रविवार, 23 अक्तूबर 2011

भूटान नरेश ने शादी में नहीं बुलाया सोनिया को


भूटान नरेश ने शादी में नहीं बुलाया सोनिया को

युवा तुर्क राहुल और दुष्यंत को किया निजी तौर पर आमंत्रित

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भूटान नरेश ने अपनी शादी में भारत की सत्ता और शक्ति की केंद्र श्रीमति सोनिया गांधी को आमंत्रित नहीं किया जिसके मायने राजनैतिक वीथिकाओं में खोजे जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को निजी तौर पर विवाह का निमंत्रण भेजा गया था। वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह भी विवाह का न्योता नहीं पा सके।

विदेश के मामलों में जानकारी रखने की इच्छा रखने वाले लोग इन दिनों इस नए समीकरण के निहितार्थ खोज रहे हैं कि देश के प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह और कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी की अनदेखी कर सोनिया पुत्र राहुल और वसुंधरा पुत्र दुष्यंत को आमंत्रित करने के पीछे कया वजह हो सकती है। देखा जाए तो भारत और चीन से सटे भूटान के राजघराने के विवाह में पीएम और सोनिया को विवाह का न्योता अवश्य ही मिलना चाहिए था।

चीन के करीब होने के कारण इस देश में दुनिया के चौधरी अमेरिका की खासी दिलचस्पी है। जानकारों की मानें तो अमेरिका भूटान में अपना एक बेस तैयार करना चाह रहा है जहां से वह चीन पर नियंत्रण का ताना बाना बुन सके। वैसे भी भूटान राजघराने के नार्वे, डेनमार्क और ग्रेट ब्रिटेन के राजघरानों से अच्छे ताल्लुकात किसी से छिपे नहीं हैं। अमेरिका को अगर भूटान से सीधी दखल नहीं मिल पाई तो वह इन राजघरानों के माध्यम से वहां प्रवेश करने की कोशिश कर सकता है।

भारत इस समय उहापोह की स्थिति में है। अगर भारत इस मामले में लचीला रूख अपनाता है और अमेरिका भूटान में घुसकर चीन को नियंत्रित करने का प्रयास करता है तो इसके दुष्प्रभाव भारत को ही भोगने होंगे क्योंकि उन परिस्थितियों में चीन भारत पर दबाव बनाना आरंभ कर देगा। अगर भूटान अमेरिका की सेना का बेस बनता है तो फिर भारत को चीन और अमेरिका दोनों ही से जूझना पड़ सकता है।

विकास की दौड़ में पिछड़ा एमपी सीजी


विकास की दौड़ में पिछड़ा एमपी सीजी

एमपी में 75 फीसदी घरों में नहीं हैं शौचालय

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। शिवराज सिंह चौहान और डॉ.रमन सिंह चाहे कितने भी दावें करें किन्तु विकास की दौड़ में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पिछड़ चुके हें। दोनों ही सूबों में विपक्ष में विपक्ष में बैठी कांग्रेस इसके खिलाफ आवाज बुलंद करने में असफल ही रही है, जिससे उस पर भाजपा से मैनेज होने के आरोपों को बल मिल रहा है। भाजपा शासित राज्य विकास की दौड़ में पिछड़ रहे हैं। इस बात का खुलासा योजना आयोग के उपाध्यक्ष एम.एस.अहलूवालिया द्वारा जारी मानव विकास प्रतिवेदन में किया गया है।

देश में मानव विकास सूचकांक में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि स्वास्थ्य, पोषण तथा स्वच्छता का मुद्दा भारत के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लायड मैनपावर रिसर्च द्वारा तैयार मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट 2011 में यह निष्कर्ष निकाला गया है। इसमें सूचकांक में उच्चतम साक्षरता दर, गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवा तथा लोगों के उपभोग खर्च के आधार पर केरल को शीर्ष पर रखा गया है। इसके बाद दिल्ली को दूसरे, हिमाचल को दूसरे तथा गोवा को तीसरे स्थन पर रखा गया है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश के दो तिहाई परिवार पक्के घरों में रहते हैं जबकि तीन चौथाई परिवारों को घरेलू इस्तेमाल के लिए बिजली मिल रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के मानव विकास सूचकांक में बीते दशक में प्रभावी सुधार हुआ है। सूचकांक 2007-08 में 21 प्रतिशत बढ़कर 0.467 हो गया है जो 1999-2000 में 0.387 था। साथ ही इसमें रेखांकित किया गया है कि मानव विकास सूचकांक के मानकों पर छत्तीसगढ़, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, झारखंड, राजस्थान व असम अब भी पिछड़े हैं और ये 0.467 के राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजस्थान छत्तीसगढ़, उड़ीसा और बिहार जैसे राज्यों के साथ काफी कमजोर स्थिति में है और इसका प्रदर्शन मानव विकास के राष्ट्रीय औसत से भी नीचे है। इतना ही नहीं खाद्य और पोषण के मामले में भी स्थिति खासी खराब है। आधारभूत विकास के मामले में प्रदेशों का प्रदर्शन खासा खराब रहा है। रिपोर्ट में इस बात का भी हवाला दिया गया है कि मध्यप्रदेश, बिहार और झारखंड की तरह राजस्थान के भी 75 फीसदी घरों में आज भी शौचालय तक नहीं हैं।

सबसे बेहतर प्रदर्शन करनेवाले राज्य

केरल, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, गोवा, पंजाब।

ख़राब प्रदर्शन करनेवाले राज्य

छत्तीसगढ, उड़ीसा, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान।

सीनियर आईएएस जुलानिया ने दिखाई दंबगई


सीनियर आईएएस जुलानिया ने दिखाई दंबगई

मौके पर अनुपस्थित उपयंत्री ने कराई पुलिस में एफआईआर

(हिमांशु कौशल)

सिवनी, 22 अक्टू. विभागीय परियोजना की समीक्षा पर आये जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधेश्याम जूलानिया को जनमंच एवं किसानों के तीखे आक्रोश का सामना करना पड़ा गया क्योंकि सर्किट हाउस में बहुत से किसान उनके इंतजार में बैठे थे और वे अंदर विधानसभा उपाध्यक्ष से बंद कमरे में लगातार बात कर रहे थे. जनमंच और किसानों का इस बात पर से इतना आक्रोश बढ़ गया कि अगर पूर्व मंत्री डाँ. ढालसिंह बिसेन बीच में न आ गये होते तो नौबत मारा पिटाई तक की आ गयी थी.

विदित हो कि जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधेश्याम जूलानिया आज विभागीय परियोजना की समीक्षा हेतु सिवनी आये हुए थे. बताया जाता है कि जिस दौरान वे कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बैठक ले रहे थे उसी समय उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह का फोन आ गया और वे बीच में ही आधी बैठक छोड़ उनसे मिलने सर्किट हाउस आ गये. इस बात की खबर जनमंच के संजय तिवारी, भोजराज मदने एवं अन्य भाजपा नेता व कुछ किसानों को लग गयी तो वे भी जूलानिया से बात करने सर्किट हाउस पहुँच गये.

सर्किट हाउस के एक कक्ष में जूलानिया और विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह बहुत देर तक आपस में बात करते रहे जिससे बाहर इंतजार कर रहे लोगों के बीच यह बात उठनी शुरू हो गयी कि हरवंश सिंह तो कभी भी जूलानिया से बात कर सकते हैं वे तो उन्हें कभी भी बर्रा बुला सकते हैं पर अभी तो कुछ देर जनता को उनसे मुखातिब होने का मौका मिल जाये. लोगों ने यह भी कहा कि सिंह स्वयं ही जूलानिया साहब से उन्हें मिलवा दें और उनके लिये जो ज्ञापन लाये हैं उन्हें सौंपने का मौका दे दें. ये सब बातें बाहर चलते रही.

इसके बाद भी जब बहुत देर तक जूलानिया कमरे के बाहर नहीं निकले तो कुछ लोगों ने अंदर जाने का प्रयास किया पर मौके पर मौजूद हरवंश सिंह के स्टाफ ने उन्हें रोक दिया. इसके बाद लोगों का आक्रोश और बढ़ गया कि हम यहाँ इतने देर से बैठे हैं और हरवंश सिंह और जूलानिया साहब की बात ही खत्म नहीं हो रही है.

इसके बाद भाजपा मंडल अध्यक्ष सुनील बघेल कमरे के अंदर घुस गये जिन्हें देखते ही जूलानिया भड़क गये. सुनील बघेल ने जूलानिया से निवेदन किया कि दो मिनिट हमारी बात सुन लीजिये इनसे तो आप कभी भी मिल सकते हैं हमारा ज्ञापन ले लीजिये पर जिस प्रकार बघेल ने कमरे में प्रवेश किया था उससे जूलानिया बहुत क्रोधित हो गये थे और उन्होंने डाँट कर सुनील बघेल को कमरे से बाहर जाने को कह दिया. इसके बाद सुनील बघेल कमरे से तो बाहर आ गये पर बाहर बैठे लोगों में आक्रोश और तेजी से बढ़े गया और लोग जूलानिया और हरवंश सिंह के बाहर निकलने का इंतजार ही करने लगे.

इसके बाद कमरे का दरवाजा खुला और जूलानिया तेज कदमों से गेट की ओर बढ़े और उनके पीछे पीछे पूरे लोग जो काफी देर से उनका इंतजार कर रहे थे  सर, एक मिनिट सर, एक मिनिट रूकिया कहते हुए उनके पीछे दौड़े. पर जूलानिया नहीं रूके. जब वे सर्किट हाउस की सीढ़ियों से नीचे उतर डामर सड़क पर आये गये तो पीछे से तिवारी ने आवाज दी कि सर आपको बात तो सुननी ही पड़ेगी आप बैठकर दस मिनिट बात कर लीजिये.

श्री तिवारी के इन शब्दों को सुनकर जाते जाते जूलानिया रूक गये और पीछे मुड़कर पुनः तिवारी के पास आये और कहा बात नहीं सुनुंगा तो क्या दादागिरी करोगे. इस पर तिवारी ने कहा कि कोई दादागिरी नहीं है सर. इसके बाद अनेक लोग कुछ न कुछ कहने लगे जिसपर जूलानिया ने तेज स्वर में चिल्लाया एक मिनिट. कुछ क्षणों की खामोशी छा गयी. फिर जूलानिया ने सुनील बघेल की ओर मुखातिब होकर कहा कि अंदर कमरे में घुस आये ये बद्तमीजी नहीं है, ये दादागिरी नहीं है, ये तरीका है तुम्हारा.

इस पर आक्रोश में सुनील बघेल ने उंगली उठाते हुए कहा कि बिल्कुल दादागिरी नहीं है तो जूलानिया ने चिल्लाते हुए कहा कि हाथ नहीं उठाओगे, बिल्कुल उंगली उठाकर बात नहीं करोगे तुम. इस पर सुनील बघेल ने भी  कह दिया गया कि आप भी हाथ नहीं उठायेंगे. फिर जूलानिया ने पुनः डाँटने वाले तेज स्वर में कहा कि अंदर घुस आये तुम, अंदर घुस आये तुम ये हरकत है तुम्हारी. इस पर बघेल ने कहा कि मैने निवेदन करके अंदर घुसा था.

इसी बीच संजय तिवारी ने बात को संभालने की कोशिश की कि सर वो निवेदन करने गया था कि आप हमें भी सुन ले. जिस पर जूलानिया ने कह दिया अच्छा रोक लो मेरे को देख लो मै तुम्हारी नहीं सुनुंगा तो तिवारी ने कहा कि मत सुनिये जाइये. तिवारी के ऐसा कहते ही दो क्षण के लिये जूलानिया स्वतः शांत हो गये फिर कहा कि मैं आपसे मिलने यहाँ नहीं आया हूँ. तो तिवारी ने कहा कि मैं निवेदन कर रहा हूँ आपसे. इस पर जूलानिया ने कहा कि आप निवेदन नहीं कर रहे हैं, दादागिरी है यह. फिर संजय तिवारी ने कहा कि सर सुनील बघेल आपसे निवेदन करने गया था तो जूलानिया ने कहा कि कौन सी बड़ी तोप हैं ये ? इस पर तिवारी आक्रोश में आ गये उन्होंने कहा कि तोप इस देश में नागरिक ही हैं इसी बीच दूसरे लोग भी जोर जोर से चिल्लाने लगे. तिवारी ने कहा कि नागरिक ही तोप हैं इस देश में आप और शासन नहीं.

इसके बाद तो लोगों का चिल्लाना इतना बढ़ा कि जूलानिया घेरा तोड़कर आगे बढ़ने लगे और तिवारी व अन्य लोग उनके पीछे पीछे चिल्लाते हुए जाने लगे बीच बीच में जूलानिया उनकी बातों का जवाब भी दे देते फिर यह हुआ कि जनता ने उन्हें पुनः घेर लिया और भीड़ में सभी लोग जिससे जो बना बोलता गया न जूलानिया की समझ में आ रहा था न ही आस पास खड़े लोगों की कि क्या बोला जा रहा है. इसी बीच विधानसभा उपाध्यक्ष महोदय सर्किट हाउस की गैलरी में आकर खड़े हुए और देखा कि मामला गर्म है तो पुनः अंदर कमरे में चले गये.

इसके बाद फिर जूलानिया ने कहा कि ये क्या है, ये दादागिरी है. फिर संजय तिवारी एवं कुछ लोगों ने क्षमा मांगी तो जूलानिया ने कहा कि ये कोई क्षमा मांगने का तरीका है. तभी बीच में एक ने लोगों से कहा कि लाइये लाइये ज्ञापन दीजिये तो जूलानिया ने कहा कि कोई ज्ञापन नहीं लूंगा मैं. पहले आप बात करने का तरीका सीखिये, ये कोई तरीका है बात करने का. आप मेरे साथ इस ढंग से बात कर रहे हैं, मेरे उपयंत्री के साथ आप क्या करते होंगे.

इस पर तिवारी ने कहा कि अरे छोड़िये सर, किसी के साथ हम कुछ नहीं करत.े इस पर जूलानिया पुनः तिवारी की ओर मुड़े और कहा कि ये ठीक नहीं कर रहे हैं आप और ये तरीका सहीं नहीं है आपके बात करने का, कमरे में भी चिल्लाकर घुस आये आप.
इस पर तिवारी ने हरवंश सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप जिन लोगों से बातचीत कर रहे हैं उनसे आप भोपाल में भी मिल सकते हैं. इस पर जूलानिया ने कहा कि मैं कहीं भी मिलूँ ये आप तय नहीं करेंगे तो तिवारी ने कहा कि चलिये आप डिसाइड कर लीजिये, हमको बता दीजिये कि आप कब हमसे मिलेंगे तो जूलानिया ने कहा कि शाम को चार बजे कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आइये आप लोग. और इस तरह की बद्तमीजी बिल्कुल नहीं चलेगी.

इस पर सुनील बघेल ने पुनः कहा कि कौन सी बद्तमीजी कर दी सर हमने चलिये आप बताये की कौन सी बद्तमीजी की हमने. बघेल के ऐसा कहने पर े पुनः विवाद शुरू हो गया और पुनः संजय तिवारी ने कहा कि कोई बद्तमाजी नहीं है सर ये. इस देश के नागरिक हैं हम लोग, ये बता दें आपको.

पूर्व मंत्री डाँ. ढालसिंह बिसेन का आगमन और बातचीत

इसके बाद पूर्व मंत्री डाँक्टर ढालसिंह बिसेन का आगमन हो गया जिनके आने के कारण ही परिस्थिति संभली. उन्होंने धीरे से जूलानिया का हाथ थामा कि उनका गुस्सा शांत हो और कहा कि दो मिनिट इन लोगों की बात सुन लो न साहब ये लोग भी परेशान है, दो मिनिट इन लोगों की बात सुनने में क्या चले जायेगा. पहले तो जूलानिया बिसेन से लोगों की शिकायत की कि फिर धीरे से वे लोगों की बात सुनने को राजी हो गये.

श्री ढालसिंह बिसेन ने कहा कि जैसे ही बात यहाँ मीडिया में आयी कि पेंच के ऊपर सरकार का यह पत्र चला है कि पेंच नहीं बनेगी तो मैने ऊपर बात की तो बताया गया कि हाँ साहब एक पत्र हमारा चले गया है कि पेंच परियोजना नहीं बनेगी. इस पर जूलानिया द्वारा कहा गया कि पत्र नहीं गया है, ऐसा कोई पत्र गया ही नहीं है. उन्होंने पूछा आपको किसने बता दिया कि ऐसा पत्र गया है तो ढालसिंह बिसेन ने कहा कि पेपर में आया है कि जूलानिया साहब का पत्र गया है. इसके बाद हम लोगों द्वारा सी.एम. स्तर पर बात की गयी, छिंदवाड़ा में भी मामला उठाया गया.

अब जूलानिया ने डाँ ढालसिंह बिसेन से कहा कि सर जो लोग बांध विरोधी है ये सब बाते उन लोगों द्वारा फैलायी गयी बाते हैं. वे ऐसी बाते फैलाते हैं.

श्री जूलानिया ने कहा कि प्रोजेक्ट में जो सुप्रीम कोर्ट का स्टे था वह मैने हटवाया. उसके बाद पुराने ठेकेदार को हटाया फिर जो नया टेंडर हुआ उसमें पुनः सुप्रीम कोर्ट का स्टे लग गया फिर मैने दूसरा वकील लगाकर उस स्टे को खाली करवाया फिर मैने नया टेंडर लगवाया, नयी एजेंसी तय की और लगातार में लगा हुआ हूँ कि यह प्रोजेक्ट बने. नाबार्ड से 400 कुछ करोड़ का लोन मैने सेंक्शन कराया और आज लोग मुझसे कह रहे हैं कि मैने प्रोजेक्ट बंद करवा दिया.

श्री ढालसिंह बिसेन ने  कहा कि मेरी भी कुछ अधिकारियों से बातचीत हुई थी उन्होंने भी बताया था. यह भी जानकारी आ रही है कि वहाँ के कुछ समुदाय विशेष के लोग और कमलनाथ जी की ओर से गड़बड़ हो रही है.

इस पर जूलानिया द्वारा कहा गया कि किसी भी राजनैतिक पदाधिकारी के बारे में मैं कोई टीका टिप्पणी कभी नहीं करूंगा और ये मेरा काम भी नहीं है. जूलानिया ने कहा कि राजनैतिक पदाधिकारी एक दूसरे के बारे में क्या कहते हैं, क्या करते हैं मैं उस व्यवसाय में नहीं हूँ. मेरा प्रशासनिक काम है, प्रदेश की सभी परियोजनाओं को मुझे पूरा करना है. पेंच ही एक मात्र ऐसी परियोजना है जो किसी न किसी कारण से उलझी है. अब उस उलझन को दूर करने के लिये सबसे पहले जो बात थी कि जो ठेका दिया था उस ठेके में उस ठेकेदार का फर्जी एफ.डी.आर. निकला. मैने एफ.डी.आर. के मुद्दे को निपटाया उसके बाद नाबार्ड के जी.एम. से मैने बात की और इस प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहा.

श्री जूलानिया ने आगे बताया कि इसके बाद मैने आंध्रा की एक बहुत अच्छी कंपनी को जिसका नाम मुझे अभी याद नहीं आ रहा को ठेका दिया है. जिसे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जो मंत्री मंडल की विशेष बैठक होती है. जिस बैठक में 100 करोड़ से ऊपर के ठेके आते हैं. उस बैठक में कंपनी के इस ठेके को स्वीकृति मिली है. उसके मिनिट्स भी बन कर आ चुके हैं तो सरकार की तरफ से पूरी तैयारी है कि यह योजना बने.

श्री जूलानिया ने आगे बताया कि अब इस पे जो पानी उपलब्ध है उस पानी का भी हमने आंकलन किया जिससे हमने यह निष्कर्ष निकाला कि हमें इसकी नहरों को भी पक्की करना है क्योंकि नहरे अगर कच्ची रहती हैं तो 50 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती है और अगर नहरे हमने पक्की कर ली तो 10 से 15 हजार हेक्टेयर सिंचाई इससे बढ़ जायेगी.

श्री जूलानिया ने यह भी बताया कि लागत से लेकर सभी तकनीकी मापदंडों से इस तरह से है कि अगर हमें मात्र 2 साल का भी समय मिल गया तो हम इस परियोजना को पूरा कर लेंगे मतलब अगर हमें अभी से काम करने मिल जाये तो दो साल के वर्किंग पीरियेड में हम इस प्रोजेक्ट को 2013 तक पूरा कर लेंगे.

आपने बताया कि प्रोजेक्ट में तीन गाँव हैं तीनों गाँव की जो भूमि अर्जन करना है वह हम कर चुके हैं. भू अर्जन के बाद किसानों ने सारा पेमेंट ले लिया और पेमेंट लेने के बाद ये सारी समस्या खड़ी हुई है. जूलानिया ने कहा कि उसके बाद भी मुख्यमंत्री जी से मैने दो महीने पहले ही अनुमति ले ली थी कि मंत्री परिषद में विशेष प्रस्ताव लाकर आज की कलेक्ट्रेट रेट के हिसाब से अंतर की राशि किसानों को  अनुदान के रूप में और दे दें. आपने कहा तो इस तरह किसान की जो जायज समस्या है वह हम हल करने को तैयार है लेकिन अगर कोई कहे कि मेरी जमीन का तो 1 करोड़ रूपये मुआवजा मिलना चाहिये तो वो असंभव है पर वर्तमान कलेक्ट्रेट दर के हिसाब से मुआवजा देने के लिये अभी जिला कलेक्टर को और प्रशासन को मुख्यमंत्री जी ने परसों हुई वीडियो कांफ्रेंसिग में पुनः निर्देशित करते हुए कहा है कि काम शुरू कर दो.

आपने कहा कि अगर हमें काम बंद करना होता तो हम कंपनी को पहले ही कह देते कि भैया तुम जाओ. क्योंकि बिना काम के जो पेनाल्टी लगती है वह बहुत ज्यादा आ जाती. आपने कहा कि सरकार की तरफ से कहीं भी किसी प्रोजेक्ट का काम नहीं रूक रहा है और ऐसा कैसे हो सकता है कि पूरे प्रदेश में केवल पेंच ही रूके और बाकी सारे प्रोजेक्ट चालू रहें. आपने कहा कि बाणसागर में 9 हजार 12 हजार हेक्टेयर में सिचाँई होती थी डेढ़ साल पहले मैं आया तो अब 99 हजार हेक्टेयर पर सिँचाई होने लगी है.

श्री जूलानिया ने जानकारी दी कि सिवनी में नहर 60 प्रतिशत पूरी हो चुकी हैं. अगर बांध का काम करने में अड़चने पूरी हट जाती तो अगले साल तक इसी समय तक नहरे हमारी पूरी चालू हो जाती. आपने बताया कि पेंच का भी जो हमने ठेका दिया है वह इस प्रकार से दिया है कि दो वर्ष में काम पूरा हो जाये और अगर जरूरत पड़ी तो हमारे पास विभाग की बड़ी बड़ी मशीने हैं उन्हें भी हम मोबीलाइज कर लेंगे और हमारी मशीने इतनी बड़ी है कि जो व्यक्ति खड़े होकर चलाता है उसे नीचे वाला नहीं दिखता. बिल्कुल साक्षात राक्षस जैसी मशीने हैं.

श्री जूलानिया ने कहा कि छिंदवाड़ा में जो परियोजना का विरोध है राजनैतिक रूप से उसका आप राजनैतिक लोग मिलकर निराकरण करें. आपने कहा कि हर आदमी इंसान भी है, किसान भी है, नेता भी है, अफसर भी है. आप जो भी लोग राजनीति करते हैं वे अपनी राजनीति का उपयोग कर समस्या का निराकरण निकाले. जो कोई भी पार्टी ये कर रही है उन्हें भी समझाये कि विकास में बाधा न बने. जो जायज बातें है वो सब मानने के लिये सरकार तैयार है जो ना जायज बाते हैं उन्हें तो कोई नहीं मान सकता कि साहब करोड़ रूपये मुआवजा दीजिये. आपने कहा कि पहले मुआवजा 110 करोड़ रूपये का बना था अब वर्तमान कलेक्टर गाइड लाइन से मुआवजा 310 करोड़ के लगभग बना है याने कि 200 करोड़ रूपये सरकार अतिरिक्त देने को तैयार है. अब लोग 1500 करोड़ मांगेगे तो कहाँ से काम होगा.

इसके बाद पूर्व मंत्री डाँ. ढालसिंह बिसेन ने कहा कि बैठक के बाद जब आप जाने लगें तो इन सब जानकारियों की एक सरकारी विज्ञप्ति अपने सरकारी पी.आर.ओ. से जारी करवा देना.

प्रमुख सचिव जूलानिया और पत्रकारों के बीच हुई बात

पूर्व मंत्री डाँ ढालसिंह बिसेन  से फुर्सत होकर प्रमुख सचिव जूलानिया जब अपने गाड़ी की ओर बढ़े तो पुनः उन्हें पत्रकारों ने घेर लिया. पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए जूलानिया ने कहा कि पेंच परियोजना बनेगी सरकार इसे बनाना चाहती है. आपने बताया कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने ठेका तय नहीं करने दिया. सुप्रीम कोर्ट से स्टे के कारण काम हम नहीं करा सकते थे. आपने कहा कि अगर हमने काम अभी शुरू करवा दिया तो हम 2013 में इस योजना को पूरा कर देंगे पर हमें छिंदवाड़ा के किसानों के साथ बैठक कर तय करना है कि अब उनकी क्या समस्याएं है.

आपने बताया कि जो काम रुका था उसका कारण था कि सबसे पहले जो वहाँ एस.के. जैन एंड कंपनी थी उसकी एफ.डी.आर. फर्जी थी और वह फर्जी एफ.डी.आर. मैने ही पकड़ी थी. कहीं से कोई गुमनाम शिकायत आयी थी कि ऐसा हुआ है उस गुमनाम बिना हस्ताक्षर की शिकायत पर मैने जाँच की थी. जाँच में जो एफ.डी. मौके पर पायी गयी वह असली थी जब डीटेल में गये कि यह सहीं एफ.डी. है तो फिर फर्जी की शिकायत क्यों तो पता चला था कि जो फर्जी एफ.डी. थी उसका 9-10 महीने का जो टेन्योर था वह खत्म हो चुका था उसका बहाना लेकर जो नयी एफ.डी. बनायी गयी थी वह सहीं थी. इसके बाद हमने निकाला कि जो पुरानी एफ.डी. थी जिसके आधार पर एग्रीमेंट साइन हुआ था वह सहीं है या फर्जी तो हमने एक्सिस बैंक से पूछा तो एक्सिस बैंक ने लिख कर देने से इंकार कर दिया. फिर बैंक को प्रेशर पड़ा कि आपको बताना ही पड़ेगा कि यह एफ.डी. असली है या फर्जी तो बैंक ने यह लिखकर दिया कि ऐसी एफ.डी. हमने जारी नहीं की. तो फर्जी एफ.डी. होने के कारण हमने सबसे पहले उस एग्रीमेंट को कैंसिल किया. इसके बाद थाने में एफ.आई.आर. दर्ज करवायी. इसके बाद दूसरा ठेका देने के लिये हमने नयी एजेंसी बनायी उसने लगभग 35-40 लाख रूपये का काम किया ईएनसी ने उसका इन्सपेक्शन किया तो उसने काम को रिजेक्ट कर दिया.

प्रेस ने जब जूलानिया से पूछा कि इसके पीछे का राजनैतिक कारण क्या है तो पहले तो जूलानिया ने बात को टालना चाहा पर जब प्रेस वाले नहीं माने तो उन्होंने कहा कि इसका एक राजनैतिक पक्ष बांध के निर्माण में विरोध पैदा कर रहा है ऐसा माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपने भाषण में कहा है. उन्होंने दोबारा कहा मुख्यमंत्री जी ने कहा है मैने नहीं कहा. इतनी बात करने के बाद जूलानिया पुनः कलेक्ट्रेट सभाकक्ष की ओर रवाना हो गये जहाँ से वे अपनी अधूरी बैठक छोड़कर विधानसभा उपाध्यक्ष से बात करने सर्किट हाउस आये थे