बुधवार, 21 मार्च 2012

कार्पोरेट कल्चर में ढलती भाजपा!

कार्पोरेट कल्चर में ढलती भाजपा!

राज्य सभा के लिए कार्पोरेट लाबी के सामने नतमस्तक है 
 भाजपा नेतृत्व



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। ‘‘चाल, चरित्र और चेहरे‘‘ के लिए अलग पहचान रखने वाली भारतीय जनता पार्टी अब कार्पोरेट लाबी के सामने घुटनों पर खड़ी दिख रही है। बड़े औद्योगिक घरानों के इशारों पर कत्थक करती दिखती भाजपा में कार्पोरेट कल्चर तेजी से हावी होता दिख रहा है। नैतिकता को बलाए ताक पर रखकर कांग्रेस की ही तर्ज पर अब भाजपा में भी पूंजी पतियों की तूती बोलती दिख रही है।
चुनाव लड़ने से डरे हुए योद्धाओं द्वारा पिछले दरवाजे यानी राज्य सभा से संसदीय सौंध तक पहुंचने की होड़ मची हुई थी। अगर सरकार गिरे और आम चुनाव हों तब भी राज्य सभा के सदस्य का कार्यकाल तो पूरे छः साल का ही रहता है। यही कारण है कि अनेक नेताओं ने बिना नींव और जमीन के अधपर में ही अपने महल खड़े कर लिए हैं। अनेक नेता तो राजनैतिक दलों की प्रदेश इकाईयों के अध्यक्ष भी हैं। देश के महामहिम प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह एक भी चुनाव नहीं जीते हैं और आठ सालों से देश के प्रधानमंत्री बने बैठे हैं।
बहरहाल, हेमा मालिनी, महेश शर्म, किरीट सौमेया, राजेश शाह, अजय संचेती, विनय सहत्रबुद्धे, श्याम बाजू, फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रहलाद पटेल, अनुसुईया उईके, कप्तान सिंह सोलंकी, विक्रम वर्मा, एस.एस.अहलूवालिया, नारायण सिंह केसनी, मेघराज जैन जैसे नेताओं की लंबी फौज बरास्ता राज्यसभा संसद में जाने के लिए कतारबद्ध थी। अहलूवालिया का शनि भारी हो गया और उनके स्थान पर अरूण जेतली ने अपने विश्वस्त संघ पृष्ठभूमि वाले वकील भूपेंद्र यादव को लाकर खड़ा कर दिया।
भाजपा छोड़कर उमा भारती के साथ भाजश का दामन थामने वाले प्रहलाद सिंह पटेल की घर वापसी तो हो गई है पर उनसे खफा नेताओं ने पटेल की जड़ों में मट्ठा डालना नहीं छोड़ा। यही कारण है कि भाजपा के असंगठित मजदूर मोर्चे का अध्यक्ष बनने के बाद भी प्रहलाद पटेल उतने ताकतवर होकर नहीं उभर सके हैं जितने वे पहले थे। पटेल के समर्थकों में भी निराशा ही है। माना जा रहा था कि इस बार मध्य प्रदेश से पटेल को राज्य सभा में भेज दिया जाएगा, किन्तु पार्टी अध्यक्ष नितिन गड़करी के सामने यह समस्या थी कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के डंपर कांड के जनक और कोई नहीं प्रहलाद पटेल ही थे।
उधर, कुबेर पुत्र मुकेश अंबानी ने अपने साथी वीरेन शाह के पुत्र राजेश शाह को महाराष्ट्र से राज्य सभा में भेजने के लिए एडी चोटी एक कर दी। एल.के.आड़वाणी के करीबी सूत्रों का दावा है कि मुकेश ने शाह के लिए आड़वाणी की जमकर चिरौरी की, किन्तु आड़वाणी राज्य सभा उम्मीदवारों के चयन की बैठक में इस बात को वजनदारी से नहीं उठा पाए।
शाह के स्थान पर गड़करी ने अपने विश्वस्त अजय संचेती को लाने में कामयाबी हासिल कर ली। गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि संचेती देश भर में अनेक पावर प्रोजेक्ट लगा रहे हैं। अनेक पावर प्लांट में उनकी भागीदारी भी बताई जाती है। छत्तीसगढ़ के निजाम रमन सिंह से संचेती की गलबहियां किसी से छिपी नहीं हैं। किरीट सौमेया के नाम पर बाबूसिंह कुशवाहा ने फच्चर फंसा दिया।
कुबेर पुत्रों और उद्योगपतियों के प्रति भाजपा का प्रेम देखते ही बन रहा है। झारखण्ड में नितिन गड़करी की पहली पसंद बनकर उभरे अशुंमान मिश्र ने सियासी भूचाल ला दिया है। भापजा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी छोड़ने तक की धमकी दे डाली है। कहा जाने लगा है कि भाजपा में अब प्रजातंत्र के बजाए कांग्रेस के मानिंद ही हिटलरशाही व्याप्त हो चुकी है।
अशुंमान पर आरोप है कि गड़करी के समीप्य का लाभ उठाकर उन्होंने अपने भाई राजीव को रामपुर कारखाना सीट की टिकिट दिलवा दी थी। यह बात अलहदा है कि राजीव चौथी पायदान पर रहे। पैसों के बाजीगर अशुंमान के बारे में कहा जाता है कि वे कल्याण सिंह के काफी करीब रहे हैं। अंशुमान दरअसल गडकरी का पसंदीदा इसलिए भी है क्योकि उसने लंदन समेत तमाम अन्य देशों में गडकरी का निवेश और व्यापारिक संबंधों का प्रबंधन किया है।
संघ मुख्यालय झंडेवालान स्थित केशव कुंज के सूत्रों का कहना है कि अशुंमान की दावेदारी से संघ के आला नेता भी गड़करी से खफा नजर आ रहे हैं। अशंुमान को लेकर संघ में दो फाड़ हो चुका है। संघ के दबाव में अंशुमान का समर्थन करने वाले गडकरी ने देश और भाजपा के कार्यकर्ताओं को यह नहीं बताया कि दरअसल अंशुमान मिश्रा विश्व भर में कट्टर इस्लामिक शिक्षण संस्थाओं को फंडिंग करने वाली अबू धबी की प्रिंस अल्वालीद फाउंडेशन का कर्ताधर्ता और सहयोगी भी है।
कहा जाता है कि अशुंमान मन राखनलाल हैं अर्थात उनकी कांग्रेस में गहरी पकड़ है। अंशुमान का इकबाल कांग्रेस में जमकर बुलंद है। पूर्व कानून मंत्री और राज्यपाल हंसराज भरद्वाज का करीबी होने का ही फायदा है कि टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपी शाहिद बल्वा का करीबी होने के बावजूद इसे सीबीआई ने जांच के दायरे में नही लिया। यही नहीं, अंशुमान मिश्रा प्रफुल्ल पटेल के साथ मिलकर विदेशों में तमाम निवेशों में शामिल है।
भाजपा में कौन राज्य सभा के रास्ते जाएगा इसके लिए नेताओं के अलावा धनपति कुमार मंगलम बिड़ला, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, एस्सार समूह के रईया बंधु, सहारा समूह आदि खासी दिलचस्पी दिखाते हैं। मतलब साफ है कि इनके व्यवसायिक हित इन राज्य सभा सदस्यों के माध्यम से सध जाते हैं। चाल चरित्र और चेहरे के लिए जानी जाने वाली भाजपा का यह कार्पोरेट चेहरा देश के लिए खतरनाक संकेत से कम नहीं है।

चौदह पेज का अस्पष्ट कार्यवाही विवरण फिर आया पीसीबी की वेब साईट पर


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  79

चौदह पेज का अस्पष्ट कार्यवाही विवरण फिर आया पीसीबी की वेब साईट पर

लोकसुनवाई में रिकार्ड हुए महज 97 सुझाव/ आपत्ति

अब शुरू होगा थापर का अदृश्य जादू



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अंततः 22 नवंबर 2011 को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में डलने वाले गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के दो चरणों में डलने वाले 1200 मेगावाट (अब संभवतः 1260 मेगावाट, 60 मेगावाट क्यों और कब बढ़ा यह स्पष्ट नहीं) के कोल आधारित पावर प्लांट की लोकसुनवाई का कार्यवाही विवरण मध्य प्रदेश सरकार की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के अधीन काम करने वाले प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने अपनी वेब साईट पर चार माहों बाद डाल ही दिया।
गौरतलब है कि 22 नवंबर 2011 को ग्राम गोरखपुर में संपन्न हुई हंगामाई लोकसुनवाई में अनेकों विसंगतियां प्रकाश में आईं थी। इस संबंध में मध्य प्रदेश के एक लोकसभा सदस्य द्वारा ध्यानाकर्षण लगाने की तैयारी भी पूरी कर ली है। अगर यह मामला संसद में उठता है तो मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल सहित जिला प्रशासन सिवनी पर गाज गिरने की संभावना है। गौतम थापर की थाप पर मुजरा करने वाले सरकारी नुमाईंदों पर आदिवासियों की उपेक्षा और नियम कायदों के खिलाफ काम करने के अनेक आरोप हैं।
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की आधिकारिक वेब साईट पर डले इस चौदह पृष्ठीय कार्यवाही विवरण में इस बार भी अस्पष्ट प्रति ही डाली गई है, जबकि 22 नवंबर को संपन्न लोकसुनवाई में पीसीबी के मुख्य रसायनज्ञ पी.आर.देव और वैज्ञानिक एस.के.खरे के संज्ञान में यह बात लाई गई थी कि 22 अगस्त 2008 के कार्यवाही विवरण को इंटरनेट पर पीसीबी की वेब साईट पर अस्पष्ट डाला गया था जो पठनीय नहीं था। बावजूद इसके 22 नवंबर 2011 को संपन्न लोक सुनवाई का कार्यवाही विवरण भी पूरी तरह अस्पष्ट ही डाला गया है।
पीसीबी के सूत्रों का कहना है कि मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के हाथों बिक चुके प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड को प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर फायदा पहुंचाने की गरज से सरकारी नियम कायदों को गौतम थापर के घर की लौंडी बना दिया है।
दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित सिवनी जिले के घंसौर विकासखण्ड के आदिवासियों, जल जंगल और जमीन को परोक्ष तौर पर दौलतमंद गौतम थापर के पास रहन रख दिया गया है और बावजूद इसके केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

वोडाफोन मामले में सरकारी अर्जी खारिज


वोडाफोन मामले में सरकारी अर्जी खारिज

(ब्यूरो)

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कम्पनी वोडाफोन कर मामले में सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। न्यायालय ने कल अपने फैसले में आयकर विभाग से कहा कि वह वोडाफोन द्वारा जमा कराये गए ढाई हजार करोड़ रुपये चार प्रतिशत ब्याज के साथ दो महीने के अंदर लौटाए।
इस मामले में बम्बई उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त करने वाले उच्चतम न्यायालय के पहले के आदेश पर सरकार ने उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग्स और हचिसन ग्रुप के बीच विदेश में हुए बारह अरब डॉलर के सौदे पर ग्यारह हजार करोड़ रुपये का कर लगाने का आयकर विभाग को कोई अधिकार नहीं है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार ने चार प्रतिशत ब्याज के साथ ढाई हजार करोड़ रुपये कल कम्पनी को लौटा दिए। इस बीच, सरकार ने आयकर कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है। इसके अनुसार इस प्रकार के विलय तथा अधिग्रहण पर वर्ष १९६२ से कर लगाया जा सकता है।

डेढ़ फीसदी की दर से कम हुई गरीबी


डेढ़ फीसदी की दर से कम हुई गरीबी

(ब्यूरो)

नई दिल्ली। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलुवालिया ने कहा है कि २००४-०५ और २००९-१० के बीच पांच वर्षों में गरीबी में कमी की दर करीब डेढ़ प्रतिशत वार्षिक रही। नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने यह जानकारी दी। गरीबी के बारे में जो कुछ भी हुआ है उसकी हमे जानकारी है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में गरीबी में और कमी आएगी, और वास्तव में इस अवधि में हर साल गरीबी की दर में लगभग डेढ़ प्रतिशत की कमी आई है।
श्री आहलुवालिया ने कहा कि योजना आयोग से गरीबी रेखा का निर्धारण फिर से करने को कहा गया था। श्री आहलुवालिया ने कहा कि गरीबी के स्तर को ताजा उपभोक्ता सर्वेक्षण के अनुसार कम किया गया है। श्री आहलुवालिया ने कहा कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़ीशा, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तराखंड, हिमाचलप्रदेश और सिक्किम में गरीबी में कमी का स्तर औसत से ज्यादा रहा है।
योजना आयोग ने कल गरीबी के स्तर के अनुमान जारी किए थे, जिनमें कहा गया है कि देश में गरीबी के स्तर में सात दशमलव तीन प्रतिशत की कमी हुई है। यह २००४-०५ के ३७ दशमलव दो प्रतिशत से घटकर २००९-१० में २९ दशमलव आठ प्रतिशत रह गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में २००९-१० में गरीब लोगों की कुल संख्या ३४ करोड़ ४७ लाख होने का अनुमान है, जबकि २००४-०५ में यह संख्या चालीस करोड़ ७२ लाख थी।

आदर्श सोसायटी मामले में धरपकड़ आरंभ


आदर्श सोसायटी मामले में धरपकड़ आरंभ

(ब्यूरो)

नई दिल्ली। सीबीआई ने करोड़ों रुपये के आदर्श हाऊसिंग सोसायटी घोटाले में धर पकड़ आरंभ कर दी है। आदर्श सोसायटी के चीफ प्रमोटर आर.सी. ठाकुर, सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर और सेना के एस्टेट अधिकारी एम.एम. वांचू, महाराष्ट्र शहरी विकास विभाग के पूर्व उपसचिव पी.वी. देशमुख और कांग्रेस के पूर्व विधान परिषद् सदस्य कन्हैयालाल गिडवानी सहित चार लोगों को आज सुबह गिरतार किया गया। इन चारों को कल सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा।
इस मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल एफआईआर के अनुसार गिरतार किए गए पी.वी. देशमुख, आर.पी. ठाकुर और एम.एम. वांचू ने महाराष्ट्र सरकार और रक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर आदर्श सोसायटी के लिए अवैध तरीके से जमीन प्राप्त की। वहीं गिरवानी पर यह आरोप है कि उन्होंने अपने राजनैतिक प्रभाव से आदर्श सोसायटी की फाइलें मंजूर करवा ली और बदले में राज्य सरकार के अधिकारियों को आदर्श सोसायटी में लैट दिलवायें। पिछले हते इस मामले की जांच धीमी गति पर नाराजगी जताते हुए। उच्च न्यायालय ने सीबीआई को ठोस कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।