शनिवार, 17 मार्च 2012

नाथ और स्वराज का रहा रेल बजट में बोलबाला


नाथ और स्वराज का रहा रेल बजट में बोलबाला

प्रदेश के क्षत्रप बोने ही साबित हुए दिनेश त्रिवेदी के आगे

दिल्ली भोपाल छिंदवाड़ा दौड़ सकती है राजधानी एक्सप्रेस



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। रेल किराया बढ़ाकर भले ही रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी से बैर मौल लेने का स्वांग कर देश को पार्टी से उपर बता दिया हो पर रेल बजट में मध्य प्रदेश के दो क्षत्रपों ने बाजी मार ली है। केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र को रेल बजट में भारी सौगात मिल गई है। मध्य प्रदेश के बाकी सांसदों ने अपने अपने क्षेत्र के विकास में कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखाई है।
सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा में रेल मंत्री ने हाई हार्स पावर के डीजल इंजन के ट्रेक्शन आल्टरनेटर्स के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि विदिशा सदा से ही भाजपा का गढ़ रहा है। विदिशा से पहले भाजपा के शिवराज सिंह चौहान सांसद रहे हैं, इसके बाद अब सुषमा स्वराज यहां से सांसद हैं। कांग्रेस के गढ़ रहे धार, झाबुआ, मण्डला जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों की न तो कांग्रेस ने ही सुध ली और ना ही केंद्र सरकार ने।
उधर छिंदवाड़ा के अजेय योद्धा कमल नाथ ने अपने प्रभावों और संपर्कों का पूरा पूरा लाभ उठाया। छिंदवाड़ा को इस रेल बजट में सबसे ज्यादा सौगातें मिली हैं। छिंदवाड़ा के परासिया को माडल रेल्वे स्टेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही साथ छिंदवाड़ा से दिल्ली सराय रोहिला चलने वाली रेलगाड़ी को अब सात दिन कर दिया गया है। पांढुर्णा सौंसर के रेल मार्ग के यातायात सर्वेक्षण के लिए वर्ष 2011 -12 के बाद अब नए वित्तीय वर्ष के लिए भी राशि का आवंटन किया गया है।
आमला से छिंदवाड़ा एकल रेल पथ के दोहरीकरण के सर्वेक्षण के लिए भी नए वित्तीय वर्ष में राशि का आवंटन किया गया है। छिंदवाड़ा से करेली होकर सागर एवं छिंदवाड़ा से गाडरवाड़ा, बड़ा मल्हारा होकर खजुराहो रेल पथ के यातायात सर्वेक्षण के लिए भी इस बजट में राशि का आवंटन किया गया है।
कमल नाथ की सबसे बड़ी उपलब्धि छिंदवाड़ा से नागपुर के निर्माणाधीन रेलखण्ड को विद्युतीकृत कराना है। इस बजट में आमला से परासिया होकर छिंदवाड़ा एवं छिंदवाड़ा नागपुर रेलखण्ड के विद्युतीकरण का प्रस्ताव है। अगर इस रेलखण्ड का विद्युतीकरण हो जाता है तो दिल्ली से भोपाल होकर छिंदवाड़ा राजधानी एक्सप्रेेस के दौड़ने के मार्ग प्रशस्त हो जाएंगे। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमल नाथ के करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे ही इस रेलखण्ड का विद्युतीकरण हो जाएगा वैसे ही सतपुड़ा की सुरम्य वादियों वाले पातालकोट को आधार बनाकर दिल्ली से छिंदवाड़ा राजधानी एक्सप्रेस को दौड़ाने के प्रयास किए जाएंगे।
यहां गौरतलब होगा कि सालों से इटारसी से जबलपुर कटनी रेखण्ड में अप डाउन दोनों ही रेल मार्ग होने के बाद भी यह विद्युतीकरण की बाट जोह रहा है। इसके साथ ही साथ सिवनी से बरघाट होकर कटंगी एवं सिवनी से छपारा लखनादौन के यातायात का सर्वेक्षण भी इस बजट में शामिल किया गया है। सिवनी से बरघाट कटंगी बालाघाट संसदीय क्षेत्र में तो छपारा लखनादौन मूलतः मण्डला संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है।
इसको लेकर भी राजनीति आरंभ हो गई है। बालाघाट के भाजपा सांसद केशव दास देशमुख ने दोनों ही रेल खण्डों का सर्वेक्षण अपने ही खाते में डाल दिया है। उधर मण्डला से सांसद बसोरी सिंह मसराम इस मामले में सदा की ही भांति मौन साधे हुए हैं। बताया जाता है कि इस समय सांसद महोदय डिंडोरी जिले में अपने गृह ग्राम में मकान के निर्माण में व्यस्त हैं। बसोरी सिंह मसराम के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे अपने मकान के लिए निर्माण सामग्री छत्तीसगढ़ से आयात करवा रहे हैं, जिसका कारण अभी भी अज्ञात ही है।
गौरतलब है कि सौ साल से अधिक पुरानी छिंदवाड़ा से सिवनी नैनपुर मण्डला फोर्ट और बालाघाट से जबलपुर रेलखण्ड के अमान परिवर्तन के लिए इस बजट में राशि का प्रावधान नहीं किया गया है। इस नेरो गेज को ब्राडगेज करने के मामले में सांसद केशव दास देशमुख ने मौन ही साधा हुआ है।
मध्य प्रदेश के खाते में जो अन्य सौगातों में इटारसी जबलपुर कटनी माणिकपुर रेलखण्ड का विद्युतीकरण, बीना कोटा का विद्युतीकरण, इंदौर उज्जैन देवास मक्सी, इंदौर बेतूल के यातायात सर्वेक्षण, लामटा परसवाडा बैहर का यातायात सर्वे, सागर से मालथौन ललितपुर नई रेल लाईन का यातायात सर्वे, सतना मिर्जापुर नई रेललाईन का यातायात सर्वे, के अलावा बुरहानपुर, दमोह, खण्डवा, मदन महल, उज्जैन को माडल स्टेशन बनाया जाना शामिल है।

. . . इसलिए नाराज हैं त्रिवेदी से ममता


. . . इसलिए नाराज हैं त्रिवेदी से ममता

दिनेश का कार्पोरेट कल्चर रास नहीं आ रहा ममता को



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। त्रणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी और रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के बीच रार बढ़ती ही जा रही है। कांग्रेस के एक केंद्रीय मंत्री के खासुलखास मुकुल राय के नए रेल मंत्री बनने के मार्ग तेजी से प्रशस्त होते दिख रहे हैं। सियासी गलियारों में अब ममता बनर्जी और दिनेश त्रिवेदी के बीच कडवाहट के कारण खोजे जा रहे हैं। माना जा रहा है कि ममता बनर्जी को दरअसल, दिनेश त्रिवेदी की कार्पोरेट सोच रास नहीं आ रही है।
भारत गणराज्य के इतिहास में संभवतः यह पहला ही मौका होगा जब रेल मंत्री द्वारा बढ़ाए गए यात्री किराए का उन्हीं की पार्टी द्वारा घुर विरोध किया गया हो। पहली ही बार एसा हुआ होगा जब देश के वज़ीरे आज़म को सदन में यह सफाई देना पड़ा हो कि फलां शख्स ही देश के रेल मंत्री हैं। सदन में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने सरकार से साफ करने को कहा कि यह बताया जाए कि दिनेश त्रिवेदी देश के रेल मंत्री हैं या नहीं। इस पर मनमोहन सिंह को मजबूरन कहना पड़ा कि दिनेश त्रिवेदी ही देश के रेल मंत्री हैं।
ममता बनर्जी के करीबी सूत्रों का कहना है कि रेल बजट तैयार होने के बाद ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अपनी साख बचाने के चक्कर में रेल किराया बढ़ाने का विरोध करने का स्वांग रचा था। सूत्रों की मानें तो ममता को रेल बजट के बारे में सब कुछ पहले से ही पता था। पर अगर रेल मंत्री इस बात को स्वीकार करते तो बजट की गोपनीयता भंग होने के आरोपों से निपटना काफी मुश्किल होता।
सूत्रों ने कहा कि ममता बनर्जी के संज्ञान में इस बात को लाया गया है कि दिनेश त्रिवेदी द्वारा कार्पोरेट कल्चर अपनाया जा रहा है। बड़े उद्योगपतियों से वे अपने घर पर मिलकर वारे न्यारे करने में जुटे हुए हैं। इस बात में सच्चाई कितनी है यह तो वे ही आने किन्तु ममता बनर्जी को यह भी बताया गया है कि दिनेश त्रिवेदी द्वारा त्रणमूल के कार्यकर्ताओं और ममता बनर्जी के खासुलखास लोगों से पर्याप्त दूरी बना ली गई है।
चर्चा है कि पश्चिम बंगाल में खासी दखल रखने वाले कांग्रेस के एक केंद्रीय मंत्री के बेहद करीबी मुकुल राय को रेल मंत्री बनवाने हेतु लाबिंग आरंभ हो चुकी है। इधर, ममता के करीबी सूत्रों ने यह भी बताया कि इस बार रेल बजट में दिनेश त्रिवेदी ने अनेक घोषणाएं उक्त केंद्रीय मंत्री की सिफारिश पर ही की हैं। यह सब डिनर डिप्लोमेसी में ही तय हो गया था कि उक्त केंद्रीय मंत्री के इशारे पर क्या क्या किया जाना है रेल बजट में।
इधर, प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी और त्रणमूल कांग्रेस द्वारा रेल बजट का विरोध कर एक तीर से कई निशाने साधे जा रहे हैं। पीएमओ के सूत्रों ने कहा कि ममता बनर्जी रेल बजट का विरोध कर दिनेश त्रिवेदी को साईज में लाने के साथ ही साथ अपने हित साधना चाह रही हैं। रेल बजट पास करवाने जब कांग्रेस द्वारा त्रणमूल कांग्रेस को राजी करने का प्रयास किया जाएगा तब ममता बनर्जी केंद्र सरकार से पश्चिम बंगाल के लिए अच्छा खास पैकेज झटक लेंगी।

संघ ने कुलस्ते को दिया राज्य सभा के लिए ग्रीन सिग्नल


संघ ने कुलस्ते को दिया राज्य सभा के लिए ग्रीन सिग्नल



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश में रिक्त होने वाली राज्य सभा सीटों पर घमासान तेज हो गया है। पांच सदस्य इस साल दो अप्रेल को सेवानिवृत होने वाले हैं। उनके स्थान पर नए चेहरों की तलाश भाजपा और कांग्रेस में तेज हो गई है। विधायकों की तादाद के हिसाब से इस बार एक सीट कांग्रेस तो तीन सीट भाजपा को मिलेगी और एक पर टसल रहने की उम्मीद जताई जा रही है।
कांग्रेस की एक सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी की दावेदारी सबसे प्रबल है। उत्तराखण्ड में सुरेश पचौरी की रणनीति कारगर रही और वहां कांग्रेस की सरकार काबिज हो गई है। गौरतलब है कि वैसे भी सुरेश पचौरी कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के बेहद करीबी और विश्वस्त हैं। पहले भी चार बार राज्य सभा के रास्ते सुरेश पचौरी चोबीस साल तक केंद्रीय राजनीति में रहे हैं। कांग्रेस द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व राज्य सभा प्रत्याशी रहे विवेक तन्खा पर एक बार फिर दांव लगाने का विचार बनाया जा रहा है।
उधर, भाजपा में सेवानिवृत्त होने वाले मेघराज जैन, नारायण सिंह, कप्तान सिंह सोलंकी, विक्रम वर्मा और अनुसुईया उईके पुनः राज्यसभा में दावेदारी के लिए लालायित दिख रहे हैं। छिंदवाड़ा मूल की राज्य सभा सदस्य अनुसुईया उईके द्वारा राज्य सभा के छः साल के कार्यकाल में छिंदवाड़ा में भाजपा को लाभ न दिला पाने के चलते उनकी पुर्नवापसी संदिग्ध ही प्रतीत हो रही है। कांग्रेस के कद्दावर नेता कमल नाथ की घुर विरोधी समझी जाने वालीं अनुसुईया उईके ने कमल नाथ के कद को भी छिंदवाड़ा में कम नहीं किया है।
दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंजके भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि नोट फार वोट कांड में प्रताड़ित हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह उईके को अनुसुईया उईके के स्थान पर राज्य सभा में भेजने के लिए संघ के आला नेताओं ने अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है। शेष नामों पर अभी संघ के आला नेता सर जोड़कर बैठे हुए हैं।