बुधवार, 30 नवंबर 2011

माल्या पर मेहरबानी की तैयारी


माल्या पर मेहरबानी की तैयारी

वायलर रवि बने माल्या के दरबारी


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। शराब माफिया या लिकर किंग की अघोषित उपाधि पाने वाले उद्योगपति सांसद विजय माल्या की ताल पर कांग्रेस अब ठुमके लगाती दिख रही है। विजय माल्या के पास अकूल दौलत है, उनकी शराब को पीकर समूचा देश झूमता है। उनके हवाई जहाज में राजनेता सैर करते हैं, तब फिर माल्या को सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस सर माथे पर भला क्यों न बिठाए। माल्या के पुत्र भी इन दिनों मीडिया की सुर्खियां बटोर रहे हैं।

देखा जाए तो किंगफिशर एयरलाईंस के मालिक विजय माल्या पर कांग्रेस की मेहरबानी की अनगिनत वजहें हैं। कांग्रेस के अंदरखाने में नागरिक विमानन मंत्री वायलर रवि और वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह के द्वारा विजय माल्या की तरफदारी के मायने खोजे जा रहे हैं। रवि और मनमोहन सिंह दोनों ही किंगफिशर की डूबती नैया को बचाने की पुरजोर कोशिशों में लगे हुए हैं।

कांग्रेस के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो माल्या से कांग्रेस के नेता इसलिए भी खौफ खा रहे हैं क्योंकि कर्नाटक की राजनीति में माल्या की गहरी पकड़ है। सूबे के कम से कम एक दर्जन से अधिक विधायक माल्या के इशारों पर ही कदम ताल करते नजर आते हैं। वे माल्या के कहने पर दिन को रात तो रात को दिन तक कहने की स्थिति में हैं। इतना ही नहीं माल्या की मराठा क्षत्रप शरद पंवार से गलबहियां भी किसी से छिपी नहीं हैं।

त्रणमूल को तोड़ने में लगी कांग्रेस


त्रणमूल को तोड़ने में लगी कांग्रेस

ममता पर दबाव बनाने कांग्रेस की नई रणनीति



लिमटी खरे

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब कांग्रेस को गरिया रहीं हैं। इसी से हलाकान कांग्रेस के रणनीतिकार अब त्रणमूल कांग्रेस में फूट डालने के काम में लग गए हैं। ममता बनर्जी और रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के बीच खाई खोदकर दोनों के बीच दूरियां जमकर बढ़ावा दी हैं कांग्रेस के प्रबंधकों ने। पिछले दिनों एक बैठक में भूतल परिवहन मंत्री जयराम रमेश ने दिनेश त्रिवेदी को बचा लिया वरना उनकी रेल तो कबकी पटरी से उतर गई होती।

दरअसल विज्ञान भवन में एनडीसी की बैठक आरंभ होने के लगभग दस मिनिट पहले वहां पहुंचे रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी की आसनी (कुर्सी) देश के ताकतवर गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम के ठीक बाजू में लगाई गई थी। यह दिनेश त्रिवेदी के लिए बेहद सम्मान की बात थी कि वे भारत गणराज्य के गृह मंत्री के ठीक बाजू में बैठे हों। कहा जा रहा है कि यह कांग्रेस की कूटनीति का एक हिस्सा ही था।

जब भूतल परिवहन मंत्री जयराम रमेश द्वारा रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को उनकी कुर्सी ढूंढने में मदद की जा रही थी, तभी अनजाने में ही जयराम रमेश ने त्रिवेदी से कहा कि उनकी कुर्सी गृह मंत्री चिदम्बरम के साथ ही लगी है। आप मंच पर जाकर अपना स्थान ग्रहण करें। साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि त्रणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी अन्य प्रमुख उच्चाधिकारियों के साथ गैलरी में ही आसन ग्रहण करेंगी।

दिनेश त्रिवेदी इस बात से सहम गए। उन्होंने इस प्रोग्राम से भविष्य के परिदृश्य की कल्पना की और तत्काल ही एक एसा निर्णय लिया जिसने उनकी रेल मंत्री की कुर्सी को उस वक्त तो बचवा दिया। वे कांग्रेस की कुटिल चाल को भली भांति समझकर, चुपचाप मंच के बजाए नीचे गैलरी में बैठ गए। जब जयराम रमेश ने उनसे इसका कारण पूछा तो दिनेश त्रिवेदी ने फुसफुसाकर कहा -‘‘क्या मेरा दिमाग खराब है, जो मैं मंच पर बैठूं और मेरा नेता नीचे। अरे बाबा इस तरह तो मैं अपना मंत्री पद ही गंवा दूंगा।