शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

कौन देगा बुनियादी सुविधाएं

कौन देगा बुनियादी सुविधाएं

(शरद खरे)

सिवनी शहर आज़ाद भारत का ही एक अंग है। आज़ाद भारत में हर नागरिक को पीने को साफ पानी, प्रकाश, साफ सफाई आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना शासन प्रशासन का प्रथम दायित्व है। अगर किसी नागरिक को यह बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? जाहिर है स्थानीय निकाय यानि नगर पालिका, नगर पंचायत या नगर निगम ही इसके लिए जवाबदेह हैं।
सिवनी शहर में साफ पानी जनता को पिलाने की जवाबदेही नगर पालिका की ही है। नगर पालिका को चाहिए कि वह पानी की गुणवत्ता का पूरा पूरा ध्यान रखे। साथ ही साथ साफ सफाई भी नगर पालिका की ही जवाबदेही है। दोनों ही मामलों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली नगर पालिका परिषद् फेल्युअर ही साबित हुई है। सिवनी शहर के नागरिक आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरसते ही नजर आ रहे हैं।
सिवनी में भीमगढ़ जलावर्धन योजना के आरंभ होते ही लोगों को लगने लगा था मानो उन्हें जन्नत मिलने वाली हो। वे जन्नत का मजा ले सकेंगे। जैसे ही यह योजना मूर्त रूप में आई, वैसे ही लोगों की आशाओं पर तुषारापात हो गया। लोगों को दो समय पूरा पानी तो छोड़िए, एक समय भी साफ पानी मयस्सर नहीं हो पाया। लोगों का भरोसा तब टूटा जब उनके नलों से, फिल्टर किए हुए पानी के बजाए गंदा बदबूदार और कीड़े युक्त पानी आने लगा। लोगों के नलों ने इस तरह का गंदा पानी उगला तो लोगों का दिल टूट गया। जब भीमगढ़ जलावर्धन योजना आरंभ हुई और सालों तक गंदा पानी मिला तब भी किसी विधायक ने इस बारे में विधानसभा में प्रश्न उठाकर इसकी गुणवत्ता या इसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया। जिससे यह साबित हो गया कि चोर चोर मौसेर भाई की तर्ज पर सभी जनता को छलने में अपने अपने हुनर का प्रदर्शन करते आए हैं।
सिवनी शहर में कहने को तो विशाल जलसंग्रह क्षमता वाला बबरिया, दलसागर, बुधवारी, मठ तालाब है। इसके अलावा यहां रेल्वे स्टेशन के पास दो तालाब और न जाने कितने कुंए बावली और नलकूप हैं। बावजूद इसके भगवान शिव की नगरी में लोग गर्मी तो छोड़िए बारिश के मौसम में भी कण्ठ की प्यास बुझाने के लिए तरसते नजर आते हैं। क्या यही है भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के सिवनी जिले की किस्मत!
सिवनी में चहुंओर गंदगी पसरी हुई है। नालियां गंदगी से बजबजा रही हैं। जहां तहां निर्माण कार्य मनमाने तरीके से संचालित हो रहे हैं। नगर पालिका के चहेते ठेकेदारों ने सड़कों पर निर्माण सामग्री बेतरतीब बगरा रखी है। नाली और सड़कों का निर्माण, घटिया और स्तरहीन हो रहा है। कहीं किसी की जमीन पर ही नगर पालिका ने बिना किसी पूर्व सूचना के ही सड़क या नाली का निर्माण करवा दिया है, कहीं नाली उबड़ खाबड़ है तो कहीं नाली पूरी बनी ही नहीं है। महीनों से नाली आधी अधूरी ही पड़ी है।
अतिक्रमण का दानव सिवनी की सड़कों को निगल रहा है। सिवनी में सड़कें तंग गलियों में तब्दील हो गई हैं। सड़कों की स्थिति ऐसी है, उसे देखकर लग रहा है मानों इस पर सर्कस के बाजीगर ही चल सकें। हां कुछ जगहों की सड़कें दुरूस्त हैं। ये जगहें वे मानी जा सकती हैं, जहां प्रशासन के आला अधिकारियों के अलावा सांसद विधायक, पूर्व विधायक आदि निवास कर रहे हैं। इन लोगों के घरों के सामने की या घर पहुंच मार्ग बनाने में पूरी गुणवत्ता का ध्यान रखा जाता है। क्या इसी तरह की सड़कों का जाल पूरे शहर में नहीं बिछाया जा सकता? क्या कारण है कि नगर पालिका परिषद् द्वारा शेष शहर की सड़कों के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
एसपी बंग्ले से लेकर कलेक्टर बंग्ले, और बाहुबली चौक से लेकर पुराने आरटीओ तक के पहुंच मार्ग पर चलना दूभर था। यह सड़क बनने के बाद ही उखड़ गई। सिवनी में नगर पालिका जो न कराए, कम ही है। बाहुबली चौक से पुराने आरटीओ वाले मार्ग पर सीमेंटीकृत सड़क पर जब तब डामर लगाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इस सड़क से होकर व्हीव्हीआईपीज यदा कदा आते जाते हैं। दरअसल, सिवनी में अतिविशिष्ट लोगों के उड़न खटोले स्थानीय पॉलीटेक्निक कॉलेज में ही उतरा करते हैं। ये लोग इसी मार्ग का प्रयोग कर गंतव्य तक जाकर वापस उड़न खटोले से सिवनी से रवानगी ले लेते हैं।
शहर की सफाई व्यवस्था भी इस तरह की हैं कि सारे शहर में जहां तहां कचरों के ढेर पर आवारा मवेशी, कुत्ते, सुअर आदि मुंह मारते नजर आ जाते हैं। लोग परेशान हैं कि आखिर इन आवारा मवेशियों का ईलाज किया जाए तो कैसे? लोगों के घरों में में आवारा मवेशी घुसकर नुकसान कर रहे हैं। दुकानदार भी परेशान हैं, उनके प्रतिष्ठानों के सामने आवारा मवेशी गोबर कर जाते हैं, और सुबह सवेरे जब वे अपने प्रतिष्ठान पहुंचते हैं तो उनके सामने गोबर हटाने की समस्या सबसे बड़ी होती है।
शहर में दलसागर तालाब को लोग आन बान और शान के रूप में देखा करते थे। आज आलम यह है कि दलसागर तालाब में ही गंदगी पसरी पड़ी है। लगभग सवा करोड़ रूपए पानी में बहाने के बाद भी दलसागर की स्थिति नहीं सुधर सकी है। इसके बाद अब पर्यटन विभाग द्वारा इसमें राशि खर्च की जाना प्रस्तावित है।

शहर की अव्यवस्था के संबंध में अनेक बार लोगों के द्वारा भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर से संपर्क भी किया गया, उनसे शिकायत भी की। एक बार तो व्यापारियों के लीज के मामले में नरेश दिवाकर द्वारा जिला कलेक्टर से चर्चा भी की थी। पर पता नहीं क्यों जनता से जुड़े मुद्दों के मामले में उन्होंने ध्यान देना उचित नहीं समझा। भाजपा शासित नगर पालिका परिषद् के द्वारा इस तरह की कार्यप्रणाली में विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी मौन रहकर सहभागी बनी हुई है। टूटी पुलिया के पास वाले इलाके में एक सड़क विशेष के इर्द गिर्द रहने वाले लोगों का हवा पानी, आवागमन भी पालिका द्वारा दो तीन माह से अवरूद्ध किया हुआ है किन्तु कांग्रेस के भी किसी छोटे बड़े नेता को जनता की समस्याओं से लेना देना नजर नहीं आ रहा है। हो सकता है कांग्रेस और भाजपा के छद्म युद्ध में सिवनी की जनता बुरी तरह पिस रही हो, और यही उसके भाग्य में भी लिखा हो!

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