शुक्रवार, 15 जून 2012

गौर 20 एवं 21 जून को जबलपुर और सिंगरोली में

गौर 20 एवं 21 जून को जबलपुर और सिंगरोली में
(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री बाबूलाल गौर 20 जून की सुबह हेलीकाप्टर द्वारा भोपाल से जबलपुर पहुँचकर जबलपुर संभाग के नगरीय निकायों की समीक्षा बैठक में शामिल होंगे। श्री गौर हेलीकाप्टर से शाम को सिंगरोली पहुँचेंगे।
मंत्री श्री गौर 21 जून को सिंगरोली में नगर विकास की बैठक तथा रीवा एवं शहडोल संभाग के नगरीय निकायों की समीक्षा बैठक में सम्मिलित होंगे। श्री गौर शाम को हेलीकाप्टर से भोपाल लौटेंगे।

पद-स्थापना

पद-स्थापना

(संतोष पारदसानी) 

भोपाल (साई)। राज्य शासन द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के तीन अधिकारियों की स्थानांतरण के बाद नवीन पद-स्थापना की गई है। श्री मधुकर अग्नेय, उप सचिव गृह को संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय, भोपाल, श्री डी.व्ही. सिंह, उप सचिव नर्मदा घाटी विकास को उप सचिव गृह तथा श्री राजेश जैन, उप सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय, भोपाल पदस्थ किया गया है।

प्रदेश में पहली टिश्यू कल्चर लेब शुरू

प्रदेश में पहली टिश्यू कल्चर लेब शुरू
(शिवेश नामदेव)

भोपाल (साई)।  मध्यप्रदेश की पहली टिश्यू कल्चर लेब में उत्पादन शुरू हो गया है। बैतूल जिले के हमलापुर सोमवारी में स्थापित इस लेब में टिश्यू कल्चर से विकसित 25 लाख पौधे वितरण के लिए तैयार हैं। इनमें मुख्य रूप से केले की जी-9 किस्म के पौधे हैं। लेब की क्षमता तीन लाख पौधे प्रतिमाह है।
किसान सुभाष मोहन पाण्डे ने यह लेब राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन की सहायता से स्थापित की है। उन्होंने 2 करोड़ 52 लाख रुपये की पूँजी लगाई है। उन्हें 50 लाख रुपये का अनुदान मिला है। उन्होंने आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया है और जर्मनी से आयातित संयंत्र भी लगाए हैं। लेब में सजावटी फूलों के पौधे तैयार करने की भी योजना है। लेब में आलू, अनार और जरबेरा के पौधे तैयार करने की भी योजना है। मण्डला के मनेरी फूड पार्क में भी टिश्यू कल्चर लेब की स्थापना का काम चल रहा है।
इस लेब में उत्पादन शुरू होने से महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों पर निर्भरता कम हो गयी है। टिश्यू कल्चर पद्धति से अच्छी गुणवत्ता के रोग-मुक्त पौधे उपलब्ध होते हैं।
रक्त बीज की तरह
पुराणों में रक्त बीज की कथा आती है कि उसके रक्त की एक बूँद से सैकड़ों रक्त बीज तैयार हो जाते थे। सकारात्मक अर्थ में ऐसा ही टिश्यू कल्चर में होता है। कहीं से भी किसी अच्छे पेड़ के टिश्यू लेकर लाखों पौधे तैयार किये जा सकते हैं। यह काम कम समय में और अधिक कुशलता से हो जाता है। गुणवत्ता में भी कोई फर्क नहीं पड़ता। टिश्यू कल्चर से तैयार केले के पौधे से फसल 11-12 माह में मिल जाती है और किसान को उसी साल में इसका फायदा मिलने लगता है। कंद से तैयार किए गए पौधों से 18 माह में फसल मिलती थी। इस तरह पहले किसान 3 साल में 2 फसल लेता था जबकि टिश्यू कल्चर पद्धति से अब 3 फसल लेता है। कंद से प्रति पेड़ 12-15 किलो केला पैदा होता था जबकि टिश्यू कल्चर से 40 किलो केला प्रति पेड़ मिलता है।
केला उत्पादन में अपार सफलता
केले के पौधे पहले कंद (रायजोम) से तैयार होते थे, जिन्हें 'सकर' कहा जाता है। बड़ी संख्या में केले के पौधों का महाराष्ट्र और दक्षिणी प्रदेशों से परिवहन करना पड़ता था। इसमें पैसा, समय और मेहनत बहुत लगती थी। गुणवत्ता की कमी और रोग का जोखिम तो होता ही था। अब टिश्यू कल्चर लेब से अच्छी गुणवत्ता की किस्मों के अनुरूप पौधे वांछित संख्या में तैयार किये जा सकते हैं।
मध्यप्रदेश में बुरहानपुर जिला केला उत्पादन का सबसे बड़ा केन्द्र है, जहाँ 15 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में केले का उत्पादन लिया जाता है। खण्डवा, खरगोन, बड़वानी और होशंगाबाद में भी केले का उत्पादन होता है।

कलाम के अनछुए पहलू!


कलाम के अनछुए पहलू!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश में दिल्ली के रायसीना हिल्स पर स्थित महामहिम राष्ट्रपति आवास और कार्यालय का अपना अलग ही महत्व है। अगले माह रिक्त होने वाले इस आवास में कौन काबिज होगा इसके लिए सियासी जोड़ातोड़ आरंभ हो चुकी है। टीएमसी नेता ममता बनर्जी और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने पूर्व महामहिम राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का नाम आगे बढ़ाकर लोगों को चौका दिया है। सहज स्वभाव के धनी कलाम साहब भले ही सियासतदारों के निहित स्वार्थों के चलते रायसीना हिल्स दोबारा ना पहुंच पाएं पर उनकी सादगी के बारे में प्रस्तुत हैं कुछ अविस्मरणीय प्रसंग जो महमहिम राष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों ने बताए:
राजग के कार्यकाल में जब 2002 में महामहिम राष्ट्रपति के चयन की बारी आई तब कई नामों पर विचार के बाद भी अटल बिहारी बाजपेयी का मन नहीं माना। इसी दर्मयान नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव ने अंतरिक्ष पर शोध करने वाले एक वैज्ञानिक का नाम सुझाया। यह नाम कलाम साहब का था। उस दर्मयान कलाम साहब सेवानिवृत्ति के उपरांत चेन्नई विश्वविद्यालय के होस्टल के एक छोटे से कमरे में एकाकी तौर पर जीवन यापन कर रहे थे।
अटल जी को नेताजीकी बात जम गई और उन्होंने बिना एक क्षण गंवाए हुए राजग और भाजपा के ट्रबल शूटर स्व.प्रमोद महाजन को बुला भेज। प्रधानमंत्री निवास पर अटल जी और स्व.महाजन की चर्चा के उपरांत कलाम साहब की खोज आरंभ की गई। पता चला कि वे चेन्नई में हैं। सब तरफ पतासाजी के बाद भी किसी के पास कलाम साहब से संपर्क करने के लिए नंबर मौजूद नहीं था। इसी बीच रात भी गहराने लगी थी।
तीक्ष्ण बुद्धि के धनी प्रमोद महाजन ने तत्काल ही चेन्नई के जिला कलेक्टर को फोन मिलाया और उनसे कहा कलाम साहब का नंबर मांगा। वहां पता चला कि कलाम साहब तो मोबाईल फोन रखते ही नहीं हैं। चूंकि जिलों में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सीधे सीधे केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग के अधीन रहते हैं अतः प्रमोद महाजन ने कलेक्टर को आदेश दिया कि एक नया मोबाईल खरीदकर कलाम साहब को दिया जाए और अगर वे सो भी रहे हों तो जगाकर उनकी माननीय वज़ीरे आज़म से बात करवाई जाए।
फिर क्या था कलेक्टर ने एक अदद फोन मंगवाया नया नंबर लिया और फिर कलाम साहब की बात पीएमओ में बैठे प्रमोद महाजन से करवाई। प्रमोद महाजन ने सविस्तार सारी बातें कलाम साहब को बताई और उनकी रजामंदी हासिल कर ली। इसके बाद का परिदृश्य सभी के सामने है। कलाम साहब देश के अब तक के सबसे लोकप्रिय और निर्विवादित महामहिम रहे हैं।
कलाम साहब के बारे में कहा जाता है कि जब तक वे राससीना हिल्स के महामहिम राष्ट्रपति के आवास में रहे तब तक उन्होंने सादा जीवन उच्च विचार को ही प्रथमिकता दी है। कलाम साहब रात का खाना देरी से खाया करते थे। अमूमन महामहिम के प्रोटोकाल के हिसाब से जब तक महामहिम भोजन ना कर लें तब तक कोई भोजन नहीं करता था।
महामहिम के तौर पर कलाम साहब ने इस प्रथा को बंद करवा दिया। उनके लिए महज एक रसोसिया ही रात को देर तक जागता था, और उन्हें खाना खिलाकर सो जाता था, इसके बाद उसकी दूसरे दिन सुबह की छुट्टी होती थी। इतना ही नहीं महामहिम के तस्मे (जूते के बंद) बांधने के लिए सामंतशाही मानसिकता आज भी इस भवन में है। जब पहली मर्तबा कलाम साहब के तस्मे बांधने पाबंद एक मुलाजिम पहुंचा तो वे बेहद नाराज हुए और कहा कि वे आज तक अपने जूते के बंद खुद ही बांधते आए हैं और आगे भी बांधेंगे।
इस तरह के सरल, सुलभ, ईमानदार, स्वच्छ धवल छवि के व्यक्तित्व को अगर दुबारा देश के शीर्ष पद पर बिठाया जाता है तो निश्चित तौर पर यह देश का सौभाग्य ही माना जाएगा, किन्तु देश पर आधी शताब्दी से ज्यादा राज करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस का नेतृत्व जब से इटली मूल की श्रीमति सोनिया गांधी के हाथों में पहुंचा है तबसे देश की दिशा और दशा ही बदल गई है। अब देश के शीर्ष पद पर काबिल व्यक्तित्व के स्थान पर अपने अपने रबर स्टांप को बिठाने की होड चल पड़ी है।

गंभीर मंथन जारी है गड़करी के अंदर


गंभीर मंथन जारी है गड़करी के अंदर

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के बतौर दूसरी पारी हेतु ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद भाजपा के निजाम नितिन गड़करी इन दिनों गंभीर अत्म मंथन में डूबे हुए हैं। अपने पुराने सलाहकारों से इतर गड़करी नए मित्रों से विचार विमर्श में जुटे हुए हैं। इन दिनों गड़करी पार्टी की नंबर दो लाईन में बैठे नेताओं से संबंध सुधारने और चर्चाओं में लगे हुए हैं।
भाजपा के नेशनल हेडक्वार्टर 11, अशोक रोड़ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि जल्द ही गड़करी आने वाले दिनों का रोड़मैप तय करने वाले हैं। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गड़करी इसके लिए मंथन में जुटे हैं। अब तक के अपने कार्यकाल में विश्वस्त, विश्वस्त होने का दिखावा करने वाले और पीठ पर घाव करने वालों की फेहरिस्त भी गड़करी तैयार करवा रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि मुंबई अधिवेशन में गड़करी को दूसरे टर्म के लिए हरी झंडी मिलने के साथ ही गड़करी ने अब अपनी संभावित टीम पर विचार आरंभ कर दिया है। इसी दरम्यान उन्होंने सुषमा स्वराज से अकेले में पौन घंटे चर्चा भी की थी। सुषमा से गड़करी ने पार्टी चलाने के लिए सहयोग मांगा, और सामूहिक नेतृत्व में पार्टी एक नए मुकाम तक ले जाने की बात भी कही।
अभी गड़करी के सपने आकार ही नहीं ले पाए कि मोदी जोशी प्रकरण बुरी तरह सुलग चुका है। सूत्रों की मानें तो संघ के इशारे पर गड़करी के संज्ञान में लाए बिना ही एमपी बीजेपी के चीफ प्रभात झा ने परोक्ष तौर पर मोदी पर वार करना आरंभ किया है। कमल संदेश के हिन्दी संस्करण में मोदी का नाम लिए बिना जो कुछ भी प्रकाशित हुआ उससे गड़करी अचंभित हैं। बाद में उनके संज्ञान में सारी बातें लाई गईं तो उन्होंने मन ही मन सोचा होगा कि ना भाजपा बड़ी है और ना ही व्यक्ति सबसे बड़ा तो संघ ही है।
उधर गड़करी की पेशानी पर पसीने की बूंदे उस वक्त छलक आईं जब भाजपा के असंतुष्ट धड़े एक एक कर मोदी के पक्ष में लामबंद होने लगे। भले ही गड़करी ने सुषमा को साध लिया हो पर येदियुरप्पा ने मोदी की तारीफ कर सभी को चौंका दिया है तो वहीं दूसरी ओर वसुंधरा राजे भी मोदी के संपर्क में बताई जाती हैं। मध्य प्रदेश के असंतुष्ट नेता भी मोदी के झंडे के नीचे जाने की तैयारी में ही दिख रहे हैं।

गुस्से में हैं सद्भाव के मालिक!


गुस्से में हैं सद्भाव के मालिक!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सिवनी से खवासा तक फोरलेन का ठेका लेने वाली सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक काफी गुस्से में बताए जाते हैं। सिवनी में फोरलेन के निर्माण के दौरान हुई अनियमितताएं और फर्जी बिल बाउचर इसके पीछे एक प्रमुख कारक बताया जा रहा है। इस संबंध में सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी का पक्ष जानने का प्रयास किया गया किन्तु उनके किसी भी मातहत ने इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार ही कर दिया।
सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के छिंदवाड़ा जिले के रामगढ़ी स्थित बेस केम्प के सूत्रों का कहना है कि गुजरात मूल के सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक के संज्ञान में सिवनी के सड़क निर्माण के दरम्यान होने वाले फर्जीवाड़े को रखा गया तो उनके होश उड़ गए।
कहा जा रहा है कि सिवनी में लगभग पांच सौ करोड़ रूपयों की लागत से बनने वाले सिवनी मोहगांव फोरलेन मार्ग के निर्माण में लगे डंपर, मिट्टी, गिट्टी मुरम आदि के बिल बाउचर्स में काफी घपला किया गया है। इतना ही नहीं निर्धारित से अधिक संख्या में डंपर्स लगाकर उनका भुगतान भी दर्शाने की शिकयतों को सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक तक पहुंचाया गया है।
सूत्रों का कहना है कि पहले तो सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी प्रबंधन सारे मामले में इसलिए खामोश रहा क्योंकि उसे भरोसा दिलाया गया था कि सिवनी से खवासा तक के संपूर्ण मार्ग का काम हो अथवा नहीं, सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम से समूचे मार्ग की एनयूटी जारी करवा दी जाएगी।
सूत्रों की मानें तो इसी बीच जब एनएचएआई का कार्यालय सिवनी से उठकर नरसिंहपुर गया और भूतल परिवहन मंत्रालय की कमान कमल नाथ के हाथों से हटकर जयराम रमेश के हाथों में पहुंची तो ममला गड़बड़ा गया। इस दौरान एनएचएआई के मुख्यालय में बैठे अधिकारियों ने निविदा की शर्तों को बारीकी से पढ़कर सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी को दो टूक शब्दों में कह दिया कि अगर कुल काम का अस्सी फीसदी काम हो जाता है तब संपूर्ण की एनयूटी जारी हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार जब यह बात सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिकान तक पहुंची और उन्होंने कुल काम का आंकलन करवाया तो यह साठ फीसदी से भी कम निकला। बताया जाता है कि आर्थिक चोट लगते ही सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक हत्थे से उखड़ गए और कंपनी के एक संचालक जो सिवनी का काम देख रहे थे, पर बरस पड़े।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सिवनी में काम करने के दौरान सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिकों का अनुभव बेहद खराब रहा है, इस दौरान कंपनी को पैसा और साख दोनों ही से हाथ धोना पड़ा है। कहा जा रहा है कि सिवनी का नाम आते ही सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिकों के मुंह में कुनैन की कड़वी गोली फूट जाती है और मुंह का स्वाद कसैला हो जाता है।

(क्रमशः जारी)

राष्ट्रपति के लिए गतिविधियां चरम पर


राष्ट्रपति के लिए गतिविधियां चरम पर

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए गतिविधियां तेज हो गई हैं। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के बारे में फैसला करने के लिए आज नई दिल्ली में सत्तारूढ़ यूपीए के सहयोगी दलों की बैठक होगी। राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कल पार्टी के नेताओं और यूपीए के सहयोगी दलों के साथ चर्चा की।
इसी सिलसिले में पार्टी के वरिष्ठ नेताओ-वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी, रक्षा मंत्री ए के एंटनी तथा गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने श्रीमती सोनिया गांधी से मुलाकात की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता श्री शरद पवार भी श्रीमती गांधी से मिलने गये। कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई।
उधर, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने से इंकार कर दिया है। कल नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में पार्टी महासचिव और मुख्य प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि यूपीए सरकार ने दूसरे कार्यकाल के शुरू में घोषणा की थी कि डॉक्टर मनमोहन सिंह २०१४ तक प्रधानमंत्री रहेंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस यूपीए-दो के समय पहले से कह चुकें हैं कि २०१४ तक डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहेंगे। कांग्रेस बीच में इस तरह का कोई निर्णय नहीं ले सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर अंग्रेजी में कहा जाए तो वी केन नॉट अफोर्ड टू स्पेयर डाक्टर मनमोहन ंिसह जी एट प्राईममिनिस्टर।
श्री द्विवेदी ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह द्वारा सुझाये गये दो अन्य नामों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने सभी छोटे-बड़े सहयोगी दलों से बातचीत कर रही हैं। उन्होंने बताया कि सहयोगी दलों के साथ पहले दौर की बातचीत के बाद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के नाम उभर कर सामने आये। श्री द्विवेदी ने साफ तौर पर कहा कि अभी कोई नाम तय नहीं किया गया है।
कांग्रेस नेता और सूचना तथा प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी यूपीए के उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सहित तीन नामों को प्रकट करना राजनीतिक और नैतिक रूप से सही नहीं माना जा सकता।
श्रीमती सोनिया गांधी के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में डी एम के पार्टी नेता टी आर बालू ने कहा कि उनके पार्टी नेता करूणानिधि, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिये पार्टी के सुझाव पहले ही दे चुके हैं। श्री बालू ने कहा कि श्रीमती गांधी जल्द ही उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर सकती हैं।
एनडीए के सहयोगी दल भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के बारे में चर्चा के लिए आज बैठक कर रहे हैं। चुनाव पर गैर-एनडीए पार्टियों से पहली बार संपर्क करते हुए भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कल चेन्नई में आल इंडिया अन्ना डी एम के प्रमुख जयललिता से बातचीत की।

न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा


न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा

(संजीव प्रताप सिंह)

नई दिल्ली (साई)। सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोतरी की है। सरकार इसी मूल्य पर किसानों से कृषि उत्पाद खरीदती है। तिलहन और दलहनों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में ३७ प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसका उद्देश्य देश में उत्पादन बढ़ाना और आयात पर निर्भरता कम करना है।
धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य एक हजार अस्सी रूपये से बढ़ाकर एक हजार दो सौ पचास रूपये प्रति क्विंटल किया गया है। यह वृद्धि १६ प्रतिशत है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के इस फैसले की जानकारी गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने दी। उन्होंने बताया कि उड़द का समर्थन मूल्य बढ़ा कर चार हजार तीन सौ रूपये प्रति क्विंटल किया गया है।
उन्होंने बताया कि मुख्य दालों-तूर और मूंग के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है। एक अन्य फैसले में मंत्रिमंडलीय समिति ने कक्षा नौ और दस में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना को मंजूरी दी है।