तत्पश्चात सेटं्रल स्कॉड के लोग वहां पहुंचे और यह कहते हुए पाये गये कि यह माल अपना है, जाने दो. . . लेकिन बताया जाता है कि इसकी जानकारी किसी ने दूरभाष द्वारा जिला पुलिस अधीक्षक को दे दी और पूरा मामला सेटिंग की जगह थाने पहुंच गया। यदि दूरभाष पर एसपी साहब को सूचना न दी जाती तो हर बार की तरह इस बार भी यह राजश्री का बोरा पूरी सेटिंग के साथ बाजार में उतर जाता। 

रायपुर : हवा में उछली गाय महिला पर गिरी!


हवा में उछली गाय महिला पर गिरी!

(आंचल झा)

रायपुर (साई)। छत्तीगढ़ के जिला मुख्यालय राजनांदगांव से 10 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 6 मुम्बई-कोलकाता हाईवे पर एक तेज रफ्तार कार ने गाय को ठोकर मारी जिससे गाय उछलकर सर्विस एक फैक्टरी से घर जा रही महिला पर गिरी जिससे की उसकी दर्दनाक मौत हो गई।
घटना इस प्रकार है कि राजनांदगांव सीएसपी दीपमाला कश्यप ने बताया कि तुमडीबोड के पास तेज रफ्तार में जा रही गुजरात की एक कार क्रमांक जीजे 22 ए 2132 ने हाईवे पर चल रही एक भारी भरकम गाय को ठोकर मारी और गाय उछलकर हाईवे के समीप सर्विस रोड पर एक महिला पुनिया बाई (22) पर गिर पडी।

जबलपुर : पाण्डे जी की सीटी पर संकट के बादल


पाण्डे जी की सीटी पर संकट के बादल

(सुरेंद्र जायस्वाल)

जबलपुर (साई)। दबंग टू में पाण्डे जी की सीटी गाने के बोल सलमान खान के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने दबंग-2 के लोकप्रिय गाने पांडे जी बजाएं सीटीको चुनौती देने वाली यचिका का निराकरण इस निर्देश के साथ किया है कि याचिकाकर्ता सेंसर बोर्ड के समक्ष अपनी आपत्ति प्रस्तुत करे।
रीवा निवासी रमेश प्रसाद पांडे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि दबंग-2 फिल्म के एक गाने के बोल पांडे जी बजाएं सीटीहैं, जिससे पांडे उपनाम के लोगों की भावना आहत हो रही है। याचिका में कहा गया कि देश के प्रथम क्रांतिकारी के रूप में मंगल पांडे को जाना जाता है। इसके अलावा इस उपनाम के कई व्यक्ति देश के लिए गौरव हैं।
याचिका में फिल्म अभिनेता सलमान खान, निर्देशक अरबाज खान व केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रलय को पक्ष बनाया गया था। याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोवडे एवं संजय यादव की युगलपीठ को बताया कि याचिकाकर्ता की तरफ से सेंसर बोर्ड में कोई आपत्ति दायर नहीं की गयी है। उन्हें गाने के बोल से आपत्ति है तो पहले सेंसर बोर्ड के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत करनी चाहिए थी जबकि उन्होंने सीधे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

राज्यपाल ने ’’सारा गवर्नर्स गोल्फ कप’’का अनावरण किया


राज्यपाल ने ’’सारा गवर्नर्स गोल्फ कप’’का अनावरण किया

(अर्जुन कुमार)

देहरादून (साई)। उत्तराखण्ड के राज्यपाल डॉ0 अज़ीज़ कुरैशी ने अपरान्ह में राजभवन में ’’सारा गवर्नर्स गोल्फ कप’’ टूर्नामेंट के विजेता को दी जाने वाली ट्रॉफीका अनावरण किया। राज्यपाल की पहल तथा ले0 जनरल मानवेन्द्र सिंह के सुझाव पर सारा ग्रुप के सहयोग से यह टूर्नामेंट 02 और 03 मार्च, 2013 को देहरादून में आयोजित किया जा रहा है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा- ’’मेरी इच्छा है कि राज्य के उन सभी सामान्य वर्ग के प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों को इस खेल में प्रतिभाग करने का अवसर मिले जिनकी इसमें रूचि है। मैं इस मिथक को भी तोड़ना चाहता हूँ कि यह केवल अमीर वर्ग का खेल है इसे हर वर्ग में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से इस टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है।’’
टूर्नामेंट का शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री विजय बहुगुणा द्वारा 02 मार्च को किया जाएगा। 03 मार्च को विजेताओं के पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल होंगे। सारा ग्रुप ऑफ इण्डस्ट्रीज तथा फ्राइमा (थ्त्प्ड।) गोल्फ कोर्स द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किये जा रहे इस दो दिवसीय टूर्नामेंट में देहरादून रानीखेत, रूड़की तथा नैनीताल से आये लगभग 120 गोल्फ खेल के शौकीन प्रतिभाग करेंगे।
सारा ग्रुप ऑफ इन्डस्ट्रीज के सौजन्य से तैयार सिल्वर गोल्फ कपके अनावरण के अवसर पर आई0एम0ए0 के कमाण्डेन्ट ले0 जनरल मानवेन्द्र सिंह तथा उनकी धमपत्नी, कर्नल विक्रम नेगी, सारा ग्रुप से श्रीमती राकेश धवन, श्री समीर धवन, श्री सुमित धवन तथा राजीव नागिया उपस्थित थे।

कैथल : शादी के बाद की पत्नि की हत्या


शादी के बाद की पत्नि की हत्या

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। नवविवाहिता के हाथों की मेंहदी नहीं सुखी थी, आखों में उज्जवल भविष्य तथा सुखमय दाम्पत्य जीवन के हजारों सपने संजोए हुए दुल्हन ससुराल आई। पति द्वारा कार की मांग को लेकर उसे तंग किया जाने लगा तो उसके सपने बिखर गये तथा शादी के एक सप्ताह मध्य ही उसे चिता नसीब हुई।
जिला व सत्र न्यायधीश कैथल श्री डी.एस. श्योराण की अदालत ने आज इस मामले में मृतका के पति को आजीवन कारावास की कठोर सजा दी है। मृतका के पिता ने आरोप लगाया था कि उसके दामाद के, किसी के साथ नाजायज संबद्ध होने व कार की मांग पुरी नहीं होने की रंजिशन उसकी पुत्री की शादी के एक सप्ताह बाद ही हत्या कर दी गई।
पंजाब के जिला पटियाला अंतर्गत गांव कुलाश वासी खुशवंत ङ्क्षसह ने अपनी पुत्री अमनदीप कौर की शादी 29 जनवरी 2011 को गुरप्रीत ङ्क्षसह वासी लालपुर के साथ की थी, जिसमे हैसियत से बढ़चढ़ कर पैसा लगाया गया। कुछ समय बाद ही विवाहिता से दहेज में कार लाने की मांग करते हुए उसे तंग किया जाने लगा।
6 फरवरी को अमनदीप की मौत होने पर मृतका के पिता खुखवंत ङ्क्षसह के ब्यान पर थाना गुहला में भादसं। की धारा 304 बी अंतर्गत मामला दर्ज किया गया। पुलिस प्रवक्ता रोशन लाल खटकड़ ने बताया मामले की जांच एसएचओ गुहला सबइंस्पेक्टर प्रीतपाल ङ्क्षसह ने करते हुए आरोपी गुरप्रीत 14 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया, तथा ठोस सुबुत जुटाने उपरांत 10 मार्च को अभियोग न्यायालय के सुपर्द कर दिया। जिला व सत्र न्यायालय कैथल के विद्वान न्यायधीश श्री डी।एस। श्योराण की अदालत ने आज दोषी गुरप्रीत ङ्क्षसह को आजीवन कारावास का सजायाब किया है।

मेरठ : शतायु बैठे धरने पर


शतायु बैठे धरने पर

(सचिन धीमान)

मेरठ (साई)। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन का अधिकार धरना दिन प्रतिदिन जोर पकडता जा रहा है। मांगों को लेकर चल रहे इस आंदोलन में जहां युवा किसान बढ चढकर हिस्सा ले रहे है वहीं दूसरी ओर सौ वर्ष से भी अधिक आयु के सैंकडों से ज्यादा वृद्ध धरने को सफल बनाने में जुटे हुए है। वहीं दूसरी ओर फौज से रिटायर्ड एक 102 वर्षीय वृद्ध हवलदार ने आंदोलन चलने तक ठंड इस के मौसम में ही धरना स्थल पर ही रहने का ऐलान करते हुए मांगे पूरी न होने पर धरना स्थल पर ही अपना बलिदान देने की घोषणा कर दी।
उल्लेखनीय है कि विगत मंगलवार से मेरठ कमीशनरी पार्क में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक सरदार वीएम सिंह के नेतृत्व में बकाया गन्ना मूल्य एवं वर्ष 2009-10 व 2010-11 व 2011-12 तक का ब्याज 15 फीसदी ब्याज तथा अन्य मांगों के समर्थन में अधिकार धरना चल रहा है। किसानों के आंदोलन के तीसरे दिन कमीशनरी मैदान युवा किसानों सहित सैंकडों से ज्यादा वृद्ध किसानों की टोपियों व पगडियों से भरा दिखाई दे रहा है। वृद्ध किसान भी अपनी मांगों को लेकर मांगे पूरी न हाने तक कमीशनरी मैदान न छोडने पर डट गये है। वहीं किसानों को सम्बोधित करते हुए जनपद हापुड का रहने वाला 102 वर्षीय चौ। रूमाल सिंह वर्ष 1950 में फौज से हवलदार के पद से रिटायर्ड होने के बाद किसानों की आवाज उठाने के लिए आंदोलन में कूद पडा था। अब तक रूमाल सिंह विभिन्न आंदोलनों में 25 बार जेल जा चुका है। अधिकार धरने पर भी किसानों के आंदोलन को सफल बनाने में कमीशनरी पार्क में पहुंच गया। रूमाल सिंह ने कहा कि जब तक सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं करती तब तक वह धरना स्थल पर ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की मांग पूरी नहीं करती और कोर्ट के आदेश को लागू नहीं कराती तो वह किसानों के इस आंदोलन मेे कमीशनरी पार्क में ही अपना बलिदान दे देंगे। चौ। रूमाल सिंह की इस घोषणा के बाद धरना स्थल पर मौजूद सैंकडों सौ वर्ष से अधिक आयु के वृद्धों ने धरना स्थल पर इस बात को दोहराया और कहा कि वह किसानों की मांगे पूरी होने पर अपना बलियान दे देंगे। धरने पर 104 वर्ष के वृद्ध भी पहुंच रहे है।

जमशेदपुर : जर्नी विद साई का शुभारम्भ


जर्नी विद साई का शुभारम्भ

(एस.के.शर्मा)

जमशेदपुर (साई)। श्री सत्य साई सेवा आर्गनाइजेशन के तत्वावधान में तुलसी भवन बिष्टुपुर में श्री सत्य साई की जीवनी, उनके संदेशों और उनके द्वारा जनकल्याण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों-योजनाओं की प्रदर्शनी जर्नी विद साई का शुभारंभ हुआ। मुख्य अतिथि पूर्व उप मुख्यमंत्री सुधीर महतो ने किया। उन्होंने आर्गनाइजेशन के द्वारा किए जा रहे सेवा कार्याे की जमकर तारीफ की। विशिष्ट अतिथि के रूप में झामुमो नेता मोहन कर्मकार, राजू गिरि व शिरडी साई संस्थान के अनूप रंजन आदि मौजूद थे।
प्रदर्शनी में श्री सत्य साई की जीवनी, उनके संदोशों के साथ ही अर्गनाइजेशन द्वारा आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्ती व बेंग्लोर चलाए जा रहे अस्पताल की सेवाएं, स्कूल-कॉलेजों में दी जा रही निश्शुल्क शिक्षा और आंध्र प्रदेश के ही आनंदपुर जिले में 700 करोड़ रुपये की लागत से संचालित वाटर प्रोजेक्ट, जिससे लगभग 700 गांवों को पानी की आपूर्ति की जा रही है, को विस्तार से प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी 27 व 28 फरवरी को सुबह 10 से रात नौ बजे तक आम जनमानस के लिए खुली रहेगी। 28 फरवरी को रात नौ बजे इसका समापन होगा। उद्घाटन समारोह में अर्गनाइजेशन के बिहार-झारखंड के अध्यक्ष अनिल मारवाह, सुजीत झा, कृष्ण मोहन व जिलाध्यक्ष सरोज कुमार चौधरी आदि मौजूद थे।