मंगलवार, 29 जनवरी 2013

बुनकरों के हाथ काटने की तैयारी में कांग्रेस


बुनकरों के हाथ काटने की तैयारी में कांग्रेस

(लिमटी खरे)

हाथकरघा यह नाम आज की युवा पीढ़ी को शायद ही पता हो, इसका कारण यह है कि पिछले लगभग दो ढाई दशकों में हाथकरघे की खट खट ध्वनि उन्होंने ना सुनी हो। एक समय था जब हर शहर में मोहल्लों मोहल्लों में खट खट खट खट की आवाजें दिन रात निर्बाध रूप से आती थीं। यह हाथकरघा की ध्वनि थी जो कपड़ा बुनती थी। बुनकर बंधुओं की आजीविका का साधन था हाथकरघा। कालांतर में जैसे जैसे विज्ञान का विकास हुआ हाथ करघा की ध्वनि गायब होती गई। इसके बाद उन्नत हाथकरघे आए पर अब तो गजब ही होने वाला है। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार ने अब हाथ करघों को सौर उर्जा से चलाने का जतन आरंभ किया है। नेहरू के साथ गांधी नाम का उपयोग और उपभोग करने वाली कांग्रेस के निशाने पर अब गांधी ही हैं, वर्तमान गांधी नहीं वरन महात्मा गांधी।

पता नहीं क्यों सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के गौरवशाली शालका पुरूष रहे राष्ट्रपिता महत्मा गांधी कांग्रेस के नए निजामों के निशाने पर हैं? पहले गांधी जयंती पर केंद्र सरकार द्वारा खादी को प्रोत्साहित करने वाली 20 फीसदी की छूट को समाप्त कर दिया अब आजादी की लड़ाई में चरखा चलाकर स्वदेशी का संदेश देने के कार्यक्रम पर कांग्रेस की नजर लग गई है। आने वाले समय में बुनकरों के द्वारा चलाए जाने वाला चरखा सौर उर्जा या बिजली से चलाया जाएगा।
कांग्रेस के नए निजाम चरखे के स्वरूप और चरित्र को ही बदलने का ताना बाना बुन रहे हैं जो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के शब्दों में ‘‘आजादी का बाना‘‘ था। गौरतलब होगा कि महत्मा गांधी ने अहिंसा आंदोलन में खादी और चरखे को रचनात्मकता के साथ स्वराज आंदोलन का एक प्रतीक बनाया था। बापू ने उस समय देश के लगभग तीस हजार गांव के 20 लाख बुनकरों को एक सूत्र में पिरोकर आजादी की अहिंसक लड़ाई के लिए प्रोत्साहित किया था।
हालात देखकर यह लगने लगा है कि देश पर आजादी के उपरांत आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली कांग्रेसनीत केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी के द्वारा प्रेरित खादी कार्यक्रम को समूल ही नष्ट करने की जुगत लगाई जा रही है। खादी संस्थाएं केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ खड़ी नजर आ रही हैं। संस्थाओं का मानना है कि अगर चरखे को बिजली या सौर उर्जा से चलाया जाएगा तो हाथ से तैयार सूत और मिलों में तैयार सूत में क्या अंतर रह जाएगा।
गौरतलब होगा कि खादी के उत्पादन पर विशेष जोर देने वाले मोहन दास करम चंद गांधी ने खादी के उत्पादन में किसी भी तरह की मशीन की इजाजत नहीं दी थी। वैसे भी अगर खादी उत्पादन में मशीनों का प्रयोग होने लगेगा तो बुनकरों के सामने आजीविका की जबर्दस्त समस्या खड़ी होने की उम्मीद है, क्योंकि बिजली या सौर उर्जा से चलने वाला चरखा निस्संदेह कम से कम दस बुनकरों के हाथ का काम छीन लेगा।
उल्लेखनीय होगा कि चरखे से सूत कातकर खादी का निर्माण कुटीर उद्योगों की श्रेणी में आता है, और इससे अशिक्षित भी इसका प्रयोग कर अपनी आजीविका चला सकता है। इसके लिए अधिक मेहनत की आवश्यक्ता भी नहीं होती है। यह काम घरेलू महिलाएं भी अपने खाली समय में आसानी से कर सकती हैं।
अस्सी के दशक के आरंभ तक देश के विद्यालयों में क्राफ्ट का एक कालखण्ड होता था, जिसमें बच्चों को कतली पोनी और चरखे के माध्यम से कपास से सूत कातना सिखाया जाता था, कालांतर में चरखा और कतली पोनी इतिहास की वस्तु हो बन गई हैं। अब तो मानो कतली पोनी का नाम ही युवाओं यहां तक कि प्रोढ़ हो चुकी पीढ़ी के जेहन से विस्म  ृत हो गया है।
अनेक स्थानों पर वहां के जनसेवकों ने सालों साल तक बुनकरों के परिवारों की आजीविका के मद्देनजर हाथकरघा को जिंदा रखा और इससे अस्पताल की पट्टियां और अन्य कपड़ों का उत्पादन सरकार के आदेशों से करवाया, पर अब लगने लगा है कि मानो बुनकरों का बुरा समय आ चुका है। सत्तर के दशक में हाथकरघा की खट खट खट अपने आप में एक रोमांच पैदा किया करती थी।
एक तरफ गुजरात के ब्रांड एम्बेसडर और सदी के महानायक गुजरात में बापू के आश्रम में जाकर चरखा चलाकर खादी अपनाने का संदेश दे रहे हैं, दूसरी ओर कांग्रेसनीत केंद्र सरकार द्वारा गरीब बुनकरों के हाथ काटने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं, जिसकी निंदा और विरोध किया जाना चाहिए। वैसे भी कल तक जनसेवकों की पहली पसंद मानी जाने वाली खादी का स्थान अब टेरीकाट, पालिस्टर जीन्स, कार्टराईज और अधनंगे वस्त्रों आदि ने ले लिया है। (साई फीचर्स)

भाजपा की लहलहाती फसल उजाड़ते दिग्विजयी घोड़े!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------44

भाजपा की लहलहाती फसल उजाड़ते दिग्विजयी घोड़े!

(आकाश कुमार)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश में 2003 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार काबिज है। भाजपा में यशस्वी निजाम शिवराज सिंह चौहान ने बड़े ही जतन के साथ जनकल्याणकारी योजनाएं बनाई और उन्हें लागू किया। शिवराज की योजनाएं आज लोगों की जुबान पर हैं, पर चुनावी साल में शिवराज सिंह चौहान के गण अचानक ही निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। लगने लगा है मानो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्य की प्रशासनिक कमान संभाल ली हो और सारे सरकारी मुलाजिम उनके कहने पर ही शिवराज सिंह चौहान के साथ ही साथ भाजपा संगठन से भी दूरी बनाने में लग गए हों।
दिल्ली में पदस्थ एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि यह घोर आश्चर्य और आपत्तिजनक है कि वर्ष 2012 में गणतंत्र दिवस पर मध्य प्रदेश की झांकी शामिल ना की गई हो। और तो और इस साल तो हद ही हो गई है। मध्य प्रदेश की ओर से गणतंत्र दिवस पर झांकी का ना तो प्रस्ताव आया और ना ही किसी ने सुध ली।
उन्होंने कहा कि झांकी की तैयारी के लिए मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग की क्षेत्रीय प्रचार इकाई जी पूरी तरह जवाबदेह है, जिसकी कमान सुरेश तिवारी के हाथों में है। इसके अलावा प्रदेश के मुख्य सचिव का कार्यालय और आवासीय आयुक्त दिल्ली का कार्यालय इसके लिए जवाबदेह है।
मजे की बात तो यह है कि इस साल ना तो कोई वीर बच्चे को मध्य प्रदेश कोटे से पुरूस्कार मिला और ना ही कोई कल्चरल टीम ने ही गणतंत्र दिवस पर अपनी भागीदारी दी है दिल्ली में। यह वाकई अपने आप में अजब और अनोखा माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि अधिकारियों का मन भारतीय जनता पार्टी से भर चुका है और अधिकारी अब भाजपा से निजात पाना चाह रहे हैं।
उक्त अधिकारी ने साई न्यूज से चर्चा के दौरान यह भी कहा कि क्या भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों को यह नहीं लग रहा है कि आखिर एक साथ मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव सहित वीर बच्चों के प्रस्ताव ना भेजने पर गृह विभाग, कलाकारों की टीम ना भेजने पर संस्कृति विभाग और सबसे महत्वपूर्ण झांकी ना भेजने पर जनसंपर्क विभाग अचानक ही असहयोगात्मक रवैए में कैसे आ गया है?
उक्त अधिकारी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए कि प्रदेश में देखा जाए तो दिग्विजय ंिसह के मुख्यमंत्री रहते हुए जो अधिकारी उनके सचिवालय अथवा निवास कार्यालय में पदस्थ थे, वे आज भी मलाईदार पदों पर पदस्थ हैं जिससे आप स्थिति का सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह के मुख्मयंत्रित्व काल में उनके सचिवालय में पदस्थ रहे अनेक अधिकारी एक बार फिर सक्रिय हो चुके हैं। शिवराज सिंह की प्रशासनिक सर्जरी की संभावनाओं के बाद भी उनके चेहरों पर चिंता की लकीरें नहीं हैं। इसका कारण यह है कि 2013 में राजा दिग्विजय ंिसह का वनवास पूरा हो रहा है और एक बार फिर ये अधिकारी भाजपा के बजाए कांग्रेस को सत्तारूढ़ होता देख रहे हैं। संभवतः यही कारण है कि अब चंद मीडिया पर ही अफसरों का ध्यान है जबकि सोशल मीडिया में सरकार के प्रति तल्खी बढ़ती जा रही है।

अनेक व्हीआईपी आएंगे कुंभ स्नान को


अनेक व्हीआईपी आएंगे कुंभ स्नान को

(निधि श्रीवास्तव)

इलहाबाद (साई)। कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और उनके उपाध्यक्ष पुत्र राहुल गांधी जल्द ही कुंभ स्नान कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं। कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी 5 से 9 फरवरी के बीच महा कुंभ में शिरकत कर सकते हैं।
कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि सोनिया और राहुल 5-9 फरवरी के बीच अलग-अलग यहां आ सकते हैं। सूत्रों ने यह भी कहा कि रविवार को पार्टी के महासचिव जनार्दन द्विवेदी को रिसीव किया था, जो यहां दोनों नेताओं के आगमन संबंधी सारी तैयारियां देखने खुफिया तौर पर आए थे। द्विवेदी ने अपने गोपनीय इलाहाबाद दौरे के दौरान द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से मनकामेश्वर मंदिर में और जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से भी उनके कैंप में जाकर मुलाकात की। 

कुछ ढील चाहता है परिवहन मंत्रालय


कुछ ढील चाहता है परिवहन मंत्रालय

एनएच मामले में पीएम से मिले सीएम

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। आर्थिक संकट के चलते ठेकेदारों के बीच में सड़क परियोजनाओं को छोड़ने से परेशान सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय चाहता है कि मौजूदा नियमों में कुछ ढील दी जाए। खासतौर से ठेकेदारों को परियोजना को बीच में दूसरे ठेकेदार को देने की अनुमति मंत्रालय चाहता है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पिछले साल कई प्रमुख राजमार्गों के ठेके दिए थे। देश की नामी कंपनियों ने ये ठेके लिए लेकिन इक्विटी की समस्या के कारण अधिकांश परियोजनाएं लटकी हुई है। देश की दो प्रमुख निर्माण कंपनियों जीवीके और जीएमआर ने पिछले दिनों अपनी दो परियोजनाएं बीच में ही छोड़ दी थीं। इस वजह से काफी विवाद भी हुआ था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया है।
इस समय जो नियम है उनके मुताबिक कोई भी ठेकेदार पहले दो साल में अपने ठेके किसी दूसरे ठेकेदार को हस्तांतरित नहीं कर सकता है। परिवहन मंत्रालय इसी नियम में बदलाव चाहता है। खुद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री सी.पी. जोशी यह मानते हैं सड़क निर्माण के क्षेत्र में काम कर हरी कंपनियों को इक्विटी की समस्या है। इस वजह से दो दर्जन से ज्यादा सड़क परियोजनाएं रुकी हुई है।
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात कर दृढ़तापूर्वक आग्रह किया है कि मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण एवं मरम्मत से संबंधित मुद्दों का जल्दी समाधान करें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों संबंधी मुद्दे मध्यप्रदेश के लिए लम्बे समय से परेशानी का कारण बने हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को इस परिदृश्य का उल्लेख करते हुए पत्र भी सौंपा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे समाधान के लिए संबंधित मंत्री से चर्चा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का ध्यान प्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक तीन, राष्ट्रीय राजमार्ग-7 की ओर दिलाते हुए कहा कि ये मार्ग सबसे ज्यादा खराब हो चुके हैं। उन्हांेने बताया कि तत्काल मरम्मत के लिए 57 करोड़ रुपये ही व्यय होंगे। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्गों की मरम्मत पर मध्यप्रदेश द्वारा खर्च किये गये दो सौ करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया।
प्रधानमंत्री से मुलाकात में चौहान ने कहा कि पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों का संधारण राज्यों के लोक निर्माण विभागों के राष्ट्रीय राजमार्गों विभागों द्वारा किया जाता है और केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में इस संबंध में कोई प्रक्रिया तक नहीं अपनाई गई है और न ही राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव के लिए आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि मध्यप्रदेश ने अपने संसाधन से राष्ट्रीय राजमार्गों के संधारण पर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि खर्च की है। यह एक ऐतिहासिक कदम है जब किसी राज्य ने केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से क्षतिपूर्ति राशि लिए बिना जनहित में यह कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का ध्यान मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट की ओर आकृष्ट करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों की निर्माण परियोजनाओं में से कुछ सहयोगी पीछे हट गये हैं जिसके कारण क्रियान्वयन में विलम्ब हो रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग बहुत ज्यादा खराब हालत में हैं। इनके नियमित संधारण में लगातार अनदेखी होने के कारण वे वाहन चलाने योग्य नहीं रहे।
श्री चौहान ने प्रधानमंत्री को सौंपे अपने पत्र में कहा कि मध्यप्रदेश में दो श्रेणियों के राष्ट्रीय राजमार्ग है। पहली श्रेणी में वे राष्ट्रीय राजमार्ग आते हैं जो राज्य सरकार को मध्यप्रदेश राज्य सड़क विकास निगम को अद्यतन और पुनः विकास के लिए सौंपे गये हैं। ये परियोजनाएं राज्य की एजेंसी द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी आधार पर केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ करारनामा कर क्रियान्वित किये जा रही हैं। उन्होंने कहा कि करारनामे में राज्य सरकार और केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख है। राज्य सरकार तत्परता के साथ अपनी जिम्मेदारियां पूरी कर रही है लेकिन केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को सौंपी गई जिम्मेदारियां निभाने में गंभीर रूप से कमी है।
श्री चौहान ने प्रधानमंत्री को बताया कि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भूमि अधिग्रहण, वायएबिलिटी गैप फंडिंग और अन्य परियोजना पूर्व गतिविधियों के लिए आवश्यक राशि उपलब्ध कराने से संबंधित करीब 250 करोड़ रुपये के दावे बिना किसी कारण लंबित हैं। इस अनावश्यक विलम्ब से सहयोगियों के मन में अनिश्चितता का भाव पैदा हो रहा है और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भी विलम्ब हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य मे राष्ट्रीय राजमार्ग की दूसरी श्रेणी में वे सड़कें आती हैं जो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को केन्द्रीय मंत्रालय द्वारा पुनः निर्माण और विकास के लिए दी गई है। इनमें मुख्य रूप से आगरा, मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक तीन, राष्ट्रीय -7 और राष्ट्रीय राजमार्ग 69 हैं जो मध्यप्रदेश से गुजरते हैं। ये प्रदेश में परिवहन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इनका काम सार्वजनिक-निजी आधार पर लिया गया है लेकिन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा अभी इन पर काम ही शुरू नहीं हुआ है। 

शीला की प्लेटिनम जुबली याद रखेंगे दिल्ली वासी


शीला की प्लेटिनम जुबली याद रखेंगे दिल्ली वासी

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। दिल्ली के निवासी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की जन्म दिन की प्लेटिनम जुबली को सदा याद रखेंगे। 31 मार्च को शीला 75 साल की होने वाली हैं। इस मौके पर दिल्ली की जनता को शीला दीक्षित एक खास तोहफा देने वाली हैं जो पिछले एक साल से इंतजार में था। शीला चाहतीं तो इसे अपने 74 वें जन्म दिन पर दे देतीं पर प्लेटिनम जुबली का अपना अलग महत्व है।
कई डेडलाइन मिस होने के बाद आखिरकार दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्रालय ने अब यह तय कर लिया है कि 31 मार्च को हर हाल में मॉर्डन सुविधाओं से लैस कश्मीरी गेट बस अड्डे का उद्घाटन कर दिया जाएगा। इसके लिए इन दिनों जोर - शोर से तैयारियां चल रही हैं और बस अड्डे पर बचे - खुचे तमाम कामों को निपटाकर सब चीजों को दुरुस्त किया जा रहा है। बर्थ - डे पर खुद सीएम के हाथों से ही इस बस अड्डे का उद्घाटन कराया जाएगा। इसी के साथ यहां पर विकसित की गई तमाम नई सुविधाएं भी जनता के लिए शुरू कर दी जाएंगी।
आने वाले 31 मार्च को मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का 75 वां जन्मदिन है। दिल्ली की गद्दी पर पिछले 15 सालों से काबिज शीला के लिए भी यह बर्थडे बेहद खास है , क्योंकि इसी साल दिल्ली में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में सीएम समेत पूरी दिल्ली सरकार इलेक्शन मोड में आ गई है और जनता को रिझाने - लुभाने का कोई मौका हाथ से नहीं छोड़ना चाहती। करीब डेढ़ साल से कश्मीरी गेट बस अड्डे के मॉडर्नाइजेशन का काम चल रहा था। इस दौरान दिल्ली के परिवहन मंत्री बदल गए , लेकिन ना तो नए बस अड्डे का औपचारिक उद्घाटन हो पाया और ना ही यहां पर मुहैया कराई जाने वाली नई सुविधाओं का लाभ जनता को मिल पाया।
ज्ञातव्य है कि 21 दिसंबर 2011 को तत्कालीन परिवहन मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने बस अड्डे पर चल रहे मॉडर्नाइजेशन के काम का जायजा लेने के बाद घोषणा की थी कि 31 मार्च 2012 को बस अड्डे का उद्घाटन कर इसे जनता के लिए पूरी तरह से खोल दिया जाएगा। लेकिन सीएम के पिछले बर्थ - डे पर दिल्ली की जनता को मायूस होना पड़ा , क्योंकि तब तक बस अड्डे का काम पूरा नहीं हो पाया था। अब एक साल बीतने के बाद फिर से ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने सीएम के बर्थडे पर बस अड्डे के उद्घाटन का प्लान बनाया है। राहत की बात यह है कि बस अड्डे के मॉडर्नाइजेशन का काम अब तकरीबन पूरा हो चुका है और यहां पर लोगों को लगभग सभी आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने का इंतजाम हो चुका है। 26 जनवरी के अपने भाषण में खुद सीएम भी कह चुकी हैं कि एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन की तरह अब इस बस अड्डे पर भी जनता को तमाम आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी। ऐसे में उम्मीद यही की जा रही है कि इस बार डेडलाइन और आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।
ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी यह तो मान रहे हैं कि बस अड्डे का उद्घाटन 31 मार्च को करने का प्लान है , लेकिन इसके लिए उनकी दलील कुछ और ही है। अधिकारियों का कहना है कि बस अड्डे के बाहरी हिस्से को दुरुस्त करने का कुछ काम बाकी बचा है , जो एक - डेढ़ महीने में पूरा हो जाएगा। चूंकि 31 मार्च को वित्तीय वर्ष भी खत्म होता है , ऐसे में बचे - खुचे काम में जो खर्चा होगा , वह भी ट्रांसपोर्ट विभाग के खाते के क्लोजिंग बैलेंस में शामिल हो सकेगा। इसी वजह से उद्घाटन के लिए 31 मार्च की तारीख तय की गई है।

वो पांचाली तो इसे क्या कहेंगे!


वो पांचाली तो इसे क्या कहेंगे!

(सोनल सूर्यवंशी)

भोपाल (साई)। महाभारत काल में पाण्डवो की पत्नि द्रोपदी को पांचाली कहा जाता था। इसका कारण यह था कि द्रोपदी के पांच पति थे, पर देश के हृदय प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर सटे एक गांव का नजारा कुछ अलग ही है। कन्याओं की कमी के चलते यहां एक ही परिवार के सारे भाईयों से शादी करती है दुल्हन! जी हां यह सच है। इस गांव में एक दुल्हन के आठ पति हैं।
भारत में एक ऐसी जगह जहां एक बड़ी अजीब प्रथा चली आ रही है। यह प्रथा है मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा से लगे मुरैना कि, जहां एक दुल्हन एक ही परिवार के भाइयों से शादी करती है। शादी के बाद वो बारी बारी से उन पुरुषों के साथ रहती है। सुनने में ये बड़ा अटपटा लगेगा, पर ये सच है।
ऐसा रस्म या खुशी से नहीं बल्कि मजबूरी में किया जा रहा है। यहां बसे एक जाति एवं धर्म विशेष के लोगों में लड़कियों की कमी के चलते इस गांव के लोगों ने ये नियम बनाया है। इसके तहत गांव के जिस भी घर में लड़कों की संख्या एक से ज्यादा है वे सभी मिलकर सिर्फ एक ही लड़की से शादी करेंगे।
इसके चलते गांव के लगभग सभी घरों में एक ही बहू है जबकि उसके पतियों की संख्या एक से ज्यादा है। यदि परिवार का कोई भाई अकेले शादी कर दुल्हन लाता है तो उस पर उसके भाइयों का भी बराबर का हक होगा। गांव के एक व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया है कि उनके समाज में लड़कियों की कमी है जिसकी वजह से ऐसा हो रहा है। उनके अनुसार पूरे गांव में गिने चुने परिवार ही ऐसे हैं जिनमें किसी लड़की का एक ही पति है। वरना पिछले कुछ सालों में जिनती भी शादियां हुई हैं उनमें हर लड़की के एक से ज्यादा पति हैं। कई लड़कियां तो ऐसी हैं जिनके आठ पति भी हैं।

कुरई में खंडस्तरीय अंत्योदय मेला ८ को


कुरई में खंडस्तरीय अंत्योदय मेला ८ को

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। अंत्योदय मेले से अधिक से अधिक जरूरतमंदों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलायें। यह निर्देश कलेक्टर अजीत कुमार ने साप्ताहिक विभागीय समीक्षा बैठक में सभी जिलाधिकारियों को दिये। आगामी ८ फरवरी को कुरई तहसील मुख्यालय में खंडस्तरीय अंत्योदय मेला सह जिलास्तरीय लोक कल्याण शिविर आयोजित किया गया है। बैठक में कलेक्टर ने इस अंत्योदय मेले के परिप्रेक्ष्य में जिला प्रमुखों को प्राप्त आवेदन पत्र एवं उसके निराकरण के स्थिति की भी समीक्षा की। बताया गया कि इस अंत्योदय मेले के लिये अबतक ५ हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके है। ये सभी आवेदन निराकृत किये जा रहे हैै। मेले में करीब ७ हजार से अधिक हितग्राहियों को लाभान्वित किया जायेगा। बैठक में सीईओ। जिला पंचायत श्रीमती प्रियंका दास अन्य सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि यह कि चूंकि जारी वित्तीय वर्ष का यह अंतिम त्रैमास है, इसलिये सभी जिला प्रमुख उपलब्ध विभागीय बजट का समुचित तरीके से व्यय सुनिश्चित कर लें। किसी भी वजह से बजट राशि लेप्स न होने पाये। इसी प्रकार १८ फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र प्रारंभ हो रहा है, अतः प्राप्त प्रश्नों के जवाब समय पर भेजे।
जिले के तीन विकासखंडों में खंडस्तरीय अंत्योदय मेले जनपद पंचायत कुरई मुख्यालय में ८ फरवरी को, जनपद पंचायत छपारा मुख्यालय में १३ फरवरी को तथा जनपद पंचायत सिवनी मुख्यालय (इसमें नगरपालिका सिवनी भी शामिल रहेगी) में २२ फरवरी को आयोजित किये जायेंगे।
धान उपार्जन कार्य की समीक्षा के दौरान बताया कि गत एक नवंबर १२ से २८ जनवरी तक जिले में एक लाख ४५ हजार ६४८ मीट्रिक टन से अधिक धान (कॉमन) का उपार्जन किया जा चुका है। जिले में इस वर्ष करीब एक लाख ८० हजार मीट्रिक टन धान का उपार्जन होने का अनुमान है। जिले में ७१ उपार्जन/खरीदी केन्द्रों के माध्यम से प्रक्रिया के अनुरूप धान का उपार्जन किया जा रहा है। जिले में गेहूं उपार्जन के लिये पंजीयन का कार्य भी जारी है, अबतक करीब ३२ हजार ५०० से अधिक किसानों ने अपना पंजीयन करा लिया है। जिले में ७१ उपार्जन/खरीदी केन्द्रों से ही गेहूं की खरीदी भी की जायेगी। 

निकली साई की पालकी


निकली साई की पालकी

(एस.के.सिन्हा)

बांदा (साई)। साई बाबा तुम्हारी गली में लोग मेला लगाए हुए हैं जैसे गीतों की स्वर लहरी व ढोल-ताशों की गूंज के बीच साई भगवान की फूलों से सजी पालकी शहर के प्रमुख मार्गाे में घुमाई गई। जयकारों के साथ ठुमके लगाते हुए भक्त आगे-आगे चल रहे थे पीछे भक्तों का सैलाब। छतों से फूलों की वर्षा कर भक्तों ने भगवान साई को नमन करते हुए आस्था जताई। कैलाशपुरी स्थित शिव शक्ति साई धाम से फूलों से सजी साई पालकी पूजा-अर्चना के साथ निकाली गई। पालकी के साथ शोभा यात्रा शहर के बलखंडी नाका से महेश्वरी देवी, छोटी बाजार से होते हुए झंडा चौराहा से बांम्बेश्वर मंदिर पहुंची। भगवान शिव से साई पालकी का मिलाप कराने के बाद शोभा यात्रा मंदिर में पहुंची यहां पर भक्तों ने साई बाबा की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद मागा। युवा, बच्चे व बूढ़े सभी साई पालकी के शामिल होकर आस्था व विश्वास में झूमते दिखे। सभी यही कह रहे थे कि कलयुग में साई ही सहारा हैं। तन-मन-धन से जो साई में समर्पित होता हैं साई उसकी मदद में खड़े हो जाते हैं। साई संध्या में विठूर साई दरबार से आई टोली ने भक्ति गीतों की शमां बांधकर हर किसी को साई मय कर दिया। इस मौके पर लक्ष्मी त्रिपाठी, बब्बू भइया, सुभाष अग्रवाल, आर के त्रिपाठी, विभूति कुमार आदि लोग रहे।

एयरसेल ने शुरू की रोमिंग फ्री सेवा


एयरसेल ने शुरू की रोमिंग फ्री सेवा

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। वन नेशन वन रेट के तहत निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी एयरसेल ने देशभर में मोबाइल रोमिंग सेवा शुल्क मुक्त करने की घोषणा की है। यह सुविधा देनेवाली यह देश की पहली कंपनी बन गयी है। एयरसेल के मुख्य विपणन अधिकारी अनुपम वासुदेव ने बताया कि कंपनी ने वन नेशन वन रेट के नाम से यह सुविधा शुरू की है। उन्होंने बताया कि एयरसेल के उपभोक्ता देश में कहीं से भी और कहीं भी सामान्य दरों पर फोन कर सकते हैं।
यह सुविधा कॉल के अलावा एसएमएस और इंटरनेट सेवा के लिए भी उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि भारत का दूरसंचार बाजार दुनिया में सबसे चुनौतीपूर्णऔर व्यापक संभावनाओं वाला बाजार है। बाजार में वहीं कंपनी टिक पायेगी जो उपभोक्ताओं को अधिक से अधिक सुविधा दे सके। इसी को ध्यान में रखते हुए एयरसेल ने उद्योग में यह क्रांतिकारी कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि इससे भारतीय दूरसंचार उद्योग में एक नयी शुरुआत हुई है।

सच्चे समाजवादी थे महेन्द्र भल्ला


सच्चे समाजवादी थे महेन्द्र भल्ला

(सचिन धीमान)

सहारनपुर (साई)। घर में चाहे बिजली हो या ना हो, घर में पीने को पानी हो या ना हो, चाहे खाने के लिए भोजन का इन्तजाम हो या ना हो परंतु हर उस घर व झोपडी में लैपटॉप होगा जिसका बच्चा हाईकूल व इंटर पास कर चुका होगा। उक्त बाते समाजवादी पार्टी के पूर्व शिक्षा मंत्री रामआसरे विश्वकर्मा ने आज सच्चे समावादी महेन्द्र भल्ला की 16वीं पुण्यतिथि पर बोलते हुए कहीं।
समावादी पार्टी के पूर्व शिक्षा मंत्री रामआसरे विश्वकर्मा ने दिल्ली रोड स्थित महारानी पैलेस में आयोजित स्व0 महेन्द्र सिंह भल्ला की 16वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रृद्धासुमन अर्पित कर वहां मौजूद लोगों को सम्बोधिक करते हुए कहा  कि महेन्द्र भल्ला सच्चे समाजवादी थे। उन्हांेने कहा कि महेन्द्र भल्ला एक ऐसे समाजवादी थे जो गरीब बुर्जुगों पर यदि कहीं भी अत्याचार, जुर्म होता देखते तो वह वहीं पर विरोध करना शुरू कर देते थे। उन्होंने कहा कि पुराने समाजवादियों की जिंदगी अभाव में बीती है परंतु वो अभाव पॉकिट या धन का रहा है। परंतु उनका संघर्ष कभी कम नहीं हुआ और वह हमेशा संघर्ष करते रहे है और जिस विचारधारा के साथ वो जनता के बीच से निकलते थे वो कभी कम नहीं हुआ है। उनके अंदर कभी हीनता की भावना नहीं पनपी है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही हमारे नेता जो सदा गरीबों व आम जनता के लिए लडाई लडते रहे महेन्द्र भल्ला थे उनके मन में भी कभी भी हीनता की भावना नहीं रही। इसी का बात का असर उनके साथ दिखाई देता था कि सहारनपुर में कितना भी बडा अधिकारी हुआ वह महेन्द्र भल्ला से खौफ खाता था। उन्होंने कहा कि महेन्द्र भल्ला के नाम से एक प्रस्ताव उनके यहां भिजवाये ताकि वह सरकार में उसे पास कराकर सहारनपुर के एक चौराहे का नाम महेन्द्र भल्ला के नाम पर भल्ला चौक रखा जाये ताकि आने वाली पीढी भी यह जान सके कि आखिर इस चौराहे का नाम भल्ला क्यों रखा गया और ये महेन्द्र भल्ला कौन थे और उनका समाज के लिए क्या योगदान रहा?
इतना ही नहीं उन्होंने सहारनपुर की जनता से अपील की कि वह स्व0 रामशरण दास जी की मूर्ति सहारनपुर में स्थापित कराने के लिए एक प्रस्ताव भिजवाये ताकि स्व0 रामशरण दास जी की पुण्यतिथि से पहले उनकी मूर्ति की स्थापना हो सके। महेन्द्र भल्ला की 16वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे जनसमूह को पूर्वजों की याद दिलाते हुए कहा कि याद रखना जो कौमे पूर्वजों के इतिहास से सबक लेने का प्रयास नहीं करते वो कौमे मिट जाती है।
इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेकश की सत्तारूढ समाजवादी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की यह पहली सरकार है जो पूर्ण बहुत से आयी है और यह भी पहली बार हुआ है कि समाजवादी पार्टी ने जो वायदे अपने चुनावी घोषणा पत्र में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ किये थे वह उसने दस माह में ही लागू कर  अखिलेश सरकार पूरा कर रही है। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में ऐसा कोई मुख्यमंत्री नहीं है जिसने 10 माह के अंदर ही मुफ्त शिक्षा, मुफ्त सिंचाई, मुफ्त दवाई  सहित छात्रवृत्ति तक दी है। उन्होंने कहा कि पढाई  व दवाई के साथ साथ मुफ्त बिजली की टयूबवैलोें के पानी व नहरों का पानी भी फ्री देने का काम किया है। वह प्रदेश सरकार की उपलब्धियां गिनाते गिनाते सजावादी सरकार की असली सच्चाई कह गये कि प्रदेश के अंदर चाहे वह गरीब की ही क्यों न हो हर घर व झोपडी में जहां हाईस्कूल, इंटरमीडिएट पढने व पास करने वाला बच्चा रहता हो चाहे उस घर व झोपडी में खाने का सामान हो या न हो बिजली हो या ना हो चाहे पानी हो या न हो इतना ही नहीं चाहे उस झोपडी में खाने का इंतजाम हो या ना हो वहां पर उस घर के पढने वाले बच्चे के हाथों में लैपटॉप जरूर होगा। सपा सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री द्वारा बताई गई सरकार की कडवी सच्चाई को देखकर हर कोई दंग रह गया। जिसके बाद वहां पर लोगों को कहते देखा गया कि सरकार के लिए यह जरूरी नहीं रह गया कि लोगों को चाहे खाने के लिए भोजन व रहने के लिए मकान मिले या ना मिले परंतु हर घर में लैपटॉप जरूर मिले ताकि वह सरकारी की उपलब्धियां गरीब लोगों को याद दिलाता रहे।
रामआसरे से पूर्व राज्यमंत्री राजेन्द्र राणा ने भी महेन्द्र भल्ला को श्रृद्धासुमन अर्पित कर सच्ची श्रद्धांजलि दी और उन्हें सच्चा प्रखर समाजवादी बताया। इस दौरान अलर्ट न्यूज के सम्पादक नरेश कुमार विश्वकर्मा सहित सैंकडों समाजसेवी  समाजवादी कार्यकर्ताओं ने भी स्व0 महेन्द्र भल्ला को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रृद्धालजि दी।