शनिवार, 29 जून 2013

एसीएम कालेज में रजिस्ट्रेशन जारी

एसीएम कालेज में रजिस्ट्रेशन जारी

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। जिले का शैक्षिक गुणवत्तायुक्त एक मात्र संस्थान एसीएम कॉलेज ऑफ एजुकेशन स्व. अशोक चंद मालू शिक्षण संस्थान समिति द्वारा संचालित एसीएम कॉलेज ऑफ एजुकेशन सिवनी सत्र 2009-2010 से संचालित महाविद्यालय है। अल्प समय में ही महाविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में तीव्र विकास की ओर अग्रसर है। उच्च स्तरीय शैक्षिक सुविधाओं के साथ महाविद्यालय में बीएससी, बीकॉम एवं बीएड की कक्षाएं संचालित है।
विगत वर्षाे का महाविद्यालय का परीक्षा परिणाम विश्वविद्यालय स्तर पर उत्कृष्ट रहा है, जिसमें सत्र 2009-10 बीएड पाठ्यक्रम की छात्रा कु.दीप्ती सिंह ने विश्वविद्यालय स्तर पर उच्चतम अंक प्राप्त कर महाविद्यालय के साथ साथ जिले का नाम भी गौरान्वित किया है।
संस्था के संरक्षक अभिषेक मालू एवं संचालक अमित मालू ने बताया कि हमारा लक्ष्य सिवनी जिले में उच्च स्तरीय सुविधाओं के साथ गुणवत्ता आधारित शिक्षा उपलब्ध कराना है। महाविद्यालय में छात्र- छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिये न केवल शैक्षिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, वरन नैतिक विकास हेतु उच्च शैक्षिक योग्यता वाले प्राध्यापकों द्वारा शिक्षण कार्य संपन्न कराया जा रहा है। महाविद्यालय में संपूर्ण सुविधायुक्त भवन, वृहद खेल का मैदान, व्यवस्थित लायब्रेरी एवं प्रयोगशाला उपलब्ध है।
सत्र 2013-14 से महाविद्यालय में बीएससी एवं बीकॉम के विभिन्न पाठ्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। महाविद्यालय संचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि सत्र 2013-14 में ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन एवं प्रवेश से वंचित छात्रों को हताश होने की आवश्यकता नहीं है।
ऐसे छात्र- छात्राएं जिनका किन्ही कारणवश रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है अथवा जिन्हें उनकी स्वेच्छा का महाविद्यालय नहीं प्राप्त हुआ है, वे महाविद्यालय में अतिशीघ्र सीधे प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। प्रवेश हेतु स्वयं महाविद्यालय पहुंचकर जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 

66 साल से बिजली को तरस रहे सिवनी के वाशिंदे!

66 साल से बिजली को तरस रहे सिवनी के वाशिंदे!

शिवराज की अटक ज्योति अभियान की जमीनी हकीकत

(इंजीनियर उदित कपूर)

सिवनी (साई)। इस गांव के किसी भी घर में लाइट नहीं है..., ना ही पंखा है और ना ही कूलर, फ्रिज, यहां किसी के भी घर में टीवी तक नहीं है लेकिन एक चीज़ जो हर घर में मौजूद है, वो है चिमनी यानी कि दीया। जी हां यह हकीकत है, सिवनी जिले में ऐसा ही नजारा है ग्रामीण अंचलों का
फोटो में नज़र आ रहे घुप्प अंधेरे की ये तस्वीरें हैं मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के कुछ गांवों की, जहां आज़ादी के 66 बरस बीत जाने के बाद भी आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। अंधेरे के पीछे छीपा ये सच मध्य प्रदेश सरकार के उस वादे के बिलकुल उलट है जिसमें अटल ज्योति अभियान के तहत सबके घर सदैव बिजली का दावा किया जा रहा है। सिवनी में 22 जून को प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने अटल ज्योति योजना का आगाज कर दिया है, लेकिन यहां के 14 गांवों की ये अंधकारमय तस्वीर मध्य प्रदेश सरकार के दावों को पूरी तरह नकारती नज़र आती है।
ग्राम टकटुआ के ग्रामीण राजेंद्र सिंह ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बिजली के नहीं होने से बच्चों को पढ़ने में बहुत परेशानी हो रही है, कीड़े-करकट का डर लगा रहता है, चिराग की रौशनी में पढ़ने आंखों पर ज़ोर लगाना पड़ता है, गर्मी अलग लगती है, इसलिए बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं
आलम यह है कि लाइट नहीं होने की वजह से गांव वालों के लिए रौशनी का एक मात्र सहारा चिमनी ही है, लेकिन हर रोज़ चिमनी जलाना भी इनके लिए आसान नहीं है।
वहीं ग्राम कोपीझोला के ग्रामीण दीपक विश्वकर्मा ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि लाइट ना रहने से हम लोगों को दिन में भी चिमनी जलाकर रहना पड़ता है, चिमनी में डलने वाले मिट्टी तेल के लिए 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, सोसायटी यहां से 20 किलोमीटर है, जाने के बाद भी कभी मिला नहीं मिला। वैसे बिजली का ना होना यहां के लोगों के लिए तो जैसे अभिशाप बन गया है, गांवों में कुएं भी है और पानी भी है लेकिन मोटर ना चल पाने की वजह से पानी खेतों तक नहीं पहुंच पाता। इसलिए सालभर में एक ही फसल हो पाती है।
ग्राम टकटुआ के ही किसान अशोक कुमार राहंगडाले का कहना है कि साल में एक ही फसल लेते हैं धान की, दूसरी फसल और ले लेते लेकिन बिजली नहीं है, कुएं तो हैं लेकिन पानी का साधन नहीं है, इसलिए दूसरी फसल नहीं ले सकते हैं। देखा जाए तो बिजली ना होने की वजह से ये गांव के लोग बाकी दुनिया से खुद को कटा महसूस करते हैं।
वहीं के एक अन्य ग्रामीण दुर्गा प्रसाद ठाकरे ने साई न्यूज को बताया कि बिजली ना होने की वजह से टीवी नहीं चल पाता है, जिससे हमें बाकी दुनिया में क्या हो रहा है और शासन की योजनाओं का भी पता नहीं चल पाता है। कांग्रेस का शासन रहा हो या भाजपा का या फिर लगातार लंबे समय तक यहां के विधायक हरवंश सिंह ठाकुर रहे हों पर बिजली का ये इंतज़ार इतना लंबा हो गया है कि अब तक गांव के बुज़ुर्ग भी बस एक ही बात कहतें हैं हमें बिजली दिला दो
सिवनी ज़िले की केवलारी विधानसभा के 9 गांवों सुआ, टकटुआ, चिरईडोंगरी, कोपीझोला, पीपरदौन, पाढंरापानी, मशानबर्रा, दामीझोला बंजर, डूंडलखेड़ा और बरघाट विधानसभा के 5 गांवों गुरजई, हाथीगढ़, खिड़की, पंड्रापानी और बावनथड़ी में आज तक कभी बिजली पहुंची ही नहीं, इंसान चांद पर पहुंच गया लेकिन यहां के वाशिंदों के लिए तो उनके गांव में बिजली आना आज भी एक सपने जैसा ही है। कई नेता आए, वायदा किया और चले गए, लेकिन इन गांवों की हालत बीते 66 बरस से जस की तस बनी हुई है तभी तो 4-5 गांवों के लोगों ने इस बार चुनाव के बहिष्कार का ऐलान का कर दिया है।
एक ग्रामीण अमरनाथ ने साई न्यूज से चर्चा में कहा कि हमारे यहां 66 साल से बिजली अभी तक नहीं आई है, इसलिए हम 5-6 गांव के लोगों वे मिलकर निर्णय लिया है  कि जब तक हमारे गांवों में बिजली नहीं आएगी, कोई वोट नहीं डालेगा, इसका फ़ैसला हमारा हो चुका है।
मजे की बात तो यह है कि इस बारे में जब मध्य प्रदेश पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सुपरिन्टेन्डेंट इंजीनियर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है अगर स्वीकृति मिली तो गांवों तक बिजली पहुंच जाएगी

कथन

14 गांवों में बिजली पहले तो सोलर पैनल के माध्यम से पहुंचाई गई थी, ये गांव वनबाधित गांव हैं, इन गांवों के विद्युतीकरण के लिए योजना भी स्वीकृत हुई थी, लेकिन फॉरेस्ट की ओर से केबल के माध्यम से विद्युतीकरण के लिए कहा गया, लेकिन डीपीआर में इसका ज़िक्र नहीं था इसलिए वो योजना पूरी नहीं पाई, अब जो शेष बचे हैं उनको दोबारा योजना में शामिल करने के लिए हमने प्रस्ताव बनाकर भेजा है, प्रस्ताव स्वीकृत हो जाएंगे तो विद्युतीकरण हो जाएगा।
एम एल चिकवा, सुपरिन्टेंडेंट इंजीनियर, मध्य प्रदेश पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी

जनसंख्या वहां की जितनी है उस हिसाब से व्यय ज़्यादा आ रहा था, इसलिए मेरे अनुसार जो मुझे लगता है ये गांव छूट गए, विद्युत  विभाग ने इनकों अगले प्लान में लिया हुआ है लेकिन उसमें 5 साल का समय लगना संभावित है। जनप्रतिनिधियों की भी मांग है, जनता की भी मांग है, इसके बाद मैंने समीक्षा की, विद्युत विभाग से एस्टीमेट बनवाया, तो मुझे लगता है कि इसे आईएपी से लेने की डिमांड थी, तो हम इस साल चार गांवों को केवलारी विधानसभा के दो गांव और बरघाट विधानसभा के दो गांवों को  आईएपी में विद्युतीकृत कराने में ले रहे हैं, क्योंकि विद्युत विभाग की क्षमता नहीं है इससे ज़्यादा कराने की, इस साल चार गांव ले रहे हैं, अगले साल फिर चार गांव लेंगे, इस तरह दो तीन सालों में इन गांवों को विद्युतीकृत कर देंगे।

भरत यादव, कलेक्टर, सिवनी

पैसों को लेकर हुए विवाद में आर्मी जवान की हत्या

पैसों को लेकर हुए विवाद में आर्मी जवान की हत्या

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। भारतीय सेना के एक जवान की पैसों के लेनदेन को लेकर हुए विवाद में हत्या कर दी गई। घटना जिला मुख्यालय के पॉश इलाके बारापत्थर के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के समीप की बताई जा रही है। घटना में दो लोगों की गिरफ्तारी की खबर है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 24 वर्षीय राजेश पिता रघुवंशी कुमरे पहले सिवनी का निवासी था। बाद में उसका परिवार छिंदवाड़ा में पंचशील कालोनी में जाकर निवास करने लगा। मृतक श्रीनगर में सेना की आर्टलरी में पदस्थ बताया जा रहा है।
पुलिस सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि मृतक राजेश का विवाद 25 जून को अपने पैसा मांगने को लेकर हो गया। सूत्रों ने बताया कि मृतक राजेश के बैंक एकाउंट के एटीएम से अंकित शिववेदी ने 98 हजार रूपए निकाल लिए थे। जब इसकी जानकारी राजेश को लगी तो उसने अंकित से अपना पैसा वापस मांगा, जिससे विवाद गहरा गया।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि आखिर किसी के बैंक एकाउंट के एटीएम से कोई दूसरा पैसे का आहरण कैसे कर सकता है? कहा जा रहा है कि सट्टे जुएं के लेनदेन को लेकर दबंग लोगों द्वारा जिसे पैसा दिया जाता है उसका एटीएम या बैंक की साईन की हुई चेक बुक रख ली जाती है। इस तरह के एटीएम और चैकबुक पूर्व में तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक रमन सिंह सिकरवार के समय बड़ी मात्रा में ब्याजखोरों के पास से बरामद हो चुके हैं।
सूत्रों ने आगे बताया कि घटना के दिन गुरूवार को मृतक राजेश जो छिंदवाड़ा से सिवनी आकर अपने मित्र अखिलेश उर्फ गोलू वाघमारे के घर रूका था, वह घर के सामने खड़ा था। इसी बीच अज्जू शिववेदी जो अंकित का भाई बताया जाता है ने उससे कहा कि वह उससे बात करना चाह रहा है और उसे जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के पास ले गया।
बताया जाता है कि घटना स्थल पर पहले से ही खड़े अंकित शिववेदी और विक्की पवार ने मृतक के साथ ना केवल मारपीट की वरन उसे चाकुओं से गोद डाला। मृतक की चीख पुकार सुनकर स्थानीय लोग वहां पहुंचे जिससे हमलावार वहां से भाग खड़े हुए।
घटना के उपरांत घायल राजेश को जिला चिकित्सालय उपचारार्थ लाया गया, जहां सदा की ही भांति प्राथमिक उपचार के उपरांत राजेश को नागपुर रिफर कर दिया गया। नागपुर ले जाते समय रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। पुलिस ने आज राजेश का शव परीक्षण कराकर शव को परिजनों को सौंप दिया है।
इस संबंध में नगर कोतवाल शिवराज सिंह ने बताया कि प्रकरण में अज्जू उर्फ अजय शिववेदी और विक्की पवार को पुलिस ने पकड़ लिया है, जिनसे पूछताछ जारी है।
इस घटना के उपरांत अनेक सवाल आज भी अनुत्तरित ही रह गए हैं। मसलन, राजेश के एटीएम से किसी ने पैसे का आहरण कैसे कर लिया? क्या पुलिस एटीएम के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से पैसा निकालने वाले से पूछताछ करेगी? अगर पैसे का लेनदेन था तो आखिर किस बात का पैसा था जिसका लेनदेन किया जा रहा था? क्या मृतक जुंए का आदी था?
इन सारी बातों का जवाब तो पुलिस की तफतीश के उपरांत ही सामने आएगा, किन्तु सिवनी में पैसों को लेकर होने वाली मारपीट यहां तक कि हत्या की घटनाओं में इजाफा होने से स्पष्ट होने लगा है कि जुंआ एवं सट्टा तथा अन्य माफिया अब पुलिस पर भारी पड़ता दिख रहा है।

अमानवीय होते चिकित्सक, पिसते मरीज

अमानवीय होते चिकित्सक, पिसते मरीज

(शरद खरे)

अस्सी के दशक तक सिवनी में स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त मानी जाती थीं। सिवनी को विकसित करने प्रदेश सरकार की कैबनेट मंत्री रहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा ने जितने प्रयास किए उतने शायद ही किसी ने किए हों। एक के बाद एक सिवनी को सौगातें देने वाली सुश्री विमला वर्मा के प्रयासों से सिवनी में आई विकास की किरण को भी उनके सक्सेसर जनसेवकों द्वारा संभाल कर नहीं रखा जा सका है।
सिवनी के लिए उनकी अमूल्य धरोहर है विशालकाय क्षमता वाला जिला चिकित्सालय। प्रियदर्शनी के नाम से सुशोभित इस जिला अस्पताल का नाम जबलपुर संभाग में बहुत ही सम्मान के साथ इसलिए लिया जाता था, क्योंकि यहां हर तरह की सुविधाएं और चिकित्सक मौजूद थे। चिकित्सक घरों के बजाए अस्पताल में ही जाकर ईलाज को प्राथमिकता देते थे। याद पड़ता है कि उस दौर में शहर में महज चार या पांच मेडीकल स्टोर्स ही होते थे। मरीजों को दवाएं अस्पताल से ही मिला करती थी। कमोबेश हर मरीज या उसके परिजन के हाथ में एक कांच की बोतल अवश्य होती थी। इस बोतल में मिक्सचर (लिक्विड फार्म में दवा का मिक्चर) दिया जाता था। पीली, हरी या लाल गोली देते वक्त कंपाउंडर मरीजों को दवा का चिकित्सक द्वारा लिखा डोज बताया करते थे। उस समय चिकित्सक अक्सर जीभ देखकर ही रोग का अंदाजा लगाया करते थे।
कालांतर में सुविधाएं बढ़ीं। जांच के तौर तरीके उन्नत हुए। इसके साथ ही चिकित्सकों के मन में भी लोभ जागा। जिला चिकित्सालय की ओर ध्यान ना दिए जाने से यहां चिकित्सकों ने अस्पताल के बजाए घरों पर ही निजी चिकित्सा पर ज्यादा ध्यान देना आरंभ कर दिया। आलम यह हो गया कि अस्पताल परिसर में निर्मित रेड क्रास की दुकानों में ही पैथालाजी सेंटर और एक्सरे का काम यहां पदस्थ चिकित्सकों ने आरंभ कर दिया।
सिवनी के सांसद विधायक मंत्रियों ने इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझा। याद पड़ता है कि अंतिम बार 1992 में भाजपा की सुंदर लाल पटवा सरकार के विधि विधायी मंत्री और सिवनी विधायक पंडित महेश प्रसाद शुक्ला ने इस चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया। इसके बाद किसी विधायक, सांसद या मंत्री ने चिकित्सालय की ओर रूख नहीं किया है। चिकित्सालय में दुकाने लग रही हैं। एक बजे तक मरीजों को देखने के स्थान पर चिकित्सक साढ़े बारह बजे ही अस्पताल छोड़ देते हैं। अपने अपने घरों या फिर प्राईवेट बस स्टेंड में बने हाउसिंग बोर्ड के शापिंग काम्पलेक्स में इन चिकित्सकों की दुकानों पर मरीजों की भीड़ देखते ही बनती है। एक बार पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी चौहान ने इन दुकानों की तालाबंदी की पर इन चिकित्सकों ने अपने अफसर को ही धता बताकर दुकाने फिर खोल लीं।
प्रदेश सरकार ने इन चिकित्सकों और दवा कंपनियों की जुगलबंदी तोड़ने के लिए जैनरिक नेम से ही दवाएं लिखने का फरमान जारी कर दिया पर प्रदेश सरकार का खौफ किसे है। यहां तो धड़ल्ले से जिस कंपनी के एरिया मैनेजर से सौदा पट गया उसकी दवाएं लिखी जा रही हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि चिकित्सकों का पिन टू प्लेन तक का खर्च इन दवा कंपनियों द्वारा उठाया जा रहा है। धनवंतरी के वंशज कहे जाने वाले इन चिकित्सकों की मानवीयता शायद मर चुकी है। जिला चिकित्सालय में व्यवस्था नाम की चीज नहीं बची है।
जिला चिकित्साल में कमोबेश नब्बे फीसदी चिकित्सक बीस पच्चीस साल से अधिक समय से पदस्थ हैं। इनकी ठेकेदारी इस अस्पताल में चल रही है। मरीजों के साथ पशुओं से बुरा व्यवहार करने में भी इन्हें गुरेज नहीं है। अस्पताल में खून का धंधा जोरों पर है। दवाओं की खरीद में भी घाल मेल है। पेंशनर्स को मिलने वाली दवाओं का बुरा हाल है। अगर किसी को ब्लड प्रेशर की कोई दवा लग रही है तो उसे वहां उपलब्ध दवा चाहे लोसार या एटेन ही मिलेगी। इसके साथ ही साथ जनरल पूल मेें खरीदी जाने वाली मल्टी विटामिन भी पेंशनर्स के लिए खरीदी जा रही हैं।
इतना ही नहीं एनआरएचएम में क्या कार्य हो रहे हैं इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। एनआरएचएम के तहत कितना फंड आता है और उसका अब तक क्या उपयोग हुआ है इस बारे में भी स्वास्थ्य महकमा खामोश ही है। गाहे बेगाहे चिकित्सकों द्वारा मरीजों से पैसा मांगने की शिकायतें भी आम हैं। इसी तरह की एक शिकायत जिला कलेक्टर की जनसुवाई में आई है। सिवनी में सालों से पदस्थ रहने वाले चिकित्सकों ने अपनी अपनी विशाल अट्टालिकाएं खड़ी कर ली हैं। इन अट्टालिकाओं को बनाने के लिए उनके पास पैसा कहां से आया यह पूछने के लिए कोई भी सरकारी महकमा तैयार नहीं है। चिकित्सालय में कर्मचारियों चिकित्सकों और पेरामेडीकल स्टाफ का रोना जब तब रोया जाता है। दो दो विधायकों के पति सिवनी में पदस्थ हैं। सीएमओ अपने लिए ईयर मार्क आवास के बजाए पुराने अस्पताल में रह रहे हैं। जिला कलेक्टर ने अस्पताल का भ्रमण किया और कुछ दिशा निर्देश दिए हैं जिसे अच्छी पहल कहकर इसका स्वागत किया जाना चाहिए। अभी प्रशासन को इस बीमार अस्पताल को पटरी पर लाने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।

गुरुवार, 27 जून 2013

आईएमए क्यों नहीं कर रहा ब्लेकमेलर पत्रकारों का नाम उजागर?

आईएमए क्यों नहीं कर रहा ब्लेकमेलर पत्रकारों का नाम उजागर?

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी डॉ. एम.एन. त्रिवेदी और दीपक अग्रिहोत्री ने कुछ डॉक्टर के कहने पर विज्ञप्ति तो जारी कर दी, जो एक लोकल पेपर में प्रकाशित भी हुई। अब यही विज्ञप्ति उनके गले की फांस बनने लगी है, क्योंकि उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि कतिपय समाचार पत्र और इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोग कुछ चिकित्सकों को ब्लेकमेल करते हुए उनके विरूद्ध समाचार प्रकाशित कर रहे हैं।
इसी बात को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी जिला कलेक्टर से भी मिले। वैसे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के इस कदम के विरोध में कुछ पत्रकारों ने जिला कलेक्टर भरत यादव से मांग की है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उन पत्रकारों का नाम और नंबर क्यों उजागर नहीं कर रहा, जो उन्हें ब्लेकमेल कर रहे हैं।
वैसे सूत्रों की माने तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने महाकौशल एक्सप्रेस और हंटर समाचार पत्र की शिकायत की है, जो नैतिकता के आधार पर और आमजन की समस्याओं को लेकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। समाचार पत्रों का यही कर्तव्य अब उन चिकित्सकों को बैचेन कर रही है, जो अपना ईमान बेचकर मरीजों को लूटने में लगे हैं।

बहरहाल ऐसे चिकित्सक जो अपना ईमान बेचकर आम मरीजों को लूट रहे हैं, उन्हें हम हमेशा बेनकाब करने का प्रयास करेंगे।

मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा क्रिकेट: कलाम

मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा क्रिकेट: कलाम

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। हिन्दुस्तान का राष्ट्रीय खेल हॉकी होने के बाद भी क्रिकेट सबसे ज्यादा खेले जाने वाला खेल है। सिवनी के कई खिलाड़ी मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लेकिन सिवनी में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिये, यहां मूलभूत सुविधाओं का सर्वत्र अभाव है। सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि क्रिकेट के लिये कोई मैदान ही नहीं है।
जिला क्रिकेट संघ सिवनी के उपाध्यक्ष कलाम खान ने बताया है कि डी.सी.ए. द्वारा लगातार खिलाड़ियों के लिये, मैदान की व्यवस्था की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। शासन-प्रशासन के साथ ही साथ जन-प्रतिनिधियों से अपेक्षित सहयोग न मिलने के कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है। मजबूरी में खिलाड़ियों को उधार के मैदानों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
उपाध्यक्ष कलाम खान ने बताया कि डी.सी.ए. के पास मैदानों के सीमित विकल्प ही हैं। इन मैदानों में से ज्यादातर पॉलीटेक्निक मैदान पर ही निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन इस मैदान पर अन्य गतिविधियों के संचालन के दौरान, क्रिकेट पूरी तरह से बाधित हो जाता है। सिवनी में बने एकमात्र स्टेडियम से क्रिकेट को कोई उम्मीद ही नहीं है। यह बात समझ से परे है कि जब भी स्टेडियम में क्रिकेट के लिये अनुमति मांगी जाती है, तो स्पष्ट मना कर दिया जाता है। इस स्टेडियम में आश्चर्यजनक रूप से, क्रिकेट की गतिविधियां शून्य ही हैं।
कलाम खान ने बताया कि सिवनी में क्रिकेट की कई प्रतिभाएं मौजूद हैं। इनका भविष्य उज्जवल हो सकता है। क्रिकेट के मैदान के अभाव में इन खिलाड़ियों का अभ्यास बुरी तरह प्रभावित होता है। नतीजतन ये खिलाड़ी अपनी प्रतिभा के साथ न्याय ही नहीं कर पाते हैं।

कलाम खान ने जिला प्रशासन से अपील की है कि वह क्रिकेट के लिये स्थायी मैदान उपलब्ध कराने की दिशा में पहल करे।  कलाम खान ने जन-प्रतिनिधियों से भी अपील की है कि वे इस कार्य में रूचि लेकर खिलाड़ियों के भविष्य को उज्जवल बनाने में सहयोग करें। कलाम खान ने उम्मीद जाहिर की है कि खिलाड़ियों के लिये अभ्यास हेतु मैदान की व्यवस्था हो जाने पर, निश्चित ही सिवनी के खिलाड़ी भी हिन्दुस्तान की टीम में शामिल होकर जिले का नाम रोशन करेंगे।

कांग्रेसियों की हरकतों से अचंभित रह गए राहुल के दूत!

कांग्रेसियों की हरकतों से अचंभित रह गए राहुल के दूत!

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक जब सिवनी पहुंचे और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए तो वे उनकी हरकतों को देखकर बुरी तरह आश्चर्यचकित रह गए।
कांग्रेस पर्यवेक्षक के सामने जिले के नेताओं ने अपनी अपनी बात कही। नेताओं ने इस बात को जमकर उछाला कि सिवनी जो कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था अब वहां कांग्रेस का नामलेवा भी नहीं बचा है। नेताओं का कहना था कि कांग्रेस में नेता तो सिवनी में पर्याप्त मात्रा में हैं पर कार्यकर्ताओं का अभाव साफ तोर पर परिलक्षित होता है।
गुटबाजी के बीच अलग अलग धड़ों के नेताओं ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस की इस हालत के लिए एक नेता विशेष को ही दोषी ठहराया गया। सिवनी में कांग्रेस के नेताओं के रवैए से कांग्रेस पर्यवेक्षक भी बुरी तरह क्षुब्ध नजर आए। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रदेश का माहौल अलग है और सिवनी का माहौल अलग ही प्रतीत हो रहा है।

बैठक में शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों से विधानसभा उम्मीदवारों के नाम भी सुझाए गए किन्तु किसी भी कांग्रेस के नेता ने सिवनी के जर्जर कांग्रेस के संगठन के बारे में पर्यवेक्षक को अपनी भावनाओं से आवगत नहीं कराया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।

जंगल होम के क्रिकेट सट्टा मामले में अब तक नहीं हुई कोई कार्यवाही

जंगल होम के क्रिकेट सट्टा मामले में अब तक नहीं हुई कोई कार्यवाही

तीन रिसोर्ट की गतिविधियां संदेह के दायरे में


(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। कुरई थाना क्षेत्रांर्गत आने वाले जंगल होम रिसोर्ट में पिछले दिनों पकड़े गए क्रिकेट के हाईटेक सट्टे में इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कोई कार्यवाही ना होना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है। इसकी जांच करने वाले विवेचना अधिकारी श्री नागोजी का एक्सीडेंट हो गया, और वे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। कुरई पुलिस ने इसकी विवेचना किसी अन्य अधिकारी को नहीं सौंपी है।
पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुरई क्षेत्र में पेंच क्षेत्र में जंगल होम रिसोर्ट में यह दूसरी बार क्रिकेट का हाईटेक सट्टा पकड़ाया है। इस बार सट्टा खेलने वाले पुलिस की गिरफ्त से फरार हो गए हैं। जंगल होम रिसोर्ट में दो बार सट्टा पकड़ाया जाना और रिसोर्ट के मालिक के खिलाफ पुलिस कार्यवाही ना होना आश्चर्य का ही विषय है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि जंगल होम रिसोर्ट से लगे दो और रिसोर्ट में भी इस तरह की संदिग्ध गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो इन तीन रिसोर्ट में सटोरियों ने चार लाख रूपए एडवांस देकर कमरे बुक कर रखे हैं।
विवेचना अधिकारी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को दूरभाष पर बताया कि जब जंगल होम रिसोर्ट में पुलिस की दबिश दी गई तो आरोपी कमरे को अंदर से बंद कर पीछे से भाग खड़े हुए। बाद में होटल प्रबंधक द्वारा दूसरे कमरे से पीछे की लाबी में जाकर दरवाजा खोला गया।
उन्होंने बताया कि कमरे में काफी मात्रा में मोबाईल और लगभग आधा दर्जन सिम भी बरामद हुईं। इसके अलावा वहां एक इंडिगो मांजा कार एमपी 22 सीए 1054 भी लावारिस हालत में खड़ी मिली जो सिवनी निवासी किसी दिव्य कुमार राय के नाम पर पंजीकृत है।
विवेचना अधिकारी ने आगे बताया कि यह कमरा सिवनी में मरझोर निवासी संदीप सराठे के नाम पर बुक था। होटल में तीन लोगों के रूकने की खबर भी पुलिस को दी गई है। उन्होंने कहा कि वे गुरूवार को संदीप सराठे और कार मालिक दिव्य कुमार राय के बयान दर्ज करेंगे।
वहीं पुलिस सूत्रों की मानें तो वहां कम से कम आधा दर्जन से ज्यादा लोग थे जो क्रिकेट का सट्टा खिलवा रहे थे। पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया कि कुछ लोगों द्वारा माननीय न्यायालय में अग्रिम जमानत की अर्जी भी लगवाई थी। सूत्रों की मानें तो इसमें संदीप सराठे के अलावा कोई साहू और सनोडिया परिवार के सदस्य भी शामिल बताए जा रहे हैं।

पुलिस सूत्रों ने आगे कहा कि सटोरियों के तार उपर तक प्रभावशाली लोगों से जुड़े हैं अतः वे दबाव बनवाकर पुलिस डायरी में नाम तब्दील करवाने के प्रयास में जुट गए हैं। सूत्रों की मानें तो जप्त मोबाईल में कोडवर्ड में लगभग पांच सौ लोगों के मोबाईल नंबर भी सेव कर रखे गए हैं।

अतिक्रमण का लगा सिवनी को रोग!

अतिक्रमण का लगा सिवनी को रोग!

(शरद खरे)

सिवनी जिले में अतिक्रमण हर तरफ जोर शोर से फैल रहा है। संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधि मौन ही रहकर सब देख सुन रहे हैं। सिवनी शहर के चारों ओर कैंसर के मानिंद, अतिक्रमण पसर चुका है, जिसकी परवाह किसी को नहीं है। शहर की सीमाओं पर चेचक के मानिंद पसरा अतिक्रमण वाकई दुखदायी साबित होता जा रहा है।
महाकालेश्वर टेकरी, जनता नगर, झिरिया, हड्डी गोदाम, डूंडा सिवनी, लूघरवाड़ा आदि क्षेत्रों में जिसका मन जहां चाहा वहां उसने अपना आशियाना या दुकान बना ली। धीरे धीरे ये अतिक्रमणकारी इसे अपनी निजी संपत्ति समझने लगते हैं। एक समय के बाद इन्हें विस्थापित करने में जिला प्रशासन की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक जाती हैं।
सिवनी शहर के अंदर भी अतिक्रमण का यही आलम है। दुकानदारों ने सड़कों को सकरा कर दिया है। नगर पालिका परिषद के कार्यालय के सामने ही अतिक्रमण का बुरा हाल है। सालों से सरकारी कार्यालयों के आसपास केंटीन के लिए निर्धारित स्थान ना होने के चलते चाय पान की गुमटियां भी वर्षों से यहां लग रही हैं।
युवा एवं उत्साही जिला कलेक्टर भरत यादव ने सिवनी शहर को अतिक्रमण से मुक्त करवाने का प्रयास किया था, पर उनकी मुहिम को बीच में ही अपरिहार्य कारणों से रोकना पड़ा है। अब एक बार फिर शहर की सड़कें अतिक्रमण से पट गई हैं, जिससे आवागमन प्रभावित हुए बिना नहीं है।
1991 - 92 में तत्कालीन स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर द्वारा प्रदेश में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया था। उस समय भोपाल की सड़कें देखने लायक हुआ करती थीं। भोपाल सहित प्रदेश भर में सड़कों के हाल इस कदर बेहतर हो गए थे कि लोगों ने दिल से बाबू लाल गौर को धन्यवाद दिया था।
उस समय सिवनी के तत्कालीन जिला कलेक्टर पुखराज मारू ने सिवनी में डोजर, बुलडोजर का उपयोग कर अतिक्रमण को ढहाया था। उसके बाद सिवनी में सड़कें कुछ हद तक चलने लायक हो पाई थी। शहर की जीवन रेखा जीएन रोड़ भी उस समय काफी साफ सुथरी दिखाई पड़ती थी।
उसके पहले नेहरू रोड़ पर व्यापारियों द्वारा सड़कों पर सामान फैलाए जाने की शिकायतें आम हुआ करती थी। उस दौर में कोतवाली के पास एक बड़ा वाहन होता था। कोतवाली का यह डग्गा जब नेहरू रोड़ पर निकलता तो व्यापारी ना केवल अपना सामान अंदर कर लिया करते थे, वरन् साईकिलों के उस दौर में साईकिल तक दुकानों के अंदर हो जाया करती थीं।
शनैः शनैः प्रशासन के ढीले रवैए के चलते जिला मुख्यालय में अतिक्रमण एक बार फिर सुरसा की तरह मुंह उठाने लगा। शहर में अनेक बैंक ऐसे हैं जिनके पास पार्किंग का अभाव है। किराए के भवनों में लग रहे इन बैंक के सामने वहां आने वालों की भीड़ लगी होती है जिसके चलते आवागमन बाधित हुए बिना नहीं रहता है।
बड़े जैन मंदिर के बाजू में महाराष्ट्र बैंक के सामने तो सड़क पर खड़े वाहनों के चलते आवागमन दिन में कई बार अवरूद्ध होता है, इसके अलावा कचहरी चौक पर स्टेट बैंक की शाखा के सामने भी यही आलम रहता है। मजे की बात तो यह है कि अनुविभागीय दण्डाधिकारी कार्यालय के बाहर मुख्य सड़क पर अतिक्रमण कर साईकल स्टेंड बना दिया गया है जिससे कलेक्टोरेट, सिंधी कालोनी और कचहरी जाने आने वालों को असुविधा का सामना करना पड़ता है।
गांधी भवन से पोस्ट आफिस तक के हिस्से में सड़कों पर ही वाहन सुधारने का काम धड़ल्ले से होता है। वहीं गांधी भवन से गणेश चौक तक के मार्ग में सड़कों पर भवन निर्माण सामग्री, टेंकर, ट्रेक्टर, डंपर आदि की भीड़ से आवागमन बाधित हुए बिना नहीं रहता है।
बारापत्थर क्षेत्र में भी भारी वाहन, डंपर, दस चका से बड़े वाहनों की रेलमपेल भी दुर्घटनाओं को न्योता देती नजर आती है। पता नहीं कैसे शहर के नाकों पर यातायात पुलिस के कारिंदे होने के बाद भी ये वाहन शहर के अंदर नो एंट्री वाले समय में कैसे घुस आते हैं?
शहर में ना जाने कितने बस स्टेंड बन चुके हैं। मुख्य बस स्टेंड़, प्राईवेट बस स्टेंड, बरघाट नाका, कचहरी चौक, मिशन स्कूल के सामने, गणेश चौक सर्किट हाउस,, छिंदवाड़ा चौक, शंकर मढ़िया ना जाने कहां कहां निजी वाहन रोक रोककर सवारी भरते नजर आते हैं। पर इन्हें देखने की फुर्सत यातायात पुलिस के पास शायद नहीं है।
शहर में जहां देखों वहां यात्री बस खड़ी दिखाई दे जाती है। ज्यारत नाके के पास, पोस्ट आफिस से भैरोगंज पहुंच मार्ग, दलसागर तालाब के मुहाने से हनुमान मंदिर होकर भैरोगंज पहुंच मार्ग आदि स्थानों पर यात्री बस, डम्पर, निजी वाहन यातायात को प्रभावित करते नजर आते हैं।
जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने की गई प्रभावी पहल को पुनः आरंभ किया जाए, एवं शहर भर में बेतरतीब तरीके से खड़े होने वाहनों को रोकने के लिए यातायात पुलिस को निर्देश दिए जाएं। साथ ही साथ शहर में प्रवेश के समस्त स्थानों पर तैनात पुलिस या नगर सेना के नुमाईंदों को स्पष्ट तौर पर ताकीद किया जाए कि नो एंट्री वाले समय में शहर में प्रतिबंधित वाहनों का प्रवेश रोका जाए।

मंगलवार, 25 जून 2013

गोह की जमीन पर पसरा अतिक्रमण: सरपंच मौन!

गोह की जमीन पर पसरा अतिक्रमण: सरपंच मौन!

(गोपाल शर्मा)

सिवनी (साई)। नगरीय सीमा से लगे लूघरवाड़ा क्षेत्र में नदी किनारे आवागमन जिसे गोह का क्षेत्र कहा जाता है की जमीन पर बाहरी लोगों के द्वारा अतिक्रमण कर आशियाने बना लिए गए हैं पर इस संबंध में लूघरवाड़ा ग्राम पंयायत पूरी तरह मौन ही साधे हुए है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार लूघरवाड़ा में सैंट फ्रांसिस ऑफ असिसी स्कूल से पहले पड़ने वाले नाले के गोह की जमीन पर बाहर से आए लोगों ने अतिक्रमण कर मकान बना लिए गए हैं। इन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ ग्राम पंचायत लूघरवाड़ा द्वारा कोई कार्यवाही ना किया जाना भी आश्चर्य का विषय ही माना जा रहा है।
वहीं, ग्राम पंचायत के सूत्रों का कहना है कि अतिक्रमण के मामले में पंचायत के कुछ पदाधिकारियों ने लोगों को परोक्ष तौर पर शह प्रदान की गई है। बताया जाता है कि इन अतिक्रमण कारियों को अस्थाई बिजली कनेक्शन लेने तक की अनुशंसा ग्राम पंचायत द्वारा कर दी गई है।

चर्चा तो यहां तक है कि गोह के क्षेत्र में पसरे इस अतिक्रमण में अतिक्रमण कारियों और ग्राम पंचायत के बीच लंबा लेनदेन भी हुआ बताया जाता है। जिला प्रशासन से जनापेक्षा है कि लूघरवाड़ा ग्राम पंचायत में अतिक्रमण कारियों को अन्यत्र विस्थापित कर ग्राम पंचायत को निर्देश दिए जाएं ताकि भविष्य में यहां अतिक्रमण ना हो सके।

दिनदहाड़े हुई बारापत्थर में चोरी!

दिनदहाड़े हुई बारापत्थर में चोरी!

(जितेश अवधवाल)

सिवनी (साई)। बारापत्थर के हाउसिंग बोर्ड कालोनी में एमपीईबी आफिस के सामने आज अपरान्ह दिन दहाड़े चोरों ने ताला तोड़कर एक सूने घर में हाथ साफ कर दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस विभाग में पदस्थ बाल आरक्षक काकुल ठाकुर के निवास आज अपरान्ह महज पंद्रह मिनिट के लिए ही खाली रहा, और इतनी ही देर में चोरों ने मुख्य दरवाजे का ताला तोड़कर घर में अलमारी से साढ़े सात हजार और कुछ सोने चांदी के जेवर पर हाथ साफ कर लिया।
शिक्षा विभाग में कार्यरत रहे भोला ठाकुर की बेटी इस मकान में निवास करती हैं। श्री ठाकुर ने बताया कि वे आज कुछ काम से बाहर गईं थीं। दोपहर में उनकी नातिन भी पड़ोस में ही निवासरत उनके निवास पर गईं। महज पंद्रह मिनिट में ही चोरों ने अपना करतब दिखाते हुए मुख्य द्वार का ताला तोड़ा और अंदर घुसकर एक अलमारी में रखे लगभग साढ़े सात हजार रूपयों तथा कुछ जेवरात पर हाथ साफ कर दिया।
क्षेत्र के निवासियों ने इस चोरी पर आश्चर्य व्यक्त किया है, क्योंकि जिस स्थान पर चोरी हुई है उसके ठीक सामने एमपीईबी शहर का कार्यालय है। चूंकि बिजली का बिल अदा करने की अंतिम तिथि 25 जून है अतः इस कार्यालय में बिजली का बिल अदा करने वालों की लंबी लाईन लगी हुई थी।

उधर, बताया जाता है कि चोरों द्वारा मुख्य द्वार का ताला तोड़कर सीधे अंदर बेडरूम में प्रवेश कर अलमारी खोलकर उसमें रखे पैसे और कुछ जेवर निकाल लिए। मुख्य द्वार पर ताला तोड़ने के लिए की गई मशक्कत साफ दिखाई दे रही है। इस संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला का कहना है कि वे जल्द ही इस मामले में कार्यवाही के निर्देश दे रहे हैं।

संगठन जर्जर: विधानसभा की सुध लेंगे राहुल के दूत!

संगठन जर्जर: विधानसभा की सुध लेंगे राहुल के दूत!

लोचनदास के आगमन से बढ़ी कांग्रेस के धड़ों की सक्रियता!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। राहुल गांधी के दूत और असम के विधायक पल्लव लोचनदास के सिवनी आगमन के पूर्व ही कांग्रेस के विभिन्न धड़ों में सक्रियता तेजी से बढ़ती दिख रही है। कांग्रेस में संगठनात्मक जर्जरता किसी से छिपी नहीं है इस संगठन के बूते कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर विधानसभा में फतह का दिवास्वप्न देखकर लौट जाएंगे।
ज्ञातव्य है कि सिवनी जिले में कांग्रेस का संगठन सालों से पूरी तरह आक्सीजन पर ही है। इसी का परिणाम है कि सिवनी जिले की पहले पांच में से चार विधानसभा सीटों के साथ ही साथ लोकसभा सीट भी कांग्रेस की झोली से बाहर हो गई। परिसीमन और पुर्नआरक्षण के उपरांत कांग्रेस की चार में से तीन सीटें भाजपा के पास ही रहीं।
सिवनी बालाघाट लोकसभा क्षेत्र जिसमें जिला मुख्यालय वाली सिवनी विधानसभा भी आती है, कांग्रेस के हाथ से पहले की तरह ही फिसलती रही है। प्रदेश में भाजपा सरकार है, सिवनी में तीन विधायक कांग्रेस के हैं, बावजूद इसके कांग्रेस द्वारा स्थानीय स्तर पर विधायकों को घेरने में सदा ही असफल साबित हुए हैं।
कांग्रेस के एक नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि सिवनी में कांग्रेस के जर्जर संगठन के भरोसे राहुल गांधी के दूत आखिर सिवनी की चारों विधानसभाओं में कार्यकर्ताओं से क्या रायशुमारी करने आ रहे हैं? कार्यकर्ता क्या बताएगा? असम के विधायक को सिवनी जिले की भौगोलिक स्थिति, भाषा, परंपरा, परिपाटी आदि का शायद ही पता हो?
उक्त नेता ने कहा कि कांग्रेस में टिकिटों का वितरण क्षत्रपों द्वारा किया जाता रहा है फिर यह रायशुमारी की नौटंकी आखिर क्यों करवाई जा रही है? उक्त नेता का कहना था कि क्या राहुल के दूत सिवनी में कार्यकर्ताओं से इस बात के बारे में जानकारी हासिल करेंगे कि क्या कारण था कि सिवनी की चार में से तीन विधानसभाओं में कांग्रेस लगातार हारती आई है!
गौरतलब है कि नब्बे के दशक के आरंभ तक सिवनी में कांग्रेस की तूती बोला करती थी। उस समय कांग्रेस को दिशा देने का काम पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस की आयरन लेडी विमला वर्मा के पास हुआ करता था। इसके उपरांत जबसे उन्होंने सक्रिय राजनीति से किनारा किया कांग्रेस तेजी से रसातल में जाती चली गई।

लगभग दस सालों से प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, इन दस सालों में कांग्रेस ने दमदार विपक्ष की भूमिका सिवनी जिले में नहीं निभाई जा सकी है। जब भी भाजपा के विधायक, सांसद को घेरने की बारी आती है, कांग्रेस एक कदम आगे दो कदम पीछे की अघोषित रणनीति पर चलती दिखाई दे जाती है।