शनिवार, 28 जनवरी 2012

कांग्रेसियों के निशाने पर हैं मेडम मीनाक्षी



कांग्रेसियों के निशाने पर हैं मेडम मीनाक्षी

राहुल की तय गाईडलाईन के खिलाफ जाने का है मामला



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। टीम राहुल की सदस्य और हृदय प्रदेश के मंदसौर की युवा सांसद मीनाक्षी नटराजन इन दिनों कांग्रेस के आला नेताओं के निशाने पर हैं। मीनाक्षी पर आरोप है कि उन्होंने आखिल भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) में राहुल गांधी के द्वारा तय किए गए नियम कायदों का सरेआम माखौल उड़ाया है। मीनाक्षी अपने पसंदीदा उम्मीदवार को एनएसयूआई का अध्यक्ष मनोनीत करवा दिया है।
गौरतलब है कि कांग्रेस की नजरों में भविष्य के वजीरे आज़म और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने एनएसयूआई में अध्यक्ष का चुनाव करवाने का निर्देश दिया था। वहीं दूसरी ओर एनएसयूआई की प्रभारी सचिव मीनाक्षी नटराजन द्वारा एनएसयूआई के अध्यक्ष के चुनाव के बजाए रोहित चौधरी का मनोनयन अंततः करवा ही दिया है।
रोहित चौधरी पर आरोप है कि वे संगठन के लिए निर्धारित 30 वर्ष की आयु सीमा को पार कर चुके हैं। उन पर 84 के सिख्ख दंगों के आरोपी सज्जन कुमार का हाथ होना भी बताया जाता है। चौधरी ने दिल्ली नगर निगम का चुनाव भी लड़ा और वे बुरी तरह पराजित भी हो चुके हैं।
पूर्व अध्यक्ष इडेन के उपरांत मीनाक्षी नटराजन द्वारा एनएसयूआई में दो कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की गई थी। जिनमें से एक राजी जॉन केरल से तो भरत कुमार राजस्थान से कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। दोनों ही नेताओं की कार्यप्रणाली के चलते एनएसयूआई में रोष और असंतोष का वातावरण निर्मित होने लगा था।
उधरएनएसयूआई के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष अनीश सेठी ने दूरभाष पर चर्चा के दौरान कहा कि यह बात अब तक किसी ने भी नहीं कही है कि नेशनल लेबल पर चुनाव करवाए जाएंगे। इस बात को न कभी राहुल गांधी ने कहा है और ना ही किसी अन्य ने। श्री सेठी ने कहा कि देश भर में एनएसयूआई के चुनाव जारी हैं और चुने हुए प्रतिनिधि यह तय करेंगे कि नेशनल प्रेजीडेंट कौन होगा।
जब श्री सेठी से यह पूछा गया कि जब देश भर में चुनाव जारी हैं तब चुने हुए प्रतिनिधियों के आने का इंतजार करने के बजाए एनएसयूआई में नेशनल प्रेजीडेंट कैसे थोप दिया गया तो उन्होंने कहा कि बात को घुमा फिरा कर न कहा जाए। हम राहुल जी की मंशा के अनुरूप ही काम कर रहे हैं। परोक्ष तौर पर एनएसयूआई की प्रभारी सचिव मीनाक्षी नटराजन का बचाव करते हुए सेठी ने अघोषित तौर पर इस बात को भी रेखांकित कर दिया कि जो कुछ हो रहा है वह राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप ही हो रहा है।

हमें सरकारी प्रक्रिया नहीं पता: मिश्रा


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  55

हमें सरकारी प्रक्रिया नहीं पता: मिश्रा

हमारे पास आए जनता और बताए क्या करना है, हम खुद कुछ नहीं करेंगे: महाप्रबंधक



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में डाले जा रहे कोल आधारित पावर प्लांट में सरकारी नियम कायदों की खुलकर अनदेखी की जा रही है। संयंत्र के महाप्रबंधक श्री मिश्रा का कहना है कि उन्हें सरकारी नियम कायदे नहीं पता हैं, अगर जनता को कोई बात मनवानी है तो वह उनके दरवाजे पर आए और गुहार लगाए।
मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के घंसौर स्थित दो चरणों में निर्माणाधीन पावर प्लांट के संबंध में श्री मिश्रा ने दूरभाष पर चर्चा के दौरान कहा कि वे अभी प्लांट में मौजूद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि द्वितीय चरण की लोकसुनवाई के बाद मामला मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के मार्फत केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि एमपी पीसीबी के आला अधिकारी लोकसुनवाई से पूरी तरह संतुष्ट हैं, और उन्हें द्वितीय चरण की अनुमति जल्द ही मिल सकती है।
श्री मिश्रा ने बताया कि संयंत्र प्रबंधन ने ग्राम गोरखपुर, बरेला और बिनेकी में शिक्षक के लिए बोल दिया है। बाउंडरी वाल बनवाई जा रही है। पानी की व्यवस्था के लिए दो दो हेण्ड पंप गोरखपुर और बरेला स्कूल में तो एक बिनेकी स्कूल में खुदवाए गए हैं। एक शाला में कंप्यूटर भी दे दिया गया है। घंसौर में आईटीआई की चालीस सीटें ली गईं हैं।
श्री मिश्रा ने कहा कि क्षेत्र में गुटबाजी होने के कारण संयंत्र प्रबंधन की आफत है। किहीं पर नल लगा देने पर विरोधी गुट नाराज हो जाता है कि फलां के घर के सामने क्यों लगा दिया गया नल। क्षेत्र या सिवनी जिले की जनता को कुछ करवाना है तो वह हमारे पाए आए हमसे निवेदन करे, हम विचार करेंगे कि फलां काम करवाना है अथवा नहीं।
चर्चा के दौरान श्री मिश्रा ने कहा कि सरपंच जो कहते हैं हम वह करने का प्रयास करते हैं। क्षेत्रीय विधायक और सांसद के बारे में श्री मिश्रा ने कहा कि वे उनसे भी चर्चा करते हैं। पर्यावरण बचाने के लिए उन्होंने कहा कि 22 नवंबर 2011 को हुई लोकसुनवाई में जब वृक्षारोपण न करने की बात सामने आई तब उन्होंने संयंत्र के कारीगरों को तत्काल वृक्षारोपण करने के लिए आदेशित किया और दिसंबर माह से अब तक संयंत्र के प्रांगण में लगभग ढाई हजार पौधे लगाए जा चुके हैं।
जब श्री मिश्रा का ध्यान क्षेत्र के प्रायमरी, मिडिल और हाई स्कूल की ओर आकर्षित कराया गया तो उन्होंने कहा कि यह वायदा कंपनी ने कभी भी नहीं किया कि वह प्रायमरी या मिडिल स्तर पर शिक्षा में बढोत्तरी का काम किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रथम चरण के लिए हुई लोकसुनवाई के पूर्व ही जमा कराए गए कार्यकारी सारांश में कंपनी ने पेज 10 पर कंडिका 7.5 में सामाजिक पहलू शीर्षक के तीसरे बिन्दु में साफ लिखा था कि कंपनी शिक्षा में बढोत्तरी का प्रयास करेगी।
श्री मिश्रा ने कहा कि स्कूल में शिक्षकों के लिए उन्होंने बोल दिया है कि शिक्षकों का वेतन कंपनी दे देगी। पर जब उनसे यह पूछा गया कि सरकारी नियम कायदों के तहत सरकारी शालाओं में शिक्षा विभाग स्थापना व्यय की मद में पद और उनका वेतन स्वीकृत करना है, इस व्यवस्था में कंपनी द्वारा दिया गया आश्वासन पूरा होना मुश्किल ही है। अर्थात शिक्षकों की व्यवस्था के मामले में कंपनी प्रबंधन द्वारा दिन में सपने दिखाए जा रहे हैं। इस पर श्री मिश्रा ने कहा कि उन्हें सरकारी नियम कायदों की जानकारी बिल्कुल भी नहीं है।

(क्रमशः जारी)

कांग्रेस को घेरने की तैयारी में हैं ममता


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 77

कांग्रेस को घेरने की तैयारी में हैं ममता

कांग्रेस विरोधी क्षत्रपों को साध रहीं हैं त्रणमूल अध्यक्ष



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और त्रणमूल कांग्रेस के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है। एक तरफ कांग्रेस के रणनीतिकार ममता बनर्जी की घुड़कियों से तंग आकर समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल पर विचार कर रहे हैं तो दूसरी ओर ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस विरोधी पार्टियों के साथ पींगे बढ़ाई जा रही हैं।
त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस को एक के बाद एक झटके देने की तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं। ममता के करीबी सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल पर कब्जा जमाने के बाद अब ममता बनर्जी केंद्र की राजनीति अर्थात दिल्ली फतह का ताना बना बुन रही हैं।
सूत्रों का कहना है कि ममता को मशविरा दिया गया है कि वे दिल्ली में देश भर की पार्टियों के क्षत्रपों को एकजुट कर उनका एक ‘‘दबाव समूह‘‘ बना लें। ममता वैसे भी नवीन पटनायक, प्रकाश सिंह बादल और नितीश कुमार के जीवंत संपर्क में बताई जाती हैं। ममता अपने विश्वस्त साथियों के साथ जयललिता को साधने की जुगत में भी दिख रही हैं।
वैसे ममता बनर्जी के संबंध राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के साथ बेहतरीन ही हैं। आने वाले समय में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा केंद्रीय राजनीति में दबाव टेक्टिस को अपनाया जाता है तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। ममता वैसे भी अपने संगी साथियों को दिल्ली कूच करवाने की तैयारियां कर रही हैं।

(क्रमशः जारी)

उत्तर भारत में हुआ मौसम खुशगवार!


उत्तर भारत में हुआ मौसम खुशगवार!






(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर भारत में हाड़ गलाने वाली सर्दी से कुछ आराम मिलता नजर आ रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान में बढोत्तरी ने लोगों के चेहरों पर चमक ला दी है। उधर, मध्य भारत में गरज के साथ छीटे पड़ने की खबरें हैं। महाकौशल क्षेत्र पानी से सराबोर होने से मैदानी इलाकों में ठण्ड ने अपनी ताकत बढ़ा दी है।
जयपुर साई ब्यूरो से शैलेन्द्र ने समाचार दिया है कि प्रदेश मे न्यूनतम तापमान में फिर गिरावट दर्ज की गई है। राज्य के मैदानी इलाकों में सबसे कम तापमान चूरू में तीन डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। साई संवाददाता ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से जारी सर्दी के कारण वहां जन जीवन प्रभावित हुआ है। पर्वतीय इलाकों में माउंट आबू में तीन दशमलव चार डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।
मौसम विभाग के अनुसार वनस्थली और ऐरनपुरा रोड में पांच, श्रीगंगानगर में पांच दशलमव एक, पिलानी में पांच दशमलव सात, सीकर में पांच दशमल आठ, जयपुर में सात दशमलव एक, बूंदी और सवाईमाधोपुर में साढे सात, बीकानेर में सात दशमलव 6, चित्तौडगढ और जैसलमेर में सात दशमलव आठ और फलौदी में साढे आठ डिग्री सैल्सियस तापमान रहा। इसके अलावा अजमेरमें नौ दशमलव पांच, कोटा में नौ दशमलव सात, जोधपुर में दस दशमलव आठ, बाडमेर और झालावाड में 11, रावतभाटा में 13 दशमलव एक और बांसवाडा में 13 दशमलव चार डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड किया गया।
शिमला साई ब्यूरो से स्वाति सिंह ने खबर भेजी है कि प्रदेश के अंधिकांश भागों में आज आसमान में हल्के बादल छाये रहे और बीच-बीच में धूप खिलती रहीं। जिससे लोगों को ठंड से राहत मिली। इस बीच जनजातिय क्षेत्रों में बर्फबारी से अस्त-व्यस्त जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। किन्नौर जिले में पिछले 3 दिनों से बदाल-चौरा के बीच अवरूद्ध बिजली आपूर्ति बहाल हो गई है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया साईब्यूरो ने यह जानकारी देते हुए बताया कि किन्नौर जिले में अंधिकांश सड़क मार्गो पर यातायात बहाल हो गया है। लाहौल घाटी में भी सम्पर्क मार्गो से बर्फ हटा दी गई है और यातायात सामान्य रूप से चल रहा है। घाटी में मौसम ठीक रहने से हैलिकॉप्टर की उड़ाने भरी गई। शिमला में भी आज आसमान में धूप और छांव की आंख मिचौली चलती रही और शामढलते ही शीतलहर चलने से तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग नेे अगामी 24 घंटों के दौरान राज्यों के निचले व मध्यवर्ती इलाकों में मौसम के शुष्क रहने तथा ऊंची पर्वत श्रृख्लाओं पर वर्षा व हिमपात होने की संभावना जताई है।
शिमला साई ब्यूरो का कहना है कि आने वाले दिनों में प्रदेशवासियों को कड़ाके की ठंड से राहत मिलेगी। मौसम विभाग के अनुसार 31 जनवरी तक प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में मौसम काफी हद तक साफ रहेगा। इससे काफी समय से माइनस में चले रहे तापमान में बढ़ोतरी होगी, वहीं लोगों को ठंड से भी निजात मिलेगी। हालांकि 31 जनवरी को प्रदेश की ऊंची चोटियों पर हल्के हिमपात की संभावना जताई जा रही है, लेकिन अब पश्चिमी विक्षोभ प्रदेश के लोगों को ज्यादा परेशान नहीं करेगा। प्रदेश के मैदानी इलाकों में ठंड काफी हद तक कम हो गई है और लोग खिली धूप का लुत्फ उठा रहे हैं। मौसम विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार ठंड अब धीरे धीरे कम हो रही है। फरवरी में बर्फबारी और बारिश को लेकर संशय बरकरार है। शुक्रवार को कल्पा व रोहतांग में हल्का हिमपात हुआ है, लेकिन प्रदेश के बाकी क्षेत्रों में मौसम खुशगवार ही रहा। शुक्रवार को प्रदेश में न्यूनतम तापमान केलंग का माइनस 12.6 रिकार्ड किया गया, जबकि अधिकतम तापमान ऊना का 21.8 डिग्री रहा। शिमला सहित प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के लोगों ने भी मौसम खुलने से राहत की सांस ली है।
देहरादून से साई ब्यूरो दिशा कुमारी ने कहा है कि रूड़की में पिछले कई दिनों से दिन में तेज धूप निकलने से दिन का अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। शुक्रवार को दिन में शीतलहर चलने से अधिकतम तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। एनआइएच रुड़की के मौसम वैज्ञानिक डॉ. मनोहर अरोड़ा ने बताया कि अधिकतम तापमान में तीन डिग्री गिरावट होने के बाद 22 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 7.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
श्रीनगर से साई ब्यूरो ने कहा कि वादी में पारा चढ़ने से राहत महसूस की जा रही है। काश्मीर की वादी में बुधवार को दिनभर खिली धूप ने भीषण ठंड से जूझ रहे लोगों को थोड़ी राहत दी। तापमान में बढ़ोतरी होने से शीतलहर का प्रकोप कुछ हद तक कम हो गया। 4 डिग्री की बढ़त के साथ अधिकतम तापमान 9.2 डिग्री सेल्सियस पर आ गया। मौसम विभाग की मानें तो अगले चौबीस घंटों के दौरान वादी के उच्च पर्वतीय इलाकों में हल्की बर्फबारी की संभावना है। उच्च पर्वतीय इलाकों में बारिश भी हो सकती है वहीं, निचले इलाकों में मौसम आमतौर पर शुष्क रहने की संभावना है।
पहले हुई बर्फबारी सुरक्षा बलों के लिए खतरनाक ही साबित हुई है। पिछले दिनों हुई बर्फबारी में दो जवान बर्फ में दफन, पांच लापता हो गए। कुपवाड़ा जिले के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा के निकट मंगलवार को बर्फीले तूफान के साथ हुए हिमस्खलन में बीएसएफ के एक सब इंस्पेक्टर सहित दो जवानों की मौत हो गई, जबकि सेना के पांच जवान लापता हैं। भारी बर्फबारी के बीच सेना और बीएसएफ ने संयुक्त बचाव अभियान चला रखा है।
घटना सुबह करीब सवा सात बजे केरन सेक्टर से आठ किलोमीटर दूर गडरडोर व कुलगन इलाके की है। बीएसएफ की 126 वाहिनी और सेना के जवान शिविर और बाहरी चौकी के बीच बर्फ हटाने का काम कर रहे थे। इसी बीच, अचानक बर्फीला तूफान आ गया और जवान बर्फ के बवंडर में फंस गए। तभी हिमस्खलन भी हो गया और सातों जवान कई फीट बर्फ के नीचे दब गए। घटना का पता चलते ही स्थानीय शिविरों और गुलमर्ग से बचाव दलों को लापता सैनिकों का पता लगाने के लिए भेजा गया। दोपहर करीब 1.30 बजे बर्फ में दबे दो जवानों के शव बरामद किए गए, जिनकी पहचान बीएसएफ के सब इंस्पेक्टर नरिंद्र कुमार निवासी भोजपुर आरा बिहार और कांस्टेबल राजेश निवासी जिला गडग कर्नाटक के रूप में हुई है। बीएसएफ के प्रवक्ता और रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस बरार ने कहा कि घटनास्थल दुर्गम और भारी बर्फ जमा होने के कारण बचाव अभियान में बाधा आ रही है, लेकिन जवानों की तलाश में अभियान जारी है।
ज्ञातव्य है कि मौसम विभाग ने पहले ही कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों और खासतौर से नियंत्रण रेखा के आसपास बर्फीले तूफान और हिमस्खलन की आशका जता रखी है। दो दिन पूर्व गुलमर्ग में भी बर्फीला तूफान आया था, जिसमें चार विदेशी पर्यटकों सहित एक स्थानीय गाइड फंस गया था, जिन्हें बचा लिया गया था।

यूआईडी हेतु 58 अरब मंजूर


यूआईडी हेतु 58 अरब मंजूर



(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। सरकार ने चालीस करोड़ लोगों को आधार नम्बर जारी करने के लिए अतिरिक्त ५७ अरब ९१ करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि बीस करोड़ लोगों को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण पहले ही आधार संख्या जारी कर चुका है। आशा है कि यह काम अगले वर्ष जून तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में प्राधिकरण ने आधार नम्बर देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है, वहां ये मान्य होंगे और शेष १६ राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर मान्य होगा।
गृह मंत्री ने कहा कि अधिकतर मामलों में दोहराव और लागत की समस्या से निजात पा लिया गया है, फिर भी इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछ मामलों आधार पहचान और जनसंख्या रजिस्ट्रर में दोहराव हो सकता है। लेकिन इसके लाभ को देखते हुए यह जायज है। इससे एक व्यापक एनपीआर डाटा-बेस और आधार डाटा-बेस तैयार होगा। श्री चिदम्बरम ने कहा कि देश में प्रत्येक व्यक्ति की बायो-मीट्रिक पहचान और आधार संख्या होगी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में तय हुआ कि यूआईडीएआई और नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) दोनों मिलकर पंजीकरण का काम जून 2013 तक पूरा करेंगे। बायोमीट्रिक डेटा जुटाने के लिए बीच का रास्ता अपनाया गया है। एनपीआर उन तटवर्ती क्षेत्रों में डेटा जुटाने का काम जारी रखेगा, जहां पर यूृआईडीएआई की पहुंच नहीं है। यूआईडीएआई 13 राज्यों में बायोमीट्रिक डेटा जुटाएगा। फिर इस डेटा को एकदूसरे से शेयर किया जाएगा।
कैबिनेट की बैठक के बाद गृह मंत्री पी. चिदंबरम, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया और यूआईडीएआई के प्रमुख नंदन नीलेकणि ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया जारी रखने पर सहमति बन गई है। चिदंबरम ने कहा कि बेशक दोनों संस्थानों के साथ काम करने से कुछ खामियां सामने आ सकती हैं, उन्हें एनपीआर के डेटा के मुताबिक ठीक कर लिया जाएगा। यूआईडीएआई द्वारा जारी आधार स्वैच्छिक है जबकि एनपीआर अनिवार्य है। यह सरकारी कार्यक्रम है। एनपीआर द्वारा जारी मल्टी परपज़ नैशनल आई कार्ड में हर व्यक्ति की 15 डिटेल दर्ज होंगी जबकि यूआईडीएआई 5 डिटेल दर्ज करेगा। उन्हांेने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर अब कुल खर्च बढ़कर 8850 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
यूआईडी और एनपीआर को लेकर गृह मंत्रालय और यूृआईडीएआई में मतभेद सामने आए थे। गृह मंत्रालय का कहना था कि एनपीआर भी बायोमीट्रिक डेटा जुटा रहा है। ऐसे में एक काम को दो संस्थानों द्वारा करना तर्कसंगत नहीं है। नीलेकणि ने कहा कि गृह मंत्री द्वारा जताई गई चिंताओं का समाधान किया जाएगा। दोनों एजेंसियां अगले साल जून तक प्रक्रिया पूरी कर लेंगी।

स्नातकोत्तर कालेज होंगे हर जिलों में


स्नातकोत्तर कालेज होंगे हर जिलों में



(यशवंत श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। लगता है केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने अपनी छवि को साफ सुथरा करने का प्रयास आरंभ कर दिया है। सिब्बल के नेतृत्व वाले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अब स्नातकोत्तर स्तर पर शिक्षा पर ध्यान देना आरंभ कर दिया है। कहा जा रहा है कि जल्द ही उन जिलों में जहां स्नातकोत्तर महाविद्यालय नहीं हैं, में डिग्री कालेज खोलने की योजना है।
उच्च शिक्षा में सुधारों के मोर्चे पर बीते वर्षाे में सरकार भले ही नाकाम रही हो, लेकिन चुनौतियों से निपटने के लिए कोशिशें जारी हैं। अब योजना हर जिले में एक ऐसा डिग्री कॉलेज खोलने की है, जिसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। इसके अलावा मॉडल डिग्री कॉलेजों को खोलने में राज्यों की ओर से धन की कमी को दूर करने के मद्देनजर उसका पूरा खर्च भी केंद्र ही उठा सकता है। इतना ही नहीं, खराब सकल दाखिला दर वाले राज्यों को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें अलग से विशेष मदद देने की भी योजना पर भी काम हो रहा है।
सूत्रों के मुताबिक , बीते वर्षाे में हर राज्य में केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने के बाद आने वाले पांच वर्षाे में हर जिले में एक डिग्री कॉलेज खोलने की योजना पर काम हो रहा है। बेहतरीन कमरे, योग्य शिक्षक, अच्छा पुस्तकालय, प्रयोगशाला और खेल के मैदान और दूसरे सभी संसाधनों से लैस इन कॉलेजों का पूरा खर्च केंद्र उठाएगा। इनका प्रस्ताव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ख्यूजीसी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेज चुका है। आयोग के अध्यक्ष प्रो. वेदप्रकाश का कहना है, श्प्रतिभाएं तो जिलों से ही आती हैं। ऐसे में उन्हें उनके यहां ही हर तरीके से उच्च गुणवत्ता का डिग्री कॉलेज मिल जाए तो आगे की राह आसान हो सकती है। जबकि, प्रयोगशाला, पुस्तकालय व खेल के मैदान जैसे संसाधनों का उपयोग दूसरे स्थानीय कॉलेज भी कर सकेंगेश्।
दरअसल पिछले पांच सालों में उच्च शिक्षा के मामले में राज्यों के साथ यूजीसी व केंद्र का तजुर्बा अच्छा नहीं रहा है। शैक्षिक रूप से पिछड़े ख्राष्ट्रीय औसत से भी कम दाखिला दर वाले जिले, जिलों में इस साल मार्च तक 374 मॉडल डिग्री कॉलेज खुलने थे। केंद्र के पास राज्यों ने सिर्फ 142 प्रस्ताव भेजे। उनमें भी सिर्फ 78 प्रस्तावों को मंजूरी मिल सकी। योजना के तहत लागत का एक तिहाई खर्च केंद्र को व दो तिहाई राज्यों को उठाना था। खर्च में अपने हिस्से को लेकर ज्यादातर राज्यों ने हाथ खड़े कर दिए। सूत्रों के मुताबिक, अब इसका पूरा खर्च केंद्रीय स्तर पर उठाने पर विचार हो रहा है।

बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया आरंभ


बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया आरंभ

(अर्जुन कुमार)

देहरादून (साई)। हिन्दुओं के प्रसिद्ध तीर्थ धाम बदरीनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। बीते दिन भगवान बदरीविषाल के विग्रह पर मलने वाले तेल के लिए तेल कलष नरसिंह मंदिर जोषीमठ से पाण्डुकेष्वर के लिए रवाना हुआ, जहां आज पूजा-अर्चना के बाद तेल-कलष-गाडु घड़ा नरेन्द्रनगर के लिए रवाना हुआ। कल बसन्त पंचमी के पर्व पर नरेन्द्रनगर में टिहरी के राजा की अगुवाईमें राजपुरोहितों द्वारा बदरीनाथ के कपाट खोलने का मुहूर्त निकाला जाएगा।

चिरोटा: फ़ोडे- फ़ुन्सियों मे असरदार


हर्बल खजाना ----------------- 14

चिरोटा: फ़ोडे- फ़ुन्सियों मे असरदार



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। खेत- खलिहानों, मैदानी भागों, सडक के किनारे और जंगलों में प्रचुरता से पाए जाने वाले इस पौधे में अनेक औषधिय गुणों की भरमार है। इसका वानस्पतिक नाम केस्सिया टोरा है। आदिवासी अंचलों में इसकी पत्तियों का उपयोग भाजी के तौर पर भी होता है और ऐसा माना जाता है कि यह भाजी अत्यधिक पौष्टिक होती है।
चिरोटा की पत्तियों और बीजों का उपयोग अनेक रोगों जैसे दाद-खाज, खुजली, कोढ, पेट में मरोड और दर्द आदि के निवारण के लिये किया जाता है। पत्तियों का उपयोग खाँसी और मवाद के साथ बने त्वचा घावों को खत्म करने के लिये भी होता है। पातालकोट के आदिवासी मुर्गी के अंडों से एल्बूमिन (अंडे के अंदर का चिपचिपा तरल पदार्थ) के साथ पत्तियों को अच्छी तरह से फ़ेंट कर टूटी हुयी हड्डियों के ऊपर प्लास्टर की तरह लगाते है, इनका मानना है कि ये हड्डियों को जोडने का कार्य करता है।
पत्तियों के काढे को दाँतों पर लगाने से दाँतों की समस्या जैसे दाँत दर्द आदि में आराम मिलता है। पीलिया होने पर डाँग- गुजरात के हर्बल जानकार चिरोटा की पत्तियों और बीजों का काढा रोगी को देते है। फ़ोडे और फ़ुन्सियाँ होने पर पत्तियों को कुचलकर लेपित किया जाए तो अतिशीघ्र आराम मिलता है। यदि किसी व्यक्ति को दाद-खाज और खुजली की समस्या हो तो चिरोटा के बीजों को पानी में कुचलकर रोग-ग्रस्त अंग पर लगाने से फ़ायदा होता है। आधुनिक विज्ञान भी इसके एंटी-बैक्टिरियल गुणों को साबित कर चुका है।

(साई फीचर्स)

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deepak@abhumka.com

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

मायावती का ताज खतरे में!


मायावती का ताज खतरे में!


हृदय प्रदेश की तरह बन रहे हालात



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर प्रदेश की निजाम मायावती की स्थिति विधानसभा चुनावों में गंभीर दिखने लगी है। मायावती के एक इशारे पर तामीली लेकर दौड़ने वाले नौकरशाहों ने अब केंद्र की ओर रूख करना आरंभ कर दिया है, जिससे इस बात के पुख्ता संकेत मिलने लगे हैं कि मेडम माया का राज अब सामाप्ति की ओर ही है।
गौरतलब है कि वर्ष 2003 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह के शासनकाल के अंतिम समय सूबे के नौकरशाहों ने बड़ी मात्रा में केंद्र में प्रतिनियुक्ति ले ली थी। उस वक्त इन नौकरशाहों को आभास हो चुका था कि आने वाला समय कांग्रेस का नहीं होगा। वस्तुतः एसा हुआ भी था। दिग्विजय सिंह के उपरांत भाजपा थंपिंग मेजारटी में मध्य प्रदेश में काबिज हो गई थी। बड़ी तादाद में आईएएस, आईपीएस अफसरान की केंद्र में तैनाती को देखकर वर्ष 2004 में कहा जाने लगा था कि दिल्ली में भी मध्य प्रदेश सचिवालय ‘‘वल्लभ भवन‘‘ की एक शाखा खुल गई है।
कमोबेश यही आलम इस समय उत्तर प्रदेश का है। उत्तर प्रदेश सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि यूपी के मुख्य सचिव अनूप मिश्र सहित लगभग एक दर्जन आईएएस अफसरों ने केंद्र में जाने का मन बना लिया है। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सूबे से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आने के लिए राज्य सरकार का अनापत्ति प्रमाणपत्र आवश्यक होता है।
राज्य से जिन अफसरों ने केंद्र की ओर रूख करने का मन बनाया है उनमें मुख्य सचिव अनूप मिश्र, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आर.पी.सिंह, सेकेटरी टू सीएम अनिल संत, एग्रीकल्चर सेकेटरी सुशील कुमार, विज्ञान और प्रोद्योगिकी सचिव मोहम्मद मुस्तफा, पर्यावरण सचिव राजेश कुमार सिंह आदि शामिल हैं। इन सभी अफसरान ने राज्य सरकार से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया है।
अफसरान को डर सता रहा है कि अगर मेडम माया का राज नहीं आया तो नए निजाम द्वारा वर्तमान में ताकतवर रहे अफसरों पर गाज गिरना तय है, संभवतः यही कारण है कि अफसरों ने राज्य से रूखसती में ही अपनी भलाई समझी हैै। वैसे मेडम माया के राज में शंशांक शेखर सिंह, कुंवर फतेह बहादुर, नेतराम, आर.पी.सिंह, नवनीत सहगल, श्रीकृष्णा, विजय सिंह, शैलेष किसन आदि खासे ताकतवर रहे हैं, और अब सभी उत्तर प्रदेश छोड़कर दिल्ली का रूख करने के इच्छुक बताए जा रहे हैं।

बेनी की बिदाई की शर्त पर देंगे मुलायम साथ


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 76

बेनी की बिदाई की शर्त पर देंगे मुलायम साथ

विधानसभा के बाद भैया जी की बिदाई तय



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की बिदाई लगभग तय मानी जा रही है। कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में पश्चिम बंगाल की निजाम ममता बनर्जी के तल्ख तेवरों से आजिज आ चुकी कांग्रेस मुलायम का हाथ थाम सकती है। उधर, मुलायम सिंह का कहना है कि वे तभी केंद्र सरकार में शामिल होंगे जब उत्तर प्रदेश कोटे वाले केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा को मंत्रीमण्डल से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए।
पूर्व रेल मंत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का रूख कांग्रेस के प्रति सकारात्मक कतई नहीं दिख रहा है। ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस को एक के बाद एक झटके दिए जा रहे हैं। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि ममता ने त्रणमूल कोटे के सारे मंत्रियों से त्यागपत्र ले लिए हैं और वे किसी भी दिन कांग्रेस को अल्टीमेटम देकर अपने मंत्री सरकार से वापस बुलवा सकतीं हैं। उधर, कांग्रेस के प्रबंधक भी ममता बनर्जी द्वारा बार बार कालर पकड़कर हड़काने से आजिज आते नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने सरकार में शामिल होने के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है। मामला अटका है तो केंद्रीय मंत्री बेनी वर्मा पर आकर। मुलायम सिंह ने साफ तौर पर शर्त रखी है कि कांग्रेस अगर बेनी वर्मा को मंत्री मण्डल से बाहर का रास्ता दिखाती है तो सपा सरकार में शामिल होकर संप्रग सरकार को स्थिरता दे सकती है।

(क्रमशः जारी)

कहीं भस्मासुर न बन जाए थापर का पावर प्लांट


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  54

कहीं भस्मासुर न बन जाए थापर का पावर प्लांट

हाड़ गलाने वाली ठण्ड में आसमान तले रात गुजारने मजबूर हैं बेघर आदिवासी



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। ‘‘मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में लगाए जाने वाले कोल आधारित पावर प्लांट ने क्षेत्रीय आदिवासियों का जीना दूभर कर दिया है।‘‘ उक्ताशय के आरोप आदिवासियों के हितों के संरक्षण का दावा करने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा लगाए गए हैं।
गोंगापा के सिवनी जिला मीडिया प्रभारी ने कहा है कि संयंत्र प्रबंधन द्वारा अपने हितों को देखते हुए आदिवासियों को भरमाया जा रहा है कि संयंत्र के लगने से क्षेत्र का विकास होगा। वास्तविकता यह है कि भस्मासुर रूपी झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्लांट से पीड़ित आदिवासी सुरक्षित भविष्य की तलाश में पलायन पर मजबूर हैं। गोंगपा ने आरोप लगाया है कि इस पावर प्लांट की नीतियों के चलते रक्त जमाने वाली सर्दी में आदिवासी अपना घर द्वार छोड़कर भागने पर मजबूर हो रहे हैं।
गोंगपा ने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि नर्मदा नदी जबलपुर सहित अनेक शहरों में बुरी तरह प्रदूषित हो चुकी है, बावजूद इसके मण्डल द्वारा इस संयंत्र से उपजने वाले प्रदूषण को नजर अंदाज आखिर किस कीमत पर किया जा रहा है। गोंगपा ने कहा है कि एमपी पीसीबी के अधिकारी संयंत्र प्रबंधकों के इशारों पर सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील जो कि केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में शामिल है को झुलसाने का ताना बाना बुन रहे हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि संयंत्र प्रबंधन द्वारा गणतंत्र दिवस पर भी करोड़ों रूपयों के विज्ञापन मीडिया में जारी कर मीडिया को भी भ्रमित करने का प्रयास किया गया है। संयंत्र प्रबंधन के विज्ञापनों में संयंत्र के बारे में पूरी तरह खामोशी ओढ़ी गई है। सिवनी जिले में भी विज्ञापनों की बंदरबांट के कारण मीडिया में रोष और असंतोष बना हुआ है।

(क्रमशः जारी)

ठण्ड के बावजूद चुनाव प्रचार जोरों पर


ठण्ड के बावजूद चुनाव प्रचार जोरों पर



(अर्जुन कुमार)

देहरादून (साई)। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव प्रचार जोरों पर है। प्रचार कल शाम समाप्त होगा। कांग्रेस और भाजपा सहित सभी प्रमुख पार्टियों के स्टार प्रचारक मतदाताओं को लुभाने में लगे हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता एन डी तिवारी और भाजपा नेता भगत सिंह कोश्यारी कुमाऊं क्षेत्र में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं।
राज्य में चुनाव के अंतिम चरणों में राज्य की विकास समेत विभिन्न मुद्दों पर एक दूसरे की आलोचना के बीच राज्यविधान सभा की सत्तर सीटों के लिए प्रचार के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कुमाऊ मण्डल के भावर में स्थित हलद्वानी और रामनगर विधानसभायी क्षेत्रों में विकास के साथ ही स्थानी मुद्दे हावी हैं।
यहां कुल २८ उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। जो मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए उनसे सीधे सम्पर्क साध रहे हैं, लेकिन चुनाव को लेकर कुछ स्थानों पर मतदाताओं में कोई खास उत्साह नहीं दिखाई पड़ रहा है। ठण्ड के बावजूद उम्मीदवार और बड़े नेताओं के सघन दौरों का सिलसिला जारी है।

पंजाब में 32 करोड़ जप्त


पंजाब में 32 करोड़ जप्त

(विक्की आनंद)

चंडीगढ़ (साई)। पंजाब में निगरानी दल ने विभिन्न स्थानों से ३२ करोड़ रूपये से ज्यादा धनराशि जब्त की है। इसके अलावा भारी मात्रा में अवैध शराब, अफीम, हेरोइन, स्मैक और अन्य नशीले पदार्थ भी पकड़े गए हैं। नौ सौ निन्यानवें संवेदनशील इलाकों सहित राज्य भर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। मतदाताओं में सुरक्षा के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए राज्य के विभिन्न स्थानों में पंजाब पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान लैग मार्च कर रहे हैं। राज्य में चुनाव प्रचार जोरों पर है।
चुनाव प्रचार के केवल दो दिन हैं। कल शाम खुला चुनाव प्रचार बदं हो जाएगा। सभी पार्टियों के बड़े चुनाव प्रचार जिनमें राष्ट्रीय नेता फिल्म व टीवी स्टार शामिल हैं। राज्य में विभिन्न स्थानों पर चुनाव रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। राज्य में सत्ताधारी श्रीरोमणि अकाली दल भारतीय जनता पार्टी गठबंधन मतदाताओं से अपनी पिछले पांच वर्षों की काजदारी पर वोट मांग रहा है।
गठबंधन के नेताओं का कहना है कि उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों पर उन्हों समर्थन मिलेगा। वहीं कांग्रेस का कहना है कि केवल केन्द्र से मिली ग्रांड से विकास हुआ है। तीसरा मोर्चा दोनों ही प्रमुख पार्टियों की विफलताओं को बताकर नये वादे कर रहा है। एक बात खुलकर सभी दलों के नेता मान रहे हैं कि अब मतदाता जागरूक हैं।

उत्तर प्रदेश में नामांकन गतिविधियां चरम पर


उत्तर प्रदेश में नामांकन गतिविधियां चरम पर

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए नाम वापस लेने की आज आखिरी तारीख है। इस चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौ जिलों के ५९ निर्वाचन क्षेत्रों में ११ फरवरी को मतदान होगा। पांचवे चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया कल शुरू होगी। इसमें आगरा, अलीगढ, कानपुर, झांसी और चित्रकूट धाम डिवीजनों के १३ जिलों के ४९ निर्वाचन क्षेत्रों में २३ फरवरी को मतदान होगा।

तीसरे चरण के नामांकन भरने के काम में तेजी आई है। तीसरे चरण के चुनाव के लिए नामांकन की गतिविधियां चरम पर हैं। इस चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की अवधि समाप्त हो रही है। अभी तक दस जिलों के छप्पन विधानसभा क्षेत्रों के लिए चार सौ ३८ उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किए हैं।

चौथे चरण के लिए समाजवादी पार्टी और भारतीय जनतापार्टी के दो-दो उम्मीदवारों सहित कुल १४ नामांकन पत्र भरे गए हैं। निर्वाचन आयोग ने दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव वाले जिलों में भी विभिन्न राज्यों के पन्द्रह वर्ष पुलिस अधिकारियों को प्रेक्षक के रूप में तैनात किया है।

संवेदनशीलता को देखते हुए गोरखपुर, आजमगढ़, देवरिया, इलाहाबाद, वाराणसी, जौनपुन, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र और संत रविदास नगर भदौई के लिए एक-एक पुलिस दस्तों की तैनाती की है। राज्य में पहली बार चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था पर निगाह रखने के लिए पुलिस प्रेक्षक तैनात किए गए हैं।

जयललिता ने किया पांचवां फेरबदल


जयललिता ने किया पांचवां फेरबदल

(प्रीति सक्सेना)

चेन्नई (साई)। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने सात महीने में मंत्रिमण्डल में कल पांचवां फेरबदल किया। जयललिता ने दो मंत्रियों को हटाकर, दो नये मंत्रियों को शामिल किया है। स्कूली शिक्षा मंत्री एस एस कृष्णामूर्ति और राजस्व मंत्री एस पी वेलूमणि को बाहर कर एन आर शिवपति और एन सुब्रहमण्यम को मंत्रिमण्डल में शामिल किया गया है। दोनों आज शपथ लेंगे।

आज दफनाया जाएगा फारूख को


आज दफनाया जाएगा फारूख को

(महिमा नायर)

पुद्दूचेरी (साई)। केरल के राज्यपाल एम ओ एच फारूक का कल रात चेन्नई में निधन हो गया। वे ७५ वर्ष के थे। उन्होंने पिछले वर्ष अगस्त में केरल के राज्यपाल का पदभार संभाला था। श्री फारूक केन्द्रीय मंत्री, लोकसभा सांसद और सउदी अरब में भारतीय राजदूत रहे। श्री फारूक का पार्थिव शरीर कल रात पुद्दुचेरी लाया गया। उन्हें आज शाम दफनाया जाएगा। केरल सरकार ने उनके निधन पर सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील ने श्री फारूक के निधन पर संवेदना व्यक्त की है।

दुग्गल का निधन


दुग्गल का निधन

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। प्रख्यात पंजाबी लेखक करतार सिंह दुग्गल का कल शाम नई दिल्ली में निधन हो गया। वे ९४ वर्ष के थे। वे आकाशवाणी के निदेशक भी रहे। श्री दुग्गल ने पंजाबी, उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी में उपन्यास, लघु कथाएं और नाटक लिखे हैं। उन्हें साहित्य अकादमी और पद्मभूषण पुरस्कारों से भी सम्मानित गया। प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने श्री दुग्गल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व ने एक प्रतिष्ठित और बहुमुखी प्रतिभा का धनी व्यक्तित्व खो दिया है।

अमलतास: विरेचक प्रवत्ति वाली औषधि


अमलतास: विरेचक प्रवत्ति वाली औषधि



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। झूमर की तरह लटकते पीले फ़ूल वाले इस पेड को सुंदरता के लिये अक्सर बाग-बगीचों में लगाया जाता है हलाँकि जंगलों में भी इसे अक्सर उगता हुआ देखा जा सकता है। अमलतास का वानस्पतिक नाम केस्सिया फ़िस्टुला है। अमलतास के पत्तों और फूलों में ग्लाइकोसाइड, तने की छाल टैनिन, जड़ की छाल में टैनिन के अलावा ऐन्थ्राक्विनीन, फ्लोवेफिन तथा फल के गूदे में शर्करा, पेक्टीन, ग्लूटीन जैसे रसायन पाए जाते है।
इस पेड की छाल का काढा पीलिया, सिफ़लिस और हृदय रोगों में दिया जाता है। पघ्ट दर्द में इसके तने की छाल को कच्चा चबाया जाए तो दर्द में काफ़ी राहत मिलती है। इसकी फ़ल्लियों के गूदे का सेवन दस्तकारक होता है और गर्भवती स्त्रियों को विरेचक औषधि के रूप में यह दिया जाता है।
वैसे संतुलित मात्रा में यह मधुमेह में भी हितकर है। फ़ल्लियों के गूदे का काढा आवाज की खरखराहट, गला बैठना जैसी शिकायत आदि में गुणकारी है। पातालकोट के आदिवासी बुखार और कमजोरी से राहत दिलाने के लिए कुटकी के दाने, हर्रा, आँवला और अमलतास के फ़लों की समान मात्रा लेकर कुचलते है और इसे पानी में उबालते है, इसमें लगभग ५ मिली शहद भी डाल दिया जाता है और ठंडा होने पर रोगी को दिया जाता है। डाँग गुजरात के आदिवासी कहते है कि इसके पत्ते मल को ढीला और कफ को दूर करते हैं। फूल भी कफ और पित्त को नष्ट करते हैं।

(साई फीचर्स)

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