शनिवार, 31 मार्च 2012

. . . मतलब कांग्रेसी धुरंधरों ने तैयार किया था रेल बजट


. . . मतलब कांग्रेसी धुरंधरों ने तैयार किया था रेल बजट

त्रिवेदी पर डोरे डाल रही कांग्रेस

पित्रोदा थे दिनेश के सलाहकार


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश का रेल बजट पेश कर उसे पास करवाने के पहले ही बली चढ़ गए त्रणमूल कांग्रेस के कोटे वाले रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी पर कांग्रेस का दिल आ गया है। दरअसल, वित्त मंत्री और योजना आयोग के उपध्यक्ष के इशारों पर तैयार रेल बजट को त्रिवेदी ने महज पेश कर त्रणमूल सुप्रीमो की नाराजगी मोल ले ली, परिणाम स्वरूप उन्हे लाल बत्ती से हाथ धोना पड़ा। ममता बनर्जी का गुस्सा यद्यपि अब शांत हो गया है फिर भी दिनेश त्रिवेदी के प्रति उनका रवैया वही पुराना ही नजर आ रहा है।
कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी के सरकारी आवास) के भरोसे मंद सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सोनिया गांधी को मशविरा दिया था कि अगर दिनेश त्रिवेदी को साध लिया जाए तो बार बार कांग्रेस को हड़काकर हलाकान करने वाली त्रणमूल कांग्रेस में सेंध लगाई जा सकती है। सोनिया को यह बात जंच गई।
सूत्रों ने आगे कहा कि सोनिया की मंशा से दिनेश त्रिवेदी को आवगत करवाया गया दिया गया। इसके बाद रेल बजट की तैयारी योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और संचार क्रांति के जनक सैम पित्रोदा की देखरेख में आरंभ हुई। इन तीनों धुरंधरों ने एक तकनीक को ही तवज्जो दी कि किस तरह ‘‘पैसे‘‘ का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर आम आदमी को कन्फयूज किया जाए और ज्यादा शोर शराबा भी ना हो सके।
उधर, ममता के करीबी सूत्रों का कहना है कि रेल बजट के तीन दिन पहले दिनेश त्रिवेदी ने रेल बजट की प्रति ममता को अवलोकनार्थ भेजी थी। व्यस्तता के चलते ममता बनर्जी उसे पढ़ नहीं सकीं। उन्हें पूरा यकीन था कि उनके निर्देशों का अक्षरशः पालन दिनेश त्रिवेदी द्वारा किया जाकर शयनायन और एसी थर्ड के किराए में कम से कम इजाफा तो नहीं किया जाकर यथावत रखा जाएगा। सूत्रों ने आगे बताया कि जैसे ही यह बात ममता के संज्ञान में लाई गई कि रेल बजट कांग्रेस के क्षत्रपों और दिनेश त्रिवेदी के खासुलखास पित्रोदा की देखरेख में बना है वैसे ही ममता के गुस्से का ठिकाना नहीं रहा। ममता बनर्जी ने कांग्रेस की छाती पर घुटना रखते हुए दिनेश त्रिवेदी के स्थान पर मुकुल राय को रेल मंत्री बनाने और एसी थर्ड एवं शयनायन श्रेणी के किराए में बढोत्तरी को वापस लेने का दबाव बना दिया।
ममता के दबाव के बाद एक बार फिर कांग्रेस के ट्रबल शूटर्स सिर जोड़कर बैठे। दस जनपथ के सूत्रों ने बताया कि बाद में यह तय किया गया कि ममता की बात अगर मान ली जाती है तो ना केवल सरकार की कुर्सी के चारों पाए सुरक्षित रहेंगे वरन् ममता बनर्जी भी भाजपा के साथ गठबंधन करने की स्थिति में नहीं रहेंगीं। इस तरह ममता की मदद से सरकार द्वारा बजट को पास करवा लिया जाएगा।
दिनेश त्रिवेदी की रसोई से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो त्रिवेदी के मित्र सैम पित्रोदा वास्तव में दिनेश त्रिवेदी के सही सलाकार हैं। पित्रोदा का घर वैसे तो दक्षिण दिल्ली में है पर वे ज्यादातर समय त्रिवेदी के आवास पर ही बिताते हैं। रेल बजट पेश करने के बाद भी त्रिवेदी और पित्रोदा दोनों ही दो घंटे तक सर जोड़कर बैठे रहे। बाद में त्रिवेदी के आवास से ही पित्रोदा ने प्रधानमंत्री को फोन कर पूछा था कि क्या त्रिवेदी को त्यागपत्र दे देना चाहिए? इस पर डॉ.मनमोहन सिंह ने त्रिवेदी को रोक दिया था। कहते हैं यह बात भी ममता बनर्जी के संज्ञान में लाई जा चुकी है।

झारखण्ड में रास चुनाव रद्द


झारखण्ड में रास चुनाव रद्द


उत्तराखण्ड में जीती कांग्रेस

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। निर्वाचन आयोग ने झारखंड में सदस्यों की खरीद-फरोख्त के आरोपों और दो करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद होने के मद्देनजर राज्यसभा चुनाव रद्द कर दिया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी के नेतृत्व में पूर्ण निर्वाचन आयोग ने कल नई दिल्ली में कहा कि झारखंड में राज्यसभा चुनाव के लिए  चुनाव प्रक्रिया का गंभीर उल्लंघन हुआ है इसलिए इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति से १२ मार्च की अधिसूचना को निरस्त करने की सिफारिश की है। यह अधिसूचना झारखंड में राज्यसभा के दो सदस्यों का चुनाव करने के लिए जारी की गई थी।
उधर, उत्तराखंड में राज्यसभा चुनाव में कल कांग्रेस उम्मीदवार महेंद्र सिंह माहरा ने भारतीय जनता पार्टी के अनिल गोयल को आठ मतों से हरा दिया। मुख्य चुनाव अधिकारी राधा रतूड़ी ने बताया कि श्री माहरा को ३९ मत मिले जबकि श्री गोयल को ३१ मत ही मिल पाए। उन्होंने कहा कि एक मनोनीत सदस्य को छोड़कर विधानसभा के सभी सदस्यों ने मतदान में भाग लिया।

सीबीआई ने सेना मामले में बढाई सक्रियता


सीबीआई ने सेना मामले में बढाई सक्रियता

(प्रियंका श्रीवास्वत)

नई दिल्ली (साई)। सी बी आई ने सरकार के स्वामित्व वाली भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड-बी ई एम एल के जरिए सेना को हर तरह के रास्तों के लिए टाट्रा के ट्रकों की सप्लाई के बारे में एक मामला दर्ज किया है। हमारे संवाददाता ने बताया है कि सी बी आई ने वैक्ट्रा गु्रप के अध्यक्ष रवि ऋषि को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। ऋषि, टाट्रा में एक बड़े साझीदार हैं। सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने आरोप लगाया था कि ट्रकों की खरीद की फाइल का निपटारा करने के लिए उन्हें १४ करोड़ की रिश्वत की पेशकश की गई थी। इसके बाद ही यह मामला जांच के दायरे में आया ।
अपराधों के मामले में सीबीआई अब सख्त होती नजर आ रही है। सी.बी.आई इंग्लैंड, अमरीका और संयुक्त अरब अमीरात में अपने अधिकारियों को तैनात करेगा ताकि उसके न्यायिक अनुरोधों पर कार्रवाई करने के लिए वहां की कानूनी एजेंसियों के साथ तालमेल बनाया जा सके। सी.बी.आई निदेशक ए. पी. सिंह ने कल नई दिल्ली में कहा कि गृह मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

दिनेश गौतम बने सर्वश्रेष्ठ न्युज एंकर


दिनेश गौतम बने सर्वश्रेष्ठ न्युज एंकर


(दीपक आचार्य)

नई दिल्ली (साई)। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सबसे प्रतिष्ठित और विश्वसनीय पुरस्कारों में से एक एन टी अवार्ड ने बीते दिन टेलिविजन न्युज की दुनिया में अलग अलग श्रेणियों के लिये पुरस्कारों की घोषणा की। इस तारतम्य में सहारा समय राष्ट्रीय के प्राईम टाईम न्युज एंकर दिनेश गौतम को हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ न्युज एंकर के अवार्ड से अलंकृत किया गया।
आई टी वी द्वारा इस चमचमाते कार्यक्रम को होटल द ललित, नई दिल्ली में २८ मार्च को आयोजित किया गया। ज्ञात हो कि सन २००७ से आई टी वी इन अवार्ड को टीवी न्युज इंड्स्ट्री के होनहार पत्रकारों को देता आ रहा है। टीवी न्युज इंड्स्ट्री में इन अवार्ड को काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है। दिनेश गौतम छिंदवाडा की माटी में पले और बढे है।
इन्होंने स्कूली शिक्षा गवर्नमेंट स्कूल और दानियलसन कालेज से महाविद्यालयीन शिक्षा प्राप्त की है। स्थानिय केबल नेटवर्क अपना चौनल में सन १९९५ से अपने करियर की शुरूआत कर राष्ट्रीय पटल पर पताका फ़हराने वाली इस शख्सियत को इस उंचाई पर देख सारा छिंदवाडा गौरान्वित महसूस कर रहा है।
दिनेश नें इंडियन इंस्टीट्युट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली से पत्रकारिता की डिग्री हासिल की। राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली दूरदर्शन से अपने करियर की शुरूआत कर इन्होनें जी न्युज में काफ़ी समय तक बतौर प्रमुख न्युज एंकर काम किया और २००५ से प्रमुख न्युज एंकर के तौर पर फ़िलहाल सहारा समय राष्ट्रीय के साथ काम कर रहें हैं।
अपनी इस उपलब्धि पर दिनेश का कहना है कि ये सफ़र इतना आसान नहीं रहा जितना आज दिखाई दे रहा है, हलांकि अपनी सारी उपलब्धियों का श्रेय वे अपने माता-पिता और भाई को देते है, जिन्होंने हर कदम पर इनका साथ दिया और इनका मनोबल ऊँचा बनाए रखा। दिनेश की इस उपलब्धि से ना केवल कमल नाथ की कर्मभूमि छिंदवाड़ा वरन् संपूर्ण मध्य प्रदेश गौरान्वित है और उन्हें तमाम मित्रों और शुभचिंतकों की ओर से बधाईयों का तांता लगा हुआ है।

नई दुनिया हो गया नेशनल दुनिया!


नई दुनिया हो गया नेशनल दुनिया!

 

 

(कार्यालय डेस्क)


नई दिल्ली (साई)। बड़े अरमान से दिल्ली दरबार में दस्तक देने आया नई दुनिया नष्ट हो गया. जब अखबार दिल्ली आया था तब उसके लिए नारा गढ़ा गया था कि खबर वह है जो नई दुनिया छापता है. यानी बाकी के अखबार जो कुछ छापते हैं वह कूड़ा है. लेकिन कैसा दुर्भाग्य रहा इस अखबार का कि जिन आलोक मेहता को बड़े अरमानों से नई दुनिया समूह ने अपना समूह संपादक बनाया था उन आलोक मेहता ने अखबार के साथ इतना अधिक अखबारी अत्याचार किया कि अखबार ज्यातातर कूड़ाघर की शोभा ही बढ़ाता रहा. कैसा दुखद संयोग है कि खबर की तलाश में जब हम नई दुनिया के नई दिल्ली स्थित आफिस पहुंचे तो 26 मार्च का छपा हुआ नई दुनिया का एक बंडल जमीन पर पड़ा हुआ मिला. अंदर नेशनल दुनिया का काम चल रहा है.
तो क्या नई दुनिया ने दिल्ली में अपना नाम बदलकर नेशनल दुनिया कर लिया? नहीं. आलोक मेहता की ष्कृपाष् से नई दुनिया की जो नियति होनी थी वह हो गई. नई दुनिया की जगह कनाट प्लेस के ओंकारदीप बिल्डिंग से अब नेशनल दुनिया छप रहा है. यह नेशनल दुनिया आलोक मेहता का अपना अखबार है जिसका पहला संस्करण आज दिल्ली के मीडिया मार्केट में फेंका जा चुका है.
जब हम नई दुनिया कार्यालय के बाहर खड़े थे, तब तारीख थी 30 मार्च और समय था शाम के साढ़े सात बजे. कनाट प्लेस के इनर और आउटर सर्कल के बीच में जो एक तीसरा सर्कल है वहां एक बीयर बार के सामने नई दुनिया का दफ्तर बनाया गया था. लेकिन 30 मार्च की शाम बाहर बोर्ड अभी भी नई दुनिया का ही नजर आ रहा था लेकिन अंदर नजारा बदल गया था. अंदर नेशनल दुनिया का काम हो रहा था. आप कह सकते हैं कि आलोक मेहता ने नई दुनिया को नष्ट करने के बाद उसके दफ्तर पर कब्जा कर लिया है और अब वे वहीं से अपना अखबार निकाल रहे हैं.
आलोक मेहता के नेशनल दुनिया का पहला संस्करण 30 मार्च को बाजार में आ चुका है. सूत्र बता रहे हैं कि अखबार एक दिन की तैयारी से निकला है. कोई डमी नहीं. कोई प्रयोग नहीं. इसी दफ्तर से कल नई दुनिया छपा था, आज नई नेशनल दुनिया निकल गया. नीचे पहुंचने पर कुछ पत्रकारनुमा प्राणी आवाजाही करते नजर आये. भगदड़ का माहौल तो नहीं था लेकिन माहौल में तेजी साफ दिखाई दे रही थी. नीचे बैठे एक नौजवान से बोर्ड देखने के बाद भी जब हमने जानना चाहा कि नई दुनिया का आफिस यही है तो उसने पुष्टि कर दी. इसके बाद जब पूछा कि नया वाला अखबार का दफ्तर कहां है तो उसने कहा कि वही है. बाकी बची कसर नई दुनिया के दफ्तर के बाहर बैठे गार्ड ने पूरी कर दी. हमने एक वरिष्ठ पत्रकार का नाम लिया कि वे आये हैं क्या तो उसने कहा कि हम एक दिन पहले ही नौकरी पर आये हैं इसलिए यहां किसी को पहचानते नहीं है. बात और साफ हो गई.
तो क्या आलोक मेहता ने नई दुनिया के दफ्तर पर कब्जा कर लिया? पता नहीं. लेकिन अखबार के दफ्तर के अंदर नेशनल दुनिया का ही काम चल रहा था. हालांकि जो अखबार छपकर 30 मार्च को मार्केट में आया है उसमें कनाट प्लेस वाले दफ्तर का पता नहीं है बल्कि आलोक मेहता के घर नवभारत टाइम्स अपार्टमेन्ट का पता दिया हुआ है. इस नेशनल दुनिया के लिए लिखे गये विशेष संपादकीय ष्वही हैं हम, वही है दुनियाष् में आलोक मेहता ने लिखा है कि वही टीम अब आपके लिए नेशनल दुनिया लेकर आ गई है. उसी टीम के अधिकांश लोगों की खबरों के साथ फोटो भी छपी है लेकिन आलोक मेहता ने उस अखबार (नई दुनिया) के बारे में जानकारी नहीं दी है कि उसका क्या हुआ? क्या नई दुनिया ही नेशनल दुनिया बन गया या फिर नई दुनिया का गढ्ढे में गाड़कर यह नया अखबार शुरू कर दिया गया है?
सच्चाई जो भी हो लेकिन सामने यही दिख रहा है कि आलोक मेहता तो वही हैं, लेकिन नई दुनिया अब नहीं है. अब जो है वह नेशनल दुनिया है जो किसी एसबी मीडिया प्रा. लि. का प्रकाशन है जो आनन फानन में दिल्ली के मार्केट में उतार दिया गया है.
(विस्घ्फोट डॉट काम से साभार)