बुधवार, 31 जुलाई 2013

सिवनी में मिले खतरनाक डेंगू के चार मरीज!

सिवनी में मिले खतरनाक डेंगू के चार मरीज!

विवेकानन्द वार्ड में 552 घरों के 1764 कंटेनर्स में 255 में मिले खतरनाक लार्वा: रियाया की जान से कर रही नगर पालिका जमकर खिलवाड़: विपक्ष में बैठी कांग्रेस देख रही चुपचाप तमाशा

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। जिला मुख्यालय सिवनी में घोषित तौर पर डेंगू के चार मरीजों के मिलने से हड़कंप मच गया है। साफ सफाई के अभाव में शहर भर में मच्छरों के लिए उपजाऊ माहौल पैदा हो रहा है, पर नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के नेतृत्व में पार्षद और पालिका प्रशासन कमीशन के गंदे धंधेमें ही उलझा हुआ है। डेंगू रेपिड टेस्ट में 13 संभावित डेंगू के मरीजों की जांच में चार नमूने पॉजिटिव पाए गए हैं। खतरनाक डेंगू के लिहाज से अब सिवनी जिला भी हाई अलर्टपर आ गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.वाय.एस.ठाकुर के हस्ताक्षरों से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिला चिकित्सालय में डेंगू रेपिड किट से 13 संभावित डेंगू मरीजों की जांच की गई है, जिससे किट में चार मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं। इन चारों का रक्त नमूना लेकर क्षेत्रीय आर्युविज्ञान शोध केंद्र (आरएमआरसी) जबलपुर भेजा गया था।
डॉ.ठाकुर ने बताया कि आरएमआरसी द्वारा विवेकानन्द वार्ड के संभावित डेंगू के नमूनों की 26 जुलाई को ही पुष्टि कर दी गई थी। शेष दो में अभी आरएमआरसी की राय आना शेष है।
उन्होंने बताया कि इसके उपरांत जबलपुर के कीट विज्ञानी डॉ.मनमोहन माहुलिया एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.वाय.एस.ठाकुर के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का दल बनाकर उन्हें बाकायदा प्रशिक्षित किया जाकर विवेकानन्द वार्ड में रवाना किया गया।
सीएमओ डॉ.ठाकुर का दावा है कि उनके द्वारा विवेकानन्द वार्ड के लिए 32 कर्मचारियों का दल बनाया गया है, जो घर घर जाकर लार्वा का सर्वे कर रहा है। जिन घरों में बुखार के पीड़ित मिल रहे हैं उन्हें मौके पर ही रक्त पट्टिका बनाकर त्वरित उपचार दिया जा रहा है।
इसके साथ ही साथ मकानों में जहां पानी जमा हो सकता है या हो रहा है इस तरह के कंटेनर्स को खाली करवाया जा रहा है। इन कंटेनर्स में टेमोफॉस नामक दवा डाली जा रही है ताकि मच्छरों का लार्वा नष्ट हो सके। डेंगू प्रभावित और संभावित विवेकानन्द वार्ड में फागिंग मशीन से धुंआ भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मच्छरों से सावधान रहने और सावधानियां बरतने के लिए विभाग द्वारा मुनादी पिटवाकर पर्चे भी बांटे जा रहे हैं।
डॉ.ठाकुर के अनुसार मंगलवार को इस विशेष दल ने डेंगू प्रभावित या संभावित वार्ड के 552 घरों का निरीक्षण किया। दल ने आज 1764 कंटेनर्स को देखा जिसमें से 255 में लार्वा पाए गए। इन कंटेनर्स को खाली कराया गया और दवा डाली गई। आज बनाई गई सारी रक्त पट्टिकाएं नकारात्मक ही पाई गईं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार अभी तक सिवनी जिले में डेंगू से मृत्यु के समाचार नहीं मिले हैं। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने घरों में रखे कंटेनर्स जिसमें पानी भरा रहता हो, उसे सात दिवस के अंदर एक बार अवश्य ही खाली कर लिया करें।
प्रदेश में मण्डला जिले के बाद सिवनी में डेंगू की खतरनाक स्थिति से हड़कंप मचना स्वाभाविक ही है। अब तक सिवनी के लोग समाचार माध्यमों के जरिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में डेंगू की बद से बदतर स्थिति और इससे होने वाली पीड़ा एवं मौत के आंकड़े देखा करते थे, अब इस जानलेवा और दर्दनाक डेंगू ने सिवनी में भी अपनी जड़ें गहरी कर ली हैं।
दरअसल, नगर पालिका परिषद के निकम्मेपन के चलते शहर भर में मच्छरों के प्रजनन के लिए उपजाऊ माहौल तैयार हो गया है। नगर पालिका परिषद में कमीशन के गंदे धंधेके चलते ना तो अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी, ना ही उपाध्यक्ष राजिक अकील और ना ही किसी पार्षद को नागरिकों के स्वास्थ्य की परवाह ही रह गई है।

नगर पालिका परिषद के पास फागिंग मशीन है इस फागिंग मशीन का तेल और दवा दोनों ही का बिल पालिका के बजट सत्र में पारित होता है, इसमें किसी भी पार्षद द्वारा अब तक अपनी आपत्ति दर्ज नहीं कराया जाना आश्चर्यजनक है कि जब मशीन किसी वार्ड में चलती ही नहीं दिखी तो फिर इसके देयक का भुगतान कैसा? कुल मिलाकर सभी, नागरिकों की चिंता छोड़ पैसा बनाने में जुट चुके हैं।

निरीह नागरिक, निकम्मी नगर पालिका!

निरीह नागरिक, निकम्मी नगर पालिका!

(शरद खरे)

नगर पालिका परिषद सिवनी अपने मूल काम से भटक चुकी है। नागरिकों को सुविधाएं उपलब्ध कराना, उनके मौलिक अधिकारों  का संरक्षण, बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम मूलतः नगर पालिका का होता है। नगर पालिका के जिम्मे शहर की साफ सफाई, शुद्ध पेयजल, अंदरूनी मार्गों का रखरखाव, जल निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था, सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था आदि का होता है। पिछले कुछ सालों से नगर पालिका परिषद सिवनी अपने मूल उद्देश्य से भटककर चुने हुए प्रतिनिधियों और सरकारी नुमाईंदों के लिए पैसा कमाने का चारागाह बन चुकी है।
पालिका के नुमाईंदों ने मीडिया को भी अपने साथ मिला लिया है जो बहुत ही खतरनाक संकेत है। मीडिया को विज्ञापन का प्रलोभन देकर नगर पालिका के नुमाईंदों द्वारा सच्चाई पर पर्दा डालने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है जो निंदनीय है। माना जाता है कि अभिजात्य वर्ग के लोग शहरों में अधिक तादाद में निवास करते हैं। शहर का आदमी अपेक्षाकृत अधिक पढ़ा लिखा होता है। जिला मुख्यालय सिवनी में रहने वाले नगर पालिका परिषद की स्थिति, नागरिकों के अधिकारों के प्रति उसकी जवाबदेही और निर्वहन से वह भली भांति परिचित है।
मीडिया में इस बात को पता नहीं क्यों स्थान नहीं मिल पाया है कि नगर पालिका शहर में लोगों को गटर का गंदा पानी पिलाकर उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। कहीं भवन की अनुज्ञा मिल पाई या नहीं इस बात से आम जनता को लेना देना नहीं है। शहर में स्वीमिंग पूल है अथवा नहीं इससे आम आदमी पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। वैसे भी स्वीमिंग पूल को रईसों का प्यारा शगल माना जाता है। आम जनता को तो बस साफ पानी चाहिए, उसके घर के आसपास कचरे के ढेर ना हों, प्रकाश की उचित व्यवस्था हो, घरों के पानी की निकासी की नालियां गंदगी से ना बजबजा रही हों, यही उम्मीद रहती है आम आदमी की नगर पालिका परिषद से।
विडम्बना ही कही जाएगी कि नगर पालिका में बैठे कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों का ध्यान इस ओर क्यों नहीं जाता है। दलसागर तालाब के आसपास सौंदर्यीकरण के नाम पर एक करोड़ रूपयों में आग लगा दी गई। नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी अगर वाकई सिवनी की जनता के प्रति जवाबदेह होते तो निश्चित तौर पर वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर से (जिनसे करीबी का वे दावा करते हैं) दलसागर के सौंदर्यीकरण के लिए राशि बाद में मांगते पहले सिवनी के वाशिंदों को दो नहीं तो कम से कम एक वक्त साफ पानी मुहैया करवाने की योजना स्वीकृत करवाते। सिवनी की जल मल निकासी की योजना के लिए प्रदेश शासन से धन की मांग करते। वस्तुतः ऐसा हुआ नहीं।
अगर इन योजनाओं की स्वीकृति मिलती तो इनको अमली जामा पहनाते समय सभी का निर्धारित हिस्सा (कमीशन) मिलता ही, पर आम जनता राजेश त्रिवेदी और भारतीय जनता पार्टी को दिल से साधुवाद देती, पर आज स्थिति उलट ही है। आज जनता के मन में भाजपा की छवि प्रतिकूल बनती जा रही है। शहर में भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय बारापत्थर में है। इस कार्यालय में भाजपा के लोग साफ सुथरा पानी पी रहे हैं।
भापजा विधायकों द्वारा उपकृत कांग्रेस के नेता, इस बात को जनता के समक्ष लाने में पता नहीं क्यों हिचकिचा रहे हैं कि भाजपा के लोग उनके धन से (विधायक निधि) से खनित किए गए नलकूप जो संभवतः आम जनता के उपयोगार्थ होना चाहिए (वस्तुतः ऐसा है नहीं, नलकूूप को सीधे भाजपा कार्यालय के अंदर ले जाया गया है) का साफ सुथरा पानी पी रहे हैं। इस नलकूप के खनन के लिए विधायक निधि से एक लाख रूपए की राशि का आहरण किया गया है। यह नैतिकता है जनता की सेवा करने का दावा करने वाली भाजपा और विपक्ष में बैठी कांग्रेस की।
अभी मामला अगर शिवराज सिंह चौहान से संबंधित होता तो कांग्रेस के विज्ञप्तिवीरों की तोपें भोपाल की ओर तन चुकी होतीं। एक दैनिक समाचार पत्र द्वारा विधायक निधि की राशि की बंदरबांट में नाम उजागर कर बेहद अनुकरणीय कदम उठाया जा रहा है। आश्चर्य तो उस समय हुआ जब कांग्रेस के नेताओं के परिजनों, मीडिया से जुड़े लोगों के नाम इस निधि की राशि में प्रकाश में आए। इस तरह के काम से सेवा भाव वाले मूल आदर्श की सियासत और पत्रकारिता कलंकित ही हो रही है, पर जिनका दीन ईमान ही पैसा हो गया हो, उन्हें क्या मतलब कि नैतिकता किस चिड़िया का नाम है!

नगर पालिका सिवनी में अफसरशाही, नेतागिरी, भ्रष्टाचार, अनाचार, रिश्वतखोरी, अनैतिकता, के बेलगाम घोड़े दौड़ रहे हैं। नगर पालिका कार्यालय के अंदर बिड़ी सिगरेट के टोंटे इस कदर बिखरे पड़े रहते हैं मानो यह बियर बार हो। केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान की बंदिश का कानून बनाया है पर आज कानून की परवाह किसे रह गई है! नगर पालिका पर भारतीय जनता पार्टी का शासन है, पालिका प्रशासन की हरकतों से भारतीय जनता पार्टी की साख पर बट्टा लग रहा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। भाजपा के जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर भी इस मामले में खामोश हैं, जिससे नागरिकों को लगने लगा है कि पालिका की इन हरकतों में उनकी मौन सहमति है, वरना क्या कारण है कि निकम्मी नगर पालिका मनमानी पर उतारू है, निरीह नागरिक कराह रहे हैं और शासन प्रशासन एवं भाजपा संगठन अपने आप को किसी तरह की कार्यवाही करने में अपने आप को पालिका के चंद नुमाईंदों के सामने बौना पा रहा है।

मंगलवार, 30 जुलाई 2013

आयुष विभाग का वेतन रूका!

आयुष विभाग का वेतन रूका!

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। आयुष विभाग के कर्मचारियों का माह जून का वेतन एक बार फिर रूक गया है। जिला कोषालय द्वारा वेतन देयकों में अनावश्यक कांट छांट कर सफेदा लगाने से वेतन पत्रक को पुनः आयुष विभाग को लौटा दिए हैं।
जिला कोषालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि आयुष विभाग के माह जून के वेतन देयक जिला कोषालय में प्रस्तुत किए गए थे। इन वेतन देयकों में जबर्दस्त तरीके से छेड़छाड़ कर सफेदा लगाकर करेक्शन किए गए थे। इन करेक्शन से वेतन देयक संदिग्ध प्रतीत हो रहे थे।
उधर, आयुष विभाग के सूत्रों का कहना है कि जिला आयुष अधिकारी सतीश चंद्र गर्ग द्वारा कुछ कर्मचारियों के वेतन रोकने की मंशा से उनके वेतन पत्रक में अनावश्यक कांट छांट की गई थी। इस तरह कांट छांट कर उसमें सफेदा लगाकर ओवर राईटिंग की गई थी।

इधर, आयुष्ज्ञ विभाग के कर्मचारियों को त्योहारों के मौसम में जून माह का वेतन ना मिल पाने से छोटे कर्मचारियों के घर काफी हद तक तकलीफों की बाढ़ आ गई है। जिला प्रशासन से उचित कार्यवाही की अपेक्षा है।

अगले 48 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी

अगले 48 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी

(ब्यूरो कार्यालय)


सिवनी (साई)। जबलपुर संभाग में अगले चौबीस घंटे और बारिश का कहर बना रह सकता है। हिन्द गजट ने सोमवार 29 जुलाई के अंक में सावन की झड़ी ने रूलाया सभी कोशीर्षक से प्रकाशित समाचार में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के भोपाल ब्यूरो सोनल सूर्यवंशी द्वारा मौसम विभाग के सूत्रों के हवाले से यह खबर प्रकाशित की थी कि अगले 48 घंटों में जबलपुर सहित अनेक संभागों में भारी बारिश होने की संभावना है।
वहीं, प्रभारी कलेक्टर एवं सीईओ. जिला पंचाय्ात श्रीमती प्रिय्ांका दास की अध्य्ाक्षता में आज कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में जिले के सभी विभाग प्रमुखों की साप्ताहिक विभागीय्ा समीक्षा बैठक संपन्न हुई। बैठक में सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे। बैठक में प्रभारी कलेक्टर श्रीमती दास ने मौसम विभाग भोपाल द्वारा जबलपुर संभाग में अगले ४८ घंटों में भारी बारिश होने की चेतावनी/अलर्ट जारी करने की जानकारी देते हुए जिले के सभी तहसीलदारों को निर्देशित किय्ाा है कि वे अतिवृष्टि की आशंका के चलते सचेत रहें, सदैव सतर्क रहें।
उन्होंने कहा कि बाढ से हुई नुकसानी का सर्वे करा लें और पात्र्ाों को मुआवजे का भुगतान करें। प्रभारी कलेक्टर ने कहा कि सभी एस.डी.एम. अपने-अपने क्षेत्र्ाों में मध्य्ाान्ह भोजन पर विशेष निगरानी रखकर स्कूलों में हैंडवाश य्ाूनिट स्थापित कराय्ों। उन्होंने कहा कि सभी एस.डी.एम. अपने क्षेत्र्ाों में पेय्ाजल स्त्र्ाोतों की साफ-सफाई कराय्ों, क्लोरीनेशन कराय्ों, गांवों मेंसाफ-सफाई की समुचित व्य्ावस्था के अधीनस्थ अमले को ताकीद करें और इस कायर््ा की सतत् रूप से मानीटरिंग भी करें।
इसके साथ ही साथ सभी एस.डी.एम. अभिय्ाान चलाकर फल, सब्जी विक्रेताओं, मिठाई प्रतिष्ठानों और मेडीकल स्टोर्स आदि की औचक रूप से जांच करें। उन्होंने कहा कि जिले के सभी आश्रम, छात्र्ाावासों और आवासीय्ा विद्यालय्ाों में वर्षाकाल को देखते हुए शुद्ध पेय्ाजल, परिसर की साफ-सफाई एवं मौसमी संक्रामक बीमारिय्ाों की रोकथाम के लिय्ो सभी उपाय्ा किय्ो जाय्ांे। साथ ही इन संस्थाओं में जिले के सभी वरिष्ठ अधिकारिय्ाों के फोन नम्बर्स भी लिखवाय्ों जाय्ों।
दीपक खाण्डेकर तीन को करेंगे निरीक्षण
बैठक में प्रभारी कलेक्टर श्रीमती दास ने जानकारी दी कि कमिश्नर जबलपुर संभाग दीपक खांडेकर ३ अगस्त को जिले के प्रवास पर आय्ोंगे। कमिश्नर श्री खांडेकर केवलारी के बाढ़ प्रभावित गांवों मोहगांवमाल, खैरापलारी एवं चिरचिरा का भ्रमण करते हुए घंसौर और धनौरा विकासखंड क्षेत्र्ा के गांवों का भी दौरा करेंगे। इस संबंध में प्रभारी कलेक्टर ने एस.डी.एम. केवलारी, एस.डी.एम. घंसौर, सी.एम.एच.ओ., महिला एवं बाल विकास विभाग, उपसंचालक कृषि, मत्स्य्ाोद्योग, पशु चिकित्सा को निर्देशित किय्ाा कि वे कमिश्नर के दौरे को लेकर समस्त व्य्ावस्थाय्ों/रूट चार्ट तैय्ाार कर लें।

भीमगढ़ का पानी, पूर्व सूचना के बाद छोड़ें

बैठक में प्रभारी कलेक्टर ने कायर््ापालन य्ांत्र्ाी तिलवारा बाय्ाी तट नहर संभाग को निर्देशित किय्ाा कि भीमगढ बांध से जब भी पानी छोड़ा जाय्ो, तो उसकी सूचना सर्व संबंधितों को पूर्व में ही दी जाय्ो। प्रभारी अधिकारी राहत संबंधित बालाघाट, गोंदिय्ाा, भंडारा जिले के प्रभारी अधिकारी राहत य्ाा अपर कलेक्टर को इसकी सूचना दूरभाष पर दें।

होटलों में धड़ल्ले से हो रहा घरेलू गैस का प्रयोग!

होटलों में धड़ल्ले से हो रहा घरेलू गैस का प्रयोग!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। जिले भर में होटल, ढाबों, चाय की दुकानों में घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है, पर इसकी रोकथाम के लिए निर्धारित खाद्य विभाग हाथ पर हाथ रखे ही बैठा है। दिखाने को दो एक माह में खाद्य विभाग द्वारा एकाध बार कार्यवाही कर विज्ञप्ति जारी करवाकर वाहवाही लूट ली जाती है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है।
ज्ञातव्य है कि कुछ दिन पूर्व खाद्य विभाग द्वारा मारे गए छापे में नौ गैस के सिलेन्डर, रेग्यूलेटर, गैस चूल्हा अनेक प्रतिष्ठानों से जप्त किए गए थे। इसके पहले और इसके बाद खाद्य विभाग एक बार फिर सुसुप्तावस्था में चला गया है। जब खाद्य विभाग द्वारा यह छापा मारा गया तो उसके उपरांत विभाग द्वारा बड़े ही गर्व के साथ बताया गया था कि जिला कलेक्टर भरत यादव के निर्देशानुसार उक्त कार्यवाही की गई है।
बताया जाता है कि जिले भर में विशेषकर जिला मुख्यालय में संचालित होटल, ढ़ाबे, चाय की दुकानों में सरेराह घरेलू गैस के सिलेन्डर के माध्यम से व्यवसाय किया जा रहा है, जबकि व्यवसायिक उपयोग के लिए कमर्शियल सिलेन्डर लेने का प्रावधान है। यक्ष प्रश्न तो यह है कि जब आम उपभोक्ता गैस एजेंसी जाकर घरेलू गैस के उपयोग के लिए सिलेंडर की मांग करता है तब उसे एक सौ एक नियम कायदे बताकर हैरान परेशान किया जाता है और दूसरी ओर व्यवसायिक उपयोग के लिए हाथों हाथ सिलेंडर किस तरह मिल रहे हैं!
बताया जाता है कि शादी ब्याह, मेले ठेले, पार्टी आयोजनों में भी एकाध कमर्शियल सिलेंडर दिखाने के लिए रख दिया जाता है बाकी का सारा काम घरेलू सब्सिडाईज्ड गैस सिलेंडर के माध्यम से ही किया जाता है। छोटे बड़े दुकानदारों का साहस इतना बढ़ गया है कि वे सड़कोें पर ही लाल रंग के सब्सिडाईज्ड सिलेंडर ही रखकर अपना व्यवसाय कर रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि खाद्य विभाग के जिम्मेदार कारिंदे इन चाय की गुमटियों पर लाल रंग का सिलेंडर देखने के बाद भी वहां चाय की चुस्कियां बड़े स्वाद के साथ लेते नजर आते हैं।

जिले भर में ना जाने पेट्रोल से चलने वाले ऐसे कितने वाहन हैं जिनमें गैस की किट लगी हुई है। गैस से चलने वाले अधिकांश वाहन घरेलू उपयोग की रसाई गैस से ही संचालित हो रहे हैं। शहर भर में अनेक स्थानों पर टंकी पलटानेअर्थात घरेलू उपयोग की रसोई गैस को वाहन की गैस टंकी में भरने का खतरनाक काम किया जा रहा है। यह सब धड़ल्ले से हो रहा है और खाद्य विभाग ध्रतराष्ट्र बनकर बैठा हुआ है।

मुखालफत करने वालों से चुन चुन कर लिया जा रहा है बदला!

मुखालफत करने वालों से चुन चुन कर लिया जा रहा है बदला!

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। नगर पालिका परिषद का काम वैसे तो नगर के लोगों के अमन चैन, साफ सफाई, प्रकाश, बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाने का होता है पर सिवनी की नगर पालिका परिषद में उलट बंसी ही बजती दिख रही है। नगर पालिका में उन वार्ड में काम नहीं करवाए जा रहे हैं जिन वार्ड के पार्षद नगर पालिका के नेतृत्व के खिलाफ हैं या जिन वार्ड से नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी को जनादेश नहीं मिल पाया है।
बताया जाता है कि जबसे नगर पालिका परिषद की कमान युवा नेता राजेश त्रिवेदी के हाथों में आई है नगर पालिका परिषद में अराजकता पसर गई है। अनेक वार्डों में जहां गर्मी के मौसम में नल एक बूंद भी पानी नहीं उगलते थे, वहां अब चौबीसों घंटे नलों से पानी आ रहा है। जाहिर है यह पानी नगर पालिका की पानी की टंकी से तो नहीं ही आ रहा है। यह भूमिगत पाईप लाईन के माध्यम से गटर और नाली का गंदा पानी ही आ रहा है जिसे पीकर लोग डायरिया, आंत्रशोध, पीलिया जैसी गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं।
वहीं, बबरिया के निवासियों का कहना है कि वार्ड में बारिश के मौसम में व्याप्त गंदगी, नालियां ओवर फ्लो होकर पानी घरों में घुसने आदि की शिकायत लेकर जब वे नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के पास गए तो राजेश त्रिवेदी ने दो टूक शब्दों में यह कह दिया कि उस वार्ड से उन्हें (राजेश त्रिवेदी को) वोट ही नहीं मिले तो वे उस वार्ड के लिए काम क्यों करें?
पालीटेक्निक कालेज के पीछे बबरिया टोला में गंदगी का आलम यह है कि यहां लोग मलेरिया, हैजा, आंत्रशोध, पीलिया, उल्टी दस्त जैसी बीमारियों से ग्रसित होते जा रहे हैं। वार्ड में अनेक स्थानों पर गर्मी के मौसम में नल ना आने की शिकायत आम होती थी, पर अब तो चौबीसों घंटे नलों सें पानी का धल्ला बह रहा है। लोगों के अनुसार नल इस पानी में केंचुए, कचरा, मिट्टी, सांप के बच्चे, झींगुर, बाल आदि उगल रहे हैं। यह पानी निश्चित तौर पर नालियों का गंदा या गटर का ही पानी है जिसका उपभोग यहां तक कि पीने के लिए भी करने के लिए नगर वासी मजबूर हैं।
यहां उल्लेखनीय होगा कि परिसीमन के पहले बबरिया टोला ग्राम पंचायत बबरिया की हिस्सा था। इस ग्राम पंचायत में लंबे समय तक वार्ड पार्षद श्रीमति सीमा चौरसिया के पति संजय चौरसिया सरपंच रहे हैं। उनके कार्यकाल में ग्राम पंचायत बवरिया ने प्रगति के नए आयाम स्थापित किए थे।
उधर, वार्ड पार्षद श्रीमति सीमा चौरसिया ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि उनका पुत्र बीमार था, जिसे लेकर वे नागपुर गईं थीं। नागपुर में उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो वे दिल्ली गईं और लगभग एक पखवाड़े तक अपने पुत्र का इलाज करवाकर वे कल ही वापस लौटीं हैं।
श्रीमति सीमा चौरसिया ने कहा कि दरअसल, षणयंत्र के तहत वार्ड के जमादार संतोष डागोरिया का यहां से स्थानांतरण कर दिया गया है, जिससे सफाई व्यवस्था लड़खड़ा गई है। इसके साथ ही साथ उन्होंने बताया कि उनके वार्ड में पहले ट्रेक्टर ट्राली से कचरा उठवाया जाता था, उसे भी नगर पालिका परिषद द्वारा हटा लिया गया है। अब उनके वार्ड में हाथ से धकेलने वाली ट्राली से कचरा उठवाया जा रहा है जिसके चलते यह समस्या उत्पन्न हुई है।

शहर में चल रही चर्चाओं के अनुसार लोगों को राहत देने के बजाए, अपने विरोधियों या गलत बातों को इंगित करने वालों के खिलाफ माहौल बनवाने की बात तर्कसंगत प्रतीत नहीं होती है। सियासत में मित्र शत्रु होना जुदा बात है, वर्चस्व की जंग अपने आप में सही है पर इसका असर अगर नगर की रियाया पर पड़ने लगे तो सियासत करने वाले को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह जाता है।

झाबुआ पावर, विकास और रासलीला!

झाबुआ पावर, विकास और रासलीला!

(शरद खरे)

सिवनी जिले में नेतृत्व का अभाव नब्बे के दशक से साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। जब तक पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा सक्रिय राजनीति में थीं तब तक सिवनी के विकास के जो सौपान तय किए गए उसे आज प्रौढ़ और उमरदराज हो रही पीढ़ी भली भांति जानती है। विध्न संतोषियों ने सुश्री विमला वर्मा को कथित तौर पर षणयंत्र के तहत सक्रिय राजनीति से किनारे होने पर मजबूर कर दिया। इसके उपरांत सिवनी में पूरी तरह गैर मूल्य आधारित निहित स्वार्थ वाली राजनीति का आगाज हो गया।
सिवनी के विकास पर इसी के उपरांत ग्रहण लगना आरंभ हुआ। सिवनी में सियासी हल्कों में हल्कापन तेजी से पसर गया और फिर विकास का रथ अवरूद्ध होता चला गया। इसके बाद विकास के मायने ही बदल गए। सिवनी में एक एक करके पुराने उद्योग धंधे बंद होते चले गए पर ना किसी सांसद ना विधायक ने इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझा। सिवनी की शराब डिस्टलरी भी बंद हो गई।
सिवनी में एनटीपीसी का पावर ग्रिड स्थापित हुआ। शहरी सीमा से महज चार किलोमीटर दूर जबलपुर रोड़ पर एनटीपीसी ने अपने वितरण केंद्र की संस्थापना करवाई हैै। करोड़ों रूपयों की लागत वाले इस वितरण केंद्र के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन एनटीपीसी को दी गई है। यहां वितरण केंद्र के अंदर कर्मचारियों को रहने की व्यवस्था भी है। यह वितरण केंद्र सिवनी के लिए शोभा की सुपारी से कम नहीं है। इस वितरण केंद्र से सिवनी को क्या फायदा है, यह बात सिवनी के विकास का ठेका लेने वाले अगर बता दें तो मेहरबानी से कम नहीं होगा।
जब घोषित और अघोषित बिजली कटौती होती रही है तब भी इस वितरण केंद्र के अंदर सोडियम लेंप जगमगाते रहे हैं। क्या सिवनी को इससे विद्युत आपूर्ति हो रही है? क्या यहां रहने वालों से नगर पालिका या किसी ग्राम पंचायत को कर के रूप में कुछ आवक हो रही है? क्या इसका कोई लाभ सिवनी को मिल रहा है? जाहिर है तमाम प्रश्नों के उत्तर नकारात्मक ही होंगे। फिर क्या वजह है कि सिवनी जिले की भूमि इसके लिए दे दी गई। निश्चित तौर पर यह राष्ट्रीय विकास का मसला है पर इसमें सिवनी की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए थी, वस्तुतः ऐसा हुआ नहीं।
अब घंसौर में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह जो शराब निर्माण से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी गहरी पैठ रखता है के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा एक पावर प्लांट लगाया जा रहा है। यह पावर लगभग सात हजार करोड़ रूपयों की लागत से लगने वाले इस पावर प्लांट के लिए घंसौर के नेता नुमा ठेकेदारों ने अपना कब्जा जमा लिया है। संयंत्र प्रबंधन इनके इशारों पर कत्थक कर रहा है। सिवनी के कथित मीडिया मुगलों को ये नेता नुमा ठेकेदार पैसों के बल पर अपनी देहरी पर कत्थक करवा रहे हैं। मीडिया के गुणधर्म, एथिक्स को भूलकर मीडिया को दुकान समझने वाले ये कथित मीडिया मुगल इनकी देहरी पर कत्थक करने को अपनी शान समझ रहे हैं।
वर्ष 2009 से सिवनी में गौतम थापर के इस पावर प्लांट की संस्थापना की नींव रखी गई है। आरंभ से ही यह पावर प्लांट विवादों में घिरा रहा है। सिवनी का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि सिवनी जिले में लगने वाले इस पावर प्लांट का एक भी कार्यालय जिला मुख्यालय सिवनी में नहीं है। अगर किसी को कोई सूचना का आदन प्रदान करना हो तो उसे सिवनी से लगभग सौ किलोमीटर का सफर तय कर घंसौर के बरेला जाना होता है। जिला प्रशासन ने भी इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की है कि सिवनी में लगने वाले पावर प्लांट का कार्यालय सिवनी के बजाए जबलपुर में क्यों?
पावर प्लांट के एक कर्ताधार्ता अधिकारी मेंहदीरत्ता जी से अगर उनके मोबाईल (जो आसानी से उपलब्ध नहीं है, सिवनी में चुनिंदा बिचौलियों के पास ही है, हमें भी बमुश्किल ही मिल पाया है) 9977802499 पर संपर्क कर पूछा जाए तो वे यही कहते पाए जाएंगे कि जबलपुर संयंत्र स्थल से पास है अतः वहां कार्यालय है। अगर ऐसा ही था तो पावर प्लांट जबलपुर जिले में ही लगवा लिया जाता उसके लिए सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील का सीना क्यों छलनी किया जा रहा है?
इस संयंत्र में कितने लोग कहां कहां से आकर काम कर रहे हैं यह बात संयंत्र प्रबंधन ही जानता है। पिछले दिनों घंसौर में चार साल की मासूम गुड़िया के साथ इसी पावर प्लांट के एक वेल्डर ने दुराचार किया। अंत में गुड़िया की इहलीला समाप्त हो गई। यह सब होने के बाद ना प्रशासन चेता ना पुलिस। संयंत्र प्रबंधन तो बस किसी तरह काम निकल जाए की तर्ज पर काम कर ही रहा है। हाल ही में संयंत्र में कार्यरत एक सुरक्षा कर्मी ने महज तेरह साल की कोमलांगी बाला के सामने अपने कपड़े उतार दिए। अब तक ना जाने कितने लोग इस संयंत्र में निर्माण के दौरान दम तोड़ चुके हैं। इसकी जानकारी घंसौर पुलिस को नहीं है ऐसा नहीं है पर माता लक्ष्मी में बहुत दम होती है इस बात का साक्षात उदहारण देखने को मिल रहा है घंसौर में।

आखिर हो क्या रहा है इस संयंत्र में! आखिर देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर अपने गुर्गों से क्या करवाना चाह रहे हैं सिवनी में? आखिर पुलिस ने अब तक दर्ज मामलों में गौतम थापर के खिलाफ मामला पंजीबद्ध क्यों नहीं किया? आखिर गौतम थापर इस कंपनी के सीधे सीधे मालिक हैं, यह जवाबदेही गौतम थापर की बनती है कि वे अपने संस्थान में अच्छे और चरित्रवान कर्मचारी रखें। इधर पुलिस की जवाबदेही है कि अगर गौतम थापर ऐसा नहीं कर रहे हैं तो उन्हें कटघरे में खड़ा करें। गौतम थापर खरबपति हैं तो क्या हुआ? क्या भारत गणराज्य का कानून अमीर गरीब में भेद करता है? घंसौर पुलिस को चाहिए कि वह गौतम थापर के खिलाफ भी कार्यवाही करते हुए उनकी हाजिरी घंसौर थाने में लगवाए तभी गौतम थापर अपने संयंत्र की जमीनी हकीकत से रूबरू हो पाएंगे और सिवनी की बालाएं गौतम थापर के छोड़े गए इन नरपिशाचों से बच पाएंगी!

सोमवार, 29 जुलाई 2013

सावन की झड़ी ने रूलाया सभी को

सावन की झड़ी ने रूलाया सभी को

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। सावन के महीने में सालों बाद लोगों ने सावन की झड़ी का आनंद लिया। आषाढ़ माह में हुई अतिवर्षा से किसानों के चमके चेहरों पर मायूसी टपकने लगी। अब लगातार हो रही बारिश ने मौसम में ठण्ड़क घोल दी है और किसानों को बीजों के अंकुरण की चिंता सताने लगी है।
गौरतलब है कि आषाढ़ माह में ही इतना पानी गिर गया है कि लोग अब त्राही माम त्राही माम करते नजर आ रहे हैं। गर्मी इस साल अपेक्षाकृत कम पड़ी है, जिससे कमजोर मानूसन की उम्मीद की जा रही थी, पर मौसम विभाग द्वारा तगड़े मानसून की भविष्यवाणी की गई थी।
पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश अब गरीबों के लिए अभिशाप बनने लगी है, क्योंकि लगातार हो रही बारिश से गरीबों के घर की दीवारें धसकना शुरू हो गई है। बताया जाता है कि लगातार हो रही बारिश के चलते बरघाट रोड बायपास में स्थित चूना भट्टी के दो मकानों की दीवार रात के समय गिर गई, जिससे बड़ा हादसा होते होते बचा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चूना भट्टी निवासी नसीम अपने दो छोटे-छोटे बच्चों को मजदूरी कर पालती हैं। बीती देर रात जब वह सो रहीं थी, तभी दीवार का एक हिस्सा नीचे गिर गया, हालांकि इस घटना से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन यदि उक्त दोनों बच्चों के साथ नसीम बी दीवार के किनारे सोते रहती तो एक बड़ा हादसा घट सकता था।
वहीं दूसरी घटना चूना भट्टी की है, जहां चैनसिंह राठोरिया अपने परिवार के साथ रहते हैं उनके मकान की भी दीवार बारिश के चलते नीचे गिर गई। भरी बारिश में दोनों की दीवार गिर जाने से दोनों परिवारों के सामने सिर छिपाने की समस्या आ खड़ी हुई है। फिलहाल समाचार लिखे जाने तक प्रशासन की ओर से कोई भी मदद उक्त पीड़ितों को नहीं मिल पाई थी।

वहीं, समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के भोपाल ब्यूरो से सोनल सूर्यवंशी ने मौसम विभाग के हवाले से बताया कि मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में प्रदेश में मानसून के तेजी से सक्रिय होने की बात कही है। साथ ही साथ प्रदेश में जबलपुर संभागों सहित अनेक स्थानों पर भारी वर्षा की चेतावनी भी दी है। सिवनी जिले में भी बारिश का कहर बरप सकता है।

मच्छरों की खेती कर रही नगर पालिका!

मच्छरों की खेती कर रही नगर पालिका!

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। सिवनी शहर में मलेरिया के सैकड़ों मरीजों के मिलने के बाद अब डेंगू ने भी अपनी दस्तक दे दी है। ज्ञातव्य है कि खतरनाक डेंगू अब तक दिल्ली के अलावा कुछ गिने चुने शहरों में ही कहर बरपा रहा था। जिला मुख्यालय में जगह जगह भरे डबरे, पोखर आदि में मच्छरों के लिए उपजाऊ माहौल तैयार हो रहा है।
मलेरिया विभाग का कार्यालय जिला चिकित्सालय के प्रांगण में है। जिला चिकित्सालय में ही मच्छरों के लार्वा पनपने के लिए उपजाऊ माहौल तैयार होता दिख रहा है। अस्पताल परिसर में ही जगह जगह पानी भरा दिख जाता है। आलम यह है कि अस्पताल की छत पर ही कई जगह पानी भरा हुआ है।
इसी तरह शहर भर में जगह जगह पोखरों में मच्छरों के लार्वा पनप रहे हैं। शहर के पॉश इलाके बारापत्थर में तो काफी बड़े आकार के मच्छरों का डेरा साफ दिखाई पड़ता है। मजे की बात तो यह है कि शहर में अनेक स्थानों पर दूध डेरियां संचालित हैं। इन दूध डेरियों में गाय और भैंस भी पर्याप्त मात्रा में गंदगी फैला रही हैं।
सालों से नगर पालिका प्रशासन की ओर से मच्छरों के शमन के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है। नगर पालिका प्रशासन के पास एक अदद फागिंग मशीन भी है जिससे वह मच्छरों को भगाने का काम करती है। साल में महज दस से पंद्रह दिन ही यह फागिंग मशीन अपनी कर्कश ध्वनि के साथ लोगों को दिखाई पड़ जाती है।
आम जनता की तो छोड़िए सत्ता में बैठी भातरीय जनता पार्टी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस के नेताओं ने भी फागिंग मशीन की आवाज शायद ही सुनी हो। मजे की बात तो यह है कि नगर पालिका प्रशासन द्वारा इस फागिंग मशीन को आपरेट करने की मद में बड़ी मात्रा में राशि का आहरण भी किया जाता है, पर पालिका में चल रहे कमीशन के गंदे धंधे के चलते विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी के पार्षद भी पालिका की सभा या बजट अधिवेशन में इस बात पर आपत्ति दर्ज नहीं करते कि जब फागिंग मशीन चली ही नहीं तो भला इसकी मद में राशि का आहरण क्यों किया जा रहा है।
शहर में आज मलेरिया विभाग के कुछ कर्मचारी अवश्य ही विवेकानंद वार्ड में घूमकर पानी में दवा डालते दिखाई दिए। मठ तालाब के आसपास यह टीम खासी सक्रिय नजर आई। जिला चिकित्सालय, निजी चिकित्सालयों, निजी तौर पर चिकित्सा करने वाले चिकित्सकों के दर पर मलेरिया के मरीजों की संख्या देखकर इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मच्छरों के शमन के प्रति पालिका और मलेरिया विभाग कितना सक्रिय है।
शहर में डेंगू के संदिग्ध मरीज मिलने से अब सिवनी में भी डेंगू फैलाने के जिम्मेदार मच्छरों की आवक से खतरे की घंटी बजने लगी है। गौरतलब है कि डेंगू के लिए जिम्मेदार मच्छर साफ पानी में ही अंडे देता है। बरसात के मौसम में घरों की छतों पर एकत्र पानी, डबरे, पोखरों का पानी, गर्मी के उपरांत बाहर रखे कूलर, अन्य बेकार सामान आदि में एकत्र पानी इनके लार्वा के लिए उपजाऊ माहौल तैयार करता है।

यहां यह उल्लेखनीय होगा कि देश की राजधानी दिल्ली में बारिश और ठण्ड के मौसम में डेंगू के मरीजों और इससे मरने वालों की तादाद में खासा इजाफा होता है। दिल्ली में तो अगर किसी के घर पानी एकत्र मिलता है तो उसके मालिक पर नगर निगम द्वारा चालान बना दिया जाता है। पर चर्चा है कि सिवनी की नगर पालिका को शायद कमीशन के गंदे धंधे से फुर्सत ही नहीं मिल पाती कि वह नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति कोई कदम उठाए।

. . . तो शक्ति के निष्कासन की मांग करूंगा: योगेंद्र बाबा

. . . तो शक्ति के निष्कासन की मांग करूंगा: योगेंद्र बाबा

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। अगर शक्ति सिंह ने कांग्रेस के खिलाफ कोई बात कही है और आगे वे कांग्रेस के खिलाफ कोई काम करते हैं तो पहला व्यक्ति मैं होउंगा जो शक्ति सिंह के निष्कासन की बात कांग्रेस से करूंगा।‘‘ उक्ताशय की बात लखनादौन से टिकिट मांग रहे और कुंवर शक्ति सिंह द्वारा समर्थित कांग्रेस के नेता योगेंद्र सिंह उर्फ बाबा द्वारा आज समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से दूरभाष पर चर्चा के दौरान कही गयी।
योगेंद्र सिंह ने कहा कि वे भोपाल में हैं, अतः लखनादौन और केवलारी में क्या हुआ इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि सिवनी जिले की चारों विधानसभा सीट पर कांग्रेस का परचम लहराए। कांग्रेस पार्टी जिस किसी को भी टिकिट देती है वे उसका तन मन धन से ईमानदारी के साथ सहयोग करेंगे।
ज्ञातव्य है कि गत दिवस केवलारी में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक अबरार अहमद की उपस्थिति में काफी हंगामा हुआ था। बताया जाता है कि घंसौर क्षेत्र के कद्दावर नेता कुंवर शक्ति सिंह ने पर्यवेक्षक के समक्ष यह तक कह डाला था कि मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे हरवंश सिंह ने उन्हें ढाल बनाकर घंसौर की तत्कालीन विधायक श्रीमति उर्मिला सिंह को हरवाया था।
बताया जाता है कि कुंवर शक्ति सिंह ने पर्यवेक्षक के सामने यह तक कह दिया था कि हरवंश सिंह ठाकुर धोखे की राजनीति करते थे। उन्होंने कुंवर शक्ति सिंह के माध्यम से उर्मिला सिंह को चुनाव तक हरवा दिया था। इसके बाद गोंडवाना का प्रलोभन देकर उन्हें कांग्रेस में लाया गया था। कुंवर शक्ति सिंह ने आरोप लगाया कि हरवंश सिंह ने बाद में कुंवर शक्ति सिंह को भी धोखा दिया है।
तैश में आकर कुंवर शक्ति सिंह ने दिवंगत हरवंश सिंह पर गंभीर आरोप मढ़कर यह भी कहा कि हरवंश सिंह की सियासी बाजीगरी समझ से परे ही रही है। हरवंश सिंह द्वारा निर्दलीय प्रत्याशियों को लड़वाकर कांग्रेस को कमजोर करने का प्रयास किया जाता रहा है। कुंवर शक्ति सिंह ने यह भी कहा कि सिवनी में कांग्रेस बची ही नहीं है, जो कांग्रेस बची है वह हरवंश कांग्रेस है।
बताया जाता है कि कुंवर शक्ति सिंह ने यह भी कहा कि अगर केवलारी विधानसभा सीट से हरवंश सिंह के पुत्र रजनीश सिंह को टिकिट दी जाती है तो वे स्वयं निर्दलीय के बतौर चुनाव मैदान में उतरेंगे, भले ही इसके लिए उन्हें कांग्रेस क्यों ना छोड़ना पड़े। कुंवर शक्ति सिंह की इस दंभोक्ति से हरवंश सिंह के पुत्र रजनीश सिंह का सियासी कैरियर संकट में पड़ता दिख रहा है।
इन तथ्यों के बारे में जब योगेंद्र सिंह से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि उन्हें इन सारी बातों की जानकारी नहीं है कि किसने क्या कहा? योगेंद्र सिंह का कहना था कि हरवंश सिंह द्वारा उर्मिला सिंह को कुंवर शक्ति सिंह के ढाल के रूप में इस्तेमाल कर हराने की बात पर वे कुछ नहीं कहना चाहते।
योगेंद्र सिंह ने कहा कि अगर केवलारी से रजनीश सिंह को टिकिट दी जाती है और कुंवर शक्ति सिंह उनका विरोध करते हैं अथवा निर्दलीय के बतौर मैदान में उतरते हैं तो वे इसका विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो योगेंद्र सिंह पहला व्यक्ति होगा जो कांग्रेस से यह अपील करेगा कि कुंवर शक्ति सिंह को छः सालों के लिए कांग्रेस से निष्कासित किया जाए।

योगेंद्र सिंह ने कुंवर शक्ति सिंह के सियासी हल्केपन पर परोक्ष तौर पर चोट करते हुए यह भी कहा कि वे इस बारे में ज्यादा टिप्पणी इसलिए भी नहीं करना चाहते क्योंकि कुंवर शक्ति सिंह जैसे नेता जोश में कुछ भी बोल देते हैं और बाद में जब किरकिरी होती है तो अपने इन बयानों का खण्डन करने से नहीं चूकते।

गंदे बदबूदार पेयजल से कब मिलेगी निजात

गंदे बदबूदार पेयजल से कब मिलेगी निजात

(शरद खरे)

माना जाता है कि सत्तर फीसदी बीमारियों की जड़ दूषित जल ही होता है। जल को शुद्ध कर ही जनता के बीच बांटने की जवाबदेही है स्थानीय निकायों की। स्थानीय निकाय जल के शोधन में लाखों करोड़ों रूपए हर साल खर्च करती है, फिर भी अगर जनता को साफ पानी पीने को ना मिले तो यह किसकी जवाबदेही मानी जाएगी। आज अस्पताल पूरी तरह आंत्रशोध, डायरिया जैसी जलजनित बीमारियों के मरीजों से अटे पड़े हैं।
जिला मुख्यालय सिवनी में पानी की सप्लाई के लिए व्यवस्थाओं में परिवर्तन होता रहा है। जानकार बताते हैं कि 1920 में जब शहर की आबादी महज चार हजार से भी कम थी, तब शहर की जलापूर्ति के लिए बबरिया तालाब बनवाया गया था। इस तालाब से नहरों के माध्यम से पीने का पानी शहर में आता था। जानकार यह भी बताते हैं कि बबरिया तालाब में अगर पानी ज्यादा हो जाता था तो वह भूमिगत नहर के माध्यम से बरास्ता कंपनी गार्डन होते हुए दलसागर में पहुंचता था। दलसागर में ओवर फ्लो की स्थिति में यह भूमिगत नहर के माध्यम से बुधवारी तालाब और फिर बुधवारी तालाब का आउटलेट ललमटिया वाले सिरे से किया जाता था।
काफी लंबे अरसे तक सिवनी में नहरों, कुओं, वावलियों आदि से पीने का पानी मिलता रहा। शहर के अंदर के दलसागर, बुधवारी, मठ और स्टेशन के सामने के तालाबों का पानी पीने योग्य नहीं माना जाता था। कालांतर में नगर पालिका परिषद के ओवरसियर लाला हरगोविंद राय सरीन ने सिवनी में नहरों के बजाए भूमिगत पाईप लाईन डलवाना आरंभ किया। डॉ.विजय कुमार सरीन के दादा लाला जी को उसके बाद शहर के लोग उन्हें नल बाबू के नाम से ही पुकारने लगे। आज भी पुराने लोग शहर में पानी की सप्लाई के लिए नल बाबू का जिकर अवश्य कर लिया करते हैं। जब घरों घर में भूमिगत लोहे के पाईपों के माध्यम से बबरिया से पानी का प्रदाय आरंभ हुआ तब पुरानी नहरों का उपयोग बंद हो गया और ये शहर के बड़े नालों में तब्दील हो गए। आज बुधवारी में सरचा होटल के सामने वाला नाला पुरानी नहर ही है।
1972 में शहर में पानी की सप्लाई के लिए लखनवाड़ा के बैनगंगा के तट का उपयोग किया जाने लगा, पर यह साल में महज तीन चार माह ही साथ दे पाता था। यहां एक विशेषता यह कही जाएगी कि शहर में लंबे समय तक टिग्गा मोहल्ला की इकलोती पानी की टंकी से सुबह और शाम दोनों ही समय पानी की सप्लाई की जाती थी। उस समय शहर में पानी का हाहाकार नहीं मचता था। इसके साथ ही मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला और कटंगी नाके के नलकूप से पानी की व्यवस्था प्रथक से की जाती थी।
जब शहर की आबादी बढ़ी तो पानी का प्रदाय एक ही समय होना आरंभ हुआ। इसके बाद शहर में और पानी की टंकियों की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। पानी की टंकियों की तादाद बढ़ाने के साथ ही साथ एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बांध का दर्जा प्राप्त संजय सरोवर परियोजना यानी भीमगढ़ बांध में सुआखेड़ा से श्रीवनी होकर सिवनी पानी लाना सुनिश्चित किया गया। इस योजना की सबसे बड़ी खामी लगभग 22 किलोमीटर दूर श्रीवनी से पानी साफ कर पाईप के सहारे सिवनी लाया जाना था। एक बार तत्कालीन प्रभारी मंत्री गणपत सिंह उईके ने इसके निरीक्षण के दौरान आश्चर्य व्यक्त किया था कि आखिर 22 किलोमीटर तक साफ पानी कैसे लाया जा रहा है?
पॉलीटिकल माईलेज के चलते मार्ग में पड़ने वाले गांवों में इस लाईन से होने वाली पानी की चोरी पर अनदेखी की गई। इस लाईन के परीक्षण के दौरान मिशन इंग्लिश मीडियम स्कूल के पास पाईप, पानी के तेज दबाव में जमीन से निकलकर आसमान की ओर खड़ी हो गई थी। बेहतर होता अगर उस समय ही जल शोधन संयंत्र को श्रीवनी के स्थान पर बबरिया में ही बनाया जाता और भीमगढ़ का पानी रोजाना बबरिया लाया जाना सुनिश्चित किया जाता।
अगर ऐसा होता तो निस्संदेह बार बार फटने वाली इस पाईप लाईन के कारण नलों के ना आने की समस्या से नागरिक दो चार नहीं होते क्योंकि कम से कम दो माह का पानी तो बबरिया में स्टाक में रहता ही साथ ही साथ लोगों को साफ पानी मुहैया हो पाता। इस बारे में अनेक बार पत्राचार करने पर इसे अव्यवहारिक बताया गया है। पता नहीं यह अव्यवहारिक कैसे है? जब यह योजना कार्यरूप में परिणित हो रही थी तब प्रदेश में विपक्ष में बैठी भाजपा के विधायक भी मौन धारण किए रहे।
सिवनी शहर में आज कम से कम दस हजार 460 नल कनेक्शनधारी हैं और शहर में चार पानी की टंकियां हैं, प्रत्येक पानी की टंकी की क्षमता 13 लाख पचास हजार लीटर है। बावजूद इसके प्रत्येक घर में महज दस से पंद्रह मिनिट ही पानी की सप्लाई हो पा रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पानी सुआखेड़ा से ही कम दबाव में लाया जा रहा है, क्योंकि विभाग को डर है कि अगर पूरी क्षमता का उपयोग किया गया तो कहीं पाईप फट ना जाएं। यही कारण है कि पानी की टंकियां आधी अधूरी ही भर रही हैं।
अभी बारिश का मौसम अपने पूरे शवाब पर है, अभी तक पानी भी पिछले वर्ष की तुलना में अच्छा खासा गिर चुका है इसके बाद भी शहर में पानी का हाहाकर मचता दिख रहा है। जिला प्रशासन के आला अफसरान् के घरों पर तो उम्दा क्वालिटी के फिल्टर होंगे जिससे साफ किया हुआ पानी वे उपभोग करते होंगे पर उन गरीबों की कौन सुने जो दो से तीन फिट गहरे गड्ढ़े में उतरकर पीने का पानी लाने को मजबूर हैं? कई इलाकों में तो गंदा और बदबूदार पानी ही पीने पर मजबूर हैं सिवनी के वाशिंदे।
नगर पालिका की स्थिति काफी दयनीय है। नगर पालिका को विधायक निधि से घटिया टेंकर्स देने की पंरपरा का बाकायदा निर्वहन हो रहा है, पर भाजपा से उपकृत कांग्रेस के नुमाईंदे खामोश हैं। अगर ऐसा नहीं है तो आखिर शहर के लोगों को साफ पानी ना मुहैया होने का मामला विधानसभा में क्यों नहीं गूंज पाया? कारण आईने के मानिंद साफ है कि अगर बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी की तर्ज पर इस मामले में अंत में कांग्रेस ही कटघरे में खड़ी दिखाई देगी। सिवनी का कोई धनी धोरी नहीं बचा है यह बात सच है। अपने जमाने के मुखर नेता रहे हरीश क्षेत्रपाल सदा ही कहा करते थे, इसकी चिंता मत करो यारों यह मुर्दों का शहर है।