मंगलवार, 22 मई 2012

कस बल ढीले हो गए अहंकारी सिब्बल के!


कस बल ढीले हो गए अहंकारी सिब्बल के!

अण्णा और बाबा से सिब्बल का गुप्त समझौता!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। अहंकारी, घमंडी छवि वाले केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल इन दिनों खासे नरम दिखाई पड़ रहे हैं। उनके व्यवहार के कारण कांग्रेस में ही उनका जमकर विरोध होता आया है। अब विपक्षी भी कपिल सिब्बल के इस बदले हुए चेहरे की तारीफ करते नजर आ रहे हैं। लंबे अरसे से कपिल सिब्बल द्वारा अण्णा हजारे और बाबा रामदेव तथा इन दोनों के द्वारा सिब्बल पर सीधा हमला करने से बचा जा रहा है। यह बात सियासी गलियारों में शोध का विषय बन गई है।
एचआरडी मिनिस्टर कपिल सिब्बल के करीबी सूत्रों का कहना है कि सिब्बल के रूख में इन दिनों खासी नरमी देखी जा रही है। कल तक इस अख्खड़ रवैये के चलते कांग्रेस के ही नेताओं के निशाने पर रहने वाले सिब्बल इन दिनों कांग्रेस और विपक्ष के दुलारे बने हुए हैं। सिब्बल के सहयोगात्मक रवैए का ही परिणाम था कि विपक्ष के सहयोग से सिब्बल संसद में कापी राईट एक्ट रख पाए। यद्यपि कार्टून विवाद में सिब्बल को खासी परेशानी उठानी पड़ी फिर भी उनके रूख में परिवर्तन के चलते मामले जल्दी ही सुलटा लिए गए।
सियासी गलियारों में कपिल सिब्बल के इस हृदय परिवर्तन के बारे में जमकर शोध हो रहा है। सियासी गलियारों में हर किसी की जुबान पर यह प्रश्न कौंध रहा है कि एक दूसरे के खिलाफ सदा जहर उगलने वाले अण्णा हजारे और कपिल सिब्बल की तोपें एक दूसरे के खिलाफ शांत कैसे हैं? उधर, इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू राम किशन यादव, उर्फ बाबा रामदेव भी कपिल सिब्बल पर सीधा हमला करने से बच ही रहे हैं।
पिछले लगभग चार माह से समाजसेवी अण्णा हजारे, इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल का आपस में आरोप प्रत्यारोप का दौर थमा हुआ है। इन तीनों के समर्थक सांस रोककर पदचाप को भांपने की कोशिश में लगे हैं कि इस मौन का आखिर कारण क्या है? क्या यह तूफान के पहले की शांति है?
उधर, कपिल सिब्बल के करीबी किन्तु भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि बीते साल के अंत में कपिल सिब्बल ने एचआरडी मिनिस्ट्री के एक ज्वाईंट सेकेरेटरी स्तर के अधिकारी को अण्णा हजारे को साधने पाबंद किया था। इस साल के आरंभ में उक्त संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा अण्णा के अतिकरीबी दो मराठी पृष्ठभूमि के लोगों के साथ अण्णा से मिलने रालेगण सिद्धि पहुंचे और अपनी सिद्ध जड़ी से अण्णा हजारे को सिद्ध कर लिया।
आज अण्णा के मुंह से कपिल सिब्बल के लिए अगर फूल नहीं झड़ रहे तो कांटों की बरसात भी नहीं हो रही है। टीम अण्णा भी सरकार पर तीखे हमले नहीं बोल रही है। अण्णा के बाद अब लोग बाबा रामदेव और कपिल सिब्बल के बीच के तार खोजने में लगे हुए हैं।

जर्मनी में होगा जहरीले अपशिष्ट का निष्पादन


जर्मनी में होगा जहरीले अपशिष्ट का निष्पादन
(महेश रावलानी)
नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश के भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री बाबूलाल गौर ने यहां आयोजित भोपाल गैस त्रासदी पर गठित मंत्री समूह की बैठक में भाग लिया। केन्द्रीय गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम की अध्यक्षता में हुई बैठक में केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री, केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री सहित केन्द्र के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। बैठक में मुखतः यूनियन कार्बाइड परिसर भोपाल में संग्रहित रसायनिक अपशिष्ट पदार्थें का विनिष्टीकरण किये जाने पर चर्चा की गयी। 
श्री गौर ने बताया कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भोपाल के यूनियन कार्बाइड परिसर में संग्रहित जहरीले अपशिष्ट पदार्थों का निपटारा जर्मनी में किया जाय। इसके लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने आवश्यकता पड़ने पर नियमों में संशोधन करने पर भी सहमति जतायी। मंत्री समूह ने मध्यप्रदेश शासन को जर्मन स्थित ळपर्् प्ै (जर्मन कम्पनी) से विस्तृत प्रस्ताव करने, उसका परीक्षण कराकर सहमति सहित प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजने के निर्देश दिये गये ताकि उक्त प्रस्ताव को मंत्री समूह की अगली बैठक में रखा जा सके। इस पर होने वाला व्यय केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जायगा। मंत्री समूह की अगली बैठक 8 जून 2012 को नई में होना निश्चित किया गया है।
श्री गौर ने बताया कि ळपर्् प्ै (जर्मन कम्पनी) के प्रतिनिधियों से भोपाल में 17 मई 2012 को प्रारम्भिक चर्चा की जा चुकी है जिसमें मध्यप्रदेश के आवास एवं पर्यावरण मंत्री तथा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कम्पनी से इस सम्बन्ध में विस्तृत प्रस्ताव मांगा गया है।

सिंधिया से ज्यादा नाथ पर है गौर को भरोसा!


सिंधिया से ज्यादा नाथ पर है गौर को भरोसा!

प्रदेश की समस्याओं के लिए जागरूक गौर ने थामा कमल नाथ का दामन!

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश के विकास के लिए अगर कोई सबसे ज्यादा फिकरमंद हैं तो वे हैं सूबे के स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर। अपनी हर दिल्ली यात्रा में बाबू लाल गौर द्वारा प्रदेश के विकास के लिए राशि की मांग की जाती है, अनेक बार तो राशि की स्वीकृति भी मिल जाती है। बाबू लाल गौर ने कांग्रेस नीत केंद्र सरकार से राशि की मांग के लिए मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के सांसद और केंद्रीय मंत्री कमल नाथ का दामन थामा हुआ है।
2008 के उपरांत जब दुबारा भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में सत्ता में आई उसके बाद जैसे ही शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला तब से स्थानीय शासन विकास मंत्री बाबू लाल गौर ने मध्य प्रदेश के विकास के लिए करोड़ों अरबों रूपयों की मांग की जा चुकी है। एक मर्तबा तो बाबू लाल गौर द्वारा एक हजार करोड़ रूपए की राशि कमल नाथ से झटक भी ली गई।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश कोटे से केंद्र में अब ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमल नाथ ही मंत्री हैं। बाबू लाल गौर द्वारा कभी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के दरबार में जाकर मध्य प्रदेश के लिए कुछ भी ना मांगा जाना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है। वैसे बाबू लाल गौर और कमल नाथ की जुगल बंदी से मध्य प्रदेश को कुछ मिला हो या नहीं पर यह बात अवश्य है कि मीडिया के माध्यम से दोनों ही नेताओं ने अरबों खरबों रूपयों का आवंटन मध्य प्रदेश को दिलवा दिया है, जो शोध का विषय है।
संभवतः यही कारण है कि मध्य प्रदेश भाजपा द्वारा पूर्व में नेशनल हाईवे की दुर्दशा होने के बाद भी तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं कर पाई। गौरतलब है कि पूर्व में मध्य प्रदेश भाजपाध्यक्ष प्रभात झा द्वारा वर्ष 2010 में दो बार घोषणा की गई थी कि नेशनल हाईवे की दुर्दशा के कारण एनएच पर पड़ने वाले गांवों में मानव श्रंखला बनाई जाएगी एवं हस्ताक्षर अभियान चलाया जाकर, प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
दोनों ही बार प्रभात झा ने अघोषित तौर पर अपना आंदोलन वापस ले लिया था। हाल ही में एमपी में नेशनल हाईवे की दुर्दशा के चलते उन्होंने पिछले दिनों बालाघाट से भोपाल लौटते समय सिवनी में घोषणा की थी कि सिवनी की विधायक श्रीमति नीता पटेरिया जो महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं के नेतृत्व में सड़कों के लिए केंद्र के खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा, प्रभात झा की यह घोषणा भी महज घोषणा ही साबित हुई।
बहरहाल, मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर ने एक बार फिर केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमल नाथ से मुलाकात कर नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा तैयार कराई गयी कार्ययोजना सौपीं और इसके लिए ठोस अपरिशिष्ट प्रबंधन, सीवरेज, बरसाती नाला-नाली निर्माण, स्वच्छता, वृक्षारोपण के लिए केन्द्र सरकार से 1298.87 करोड़ रूपये की अनुदान राशि की मांग की।
श्री गौर ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि देश की प्राचीनतम नर्मदा नदी का जल तेजी से प्रदूषित हो रहा है और अगर यही स्थिति रही तो मध्यप्रदेश की जीवन रेखा की स्थिति आगामी 10-20 वर्षों में अत्यधिक गम्भीर हो जायेगी। उन्होंने नर्मदा नदी में पानी की घटती हुई गुणवत्ता पर भी चिन्ता व्यक्त की।
उन्हांेने कहा कि तेजी से बढ़ते शहरीकरण एवं नगरों में पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही के फलस्वरूप नर्मदा नदी प्रदूषित हो रही है। ओंकारेश्वर, महेश्वर, अमरकंटक जैसे नगरों में बहुत से स्थानों पर मल-जल को इस पवित्र नदी में ही निष्पादित किया जाता है जो कि एक गम्भीर समस्या है। एक मोटे अनुमान के अनुसार नर्मदा घाटी में स्थित 53 नगरों से लगभग 500 टन ठोस अपशिष्ट प्रतिदिन उत्सर्जित होकर प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से नर्मदा में मिलता है। इसी तरह इन नगरों से लगभग 210 एम एल डी अपशिष्ट जल (सीवेज) उत्सर्जित होता है और नर्मदा में मिलता है।
श्री गौर ने केन्द्रीय मंत्री से भोपाल में 24 किलोमीटर लम्बे मिसरौद से बैरागढ़ तक की स्वीकृत बी आर टी एस परियोजना के लिए अनुपूरक डी पी आर राशि 121.50 करोड़ रूपये को शीद्य्र जारी करने का भी आग्रह किया। साथ ही भोपाल शहर के मार्गों को स्तरीय बनाने एवं लोक परिवहन सुगम करने के लिए 25858.80 लाख रूपये की राशि अपने मंत्रालय की विशेष निधि राशि से स्वीकृत करवाने का भी आग्रह किया।
केन्द्रीय कमल नाथ ने आश्वासन दिया कि नर्मदा सम्बन्धी संरक्षण की कार्य योजना के लिए वह केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री श्रीमती जयंती नटराजन को इस सम्बन्ध में पत्र लिखेंगे। उन्होंने कहा कि आगामी 8 जून को नई दिल्ली में इस सम्बन्ध में बैठक प्रस्तावित की गयी है। जिसमें राज्य सरकार सहित केन्द्र सरकार के अधिकारी मौजूद रहेंगे और इस प्रकरण के अलावा राज्य सरकार के अन्य लंबित प्रकरणों पर भी विचार कर शीघ्र निदान किया जायेगा।

काले धन पर श्वेत पत्र पेश


काले धन पर श्वेत पत्र पेश

(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)। काले धन पर अब सरकार कुछ कार्यवाही करती नजर आ रही है। काले धन के मामले में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा सदन में श्वेत पत्र पेश किया गया। काले धन पर संसद में पेश श्वेत पत्र में वित्तीय अपराधों से निपटने और दोषियों को कठोर दंड देने के लिए फास्ट ट्रेक अदालतों में मुकदमा चलाने का सुझाव दिया गया है। विपक्ष ने इसे निराशाजनक करार दिया है। इसके अलावा आईपीएल में भी काले धन के होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा रहा है।
प्रणव मुखर्जी ने इसमें काले धन पर अंकुश लगाने के लिए चार सूत्री उपाय करने का सुझाव दिया गया है। इनमें कर कानूनों के स्वेच्छा से पालन करने पर ज्यादा प्रोत्साहन, अर्थव्यवस्था के नाजुक क्षेत्रों में सुधार तथा कालेधन पर रोक लगाने के कारगर उपाय करने के सुझाव शामिल है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कल लोकसभा में श्वेत पत्र पेश कर दिया। इस दस्तावेज में कहा गया है कि वित्तीय तथा रियल एएस्टेट क्षेत्र में सुधार से लम्बी अवधि में काले धन पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
श्वेत पत्र में काले धन की समस्या से निपटने के लिए लोकपाल और लोकायुक्तों की स्थापना की जोरदार वकालत की गई है। श्वेत पत्र में डेबिट और क्रेडिट कार्डों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कर में रियायत देने का सुझाव दिया गया है। जीडीपी में ११ प्रतिशत योगदान करने वाले रियल एस्टेट क्षेत्र में काले धन पर काबू पाने के लिए कहा गया है कि सरकार को राष्ट्रव्यापी डाटा बेस तैयार करना चाहिए, संपत्ति की बिक्री पर टी डी एस तथा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली लागू करनी चाहिए।
वित्त मंत्री ने सदन  को बताया कि देश में जमा काले धन का सही-सही अनुमान नहीं है लेकिन उन्होंने इन खबरों का जोरदार खंडन किया कि स्विस बैंकों में सबसे अधिक धन भारत के लोगों ने जमा किया है। श्वेत पत्र में सरकार ने काले धन की मात्रा का विश्वसनीय अनुमान लगाने के लिए और और जांच पड़ताल पर जोर दिया है तथा इस समस्या से निपटने में राज्य सरकारों से सहयोग मांगा है।
उधर, भारतीय जनता पार्टी ने संसद में काले धन पर  पेश किए गये श्वेत पत्र को निराशाजनक दस्तावेज बताते हुए कहा है कि इसमें काले धन से जुड़े कई सवालों का जवाब नहीं दिया गया है। कल नई दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने कहा कि इस दस्तावेज में न तो काला धन रखने वाले लोगों का उल्लेख है और ना ही विदेशों से काला धन वापस लाने की किसी योजना का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज देश की समस्याओं के बारे में चिंतित नागरिकों के सवालों का जवाब देने में विफल रहा है। इसकी सबसे बड़ी खामी यह है कि इसमें काले धन की मात्रा के बारे में कुछ नहीं बताया गया है।
इसके अलावा कालेधन के मामले में आईपीएल को भी संदेह के दायरे में रखा गया है। खेल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि वह आईपीएल क्रिकेट मैचों में कालेधन के इस्तेमाल के आरोपों की जांच का आदेश दे। खेल मंत्री अजय माकन ने कल लोकसभा में कहा कि पिछले सप्ताह खेल मंत्रालय के सचिव ने राजस्व विभाग के सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा था और प्रवर्तन निदेशालय तथा आयकर विभाग से जांच कराने की मांग की थी।
उन्होंने कहा कि बीसीसीआई अपने खुद जांच कर रही है या नहीं कर रही किस तरीके से कर रही है लेकिन उन्होंने रेवेन्यू सेक्रेटरी को स्पोर्ट्स मंत्रालय ने लिखा है कि इसकी जांच तेजी से कराई जाये और ईडी और आईडी डिपार्टमेट दोनों इसमें तेजी से काम करें।श्री माकन ने कहा कि एक हजार ७७ करोड रूपये के फेमा उल्लंघन के मामले में आईपीएल और बीसीसीआई को १९ नोटिस भेजे गये हैं।

लोकपाल, लोकायुक्त विधेयक प्रवर समिति को


लोकपाल, लोकायुक्त विधेयक प्रवर समिति को
(रूपाली बघेल ठाकुर)
नई दिल्ली (साई)। लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक २०११ राज्यसभा की १५ सदस्यीय प्रवर समिति को सौंप दिया गया है। विधेयक के पक्ष और विपक्ष में हुई बहस के बीच इस बारे में ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित कर दिया गया। इससे पहले, विधेयक को चर्चा के लिए पेश करते हुए कार्मिक और लोक शिकायत राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि यूपीए सरकार इस विधेयक को पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रवर समिति संसद के मानसून सत्र में रिपोर्ट पेश करेगी। विधेयक को प्रवर समिति को सौंपे जाने के मुद्दे पर सदन में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने कहा कि इससे संसद की विश्वसनीयता दांव पर लग गई है। उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने पिछले साल इस विधेयक को सदन में लाने के बाद राजनीतिक दलों से चर्चा नहीं की।

आखिर क्या है प्रशासन की खामोशी का राज!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  87

आखिर क्या है प्रशासन की खामोशी का राज!

धूल के गुबार फैला रहे बीमारी, धमाकों ने सुखाए जलस्त्रोत, फट रही घरों की दीवारें

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकास खण्ड के ग्राम बरेला में स्थापित किए जाने वाले 1260 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट में जबर्दस्त तरीके से अनियमितताएं हो रही हैं और जिला प्रशासन खामोशी से सब कुछ देख सुन रहा है। जिला प्रशासन की खामोशी समझ से परे ही मानी जा रही है।
ग्रामीणों के अनुसार पावर प्लांट में दिन रात वाहनों की आवाजाही से धूल के गुबार चारों ओर दिन रात उड़ते रहते हैं। गर्मी के मौसम में पानी की सिंचाई के बिना संयंत्र प्रबंधन द्वारा यह काम किया जा रहा है। इतना ही नहीं संयंत्र प्रबंधन द्वारा बार बार अज्ञात कारणों से किए जाने वाले धमाकों से ना केवल जमीन थर्रा रही है वरन् आसमान धूल से पटा पड़ा है। आसमान में उड़ती धूल लोगों को बीमार कर रही है। ग्रामीणों के अनुसार इन धमाकों से ग्रामीणों के नलकूप सूख गए हैं और उनके घरों की दीवारें फट गईं हैं।
क्षेत्र में मीडिया से जुड़े रवि अग्रवाल के मुताबिक उन्होंने विकास खण्ड की सभी जमीनों के नामांतरण संबंधी जानकारी हेतु सूचना के अधिकार कानून के तहत तहसीलदार के समक्ष आवेदन फरवरी में दिया था। इस पर कोई कार्यवाही ना होने पर इसकी शिकायत उनके द्वारा अप्रेल माह में जिला कलेक्टर से की गई, पर जिला कलेक्टर की ओर से भी कोई जवाब उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है।
आरोपति है कि घंसौर में किसानों के साथ जमीन अधिग्रहण के मामले में उन्हें छलने के आरोप के चलते आदिवासी किसान संयंत्र के मुख्य द्वार के सामने अनशन पर बैठे हुए हैं। हठीला जिला प्रशासन और संयंत्र प्रबंधन इन किसानों की मांगों को दरकिनार कर उन्हें गर्मी में झुलसने पर मजबूर किए हुए है।

(क्रमशः जारी)