रविवार, 9 सितंबर 2012

मन के पत्ते फेंट रहे युवराज


मन के पत्ते फेंट रहे युवराज

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस में अब युवा तरूणाई की तूती बोलने का वक्त नजदीक आ रहा है। उमर दराज और भ्रष्ट नेताओं से किनारा कर सकती है कांग्रेस। जी हां, इस तरह की चर्चाएं अब राहुल गांधी के इर्द गिर्द होने लगी हैं। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की रहस्यम बीमारी के रूटीन चेकअप से वापस आते ही कांग्रेस संगठन के साथ ही साथ सत्ता में भी जबर्दस्त फेरबदल करने जा रही है।
कांग्रेस के नए उभरते सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 12 तुगलक लेन (राहुल गांधी को बतौर सांसद आवंटित सरकारी आवास) के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी अमरीका में अपने नियमित चेकअप के लिए गई हैं। उनकी वापसी अगले सप्ताह तक होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार सत्ता के हस्तांतरण की तैयारियों में सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को अब अपने मन माफिक टीम बनाने हेतु फ्री हेण्ड दिया हुआ है।
कांग्रेस के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों के अनुसार राहुल गांधी ने बड़ी जिम्मेदारी उठाने की बात कह दी है, अतः राहुल गांधी खुद भी लाल बत्ती ले सकते हैं। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी को मानव संसाधन विकास जैसे अहम मंत्रालय का जिम्मा दिया जा सकता है, ताकि वे उनकी सोच का असर देश की शिक्षा पर दिख सके।
वहीं दूसरी ओर राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी वर्तमान में सरकार में शामिल होने को तैयार नहीं हैं। राहुल के समर्थकों की इस मामले में अलग अलग राय है। एक धड़ा चाहता है कि राहुल को अभी सरकार में शामिल होकर अनुभव ले लेना चाहिए वहीं दूसरों का मत है कि वर्ष 2014 के आम चुनावों में राहुल गांधी को अपनी उजली धवल छवि के साथ धमाकेदार एंट्री मारना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी की अनुपस्थिति में राहुल गांधी अपने भविष्य के रोड़ मेप को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं। राहुल जुंडाली इन दिनों युवराज के निर्देश पर युवाओं विशेषकर ईमानदार और कर्मठ युवाओं की सूची तैयार करने में व्यस्त हैं। अगर राहुल गांधी की चली तो सत्ता और संगठन दोनों ही में उमर दराज नेताओं की आसनी पर युवा बैठे नजर आएंगे। सरकार और संगठन दोनों ही में भ्रष्ट, चालबाज, कमीशनखोर नेताओं को किनारे किया जा सकता है।
राहुल गांधी के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस बार सरकार के फेरबदल में मध्य प्रदेश में भी काफी हद तक बदलाव किया जाने वाला है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैबनेट मंत्री बनाए जाने के साथ ही साथ धार के आदिवासी सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी को लाल बत्ती से नवाजा जा सकता है।
सूत्रों की मानें तो इसके अलावा जतिन प्रसाद, आर.पी.एन.सिंह को पदोन्नति देकर उन्हें कैबनेट मंत्री तो मनमोहन सिंह के खासुलखास मनीष तिवारी को राज्य मंत्री बनाया जा सकता है। राज्य सभा के पूर्व उपसभापति रहमान खान को मंत्री बनाकर उन्हें अल्प संख्यक कल्याण मंत्रालय की कमान सौंपी जा सकती है।
राहुल गांधी इन दिनों गुलाम नवी आजाद पर रीझे हुए हैं इसलिए आजाद को मलाईदार महकमा मिलना तय माना जा रहा है। उधर, कमल नाथ से राहुल गांधी रिसाए हुए हैं, इसलिए कमल नाथ पर इस फेरबदल में गाज गिरने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। उत्तर प्रदेश में निराशाजनक प्रदर्शन और मुलायम सिंह यादव के भारी दबाव के चलते बेनी वर्मा की लाल बत्ती छीनी जाने की खबरें हैं।
पीएमओ के सूत्रों ने बताया कि रिलायंस से पेट्रोलियम पदार्थों के मामले में नाराजगी मोल लेना जयपाल रेड्डी को बेहद भारी पड़ने वाला है। रेड्डी का मंत्रालय बदला जा सकता है। उन्हें गुलाम नबी आजाद के स्थान पर देश का स्वास्थ्य मंत्री बनाया जा सकता है। उधर, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद को पेट्रोलियम मंत्रालय अथवा शिंदे के गृह मंत्री बनने से रिक्त उर्जा मंत्रालय का प्रभार का अतिरिक्त भार वायलर रवि से वापस लेकर आजाद को इसकी जवाबदारी सौंप दी जाए। विलास राव देशमुख के निधन से भारी उद्योग मंत्रालय तो दयानिधि मारन के कारण कपड़ा मंत्रालय रिक्त है। जिस पर डीएमके की नजर है।
उधर, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के पर कतरने के लिए वहां वजन देना जरूरी हो रहा है। वैसे भी प्रणव मुखर्जी के जाने के बाद अब पश्चिम बंगाल में कांग्रेस काफी कमजोर नजर आने लगी है। दीपदास मुंशी, अधीर चौधरी, प्रदीप भट्टाचार्य में से किसी को लाल बत्ती दी जा सकती है। केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा देश के नए विदेश मंत्री हो सकते हैं। विदेश मंत्री सोमनहल्ली मलैया कृष्णा से लाल बत्ती लेकर उन्हें कर्नाटक वापस भेजने की तैयारी में दिख रहे हैं युवराज।

सीएजी के मुद्दों की जांच होगी: पीएम


सीएजी के मुद्दों की जांच होगी: पीएम

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)।  प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि कोयला खण्ड आवंटन के बारे में नियत्रंक और महालेखा परीक्षक-सी.ए.जी. की रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों को दबाया नहीं जाएगा और इन पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। कल संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित होने के बाद, संसद के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में यह बात कही।
पीएम ने कहा कि वे नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की संस्था का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन अगर वे इसका सम्मान करते हैं तो इसकी रिपोर्ट पर लोक लेखा समिति या फिर संसद में बहस करना चाहेंगे। हम हमेशा इसके लिए तैयार रहे हैं, लेकिन विपक्ष ने सीएजी की रिपोर्ट पर इस स्थापित संस्था के संस्थागत तौर-तरीकों का फायदा न उठाने का फैसला किया और संसद के काम-काज में बाधा डालता रहा।
 संसद के इस सत्र में कामकाज न होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि बाधा डालने की राजनीति, पूरी तरह से लोकतंत्र के विरूद्ध है और यह आर्थिक विकास को फिर से पटरी पर लाने के प्रयासों को नुकसान पहुंचा रही है और देश को कमजोर कर रही है। उन्होंने सही सोच वाले सभी भारतीयों से अराजक और बाधा पहुंचाने वाली ताकतों के खिलाफ एकजुट होने तथा लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों की जड़ों को मजबूत करने अपील की।
 डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि नक्सलवाद, जातीय हिंसा, आतंकवाद और देश की आर्थिक स्थिति जैसे ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में चर्चा हो सकती थी। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात के पूरे प्रयास कर रही है कि देश पर विश्व के मौजूदा आर्थिक संकट का असर न पड़े।
 डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमण्डल के सहयोगियों से प्रमुख आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए फैसले लेने की प्रक्रिया को तेज करने को कहा ताकि देश को उच्च वृद्धि के रास्ते पर वापस लाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे सभी कदम उठाने चाहिए जो वह संसदीय मार्गदर्शन के बिना उठा सकती है। उन्होंने कहा कि संसद का पूरा एक सत्र बेकार चला गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले सत्र में संसद में पूरी तरह से कामकाज हो सकेगा।
उधर, भारतीय जनता पार्टी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने संवाददाताओं से बातचीत में संसद में गतिरोध के लिए सरकार को दोषी ठहराया। श्रीमती स्वराज ने कहा कि पार्टी का कोर ग्रुप १३ सितम्बर को इसे जनता के बीच ले जाने के लिए चर्चा करेगा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि संसद का मॉनसून सत्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी की, एक-दूसरे से आगे रहने की राजनीति की भेंट चढ़ गया।

सीएजी के मुद्दों की जांच होगी: पीएम


सीएजी के मुद्दों की जांच होगी: पीएम

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)।  प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि कोयला खण्ड आवंटन के बारे में नियत्रंक और महालेखा परीक्षक-सी.ए.जी. की रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों को दबाया नहीं जाएगा और इन पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। कल संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित होने के बाद, संसद के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में यह बात कही।
पीएम ने कहा कि वे नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की संस्था का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन अगर वे इसका सम्मान करते हैं तो इसकी रिपोर्ट पर लोक लेखा समिति या फिर संसद में बहस करना चाहेंगे। हम हमेशा इसके लिए तैयार रहे हैं, लेकिन विपक्ष ने सीएजी की रिपोर्ट पर इस स्थापित संस्था के संस्थागत तौर-तरीकों का फायदा न उठाने का फैसला किया और संसद के काम-काज में बाधा डालता रहा।
 संसद के इस सत्र में कामकाज न होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि बाधा डालने की राजनीति, पूरी तरह से लोकतंत्र के विरूद्ध है और यह आर्थिक विकास को फिर से पटरी पर लाने के प्रयासों को नुकसान पहुंचा रही है और देश को कमजोर कर रही है। उन्होंने सही सोच वाले सभी भारतीयों से अराजक और बाधा पहुंचाने वाली ताकतों के खिलाफ एकजुट होने तथा लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों की जड़ों को मजबूत करने अपील की।
 डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि नक्सलवाद, जातीय हिंसा, आतंकवाद और देश की आर्थिक स्थिति जैसे ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में चर्चा हो सकती थी। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात के पूरे प्रयास कर रही है कि देश पर विश्व के मौजूदा आर्थिक संकट का असर न पड़े।
 डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमण्डल के सहयोगियों से प्रमुख आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए फैसले लेने की प्रक्रिया को तेज करने को कहा ताकि देश को उच्च वृद्धि के रास्ते पर वापस लाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे सभी कदम उठाने चाहिए जो वह संसदीय मार्गदर्शन के बिना उठा सकती है। उन्होंने कहा कि संसद का पूरा एक सत्र बेकार चला गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले सत्र में संसद में पूरी तरह से कामकाज हो सकेगा।
उधर, भारतीय जनता पार्टी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने संवाददाताओं से बातचीत में संसद में गतिरोध के लिए सरकार को दोषी ठहराया। श्रीमती स्वराज ने कहा कि पार्टी का कोर ग्रुप १३ सितम्बर को इसे जनता के बीच ले जाने के लिए चर्चा करेगा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि संसद का मॉनसून सत्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी की, एक-दूसरे से आगे रहने की राजनीति की भेंट चढ़ गया।

सीएजी के मुद्दों की जांच होगी: पीएम


सीएजी के मुद्दों की जांच होगी: पीएम

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)।  प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि कोयला खण्ड आवंटन के बारे में नियत्रंक और महालेखा परीक्षक-सी.ए.जी. की रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों को दबाया नहीं जाएगा और इन पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। कल संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित होने के बाद, संसद के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में यह बात कही।
पीएम ने कहा कि वे नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की संस्था का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन अगर वे इसका सम्मान करते हैं तो इसकी रिपोर्ट पर लोक लेखा समिति या फिर संसद में बहस करना चाहेंगे। हम हमेशा इसके लिए तैयार रहे हैं, लेकिन विपक्ष ने सीएजी की रिपोर्ट पर इस स्थापित संस्था के संस्थागत तौर-तरीकों का फायदा न उठाने का फैसला किया और संसद के काम-काज में बाधा डालता रहा।
 संसद के इस सत्र में कामकाज न होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि बाधा डालने की राजनीति, पूरी तरह से लोकतंत्र के विरूद्ध है और यह आर्थिक विकास को फिर से पटरी पर लाने के प्रयासों को नुकसान पहुंचा रही है और देश को कमजोर कर रही है। उन्होंने सही सोच वाले सभी भारतीयों से अराजक और बाधा पहुंचाने वाली ताकतों के खिलाफ एकजुट होने तथा लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों की जड़ों को मजबूत करने अपील की।
 डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि नक्सलवाद, जातीय हिंसा, आतंकवाद और देश की आर्थिक स्थिति जैसे ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में चर्चा हो सकती थी। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात के पूरे प्रयास कर रही है कि देश पर विश्व के मौजूदा आर्थिक संकट का असर न पड़े।
 डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमण्डल के सहयोगियों से प्रमुख आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए फैसले लेने की प्रक्रिया को तेज करने को कहा ताकि देश को उच्च वृद्धि के रास्ते पर वापस लाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे सभी कदम उठाने चाहिए जो वह संसदीय मार्गदर्शन के बिना उठा सकती है। उन्होंने कहा कि संसद का पूरा एक सत्र बेकार चला गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले सत्र में संसद में पूरी तरह से कामकाज हो सकेगा।
उधर, भारतीय जनता पार्टी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने संवाददाताओं से बातचीत में संसद में गतिरोध के लिए सरकार को दोषी ठहराया। श्रीमती स्वराज ने कहा कि पार्टी का कोर ग्रुप १३ सितम्बर को इसे जनता के बीच ले जाने के लिए चर्चा करेगा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि संसद का मॉनसून सत्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी की, एक-दूसरे से आगे रहने की राजनीति की भेंट चढ़ गया।

कामथ के खिलाफ दर्ज होगी एफआईआर


कामथ के खिलाफ दर्ज होगी एफआईआर

(सुनील सोनी)

पणजिम (साई)। भारतीय जनता पार्टी की गोवा इकाई में राज्य में करोड़ों रुपए के अवैध खनन मामले में न्यायमूर्ति एम बी शाह आयोग द्वारा लगाए गए आरोपों को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिगम्बर कामथ के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने की मांग की है। भाजपा की स्थानीय ईकाई के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत परसेनकर ने पणजी में कहा कि शाह आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस घोटाले के लिए जिम्मेदार अन्य लोगों के साथ साथ पूर्व मुख्यमंत्री का नाम भी लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में ५७८ हैक्टेयर जमीन से ३४ हजार नौ सौ पैंतीस करोड़ मूल्य का अयस्क अवैध रूप से निकाला गया।

एनआएचएम मामले में चार आरोप पत्र दाखिल


एनआएचएम मामले में चार आरोप पत्र दाखिल

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई ने करोड़ों रुपए के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले के सिलसिले में लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत में चार अरोप पत्र दाखिल किए है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के इलाहाबाद संवाददाता ने सरकारी सूत्रों से खबर दी है कि २७ डॉक्टरों सहित ३६ लोगों को आरोपी बनाया गया है।
लखनऊ के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ए.के. शुक्ला, डॉ. ए .के. चौधरी और उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी वाई. एस. सचान के नाम भी आरोप पत्र में हैं। डॉ. सचान लखनऊ जिला जेल में रहस्मयी हालात में मृत पाए गए थे। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ अक्टूबर की तारीख तय की है।
सूत्रों ने बताया कि इन लोगों पर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की विभिन्न योजनाओं के तहत एंबुलेंस, दवाईयों, चिकित्सा उपकरणों, प्रचार सामग्री और भवन सामग्री की खरीद में अनियमितताओं के आरोप हैं।

नितीश के बहाने मोदी पर निशाना साधा ठाकरे ने

नितीश के बहाने मोदी पर निशाना साधा ठाकरे ने

(अतुल खरे)

मुंबई (साई)। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अपने इंटरव्यू के दूसरे हिस्से में धर्मांध मुसलमानों,बिहार के सीएम नीतीश कुमार और मुलायम सिंह को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा है कि आजाद मैदान का दंगा धर्मांध मुसलमानों ने रचा था और ऐसे लोगों को मैं छोड़ने वाला नहीं हूं। उन्होंने नीतीश से पूछा है कि वह मोदी को बिहार क्यों नहीं आने देते? ठाकरे ने कहा है कि मुस्लिम वोटों के चलते नीतीश ने मोदी से दूरी बना ली है और यह मनहूस राजनीति है।
दोपहर का सामना में छपे बाल ठाकरे के दूसरे इंटरव्यू में उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ जमकर आग उगली है। उन्होंने कहा है कि आजाद मैदान का दंगा पूर्व नियोजित था और इसकी साजिश पहले ही रची जा चुकी थी। उन्होंने कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद गिरने के बाद पहली बार धर्मांध मुसलमान हिंसक होकर सड़कों पर उतरा। उन्होंने पूछा है कि बाबरी मस्जिद यूपी में गिरी, तो दंगा मुंबई में क्यों हुआ। उन्होंने गोधरा कांड को कोई कैसे भूल सकता है। साबरमती एक्सप्रेस के तीन डब्बों को सुनयोजित तरीके से जला दिया गया। अगर अयोध्या में कुछ होता है और उसका रिएक्शन मुंबई में होता है, तो गोधरा में जो कुछ हुआ और उसका रिएक्शन अहमदाबाद में हुआ तो उस पर बवाल क्यों मचाते हो।
इस सवाल पर कि पाकिस्तान में आपके नाम का खौफ है? इस पर ठाकरे ने कहा, हां है। क्योंकि मैं उन्हें छोड़ने वाला नहीं हूं। मैं एक बार गुस्से में आ गया तो एक भी धर्मांध, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमान को तो कम-से-कम महाराष्ट्र में तो नहीं रहने दूंगा। उन्होंने कहा कि मेरे हाथ में सेना दो मैं देश में रहने वाले पाकिस्तान समर्थक मुसलमानों को एक महीने में सीधा कर दूंगा। उन्होंने कहा कि देश में ढोल पीटने की नई राजनीति भी चल रही है, जिसे लालू ने जन्म दिया।
आपको बिहारी ठहराने की राजनीति हो रही है? इस पर ठाकरे ने कहा यह हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि अब देखना है हमें अमेरिकन कौन ठहराता है। ठाकरे के पूर्वज अमेरिका से कब भारत आए थे, अब यह देखना है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2014 से पहले ही हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में हमने कांग्रेस का समर्थन इसलिए किया कि कलाम को सपोर्ट करना हमें उचित नहीं लगा।
मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति पर वार करते हुए ठाकरे ने कहा कि मुलायम सिंह मुल्ला है और बिहार में नीतीश कुमार का अपना हिसाब-किताब है। उन्होंने कहा कि बिहार में मुसलमानों ने नीतीश को वोट किया, जिससे वह सत्ता में आए। बिहार में मिलीजुली सरकार होने की वजह से बीजेपी के कदम भी ठिठक गए हैं और वह मुस्लिमों के खिलाफ कोई मुद्दा जोर-शोर से नहीं उठाती है। गुजरात दंगे की वजह से नीतीश कुमार बिहार में नरेंद्र मोदी को प्रचार करने नहीं आने देते। ठाकरे ने कहा कि मुस्लिम वोटों के लिए नीतीश ने मोदी से दूरी बना ली। यह मनहूस राजनीति है।
पिछले दो चुनावों में राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन देने के मसले पर सफाई देते हुए ठाकरे ने कहा कि मैंने कांग्रेसी को सपोर्ट नहीं किया। दोनों बार अलग-अलग मुद्दे थे। प्रतिभा पाटिल के वक्त मैंने विचार किया कि साठ साल पहली बार महाराष्ट्र के पास राष्ट्रपति पद आ रहा है। नहीं तो उत्तर प्रदेश या दक्षिण की तरफ यह पद जाता रहा है। मैंने सोचा कि यह मौका गंवाना नहीं चाहिए। इसलिए मैंने राष्ट्रपति पद और महाराष्ट्र को ध्यान में रखा, कांग्रेस को समर्थन नहीं दिया। प्रणव मुखर्जी को सपोर्ट करने पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि वह अच्छा आदमी है और वह सीधे समर्पण करने वाला नहीं है। प्रणव कड़क, अनुशासनप्रिय और अनुभवी इंसान हैं, इसलिए मैंने समर्थन दिया। लेकिन कुछ भड़काऊ, बिकाऊ और दलाल किस्म के पत्राकरों जानबूझकर कांडी डालने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में कलाम को सपोर्ट करना मुझे उचित नहीं लगा।

पचास रूपए के काम के लिए करोड़ों खर्च

पचास रूपए के काम के लिए करोड़ों खर्च

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले के जिंदा मुजरिम अजमल कसाब पर अब तक करोड़ों रूपए खर्च हो चुके हैं, जबकि उसे फांसी पर चढ़ाने (हेंग टिल डेथ) के काम में महज पचास रूपए का ही खर्च आने की उम्मीद है।
26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए टेररिस्ट अटैक में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब की फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहग लगा दी है। इसके बाद अब देशभर से उसे तुरंत फांसी पर लटकाने की मांग हो रही है, मगर सबसे बड़ा सवाल है कि जल्लाद कहां से आएगा और कौन होगा जो कसाब को मौत की नींद सुलाएगा। देश में हाल फिलहाल एक भी जल्लाद नहीं है।
देश में फांसी की सजा पिछले कई साल से नहीं दी गई है। आखिरी बार पश्चिम बंगाल में बलात्कार के आरोपी धनंजय चटर्जी को फांसी पर लटकाया गया था। धनंजय को फांसी देने वाले जल्लाद का नाम था नाटा मल्लिक जो कि देश के चर्चित जल्लादों में गिने जाते थे। मगर उनकी मौत के बाद देश में जल्लाद ही नहीं बचा। यानी कसाब को फांसी पर लटकाया जाता है तो उसे मौत देने के लिए इस समय जल्लाद है ही नहीं। कुछ महीनों पहले आतंकी गतिविधियों में शामिल पंजाब के बलवंत सिंह को इसलिए फांसी नहीं दी जा सकी, क्योंकि पंजाब में कोई जल्लाद नहीं है। कानून के जानकार मानते हैं कि यदि कोई जल्लाद नहीं है तो फांसी नहीं दी जा सकती।
उधर एक विदेशी मीडिया को महाराष्ट्र के जेल महानिदेशक ने इंटरव्यू के दौरान बताया कि ऐेसे हालात में जेल मैनुअल के मुताबिक कोई पुलिस अधिकारी भी ट्रेनिंग के बाद फांसी दे सकता है। ट्रेनिंग का पूरा ब्यौरा जेल मैनुअल में दिया गया है। यदि उनके इशारों को समझा जाए तो कसाब को फांसी के फंदे पर लटकाने के लिए मुंबई के किसी पुलिस अधिकारी को राजी किया जा सकता है।
2010 में जब कसाब को निचली अदालत से फांसी की सजा सुनाई गई उस दौरान नाटा मल्लिक के बेटे महादेव मल्लिक ने कसाब को फांसी पर लटकाने के लिए जल्लाद बनने के लिए हामी भरी थी। मगर कुछ शर्तों के साथ। महादेव के प्रस्ताव पर हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने गौर नहीं किया। महादेव फिलहाल पश्चिम बंगाल की जेल में ही सफाई कर्मचारी के तौर पर नौकरी करते हैं। जल्लाद उनका खानदानी पेशा है। महादेव के दादा ने अपने जीवन काल में 600 लोगों को फांसी दी थी। वहीं महादेव के पिता नाटा ने 25 लोगों को फांसी पर लटकाकर मौत की नींद सुलाया था। अब देखना होगा कि कसाब को फांसी देने के लिए कौन बनेगा जल्लाद।
मुंबई हमलों के दौरान एक मात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल आमिर कसाब मूल रूप से पाकिस्तानी नागरिक है। लाहौर से 140 किलोमीटर दूर फरीदकोट का रहने वाला कसाब इन दिनों मुंबई की आर्थर रोड जेल की विशेष कोठरी में बंद है। देश का अब तक सबसे महंगा आतंकी है जिस पर सरकार ने तकरीबन 30 करोड़ खर्च किए हैं।
मुंबई हमलों में एकमात्र जिंदा पकड़ा गया पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब पर सरकार रोज करीब 3.5 लाख रुपये खर्च कर रही है। इसमें कसाब का खाना, सुरक्षा, वकील का खर्च शामिल हैं। इस हिसाब से पिछले 46 महीनों में कसाब पर कुल खर्च 48 करोड़ रुपये के आसपास बैठता है। हालांकि, कुछ सरकारी अधिकारियों की बातों पर भरोसा करें तो यह रकम 65 करोड़ रुपये के आसपास है। गौरतलब है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस चंद्रमौलि कुमार प्रसाद की बेंच ने कसाब की मौत की सजा को सही ठहराया था।
कॉन्स्टेबल तुकाराम ओंबले की बहादुरी के चलते 27 नवंबर 2008 को एक मात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकवादी अजमल कसाब देश पर एक आर्थिक बोझ की तरह है। कसाब के लजीज भोजन के साथ उसकी सुरक्षा और मुकदमे की सुनवाई पर होने वाला खर्च रोज लाखों में बैठ रहा है।
ऑर्थर रोड जेल में कसाब को जिस बैरक में रखा गया है उसके बुलेटप्रूफ पर 5.25 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 1.5 करोड़ रुपये तो सिर्फ कसाब की गाड़ियों पर खर्च हुए हैं। 11 करोड़ रुपये आईटीबीपी की सुरक्षा पर खर्च है। इसके अलावा और भी कई तरह के खर्च कसाब के ऊपर हैं।
इन खर्चों को मिला दें तो यह रोज का करीब 3.5 लाख रुपये है। 46 महीनों में यह रकम करीब 48 करोड़ रुपये के आसपास बैठता है। गौरतलब है कि पिछले साल विधानसभा में महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर.आर.पाटिल ने करीब 20 करोड़ रुपये खर्च होने की बात कही थी। हालांकि, सरकारी सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो कसाब पर कुल खर्च 65 करोड़ रुपये बैठता है। सरकार की धीमी न्यायिक प्रक्रिया को देखकर ऐसा लग रहा है कि कसाब के फांसी पर चढ़ने तक यह 100 करोड़ को पार कर सकता है।
अजमल कसाब को सुरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र सरकार अब तक करीब 50 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है, लेकिन उसको फांसी पर लटकाने का काम सिर्फ 50 रुपए में निपट जाएगा। यह हम नहीं कह रहे हैं, देश का कानून कह रहा है। कानून के मुताबिक किसी अपराधी को फांसी देने के लिए सरकारी बजट में इतने ही रुपए खर्च करने का प्रावधान है।
यरवदा जेल के आईजी मीरन बोरवनकर के मुताबिक फांसी देने वाले जल्लाद को किसी भी अपराधी को फांसी देने के लिए अलग से कोई भी रकम नहीं दी जाती है। नियम के मुताबिक जेल सुपरिटेंडेंट एक अपराधी की बॉडी को ले जाने और उसके अंतिम संस्कार के लिए 50 रुपए तक खर्च कर सकता है।
96 देशों सहित भारत में भी मौत की सजा 1894 में बनाए गए कानून के द्वारा ही दी जाती है। फांसी की तारीख मुकर्रर होने के बाद जेल सुपरिटेंडेंट कसाब को इस बात की सूचना दे सकते हैं कि उसके पास 7 दिनों का वक्त है, जिसमें वह लिखित दया याचिका दायर कर सकता है। इसके बाद महाराष्ट्र के गवर्नर और राष्ट्रपति पर यह बात निर्भर करेगी कि आगे क्या हो। अगर दलीलों को ठुकरा दिया जाता है तो यह सजा दी जा सकती है।

अब ट्रेन में उठायें टीवी का मजा


अब ट्रेन में उठायें टीवी का मजा

(प्रियंका)

नई दिल्ली (साई)। शताब्दी ट्रेनों के यात्री अब सफर के दौरान टीवी देखने का भी मजा उठा सकेंगे क्योंकि रेलवे ने इन ट्रेनों में टीवी मुहैया कराने का फैसला किया है। रेल राज्य मंत्री भरतसिंह सोलंकी ने एस थंगावेलु के सवालों के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि शताब्दी गाडियों में यात्रियों को ऑनबोर्ड टीवी सुविधा देने की योजना के अनुसार स्थापना, ब्राडकास्टिंग तथा टीवी चौनलों की लागत एजेंसी द्वारा वहन की जानी है और इसके लिए रेलवे यात्रियों द्वारा कोई खर्च नहीं वहन किया जाएगा। सोलंकी ने वीर सिंह के एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि 2011 -12 से इस साल जुलाई तक भोजन की गुणवत्ता के बारे में 1914 शिकायतें प्राप्त की गयीं।
उन्होंने बताया कि इन मामलों में अब 40 मामले लंबित हैं और शेष का निबटारा कर दिया गया है। सोलंकी ने कहा कि 2011-12 के दौरान रेलवे ने ऐसे मामलों में 31,339 निरीक्षण किए जबकि इस साल जुलाई तक करीब दस हजार निरीक्षण किए गए।

विभिन्न रूपों में आयेंगे गणपति बप्पा


विभिन्न रूपों में आयेंगे गणपति बप्पा

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। बिहार की राजधानी पटना में भी गणेश पूजा की रौनक दिखने लगी है। पूजा को लेकर शहर के विभिन्न इलाकों में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। लोगों के उत्साह को देखते हुए गणोश प्रतिमाओं को भी विभिन्न रूपों में ढाल रहे हैं कलाकार। विघ्नविनाशक, सिद्धि विनायक, देवताओं के अग्रणी, लंबोदर और न जाने कितने नामों से जाने जाते हैं गणपति बप्पा।
उनके स्वागत के लिए शहर में भी काफी जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। राजधानी के कलाकार, मूर्तिकार गणोश उत्सव को लेकर तरह-तरह की खूबसूरत मूर्तियों को गढ़ने में दिन-रात लगे हुए हैं। पंडित श्रीपति त्रिपाठी के मुताबिक 19 सितंबर को सुबह 1 बजकर 40 के बाद गणोश प्रतिमा स्थापित करने का शुभ मुहूर्त है।
गणपति बप्पा की एक-से-एक खूबसूरत मूर्तियां देखने को मिल रही हैं। कहीं पगड़ीवाले गणोशजी बनाये जा रहे हैं, तो कहीं मुकुटवाले गणोशजी। कहीं मिट्टी की पगड़ी पहने गणोशजी दिखेंगे, तो कहीं कपड़े की। कोई गणोशजी सिंहासन पर विराजमान हैं, तो कोई आधुनिक सोफे पर। कहीं कमल के फूल पर बैठे हुए हैं, तो कहीं बड़ी-सी चारपाई पर लेटे हुए।
यहां तक कि चार और आठ हाथोंवाली मूर्तियां भी बन रही हैं। चाहे पलास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति हो या मिट्टी की, यहां के कलाकार पूरी शिद्दत से उसे गढ़ने में जुटे हैं। हालांकि राजधानी में सबसे अधिक मिट्टी की ही मूर्तियां बनायी जा रही हैं। इसमें भी वाटर पेंटवाली मूर्तियां सबसे अधिक बनायी जा रही हैं। मिट्टी की मूर्तियों पर गुलाबी और सफेद रंग के वाटर पेंट से की गयी कलाकारी देखते बन रही है।
राजधानी में कई जगहों पर गणोश की प्रतिमाएं बनायी जा रही हैं। गांधी मैदान थाने के ठीक पीछे बबलू पंडित व भोला पंडित का पूरा परिवार मूर्ति बनाने में लगा है, तो बासघाट के ठीक सामने संजय पंडित अपनी मां के साथ मिल कर मूर्तियां गढ़ रहे हैं। राजापुर, मैनपुरा, दानापुर पेठिया बाजार व पटना सिटी में भी मूर्तियां बनायी जा रही हैं। जहां तक मूर्तियों की कीमत की बात है तो हर रेंज में मूर्तियां तैयार हो रही हैं। 50 रुपये से लेकर 20 हजार तक की मूर्तियां बन रही हैं। लेकिन लोग सबसे अधिक वाटर पेंट से रंगी गयी मूर्तियों को पसंद कर रहे हैं, क्योंकि ये मूर्तियां 100 रुपये से लेकर 600 रुपये तक की हैं। गांधी मैदान थाने के ठीक पीछे वाटर पेंट से बनी मूर्तियों की खास दुकान है।
हर साल की तरह इस साल भी लोग अपने-अपने घरों में धूम-धाम से गणोश जी की पूजा करेंगे। लेकिन जहां तक सार्वजनिक गणोश उत्सव की बात है, तो दारोगा राय पथ में महाराष्ट्र मंडलकी ओर से इस बार भी धूम-धाम से गणोश उत्सव मनाने की तैयारी है। वहीं दानापुर के पेठिया बाजार काली स्थान में के पास भी भव्य गणोश उत्सव का आयोजन होने जा रहा है। यहां करीब 13 फीट ऊंची गणोश की प्रतिमा बैठायी जायेगी और यह प्रतिमा कोलकाता के मूर्तिकार बना रहे हैं। पटना सिटी में भी गणोश उत्सव धूम-धाम से होगा।

विभिन्न रूपों में आयेंगे गणपति बप्पा


विभिन्न रूपों में आयेंगे गणपति बप्पा

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। बिहार की राजधानी पटना में भी गणेश पूजा की रौनक दिखने लगी है। पूजा को लेकर शहर के विभिन्न इलाकों में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। लोगों के उत्साह को देखते हुए गणोश प्रतिमाओं को भी विभिन्न रूपों में ढाल रहे हैं कलाकार। विघ्नविनाशक, सिद्धि विनायक, देवताओं के अग्रणी, लंबोदर और न जाने कितने नामों से जाने जाते हैं गणपति बप्पा।
उनके स्वागत के लिए शहर में भी काफी जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। राजधानी के कलाकार, मूर्तिकार गणोश उत्सव को लेकर तरह-तरह की खूबसूरत मूर्तियों को गढ़ने में दिन-रात लगे हुए हैं। पंडित श्रीपति त्रिपाठी के मुताबिक 19 सितंबर को सुबह 1 बजकर 40 के बाद गणोश प्रतिमा स्थापित करने का शुभ मुहूर्त है।
गणपति बप्पा की एक-से-एक खूबसूरत मूर्तियां देखने को मिल रही हैं। कहीं पगड़ीवाले गणोशजी बनाये जा रहे हैं, तो कहीं मुकुटवाले गणोशजी। कहीं मिट्टी की पगड़ी पहने गणोशजी दिखेंगे, तो कहीं कपड़े की। कोई गणोशजी सिंहासन पर विराजमान हैं, तो कोई आधुनिक सोफे पर। कहीं कमल के फूल पर बैठे हुए हैं, तो कहीं बड़ी-सी चारपाई पर लेटे हुए।
यहां तक कि चार और आठ हाथोंवाली मूर्तियां भी बन रही हैं। चाहे पलास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति हो या मिट्टी की, यहां के कलाकार पूरी शिद्दत से उसे गढ़ने में जुटे हैं। हालांकि राजधानी में सबसे अधिक मिट्टी की ही मूर्तियां बनायी जा रही हैं। इसमें भी वाटर पेंटवाली मूर्तियां सबसे अधिक बनायी जा रही हैं। मिट्टी की मूर्तियों पर गुलाबी और सफेद रंग के वाटर पेंट से की गयी कलाकारी देखते बन रही है।
राजधानी में कई जगहों पर गणोश की प्रतिमाएं बनायी जा रही हैं। गांधी मैदान थाने के ठीक पीछे बबलू पंडित व भोला पंडित का पूरा परिवार मूर्ति बनाने में लगा है, तो बासघाट के ठीक सामने संजय पंडित अपनी मां के साथ मिल कर मूर्तियां गढ़ रहे हैं। राजापुर, मैनपुरा, दानापुर पेठिया बाजार व पटना सिटी में भी मूर्तियां बनायी जा रही हैं। जहां तक मूर्तियों की कीमत की बात है तो हर रेंज में मूर्तियां तैयार हो रही हैं। 50 रुपये से लेकर 20 हजार तक की मूर्तियां बन रही हैं। लेकिन लोग सबसे अधिक वाटर पेंट से रंगी गयी मूर्तियों को पसंद कर रहे हैं, क्योंकि ये मूर्तियां 100 रुपये से लेकर 600 रुपये तक की हैं। गांधी मैदान थाने के ठीक पीछे वाटर पेंट से बनी मूर्तियों की खास दुकान है।
हर साल की तरह इस साल भी लोग अपने-अपने घरों में धूम-धाम से गणोश जी की पूजा करेंगे। लेकिन जहां तक सार्वजनिक गणोश उत्सव की बात है, तो दारोगा राय पथ में महाराष्ट्र मंडलकी ओर से इस बार भी धूम-धाम से गणोश उत्सव मनाने की तैयारी है। वहीं दानापुर के पेठिया बाजार काली स्थान में के पास भी भव्य गणोश उत्सव का आयोजन होने जा रहा है। यहां करीब 13 फीट ऊंची गणोश की प्रतिमा बैठायी जायेगी और यह प्रतिमा कोलकाता के मूर्तिकार बना रहे हैं। पटना सिटी में भी गणोश उत्सव धूम-धाम से होगा।

विभिन्न रूपों में आयेंगे गणपति बप्पा


विभिन्न रूपों में आयेंगे गणपति बप्पा

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। बिहार की राजधानी पटना में भी गणेश पूजा की रौनक दिखने लगी है। पूजा को लेकर शहर के विभिन्न इलाकों में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। लोगों के उत्साह को देखते हुए गणोश प्रतिमाओं को भी विभिन्न रूपों में ढाल रहे हैं कलाकार। विघ्नविनाशक, सिद्धि विनायक, देवताओं के अग्रणी, लंबोदर और न जाने कितने नामों से जाने जाते हैं गणपति बप्पा।
उनके स्वागत के लिए शहर में भी काफी जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। राजधानी के कलाकार, मूर्तिकार गणोश उत्सव को लेकर तरह-तरह की खूबसूरत मूर्तियों को गढ़ने में दिन-रात लगे हुए हैं। पंडित श्रीपति त्रिपाठी के मुताबिक 19 सितंबर को सुबह 1 बजकर 40 के बाद गणोश प्रतिमा स्थापित करने का शुभ मुहूर्त है।
गणपति बप्पा की एक-से-एक खूबसूरत मूर्तियां देखने को मिल रही हैं। कहीं पगड़ीवाले गणोशजी बनाये जा रहे हैं, तो कहीं मुकुटवाले गणोशजी। कहीं मिट्टी की पगड़ी पहने गणोशजी दिखेंगे, तो कहीं कपड़े की। कोई गणोशजी सिंहासन पर विराजमान हैं, तो कोई आधुनिक सोफे पर। कहीं कमल के फूल पर बैठे हुए हैं, तो कहीं बड़ी-सी चारपाई पर लेटे हुए।
यहां तक कि चार और आठ हाथोंवाली मूर्तियां भी बन रही हैं। चाहे पलास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति हो या मिट्टी की, यहां के कलाकार पूरी शिद्दत से उसे गढ़ने में जुटे हैं। हालांकि राजधानी में सबसे अधिक मिट्टी की ही मूर्तियां बनायी जा रही हैं। इसमें भी वाटर पेंटवाली मूर्तियां सबसे अधिक बनायी जा रही हैं। मिट्टी की मूर्तियों पर गुलाबी और सफेद रंग के वाटर पेंट से की गयी कलाकारी देखते बन रही है।
राजधानी में कई जगहों पर गणोश की प्रतिमाएं बनायी जा रही हैं। गांधी मैदान थाने के ठीक पीछे बबलू पंडित व भोला पंडित का पूरा परिवार मूर्ति बनाने में लगा है, तो बासघाट के ठीक सामने संजय पंडित अपनी मां के साथ मिल कर मूर्तियां गढ़ रहे हैं। राजापुर, मैनपुरा, दानापुर पेठिया बाजार व पटना सिटी में भी मूर्तियां बनायी जा रही हैं। जहां तक मूर्तियों की कीमत की बात है तो हर रेंज में मूर्तियां तैयार हो रही हैं। 50 रुपये से लेकर 20 हजार तक की मूर्तियां बन रही हैं। लेकिन लोग सबसे अधिक वाटर पेंट से रंगी गयी मूर्तियों को पसंद कर रहे हैं, क्योंकि ये मूर्तियां 100 रुपये से लेकर 600 रुपये तक की हैं। गांधी मैदान थाने के ठीक पीछे वाटर पेंट से बनी मूर्तियों की खास दुकान है।
हर साल की तरह इस साल भी लोग अपने-अपने घरों में धूम-धाम से गणोश जी की पूजा करेंगे। लेकिन जहां तक सार्वजनिक गणोश उत्सव की बात है, तो दारोगा राय पथ में महाराष्ट्र मंडलकी ओर से इस बार भी धूम-धाम से गणोश उत्सव मनाने की तैयारी है। वहीं दानापुर के पेठिया बाजार काली स्थान में के पास भी भव्य गणोश उत्सव का आयोजन होने जा रहा है। यहां करीब 13 फीट ऊंची गणोश की प्रतिमा बैठायी जायेगी और यह प्रतिमा कोलकाता के मूर्तिकार बना रहे हैं। पटना सिटी में भी गणोश उत्सव धूम-धाम से होगा।

विभिन्न रूपों में आयेंगे गणपति बप्पा


विभिन्न रूपों में आयेंगे गणपति बप्पा

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। बिहार की राजधानी पटना में भी गणेश पूजा की रौनक दिखने लगी है। पूजा को लेकर शहर के विभिन्न इलाकों में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। लोगों के उत्साह को देखते हुए गणोश प्रतिमाओं को भी विभिन्न रूपों में ढाल रहे हैं कलाकार। विघ्नविनाशक, सिद्धि विनायक, देवताओं के अग्रणी, लंबोदर और न जाने कितने नामों से जाने जाते हैं गणपति बप्पा।
उनके स्वागत के लिए शहर में भी काफी जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। राजधानी के कलाकार, मूर्तिकार गणोश उत्सव को लेकर तरह-तरह की खूबसूरत मूर्तियों को गढ़ने में दिन-रात लगे हुए हैं। पंडित श्रीपति त्रिपाठी के मुताबिक 19 सितंबर को सुबह 1 बजकर 40 के बाद गणोश प्रतिमा स्थापित करने का शुभ मुहूर्त है।
गणपति बप्पा की एक-से-एक खूबसूरत मूर्तियां देखने को मिल रही हैं। कहीं पगड़ीवाले गणोशजी बनाये जा रहे हैं, तो कहीं मुकुटवाले गणोशजी। कहीं मिट्टी की पगड़ी पहने गणोशजी दिखेंगे, तो कहीं कपड़े की। कोई गणोशजी सिंहासन पर विराजमान हैं, तो कोई आधुनिक सोफे पर। कहीं कमल के फूल पर बैठे हुए हैं, तो कहीं बड़ी-सी चारपाई पर लेटे हुए।
यहां तक कि चार और आठ हाथोंवाली मूर्तियां भी बन रही हैं। चाहे पलास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति हो या मिट्टी की, यहां के कलाकार पूरी शिद्दत से उसे गढ़ने में जुटे हैं। हालांकि राजधानी में सबसे अधिक मिट्टी की ही मूर्तियां बनायी जा रही हैं। इसमें भी वाटर पेंटवाली मूर्तियां सबसे अधिक बनायी जा रही हैं। मिट्टी की मूर्तियों पर गुलाबी और सफेद रंग के वाटर पेंट से की गयी कलाकारी देखते बन रही है।
राजधानी में कई जगहों पर गणोश की प्रतिमाएं बनायी जा रही हैं। गांधी मैदान थाने के ठीक पीछे बबलू पंडित व भोला पंडित का पूरा परिवार मूर्ति बनाने में लगा है, तो बासघाट के ठीक सामने संजय पंडित अपनी मां के साथ मिल कर मूर्तियां गढ़ रहे हैं। राजापुर, मैनपुरा, दानापुर पेठिया बाजार व पटना सिटी में भी मूर्तियां बनायी जा रही हैं। जहां तक मूर्तियों की कीमत की बात है तो हर रेंज में मूर्तियां तैयार हो रही हैं। 50 रुपये से लेकर 20 हजार तक की मूर्तियां बन रही हैं। लेकिन लोग सबसे अधिक वाटर पेंट से रंगी गयी मूर्तियों को पसंद कर रहे हैं, क्योंकि ये मूर्तियां 100 रुपये से लेकर 600 रुपये तक की हैं। गांधी मैदान थाने के ठीक पीछे वाटर पेंट से बनी मूर्तियों की खास दुकान है।
हर साल की तरह इस साल भी लोग अपने-अपने घरों में धूम-धाम से गणोश जी की पूजा करेंगे। लेकिन जहां तक सार्वजनिक गणोश उत्सव की बात है, तो दारोगा राय पथ में महाराष्ट्र मंडलकी ओर से इस बार भी धूम-धाम से गणोश उत्सव मनाने की तैयारी है। वहीं दानापुर के पेठिया बाजार काली स्थान में के पास भी भव्य गणोश उत्सव का आयोजन होने जा रहा है। यहां करीब 13 फीट ऊंची गणोश की प्रतिमा बैठायी जायेगी और यह प्रतिमा कोलकाता के मूर्तिकार बना रहे हैं। पटना सिटी में भी गणोश उत्सव धूम-धाम से होगा।