शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

खवासा बार्डर का जाम!

खवासा बार्डर का जाम!

(शरद खरे)

सिवनी जिला मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर अवस्थित है। जिले में खवासा में इकलौती बॉर्डर है जो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को विभाजित करती है। इस बॉर्डर पर सालों से लोग जाम से जूझ रहे हैं। खवासा बॉर्डर का जाम ना तो जिला प्रशासन को दिखता है और ना ही पुलिस प्रशासन हो। इस बॉर्डर में परिवहन विभाग की चेक पोस्ट में पीछे की ओर एक तौल कांटा भी है। इस तौल कांटे की ओर से अगर प्रवेश किया जाए तो बाएं हाथ पर एक रजिस्टर रखा होता है। उस रजिस्टर को अगर पलटा लिया जाए तो लोग दांतों तले उंगली दबा लेंगे। इस रजिस्टर में सिवनी से लेकर भोपाल और दिल्ली तक मुख्य मंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, नेता पत्रकार, सोशल वर्कर्स आदि को हर माह दी जाने वाली राशि का खुलेआम उल्लेख होता है। इस रजिस्टर को कोई भी देख सकता है।
वैसे तो खवासा की आबादी ज्यादा नहीं है पर यहां परिवहन, कृषि उपज मंडी, विक्रयकर आदि की जांच चौकियों के चलते यह एरिया सदा ही आबाद रहता है। यहां पदस्थ सरकारी कर्मचारियों के साथ ही साथ गुण्डों की बड़ी फौज भी यहां चौबीसों घंटे मण्डराती रहती है। गुण्डों की यह फौज आने जाने वाले वाहनों से एक नंबर में राशि लेने के साथ ही साथ चौथ वसूली का काम नायाब तरीके से अंजाम देती है।
कहते हैं यहां की जांच चौकियां रिमोट कंट्रोल से संचालित होती हैं। जैसे ही कोई लाल पीली बत्ती का वाहन आता दिखता है वैसे ही इन जांच चौकियों में दो नंबर का काम बंद, एक नंबर का काम चालूकी तर्ज पर काम आरंभ हो जाता है। यहां दो नंबर का काम धड़ल्ले से और इतनी सफाई से होता है कि मजाल है कोई इसे पकड़ ले। और तो और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दशकों बीत गए पर खवासा की परिवहन, मण्डी या सेल्स टेक्स आदि की जांच चौकियोें में किसी भी जिम्मेदार सरकारी विभाग ने छापा मारने की जहमत नहीं उठाई है।
जिला कलेक्टर भरत यादव और जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला की सिवनी में तैनाती के ठीक बाद जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा इन दोनों ही अधिकारियों का साक्षात्कार लिया गया था और इन्हें खवासा के जाम के बारे में बताया गया था तो दोनों ही अधिकारियों ने एक पखवाड़े के अंदर ही यहां छापा मारकर व्यवस्था सुधारने की बात कही थी। विडम्बना ही कही जाएगी कि एक नहीं कई पखवाड़े बीत गए पर स्थिति जस की तस ही बनी हुई है।
दोनों ही वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में इस बात को भी लाया गया था कि खवासा से महज दस किलोमीटर दूर महाराष्ट्र की सीमा में मानेगांव टेक की जांच चौकी में वहां के परिवहन विभाग की एक एम्बेसिडर के अलावा कोई वाहन खड़ा नहीं मिलता है जबकि एमपी में जाम लगा रहता है, पर दोनों ही अधिकारियों द्वारा दिखवाते हैंकहकर बात को समाप्त कर दिया गया था। आखिर क्या कारण है कि मानेगांव टेक पर एक भी वाहन नहीं और खवासा में वाहनों की लंबी कभी समाप्त ना होने वाली कतार!
कहते हैं कि सेल्स टेक्स में आजकल कर, ऑन लाईन जमा होने लगा है। कई बार ऑन लाईन जमा की रसीद और इंटरनेट पर अद्यतन स्थिति का मिलान नहीं होता है जिससे वहां देर लगती है। सवाल यह है कि आखिर ऑन लाईन या ऑफ लाईन व्यवस्था से आम जनता को क्या लेना देना? वह तो बस सड़क क्लीयर चाहती है। अब सड़क को क्लियर कैसे किया जाए यह सोचना जिला प्रशासन का काम है।
चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कुछ समय के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के बतौर इस चेक पोस्ट को मेटेवानी में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है। वैसे रिड्डी टेक के पास नवीन चेक पोस्ट का काम पिछले बीस सालों से युद्ध स्तरपर जारी है। हालत देखकर लग रहा है मानो मध्य प्रदेश महाराष्ट्र की सीमा पर चेक पोस्ट नहीं, आगरा में ताज महल का निर्माण हो रहा है। बीस साल पहले इस चेक पोस्ट के निर्माण के लिए 11 करोड़ रूपए की राशि की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी थी, पर इसका काम आरंभ नहीं हो सका।
दरअसल, नेता, मंत्री, सांसद विधायक, सरकारी अधिकारी और पत्रकार सभी के लिए कामधेनु है यह चेक पोस्ट। इस चेक पोस्ट में नमक स्वादानुसारकी तर्ज पर सभी को पांच सौ रूपए से पचास हजार रूपए प्रतिमाह की चंदीबेरोकटोक या तो घर पहुंच सेवा में उपलब्ध है या फिर जाकर लेना होता है। अब अगर किसी को घर बैठे बिना हाथ पांव हिलाए पैसा मिल रहा हो तो भला वह इसकी मुखालफत क्यों करने लगा?
सिवनी को हस्तिनापुर कहा जा सकता है क्योंकि यहां रियाया का दुखदर्द देखने, उन्हें सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए पाबंध सांसद, विधायक और सरकारी कर्मचारी तथा इन्हें पथभ्रष्ट होने से बचाने के लिए जिम्मेदार मीडिया ही धृतराष्ट्र की भूमिका में आ चुका है। इन परिस्थितियों में जनता अब किसी पर उम्मीद लगाने के बाजए अपने दोनों हाथ करमयानी माथे पर रखकर अपनी लाचारी दर्शा रही है।

खवासा का जाम नासूर बन चुका है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। कुरई थाने में पदस्थ आधा दर्जन में से दो सिपाही खवासा में तैनात हैं, जो व्यवस्था बनाने के बजाए चौथ वसूली में कहीं गड़बड़झाला तो नहीं कर रहा है वाहन चालक, यह देखने में व्यस्त है। कुल मिलाकर समूचे कुंए में ही भांग घुली हुई है इसलिए अब उम्मीद उपर वाले से ही की जा सकती है. . .।

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