मंगलवार, 25 सितंबर 2012

इसी सप्ताह बांटेंगे मनमोहन लाल बत्ती!


इसी सप्ताह बांटेंगे मनमोहन लाल बत्ती!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। त्रणमूल कांग्रेस के सरकार से बाहर होने के उपरांत अब मनमोहन सिंह अपने मंत्रीमण्डल का विस्तार इसी सप्ताह करने जा रहे हैं। शनिवार को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से प्रधानमंत्री की मुलाकात के बाद सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण समेत कई कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की। 30 तारीख से पित्र आरंभ हो रहे हैं और उस समय शुभकाम वर्जित माना जाता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नए मंत्रियों को शपथ 28 सितंबर को दिलाई जा सकती है। दरअसल, राष्ट्रपति 26 और 27 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जा रहे हैं। इसके साथ ही साथ 25 एवं 26 सितंबर को कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी दिल्ली से बाहर हैं।
सूत्रों ने कहा कि इस फेरबदल में डेढ़ दर्जन मंत्रियों को लाल बत्ती से नवाजा जा सकता है। साथ ही साथ आधा दर्जन मंत्रियों को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है। इसके अलावा दो विभागों का प्रभार संभालने वाले मंत्रियों से एक विभाग वापस लिया जा सकता है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए कि सोनिया की आवाज बने जनार्दन द्विवेदी को लाल बत्ती मिल सकती है। कर्नाटक कोटे से मंत्री सोमनहल्ली मलैया कृष्णा को कर्नाटक भेजकर उनके स्थान पर के.रहमान खान को कर्नाटक कोटे से मंत्रीमण्डल में शामिल किया जा सकता है।
विलास राव देशमुख की मौत के बाद महाराष्ट्र में उद्योग मंत्री नारायण राणे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। महाराष्ट्र कोटे की खाली हुई सीट की भरपाई और राणे को सूबे से हटाने के उद्देश्य से यह फैसला किया जा सकता है। इसके अलावा कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल का विभाग बदले जाने या हटाए जाने की चर्चा है।
सूत्रों ने कहा कि युवा फार्मूले को आगे बढ़ाते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, भंवर जितेंद्र सिंह की जिम्मेदारी बढ़ाए जाने की उम्मीद है। मंत्रीमण्डल में जिन नए चेहरों को स्थान मिल सकता है उनमें जनार्दन द्विवेदी, रहमान खान के अलावा पी.एल.पुनिया, सत्यव्रत चतुर्वेदी, चिरंजीवी, तारिक अनवर, मीनाक्षी नटराजन, नारायण राणे, प्रदीप भट्टाचार्य, दीपा दासमुंशी, अधीर रंजन चौधरी, विलास मुत्तेमवार, गुरूदास कामत के अलावा विवादित मंत्री रहे शशि थरूर को भी शामिल किया जा सकता है।
इसके साथ ही साथ सूत्रों ने संकेत दिए कि कोल घोटाले की तपिश झेल रहे सुबोधकांत सहाय, श्रीप्रकाश जायसवाल के सााि ही साथ सोमनहल्ली मलैया कृष्णा, बेनी प्रसाद वर्मा, मुकुल वासनित, अगाथा संगमा आदि पर गाज गिरने की संभावनाएं हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बढ़ाकर उन्हें मध्य प्रदेश की जवाबदारी सौंपने की चर्चा भी है। एमपी में राजा दिग्विजय सिंह को साईज में लाने के लिए उनके घुर विरोधी सत्यव्रत चतुर्वेदी को मंत्री बनाया जा रहा है।
सोनिया के करीबी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कल कैबिनेट में फेरबदल की संभावना के मद्देनजर केन्द्रीय मंत्रियों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी विचार-विमर्श किया। तृणमूल कांग्रेस के छह मंत्रियों के हटने और विलासराव देशमुख के निधन से रिक्त पदों को भरने के बाद दो-दो मंत्रालय संभाल रहे मंत्रियों को राहत मिलेगी, जिन मंित्रयों के पास दो-दो मंत्रालय हैं उनके नाम हैं-सर्वश्री कपिल सिब्बल, सी पी जोशी, वीरप्पा मोइली और वायलार रवि।
मंत्री मण्डल का विस्तार 28 या 29 सितम्बर को ही होने की पूरी उम्मीद इसलिए भी जताई जा रही है क्योंकि 30 तारीख से पितृ पक्ष आरंभ हो रहा है। इसके बाद 16 अक्टूबर से हिन्दू धर्म के अनेक तीज त्योहार आरंभ हो जाएंगे। शीतकालीन सत्र के पहले मंत्रियों को विभागों की माहिती हो जाए इसलिए यह विस्तार 29 तक हर हाल में हो जाएगा।

सवा लाख करोड़ से सुधरेगी बच्चों की तासीर


सवा लाख करोड़ से सुधरेगी बच्चों की तासीर

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने समेकित बाल विकास योजना को सशक्त बनाने और उसके पुनर्गठन को मंजूरी दे दी है। इसके अंतर्गत तीन साल से कम उम्र के बच्चों, मातृत्व देख-रेख और बच्चों की देखभाल से संबंधित शिक्षा पर जोर दिया जाएगा। १२वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इस पर एक लाख २३ हजार ५८० करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है।
सरकार ने पूर्व सैनिकों को एक पद एक पेंशन की मंजूरी भी दे दी है। इससे सरकार को २३ अरब रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। एक अन्य निर्णय में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता सात प्रतिशत बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कल नई दिल्ली में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह मंजूरी दी गयी। इससे ८० लाख केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ होगा। मंहगाई भत्ते में यह वृद्धि इस वर्ष एक जुलाई से लागू होगी। 
मूलभूत सुविधाओं से संबध मंत्रिमंडल की समिति ने सार्वजनिक और निजी भागीदारी वाली बंदरगाह परियोजनाओं के लिए जहाजरानी मंत्रालय को अधिक वित्तीय अधिकार देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। अब पांच सौ करोड़ रूपये लागत वाली परियोजनाओं के लिए ही मंत्रिमंडल की समिति की मंजूरी लेनी होगी। पहले तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली परियोजनाओं के लिए समिति की मंजूरी लेना जरूरी था। 

राहुल के बचाव में उतरी सीबीआई


राहुल के बचाव में उतरी सीबीआई

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि राहुल गांधी को बदनाम करने के मामले में श्विदेशी हाथश् हो सकता है। एक लड़की को गैरकानूनी तरीके से बंधक बनाने में राहुल गांधी का नाम लिए जाने के मामले में सीबीआई ने यह बात कही। सीबीआई ने यह भी कहा है कि यह पूरा मामला ही फर्जी दावों पर आधारित था।
सीबीआई ने दावा किया है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते को राहुल गांधी पर अनर्गल आरोप लगाने के धन मुहैया कराया गया था। एजेंसी का दावा है कि उसने कई ऐसी पर्चियां जब्त की हैं जिससे साफ है कि समरीते को वकील का फीस देने के लिए बाहर से पैसे मिले।
जस्टिस बी.एस. चौहान और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की बेंच के सामने सीलबंद लिफाफे में पेश अपनी स्टेटस रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा कि राहुल गांधी पर आरोप लगाने के लिए जिस लड़की के नाम का इस्तेमाल किया गया, उसका अस्तित्व ही नहीं है। एजेंसी ने कहा है कि यूपी सरकार के रिकॉर्ड में उस लड़की का नाम-पता दर्ज ही नहीं है। राहुल द्वारा लड़की को बंधक बनाकर रखने की खबर तीन विदेशी वेबसाइटों पर अपलोड की गई थीं। सीबीआई ने कहा है कि समरीते ने अपने गलत उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इस खबर को हवा दी थी।
गौरतलब है कि एसपी के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में राहुल गांधी पर कथित रूप से लड़की को बंधक बनाने में शामिल होने के आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज करने के साथ ही एसपी के इस नेता पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी किया था। इसके बाद समरीते इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चौलेंज किया था।

टाटा बाटा पर मचा विवाद!


टाटा बाटा पर मचा विवाद!

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)।  प्रकाश झा की फिल्म चक्रव्यूह के एक गाने बिड़ला हो या टाटा, अंबानी हो या बाटा, सबने अपने चक्कर में देश को बांटा. . . में दिग्गज कॉर्पाेरेट घरानों पर जोरदार कटाक्ष किया गया है। इस गाने पर बवाल मच गया है। उन्हें अपने स्वार्थ में देश और आम आदमी के हितों को दरकिनार करने वाला बताया गया है।
हालांकि प्रकाश झा ने साफ किया है कि यह प्रतीकात्मक है और इससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना हमारा मकसद नहीं है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म को इस शर्त के साथ पास किया है कि इस गाने को जब फिल्म में दिखाया जाएगा तो इस आशय का डिस्क्लेमर भी चलेगा।

क्या जिंदल को बतौर सांसद सुविधाएं लेना चाहिए!


क्या जिंदल को बतौर सांसद सुविधाएं लेना चाहिए!

(प्रियंका)

नई दिल्ली (साई)। सांसद नवीन जिंदल बतौर सांसद सभी सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं, पर संभवतः उन्हें इन सुविधाओं की दरकार इसलिए नहीं है क्योंकि वे सबसे अधिक वेतन पाने वाले बन चुके हैं। देश की लिस्टेड कंपनियों में सबसे अधिक सैलरी पाने वाले इग्जेक्यूटिव्स की फेहरिस्त में कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल टॉप पर हैं। 2011-12 में जिंदल को 73.42 करोड़ रुपये का सालाना पैकेज मिला। यह पिछले साल की तुलना में 6 करोड़ रुपये ज्यादा है। जिंदल लगातार दूसरे साल इस लिस्ट में पहले स्थान पर हैं। गौरतलब है कि नवीन जिंदल, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी हैं।
सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले कंपनी इग्जेक्यूटिव्स की लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं, सन टीवी नेटवर्क के कलानिधि और कावेरी मारन। इनमें से हरेक की सैलरी 57.01 करोड़ रुपये है। इसके बाद हीरो मोटोकार्प के पवन मंुजाल की सैलरी 34.47 करोड़ रुपये जबकि बृजमोहन मुंजाल की 34.44 करोड़ रुपये सैलरी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी इस सूची में 15वें स्थान पर हैं।

शिव की राह पर रमन


शिव की राह पर रमन

(आंचल झा)

रायपुर (साई)। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान द्वारा बुजुर्गवारों को सरकारी खर्च पर तीर्थयात्रा करवाए जाने का अच्छा प्रतिसाद मिलने के बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले बुजुर्गों को सरकारी खर्च पर तीर्थयात्रा कराने का फैसला किया है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को छत्तीसगढ़ सरकार तीर्थयात्रा कराएगी। पहले चरण में 20 हजार बुजुर्गों को सरकारी खर्च से तीर्थयात्रा पर भेजने का लक्ष्य है।
राज्य सचिवालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मंत्रालय में आयोजित बैठक में इस प्रस्ताव के सभी पहलुओं पर अधिकारियों के साथ विचार- विमर्श कर प्रस्ताव पर अपनी सहमति प्रदान कर दी। मुख्यमंत्री ने समाज कल्याण विभाग को इस योजना के लिए नोडल विभाग का दायित्व सौंपा है और योजना का प्रारूप मंत्रिपरिषद की आगामी बैठक में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

दिल्ली वाल्वो का समय बदला


दिल्ली वाल्वो का समय बदला

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। लखनऊ के आलमबाग स्थित इंटर स्टेट बस स्टेशन से दिल्ली जाने वाली वोल्वो बस सर्विस के समय एवं रूट में फेरबदल किया गया है। रात 8 और 9 बजे दिल्ली जाने वाली वोल्वो बस सेवा आगरा से अब यमुना एक्सप्रेस वे होकर दिल्ली जायेंगी। पहले यह सेवा लखनऊ से आगरा-मथुरा होकर दिल्ली जाती थी।
आलमबाग के एआरएम ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस वे होकर दिल्ली जाने वाली बसों को दिल्ली पहुंचने में कम समय लगेगा। इसके अलावा लखनऊ से इलाहाबाद को जोड़ने के लिए दो अतिरिक्त वोल्वो बसें चलाने का फैसला जल्द लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि दिल्ली-आगरा के लिए और वोल्वो बस सेवा संचालित की जाएगी।

नक्सल प्रभावित जिलों में एनसीसी पर जोर


नक्सल प्रभावित जिलों में एनसीसी पर जोर

(अभय नायक)

रायपुर (साई)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य के नक्सल पीड़ित जिलों में एनसीसी प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य के नक्सल समस्याग्रस्त जिलों के स्कूल-कॉलेजों में राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया है।
सीएम श्री सिंह राजधानी रायपुर में एनसीसी के नई दिल्ली से आए महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल पी.एस. भल्ला से चर्चा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने भल्ला से कहा कि एनसीसी को छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा राजस्व संभागों के नक्सल पीड़ित जिलों के साथ-साथ राज्य में गठित नए जिलों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करना चाहिए। लेफ्टिनेंट जनरल भल्ला ने छत्तीसगढ़ में एनसीसी प्रशिक्षण अकादमी की स्थापना के लिए राज्य शासन की ओर से रायपुर जिले के लखौली गांव में 33 एकड़ भूमि आवंटित किए जाने पर राज्य सरकार को धन्यवाद दिया।

हिना बिलावल में हो रहा नैन मटक्का!

हिना बिलावल में हो रहा नैन मटक्का!

(सोहेल खान)

ढाका (साई)। पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो के बीच नयन मटक्का और इश्क के चर्चे जोरों पर हैं। ढाका से प्रकाशित साप्ताहिक टेबलॉयड वीकली ने पश्चिमी खुफिया एजेंसी के हवाले से रविवार को खबर छापी, जिसके मुताबिक बिलावल हिना से निकाह रचाने की जिद कर रहे हैं।
गौरतलब है कि हिना रब्बानी पाकिस्तान के अरबपति व्यापारी फिरोज गुलजार की पत्नी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिलावल के लिए हिना भी अपनी शादीशुदा जिंदगी को खत्म करने का मन बना चुकी हैं। इस खबर के बाद से ही ट्विटर पर दोनों के इश्क को लेकर खूब टिप्पणियां की जा रही हैं।
हालांकि ज्यादातर लोग इस खबर को घटिया पब्लिसिटी स्टंट भी बता रहे हैं। खबर में कितनी सच्चाई है इसके बारे में तो ठोस रूप से हिना या बिलावल की ओर से किसी अधिकारिक बयान के बाद ही कुछ कहा जा सकता है लेकिन ट्विटर पर इस प्रेम कहानी को लेकर खूब चुटीली टिप्पणियां पोस्ट की जा रही हैं।

कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 7 फीसदी बढ़ा


कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 7 फीसदी बढ़ा

(राहुल अग्रवाल)

नई दिल्ली (साई)। केन्द्र सरकार ने दीवाली से पहले अपने कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने कर्मचारियों का डीए 7 फीसदी बढ़ा दिया है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में महंगाई भत्ते में 7 फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई। अब कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 65 बढ़कर से 72 फीसदी हो गया है। सरकार के इस फैसले से 50 लाख कर्मचारियों और करीब 30 लाख पेंशन धारकों को फायदा मिलेगा।
सरकार ने इससे पहले महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी इसी साल मार्च में की थी। इसे 58 फीसदी से 65 फीसदी तक कर दिया गया था। उसे 1 जनवरी 2012 से लागू किया गया था। पहले शुक्रवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक होने वाली थी लेकिन डीजल के दाम में बढ़ोतरी और रिटेल में एफडीआई के फैसले के बाद बदले राजनीतिक हालात के चलते बैठक स्थगित कर दी गई थी।

अगले साल से रोमिंग फ्री!


अगले साल से रोमिंग फ्री!

(जया श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि मोबाइल फोनधारकों को अगले साल से रोमिंग शुल्क नहीं देना होगा। सिब्बल ने यहां रोमिंग शुल्क खत्म होने की समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘अगले साल से, हमारे दूरसंचार सचिव ने आपको बताया है कि यह अगले साल से होगा।’’ राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012 में इसका प्रस्ताव किया गया है।
भारत इंटरनेट गवर्नेंस सम्मेलन के मौके पर सिब्बल ने यह जानकारी दी। राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 2012 को मई में अनुमति मिली है। इसके अंतर्गत रोमिंग शुल्क को पूरी तरह समाप्त करने का प्रावधान है। ऐसे में मोबाइल फोन धारक देशभर में कहीं भी एक ही नंबर का इस्तेमाल कर सकेंगे और अपने दूरसंचार सर्किल से बाहर होने पर भी उन्हें अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा।
इस बीच, दूरसंचार सचिव आर चंद्रशेखर ने कहा कि दूरसंचार विभाग स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए आवेदन आमंत्रित करने वाले नोटिस (एनआईए) पर काम कर रहा है। इसके बाद वह यूनिफाइड लाइसेंस पर काम करेगा, जो राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012 का हिस्सा है। एनआईए 28 सितंबर को जारी किया जाना है। हालांकि कंपनियों का कहना है कि इसे लागू किस प्रकार किया जायेगा इसके लिए मंत्रलय खाका बनाकर दे। यद्यपि रोमिंग फ्री होने से मोबाइल उपभोक्ताओं की बल्ले-बल्ले हो जायेगी।

अब एटीएम में नहीं अटकेंगे नोट


अब एटीएम में नहीं अटकेंगे नोट

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। बैंक एटीएम में नोट फंसना एक नई परेशानी का सबब बन गया है पर अब आपको परेशान होने की कोई जरुरत नहीं है। अब से किसी भी एटीएम में आपके बैंक नोट नहीं अटकेंगे क्योंकि आपके द्वारा तत्काल रकम नहीं लेने पर भी एटीएम के शटर तक आए नोट फिर से अंदर नहीं जाएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश से यह संभव हो पाया है।
आरबीआई ने सभी बैंकों को कैश रिट्रैक्शन फैसिलिटीखत्म करने का निर्देश दिया है। एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और केनरा बैंक समेत कई बैंकों ने अपने एटीएम पर यह सुविधा हटा भी ली है। एटीएम से पैसा निकालने में धोखाधड़ी करने वालों की करतूत को ध्यान में रखकर आरबीआई ने यह निर्देश दिया है।
कुछ शातिर ग्राहक एटीएम के शटर पर आए बैंक नोटों में से ज्यादातर नोट जल्दी से निकाल कर बाकी नोट वहीं छोड़ देते थे जिससे शेष रकम एटीएम के अंदर चली जाती थी और वे ग्राहक अपना पैसा न मिलने की शिकायत करके बैंक से रकम दोबारा लेते थे और इस तरह उन्हें चूना लगाते थे।

सदभावना दूत बनीं एश्वर्या


सदभावना दूत बनीं एश्वर्या

(अंकिता)

न्यूयार्क (साई)। संयुक्त राष्ट्र महासभा की 67वीं बैठक की पूर्व संध्या पर यूनाइटेड नेशंस प्रोग्राम आन एचआईवी (एड्स) यूएन एड्स ने सोमवार को भारतीय अभिनेत्री और पूर्व मिस वर्ल्ड एश्वर्या राय बच्चन को अंतर्राष्ट्रीय सदभावना राजदूत नियुक्त किया। इस मौके पर एश्वर्या ने कहा कि यह जिम्मेदारी दिए जाने से मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से जुडे मुद्दों खासकर महिलाओं और बच्चों के बारे में जागरूकता फैलाना शुरू से ही मेरी प्राथमिकता रही है। मैं खुद भी मां होने के नाते व्यक्तिगत रूप से इस कार्यक्रम से जुड़ सकती हूं और यह महसूस करती हूं कि हर बच्चा जन्म के समय एड्स जैसी बीमारी से मुक्त हों। मेरी यह इच्छा भी है कि जिन महिलाओं को एड्स हैं वे स्वस्थ रहें और पर्याप्त उपचार तक उनकी पहुंच रहें। मैं वादा करती हूं कि यूएन एड्स के साथ जुड़कर मैं इसे साकार करने में कोई कमी नहीं छोडूंगी।
यूएन एड्स की कार्यकारी निदेशक मिशेल सिडिबे ने कहा कि एश्वर्या राय बच्चन को विश्व के करोड़ों लोग बहुत पंसद करते हैं और मुझे उम्मीद है कि वैश्विक स्तर पर पहचान से वह यूएन एड्स के उस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेंगी जिसमें वर्ष 2015 तक बच्चों में जन्म के समय एड्स संक्रमण को पूरी तरह समाप्त किए जाने का संकल्प व्यक्त किया गया था। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने यह कार्यक्रम जून 2011 में शुरू किया था।

आइये जाने शुभ मुहूर्त की प्रासंगिकता, आवश्यकता

आइये जाने शुभ मुहूर्त की प्रासंगिकता, आवश्यकता

(पंडित दयानन्द शास्त्री)

नई दिल्ली (साई)। समय और ग्रहों का शुभाशुभ प्रभाव जड़ और चेतन सभी प्रकार के पदार्थों पर पड़ता है। वही समय छः ऋतुओं के रूप में सामने आता है। प्राकृतिक उत्पातों का भी उन्हीं ग्रहों, नक्षत्रों से बहुत गहरा संबंध है। आवश्यकता है उनके शुभाशुभ प्रभाव के लिए उनके विभिन्न योग संयोग आदि को जानने की। अथर्व वेद जैसे हमारे आदि ग्रंथों में भी शुभ काल के बारे में अनेक निर्देश प्राप्त होते हैं जो जीवन के समस्त पक्षों की शुभता सुनिश्चित करते हैं। श्श्वर्ष मासो दिनं लग्नं मुहूर्तश्चेति पञ्चकम्। कालस्यांगानि मुखयानि प्रबलान्युत्तरोतरम्घ् लग्नं दिनभवं हन्ति मुहूर्तः सर्वदूषणम्। तस्मात् शुद्धि मुहूर्तस्य सर्व कार्येषु शस्यतेघ्श्श् श्श्वर्ष का दोष श्रेष्ठ मास हर लेता है, मास का दोष श्रेष्ठ दिन हरता है, दिन का दोष श्रेष्ठ लग्न व लग्न का दोष श्रेष्ठ मुहूर्त हर लेता है, अर्थात मुहूर्त श्रेष्ठ होने पर वर्ष, मास, दिन व लग्न के समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं।श्श् इस संसार में समय के अनुरूप प्रयत्न करने पर ही सफलता प्राप्त होती है और समय अनुकूल और शुभ होने पर सफलता शत-प्रतिशत प्राप्त होती है जबकि समय प्रतिकूल और अशुभ होने से सफलता प्राप्त होना असंभव होता है।  कहते हैं किसी भी वस्तु या कार्य को प्रारंभ करने में मुहूर्त देखा जाता है, जिससे मन को बड़ा सुकून मिलता है। हम कोई भी बंगला या भवन निर्मित करें या कोई व्यवसाय करने हेतु कोई सुंदर और भव्य इमारत बनाएं तो सर्वप्रथम हमें श्मुहूर्तश् को प्राथमिकता देनी होगी।
शुभ तिथि, वार, माह व नक्षत्रों में कोई इमारत बनाना प्रारंभ करने से न केवल किसी भी परिवार को आर्थिक, सामाजिक, मानसिक व शारीरिक फायदे मिलते हैं वरन उस परिवार के सदस्यों में सुख-शांति व स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है।
यहां शुभ वार, शुभ महीना, शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र भवन निर्मित करते समय इस प्रकार से देखे जाने चाहिए ताकि निर्विघ्न, कोई भी कार्य संपादित हो सके।
अगर आप भी इसी महीने (जून,2012 में)अपने घर में शुभ काम करवाने जा रहे हैं, तो हो सकता है आपको पंडित जी न मिले। या फिर वह आपसे दोगुनी फीस की डिमांड करें। दरअसल, हिंदू धर्म के अनुसार, 30 जून को तारा डूब रहा है। इसके बाद कोई भी शुभ काम नहीं होता है। ऐसे में लोग इन दिनों जल्दी से जल्दी अपने काम निपटाने में लगे हुए हैं। चाहे घर का मुहूर्त हो, नई गाड़ी खरीदनी हो या फिर लड़की देखने जाना हो। तारा करीब एक महीने के लिए हर साल डूबता है।
एक महीने तक नहीं होते शुभ कार्य
पंडितों का मानना है कि तारा डूबते के साथ ही देवता एक महीने के लिए गहरी नींद में सो जाते हैं। जो नवंबर में देव उठनी एकादशी के बाद ही जागते हैं। इस दौरान एक माह तक कोई भी शुभ कार्य नहीं होता। ऐसे में इन दिनों पंडितों की शहर में जबर्दस्त डिमांड चल रही है। पंडितों के अनुसार, सबसे अधिक घर के मुहूर्त ओर नई गाड़ियों के पूजन के लिए लोग बुला रहे हैं। घरों के अलावा नई दुकानों व नए कारोबार के लिए भी डिमांड हो रही है। कई पंडित तो पूजा के लिए दिल्ली तक जा रहे हैं। मान्यता है कि जब तारा डूबता हैं तो उस दौरान शादी, सोना खरीदना, रिश्ता तय करना, नया कारोबार करना और घर बनवाने जैसे शुभ काम नहीं होते हैं। घंटेश्वर मंदिर के मैनेजर सुभाष शर्मा का कहना है कि 30 जून से तारा डूब रहा है। ऐसे में अधिकांश लोग अभी अपने जरूरी काम करवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे पंडित जी भी दिन में चार से पांच जगहों पर शुभ कार्य के लिए जा रहे हैं।
एक ही दिन में कई घरों से बुलावा ----
इसी तरह महालक्ष्मी गार्डन के पंडित जी विशंभर शर्मा का कहना है कि इन दिनों लोग नए घर , नए कारोबारऔर नई दुकान के मुहूर्त के लिए अधिक बुला रहे हैं। कई लोग तो मन मांगी दक्षिणा देकर बुलाते हैं लेकिन एकदिन में सबके यहां पूजा के लिए नहीं जाया जा सकता। पूजा में समय लगता है , इसलिए कई लोगों को मायूसहोना पड़ रहा है।
शुभ मुहूर्त: जानिए घर में कब करवाएं वास्तु शांति के लिए पूजा----

कहते हैं किसी भी वस्तु या कार्य को प्रारंभ करने में मुहूर्त देखा जाता है, जिससे मन को बड़ा सुकून मिलता है. हम कोई भी बंगला या भवन निर्मित करें या कोई व्यवसाय करने हेतु कोई सुंदर और भव्य इमारत बनाएं तो सर्वप्रथम हमें मुहूर्तको प्राथमिकता देनी होगी.

शुभ तिथि, वार, माह व नक्षत्रों में कोई इमारत बनाना प्रारंभ करने से न केवल किसी भी परिवार को आर्थिक, सामाजिक, मानसिक व शारीरिक फायदे मिलते हैं..वरन उस परिवार के सदस्यों में सुख-शांति व स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है.यहां शुभ वार, शुभ महीना, शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र भवन निर्मित करते समय इस प्रकार से देखे जाने चाहिए ताकि निर्विघ्न, कोई भी कार्य संपादित हो सके. नए घर में प्रवेश से पूर्व वास्तु शांति अर्थात यज्ञादि धार्मिक कार्य अवश्य करवाने चाहिए। वास्तु शांति कराने से भवन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और घर शुभ प्रभाव  देने लगता है। इससे जीवन में खुशी व सुख-समृद्धि आती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार मंगलाचरण सहित वाद्य ध्वनि करते हुए कुलदेव की पूजा व अग्रजों का सम्मान करके व ब्राह्मणों को प्रसन्न करके गृह प्रवेश करना चाहिए।  जब आप घर का निर्माण पूर्ण कर ले तो प्रवेश के समय वास्तु शांति की वैदिक प्रक्रिया अवश्य करनी चहिये और फिर उसके बाद 5 ब्रह्मण,9 कन्या और तीन वृद्ध को आमंत्रित कर उनका स्वागत सत्कार करे द्य नवीन भवन में तुलसी का पौधा स्थापित करना शुभ होता है। बिना द्वार व छत रहित, वास्तु शांति के बिना व ब्राह्मण भोजन कराए बिना गृह प्रवेश पूर्णतरू वर्जित माना गया है। शुभ मुहूर्त में सपरिवार व परिजनों के साथ मंगलगान करते हुए और मंगल वाध्य यंत्रो शंख आदि की मंगल ध्वनि तथा वेड मंत्रो के उच्चारण के साथ प्रवेश करना चहिये द्य आप को सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी द्य नया घर बनाने के पश्चात जब उसमें रहने हेतु प्रवेश किया जाता है तो उसे नूतन गृह प्रवेश कहते हैं। नूतन गृह प्रवेश करते समय शुभ नक्षत्र, वार, तिथि और लग्न का विशेष ध्यान रखना चाहिए और ऐसे समय में जातक सकुटुम्ब वास्तु शांति की प्रक्रिया योग्य ब्राह्मणों द्वारा संपन्न करवाए  तो उसे सम्पूर्ण लाभ मिलता है। (साई फीचर्स)

नेट के मामले में गलब बयानी करता है आईडिया

एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  21

नेट के मामले में गलब बयानी करता है आईडिया

कभी भी बंद हो सकता है आपका इंटरनेट

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई) इंटर नेट की स्पीड के बारे में आदित्य बिरला के स्वामित्व वाली आईडिया सेल्यूलर द्वारा सदा ही गलत बयानी की जाती रही है। जिस स्पीड के इंटरनेट होने का दावा आईडिया द्वारा किया जाता है उस स्पीड को आईडिया के उपभोक्ता कभी पा ही नहीं पा रहे हैं। उपभोक्ताओं को भ्रम जाल में फंसाकर आईडिया द्वारा उनकी जेब हल्की की जा रही हैं। इसी तरह आईटी एक्ट के संशोधन के उपरांत नेट कभी भी बंद किया जा सकता है।
भारत में इस समय सात करोड़ से ज्यादा इंटरनेट कनेक्शन हैं और इसकी रफ्तार 25 प्रतिशत की दर से बढ़ती जा रही है लेकिन एक बात जो बहुत कम लोग जानते हैं वह है कि किसी का भी इंटरनेट कनेक्शन कभी भी बंद हो सकता है। भारत सरकार ने 2008 के आईटी ऐक्ट में एक संशोधन करके यह अधिकार अपने हाथ में ले लिया है कि वह या उसकी कोई भी सुरक्षा एजेंसी किसी भी व्यक्ति यचा संस्थान का इंटरनेट कनेक्शन कभी भी बंद कर सकती है। इंटरनेट कनेक्शन देश की सुरक्षा के नाम पर काटा जा सकता है और इसकी अवहेलना करने वाले को सात साल की सजा हो सकती है।
इंटरनेट कनेक्शन काटने को किल स्विट कहते हैं इसके समर्थकों का कहना है कि इससे अफवाहें फैलने से रोका जा सकता है साथ ही झूठी सूचना देने पर भी रोक लगाई जा सकती है। दुनिया में कम ही देश हैं जहां यह व्यवस्था मौजूद है लेकिन बहुत से लोग इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि देश की सुरक्षा के नाम पर ऐसे अधिकार लेना उचित नहीं है।

(क्रमशः जारी)

भृंगराज: रोके असमय बालों का पकना

हर्बल खजाना ----------------- 21

भृंगराज: रोके असमय बालों का पकना

(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। नदी, नालों, मैदानी इलाकों, खेत और उद्यानों मे अक्सर देखा जाने वाला भृंगराज आयुर्वेद के अनुसार बडा ही महत्वपूर्ण औषधिय पौधा है। ग्रामीण अंचलों मे ब्लैक बोर्ड को काला करने के लिये जिस पौधे को घिसा जाता है, वही भृंगराज है। इसका वानस्पतिक नाम एक्लिप्टा प्रोस्ट्रेटा है।
इस पौधे का रस पीलिया में भी दिया जाता है। भृंगराज की पत्तियों का रस शहद के साथ मिलाकर देने से बच्चों को खाँसी में काफ़ी फ़ायदा होता है। पातालकोट के आदिवासियों का मानना है कि यदि इसकी पत्तियों के रस को मसूडों पर लगाया जाए और कुछ मात्रा माथे या ललाट पर लगायी जाए तो सरदर्द में अतिशीघ्र आराम मिलता है।
हाथीपाँव या एलिफ़ेंटेयासिस होने पर तिल के तेल के साथ पत्तियों के रस को मिलाकर पाँव पर लेपित करने से फ़ायदा होता है। एसिडिटी होने पर पौधे को सुखाकर चूर्ण बना लिया जाए और हर्रा के फ़लों के चूर्ण के साथ समान मात्रा में लेकर गुड के साथ सेवन कर लिया जाए तो एसिडिटी की समस्या से निजात मिल सकती है।
माईग्रेन या आधा सीसी दर्द होने पर भृंगराज की पत्तियों को बकरी के दूध में उबाला जाए व इस दूध की कुछ बूँदें नाक में डाली जाए तो आराम मिलता है। डाँग- गुजरात के हर्बल जानकार त्रिफला, नील और भृंगराज तीनों एक एक चम्मच लेकर ५० मिली पानी में मिलाकर रात को लोहे की कड़ाही में रख देते है। प्रातः इसे बालों में लगाकर, इसके सूख जाने के बाद नहा लिया जाता है। आदिवासियों के अनुसार ये बालों को असमय पकने से रोकता है। (साई फीचर्स)

(लेखक हर्बल मामलों के जाने माने विशेषज्ञ हैं)

तब मनमोहन सिंह ने किया था रिटेल में एफडीआई का विरोध


तब मनमोहन सिंह ने किया था रिटेल में एफडीआई का विरोध

(विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। इधर भले ही मनमोहन सिंह ममता बनर्जी को ष्निपटाकरष् मंत्रिमंडल विस्तार में व्यस्त हो गये हों लेकिन उधर ममता का साइबर वार जारी है। अब ममता बनर्जी ने अपने फेसबुक एकाउण्ट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एक चिट्ठी सार्वजनिक की है। यह चिट्ठी मनमोहन सिंह ने तब लिखी थी जब वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। फेडरेशन आफ एसोसिएशन आफ महाराष्ट्र के सीटी सिंघवी को लिखी थी जिसमें मनमोहन सिंह ने कहा था कि सरकार ने उन्हें भरोसा दिया है कि वह खुदरा व्यापार में विदेशी निवेशी को निमंत्रण नहीं देगी।
21 दिसंबर 2002 को लिखी चिट्ठी में मनमोहन सिंह ने सी टी सिंघवी को लिखा था कि श्श्6 दिसंबर को लिखे आपके पत्र के जवाब में यह पत्र आपको लिख रहा हूं जो कि खुदरा में विदेशी निवेश से संबंधित था। दो दिन पहले राज्यसभा में यह मामला उठाया गया था और वित्त मंत्री ने हमें आश्वस्त किया है कि सरकार के पास खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।ष्
मनमोहन सिंह की इसी चिट्ठी बम को सरकार के माथे पर फेंकते हुए ममता बनर्जी ने 2004 में फेडरेशन आफ एसोसिएशन आफ महाराष्ट्र के सिंघवी की वह चिट्ठी भी सार्वजनिक की है जो सिंघवी की ओर से 2004 में मनमोहन सिंह को लिखी गई थी। यह चिट्ठी जब मनमोहन सिंह को लिखी गई थी तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बन चुके थे। 20 दिसंबर 2004 को सिंघवी द्वारा लिखी चिट्ठी में मनमोहन सिंह को याद दिलाया गया है कि कैसे उन्होंने 2002 में मुलाकात और पत्राचार के दौरान भूमंडलीकर की निंदा की थी और कहा था कि हमें इस तरह का विकास नहीं चाहिए जो रोजगार पैदा करने की बजाय रोजगार को नष्ट करता हो।
सिंघवी ने अपनी इस चिट्ठी में इस बात पर आश्चर्य जताया है कि मनमोहन सिंह सरकार का वित्त मंत्रालय रिटेल ट्रेड में विदेशी पूंजी निवेश की संभावनाएं तलाश रहा है। 2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी चिट्ठी में सिंघवी ने चिंता जताई है कि कैसे विदेशी रिटेल स्टोर का संचालन करनेवाली कंपनियों के दलाल सरकार के मंत्रियों और आईएएस अधिकारियों को प्रभावित करके देश के खुदरा बाजार में विदेशी निवेश लाने की तैयारी कर रहे हैं। इस चिट्ठी में मनमोहन सिंह से उम्मीद जताई गई थी कि आपने पहले भी कहा है कि खुदरा बाजार में विदेशी निवेश देश में रोजगार के लिहाज से घातक होगा इसलिए हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप इस दिशा में उचित कार्रवाई करेंगे।
और आठ साल बाद मनमोहन सिंह ने उचित कार्रवाई कर दिया। कभी खुद खुदरा बाजार में विदेशी निवेश का विरोध करनेवाले मनमोहन सिंह ने खुदरा बाजार में 51 फीसदी विदेशी निवेश न सिर्फ इजाजत दे दी बल्कि इसे जायज ठहराने के लिए देश को संबोधित भी कर दिया।

लाभा लाभौ जया जयौ


लाभा लाभौ जया जयौ

(पुण्य प्रसून बाजपेयी / विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय राजनीति के इतिहास में मौजूदा दौर अपनी तरह का नायाब वक्त है, जब एक साथ आधे दर्जन मंत्रियों के इस्तीफे के बाद सत्ता संभाले कांग्रेस खुश है। राहत में है, और उसे लगने लगा है कि पहली बार विपक्ष के वोट बैंक की उलझने उसे सत्ता से डिगा नहीं पायेंगी और आर्थिक नीतियों के विरोध के बावजूद मनमोहन सरकार न सिर्फ चलती रहेगी बल्कि आर्थिक सुधार की उड़ान में तेजी भी लायेगी। जाहिर है यह मौका आर्थिक नीतियों के विश्लेषण का नहीं है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था जिन वजहों से डांवाडोल है, संयोग से उन्हें थामे हाथ को ही विकल्प देने हैं। तो भविष्य की दिशा होगी क्या इसे इस बार सामाजिक-आर्थिक तौर से ज्यादा राजनीतिक तौर पर समझना जरुरी है क्योंकि पहली बार न सिर्फ विपक्ष बंटा खड़ा है बल्कि पहली बार सत्ता की सहुलियत भोग रहे राजनीतिक दल भी बंटे हैं।
पहली बार समाजवाद या लोहियावाद से लेकर राष्ट्रवाद का चोला ओढ़े राजनीतिक दल भी आपस में लड़ते हुये खोखले दिखे। यानी असंभव सी परिस्थितियों को ससंद से बाहर सड़क की राजनीति में देखा गया। वामपंथी सीताराम येचुरी से गलबहियां करते भाजपा के मुरली मनोहर जोशी। वामपंथी ए बी वर्धन खुले दिल से टीएमसी नेता ममता की तारीफ करते हुये और सीपीएम नेता प्रकाश करात न्यूक्लियर डील में समाजवादी पार्टी से शिकस्त खाने के चार बरस बाद एक बार फिर मुलायम को महत्वपूर्ण और तीसरे मोर्चे की अगुवाई करने वाले नेता के तौर पर मानते हुये। जाहिर है राजनीति का यह रंग यहीं नहीं रुकता बल्कि नवीन पटनायक, बालासाहेब ठाकरे और राजठाकरे ने भी रंग बदला और नीतीश कुमार भी बिहार के विशेष पैकेज के लिये पटरी से उतरते दिखे। सभी अपने अपने प्रभावित इलाकों की दुहाई देते हुये विपक्ष की भूमिका से इतर बिसात बिछाने लगे। तो क्या इस सात रंगी राजनीति में ममता बनर्जी सरीखी नेता की सियासत कही फिट बैठती नहीं है। साफ है संसदीय राजनीति की जोड़-तोड़ पहली नजर में तो यही संकेत देती हैं कि ममता बनर्जी जिस रास्ते चल पडी वह झटके की राजनीति है। और मौजूदा वक्त हलाल की राजनीति में भरोसा करता है । जहां नीतियां, विचारधारा या सिद्धांत मायने नहीं रखते हैं। शायद इसीलिये भाजपा भी समझ नहीं पायी कि आर्थिक नीतियों का विरोध करे या फिर साख की राजनीति करते हुये खुद को चुनाव की दिशा में ले जाये, जहां आम नागरिक साफ तौर पर देख सके कि कौन नेता है कौन कार्यकर्ता।
भाजपा उलझी रही तो मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधार पर आरएसएस का हिन्दुत्व भारी पड़ गया। यानी राजनीति अगर मिल-जुल कर नही हो सकती है तो फिर विरोध कर खुद को राजनीतिक तौर पर दर्ज कराने से आगे बात जाती नहीं है। यानी परिस्थितियां ही ऐसी बनी हैं, जहां कोई एक दल अपने बूते सत्ता में आ नहीं सकता और सत्ता के लिये गठबंधन का पूरा समूह चाहिये और उसके बाद अगुवाई करने वाले चेहरे पर हर किसी की मोहर चाहिये। इस कडी में हर नेता के चेहरे को पढ़ना जरुरी है। मुलायम सिंह यादव का कद बडा इसलिये है क्योंकि उनके हक में फिलहाल उत्तर प्रदेश की सियासत है। जहां सबसे ज्यादा 80 लोकसभा की सीटे हैं। यानी उम्मीद कर सकते हैं कि मुलायम के पास सबसे ज्यादा मौका होगा, जब उनकी सीट किसी भी क्षत्रपों की तुलना में बढ़ जायें। लेकिन क्या वामपंथी और क्या ममता बनर्जी कोई भी मुलायम के पीछे खड़े होने को तैयार होंगे। दोनों धोखा खा चुके हैं तो अपना लीडर तो मुलायम को नहीं ही बनायेंगे। दूसरा चेहरा नीतीश कुमार है। जिन्हें बिहार में चुनौती देने के लिये उनके अपने सहयोगी भाजपा हैं। हालांकि भाजपा उनके पीछे खड़ी हो सकती है लेकिन भाजपा के अलावा मुलायम और वामपंथी नीतीश कुमार के पीछे खड़े होने को क्यों तैयार होंगे। अगर हां तो फिर भाजपा के साथ खड़े होने पर जो लाभ नीतीश कुमार को मिलता है वह चुनाव के वक्त कैसे मिलेगा, अगर नीतीश गैर भाजपा खेमे में जाने को तैयार हो जायें। तीसरा चेहरा ममता बनर्जी का है। जाहिर है मनमोहन सरकार से बाहर होकर ममता ने अपना एक नया चेहरा गढ़ा है, जो बंगाल के पंचायत चुनाव से लेकर आम चुनाव तक में वामपंथियों से लेकर कांग्रेस तक को उनके सामने बौना बना रहा है। सत्ता में रहकर विरोध के स्वर को जिस तरह ममता ने हाईजैक किया उससे हर किसी झटका भी लगा और सियासी लाभ पाने की राजनीति में सेंध लगी। इसका लाभ भी ममता को जरुर मिलेगा। लेकिन क्या ममता के पीछ वामपंथी खड़े हो सकते हैं। या फिर ममता को आगे कर तीसरे मोर्चे का कोई भी चेहरा पीछे खड़ा हो सकता है।
निश्चित तौर पर यह असंभव है। और इन परिस्थितियों में वामपंथियों की अपनी हैसियत खासी कम है। यानी नयी परिस्थितियों में वामपंथी एक सहयोगी के तौर पर तो फिट है लेकिन अगुवायी करने की स्थिति में वह भी नहीं हैं। इसके अलावा अपनी अपनी राजनीति जमीन पर तीन चेहरे ऐसे हैं, जिनका कद आमचुनाव होने पर बढ़ेगा चाहे चुनाव 2014 में ही क्यों ना हो लेकिन इन तीन चेहरों को राष्ट्रीय तौर पर मान्यता देने की स्थिति में कैसे बाकि राजनीतिक दल आयेंगे यह अपने आप में सवाल है। उडीसा में नवीन पटनायक, तमिलनाडु में जयललिता और आंध्रप्रदेश में जगन रेड्डी। इन तीनो की हैसियत भी आने वाले वक्त में आंकड़ों के लिहाज से बढ़ेगी ही। यानी बढ़ते आंकड़ों के बावजूद तीसरे मोर्चे को लेकर कोई एक सीधी लकीर खींचने की स्थिति में कोई नहीं है। और मौजूदा दौर की यही वह परिस्थितियां हैं, जहां कांग्रेस लाभालाभ में है। क्योंकि कांग्रेस जो भी कदम उठायेगी या मनमोहन सरकार जो भी कदम उठा रहे हैं, वह पहली बार उनके अपने सहयोगियो की राजनीति के खिलाफ जा रहा है।
यानी नीतियों को लेकर सहयोगियों के साथ मनमोहन सरकार का कोई बंदर बांट नहीं है बल्कि सीधा टकराव है। सीधा विरोध है मगर साथ खड़े होकर है। यानी वोट बैंक को लेकर भी पहली बार कांग्रेस ने एक अलग रास्ता बनाना शुरु किया है, जहा किसान, आदिवासी, अल्पसंख्यक या दलितो को कोई नीति बनाने की बात नहीं है बल्कि राज्यो में बंटे क्षत्रपो की राजनीति को गवर्नेंस का आईना दिखाने की सियासत है। सीधे कहें तो कांग्रेस अब यह दिखाना बताना चाहती है कि सरकार चलाना भी महत्वपूर्ण है चाहे नीतियों को लेकर विरोध हो मगर आंकड़े साथ रहे। यानी राजनीतिक हुनरमंद होने की ऐसी तस्वीर पहली बार सरकार चलाते हुये कांग्रेस दिखा रही है, जहां हर कोई एक दूसरे की सियासत से टकरा रहा है मगर कांग्रेस सबसे अलग बिना किसी के वोट बैक पर हमला बोले मजे में है। कहा जा सकता है कि यह कमाल देश के सीईओ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का ही है कि उनकी गद्दी को बचाने वाले दो बडे राजनीतिक दल सपा और बसपा के आंकड़े उत्तर प्रदेश से निकले हैं। दोनो एक दूसरे के खिलाफ है लेकिन चौक एंड बैलेंस ऐसा है कि दोनो ही कांग्रेस की नीतियों को जनविरोधी मानकर भी एक साथ खड़े होकर राजनीतिक सत्ता की सहमति बनाकर मनमोहन सरकार के साथ खड़े हैं।
(पुण्य प्रसून बाजपेयी भारत का पहला समाचार और समसामयिक चौनल ज़ी न्यूज़ में प्राइम टाइम एंकर और सम्पादक हैं।)