सोमवार, 5 मार्च 2012

भाड में जाए संगठन




मध्‍य प्रदेश के उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्‍ल शनिवार को सिवनी जिले के घंसौर में मशहूर उदयोगपति गौतम थापर के स्‍वामित्‍व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्‍ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्‍लांट में अनेक कामों की आधार शिला रखने घंसौर पहुंचे। दौरा इतना गुपचुप था कि जिला भाजपा और स्‍थानीय विधायक को भनक तक नहीं लग पाई। मंत्री महोदय ने जिला भाजपा संगठन और स्‍थानीय विधायक को ठेंगा दिखाया। गौतम थापर को प्रसन्‍न करने अनेक कामों की आधार शिला रखी और उड लिए सिवनी से। भाजपा संगठन और विधायक हैरत में हैं कि उनकी उपेक्षा आखिर सरकार कैसे कर सकती है

चर्चा में मशगूल मंत्री जी



मध्‍य प्रदेश के उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्‍ल शनिवार को सिवनी जिले के घंसौर में मशहूर उदयोगपति गौतम थापर के स्‍वामित्‍व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्‍ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्‍लांट में अनेक कामों की आधार शिला रखने घंसौर पहुंचे। भ्रमण के दौरान उर्जा सचिव मोहम्‍मद सुलेमान से चर्चारत मंत्री महोदय। जिला भाजपा और स्‍थानीय विधायक यहां भी नहीं।

मंत्री जी ने कर दिया वृक्षारोपण




मध्‍य प्रदेश के उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्‍ल शनिवार को सिवनी जिले के घंसौर में मशहूर उदयोगपति गौतम थापर के स्‍वामित्‍व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्‍ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्‍लांट में अनेक कामों की आधार शिला रखने घंसौर पहुंचे। संयंत्र प्रबंधन ने तो वृक्षारोपण पर ध्‍यान नहीं दिया पर मंत्री जी ने लगा दिया पौधा। गौरतलब बात यह है कि क्षेत्रीय लखनादौन की विधायक श्रीमति शशि ठाकुर और जिला भाजपा ने इस कार्यक्रम का अघोषित बहिष्‍कार किया

चल दिए मंत्री जी प्‍लांट की ओर




मध्‍य प्रदेश के उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्‍ल शनिवार को सिवनी जिले के घंसौर में मशहूर उदयोगपति गौतम थापर के स्‍वामित्‍व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्‍ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्‍लांट में अनेक कामों की आधार शिला रखने घंसौर पहुंचे। उनके साथ सिवनी के पूर्व कलेक्‍टर और उर्जा सचिव मोहम्‍मद सुलेमान एवं वर्तमान कलेक्‍टर अजीत कुमार भी दिख रहे हैं

यह आया मंत्री जी का हेलीकाप्‍टर


मध्‍य प्रदेश के उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्‍ल शनिवार को सिवनी जिले के घंसौर में मशहूर उदयोगपति गौतम थापर के स्‍वामित्‍व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्‍ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्‍लांट में अनेक कामों की आधार शिला रखने घंसौर पहुंचे। दौरा इतना गुपचुप था कि जिला भाजपा और स्‍थानीय विधायक को भनक तक नहीं लग पाई।

युवराज या अपनी टीम बना रहे पुलक!


ये है दिल्ली मेरी जान



(लिमटी खरे)

युवराज या अपनी टीम बना रहे पुलक!
देश के सबसे ताकतवर नौकरशाह 1974 बैच के यूपी काडर के आईएएस पुलक चटर्जी इन दिनों काफी व्यस्त नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में पुलक चटर्जी का इकबाल जबर्दस्त तरीके से बुलंद है। उन्हें अभी राज्य मंत्री का दर्जा नहीं मिला है फिर भी उन्हें बेहद बड़ा बंग्ला आवंटित कर दिया गया है। पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि कैबनेट मंत्री और राज्य मंत्री सर झुकाकर पुलक चटर्जी का अभिवादन करते हैं। सूत्रों ने बताया कि पुलक चटर्जी को कहा गया है कि वे कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की ताजपोशी का इंतजाम पुख्ता करें। इसलिए पुलक इन दिनों राहुल गांधी के मिजाज के हिसाब से टीम बनाने में जुटे हुए हैं। मूलतः संजय गांधी की खोज पुलक ने गांधी परिवार को पूरी तरह सिद्ध कर रखा है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि अगस्त 2013 में सेवानिवृत होने के बाद बाबू मोशाय भी अपनी सियासी पारी आरंभ कर सकते हैं इसलिए वे वर्तमान में राहुल के बजाय अपनी टीम बनाने में जुटे हुए हैं।

हिन्दुस्तां की सरज़मीं पर फिर गोरों की फोज!
दुनिया के चौधरी अमरीका के सबसे ताकतवर कार्यालय पेंटागनके एक शीर्ष कमांडर का खुलासा चौंकाने वाला है। एडमिरल राबर्ट विलार्ड ने कहा है कि आतंकवाद विशेषकर लश्कर ए तैयबा से निपटने के लिए अमरीका का फौजी दस्ता भारत सहित नेपाल, श्रीलंका, बंग्लादेश, मालद्वीव में तैनात है। एडमिरल विलार्ड ने संसद की समिति में सांसद जॉय विलियम्स के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है। यह खबर अपने आप में चौंकाने वाली इसलिए है क्योंकि भारत सरकार का रक्षा मंत्रालय इस तरह की खबरों को सिरे से नकार रहा है। देश में उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनावों के बाद सियासी समीकरणों के बीच अब राजनैतिक बियावान में अमरिका उवाच और भारत सरकार के खण्डन के निहितार्थ ढूंढे जा रहे हैं कि आखिर क्या वजह है कि अमरिका इस बात को हवा दे रहा है कि उसकी गोरी फोजें भारत की सरज़मीं पर हैं और भारत सरकार इसका खण्डन करने पर आमदा है! एक बार ब्रितानी गोरों की फौज ने देश पर शासन किया अब लगता है दुनिया का चौधरी भी हिन्दुस्तान फतह का ताना बाना बुन रहा है।

मेडम माया का शनि भारी!
उत्तर प्रदेश में एक्जिट पोल के आंकड़ों को देखकर लगने लगा है कि यूपी में त्रिशंकु सरकार बनने के आसार हैं। सरकार अगर बनी तो सभी को सायकल (समाजवादी पार्टी) की सवारी गांठने पर मजबूर होना पड़ेगा। कांग्रेस का पंजा सायकल के हेंडल पर रखा नजर आ रहा है। संभवतः यही कारण है कि वोटिंग पूरी होते ही एनआरएचएम घोटाले में सीबीआई ने यूपी के हेल्थ मिनिस्टर बाबू सिंह कुशवाह को धर पकड़ा। सियासी जानकार कहते हैं कि यह सब मायावती पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस के रणनीतिकारों द्वारा चली गई चाल के अलावा और कुछ नहीं है। गौरतलब है कि पहले भी सीबीआई को कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के इशारों पर चलने के आरोप लगते रहे हैं। इसके पहले भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते मायावती ने कुशवाह को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। माना जा रहा है कि कुशवाह ने 19 फरवरी को नो घंटे चली पूछताछ में अहम बातें उगलीं थीं, यही कारण है कि सीबीआई ने पुनः उन्हें अपने कब्जे में ले लिया है।

क्या अस्त हो जाएगा धु्रव तारा!
मध्य प्रदेश के भाजपा विधायक ध्रुव नारायण सिंह से शहला मसूद हत्याकांड के सिलसिले में सीबीआई ने पूछताछ आरंभ कर दी है। धु्रव नारायण सिंह पहले पर्याटन विकास निगम के अध्यक्ष रह चुके हैं, उस दौरान उनकी कारगुजारियों पर भी सीबीआई की नजर है। भाजपा के 11, अशोक रोड़ स्थित नेशनल ऑफिस के सूत्रों का कहना है कि दरअसल, धु्रव नारायण सिंह की पत्रकारों से खासी छनती है। उन पर एमपी के निजाम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ माहौल बनाने के आरोप दबी जुबान से लगते रहे हैं।  चर्चा है कि धु्रव नारायण सिंह मण्डली द्वारा शिवराज के खिलाफ बातें ऑफ द रिकार्ड हवा में उछाल कर चौहान की नाक में दम कर रखी थी। वैसे यह बात भी सियासी गलियारों में है कि धु्रव नारायण की सीढ़ी पर चढ़कर सीबीआई पत्रकार से राजनेता बने संसद सदस्य तरूण विजय की गिरेबान तक अपने हाथ ले जा सकती है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भले ही सिंह को क्लीन चिट दे रही हों पर माना जा रहा है कि उनकी सियासी दखल अब समाप्त होने को ही है।

मुश्किल में माल्या
मंहगी शराब की बोतलें और वर्ष 2012 के अर्धनग्न कलेंडर बांटकर सांसदों को अपने पक्ष में करने का सपना देखने वाले शराब व्यवसायी कम राजनेता विजय माल्या की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। माल्या के स्वामित्व वाली किंगफिशर एयरलाईंस के चालीस खाते सेवाकर विभाग द्वारा सील कर दिए गए। माल्या की कंपनी पर सत्तर करोड़ रूपए बकाया थे, जिनमें से माल्या ने तीस करोड़ रूपए अदा कर दिए हैं। उधर, विजय पुत्र सिद्धार्थ की सिने तारिका दीपिका पदुकोण से दूरियां बढ़ चुकी हैं। आईपीएल के दौरान खुशी से चहककर सिद्धार्थ के सीने लगने वाली दीपिका ने एक एवार्ड सेरेमनी में सिद्धार्थ से पर्याप्त दूरी बनाकर रखी। पिता पुत्र की कारस्तानियां गजब ढा रही हैं। आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि आईपीएल में करोड़ों अरबों रूपए की टीम खरीदकर कई गुना मुनाफा कमाने वाले विजय माल्या का प्रबंधन इतना खराब कैसे कहा जा सकता है कि उनके स्वामित्व वाली एयरलाईंस जमीन से उठ ही नहीं पा रही है।

. . . और निकाल दी उमा की हवा!
सियासत भी बड़ी ही अज़ीब चीज है। इसमें सब कुछ संभव है। उत्तर प्रदेश में अंतिम दौर के दरम्यान भाजपा नेतृत्व ने तेज तर्रार साध्वी उमा भारती को आगे बढ़ाते हुए उन्हें महिमा मण्डित किया। गड़करी के ग्रीन सिग्नल से उमा भारती पूरे जोश में आ गईं। अब सियासी जानकार गड़करी के इस तीर की तहेदिल से दाद दे रहे हैं। दरअसल, उमा भारती के तेवर काफी तल्ख माने जाते हैं। पूर्व में उन्होंने अपने पिता समान का दर्जा दिए गए आड़वाणी को नहीं बख्शा तो फिर बाकी की बिसात ही क्या? उमा भारती ने अपनी पार्टी बनाई फिर गड़करी उन्हें वापस भाजपा में ले आए। सियासी पण्डितों के अनुसार नितिन गड़करी उम्मीद से ज्यादा चतुर नजर आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अगर भाजपा औंधे मुंह गिरती है तो उमा भारती का राजनैतिक जीवन अस्ताचल की ओर जाना सुनिश्चित है। कहा जा रहा है कि गड़करी ने नेताओं की घर वापसी अवश्य ही की है किन्तु एक एक कर वे सभी की पैनी धार को बोथला करने में जुटे हुए हैं ताकि भविष्य में ये भाजपा को नश्तर की भांति न चुभ सकें।

सत्ता और संगठन में दरार!
देश के हृदय प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के सूूबाई अध्यक्ष प्रभात झा के बीच भले ही मुस्कुराहट तैर रही हो किन्तु अंदर ही अंदर दोनों ही एक दूसरे के खिलाफ तलवार पजा रहे हैं। भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने नाम उजागर न होने की शर्त पर कहा कि सत्ता और संगठन के बीच रार का नज़ारा हाल ही में सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में देखने को मिला। घंसौर में अवंथा समूह के मालिक गौतम थापर द्वारा एक पावर प्लांट लगाया जा रहा है। इस संयंत्र में आदिवासियों के शोषण और अनेक गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगते आए हैं। शिव के गण (उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल) ने संयंत्र में जाकर अनेक कामों की आधारशिला रखी। गौतम थापर के गण (संयंत्र प्रबंधन) ने इस कार्यक्रम में स्थानीय विधायक श्रीमति शशि ठाकुर और प्रभात झा के गण (जिला भाजपा के पदाधिकारियों) को बुलाना उचित नहीं समझा। मेसर्स झाबुआ पावर की इस हरकत से जिला भाजपा का गुस्सा उफान पर है। उन्होंने कहा कि अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी. . .।

राजमाता पर संकट के बादल
कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी अपनी रहस्यमय बीमारी के लिए अमेरिका गई हैं। अमेरिका में सिख समुदाय ने सोनिया के अमेरिका में होने का विरोध किया है। दरअसल, 1984 के दंगों की आग में आज भी कांग्रेस झुलस रही है। केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के खिलाफ भी सिख्ख समुदाय में रोष और असंतोष उबाल पर है। कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा में सिख्ख मतदाताओं की बड़ी तादाद उनके लिए परेशानी का सबब बन सकती है। कांग्रेस अब मुश्किल में है, कि अपनी नेशनल प्रेजीडेंट के अमरीका में सिख्खों के जबर्दस्त विरोध का वह क्या करे। देश के वज़ीरेआजम डॉ.मनमोहन सिंह भी सिख्ख ही हैं। गौरतलब है कि 65 वर्षीय सोनिया गांधी पिछले साल अगस्त में अपनी बीमारी के इलाज के लिए विदेश गई थीं। बताया जाता है कि सर्जरी के बाद टीम सोनिया जिस अपार्टमेंट में रूकी थी उसका किराया अठ्ठारह लाख रूपए रोजना था। इस तरह की सादगी और देशप्रेम पर हर कोई मर मिटे।

दिग्विजय विरोधी हुए सक्रिय
कांग्रेस की नजर में भविष्य के वज़ीरे आज़म राहुल गांधी के अघोषित गुरू राजा दिग्विजय सिंह की मुखालफत करने वाले अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कांग्रेस के अंदर घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। दिग्विजय सिंह के पतन का इंतजार करने वाले नेताओं ने रणनीति तैयार कर ली है कि अगर यूपी में कांग्रेस के खाते में सौ से कम सीटें मिलीं तो दिग्विजय सिंह पर इसकी गाज गिर सकती है। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश की जमीनी हालत को देखकर युवराज राहुल गांधी को यूपी में झोंकने आ ओचित्य नहीं था। अगर यूपी में कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहता है तो निश्चित तौर पर इससे कांग्रेस को नुकसान के साथ ही साथ युवराज राहुल गांधी की साख को बट्टा लगना तय है। जब सारी बातें सोनिया गांधी के सामने रखीं गईं तब सोनिया की आंखें खुलीं, पर तब तक तीर कमान से निकल चुका था।

बची रहेगी त्रिवेदी की नौकरी
त्रणमूल कोटे से रेल मंत्री बने दिनेश त्रिवेदी के लिए राहत की बात है कि उनकी नौकरी कुछ दिन ओर बची रहेगी। पूर्व में कांग्रेस और त्रणमूल कांग्रेस के बीच चल रही रस्साकशी और बयानबाजी से लगने लगा था कि बजट के आसपास ममता बनर्जी अपने मंत्रियों को सरकार से बाहर कर लेंगी। रेल मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी बेहद उहापोह में थे कि न जाने कब उन्हें कुर्सी छोड़ने का फरमान जारी कर दिया जाए। त्रणमूल कांग्रेस अचानक ही बैकफुट पर नजर आ रही है। मीडिया में रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी और त्रणमूल कांग्रेस सुप्रीमो सुश्री ममता बनर्जी के बीच अनबन की खबरों के आने के चार पांच माह तक त्रणमूल कांग्रेस ने खामोशी ही अख्तियार कर रखी थी। अचानक ही त्रणमूल के आला नेता सक्रिय नजर आए और उन्होंने ममता और त्रिवेदी के बीच खटास की अफवाहों को सिरे से खारिज करना आरंभ कर दिया।

पण्डित गड़करी का नया रूप
भारतीय जनता पार्टी के निजाम नितिन गड़करी को उत्तर प्रदेश में ना जाने क्या क्या जतन करने पड़े। यूपी में उन्हें अपनी जात को भी उकेरना पड़ा। 65 साल के युवा गड़करी ने छात्र जीवन से लेकर अब तक कभी अपनी जात का उल्लेख नहीं किया। यूपी में पोस्टर्स और विज्ञापनों में नितिन गड़करी को पण्डित नितिन गड़करी के रूप में प्रचारित किया गया। दरअसल, यूपी के 23 जिलों में ब्राम्हणों का वर्चस्व है। साथ ही साथ अधिकांश जिलों में जाट जाटव के मुकाबले ब्राम्हण मत निर्णायक ही रहता है। कम ही लोगा जानते हैं कि मूलतः महाराष्ट्र की संस्कारधानी नागपुर से सियासी सफर तय करने वाले नितिन गड़करी देशस्थ ब्राम्हण हैं। पहली बार गड़करी के नाम के आगे पण्डित लगाने का कितना लाभ उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिल पाएगा यह बात तो एक दो दिन में ही साफ हो जाएगी, पर गड़करी का नया रूप चौंकाने वाला अवश्य ही माना जा रहा है।

पुच्छल तारा
कांग्रेस के आला नेता पूरा जोर लगा रहे हैं कि नेहरू गांधी परिवार की वर्तमान पीढ़ी यानी राहुल गांधी के हाथों देश की बागडोर सौंप दी जाए। इसी पर आधारित एक ईमेल अभय नायक ने रायपुर छत्तीसगढ़ से भेजा है। अभय लिखते हैं कि खबर है कि प्रधानमंत्री कार्यालय को राहुल गांधी के लिए सजाया जा रहा है। क्यों न सजाया जाए भई! राहुल को सलाह दी है कि अभी बन जाओ प्रधानमंत्री पता नहीं 2014 में कांग्रेस सत्ता में आए या नहीं। कम से कम जीवन भर पूर्व प्रधानमंत्री की सुख सुविधाएं और प्रोटोकाल का लाभ तो मिलता ही रहेगा।