बुधवार, 23 मई 2012

मौके की तलाश में हैं बाबा रामदेव

मौके की तलाश में हैं बाबा रामदेव

मीडिया मुगल बनने की जुगत लगा रहे हैं रामकिशन यादव

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू राम किशन यादव उर्फ बाबा रामदेव पिछले कुछ दिनों से पार्श्व में अवश्य ही चल रहे हैं किन्तु अकूत दौलत के मालिक बाबा रामदेव जल्द ही मीडिया के क्षेत्र में पदार्पण करने वाले हैं। कांग्रेस के नेताओं की ऑफ दा रिकार्डप्लांट होने वाली स्टोरीज से आजिज आकर बाबा रामदेव ने अब धार्मिक चेनल्स के साथ ही साथ समाचार चेनल्स आरंभ करने का मन बना लिया है।
उत्तराखण्ड के कनखल स्थित बाबा रामदेव के पतांजली योगपीठ के एक वरिष्ठ सदस्य ने संकेतों में उक्ताशय की जानकारी देतु हुए कहा कि बाबा की इलेक्ट्रानिक, वेब और प्रिंट मीडिया में एक साथ उतरने की तैयारी है। पहचान उजागर ना करने की शर्त पर उक्त सदस्य ने कहा कि दरअसल, बाबा रामदेव, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की वादाखिलाफी के बाद रामलीला मैदान में हुए प्रकरण से बेहद क्षुब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव को सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि कपिल सिब्बल इस तरह की धूर्तता करते हुए नेपाल मूल के आचार्य बाल किसन के पत्र को मीडिया में सार्वजनिक कर देंगे। इतना ही नहीं रामलीला मैदान में जो कुछ हुआ और जिस तरह से कांग्रेस के इशारों पर टीवी चेनल्स ने बाबा रामदेव की भद्द पीटी उससे बाबा बुरी तरह आहत हैं।
कांग्रेस के इस तरह के वार से अब बाबा रामदेव पूरी तरह चौकन्ने हैं। आने वाले समय में बाबा रामदेव पलटवार करने की तैयारी में हैं। उक्त सदस्य ने कहा कि बाबा रामदेव अब धार्मिक, आध्यात्मिक, आस्था वाले चेनल्स के साथ ही साथ समाचार चेनल्स आरंभ करने की तैयारी में हैं। बाबा रामदेव की तैयारी दो न्यूज चेनल्स लॉच करने की है। उक्त सदस्य के मुताबिक बाबा के पास पैसे की कोई कमी नहीं है, इसलिए वे यह काम जल्द ही अंजाम तक पहुंचाना चाह रहे हैं।
इसके साथ ही साथ राम किशन यादव उर्फ बाबा रामदेव प्रिंट मीडिया में भी उतरने जा रहे हैं। उक्त सदस्य की बातों पर अगर यकीन किया जाए तो बाबा रामदेव राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू जुबान में समाचार पत्र आरंभ करने जा रहे हैं। इनका प्रकाशन कहां से होगा यह बात अभी बाबा ने उजागर नहीं की है, पर अंग्रेजी और हिन्दी के अखबार दिल्ली से आरंभ होकर हिन्दी भाषी राज्यों की राजधानियों से जल्द ही प्रकाशित किए जाएंगे। उर्दू का अखबार लखनऊ से आरंभ हो सकता है।
कांग्रेस के रणनीतिकारों की चालों और उनके जरखरीद गुलाम वाले मीडिया में बाबा रामदेव के खिलाफ चलने वाले अभियान ेसे बाबा रामदेव बुरी तरह त्रस्त हो चुके हैं। बाबा रामदेव अब ईंट का जवाब पत्थर से देने की मंशा रख रहे हैं। आने वाले दिनों में बाबा रामदेव अपने दो समाचार चेनल और तीन भाषाओं में समाचार पत्र निकालकर कांग्रेस से युद्ध की तैयारी में दिख रहे हैं। बाबा का मिशन 2014 कहां तक सफल होगा यह बात तो वक्त ही बताएगा!

गड़करी के खिलाफ तलवारें पजा रहे हैं आड़वाणी


गड़करी के खिलाफ तलवारें पजा रहे हैं आड़वाणी

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। भाजपा के निजाम नितिन गड़करी को दूसरी पारी असानी से खेलने नहीं मिलने वाली। गड़करी के दूसरे टर्म का जमकर विरोध होने लगा है। गड़करी के विरोध को हवा देने का काम भाजपा के आला नेता ही कर रहे हैं। राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आड़वाणी की जुंडाली भी गड़करी की राह में शूल बोती नजर आ रही है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दुलारे नितिन गड़करी को दूसरी पारी खेलने की बात पर गुरूवार को मुंबई में होने वाली कार्यसमिति की बैठक मे मुहर लग जाएगी। इसके पहले ही उनकी मुखालफत के स्वर बुलंद होते नजर आ रहे हैं। भाजपा के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो आड़वाणी, सुषमा स्वराज, अरूण जेेतली, शत्रुध्न सिन्हा, नरेंद्र मोदी, यशवंत सिन्हा, वसुंधरा राजे, रमेश पोखरयाल जैसे नेता इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं।
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि यशवंत सिन्हा और शत्रुध्न सिन्हा ने तो यहां तक धमकी दे डाली है कि अगर संघ अपनी बात पर अड़ते हुए गड़करी को दूसरी पारी खेलने की इजाजत देता है तो वे मुंबई का रूख भी नहीं करेंगे। इन दोनों ही नेताओं ने कार्यकारिणी के बहिष्कार की बात कही है।
उधर, नरेंद्र मोदी केवल एक दिन के लिए मुंबई जाने राजी हुए हैं, पर उनके करीबियों ने मोदी को समझाया है कि अगर मोदी वहां उपस्थित रहेंगे तो गड़करी और मजबूत हो सकते हैं। मोदी भी अभी पशोपेश में हैं कि वे गड़करी के दूसरे टर्म पर मुहर लगने के दौरान मुंबई में उपस्थित रहें अथवा नहीं।

संप्रग के तीन साल पूरे: जश्न में सरकार


संप्रग के तीन साल पूरे: जश्न में सरकार

(प्रियंका श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा है कि देश की राजकोषीय स्थिति के सावधानी से प्रबंधन और उद्योगों में घरेलू तथा विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए कड़े उपाय करने की जरूरत है। यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे होने के मौके पर नई दिल्ली में प्रधानमंत्री निवास पर आयोजित समारोह में डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार को भुगतान संतुलन के दबावों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार ने कहा है कि वह राजस्व के इस्तेमाल और खर्च के बारे में कड़े फैसले लेगी। डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पर्यावरण के मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर हल किये जाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए भण्डारण क्षमता बढ़ानी होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार के शासनकाल में गरीबी तेजी से कम हुई है।
सरकार का दावा है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में गरीबी पहले की तुलना में दोगुनी तेजी से घटी है। कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता हासिल हुई है। दसवीं पंचवर्षीय योजना अवधि में दो दशमलव तीन प्रतिशत कृषि विकास दर के मुकाबले ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में तीन दशमलव तीन प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटी और बहुत छोटी जोत वाले दो करोड़ ७५ लाख किसानों को दो लाख करोड़ रूपये ऋण के रूप में दिये गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यू पी ए सरकार के कार्यकाल में सतत उच्च वृद्धि दर के कारण ही हम समावेशी और एक समान विकास कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिकूल अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक वातावरण के बावजूद वर्ष २०११-१२ में भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग सात प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है, जो कि विश्व स्तर पर सबसे ऊंची वृद्धि दरों में से एक है।
यूपीए प्रमुख और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने संक्षिप्त भाषण में कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन कोरे वायदों से नहीं बल्कि अगले दो वर्षों में अपने काम के आधार पर फिर से चुनकर सत्ता में आएगा। उन्होंने कहा कि यूपीए के सत्ता संभालने के बाद से देश में लगातार विकास हो रहा है और सामाजिक तथा ग्रामीण विकास की परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने सभी राज्यों को इतनी आर्थिक सहायता दी है कि जो इससे पहले कभी नहीं मिली। इस विकास को बनाये रखना है जिससे हम लगातार उन बड़े लक्ष्य को हासिल कर सकें।

बाजार में अनिश्चितता बरकरार: प्रणव


बाजार में अनिश्चितता बरकरार: प्रणव

(यशवंत श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि सरकार विदेशी मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव रोकने के लिए उपाय कर रही है और आवश्यकता पड़ने पर रिजर्व बैंक हस्तक्षेप करेगा। उन्होंने कहा कि यह सब बाजार की ताकतों पर निर्भर है और बाजार में अनिश्चितता है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि रुपये की दर का प्रबन्धन बाजार की शक्तियों के अधीन है और जब भी जरूरी होगा रिजर्व बैंक हस्तक्षेप करेगा। लेकिन ये मुख्य रूप से बाजार से घटता-बढ़ता है और बाजार की शक्तियां अनिश्चित हैं वहां उठा-पटक है। उधर, कल तीसरे पहर के कारोबार में रुपया, डॉलर के मुकाबले नए स्तर तक गिर गया और एक डॉलर का भाव ५५ रुपये ३२ पैसे हो गया।
इसकी वजह है यह है कि विदेशी फंडों ने उभरते बाजारों से अपना पैसा निकाल लिया है। रुपये में इस वर्ष के शुरू से अब तक २२ प्रतिशत गिरावट आई है। रिजर्व बैंक ने इस गिरावट को रोकने और डॉलर की आमद बढ़ाने के लिए अनिवासी जमा खातों पर ब्याज की सीमा में छूट देने जैसे कई नीतिगत उपाय अपनाए हैं।

बिना प्रभार दिए गायब हैं संयंत्र प्रबंधन मिश्रा


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  88

बिना प्रभार दिए गायब हैं संयंत्र प्रबंधन मिश्रा

मिश्रा आऊट, दास इन!

क्यों हटाए गए संयंत्र प्रबंधन मिश्रा!

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकास खण्ड के ग्राम बरेला में स्थापित किए जाने वाले 1260 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट में संयंत्र प्रबंधन श्री मिश्रा को बलात बदलकर उनके स्थान पर विश्वजीत दास को संयंत्र का नया प्रबंधन नियुक्त किया गया है।
संयंत्र के सूत्रों का कहना है कि बिना किसी यशोचित कारण के स्थानांतरण से कुपित संयंत्र प्रबंधन श्री मिश्रा बिना चार्ज दिए ही दिल्ली कूच कर गए हैं। सूत्रों ने कहा कि श्री मिश्रा ने संयंत्र प्रबंधन को लिखित में आवेदन देकर इस तबादले का विरोध करते हुए निर्णय लेने को कहा है।
सूत्रों ने आगे बताया कि वर्षों तक सरकारी सेवा में रहे श्री मिश्रा के कार्यकाल में घंसौंर में संयंत्र या संयंत्र प्रबंधन के खिलाफ आवाजें नहीं उठा करती थीं। श्री मिश्रा ने स्थानीय कांग्रेस और भाजपा के नेताओं सहित आदिवासी हाकिमों को निर्माण, ब्लास्टिंग जैसे करोड़ों के काम देकर उन्हें उपकृत किया था, यही कारण था कि आदिवासियों के सीने पर पैर रखकर गौतम थापर द्वारा इस संयंत्र की बुनियाद रखी जा सकी थी।
चर्चा तो यहां तक है कि निर्माण कार्य में अनियमितताएं, घपले घोटालों की शिकायतें विशेषकर मीडिया को संयंत्र प्रबंधन द्वारा दी जाने वाली चौथ को डकारने की शिकायत के चलते संयंत्र प्रबंधन श्री मिश्रा को लंबे अवकाश पर भेजा गया है। इन बातों में कितनी सच्चाई है यह तो वे ही जाने किन्तु मिश्रा और दास की वर्चस्व की लडाई में अब संयंत्र का काम परवान चढ़ना मुश्किल ही प्रतीत हो रहा है।
संयंत्र के सूत्रों ने बताया कि नए संयंत्र प्रबंधन श्री दास के बारे में यह चर्चा आम हो गई है कि उड़ीसा निवासी दास पहले छोटे पावर प्लांट में काम कर चुके हैं। 1260 मेगावाट के पावर प्लांट का काम संभालना श्री दास के बस की बात नहीं है। श्री दास के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि वे अनुभव हीन हैं। कहा जा रहा है कि इस तरह की अफवाहें दिल्ली में बैठे पूर्व संयंत्र प्रबंधन के करीबी ही उड़ा रहे हैं।
मिश्रा के करीबी सूत्रों ने कहा कि अपने तबादले से नाराज श्री मिश्रा अचानक ही दिल्ली रवाना हो गए। उन्होंने संयंत्र प्रबंधन को अवकाश का आवेदन देकर इस मामले को सेटिलकरने को कहा है। उधर, संयंत्र प्रबंधन के सूत्रों का कहना है कि मिश्रा अवकाश पर गए नहीं भेजे गए हैं।

(क्रमशः जारी)

उत्तराखण्ड में धार्मिक यात्रा यानि मौत को निमंत्रण


उत्तराखण्ड में धार्मिक यात्रा यानि मौत को निमंत्रण 

बस के ड्राइवर की गलती मध्य प्रदेश के 24 तीर्थयात्रियों की मौत 

(चंद्रशेखर जोशी)
देहरादून (साई)। उत्तराखण्ड में धार्मिक यात्राओं में जाने का मतलब है मौत को निमंत्रण देना, हादसों के अलावा समय पर चिकित्सक न मिलने के अभाव में  30 श्रद्धालुओं की हृदय गति रुकने से मौत हुई है। 
उत्तराखण्ड के ऋषिकेश में 22 मई 2012 मंगलवार को बद्रीनाथ हाइवे पर व्यासी के पास यात्रियों से भरी बस गंगा में गिर गयी। जिसमें  24 लोगों की मौत हो गई है।  दुर्घटना दिन में करीब एक बजे मालाकुंठी के पास हुई। 
मध्य प्रदेश के 41 तीर्थयात्रियों के दल को लेकर 13 मई को चारधाम यात्रा पर निकली संयुक्त रोटेशन की बस दस दिन बाद मंगलवार को वापस ऋषिकेश लौट रही थी। जैसे ही बस व्यासी के पास पास पहुंची, पीछे से आ रहे तेज रफ्तार डम्पर ने उसे ओवरटेक के दौरान टक्कर मार दी। बस अनियंत्रित होकर सड़क किनारे बने पैराफिट तोड़ते हुए करीब डेढ़ सौ मीटर गहरी खाई में जा लुढ़कते हुए गंगा में जा समाई।   दुर्घटना के वक्त चालक छिटककर सड़क पर गिर गया। जिससे वह सुरक्षित बच निकला।
वहीं दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि बस की स्टेयरिंग छोड़कर ड्राइवर भागता नहीं तो शायद यात्रियों की जान बच जाती। जिस जगह हादसा हुआ है, वहां सड़क इतनी चौड़ी है कि तीन वाहन आसानी से पास हो सक ते हैं। बस में ट्रक की टक्कर लगने के बाद ड्राइवर की ओर से उसे रोकने का जरा भी प्रयास नहीं किया गया। यदि ऐसा हुआ होता तो वहां पर टायरों के घिसटने के निशान जरूर होते। 30 साल के बस चालक की इस हरकत से यह लगने लगा है कि इस रूट पर चलने वाली रोटेशन की बसों और अन्य वाहनों की जांच में कोताही की जा रही है। यह भी पता चला है कि चारधाम यात्रा पर जो जांच पड़ताल इंटरसेप्टर के जरिये की जाती है, वह केवल बाहर से आने वाले वाहनों तक ही सीमित है। लोकल बसों को बिना किसी जांच के ही छोड़ दिया जाता है।
घटना स्थल पर जांच के लिए गए गढ़वाल मंडल आयुक्त कुणाल शर्मा ने बताया कि प्रत्यक्ष रूप से देखने पर पूरी गलती बस के ड्राइवर की जान पड़ती है। ऐसे चालकों को बस ले जाने के लिए कैसे अनुमति दी गई, इसकी जांच के आदेश डीआईजी पौड़ी को दिए गए हैं। 
बस हादसा अपने पीछे कई अनसुलझे सवाल छोड़ गया। वहीं दुर्घटना में सुरक्षित बचे बस चालक को भी यकीन नहीं आ रहा है कि आखिर वह पल इतना क्रूर क्यों बन गया। व्यासी बस हादसे में जहां 26 लोग मौत की नींद सो गए और कई मौत से जंग लड़ रहे हैं वहीं बस चालक सुनील गैराला इस दुर्घटना में सुरक्षित बच गया। सेंदुल गांव घनसाली टिहरी गढ़वाल निवासी सुनील गैरोला ने बताया कि वह पिछले बीस वर्ष से चालक के रूप में काम कर रहा है। इसी यात्रा काल में वह दूसरी बार चारधाम यात्रा और एक बार गंगोत्री धाम की यात्रा कर चुका है। सुनील का कहना है कि पीछे से आ रहे ट्रक ने अचानक बस को ओवरटेक करते हुए टक्कर मार दी। जिससे मैं बस से संतुलन खो बैठा। वहां पर जगह कम होने के कारण बस सीधे बाई ओर बने पैराफीट में चढ़ गई और ड्राइविंग सीट का दरवाजा खुल गया, जिससे मैं नीचे गिर गया। 
वही दूसरी ओर भाजपा के नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने यात्रा मार्ग पर चिकित्सा व्यवस्था दुरुस्त ना होने के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार बताया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार ने यह व्यवस्था की थी कि चार धाम यात्रा के वक्त यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले प्रमुख चिकित्सालयों में छह माह के लिए चिकित्सकों की पर्याप्त व्यवस्था होगी। लेकिन इससे इतर कांग्रेस सरकार चारधाम यात्रा के प्रति संवेदन शून्य बनी हुई है। ऋषिकेश चिकित्सालय में सर्जन और इएमओ तक नहीं हैं। समझा जा सकता है पहाड़ की चिकित्सा व्यवस्था किस कदर खराब है।
 आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखण्ड में किसी भी हादसे के समय सारी कसरत कागजी ही साबित होती रही हैं। हादसे में पुलिस लेकिन खाली हाथ पहुंची तथा चार सौ मीटर गहरी में उतरने के लिए जवानों के पास एक अदद रस्सी तक नहीं थी।   ग्रामीणों और राफ्टिंग संचालकों  ने संसाधनों के दम पर तुरंत राहत कार्य शुरू कर दिया और कुछ जानें बचाने में कामयाब रहे।
व्यासी के समीप दोपहर पौने एक बजे मध्यप्रदेश के तीर्थयात्रियों से भरी बस गंगा में समाई तो वहां चीख पुकार मच गई। 
0 शिवम जोशी की भूमिका सबसे अहम रही।
दुर्घटना का शिकार हुई बस के ठीक पीछे श्यामपुर के पांच युवक रोशन उपाध्याय, शिव प्रसाद रतूड़ी, देवेंद्र पुंडीर, मुकेश रणाकोटी व विजेंद्र भंडारी कार से आ रहे थे। दुर्घटना देखकर पांचों युवक मौके पर ही रुक गए। पांचों युवक और समीप के एक होटल के कर्मचारी जितेंद्र रावत, नवीन, कैलाश, मुन्ना, रणविजय व विक्रम आदि उसी तत्काल खाई में उतरे। उन्होंने मलबे और पानी में डूब रहे घायलों को बाहर निकाला। खाई से शवों को मुख्य मार्ग तक लाना मुमकिन नहीं था, ऐसे में इन लोगों को तरकीब सूझी। उन्होंने गंगा में राफ्टिंग कर रहे एक दल को रोक कर सभी घायलों को राफ्ट की मदद से मालाखुंटी पहुंचाया जहां गंगा से मुख्य मार्ग बेहद नजदीक था। घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर स्थित स्थानीय निवासी शिवम जोशी की जे-2 राफ्टिंग कंपनी की भूमिका इस रेस्क्यू में सबसे अहम रही। 
0 प्रत्यक्षदर्शियों कहना है कि
दुर्घटनाग्रस्त हुई बस के ठीक पीछे अपने साथियों के साथ कार में सवार श्यामपुर खदरी निवासी रोशन उपाध्याय का कहना था कि  हमारी कार काफी दूर से उस बस के ठीक पीछे चल रही थी। अचानक पीछे से तेज गति से आ रहे एक ट्रक ने हमारी कार को ओवरटेक किया और फिर बस को ओवरटेक करने लगा। अचानक सामने से सेना के तीन ट्रक इस मोड़ पर आ पहुंचे। सामने से आ रहे ट्रकों से बचने के लिए चालक ने ओवरटेक करते हुए ही ट्रक को बाई ओर मोड़ दिया जिससे बस का अगला हिस्सा ट्रक की चपेट में आ गया और बस अनियंत्रित होकर सड़क की बाई ओर बने पैराफीट तो तोड़ती हुई खाई में जा गिरी। 
 उत्तराखण्ड की चार धाम यात्रा के 25 दिन हुए हैं जिसमें 30 मौतें हो चुकी हैं। हादसे प्रशासन की असलियत सामने ला  रहे हैं। इस यात्रा के अभी पूरे पांच माह का समय शेष है, शुस्घ्आती माह में ही हादसे दर्शा रहे हैं कि चार धाम यात्रा के नाम पर उत्तराखण्ड में कुछ भी तैयारी नहीं हैं।
उत्तराखण्ड में प्रत्येक वर्ष धार्मिक यात्राओं के आयोजन के तहत इनमें कैलाश-मानसरोवर यात्रा, अमरनाथ यात्रा और चारधाम यात्रा भी शामिल है। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के लिए सरकारी मशीनरी की ओर से कोई ठोस बंदोबस्त नहीं किए जाते। केदारनाथ और यमुनोत्री पहुंचने के लिए लोगों को कई किमी का सफर पैदल नापना होता है। सरकारी मशीनरी की तैयारियों की पोल खुलकर हर साल सामने आती है। यात्रा मार्गाे पर  चिकित्सा व्यवस्था एवं चिकित्सकों की कमी हर साल रहती है। हादसों के अलावा समय पर चिकित्सक न मिलने के अभाव में  30 श्रद्धालुओं की हृदय गति रुकने से मौत हो गई।
चारधाम यात्रा रूट पर चिकित्सकों की कमी है। असल में गढ़वाल के सभी जिलों में पहले से ही चिकित्सकों की कमी है। ऐसे में ऐन मौके पर व्यवस्थाएं करने में स्वास्थ्य विभाग को मुश्किल का सामना करना पड़ता है। उत्तराखण्ड में एक भी कॉर्डिओलॉजिस्ट नहीं है। यात्रा रूट पर सामान्य फिजिशियन ही ह्दय रोगियों को देख रहे हैं।

फोरलेन के लिये संघर्ष निरन्तर जारी रहेगा।


फोरलेन के लिये संघर्ष निरन्तर जारी रहेगा।

(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। मोहगांव से खवासा तक सड़क मरम्मत का कार्य तुरंत प्रारंभ कराने के लिये आगामी 01-02 दिनों में जनमंच का आंदोलन उग्र और व्यापक होगा व सिवनी छिन्दवाड़ा के बीच जिले की सीमा में बनने वाली टू-लेन सड़क का निर्माण कार्य बंद कराया जायेगा एवं शहर में भी प्रदर्शन प्रारंभ किये जायेंगें। जनमंच प्राथमिकता के तौर पर मोहगांव से खवासा तक की सड़क मरम्मत का कार्य तत्काल प्रारंभ कराने के लिये प्रयासरत है क्योकि जब यह सड़क ही नहीं बचेगी तो इस पर फोरलेन कैसे बनेगी ? कल 21 मई को ठेकेदार के कार्य प्रारंभ करने के आश्वासन के बाद भी जनमंच का आन्दोलन तब तक नहीं रूकेगा, जब तक सड़क मरम्मत का कार्य जमीनी स्तर पर प्रारंभ नहीं हो जाता। उक्ताशय की बाद सिवनी जिला जनमंच की विज्ञप्ति के माध्यम से प्रवक्ता संजय तिवारी ने कही है।
इस संबंध में संजय तिवारी ने आगे बताया कि बुधवार 23 मई को मोहगांव में आयोजित होने वाला चकाजाम का कार्यक्रम एक विशेष रणनीति के तहत शनिवार को कर दिया गया है। इसी बीच खवासा से सिवनी तक आगामी दिनों में जनमंच के बैनर तले होने वाले तीव्र आन्दोलन के लिये जनमंच के सदस्य जन सम्पर्क व रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। इन सब के बावजूद भी यदि सड़क मरम्मत का कार्य तुरंत प्रारंभ नहीं होता है तो सिवनी छिन्दवाड़ा मार्ग पर टू-लेन बनाने वाली कंपनी सदभाव को कार्य करने से रोका जावेगा व आन्दोलन की उग्रता दिनो दिन बड़ते जायेगी।
श्री तिवारी ने आगे बताया कि आज जिले के नागरिकों के लिये प्रमुख प्राथमिकता है मोहगांव से खवासा तक की सड़क को बचाना, क्योकि यदि यह सड़क बारिश में बंद हो गई तो बारिश के बाद फोरलेन के दुश्मनों को इस सड़क पर फोरलेन नहीं बनाने का एक बहाना और मिल जायेगा। जहां तक फोरलेन सड़क के आन्दोलन की बात है तो यह तब तक जारी रहेगा, जब तक फोरलेन सड़क नहीं बन जाती। 01 मई को जनमंच के भूख हड़ताल के पंडाल में हुई बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया था कि जिले के तीनों भाजपा विधायक एवं सांसद 02 जुलाई तक फोरलेन के ताजा प्रस्ताव को म.प्र. सरकार से स्वीकृत कराकर दिल्ली भेजे। इसके पश्चात जिले के कांग्रेसी विधायक और सांसद उक्त प्रस्ताव को केन्द्र सरकार से शीघ्र स्वीकृत कराये। जिले के सांसद और विधायको के साथ जनमंच के सभी सदस्य भोपाल व दिल्ली जाने को भी तैयार है।
02-03 दिन पहले भोपाल से ताजा प्रस्ताव के संबंध में सिवनी छण्भ्ण्।ण्प्ण् व वन विभाग से कुछ जानकारी मांगी गई थी। इस संबंध में जनमंच के कुछ सदस्यो ने छण्भ्ण्।ण्प्ण् एवं वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों से मुलाकात कर आवश्यक जानकारी शीघ्र भोपाल भेजने की अपील की है। संबंधित अधिकारियों ने जनमंच के सदस्यों को आश्वस्त किया है कि वे एक सप्ताह के भीतर चाही गई जानकारी भोपाल भेज देंगे। उक्त अधिकारियों ने यह भी बताया है कि चाही गई सभी जानकारी पहले की ताजा प्रस्ताव के साथ भोपाल भेज दी गई थी लेकिन दोबारा उसी जानकारी को अंग्रेजी भाषा में मांगा जा रहा है जो समझ से परे है।
इस विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि जनमंच के आगामी आन्दोलन की रूप रेखा को अंतिम रूप देने के लिये मोहगांव में 24 मई की शाम को जनमंच के सक्रिय सदस्यों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई है, जिसमें सभी मुद्दो के अलावा एक चेतावनी रैली निकालने के मुद्दे पर भी विचार किया जावेगा। अंत में विज्ञप्ति में यह कहा गया है कि 21 मई को जनमंच के कुछ सदस्यों से मोहगांव से खवासा सड़क की मरम्मत हेतु अधिकृत ठेकेदार ने मुलाकात कर सड़क मरम्मत के कार्य को शीघ्र प्रारंभ करने का आश्वासन दिया था लेकिन जनमंच अपना आन्दोलन इस संबंध में तब तक जारी रखेगा जब तक जमीनी स्तर पर ठेकेदार अपनी मशीनों के साथ मरम्मत का कार्य प्रारंभ न कर दे। जनमंच ने जिले की जनता को आगामी आन्दोलनों के लिये मानसिक रूप से तैयार रहने की अपील की है।