बुधवार, 25 जुलाई 2012

शिवराज देंगे पत्रकारों को श्रृद्धा निधि के नाम पर पैंशन

शिवराज देंगे पत्रकारों को श्रृद्धा निधि के नाम पर पैंशन

(नन्‍द किशोर) 

भोपाल (साई)।राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के बुजुर्ग पत्रकारों को श्रद्धा निधि दिये जाने के निर्णय की पत्रकार जगत ने व्यापक सराहना की है। पत्रकारों के विभिन्न संगठनों ने इस निर्णय के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान का आभार व्यक्त किया है।
उल्लेखनीय है कि मंत्रि-परिषद ने प्रदेश के बुजुर्ग पत्रकारों को पाँच हजार रुपये प्रतिमाह श्रद्धा निधि देने का निर्णय लिया है। इसका लाभ ऐसे पत्रकारों को मिलेगा जिनकी उम्र 62 वर्ष से अधिक है तथा राज्य शासन से दस वर्ष से अधिमान्य रहे हैं।
सेंट्रल प्रेस क्लब भोपाल के अध्यक्ष श्री गणेश साकल्ले और महासचिव श्री राजेश सिरोठिया तथा संस्थापक सदस्य श्री विजय दास ने राज्य सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा है कि राज्य सरकार का यह निर्णय पत्रकारों के हित में है। इसी तरह मध्यप्रदेश श्रमजीवी-पत्रकार संघ के प्रांतीय अध्यक्ष श्री शलभ भदौरिया ने भी इस निर्णय के लिये आभार व्यक्त किया है।
इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री प्रवीण खारीवाल ने कहा है कि इस फैसले का समूचा मीडिया जगत स्वागत करता है। इन्दौर के वरिष्ठ बुजुर्ग पत्रकारों ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है। श्रमजीवी पत्रकार संघ रीवा के अध्यक्ष श्री अखिलेश पाण्डेय और महासचिव श्री पुरषोत्तम मिश्रा ने आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे पत्रकारों की वर्षों से लंबित माँग पूरी हुई है।
ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन आदि सभी जगह पत्रकारों ने इस निर्णय पर हर्ष व्यक्त करते हुए राज्य शासन, मुख्यमंत्री श्री चौहान, जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा के प्रति आभार व्यक्त किया है। जबलपुर से श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश महासचिव श्री नलिनकांत वाजपेई, संभागीय अध्यक्ष श्री परमानंद तिवारी, जिलाध्यक्ष श्री रफीक खान, जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ मध्यप्रदेश के प्रदेश सचिव श्री पंकज पटेरिया, जिलाध्यक्ष श्री चैतन्य भट्ट, वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांतीय सचिव श्री प्रहलाद साहू नेफैसले का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया है। ग्वालियर से श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रांतीय संगठन महामंत्री श्री विनय अग्रवाल, प्रांतीय महासचिव श्री सुरेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश अचल, श्री प्रवीण मिश्रा आदि पत्रकारों ने भी मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की है।

गड़करी की शह पर डकर रहे पंवार!


गड़करी की शह पर डकर रहे पंवार!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्रीय मंत्री और मराठा क्षत्रप शरद पंवार अचानक ही सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन से क्यों खफा हैं? उनका नाराजगी का यह लट्टू किस बैटरी से करंट पा रहा है? राकांपा सुप्रीमो शरद पंवार की मांगे क्या हैं? इस तरह के प्रश्नों पर सियासी हल्कों में इन दिनों शोध चल रहा है। कहा जा रहा है कि भाजपा के मराठा क्षत्रप नितिन गड़करी के पावर प्लांट से शरद पंवार का लट्टू टिमटिमा रहा है।
शरद पंवार के करीबी सूत्रों का कहना है कि मराठा क्षत्रप अचानक ही इतने उग्र नहीं हुए हैं। वे इस कदर नाराज हैं कि उनके सहयोगी प्रफुल्ल पटेल भी उनके करीब जाने से डर रहे हैं। नंबर दो की मांग तो एक बहाना है, दरअसल पंवार इस नाराजगी की आड़ में अपना कद बेहताशा बढ़ाने पर आमदा हैं। पंवार चाह रहे हैं कि केंद्र में उन्हें चार कबीना मंत्री का कोटा मिले। इनमें पंवार की पसंद वित्त, गृह, रक्षा और विदेश की हैै। इसके अलावा वे चाहते हैं कि राज्य सभा में तारिक अनवर को उपसभापति भी बनाया जाए।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि यह सही वक्त है जब पंवार अपनी पुत्री सुप्रिया सुले को केंद्र में कैबनेट मंत्री बना सकते हैं। दरअसल, राहुल गांधी द्वारा बड़ी जिम्मेदारी लेने की बात के उपरांत ही पंवार ने अपने तेवर तल्ख करने के संकेत दे दिए थे। एसा करके वे कांग्रेस के अन्य नेताओं को भी यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि यही सही मौका है जब सारे नेता राहुल के साथ ही साथ अपनी आने वाली पीढ़ी को केंद्र में मंत्री बनाकर तार सकते हैं।
उधर, पंवार के सहयोगी प्रफुल्ल पटेल को साधने के लिए कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी ने पार्टी के एक बड़े नेता जिनका संसदीय क्षेत्र महाराष्ट्र सीमा से लगा हुआ है को पाबंद किया हुआ था। उनके नाकाम होने के बाद यह महती जवाबदारी सोनिया ने अपने राजनैतिक सचिव अहमद पटेल को दे दी है।
अहमद पटेल के प्रयासों से अब प्रफुल्ल पटेल द्वारा शरद पंवार को शांत किए जाने का जतन आरंभ कर दिया गया बताया जाता है। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के निर्देश पर एक विशेष लाईन पर भी काम किया जा रहा है, जिसके तहत प्रफुल्ल पटेल को राकांपा से कांग्रेस में लाने पर विचार किया जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि पटेल को कांग्रेस की सदस्यता दिलवाने में सबसे बड़ी खामी यह है कि पंवार और पटेल के व्यवसायिक हित काफी हद तक एक दूसरे से ही जुड़े हुए हैं। कांग्रेस से जुड़े एक बड़े उद्योगपति नेता के साथ पंवार और पटेल ने विमानन कंपनी में भी निवेश किया बताया जाता है। इतना ही चर्चा तो यहंा तक है कि दो बड़ी कंपनियों में पंवार का निवेश है और उसकी देखरेख संभाल का काम प्रफुल्ल पटेल ही किया करते हैं।
सूत्रों ने यह भी बताया कि प्रफुल्ल पटेल 10, जनपथ के संपर्क में हैं। पटेल को यह लालीपाप भी दिया गया है कि अगर वे पंवार को ठुकराकर कांग्रेस की सदस्यता लेते हैं तो उन्हें गुजरात में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस की ओर से प्रोजेक्ट किया जा सकता है। गुजरात के निजाम की कुर्सी का लाईलप्पा पटेल के ईमान को डगमगाता ही दिख रहा है।
इधर पंवार के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि शरद पंवार पिछले दो महीनों से भाजपा के निजाम नितिन गड़करी के सतत संपर्क में हैं। दोनों की पृष्ठभूमि व्यवसाई होने के कारण दोनों के कामन फ्रेंड्स की तादाद भी जबर्दस्त ही है। इन्हीं मित्रों के जरिए दोनों एक दूसरे पर डोरे भी डाल रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो समाजवादी क्षत्रप मुलायम सिंह यादव और शरद पंवार की दो गुपचुप मंत्रणाएं नितिन गड़करी के साथ हो चुकी हैं। पंवार, गड़करी और यादव के त्रिफला द्वारा इन संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है कि अगर सरकार को गिरा दिया जाता है तो क्या परिस्थितियां निर्मित होंगी।
कहते हैं गड़करी ने पंवार के नंबर दो बनने की और मुलायम के रक्षा मंत्री बनने की महात्वाकांक्षा को भांपकर पंवार और यादव के सामने तुरूप का इक्का चलते हुए यह तक कह डाला कि अगर दोनों मिलकर सरकार गिराते हैं तो भाजपा अपने राजग के सहयोगी दलों के साथ मिलकर मुलायम सिंह यादव और शरद पंवार को बारी बारी से प्रधानमंत्री बनवाने में अपना सहयोग प्रदान कर देगी।

बंधने लगा दादा के चहेतों का बोरिया बिस्तर

बंधने लगा दादा के चहेतों का बोरिया बिस्तर

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के तेरहवें महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के शपथ ग्रहण करने के साथ ही उनके संगी साथयों चहेतों ने भी अपना बोरिया बिस्तर बांधना आरंभ कर दिया है। रायसीना हिल्स स्थित महामहिम राष्ट्रपति के सरकारी आवास जो ब्रिटिश वायसराय के लिए तैयार करवाया गया था, में प्रणव मुखर्जी अकेले नहीं वरन् टीम दादाके साथ जाने की तैयारी में हैं।
दादा के करीबी सूत्रों का कहना है कि अपनी जीत के प्रति आशान्वित रहे दादा प्रणव मुखर्जी ने चुनाव के पहले ही अपने विश्वस्त लोगों को तैयार रहने के संकेत दे दिए थे। दादा महामहिम राष्ट्रपति के आवास में अपने चहेतों की लंबी फौज के साथ जाने के इच्छुक हैं। आने वाले दिनों में राष्ट्रपति भवन में दादा के चिर परिचित चेहरे दिखाई देने लग जाएंगे।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दादा अपने साथ नार्थ ब्लाक से अनेक सरकारी मातहतों को राष्ट्रपति भवन ले जाएंगे। इन सरकारी कर्मचारियों के सामने यह संकट आन खड़ा हुआ है कि इन्हें अपने आप को आवंटित सरकारी आवास रिक्त करने होंगे, क्योंकि इनकी रिहाईश के लिए प्रजीडेंट इस्टेट में ही बंग्ले बने हुए हैं।
नार्थ ब्लाक में चल रही बयार के अनुसार दादा के साथ जाने वाली ओमीता पाल क्रिस्टी फर्नाडिस का स्थान लेंगी। इसके अलावा पिछले साल नियुक्त हुए दादा के निज सचिव रजनीश और 2005 से दादा के ओएसडी रहे प्रदीप गुप्ता भी राष्ट्रपति भवन जाने की तैयारी करने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार दादा अपने साथ विमल जुल्का को भी राष्ट्रपति ले जाने के इच्छुक बताए जा रहे हैं।

मामा की खिल्ली उड़ाता कुपोषण!

मामा की खिल्ली उड़ाता कुपोषण!

सूबे के बच्चों को मामा बना रहे हैं शिवराज

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। भले ही वोट की राजनीति या सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की गरज से देश के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान अपने आपको सूबे के बच्चों का मामा बताते हों, पर उनके ही सूबे में कुपोषण की समस्या उनकी ही खिल्ली उड़ा रही है। सूबे में बच्चों के कुपोषण के आंकड़ों से अब उनकी कथनी और करनी में बहुत बड़ा फर्क साफ नजर आने लगा है।
एक आंकलन के अनुसार समूचे सूबे में बच्चों के कुपोषित होने की खबरें आम हो चुकी हैं। बच्चों को पोषक तत्वों से लवरेज रखने के लिए पाबंद मध्य प्रदेश का महिला और बाल विकास विभाग भी कुछ नव धनाड्यों की देहरी पर मुजरा ही करता नजर आ रहा है। कुपोषण की समस्या के चलते बच्चे कमजोर होते जा रहे हैं, पर इससे महिला और बाल विकास विभाग को कोई लेना देना नजर नहीं आ रहा है।
ज्ञातव्य है कि बच्चों के अधिकारों के लिए सजग संस्था चाईल्ड राईट्स एण्ड यू ने भी शिवराज के मामा होने पर ही सवालिया निशान लगाया था। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार राज्य में भोपाल और रीवा में कुपोषण का आंकड़ा भयावह है। आलम यह है कि रीवा के आठ आदिवासी गांवों में 83 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार पाए गए थे।
इसी तरह की स्थिति कमोबेश हर जिले में ही है। शिवपुरी, सतना, खण्डवा, बुरहानपुर, सिवनी, बालाघाट, मण्डला, डिंडोरी, शहडोल, झाबुआ आदि जिलों में बीस फीसदी से अधिक बच्चों के कुपोषित होने का अनुमान है। यह स्थित उस समय है जब महिला एवं बाल विकास विभाग की भारी भरकम सरकारी फौज इससे निपटने में लगी हुई है।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय भी इसके लिए काफी चिंतित नजर आ रहा है। राजधानी दिल्ली से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से मणिका सोनल ने बताया कि एचआरडी मिनिस्ट्री के सूत्रों के हवाले से कहा कि केंद्र को इस बात की चिंता सता रही है कि 2015 में अगर भारत गणराज्य सहस्त्राब्दि लक्ष्य पाने से वंचित रहा तो इसमें मध्य प्रदेश की महती भूमिका होगी।
सूत्रों ने कहा कि एमपी में साठ फीसदी से ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। विडम्बना तो यह है कि इस तरह की स्थिति में सुधार होने के बजाए यह और विकराल रूप धारण करती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार राज्य के 70 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण तो 15 लाख अतिकुपोषण की श्रेणी में आ रहे हैं। हद तो उस वक्त हो जाती है जब राज्य के लगभग डेढ़ लाख बच्चे अपना पहला जन्म दिन तक नहीं मना पाते है।

रायसीना हिल्स अब प्रणव के कब्जे में


रायसीना हिल्स अब प्रणव के कब्जे में

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज देश के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एच कापड़िया उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
शपथ ग्रहण करने से पहले श्री प्रणब मुखर्जी राजघाट, शांति वन, विजयघाट, शक्ति स्थल और वीरभूमि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने गए। शपथ ग्रहण समारोह में राज्यसभा के सभापति मोहम्मद हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एच कापड़िया, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, मंत्रिपरिषद के सदस्य, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, सांसद तथा प्रमुख प्रशासनिक और सैनिक अधिकारी केन्द्रीय कक्ष में मौजूद थे।
उधर, निवर्तमान राष्ट्रपति ने सरकार और जनता से कहा है कि मजबूत, प्रगतिशील, संगठित और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण के लिए मिलकर कार्य करें। कल शाम राष्ट्र के नाम अपने विदाई संदेश में श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटील ने कहा कि राष्ट्र निर्माण सामूहिक जिम्मेदारी है और प्रत्येक नागरिक को इसमें योगदान करना चाहिए।
काले रंग की अचकन और उजले रंग का चूडीदार पायजामा पहने प्रणब मुखर्जी ने अंग्रेजी में ईश्वर के नाम पर संविधान एवं विधि के संरक्षण और सुरक्षा की शपथ ली। प्रणब को 21 तोपों की सलामी दी गई। इसके बाद उन्होंने शपथ ग्रहण करने से जुड़े रजिस्टर पर हस्ताक्षर किया और उपस्थित लोगों ने मेजें थपथपा कर उनका स्वागत किया।
राष्ट्रपति भवन से चलकर निवर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का काफिला एक जुलूस की शक्ल में संसद भवन परिसर पहुंचा जिसके बाद शपथ ग्रहण समारोह शानदार तरीके से शुरू हुआ। यहां पहुंचने पर कपाडिया, अंसारी और मीरा कुमार ने उनका स्वागत किया और उन्हें साथ लेकर केंद्रीय कक्ष गए। संक्षिप्त समारोह के बाद प्रणब और पाटिल बाहर आए। इस दौरान ड्रम और बिगुल की ध्वनि से चारों ओर का माहौल गूंज उठा।
देश के नये राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई चौथा विश्व युद्ध है और यह विश्व युद्ध इसलिए है क्योंकि यह बला अपना शैतानी सिर दुनिया में कहीं भी उठा सकती है। प्रणब ने संसद के केन्द्रीय कक्ष में भारत के नये राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद कहा, ‘अभी युद्ध का युग समाप्त नहीं हुआ है। हम चौथे विश्व युद्ध के बीच में हैं। तीसरा विश्वयुद्ध शीतयुद्ध था परंतु 1990 के दशक की शुरुआत में जब यह युद्ध समाप्त हुआ उस समय तक एशिया, अफ्रीका और लातिन अमेरिका में बहुत गर्म माहौल था।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई चौथा विश्व युद्ध है और यह विश्वयुद्ध इसलिए है क्योंकि यह बुराई अपना शैतानी सिर दुनिया में कहीं भी उठा सकती है।भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एच कपाडिया ने प्रणब को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलायी। प्रणब ने कहा, ‘दूसरे देशों को आतंकवाद की जघन्यता तथा खतरनाक परिणामों के बारे में बाद में पता लगा जबकि भारत को इस युद्ध का सामना उससे कहीं पहले से करना पड़ रहा है।
प्रणब ने कहा कि भारत के लोगों ने घावों का दर्द सहते हुए परिपक्वता का उदाहरण प्रस्तुत किया है। जो हिंसा भड़काते हैं और घृणा फैलाते हैं, उन्हें एक सच्चाई समझनी होगी। वर्षों के युद्ध के मुकाबले शांति के कुछ क्षणों से कहीं अधिक उपलब्धि प्राप्त की जा सकती है। भारत आत्मसंतुष्ट है और समृद्धि के ऊंचे शिखर पर बैठने की इच्छा से प्रेरित है। यह अपने इस मिशन में आतंकवाद फैलाने वाले खतरनाक लोगों के कारण विचलित नहीं होगा।
अपने भाषण में राष्ट्रपति ने कहा कि गरीबी के अभिशाप को खत्म करना है और युवाओं के लिए ऐसे अवसर पैदा करने हैं ,जिससे वे हमारे भारत को तीव्र गति से आगे लेकर जाएं। भूख से बड़ा कोई अपमान नहीं है। सुविधाओं को धीरे-धीरे नीचे तक पहुंचाने के सिद्धांतों से गरीबों की न्यायसंगत आकांक्षाओं का समाधान नहीं हो सकता। हमें उनका उत्थान करना होगा जो सबसे गरीब हैं ताकि गरीबी शब्द आधुनिक भारत के शब्दकोष से मिट जाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा विकास वास्तविक लगे इसके लिए जरूरी है कि हमारे देश के गरीब से गरीब व्यक्ति को महसूस हो कि वह उभरते भारत की कहानी का एक हिस्सा है। बाद में उनके भाषण का हिन्दी अनुवाद उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पढ़ा। प्रणब ने कहा, ‘मेरी राय में शिक्षा वह मंत्र है जो भारत में अगला स्वर्ण युग ला सकता है। हमारे प्राचीनतम ग्रन्थों में समाज के ढांचे को ज्ञान के स्तंभों पर खडा किया गया है। हमारी चुनौती है ज्ञान को देश के हर एक कोने में पहुंचाकर इसे एक लोकतांत्रिक ताकत में बदलना।
भ्रष्टाचार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कभी कभी पद का भार व्यक्ति के सपनों पर भारी पड़ जाता है। भ्रष्टाचार एक ऐसी बुराई है जो देश की मनोदशा में निराशा भर सकती है और इसकी प्रगति को बाधित कर सकती है। हम कुछ लोगों के लालच के कारण अपनी प्रगति की बलि नहीं दे सकते।
भाषण का अंत उन्होंने स्वामी विवेकानंद के सुप्रसिद्ध रूपक से किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत का उदय होगा। शरीर की ताकत से नहीं बल्कि मन की ताकत से। विध्वंस के ध्वज से नहीं बल्कि शांति और प्रेम के ध्वज से। अच्छाई की सारी शक्तियों को इकटठा करें। यह न सोचें कि मेरा रंग क्या है, हरा, नीला अथवा लाल बल्कि सभी रंगों को मिला लें और सफेद रंग की प्रखर चमक पैदा करें जो प्यार का रंग है।
प्रणब ने राष्ट्रपति पद की शपथ अंग्रेजी में ली। इससे पहले राष्ट्रपति भवन से चलकर निवर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रणब का काफिला संसद भवन परिसर पहुंचा। वहां पहुंचने पर कपाडिया, अंसारी और मीरा कुमार ने उनका स्वागत किया और उन्हें साथ लेकर केंद्रीय कक्ष गए।