बुधवार, 1 अगस्त 2012

दादा को तलाश मीडिया एडवाईजर की!


दादा को तलाश मीडिया एडवाईजर की!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। राससीना हिल्स पर कब्जा जमाने के बाद अब देश के महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी अपनी आंतरिक सजावाट में लग गए हैं। दादा अपने स्टाफ में अधिकारियों को चुनने के काम में जुट गए हैं। दादा को सबसे अधिक चिंता भारत कणराज्य के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति के पद की गिरती साख को लेकर है। इसके लिए वे अब अपने मीडिया एडवाईजर की तलाश में बताए जा रहे हैं।
महामहिम राष्ट्रपति के उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि महामहिम राष्ट्रपति की वर्तमान प्रेस सचिव अर्चना दत्ता अपनी आसनी को बचाने की हर संभव कोशिश में लगी हुई हैं। अर्चना दत्ता के कार्यकाल में देश के महामहिम राष्ट्रपति पद की गरिमा को तार तार होने से बचाया नहीं जा सका है।
सूत्रों का कहना है कि दादा इस पद पर लिए बंगाली मूल के ही किसी अधिकारी को काबिज करवाना चाह रहे हैं। चर्चाओं के मुताबिक बंगाली पत्रकार ही इस पद के लिए मुफीद बैठ रहे हैं, क्योंकि दादा को बंग्ला के अलावा अंग्रेजी का ज्ञान बेहतर है। दादा की हिन्दी कमजोर है, इसलिए वे हिन्दी के पत्रकारों को शायद ही तरहीज दें।
जिस तरह भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों पर भरोसा करने के बजाए पहले हरीश खरे फिर पंकज पचौरी को अपनी इमेज बिल्डिंग के लिए पाबंद किया है, उसी तर्ज पर अब दादा भी किसी पत्रकार को महामहिम राष्ट्रपति के आवास में लाने को आतुर दिख रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार आनंद बाजार पत्रिका के ब्यूरो प्रमुख जयंतो भोपाल का नाम दादा को मुफीद ही लग रहा है। वैसे दादा के करीबी सूत्र यह बात भी कह रहे हैं कि संभव है दादा किसी भारतीय सूचना सेवा के बंगाली अधिकारी को इस काम में लगाकर महामहिम राष्ट्रपति के आवास में ले जाएं।
सूत्रों की मानें तो भारतीय सूचना सेवा के अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारी देवेंद्र मलिक इस पद के लिए जुगाड़ लगाने में व्यस्त हैं। इसके अलावा बंगाल मूल के एक अन्य संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी वरूण मिश्रा की राल भी इस पद के लिए टपकती दिख रही है। ज्ञातव्य है कि मिश्रा 1988 से प्रतिनियुक्ति पर महामहिम राष्ट्रपति के कार्यालय में पदस्थ हैं।

जबलपुर में दैनिक प्रदेश टुडे का आगाज


जबलपुर में दैनिक प्रदेश टुडे का आगाज

15 अगस्त से आसपास के जिलों में होगा विस्तार

(रविंद्र जैन)

जबलपुर (साई)। मप्र की राजधानी भोपाल के बाद दैनिक प्रदेश टुडे ने प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर की ओर रुख किया है। जबलपुर में पहले दिन ही इस सांध्य दैनिक को उम्मीद बड़ी सफलता मिली है। अखबार का पहले दिन का प्रिंट आर्डर 32782 कापी था। यही नहीं जबलपुर के विज्ञापन दाताओं ने भी अखबार को हाथोंहाथ लिया है। लांचिंग के पहले ही 50 लाख से अधिक विज्ञापन के आदेश अखबार के दफ्तर तक पहुंच गये थे। इस सफलता से उत्साहित पत्रकार से इस अखबार के मालिक बने हृदेश दीक्षित का कहना है कि 15 अगस्त से प्रदेश टुडे पूरे महाकौशल और विंध्य के हर जिले कस्बे व गांव में दिखाई देने लगेगा।
 मात्र दो साल पहले हृदेश दीक्षित राज एक्सप्रेस के संपादक थे। राज एक्सप्रेस छोडऩे के बाद उन्होंने भोपाल में स्वयं का सांध्य कालीन अखबार निकालने का निर्णय लिया। कई मित्रों ने उन्हें अखबार निकालना, आत्महत्या करना जैसा बताया। ऐसे समय में जबकि प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित समाचार पत्र नई दुनिया लगातार घाटे के बाद जागरण समूह के हाथों बिक रहा था तब हृदेश दीक्षित दैनिक प्रदेश टुडे को भोपाल में जमाने में व्यस्त दिखाई दिये। आंकड़े चौंकाने वाले लेकिन सच और प्रमाणिक हैं कि भोपाल में मात्र 16 महीने में दैनिक प्रदेश टुडे की प्रसार संख्या 1 लाख 18 हजार प्रतियों तक पहुंच गई है। हृदेश दीक्षित इस जादूई आंकड़े का श्रेय प्रदेश टुडे ग्रुप के चेयरमैन सतीश पिम्पले को देते हैं। उत्साह और उमंग से लबरेज सतीश पिम्पले का दावा है कि इन 16 महीनों में भोपाल में 12 पेज का यह सांध्य दैनिक न केवल लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है बल्कि प्रदेश में सकारात्मक पत्रकारिता के संवाहक के रूप में भी पहचाने जाने लगा है। पिम्पले का एक और दावा अखबार जगत के लिए चौंकाने वाला है उनका कहना है कि मात्र 16 महीनों में प्रदेश टुडे भोपाल में घाटे से उभरकर प्राफिट में आ गया है।
जबलपुर में जनता से जुड़ा
 भोपाल की सफलता के बाद प्रदेश टुडे ने जबलपुर की ओर रुख किया है। पिछले छह महीने से इस अखबार की जबलपुर में ऐसी ब्रांडिंग हुई कि घर-घर में इस अखबार का इंतजार होने लगा। दैनिक भास्कर के पैटर्न पर प्रदेश टुडे ने 40 से ज्यादा सर्वे टीमों का गठन किया। जिन्होंने जबलपुर में 7 लाख से ज्यादा लोगों से व्यक्तिगत संपर्क कर अखबार के बारे में उन्हें न केवल जानकारी दी बल्कि 32 हजार से ज्यादा पेड सदस्य भी बना लिये। जबलपुर के इतिहास में ऐसी ब्रांडिंग और पहले दिन से इतना बड़ा सर्क्यूलेशन किसी अखबार का नहीं हुआ। अखबार की लांचिंग भी महोत्सव के रूप में हुई। 27 जुलाई को सुबह पूजन के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई जो 29 जुलाई रात को 6 हजार लोगों द्वारा सामूहिक नर्मदा आरती तक चला। शहर के हर तबके ने प्रदेश टुडे से जुड़ाव महसूस किया। 28 जुलाई को दोपहर होटल समदडिय़ा ग्रांड में यूं तो कई नेता, मंत्री, सांसद, विधायक, महापौर और अफसर मौजूद थे लेकिन हृदेश दीक्षित ने अपने पूज्य माता-पिता को मंच पर बुलाया और उनके हाथों जबलपुर संस्करण का विमोचन कराया। विमोचन से पहले जबलपुर के पाठकों का आभार व्यक्त करने शहर में बड़ी रैली निकाली गई। यूं तो अपने ब्रांड की लोकप्रियता के लिए शहर में रैली निकालना नई बात नहीं है लेकिन प्रदेश टुडे की रैली का शहर के लोगों ने कदम-कदम पर जिस तरह स्वागत किया उससे लगता है कि इस अखबार का आम पाठक से सीधा जुड़ाव हो गया है। इधर नई दुनिया ग्रुप में 38 वर्षों तक सक्रिय और सकारात्मक पत्रकारिता करने वाले नई दुनिया के ग्रुप एडीटर उमेश त्रिवेदी के प्रदेश टुडे में प्रधान संपादक के रूप में जुडऩे से पूरी टीम का मनोबल सातवें आसमान पर दिख रहा है।
अब ग्वालियर - रायपुर पर नजर
 जबलपुर की सफल और ऐतिहासिक लांचिंग के बाद प्रदेश टुडे ग्रुप ग्वालियर की ओर रुख करने जा रहा है। अगले छह महीने में ग्वालियर और रायपुर संस्करण शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। दिसंबर 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश टुडे एक बड़ी ताकत के साथ इंदौर पहुंचने की योजना बना रहा है।

जिला प्रशासन की ढील का फायदा उठा रहा है आईडिया

एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  6

जिला प्रशासन की ढील का फायदा उठा रहा है आईडिया

बिना आईडी बांटी जा रही हैं सिम

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई) निजी क्षेत्र की बड़ी मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी आईडिया द्वारा समूचे देश में जिला प्रशासन की अनदेखी का लाभ सबसे तेजी से लिया जा रहा है। बिना आईडेंटीफिकेशन प्रूफ के ही आईडिया द्वारा सिम बांटी जा रही हैं। यह भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
गौरतलब है कि पिछले साल यूपी के यमुना नगर के जिलाधीश कार्यालय द्वारा जारी आदेशों के तहत उन मोबाईल फोन कम्पनियों को चेताया गया, जो बिना किसी आवासीय प्रमाण, फोटो और ग्राहकों के स्थाई पतों की जांच पड़ताल के बिना ही मोबाइल फोन धारकों को मोबाइल फोन के सिम उपलब्ध करवा रही है। मोबाईल फोन की कम्पनियां अगर ऐसा करेगी तो आदेशों कीअवहेलना करने वाली कंपनियों/सिम बेचने वाले एजेंट के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अतिरिक्त उपायुक्त दिनेश सिंह यादव ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिलाधीश कार्यालय द्वारा पहले से ही जारी किए गए भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि देखने में आया है कि भारतीय दूर संचार निगम लि., एयरटैल, वोडाफोन, आईडिया, रिलायंस, इन्फोकोम व टाटा आदि मोबाईल कम्पनियों के एजेंट लोगों को उनके आवासीय प्रमाण, फोटोग्राफ व उनके आवास के पतों की जांच पडताल करवाए बिना ही ग्राहकों को मोबाइल फोन के सिम उपलब्ध करवा रही है।
ऐसे ग्राहक उक्त मोबाइल फोन का आपराधिक व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में प्रयोग कर रही है। ऐसे समाज विरोधी तत्व इन मोबाइल सिमं के जरिए से समाज में अशांति फैलाते है और लोगों की जान माल के लिए भी खतरा पैदा करते है। अतिरिक्त उपायुक्त ने स्पष्ट किया गया है कि कोई भी मोबाइल कम्पनी लोगों को बिना आवासीय प्रमाण पत्रों के कोई भी मोबाइल सिम कनेक्शन जारी न करे। उन्होंने मोबाईल फोन विक्रेताओं को भी आगाह किया कि वह ग्राहकों से पुराने मोबाइल खरीदते हुए व उन्हे पुराने मोबाइल बेचते हुए भी सावधानी बरतें। उन्होंने एसटीडी बूथ चलाने वाले लोगों से भी अपील की कि वह उनके बूथों से की जा रही कॉल का पूर्ण ब्योरा लिखित रूप में रखें।
बावजूद इसके देश भर के निन्यानवे फीसदी जिलों में जिला एवं पुलिस प्रशासन द्वारा इस तरह का कोई आदेश सार्वजनिक तौर पर जारी नहीं किए जाने से निजी और सरकारी मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा बिना आईडी प्रूफ के ही सिमों का वितरण किया जा रहा है।
(क्रमशः जारी)

पपीता: कई खूबियों वाला फ़ल


हर्बल खजाना ----------------- 6

पपीता: कई खूबियों वाला फ़ल

(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। पपीता न सिर्फ़ एक फ़ल है बल्कि औषधिय गुणों का खजाना है। इस फ़ल में पपैन, प्रोटीन, बीटा- केरोटीन, थायमिन, रीबोफ़्लेविन और कई विटामिन्स पाए जाते है। पपीते के पेड से निकलने वाला दूध मुहाँसो पर लगाने से जल्दी ठीक हो जाते है।
फ़लों से निकलने वाले दूध को बच्चों को देने से पेट के कीडे मर जाते है और बाहर निकल आते है। पपीते की जड (१० ग्राम) और कुल्थी (५० ग्राम) का मिश्रण लेकर काढा बनाकर लेने से बवासीर में फ़ायदा होता है। पपीते के रस में दूध और मिश्री मिलाकर रात को पीने से अनिद्रारोग में फ़ायदा होता है।
पपीता पित्त नाशक, वीर्यवर्धक और एक उत्तम पाचक फ़ल है। पातालकोट के आदिवासी भुमकाओं के अनुसार पपीते के बीजों को चबाने से आँखों की रौशनी बढ जाती है। कच्चे फ़लों से निकलने वाले दूध को बताशे के साथ लेने से दिल के रोगियों को फ़ायदा होता है। डाँग- गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकार जिन्हे भगत कहा जाता है, कच्चे पपीते को चीरा लगाकर उसका दूध एकत्र कर लेते है और इसे धूप में सुखाकर चूर्ण बनाते है।
इनके अनुसार इस चूर्ण का प्रतिदिन सेवन उच्च रक्तचाप में लाभकारी होता है और माना जाता है कि इसी चूर्ण के सेवन से अस्थिरोग में भी आराम मिलता है। विरेचक होने की वजह से पपीते का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिये वर्जित माना जाता है। (साई फीचर्स)

(लेखक हर्बल मामलों के जाने माने विशेषज्ञ हैं)