शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

उम्र बढ़ने के लक्षणों को रोकेगा लो कैलोरी भोजन

उम्र बढ़ने के लक्षणों को रोकेगा लो कैलोरी भोजन

(सुखविंदर भंगल)

टोरंटो (साई)। नए शोध के मुताबिक लो कैलोरी वाला भोजन आपके बढ़ते उम्र के प्रभाव को धीमा कर सकता है। सिएटल के फ्रेड हचिंसन-कैंसर रिसर्च सेंटर ने एक अध्ययन में पाया कि बेहतर भोजन करने की आदत की मदद से कई बड़ी बीमारियों जैसे मधुमेह, कैंसर, डिमेंशिया और हृदय संबंधी परेशानियों से भी बचा जा सकता है।
एक अखबार की खबर के अनुसार, अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि बिना बहुत ज्यादा भूख लगे लो कैलोरी वाली चीजें खाने से शरीर के महत्वपूर्ण आंतरिक अंगों की कोशिकाओं के नष्ट होने की गति धीमी हो जाती है। यह उम्र बढ़ने के लक्षणों को तो धीमा करता ही है साथ ही लोगों को चुस्त-दुरुस्त और स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।

हाशिए पर पहुंच गए पंकज पचौरी!


हाशिए पर पहुंच गए पंकज पचौरी!

पीएम नहीं पुलक बन गए हैं पंकज के बॉस

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी लंबे समय से गुमनामी में जीवन बसर कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में उनके नाम का शोर शराबा नहीं है। पंकज पचौरी चुपचाप आते हैं और अपनी नौकरी की औपचारिकता पूरी कर चुपचाप ही 7, रेसकोर्स रोड़ और साउथ ब्लाक से रूखसत हो जाते हैं। पंकज पचौरी के चेहरे की भाव भंगिमाएं बताती हैं कि वे पीएमओ में बुरी तरह बंधा और जकड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने लीक से हटकर भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों पर एतबार ना करते हुए अपने लिए मीडिया एडवाईजर का पद आउट सोर्स किया था। प्रधानमंत्री के मीडिया एडवाईजर के पद पर पहले संजय बारू आसीन रहे फिर इस आसनी पर लंबे समय तक हरीश खरे ने अपनी सेवाएं दीं। हरीश खरे के संबंध मीडिया से बिगड़ने के आरोपों के चलते उनकी पीएमओ से बिदाई हो गई बताई जाती है।
हरीश खरे के उपरांत हाई प्रोफाईल मीडिया पर्सन पंकज पचौरी को प्रधानमंत्री ने अपनी पीआर बनाने के लिए चुना। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आंखों के तारे पुलक चटर्जी ने जैसे ही प्रधानमंत्री कार्यालय में कदम रखा वैसे ही पीएमओ में सत्ता की धुरी सिमटकर पुलक चटर्जी के इर्द गिर्द ही आ गई। कहते हैं कि पुलक चटर्जी की इजाजत के बिना पीएमओ में पत्ता भी नहीं खड़कता। पीएमओ में पुलक चटर्जी के नाम से सभी को मानो सांप सूंघ जाता है।
पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पीएमओ में इस समय बहुत ही घुटन भरा माहौल निर्मित हो गया है। हर किसी को शक की निगाह से देखा जा रहा है। पीएमओ के स्टाफ में चंद नुमाईंदे ही ऐसे हैं जो प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह से सीधे बात कर उन्हें रिपोर्ट कर रहे हैं। शेष मुलाजिमों को पुलक चटर्जी तक ही सीमित कर दिया गया है। हर बात की जानकारी और रिपोर्टिंग पुलक चटर्जी को ही की जा रही है।
सूत्रों ने आगे कहा कि एक समय था जब संजय बारू और हरीश खरे रोजाना ही मनमोहन सिंह से अनेक बार मिलकर उन्हें पल पल की खबरों से आवगत कराते थे, पर अब समय बदल गया है। पीएमओ के एक वरिष्ठ सदस्य ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि कई महीनों से डॉ.मनमोहन सिंह और पंकज पचौरी के बीच संवादहीनता की स्थिति बन चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि दरअसल, हरीश खरे के सक्सेसर बने पंकज पचौरी को यह कहा गया है कि वे सीधे जाकर पीएम से मिलकर उनका समय खराब ना करें। पचौरी को जो भी सलाह मशविरा या कटिंग आदि पीएम को देना है वह पुलक चटर्जी के कार्यालय भिजवाई जाए। पुलक चटर्जी को अगर लगेगा कि उसे पीएम को दिखाना जरूरी है तब ही उसे पीएम तक पहुंचाया जाएगा। पचौरी को यह भी ताकीद किया गया है कि जब पीएम उन्हें बुलाएं तो वे पुलक चटर्जी की उपस्थिति में ही पीएम से मिलने जाएं।
इन बातों में कितना दम है यह बात तो पुलक चटर्जी जाने या फिर पंकज पचौरी पर बुधवार को सुबह सवेरे निजी समचार चेनल्स के माध्यम से कसाब की फांसी की खबर अगर प्रधानमंत्री को मिली तो इसे पंकज पचौरी का फेल्युअर ही माना जा रहा है। पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पुलक चटर्जी को अब पंकज पचौरी ज्यादा नहीं भा रहे हैं इसलिए आप चुनावों को देखते हुए वे चाह रहे हैं कि पंकज पचौरी को पीएमओ से बाहर का रास्ता दिखाकर नई शख्सियत को वहां बिठा दिया जाए।
प्रधानमंत्री कार्यालय में अब यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर क्या कारण है कि कल तक सीधे जाकर पीएम से मिलकर उनसे चर्चा करने वाले मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी को पुलक चटर्जी के माध्यम से मनमोहन सिंह से रूबरू होना पड़ रहा है? इस तरह पंकज पचौरी के लिए पीएम व्हाया पुलक चटर्जी की चर्चाएं चटखारे लेकर हो रही हैं, साथ ही साथ पीएमओ में यह प्रश्न भी तेजी से उछल रहा है कि आखिर पीएम के मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी का असली बॉस कौन है, प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह या फिर पुलक चटर्जी?

हंगामेदार सत्र का आगाज!


हंगामेदार सत्र का आगाज!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे के साथ आरंभ हुआ। संसद के शीत सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। थ्क्प् को लेकर विपक्ष के भारी शोर-शराबे की वजह से लोकसभा को दूसरी बार स्थगित करना पड़ा है। राज्यसभा को भी पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया है।
शीत सत्र की शुरुआत जोरदार हंगामे के साथ हुई। कार्यवाही शुरु होते ही विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया, जिसके चलते दोनों सदनों को 12 बजे के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, समाजवादी पार्टी और बीएसपी के सदस्यों ने हंगामा कर दिया। बीएसपी ने एससी एसटी रिजर्वेशन को लेकर तो बीजेपी और टीएमसी ने मल्टि-ब्रैंड रीटेल को लेकर हंगामा शुरू किया। बीजेपी की मांग थी कि इस मुद्दे पर चर्चा के साथ वोटिंग कराई जाए।
इससे पहले टीएमसी की तरफ से लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया था। इसी के साथ नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने एफडीआई पर चर्चा और वोटिंग के लिए नोटिस दिया। जब हंगामा शांत नहीं हुआ, तो लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने सदन की कार्यवाही को दोपहर 12.30 बजे तक स्थगित कर दिया।
जैसे ही 12.30 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोबारा शुरु हुई, हंगामा शुरू हो गया। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने टीएमसी के अविश्वास मत के नोटिस को रिजेक्ट कर दिया। इसके लिए 54 सांसदों का समर्थन जरूरी था, जिसे जुटाने में टीएमसी नाकाम रही। भारी शोर-शराबे के बीच लोकसभा को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। ऐसे ही हालात राज्यसभा में भी देखने को मिले, जिस वजह से सदन को शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
गुरुवार को शीतकालीन सत्र की हंगामेदार शुरुआत के बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी को करारा झटका लगा. उनकी पार्टी के द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव जरूरी समर्थन ना मिल पाने की वजह से लोकसभा में गिर गया. संसद की कार्यवाही शुरू होते ही तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था. साथ ही लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता और वरिष्ठ बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने लोकसभा में स्पीकर को एफडीआई पर चर्चा और वोटिंग के लिए नोटिस दिया. (टीएमसी) के प्रस्ताव को सिर्फ बीजेडी से ही समर्थन मिल पाया.
गुरुवार को संसद का सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एफडीआई के मुद्दे पर सभी पार्टियों से सरकार का साथ देने की अपील की. उन्होंने कहा कि देश को निवेश की जरूरत है. सरकार हरेक मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है.श् इसके जवाब में बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने कहा कि पीएम के इस बयान का कोई मतलब नहीं है. इस बीच सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि हमारी नीति साफ है कि संसद चलनी चाहिए.
संसद के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सत्र के दौरान सदन की बीस बैठकें होंगी और सरकार ने लोकपाल, भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने वालों की सुरक्षा तथा महिला आरक्षण सहित २५ विधेयक पेश करने की तैयारी की है। सत्र के दौरान कंपनी विधेयक, बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक, बीमा कानून संशोधन विधेयक और पेंशन फंड नियामक तथा विकास प्राधिकरण विधेयक पर भी विचार होने की संभावना है। वर्तमान वित्त वर्ष की अनुपूरक मांगों पर बहस के अलावा दस नये विधेयक भी पेश किये जाने हैं। 

पत्रकारों की नेतागिरी की आड़ में दलाली का घिनौना षडयंत्र


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 17

पत्रकारों की नेतागिरी की आड़ में दलाली का घिनौना षडयंत्र

(डेविड विनय)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश की पत्रकारिता आज बाजारवाद की गंदगी से सराबोर है। तीसरे दर्जे की राजनीति के षडयंत्रों से घिरी इस पत्रकारिता को दलालों के गिरोह ने फुटबॉल बनाकर रख दिया है। जो ईमानदार पत्रकार अपनी लेखनी की पूजा करते हैं और सामाजिक विद्रूपताओं को उजागर करते हैं वे दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। इसकी तुलना में वसूली का कारोबार करने वाले विज्ञापन के एजेंटों की पौ बारह है। यही कारण है कि अधिकतर पत्रकार या तो पीआरओ बनते जा रहे हैं या फिर विज्ञापन एजेंट। इसी तरह विज्ञापन एजेंटों ने पत्रकारों की कुर्सियां हथिया लीं हैं और अब तो वे भ्रष्ट अफसरों की कृपा से पत्रकारों के नेता तक बन गए हैं। पत्रकारों के नेताओं के इन हिजड़ा परस्त फार्मूलौं के कारण सरकार जनता के खजाने से पत्रकारों के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध करा रही है लेकिन पत्रकारों का शोषण करने वाले ये सत्ता के दलाल इन संसाधनों को पत्रकारों तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं।
पत्रकारों की ये रसद बीच में ही गड़प कर जाने वाले इन सत्ता के दलालों को मध्यप्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग के कुछ अफसरों ने अपना एजेंट बना रखा है। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारों की नीतियों को भ्रष्टाचार की गटर गंगा में बहाने वाले इन दलालों को पत्रकारों के एक स्वयंभू नेता ने अपनी सत्ता चमकाने के लिए पनाह दी थी। आज उस गद्दार नेता का सबसे पुराना एजेंट राधावल्लभ शारदा जनसंपर्क विभाग के भ्रष्ट अफसरों का सबसे बड़ा एजेंट बन गया है।पिछले कुछ सालों में इस दलाल ने पत्रकारों को सरकार से मिलने वाली योजनाओं के सहारे ही अपना कारोबार फैलाया है। जनसंपर्क विभाग के अफसरों ने पत्रकारों के बीच पिछले पंद्रह सालों से ज्यादा समय से चल रहे विवादों की आड़ में इस दलाल को भरपूर विकास दिया। जनसंपर्क विभाग के भुगतानों की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराई जाए तो राधा वल्लभ शारदा की नपुंसक राजनीति की पोल आसानी से खोली जा सकती है। इसका कारण ये है कि विभाग के भ्रष्ट अफसरों ने इसे जनता के खजाने से टैक्सी की सुविधा उपलब्ध कराकर पूरे प्रदेश के दौरे करने का मौका दिया। इससे इस दलाल ने प्रदेश के पत्रकारों को अपने संगठन का सदस्य बना डाला। कई स्थानों पर तो पत्रकारों के नेताओं ने एकमुश्त रकम देकर सभी पत्रकारों को इसके संगठन का सदस्य बनाया। जो पत्रकार शारदा को खुलेआम गालियां देते हैं वे भी इसके संगठन के सदस्य कैसे बन गए ये उनकी समझ में खुद नहीं आता। पत्रकारों को गुमराह करने के लिए इस दलाल ने इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई के नाम से मिलते जुलते नाम वाले संगठन के माध्यम से ये घोटाले किए। जनसंपर्क विभाग के एक रिटायर हो चुके एक अफसर ने सबसे पहले इसके संगठन की नींव डलवाई थी। जब पूर्व की कांग्रेसी सरकार ने आईएफडब्ल्यूजे के नाम का अनुवाद करके बनाए गए मप्र श्रमजीवी पत्रकार संगठन का सूर्य अस्त करने की पहल की तो इसी विवाद का लाभ लेकर शारदा ने अपना संगठन बना लिया। जनसंपर्क विभाग के उसी पूर्व अफसर ने इस संगठन को मान्यता भी दिला दी। उस अफसर ने अपनी टैक्सी सेवा के माध्यम से इस दलाल को पूरे प्रदेश के दौरे कराए और दौरों की तीन गुनी संख्या में फर्जी बिल तैयार करके कोषालय से रकम आहरित कर ली। ये बिल विभिन्न ट्रांसपोर्टरों के नाम से तैयार कराए गए थे। उस समय ई पेमेंट की कोई प्रथा ही नहीं थी इसलिए ये बिल पास हुए और आडिट पार्टी ने भी अपनी दस्तूरी लेकर उन्हें अपनी हरी झंडी दे दी।
(विस्फोट डॉट काम से साभार)

रेल किराया नहीं बढ़ाने के संकेत


रेल किराया नहीं बढ़ाने के संकेत

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। रेल मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि फिलहाल यात्री किराया बढ़ाने पर कोई फैसला नहीं किया गया है। उन्होंने साफ कहा कि देश की लाइफ लाइन कही जाने वाली रेलवे की सेहत को सुधारने की कोशिशें जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे दबाव में है, इसकी आर्थिक हालत इतनी खराब भी नहीं है कि उसे आईसीयूमें मान लिया जाए।
पत्रकारों से मुखातिब रेल मंत्री ने रेल बजट में घोषित 20 नई ट्रेनों को चलाए जाने का ऐलान करते हुए इस बात पर जोर दिया कि रेलवे को राजनीति से अलग करना होगा। रेलवे फेयर रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी राय-मशविरा चल रहा है। अभी मैं यह नहीं बता सकता कि कब तक गठन हो जाएगा। हां इतना तय है कि अगले दो-तीन महीने में अथॉरिटी नहीं बन पाएगी।
उन्होंने कहा कि हमारा पूरा ध्यान रेलवे की सिक्युरिटी और मॉडर्नाइजेशन पर है। नई टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करके यात्रियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं हम देना चाहते है। हमारी कोशिश है कि रेलवे में ज्यादा से ज्यादा निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे का कोई भी प्रॉजेक्ट बंद नहीं किया जा रहा है। बजट कम और प्रॉजेक्ट ज्यादा होने से हम प्राथमिकता तय कर रहे हैं। जिन प्रोजेक्ट्स में काम ज्यादा हो चुका है, उन्हें पहले पूरा करने की कोशिश की जा रही है। रेलवे के हाई स्पीड कॉरिडोर के बारे में उनका कहना था कि सबसे पहले मुंबई-अहमदाबाद रूट को लिया जाएगा। 534 किलोमीटर लंबे इस रूट पर करीब 63 हजार करोड़ का खर्च आएगा। ज्यादा खर्च होने के कारण इन प्रोजेक्ट्स को शुरू करना एक बड़ी चुनौती है। मुंबई का एलीवेटेड रेल कॉरिडोर भी हमारी प्राथमिकता में है। 63 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर 20 हजार करोड़ का खर्च आएगा।

हरियाणा की बहू बनेंगी शरद की पुत्री


हरियाणा की बहू बनेंगी शरद की पुत्री

(अनेशा वर्मा)

गुडगांव (साई)। राजग के संयोजक व जदयू अध्यक्ष शरद यादव की बेटी 27 नवंबर को हरियाणा की बहू बन जाएगी। लालू प्रसाद यादव की बेटी के बाद किसी दूसरे बड़े नेता की बेटी का विवाह यहां होने जा रहा है। विशेष बात यह है कि शरद यादव के समधी कमलवीर दहेज में सिर्फ एक रुपया लेंगे, यह बात अलग है कि उन्होंने करीब तीस हजार निमंत्रण पत्र बांटे हैं।
वीवीआईपी विवाह समारोह के चलते हरियाणा की पुलिस ने सुरक्षा के भी पुख्ता प्रबंध किए हैं। इनेलो के वरिष्ठ नेता व दूल्हे के जीजा राव अभिमन्यु ने व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया। 23 नवंबर से विवाह की रस्में लगन के साथ शुरू हो जाएंगी। इस दिन शरद यादव लगन-टीका लेकर गुडग़ांव के पास राव फार्म हाउस गरीतपुर बास पहुंचेंगे।
पारिवारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 12 बजे से यह समारोह शुरू होगा। 25 नवंबर को महिला संगीत 25 अकबर रोड दिल्ली में होगा। बिनौरा स्काई सिटी होटल गुडग़ांव में होगा। 27 नवंबर को 7,तुगलक रोड दिल्ली में बारात पहुंचेगी। शरद यादव की बेटी सुभाषिनी एवं अहीरवाल के कमलवीर के बेटे राजकमल इस दिन विवाह बंधन में बंध जाएंगे।
कार्यक्रम में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी सहित देश की जानीमानी हस्तियां यहां पहुंच रही हैं। इस विवाह के बाद लालू प्रसाद यादव व शरद यादव भी रिश्ते की डोर में बंध जाएंगे। बिजली मंत्री अजय सिंह यादव के समधी लालूप्रसाद के दामाद राव चिरंजीवके चचेरे भाई राव अभिमन्यु कमलवीर के दामाद हैं।
ानी शरद यादव के दामाद बनने जा रहे राजकमल कैप्टन यादव के भतीजे इनेलो के वरिष्ठ नेता राव अभिमन्यु के सगे साले हैं। ऐसे में यहां कई दल रिश्ते में बंधने जा रहे हैं। वीवीआईपी विवाह के चलते चंडीगढ़ तक सुरक्षा की गूंज है। यहां डीजीपी कार्यालय से सख्त निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जनता को असुविधा ना हो, इसके लिए पूरे प्रबंध किए गए हैं

निमोनिया से हारा भारत


निमोनिया से हारा भारत

(विपिन सिंह राजपूत)

नई दिल्ली (साई)। बच्चों में होने वाले निमोनिया ने भारत को हरा दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भले ही अरबों खरबों करोड़ रूपयों की लागत से जनकल्याणकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे करते हों पर जमीनी हकीकत इससे जुदा ही है। निमोनिया से होने वाली मौतों में भारत दुनिया भर में सबसे उपर वाली पायदान पर है।
निमोनिया से अपने होनहारों को बचाने के मामले में भारत गणराज्य, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सूडान और युगांडा जैसे देशों से भी पीछे है। इस बीमारी की वजह से हर साल पांच साल से कम उम्र के करीब चार लाख बच्चों की मौत के साथ भारत पहले नंबर पर बना हुआ है। दूसरा नंबर नाइजीरिया का है जहां हर साल निमोनिया से करीब 3.71 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि पिछले साल इसके कारण दुनिया में 13 लाख बच्चों की मौत हो गई थी।
इंटरनैशनल ऐक्सेस वैक्सीन सेंटर और अमेरिका के जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की 2012 की निमोनिया प्रोग्रेस रिपोर्ट में इस बीमारी के खतरे के बारे में बताया गया है। रिपोर्ट में उन देशों को शामिल किया गया है जिनके खाते में दुनिया में निमोनिया से होने वाली 75 प्रतिशत मौतें जाती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अफ्रीकी देश केन्या में इस बीमारी की वजह से सबसे कम (20 हजार) बच्चों की मौत होती है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा जब रिपोर्ट को खंगाला गया तब यह तथ्य उभरकर सामने आया कि 2010 में भारत में निमोनिया से 3.96 लाख बच्चों की मौत हो गई। हालांकि, 2008 में ऐसे बच्चों की तादाद 3.71 लाख थी। यानी दो साल में सरकार के तमाम दावों के बावजूद इस बीमारी से होने वाली मौतों में 6.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया कि विकासशील देशों में पर्याप्त और अच्छी चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण निमोनिया ज्यादा बच्चों की मौत की वजह बन रहा है। यह भारत में बीमारियों के कारण होने वाली बच्चों की 30 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है। बच्चों को होने वाली बीमारियों में इसका हिस्सा 40 प्रतिशत है। हालांकि, भारत ने पेंटावैलेंट वैक्सीन के जरिए इस बीमारी पर लगाम लगाने की कोशिश की है, मगर अभी काफी लंबा रास्ता तय किया जाना है। 

महामहिम ने लौटाई अफजल की नस्ती!


महामहिम ने लौटाई अफजल की नस्ती!

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। पाकिस्तानी आतंकी अजमल आमिर कसाब के बाद संसद हमले में दोषी ठहराए गए अफजल गुरु को भी फांसी पर लटकाया जा सकता है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अफजल की दया याचिका को रिव्यू के लिए गृह मंत्रालय के पास भेज दिया है। माना जा रहा है कि अफजल का नंबर भी जल्द आ सकता है।
अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है राष्ट्रपति ने अपने पास आईं 11 दया याचिकाओं को रिव्यू के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजा है। इन याचिकाओं में साल 2001 में संसद पर हुए हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरु की याचिका भी शामिल है। अब यह गृह मंत्रालय के ऊपर है कि वह अफजल गुरु के मामले में क्या सिफारिश करता है।
कसाब को फांसी पर लटकाए जाने के बाद से ही सरकार पर लगातार अफजल को भी फांसी दिए जाने का दबाव बन रहा है। अफजल को फांसी पर लटकाए जाने के मामले पर जब भी बात होती थी, तब सरकार का कहना होता था कि राष्ट्रपति के पास बहुत सारी दया याचिकाएं पेंडिंग हैं, जिनमें अफजल की याचिका भी शामिल है। इन दया याचिकाओं पर बारी-बारी से फैसला लिया जाएगा। लेकिन कसाब को फांसी दिए जाने के बाद बहुत से लोग सरकार की इस क्रम वाली थिअरी पर सवाल उठा रहे हैं।
अगर क्रम की बात करें, तो इस हिसाब से कसाब का नंबर बहुत बाद में आना था। संसद हमला 2001 में हुआ था, जबकि मुंबई अटैक 2008 में। क्रम के हिसाब से तो अफजल गुरु को कसाब से कई साल पहले ही फांसी मिल जानी चाहिए थी, क्योंकि उसे साल 2004 में सजा-ए-मौत दे दी गई थी।
अफजल गुरु के अलावा अभी 5 और आतंकी हैं, जो फांसी का इंतजार कर रहे हैं। इनमें मनिंदरजीत सिंह बिट्टा को टारगेट बनाकर बम धमाका करने वाले देविंदर पाल भुल्लर, पंजाब के सीएम बेअंत सिंह की हत्या करने वाले बलवंत सिंह राजोआना और राजीव गांधी गांधी के हत्यारों मुरुगन, संथान और पेरारिवलन शामिल हैं। इन सब आतंकियों की लिस्ट में कबास आखिरी क्रम पर था। उसे इन सभी से बाद में सजा सुनाई गई, लेकिन सबसे पहले फांसी पर लटकाया गया। ऐसे में कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि इन आतंकियों में भी सबसे पहले अफजल गुरु को ही फांसी पर लटकाया जाएगा।

महिलाओं ने क्विंदंती को साबित किया गलत


महिलाओं ने क्विंदंती को साबित किया गलत


(विनीता विश्वकर्मा)

पुणे (साई)। महिलाओं के पेट में बातें नहीं पचती, जैसी पुरानी कहावतों, क्ंिवदंतियों, मुहावरों को दो महिला अधिकारियों ने धता बताते हुए साबित कर दिया कि महिलाएं भी किसी चीज को गुप्त रखना जानती हैं। अजमल कसाब के ऑपरेशन एक्स ने यह बात साबित कर दी है। कसाब को मुंबई से यरवडा जेल शिफ्ट करने और फांसी देने के टॉप सीक्रेट प्लान को अंजाम देने वाली दो महिला अधिकारियों ने साबित कर दिया है कि वे गोपनीय प्लान बनाने और उसे अंजाम देने में पुरुषों से बिल्कुल पीछे नहीं हैं।
महाराष्ट्र सरकार की गृह विभाग की प्रधान सचिव (अपील, सुरक्षा, जेल) मेधा गाडगिल और अतिरिक्त डीजी (जेल) मीरा बोरवणकर पहले से आखिरी तक श्ऑपरेशन ग्श् की सूत्रधार रहीं। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और गृह मंत्री आर। आर। पाटिल के मार्गदर्शन में मेधा और मीरा ने इसे अंजाम दिया।
जिस दिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की ओर से कसाब को फांसी दिए जाने का लेटर राज्य सरकार को मिला, उसी दिन से मेधा ने चव्हाण और पाटिल की सहमति से फांसी देने की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। बेसिक प्लान 25 नवंबर को फांसी देने का था पर कसाब को आर्थर रोड से यरवडा शिफ्ट किए जाने की जानकारी मीडिया में लीक हो जाने के कारण फैसला बदला गया।
गृह विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि समूचा मीडिया और पुलिस फोर्स जब बाल ठाकरे की अंत्येष्टि में व्यस्त था तब कसाब को शिफ्ट करने का प्लान भी मेधा और मीरा ने बनाया। उसके बाद कसाब को एस्कॉर्ट करने के लिए मुंबई और पुणे पुलिस के उच्च अधिकारियों को और जेल आईजी को विश्वास में लिया गया। केंद्रीय गृह मंत्री को भी इस बारे में बताया गया, पर फांसी के फैसले के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। जल्लाद से लेकर कसाब का शव दफनाने की जगह तय करने और उससे संबंधित कानूनी प्रक्रिया पूरी करने का काम मीरा और मेधा ने किया।
इसके पहले 26/11 हमले के दौरान मारे गए 9 आतंकवादियों को ढाई साल पहले इसी तरह गोपनीय तरीके से अज्ञात स्थल पर दफना दिया गया था। उस ऑपरेशन के समय चंद्रा अय्यंगर यानी एक महिला ही होम सेक्रेटरी थीं। उन्होंने बताया कि 9 आतंकवादियों को दफनाए जाने का सीक्रेट मुख्यमंत्री, गृह मंत्री के अलावा सिर्फ उन्हें, मेधा और राकेश मारिया को पता था।
वहीं दूसरी ओर बुधवार को अजमल कसाब को फांसी की सजा मिलने के बाद यदि लोग यह समझ रहे हैं कि 26/11 की कहानी खत्म हो गई है, तो यह सच नहीं है। मुंबई से दिल्ली तक इस केस में अभी तक तीन और लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। इनमें से अबू जिंदाल नामक मुख्य साजिशकर्ता तिहाड़ जेल में बंद है। डेविड हेडली और तहव्वुण राणा नामक दो आरोपी इन दिनों अमेरिका में हैं।
अबू जिंदाल 26/11 का मेन साजिशकर्ता है। 26/11 को वह कराची कंट्रोल रूम में लश्कर के अन्य सरगनाओं के साथ बैठा था। उसे जून महीने में सऊदी अरब से दिल्ली में डिपोर्ट किया गया था। उसे पहले दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने, फिर मुंबई क्राइम ब्रांच और फिर महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी कस्टडी में रखा। बाद में उसकी एनआईए ने कस्टडी ली और उसके बाद उसे पिछले महीने न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उसके खिलाफ मुंबई क्राइम ब्रांच ने पिछले महीने ही आरोपपत्र दाखिल किया है। संभावना है कि अगले साल तक उसके खिलाफ भी 26/11 में मुकदमा शुरू हो जाएगा।
डेविड हेडली और तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उन्होंने उन-उन स्थानों की रेकी की थी, जहां 26/11 को दस आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया गया। रेकी के दौरान इन स्थानों की विडियोग्राफी की गई थी और कराची में लश्कर सरकना जकीउर रहमान को इसकी सीडी दी गई थी। बाद में इस सीडी के आधार पर 26/11 की आगे की साजिश रची गई। हेडली और राणा को जब एफबीआई ने अमेरिका में गिरफ्तार किया था, तब दिल्ली से एनआईए की एक विशेष टीम दोनों से पूछताछ के लिए अमेरिका गई थी। उसी पूछताछ के आधार पर करीब दो साल पहले एनआईए ने दिल्ली की एक कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। हालांकि अमेरिका में हेडली और राणा पर मुकदमा पिछले साल ही खत्म हो चुका है, पर भारत में इन दोनों के खिलाफ ट्रायल तभी शुरू हो पाएगा, जब भारत इन दोनों को अमेरिका से मुंबई लाने में कामयाब होगा।
जेल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 26/11 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के एकमात्र जीवित बचे पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को बुधवार सुबह पुणे की यरवडा जेल में फांसी दे गई। फांसी पर लटकाए जाने से पहले कसाब ने जो कहा उससे लगा कि वह अपने किए पर शर्मिंदा था। उसने अपने गुनाह के लिए माफी मांगी और फांसी पर लटकाए जाने से पहले यरवडा जेल के जेलर से कहा,श्ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। अल्लाह मुझे माफ करे।श्
कसाब ने न तो अंतिम इच्छा जताई और न ही कोई वसीयत छोड़ी। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि कसाब ने सिर्फ इतना कहा कि पाकिस्तान में उसकी मां को इसकी सूचना दे दी जाए। महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर। आर। पाटिल ने बताया कि कसाब से उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई थी, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि बताया कि पुणे की यरवडा जेल में कसाब को फांसी पर लटकाए जाने से पहले उसे 12 नवंबर को दया याचिका खारिज होने की जानकारी दे दी गई थी। कसाब को उसके परिवार से कॉन्टैक्ट करने और वसीयत तैयार करने के लिए कहा गया लेकिन उसने इनकार कर दिया। यरवडा जेल के एक अधिकारी ने पहचान उजागर ना किए जाने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कसाब फांसी दिए जाने से ठीक पहले कुछ घबराया हुआ था। लेकिन शांत था और उसने मरने से पहले नमाज़ भी अदा की।
अधिकारी ने कहा कि उसके हावभाव से हमने यह अंदाज़ा लगाया कि वह बहुत घबराया हुआ था। हालांकि जब उसे फांसी पर चढ़ाने के लिए उसकी कोठरी से बाहर लाया गया तो वह शांत बना रहा। कसाब ने नमाज़ पढ़ी और सवाल किया कि क्या उसके परिवार को उसकी फांसी के बारे में सूचना दी गई है, जिसपर जेल अधिकारियों ने सकारात्मक जवाब दिया।

इधर बेबो की शादी, उधर करीना का तलाक!


इधर बेबो की शादी, उधर करीना का तलाक!

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। देश के रूपहले पर्दे की दुनिया मुंबई में सिमटी हुई है। मुंबई के सिनेमाई सर्किल्स में इन दिनों एक चर्चा जमकर हो रही है कि इधर करीना कपूर विवाह के बंधन में बंधी उधर उनकी बड़ी बहन करीना का तलाक हो गया। बॉलीवुड के सूत्रों के हवाले से एक दैनिक ने इस बात का खुलासा किया है कि करिश्मा कपूर और उनके पति संजय कपूर के बीच तलाक हो चुका है और उसकी औपचारिक घोषणा होना बस बाकी है। दोनों ने अब अलग-अलग रहने का फैसला किया है।
दैनिक के मुताबिक दोनों में तलाक को लेकर पहले ही रजामंदी हो चुकी है। अब दोनों में इस बात को लेकर समझौता होना है कि उनके दोनों बच्चे कानूनी तौर पर दोनों के साथ बारी-बारी से रहे। यानी बच्चों को रखने को अधिकार दोनों को समान रुप से मिले। 
करिश्मा और संजय के दोनों बच्चे अभी छोटे है इसलिए अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि दोनों बच्चे कैसे दोनों शहरों में रह पाएंगे। करिश्मा कपूर मुंबई में रहती है जबकि संजय कपूर दिल्ली में रहते हैं। इस बात पर करिश्मा और संजय के बीच जैसे ही समझौता होगा दोनों कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल कर देंगे।
करिश्मा कपूर और संजय कपूर के रिश्तों में आई खटास में प्रिया चटवाल की भूमिका भी अहम् मानी जा रही है। प्राप्त समाचारों के अनुसार संजय कपूर प्रिया चटवाल को लेकर गम्भीर हैं। जो कि न्यूयॉर्क के एक होटल व्यवसायी की पूर्व पत्नी है, दोनों कई बार एक साथ देखे गए हैं। प्रिया चटवाल एक जानी मानी सोशलाइट हैं। संजय की इन दिनों प्रिया के साथ काफी नजदीकियां बढ़ चुकी हैं जिसकी वजह से करिश्मा से संजय की कई बार लड़ाई हो चुकी है।
करिश्मा इस बात से बेहद दुखी हैं। हालांकि इस वजह से कपूर कपल में काफी टाइम से परेशानी चल रही है, लेकिन अब संजय के प्रिया के साथ अपना रिलेशन ओपन करने की वजह से सारी बातें साफ हो ही चुकी हैं। पति से रिश्ते नहीं बन पाने के कारण करिश्मा काफी तनाव से गुजर रही हैं और खुद को बहुत अकेला महसूस कर रही है।
कपूर फैमली के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एसा पहली बार नहीं है कि संजय कपूर के किसी दूसरी महिला के साथ रिश्तों की बात सामने आई हो। इससे पहले जब करिश्मा दूसरी बार मां बनने वाली थी उस वक्त भी संजय कपूर कई लडकियों के संपर्क में थे। करिश्मा ने तब यह सोचकर रिश्ता नहीं तोडा था कि शायद वह बदल जाएंगे लेकिन संजय ने अपनी हरकतें नहीं बदली।

नरेन्द्र मोदी प्रधानमन्त्री पद पाने में स्त्री अंकों की बाधा


नरेन्द्र मोदी प्रधानमन्त्री पद पाने में स्त्री अंकों की बाधा

नई दिल्ली (साई)। आज देश-विदेश की निगाहें लगी हुई हैं गुजरात विधानसभा के आसन्न चुनाव पर। यहाँ नरेन्द्र मोदी जीत रहे हैं, इससे तो कोई अक्ल का अंधा भी इनकार नहीं करेगा और इसमें किसी भविष्यवाणी की आवश्यकता भी नहीं है; मगर सवाल यह है कि मोदी कैसी जीत पाते हैं? इस पर मोदी का राष्ट्रीय राजनीति का सफ़र दिशा तय करेगा। एक ज़ोरदार हल्ला मचा हुआ है मोदी को अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखने को लेकर। इस बात के समर्थकों और विरोधियों में एक तगड़ी जंग छिड़ी हुई है। इसी आपाधापी में हम यह देखें कि अंक ज्योतिष और बॉडी लैंग्वेज इस बारे में क्या कहती है? हमारा यह आलेख इसी दिशा में आगे की ओर झाँकने का प्रयास है।
नरेन्द्र मोदी
जन्म-दिनांकरू-17-09-1950 मूलांकरू-8 भाग्यांकरू-5 आयु अंकरू-9 (63 वाँ वर्ष) नामांकरू-9 जन्म का चलित अंकरू-5
गुजरात के मौजूदा मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूरा नाम नरेन्द्र दामोदरदास मोदीहै। हमने यहाँ गणना में इसी नाम को काम लिया है। इनका जन्म का मूलांक 8 बना है 17 से। यहाँ नेतृत्व और सत्ता के प्रतिनिधि पुरुष अंक 1 के साथ स्त्री अंक 7 की युति बन रही है। यह युति अच्छी नहीं होती है। यह स्त्री अंक खराब कर देती है। नरेन्द्र मोदी के यहाँ भी यही हुआ है। इस युति के कारण इनके स्त्री अंक भ्रष्ट हो गये। इसका तात्पर्य यह होता है कि ऐसे जातक को लक्ष्य-प्राप्ति में अपने ही दल के साथी लोगों/साथी दलों के लोगों या स्त्री से बाधा आती है। इसी लिए जब भाजपा के सहयोगी दल के नीतीश कुमार नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री पद के लिए विरोध करते हैं तो यह हमारे लिए तनिक भी आश्चर्य का विषय नहीं है। साथ ही यदि मोदी की पार्टी के ही कुछ लोग भी उनका (प्रत्यक्ष या प्रच्छन्न) विरोध करें तो यह भी हमारे लिए कोई अजूबा नहीं है। यहाँ एक ख़ास बात और। मोदी का मूलांक 8 अंक 6 से मित्रता रखता है। भ्रष्ट अंक 6 से अंक 8 की यह मित्रता और भी गहरी होती है। अतः ऐसे लोग जिनका अंक 6 प्रबल है या जिनका अंक 6 भ्रष्ट है, वे मोदी की प्रधानमंत्री पद की यात्रा में इनके अनपेक्षित रूप से सहयोगी बन सकते हैं। वे मोदी के साथ आ सकते हैं, भले ही एन डी ए के अन्दर आ कर साथ दें या फिर बाहर से।
अब बात करते हैं नरेन्द्र मोदी के यहाँ के शत्रु हन्तायोग की। यदि यह कहें कि मोदी के जीवन का सब कुछ यही है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मोदी के जन्म का मूलांक 8, इसके वृहदंक 17 का अंक 1 पितृ द्रोह रूप में शत्रु योगबना रहा है। इनके जन्म का मासांक 9 की इन अंकों के साथ युति इस योग को शत्रु हन्ता योगमें परिवर्तित देती है। इस योग का फलितार्थ यह है कि जो व्यक्ति मोदी से आमने-सामने की टक्कर लेगा, वह निपटजाएगा। यदि उसके यहाँ अंक बलिष्ठ हैं तो वह कम नष्ट होगा या धीरे-धीरे नष्ट होगा। यदि उस व्यक्ति के अंक दुर्बल हैं तो वह जल्दी नष्ट होगा और यदि उस व्यक्ति के अंक निर्बल हैं तो वह हाथोंहाथ निपट जाएगा। इस बात को मोदी के निजी जीवन से लेकर राजनीतिक जीवन तक, हर जगह आसानी से देखा और समझा जा सकता है। हमने नरेन्द्र मोदी के जीवन का पहली बार अध्ययन गुजरात विधानसभा के पिछले चुनाव (वर्ष 2007) में किया था। उस आधार पर हमने जो-जो बातें कही थीं, तक़रीबन वे सभी सही ठहरी थीं। एक-आध बात पर लगे हाथों नज़र भी डाल लीजिए। हमने 21 नवम्बर, 2007 को तैयार और 03 दिसंबर, 2007 को दिव्य भास्कर’ (सूरत) में प्रकाशित भविष्यवाणी में जो बातें विस्तार से कही थीं, उनमे से है यह एक-आध बात। ३ अतः मोदी अपनी सीट से तो धाकड़ वोटों से जीतेंगे ही, साथ ही अपने सभी विरोधियों की चालों को धत्ता बताते हुए बहुमत भी लाएँगे।” “३इन के इक्के-दुक्के विरोधियों को छोड़ कर सभी चारों खाने चित हो जाएँगे।आप खुद ही मिलान कर लीजिए कि ये बातें कितनी खरी उतरीं। इसी शत्रु हन्ता योगके कारण मोदी का विरोध करने वाले एक-एक कर निपट गये। इसी सिलसिले में एक-आध बात और देखिए।जो लालकृष्ण अडवाणी मोदी के ळव्क्थ्।ज्भ्म्त् माने जाते हैं, जब उन्होंने मोदी से मुँह फेर कर नीतीश की तरफ रुख़ किया तो कई चक्करों में घिर गये। अंततः सार्वजनिक रूप से उन्होंने मोदी की स्वीकार्यता को स्वीकारा। यही हाल नीतीश कुमार का हो रहा है। आप देखिए कि जब से उन्होंने मोदी के खि़लाफ़ बोलना शुरू किया है, तब से वे मुसीबतों में घिरते जा रहे हैं। प्रचंड बहुमत के बाद भी अपने ही राज्य में नीतीश यात्रा तक सफलतापूर्वक नहीं कर पा रहे हैं, क्या यह घोर आश्चर्यजनक नहीं है? आपके लिए हो सकता है, हमारे लिए नहीं। हमने अपने ब्लॉगों पर यह भविष्यवाणी करते हुए नीतीश कुमार को यह सलाह चेतावनी के रूप में दी भी थी कि अंक 8 में शपथ लेने वाले वे (नीतीश) अंक 8 वाले नरेन्द्र मोदी से टक्कर ना लें, वरना उनके लिए संकट बढ़ जाएँगे। अब सब कुछ वही हो रहा है। एक बात हम यहाँ लगे हाथों और कहा दें। भाजपा में ऐसा शत्रु हन्ता योगदो और लोगों के यहाँ है; वसुंधरा राजे सिंधिया के यहाँ मोदी से बहुत थोडा-सा कमऔर येद्दियुरप्पा के यहाँ कुछ कम। इसलिए वसुंधरा राजे के यहाँ भी मोदी वाला मामला ही है। येद्दियुरप्पा भी अपने इसी योग के कारण फिर से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनेंगे; भले ही चाहे विधानसभा चुनाव से पहले बनें या फिर बाद में; भले ही चाहे उन्हें फिर से मुख्यमंत्री भाजपा बनाए या फिर कोई और। हालाँकि हमें लगता है कि येद्दी भाजपा नहीं छोड़ेंगे। चूँकि येद्दियुरप्पा के यहाँ यह शत्रु हन्ता योगकुछ कम है, इस लिए अब तक वे खुद मुख्यमंत्री नहीं बन पाए, हालाँकि इसी योग के कारण येद्दी के पद-त्याग के बाद कर्नाटक में मुख्यमंत्री उन्हीं की पसंद का ही बना है। इसी शत्रु हन्ता योगके कारण इस बार के चुनाव में भी मोदी के विरोधी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएँगे। मोदी के प्रधानमंत्री बनने में भी जो कोई आड़े आएगा, वही इसी योग के परिणाम का शिकार हो जाएगा।
यहाँ एक रोचक चर्चा अपने लिए स्थान मांगती है। मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी के मूलांक-भाग्यांक में 8-5 की अद्भुत समानता है। इसी अतिशय समानता के कारण मोदी मनमोहन सिंह को सीधे-सीधे रिप्लेस नहीं करेंगे। यहाँ इनके मार्ग में इनसे पहले कोई अन्य व्यक्ति प्रधानमंत्री के रूप में सामने आ सकता है। यह व्यक्ति अंक 5, अंक 6 व अंक 8 की प्रधानता वाला होगा। मोदी के मार्ग में स्त्री-बाधाका अर्थ शरीर से स्त्री भी संभव है। पहले इस सशरीरी अवस्थाकी ही बात कर लेते हैं। इस दायरे में दो महिलाएँ आती हैं। पहली तो ममता बनर्जी और दूसरी सुषमा स्वराज। ममता बनर्जी के यहाँ अंक 5 व अंक 8 है, किन्तु यह अंक 5 उनकी बॉडी लैंग्वेज में मृत अवस्था में होने के कारण अर्द्ध प्रभावी हो गया। एक और बात है। ममता बनर्जी के यहाँ अंक 6 की कोई भूमिका नहीं है। इसी कारण इनका शरीर सूखी हुई अवस्था में है। अब रही बात सुषमा स्वराज की; तो इनके यहाँ मूलांक-भाग्यांक में अंक 5-6 है तथा इनका जन्म अंक 8 के समय में हुआ है। इनकी बॉडी लैंग्वेज में भी अंक 5 व अंक 6 प्रभावी अवस्था में है। अतः नरेन्द्र मोदी और प्रधानमंत्री पद के बीच में सुषमा स्वराज आ जाएँ तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हाँ, यह हो सकता है कि श्रीमती स्वराज को 14 से 23/24 महीनों के बाद प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ जाए। ख़ैर, यह चर्चा बहुत लम्बी हो गयी। वैसे ऐसा करना ज़रूरी भी था, क्योंकि आज हर कोई इस बारे में जानना चाहता है कि क्या नरेन्द्र मोदी अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं? यहाँ इन स्त्री अंकों के बारे में यह बात कहना भी बहुत ज़रूरी है कि इन्हीं भ्रष्ट स्त्री अंकों के कारण ही मोदी का दाम्पत्य नहीं है। इन अंकों की यह अवस्था शादी नहीं होने देती। यदि कुछ सहयोगी अंकों के कारण हो जाए तो कामयाब नहीं होने देती। नरेन्द्र मोदी के साथ यही हुआ। जसोदाबेन से शादी होने के बाद भी ये दोनों तलाकनुमा जीवन जी रहे हैं यानि दाम्पत्य का सुख मोदी को नहीं मिल रहा है।
स्त्री अंकों की यह अवस्था जहाँ निजी जीवन में दाम्पत्य-सुख नहीं लेने देती, वहीं दूसरी ओर करियर में कुछ ऊँच-नीच के बाद लाभ देती है। इन्हीं स्त्री अंकों से सम्बन्धित एक अद्भुत बात का यहाँ उल्लेख करना भी प्रासंगिक रहेगा। नरेन्द्र मोदी के नामांक 9 का वृहदंक 27 इन्हीं स्त्री अंकों से बना है। मोदी के मुख्यमंत्री बनने में इन स्त्री अंकों की हमेशा महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मोदी पहली बार मुख्यमंत्री बने 07-10-2001 में। यहाँ मूलांक 7 व भाग्यांक 2 था। आयु अंक भी 7 था। मोदी दूसरी बार मुखमंत्री बने 22-12-2002 को। यहाँ मूलांक 4 व भाग्यांक 2 तथा राज्य का आयु अंक 7 था। मोदी के तीसरी बार बनने की दिनांक थी 25-12-2007। यहाँ मूलांक 7। आप खुद ही देख लीजिए कि करियर के मामले में मोदी पर इन स्त्री अंकों की किस क़दर कृपा रही है। मोदी अंक पहली बार मुख्यमंत्री बने तब इनका आयु अंक 7 (52 वाँ वर्ष) व राज्य का आयु अंक 6 (42 वाँ वर्ष) था। इनके दूसरी बार मुख्यमंत्री बनते समय इनका आयु अंक 8 (53 वाँ वर्ष) व राज्य का आयु अंक 7 (43 वाँ वर्ष) था। इसी प्रकार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाते समय इनका आयु अंक 4 (58 वाँ वर्ष) और राज्य का आयु अंक 3 (48 वाँ वर्ष) था। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि स्त्री अंक 7 ने मोदी के करियर में तो फ़ायदा ही दिया। हाँ, इतना अवश्य हुआ कि मोदी की सीटें कुछ कम हो गयीं ( 127 से 117 पर आ गयीं)। नरेन्द्र मोदी पर अंक 4 व अंक 8 की कृपा है। अंक 4 के वर्ष 2002 में ही इन्होंने पहली बार चुनावी लड़ाई जीत कर मुख्यमंत्री पद पाया। गुजरात को अंक 4 की दशा वर्ष 2003 में आरम्भ हुई। राज्य को अभी अंक 8 की दशा ही चल रही है। यह दशा वर्ष 2014 तक चलेगी। इस दशा के प्रथम वर्ष 2007 में मोदी ने फिर से चुनावी लड़ाई जीत कर मुख्यमंत्री पद पाया। गुजरात को अंक 8 की यह दशा वर्ष 2014 तक चलेगी। तब तक सत्ता का वर्तमान स्वरूप नहीं बदलेगा यानि मोदी ही मुख्यमंत्री रहेंगे। इसके बाद गुजरात को अंक 7 की दशा आरम्भ होगी, जो कि वर्ष 2021 तक चलेगी। यह राज्य के मूलांक-भाग्यांक के साथ विपरीत युति बनाती है। दूसरी बात यह कि जिस प्रकार स्त्री अंक 7 की विशिष्ट भूमिका में ही मोदी का स्थान बदला और वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने; ठीक उसी प्रकार इसी स्त्री अंक 7 की पुनः विशेष भूमिका में मोदी का फिर स्थान बदलेगा। नरेन्द्र मोदी के लिए कैलेण्डर वर्ष 2015-2016 बहुत ख़ास भूमिका निभा सकते हैं। तब इन्हें उम्र का 65-66-67 वाँ वर्ष चल रहा होगा यानि इनका तब इनका आयु अंक 2-3-4 चल रहा होगा। यह अवधि मोदी को गुजरात से दिल्ली भेज कर प्रधानमंत्री पद पर बिठा सकती है। हाँ, नरेन्द्र मोदी और उनके समर्थकों को यह सुप्रसिद्ध कहावत हमेशा याद रखनी चाहिए कि रमजान में बचेंगे तो ईद मनाएँगे। तात्पर्य यह है कि मोदी को अपनी प्राण-रक्षा की तरफ़ पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। वे सशरीर सुरक्षित रहेंगे, तभी तो प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हो पाएँगे। वर्ष 2013 के उत्तरार्द्ध से वर्ष 2021 तक की अवधि में इनके प्राणों को ख़तरा है। (साई फीचर्स)