सोमवार, 7 नवंबर 2011

टीम राहुल आ चुकी है फुल फार्म में

टीम राहुल आ चुकी है फुल फार्म में

सोनिया जुंडाली को ढकेला जा रहा है पार्श्व में

अहमद पर भरोसा जताते युवराज

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेस की नजरों में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी ने अब कांग्रेस की कमान अपने हाथों में लेना आरंभ कर दिया है। सियासी बिसात पर अब सोनिया की किचिन कैबनेट गुजरे जमाने की बात होने में देर नहीं लगने वाली है। राहुल गांधी की दो बैसाखियों के तौर पर राजा दिग्विजय सिंह के उपरांत अब सोनिया के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल अप्रत्याशित तौर पर उभर कर सामने आए हैं।

कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के सूत्रों का दावा है कि राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेने का प्रयोग उत्तर प्रदेश के चुनावों से किया जा रहा है। इसके अलावा पंजाब और उत्तराखण्ड पर भी टीम राहुल पूरी तरह चौकस नजर रखे हुए है। बीसवीं सदी के अंतिम दशकों में कांग्रेस के चाणक्य रहे कुंवर अर्जुन सिंह के अवसान के उपरांत इक्कीसवीं सदी में कांग्रेस के चाणक्य की भूमिका में नजर आने वाले कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह पहले से ही राहुल गांधी के अघोषित राजनैतिक गुरू की भूमिका में आ चुके हैं।

राजनैतिक प्रबंधन (पालीटिकल मेनेजमेंट) और संक्रमण काल प्रबंधन (क्राईसिस मेनेजमेंट) के लिए युवराज राहुल गांधी ने इस बार अप्रत्याशित तौर पर अहमद पटेल पर भरोसा जताया है। अहमद पटेल को छोड़कर कांग्रेस में सोनिया के दरबारी इस बार हाशिए पर ही नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी इस बार अपेक्षाकृत युवाओं पर ज्यादा भरोसा करते दिख रहे हैं।

युवराज राहुल के साथ इस समय सबसे ज्यादा मीनाक्षी नटराजन, सचिन पायलट, प्रदीप जैन, अशोक तंवर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जतिन प्रसाद, संजय निरूपम, जितेंद्र सिंह, परवेज हाशिमी, रवनीत सिंह, आर.पी.एन.सिंह, जितेंद्र सिंह जैसे युवा सक्रिय और प्रभावी भूमिका में नजर आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयोग के बाद युवराज की ताजपोशी का वक्त मुकर्रर किया जाएगा।

लालू का बिहार से मोह भंग

लालू का बिहार से मोह भंग

पश्चिम दिल्ली से चुनाव लड़ने की तैयारी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। बिहार की सत्ता से बाहर किए गए इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव काफी समय से बिहार के परिदृश्य से नदारत हैं। हाालत देखकर लोग कहने लगे हैं कि पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव का बिहार से पूरी तरह मोह भंग हो चुका है। लगातार दूसरी बार बिहार की सत्ता से बाहर राजद अब केंद्र में भी मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुकी है।

गौरतलब है कि चारा घोटाला के मुख्य आरोपी लालू प्रसाद यादव को जब मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतारा गया था, तब उन्होने अपनी अर्धांग्नी राबड़ी देवी को कुर्सी पर बिठा दिया था। राबड़ी देवी ने बिहार में लालू प्रसाद यादव की परछाईं बनकर राज किया। इसके बाद लालू यादव केंद्र में रेल मंत्री बने और साथ ही साथ उन्होंने स्वयंभू प्रबंधन गुरू बनकर रातों रात घाटे में जा रही भारतीय रेल को कथित तौर पर पटरी पर लाकर हजारों करोड़ रूपए के लाभ में ला दिया था।

पिछले दिनों लालू प्रसाद यादव की हरकतों से लगने लगा है कि मानों उन्होंने बिहार से नाता तोड़ने का मन बना लिया हो। मौका चाहे उनके अपने जन्म दिवस का हो, दीपोत्सव का या फिर बिहारियों के महापर्व छठ पूजा का, हर बार लालू बिहार से दूर रहे। उन्होंने अपना ज्यादा समय दिल्ली में ही बिताया। लालू के करीबी सूत्रों की मानें तो वे अब पश्चिम दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। गौरतलब है कि पश्चिम दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में पूर्वांचली विशेषकर बिहारी मतदाताओं की तादाद अधिक है।

आदिवासियों की जमीन हड़पने के लगे हैं आरोप!

0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 8

आदिवासियों की जमीन हड़पने के लगे हैं आरोप!

जमीन अधिग्रहण में जादू दिखा रहा कंपनी प्रबंधन

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में बिजली की कमी और क्षेत्र के विकास के लिए सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में स्थापित होने वाले थापर गु्रप ऑफ कंपनी के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्लांट में आदिवासियों के साथ धोखा किए जाने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। आदिवासियों की जमीन खरीदने के साथ किए जाने वाले समझौते के मामले में कंपनी प्रबंधन मौन ही नजर आ रहा है।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा आवश्यक और निर्धारित प्रक्रिया से जांच कर इस बात की संतुष्टि कर ली गई है कि झाबुआ पावर लिमिटेड की प्रस्तावित विद्युत परियोजना राज्य में विद्युत की कमी की पूर्ति और क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है। इस परियोजना से क्षेत्र का किस तरह का, कैसा और कितनी समयावधि में विकास होगा इस बारे में भी शिवराज सिंह चौहान ने मौन ही साध रखा है।

झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा ब्रितानी हुकुमत के दौरान अखण्ड भारत पर शासन करने वाले अंग्रेाजों द्वारा बनाए गए भू अर्जन अधिनियम 1894 की धारा 41 के अंतर्गत विहित प्रावधान के अनुरूप अनुबंध निष्पादित किया है। अंग्रेजों के समय भारतीयों से जमीन अधिग्रहण के दौरान हिन्दुस्तानियों को कम से कम फायदा होने की गरज से कानून बनाए गए थे। भारत गणराज्य की स्थापना के बाद आज भी देश में अनेक कानून की कंडिकाएं उन्हीं के मुताबिक जस की तस ही हैं।

जबसे झाबुआ पावर लिमिटेड ने सिवनी जिले के घंसौर में कदम रखा है उसके बाद से आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में आदिवासियों की जमीन पर लोगों की निगाहें गड़ गईं हैं। क्षेत्र में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार कंपनी ने आदिवासियों को प्रलोभन देकर उनकी जमीन हड़प ली है। भोले भाले आदिवासी अब कंपनी प्रबंधन के आगे पीछे घूमकर उन लुभावने प्रस्तावों को पूरा करवाना चाह रहे हैं तो उन्हें झिड़की के अलावा और कुछ नहीं मिल रहा है।

(क्रमशः जारी)

मीडिया को लालच देने की तैयारी में मनमोहन

बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 20

मीडिया को लालच देने की तैयारी में मनमोहन

सरकारी मकानों में पत्रकारों की हिस्सेदारी ज्यादा करने का प्रस्ताव

मीडिया को धमकाने की भी है कार्ययोजना

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह अपनी कुर्सी बचाने के लिए अब आर पार की लड़ाई के मूड में दिख रहे हैं। मनमोहन सिंह जानते हैं कि अगर मीडिया उनके खिलाफ हो गया तो उनकी रूखसती पर सील लग जाएगी और वे अपने आप को बचा नहीं पाएंगे। यही कारण है कि मनमोहन सिंह जुंडाली ने अब प्रेस को बाय हुक ऑर बाय कुक मैनेज करने का प्रयास आरंभ कर दिया है। पत्रकारों को लुभाने के लिए सरकार जल्द ही अनेक प्रयास करती नजर आएगी।

पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करने वाले पत्र सूचना ब्यूरो (पीआईबी) में आवासों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव अस्तित्व मे आया है। पीआईबी में आवासों की संख्या साठ से बढ़ाकर सौ की जाना प्रस्तावित है। मतलब साफ है कि चालीस पत्रकारों को जल्द ही रियायती दरों पर घर देने का वायदा किया जाएगा।

पत्रकारों को वश में करने के बाद मीडिया घरानों पर मनमोहन सिंह अपना अंकुश लगाएंगे। पीएमओ के सूत्रों ने यह भी कहा कि पत्रकारों को काबू में करने के उपरांत मनमोहन सिंह इनके नियोक्ताओं की कालर पकड़कर धमकाने का जतन करेंगे। मीडिया घरानों द्वारा मीडिया की आड़ में किए जाने वाले रियल स्टेट और अन्य व्यवसाय पर भी सरकार की नजर है। सरकार द्वारा मल्टी मीडिया संचालन पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही साथ लंबी अवधि के लिए दिए गए पट्टों को भी समाप्त किया जा सकता है।

(क्रमशः जारी)

आदित्य बिरला की मोबाइल कंपनी आईडिया द्वारा ठगी

एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  16

आदित्य बिरला की मोबाइल कंपनी आईडिया द्वारा ठगी

डायलर ट्यून भी अपने आप हो रही इंस्टाल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मशहूर उद्योगपति आदित्य बिरला की मोबाइल कंपनी आईडिया अपने उपभोक्ताओ के साथ ठगी कर रही है, उक्ताशय की शिकायत निजी क्षेत्र की मोबाईल सेवा प्रदाता आईडिया कंपनी के एक उपभोक्ता ने सार्वजनिक तौर पर लगाए हैं। इंटरनेट पर पड़ी एक शिकायत में इस बात का खुलासा किया गया है। इस शिकायत में कहा गया है कि उसके पैसे उसके खाते में डाले ही नहीं गए हैं। इसके साथ ही साथ डायलर ट्यून भी अपने आप ही इंस्टाल होना और उसके प्रतिमाह पैसे कटने की बात भी बताई जा रही है।

शिकायत में कहा गया है कि तीन जून को आईडिया मोबाइल नम्बर 9616501364 पर 25 रुपये का ई- टॉप अप डलवाया गया और कंपनी की तरफ़ से जवाब आया कि 23 रुपये 6 पैसे उपलब्ध करा दिए गए है। जब की वास्तविक अकाउंट में एक भी रुपया नही आया। कस्टमर केयर से बात करने पर बताया गया की सर्वर डाउन होने कारण आपके अकाउंट में 24 घंटे में रुपया आ जाएगा।

24 घंटे व्यतीत हो जाने के बाद कंपनी के कस्टमर केयर ने बताया की आप के मोबाइल में टॉप अप के बजाये टैरिफ वाउचर डाल दिया गया है जबकि वास्तव में मोबाइल अकाउंट में टैरिफ वाउचर भी नही डाला है और कंपनी के कस्टमर केयर पर टेलीफोन मिलाने पर कंप्यूटर टेप का उत्तर यह आता है की कस्टमर केयर के सभी अधिकारी व्यस्त है अभी आप की बात सम्भव नही है। इस तरह आदित्य बिरला की कंपनी आईडिया अपने उपभोक्ताओ के साथ धोखा-धडी कर रही है जिन - जिन लोगो ने प्राइवेट कंपनियों के सिम ले रखे है उनके साथ यह बड़ी - बड़ी कंपनिया धोखा - धड़ी फ्राड कर रही है। केन्द्र की कांग्रेस सरकार इन्ही कंपनियों के चंदो से चुनी गई है इसलिए कोई कार्यवाही सम्भव नही हो पाती है।

देश भर में उपभोक्ताओं की शिकायत है कि उनके मोबाईल पर अपने आप वह ट्यून जो दूसरे व्यक्ति के डायल करने पर घंटी के स्थान पर सुनाई देती है (डायलर ट्यून) अपने ही आप इंस्टाल हो जाती है, जिसका पैसा भी अपने ही आप कटना आरंभ हो जाता है। इतना ही नहीं मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियांे ने कुछ एसा भी सिस्टम बनाकर रखा हुआ है जिससे दो दो तीन तीन डायलर ट्यन अपने आप इंस्टाल हो जाती है और उससे पैसा कटने लगता है।

(क्रमशः जारी)

राहुल मनमोहन में ठनी!


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

राहुल मनमोहन में ठनी!
कांग्रेस के भविष्य के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह में लगता है ठन गई है। अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार की उदारीकरण की नीति राहुल को भा नहीं रही है। पिछले दिनों राहुल गांधी ने उदारीकरण की तल्ख शब्दों में आलोचना करने वाले जर्मनी के एक व्याख्याता थामस पोग को न्योता दिया। मौका था राजीव गांधी इंस्टीट्यूट आॅफ कंटेपरेरी स्टडीज में व्याख्यान का। गौरतलब है कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी इसके ट्रस्टी हैं। राहुल के द्वारा उदारीकरण के आलोचक को बुलाना अपने आप में इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मनमोहन सिंह उदारीकरण के खासे हिमायती हैं। वैसे भी मनमोहन सिंह की खामोशी से राहुल गांधी बुरी तरह बौखलाए हुए हैं। देश भर से राहुल गांधी को सरकार और कांग्रेस के बारे में जो फीडबैक मिल रहा है वह उत्साहजनक कतई नहीं माना जा सकता है।

शिवराज बने भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक
जिन सरकारी कर्मचारियों पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को अगला चुनाव जितवाने का भरोसा है वे सरकारी कर्मचारी ही उनका सरेआम माखौल उड़वाने में जुट गए हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर एमपी की बेटियों को महिमा मण्डित करने के लिए सरकारी होर्डिंग्स लगवाए गए। इन होर्डिंग्स में एक अजीब ही नजारा देखने को मिला। सरकारी होर्डिंग में महान कवियत्रि सुभद्रा कुमारी चैहान, कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री स्व.जमुना देवी, भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, के साथ ही साथ टीनू जोशी को भी प्रदेश की गौरवशाली पुत्री का दर्जा दिया गया है। अब लोग हैरान हैं कि लोकतंत्र के लुटेरे का खिताब पा चुके आईएएस टीनू जोशी दंपत्ति को शिवराज सरकार भला रोल माडल क्यों बना रही है।

कमल को चुभने लगा शिव का त्रिशूल
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान जब भी दिल्ली यात्रा पर गए और पत्रकारों से रूबरू हुए तब तब वे कमल चालीसा (केंद्रीय मंत्री कमल नाथ का गुणगान) करना नहीं भूले। बाद बाद में नेशनल हाईवे की दुर्दशा पर वे कमल नाथ के खिलाफ हो गए थे। मध्य प्रदेश सरकार का शायद ही कोई एसा मंत्री होगा जो कमल नाथ के खिलाफ बोला हो। इस बार कमल नाथ ने तो गजब ही कर दिया। अपने संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा में उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार पर जमकर प्रहार किए। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार सड़कों की बरबादी का रोना रोती है। केंद्रीय मंत्री रहते कमल नाथ ने शिवराज सिंह को बीस हजार करोड़ रूपए दिए थे। शिवराज चुप हैं, रक्षात्मक मुद्र में खड़े दिख रहे हैं। मतलब साफ है कि केंद्र की मदद को उन्होंने घोला और पी लिया है।

मराठा क्षत्रप ने कांग्रेस से बनाई दूर
केंद्र सरकार में भागीदार राकांपा के सुप्रीमो शरद पंवार इन दिनों सरकार और कांग्रेस को आड़े हाथों लिए हुए हैं। पंवार न जाने क्यों फिर से कांग्रेस के घुर विरोधियों के सतत संपर्क में हैं। सोनिया गांधी को विदेशी मूल का जतलाकर यह मुद्दा हवा में उछाल पंवार ने कांग्रेस से किनारा कर एनसीपी का गठन किया था। उस वक्त पंवार को पानी पी पी कर कोसने वाले सोनिया के निष्ठावान कांग्रेसी बाद में पंवार की देहरी चूमते नजर आए। महाराष्ट्र में सत्ता पर काबिज होना हो या फिर केंद्र सरकार में भागीदारी। सारे गिले शिकवे भुलाकर कांग्रेस ने पंवार को गले ही लगाया। पंवार के उस तीर का यह असर हुआ कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद से काफी दूर हो गईं। अब पंवार एक बार फिर नई मुहिम पर हैं। नए समीकरणों में लगने लगा है कि अगले चुनावों में नया राजग और संप्रग से इतर नया गठबंधन अस्तित्व में आ ही जाएगा।

आरटीआई से घबराई कांग्रेस
देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस अपने विरोधियों से उतनी खौफजदा नहीं है जितनी की वह सूचना के अधिकार कानून से नजर आ रही है। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के दबाव में सरकार ने आरटीआई को आनन फानन लागू तो कर दिया है, पर यह अब उसके गले की फांस बनती जा रही है। अरविंद केजरीवाल जिस तरह सरकार पर वार पर वार करते जा रहे हैं उससे सरकार बैकफुट पर ही नजर आ रही है। सोनिया गांधी नाराज हैं क्योंकि देश भर में आरटीआई को आजीविका का साधन भी बनाया जा रहा है। जिला स्तर पर आरटीआई एक्टिविस्ट किसी के खिलाफ आवेदन देकर बाहर ही बाहर मामला रफा दफा कर देते हैं। अब सरकार जिला स्तर पर भी आरटीआई के आवेदन लगाकर वापस लेने के मामलों की तहकीकात करती नजर आ रही है।

मीडिया के प्रति गड़करी का उमड़ता प्रेम
अध्यक्ष बनने के उपरांत मीडिया से सुरक्षित अंतर ठेवाकी राजनीति करने वाले भाजपा के सरताज नितिन गड़करी अब मीडिया से गलबहियां डालने उतारू दिख रहे हैं। दीपावली मिलन समारोह में गड़करी पत्रकारों से चाहे वह छोटा हो या बड़ा सबसे समान भाव से मिलते दिखे। नागपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना चुके गड़करी चाह रहे हैं कि उनकी अध्यक्षता में ही लोकसभा चुनाव संपन्न हों। गड़करी का टर्म लोकसभा के पहले ही समाप्त हो रहा है। संघ की अगर मेहरबानी रही तो ही वे दूसरी पारी खेल पाएंगे। बहरहाल गड़करी ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने दस किलो वजन घटा लिया है। मीडिया के लोग भी इस पार्टी का लुत्फ उठाते रहे क्योंकि पता नहीं गड़करी इसके बाद कब उन्हें न्योता दें।

मन के मंत्रियों ने हवा में उड़ाए 546 करोड़!
जनता के सेवक होने का दावा करते हैं सांसद विधायक। जनता की सेवा करने के बजाए जनता के द्वारा दिए गए करों से संचित राजस्व पर तबियत से एश करते हैं सांसद विधायक। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मण्डली ने जनता के गाढ़े पसीने की कमाई में से 546 करोड़ रूपए विदेश यात्रा में फूंक दिए। राजग सरकार ने पांच साल में मंत्रियों की विदेश यात्रा पर सिर्फ 268 करोड़ रूपए खर्च किए थे। प्रधानमंत्री डाॅ.मनमोहन सिंह भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक माने जाते हैं। उनके कार्यालय ने पीएमओ ने पांच साल में सिर्फ 85 करोड़ रूपए ही व्यय किए, यह आंकड़ा वैश्विक मंदी में मार झेल रहे गरीब भारत का है। यूपीए की दूसरी पारी में पीएमओ ने ज्यादा नहीं महज सत्तर करोड़ रूपए ही खर्च किए हैं। अभी दो साल का वक्त और बाकी है, चुनावों में यह आंकड़ा इस बार डेढ़ सौ करोड़ के उपर पहुंचने की उम्मीद है।

आड़वाणी की रथ यात्रा मतलब फ्लाप शो
7, रेसकोर्स रोड़ (प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) को अपना आशियाना बनाने की तमन्ना दिल में रखने वाले भाजपा के तिरासी साल के उमर दराज नेता एल.के.आड़वाणी ने अब अपनी यात्रा का अंतिम दांव भी फेंका लेकिन वह फुस्स ही निकला। रथ यात्रा जहां जहां से भी गुजरी वहां वहां न तो वांछित भीड़ ही जुटी और न ही मीडिया ने आड़वाणी को ज्यादा तवज्जो ही दी। एक पंथ दो काज की नीति को अपनाकर आड़वाणी ने अपनी पुत्री प्रतिभा को स्थापित करने का जतन भी कर लिया और देश की नब्ज भी टटोल ली। यह सब करते समय वे खुद ही अपने कद को नीचे गिरा चुके हैं। भाजपा और संघ में चल रही चर्चाओं के अनुसार आड़वाणी ने इस यात्रा के जरिए अपनी पुत्री को जरूर स्थापित करने का प्रयास किया हो, पर उन्होंने अपनी इमेज खराब कर ली है।

टूजी स्पेक्ट्र घोटाले का सर्वाधिक फायदा आईडिया को!
आदिमत्थू राजा के कार्यकाल में हुए भारत गणराज्य के अब तक के सबसे बड़े टेलीकाम घोटाले में सबसे अधिक मलाई काटी है आदित्य बिरला कंपनी के स्वामित्व वाली मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी आईडिया ने। इस मामले में एक सदस्यी जांच समिति के समक्ष अनेक सनसनीखेज बातें लाईं गईं जिससे जांच समीति इस निश्कर्ष पर पहुंची कि यह घोटाला मानो आईडिया के साथ एक अन्य मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी के इशारे पर ही किया गया हो। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस घोटाले से एयरटेल और आईडिया जैसी टेलीकॉम कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा मिला है। इस मामले पर रिटायर जज शिवराज पाटिल की एक सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि टेलिकॉम मिनिस्ट्री के मनमाने फैसलों से भारती एयरटेल और आइडिया सेल्युलर जैसे ऑपरेटरों को स्पेक्ट्रम हासिल करने में मदद मिली।

वाकई मजबूर लग रहे हैं मनमोहन
प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी के बीच अब चूहा बिल्ली की लड़ाई आरंभ हो गई है। घोटालों के ईमानदार संरक्षक बन चुके डाॅ.मनमोहन सिंह से पीछा छुड़ाने की जद्दोजहद अब कांग्रेस में चल पड़ी है। उधर मनमोहन सिंह अपने आप को मजबूर और लाचार बताने से नहीं चूक रहे हैं। प्रधानमंत्री बनने से अब तक वे अपने पसंद के नेताओं को मंत्री नहीं बना पए हैं। मनमोहन कई बार इशारों ही इशारों में इस बात को जतला भी चुके हैं। कांग्रेस में नरसिंहराव के बाद गैर नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) से हटकर प्रधानमंत्री बनने का रिकार्ड बना चुके मनमोहन काफी व्यथित ही नजर आ रहे हैं। जिस तरह मध्य प्रदेश के तत्कालीन निजाम राजा दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में रसातल में जा चुकी कांग्रेस अब उबर नहीं पा रही है, ठीक उसी तरह कांग्रेसियों का मानना है कि मनमोहन के नेतृत्व में देश भर में कांग्रेस की स्थिति कमोबेश यही होने के आसार बनने लगे हैं।

एमपी में दिखने लगा प्रभात!
प्रभात अर्थात सवेरा अब मध्य प्रदेश में दिखने लगा है। सख्त मिजाज भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा ने अंततः दिखा ही दिया कि उनका अनुशासन का डंडा, मुख्यमंत्री के ढुल मुल रवैए से कहीं ज्यादा कड़क है। उज्जैन में भाजपा उपाध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने मुख्यमंत्री को घोषणाीवर कह मारा। फिर क्या था प्रभात झा ने तत्काल कार्यवाही कर शर्मा को चलता कर दिया। अगर वे एसा नहीं करते तो पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद होते। प्रभात झा ने परोक्ष तौर पर यह संदेश भी दे दिया है कि अप्रिय निर्णय लेने में वे शिवराज जैसे नहीं हैं। शिवराज के मंत्री बाबूलाल गौर, कैलाश विजयवर्गीय, राघव जी, सरताज सिंह आदि सरकार की कार्यप्रणाली पर ही प्रश्नचिन्ह लगा चुके हैं। शिवराज तो अपने मंत्रियों की मुश्कें नहीं कस पाए पर प्रभात झा ने चमत्कारिक तरीके से शर्मा को रूखसत कर कड़ा संदेश दे डाला।

डीआईजी की बगावत, पागल करार!
उत्तर प्रदेश में अयोध्या को भगवान राम की जन्म स्थली के बतौर मानते हैं सनातन पंथी। कहते हैं राम की भूमि में राम राज्य रहा करता था। अब कहा जाने लगा है कि जबसे मायावती ने कमान संभाली है तबसे वहां राम का राज्य कभी का चला गया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के अग्निशमन विभाग (फायर सर्विस) में पदस्थ डीआईजी देवेंद्र दत्त मिश्र को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर पागल करार दे दिया गया। फायर विभाग में करोड़ों के घपले के आरोप लगाकर उन्होंने सनसनी फैलाई तो उन्हें मानसिक बीमार करार दे दिया गया। दुबे ने सभी नस्तियों में प्रतिकूल टिप्पणियां कर मीडिया को अपना दर्द बताया। उप महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी ने जब इस तरह के संगीन आरोप लगाए तो उसकी जांच के बजाए उन्हें ही पागल करार दिया जाना मायाराज का नायाब नमूना ही माना जा रहा है।

सबसे बड़ी रंगोली में कांग्रेंस भाजपा का मिलन
कांग्रेस और भाजपा वैसे तो विरोधी पार्टियां हैं। कभी कभी एसे मौके आते हैं जब कांग्रेस और भाजपा एक ही मंच पर दिखाई पड़ते हैं। देश के हृदय प्रदेश में भगवान शिव का जिला है सिवनी। इसके जिला मुख्यालय में एक अजूबा हुआ। युवाओं ने स्थानीय दैनिक संवाद कुंज के सहयोग से पेंतालीस हजार वर्ग फुट में सबसे बड़ी रंगोली डाली। इस विशाल रांगोली को एशिया बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्डस के लिए नामांकित किया गया है। इसमें सिवनी की प्रमुख समस्याओं ब्राडगेज, फोरलेन, पेंच परियोजना आदि को बेहतरीन तरीके से रेखांकित किया गया। यह दर्शाया गया कि कांग्रेस और भाजपा की नूरा कुश्ती में किस तरह जिले के विकास की ये परियोजनाएं दम तोड़ चुकी हैं। कांग्रेस और भाजपा के विधायक यहां मौजूद रहे किन्तु दोनों ही दलों के जनसेवकों को लेश मात्र भी शर्म नहीं आई कि वे किस तरह उन्हें मिले जनादेश का अपमान कर रहे हैं।

पुच्छल तारा
डीजल पेट्रोल के दामों में आग लगी हुई है। जब चाहे तब दाम बढ़ जाते हैं। वाहन चालक परेशान हैं पता नहीं सुबह उठें और दाम बढ़े मिलें। मध्य प्रदेश से शिवी कुमारी ने एक मजेदार ईमेल भेजा है। शिवी लिखती हैं कि 23 रूपए के पेट्रोल पर 46 रूपए का कर आहूत किया है केंद्र और राज्य सरकारों ने। आम आदमी की तो कमर ही टूट चुकी है इससे। आश्चर्य तो इस बात का है कि मूल कीमत से दोगुना टेक्स लगाने के बाद भी तेल कंपनियां घाटे में कैसे हो सकती हैं। भारत गणराज्य में किसी विश्वद्यालय को इस बारे में शोध या पीएचडी अवश्य ही करवाना चाहिए।