सोमवार, 18 जून 2012

कांग्रेस अब निर्दलीय डमी को देगी अपना समर्थन: भूरिया


कांग्रेस अब निर्दलीय डमी को देगी अपना समर्थन: भूरिया

(ब्यूरो)

सिवनी (साई)। ‘‘कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के द्वारा लखनादौन नगर पंचायत के चुनावों में नाम वापस लेने से असमंजस की स्थिति अवश्य बन गई है। हम इसकी जांच करवा रहे हैं। अब कांग्रेस द्वारा निर्दलीय तौर पर डमी प्रत्याशी के पक्ष में अपना समर्थन दे दिया जाएगा।‘‘ उक्ताशय की बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया द्वारा आज मोबाईल पर चर्चा के दौरान कही।
ज्ञातव्य है कि सिवनी जिले के लखनादौन नगर पंचायत के लिए कांग्रेस की ओर से रोशनी मंद्रेला और प्रेमलता कहार द्वारा नामांकन जमा करवाया गया था। दोनों ही प्रत्याशियों द्वारा आज नाम वापस लेने के अंतिम दिन अपना नामंकन वापस ले लिया है। इससे कांग्रेस की क्षेत्र में बुरी तरह भद्द पिट रही है।
उल्लेखनीय होगा कि आजादी के उपरांत नगर पंचायत लखनादौन वैसे भी सुरक्षित विधानसभा लखनादौन का तहसील मुख्यालय रहा है। इस विधानसभा पर पचास सालों से ज्यादा समय तक कांग्रेस का परचम लहराया जाता रहा है। पिछले दो बार से कांग्रेस की स्थिति क्षेत्र में बेहद खराब हो चुकी है। वैसे भी इस क्षेत्र में नगर पंचायत लखनादौन में कांग्रेस और भाजपा की स्थिति काफी गंभीर मानी जा रही है। निर्दलीय के बतौर कुछ प्रत्याशी ही मैदान में हैं।
इस संबंध में जब नेता प्रतिपक्ष राहुल सिंह से दूरभाष पर चर्चा की गई तो उन्होंने इस संबंध में अपनी अनभिज्ञता प्रकट की कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी है। उन्होंने मामले की जांच की बात कही। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के प्रवक्ता माणक अग्रवाल द्वारा शासन प्रशासन के दबाव में पर्चा उठाने की संभावना व्यक्त की गई।
इस संबंध में जब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाईल सदा की ही भांति बंद मिला। जब उनके निज सहायक श्री कक्कड के मोबाईल पर संपर्क साधा गया तब उनसे चर्चा हो पाई। श्री भूरिया ने कहा कि इस क्षेत्र के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए नाम केवलारी विधायक हरवंश सिंह द्वारा सुझाए गए थे।
उन्होंने कहा कि भाजपा के दबाव में आकर कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी द्वारा फार्म उठाया गया है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जांच की जा रही है कि आखिर यह परिस्थिति क्यों बनी? श्री भूरिया ने कहा कि अब जब कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी मैदान में नहीं है तब कांग्रेस द्वारा डमी के बतौर खड़े कराए गए निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन देकर चुनाव लड़ा जाएगा। कांग्रेस द्वारा किस प्रत्याशी को निर्दलीय के बतौर खड़ा कराया गया है इस बारे में कयास लगाए जा रहे हैं।

दादा नहीं है राजमाता की असली पसंद!


दादा नहीं है राजमाता की असली पसंद!

कार्पोरेट लाबी के सामने नतमस्तक है कांग्रेस

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी के विरोधी रहकर समाजवादी कांग्रेस का गठन करने वाले देश के वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को भले ही कांग्रेस द्वारा महामहिम राष्ट्रपति के लिए अपना और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर दिया हो पर सोनिया की भाव भंगिमाएं देखकर लग रहा है कि प्रणव मुखर्जी के लिए वे मन से तैयार नहीं हैं।
गौरतलब है कि 13 जून को ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव द्वारा संयुक्त तौर पर मीडिया के सामने आकर कलाम साहेब का नाम लेकर रायता बगरा दिया था। इसके पहले ममता सोनिया से मिलकर आईं थीं। ममता बनर्जी का मुलायम संग मिलकर कलाम, और सोमनाथ चटर्जी का नाम लेने से सियासी समीकरण एकदम गड़बड़ा गए थे।
इस अप्रत्याशित हमले से घबराकर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने बैकफुट पर आने का स्वांग अवश्य रचा। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (बतौर सांसद सोनिया को आवंटित सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है िकि सारा का सारा प्रहसन 10 जनपथ में ही लिखा गया था। इसमें हर किसी पात्र को बखूबी चुना गया था।
सूत्रों की मानें तो जब सारा मामला गड़बड़झाला के रूप में सामने आया तब प्रणव मुखर्जी का माथा ठनका और उन्होंने अपने जहर बुझे तीर सोनिया के विश्वस्तों के सामने पैने करना आरंभ किया। फिर क्या था सोनिया के विश्वस्तों ने तत्काल इसकी खबर सोनिया गांधी को दी। छूटते ही सोनिया गांधी ने प्रणव मुखर्जी को फोन कर कहा कि ममता के साथ मुलाकात में उन्होंने (सोनिया ने) तो बस प्रणव मुखर्जी का नाम ही लिया था। पता नहीं कैसे ममता बनर्जी बहकी बहकी बातें कर रही हैं। सोनिया के करीबी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर पूरे विश्वास के साथ कहा कि सोनिया गांधी मूलतः प्रणव मुखर्जी की उम्मीदवारी के पक्ष में बिल्कुल नहीं हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस के धुरंधर और दिग्गज नेता प्रणव मुखर्जी ने 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद पार्टी को छोड़ भी दिया था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके पुत्र राजीव गांधी की सरकार में प्रणब मुखर्जी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। इससे नाराज प्रणब मुखर्जी ने 1986 में कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस नाम के अपने दल का गठन किया था। लेकिन पीवी नरसिंहा राव ने उन्हें  1989 में योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाकर कांग्रेसी मुख्यधारा में शामिल कर लिया था। इस तरह प्रणव पर समाजवादी होने का ठप्पा लगा गया है।
सूत्रों का कहना है कि प्रणव विरोधियों ने सोनिया के इस घाव पर जमी परत बेदर्दी से निकालकर घाव को फिर से हरा कर दिया है। उधर, सोनिया के सामने टीम अण्णा ने भी एक संकट पैदा कर दिया है। टीम अण्णा का आरोप है कि दागी प्रणव मुखर्जी को देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर कैसे बिठाया जा सकता है?
बहरहाल, प्रणव मुखर्जी के नाम को आगे बढ़ाने में देश की कार्पोरेट लाबी का भी अहम रोल माना जा रहा है। समाजवादी क्षत्रप मुलायम सिंह के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रणव के लिए लाबिंग करने के लिए मशहूर उद्योगपति अनिल अंबानी खुद आगे आ गए हैं। कहा जा रहा है कि अपने उद्योगपति मित्रों के माध्यम से अंबानीज़ द्वारा जादुई आंकड़े के जुगाड़ के लिए फंडिंग का आश्वासन भी इस शर्त पर दादा को दिया गया है कि अंबानीज़ की पसंद का वित्त मंत्री ही उनका स्थान ले।
सूत्रों की मानें तो जब त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी जैसे ही कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी से मिलकर मुलायम सिंह यादव के दर पर पहुंची तो वहां मशहूर दौलतमंद उद्योगपति अनिल अंबानी को देखकर वह हतप्रभ रह गईं। अंबानी की उपस्थिति में ममता के आने से मुलायम सिंह यादव भी अपने आप को असहज ही महूसस कर रहे थे। इशारों ही इशारों में चर्चा के उपरांत अनिल अंबानी ने वहां से रूखसती डाली।
उधर प्रणव के निवास से छन छन कर बाहर आ रही खबरों के अनुसार अनिल अंबानी ने मुलायम सिंह यादव से गुफ्तगूं करने के बाद प्रणव मुखर्जी के घर का रूख किया। प्रणव के साथ चर्चा के दौरान उन्होंने मदद का ना केवल आश्वासन दिया वरन् अपने प्रयासों से प्रणव मुखर्जी की बात भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी से भी करवाई। कहा जा रहा है कि मूलतः व्यवसाई नितिन गड़करी ने भी अंबानीज़ के दाबव में पार्टी लाईन से हटकर प्रणव की मदद का आश्वासन दे दिया। माना जा रहा है कि दादा की उम्मीदवारी कार्पोरेट लाबी की पसंद के बतौर सामने आती जा रही है।

महामहिम चुनाव को लेकर आड़वाणी गड़करी में रार


महामहिम चुनाव को लेकर आड़वाणी गड़करी में रार

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। ममता मुलायम द्वारा बुधवार 13 जून को की गई संयुक्त पत्रवार्ता के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि कांग्रेसनीत संप्रग में फूट पड़ जाएगी। इससे उलट भाजपानीत राजग में घटक दलों की तिरछी चाल के साथ ही साथ भारतीय जनता पार्टी के अंदर भी अब दो तरह के स्वर मुखर होते दिख रहे हैं। इनमें से एक प्रणव मुखर्जी के पक्ष में आता दिख रहा है।
देश के महामहिम राष्ट्रपति के प्रत्याशी को लेकर भाजपा के अंदर चल रहे मंथन से अमृत और विष दोनों ही निकलने की उम्मीद जताई जा रही है। भाजपा का एक धड़ा इस बात का पक्षधर बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति के प्रत्याशी को लेकर बखेड़ा इस कदर बढ़ा दिया जाए कि मध्यावधि चुनाव की नौबत आ जाए। इसके लिए ममता बनर्जी अभी के हालातों में अपना कंधा देने को राजी दिख रहीं हैं। किन्तु ममता कब पलट जाएं कहा नहीं जा सकता है।
दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंज के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि मध्यावधि चुनावों की संभावनाओं को लेकर भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी और गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी ने संघ के आला नेताओं से रायशुमारी की है। अंत में नरेंद्र मोदी के इस तर्क से सभी सहमत हुए हैं कि गुजरात चुनाव के पहले किसी भी कीमत पर मध्यावधि चुनाव ना करवाए जाएं।
उधर, दूसरी तरह राजग के पीएम इन वेटिंग की आसनी से बलात हटाए जा रहे एल.के.आड़वाणी के करीबी सूत्रों का कहना है कि आड़वाणी जुंडाली चाह रही है कि तत्काल ही कुछ इस तरह का सीन बना दिया जाए कि मध्यावधि चुनाव हो जाएं। आड़वाणी की मंशा भी कमोबेश यही दिख रही है।
इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि चूंकि नरेंद्र मोदी को आधिकारिक तौर पर अभी पीएम इन वेटिंग नहीं बनाया गया है, और अगर वर्तमान में मध्यावधि चुनाव हुए तो निश्चित तौर पर वे आड़वाणी की अगुआई में ही होंगे। एक बार फिर (संभवतः आखिरी बार) आड़वाणी के मन में दांव खेलने की इच्छाएं कुलांचे मार रहीं हैं। कहा जा रहा है कि इसके लिए आड़वाणी ने अपने सारे घोड़े छोड़ दिए हैं।
आड़वाणी जुंडाली के बीच चल रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो आड़वाणी के सहयोगी इस समय मुलायम सिंह यादव, ममता बनर्जी, जयललिता, जगन आदि के संपर्क में हैं जो मध्यावधि चुनाव के पक्ष में दिख रहे हैं। पश्चिम बंगाल में परचम लहराकर ममता, तो उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाकर मुलायम गदगद हैं। वहीं जयललिता का सोचना है कि अभी करूणानिधि के खिलाफ माहौल है जिसे भुनाया जा सकता है, जगन की शानदार पारी सभी के सामने हैं। सभी का मानना है कि अगर मध्यावधि चुनाव हुए तो वे पहले से अच्छा परफार्म कर सकते हैं।
ज्ञातव्य है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर दो घंटे से अधिक तक चली इस बैठक के बाद इस एनडीए संयोजक और जदयू नेता शरद यादव ने किसी नतीजे पर नहीं पंहुचने की बात स्वीकार करते हुए संवाददाताओं से कहा, बैठक में यह राय बनी कि इस मामले में कोई सही फैसला करने के लिए अभी और वक्त चाहिए। साथ ही, एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से विचार-विमर्श की भी जरूरत है। आडवाणी को जिम्मदारी दी गयी है कि वे सबसे बात करें।
उधर, शिवसेना ने बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला कर मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। बाल ठाकरे के आवास पर पार्टी की अलग से बैठक हुई और कहा गया कि कलाम का समर्थन किया जाये. कलाम नहीं, तो कोई नहीं. हम ममता बनर्जी के साथ हैं। शिवसेना ने पिछले चुनाव में भी भैरोंसिंह शेखावत का समर्थन करने की बजाय प्रतिभा पाटील का समर्थन किया था।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा ने ममता बनर्जी को फोन कर समर्थन मांगा है। तृणमूल सांसद कुणाल घोष ने बताया कि ममता ने संगमा से कहा कि अगर कलाम इस चुनाव में खड़े होते हैं, तो वे भी कलाम का समर्थन करें। संगमा ने कहा, वे भी रेस में हैं और उन्हें पता चला है कि कलाम चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं।

नक्सली तैयार कर रहे असलाह!


नक्सली तैयार कर रहे असलाह!

(संजीव प्रताप सिंह)

नई दिल्ली (साई)। देश भर में रेड कारीडोर बनाने वाले नक्सलवादियों द्वारा अपनी जरूरत के लिए बंदूक, गोला बारूद आदि के लिए वैसे तो पुलिस थानों को लूटा जाता रहा है पर अब उन्होंने खुद ही असलाह तैयार करना आरंभ कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि नक्सलवादियों द्वारा गांव गांव में हथियार बनने में एक्सपर्ट्स को ढूंढ ढूंढकर अपने गुट में जोड़ा जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि भारत गणराज्य के आधा दर्जन से ज्यादा सूों में नक्सलियों की हथियार फैक्ट्रियां चल रही हैं। उनकी एक बड़ी फैक्ट्री भोपाल में पकड़ी गई थी। उसके बाद यह दायरा दूसरे राज्यों में फैलाया गया था। पिछले दिनों सुरक्षा एजेंसियों की गिरफ्त में आए नक्सली संगठन सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय तकनीकी समिति (सीटीसी) के मुखिया रामकृष्ण सदानाला ने यह खुफिया एजंेसियों को इस आशय की बात कही है।
कोलकाता पुलिस की ओर से सदानाला के पकड़े जाने के पहले वह करीब 2500 रॉकेट बनाकर सप्लाई कर चुका था। करीब दो हजार रॉकेटों के कलपुर्जे उसकी गिरफ्तारी के समय भी बरामद किए गए थे। सूत्रों का कहना है कि इस मामले की जांच फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सदानाला ने पूछताछ के दौरान कई सनसनीखेज जानकारियां दी हैं। मकैनिकल इंजिनियरिंग में स्नातकोत्तर सदानाला के मुताबिक उसने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल एवं महाराष्ट्र सहित कुल सात राज्यों में हथियार बनाने की इकाइयां स्थापित की थीं।

हर परिवार का होगा बैंक खाता


हर परिवार का होगा बैंक खाता

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। वित्त मंत्रालय ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अगले छह माह में देश के हर परिवार से कम से कम एक व्यक्ति का बैंक में खाता होना चाहिए। २०११ की जनगणना के अनुसार पांच परिवारों में से केवल तीन लोगों का ही बैंक में खाता है। बैंक में प्रत्येक परिवार का खाता होने से सरकार को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से लोगों की मजदूरी और वेतन की राशि सीधे उनके खाते में भेजने में मदद मिलेगी। आपूर्तिकर्ताओं को भी सीधे उनके बैंक खाते में ही भुगतान किया जा सकेगा।