शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

भाजपा कसेगी निशंक पर शिकंजा


भाजपा कसेगी निशंक पर शिकंजा

राज्यसभा से संसदीय सौंध पहुंचना चाह रहे हैं निशंक

पार्टी चाहती है सूबे तक ही सीमित रहें निशंक

विधानसभाध्यक्ष बन सकते हैं निशंक

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की सत्ता से उतार फेंके गए मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को साईज में लाने के लिए भाजपा नेतृत्व लामबंद होता नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री खण्डूरी की सिफारिशों के बाद नेतृत्व कुछ हरकत में आता दिखाई दे रहा है। निशंक चाहते हैं कि शाहला मसूद हत्याकांड में नाम आने के बाद विवादित हुए तरूण विजय जब सीट रिक्त करे तो उस पर वे काबिज हो जाएं। उधर नेतृत्व उन्हें साईज में लाकर उत्तराखण्ड तक ही सीमित रखना चाह रहा है।

उत्तराखण्ड की सत्ता से अचानक ही बाहर हुए निशंक की नजर अब केंद्रीय राजनीति पर है। उनकी चाहत है कि वे तरूण विजय की राज्य सभा सीट किसी भी तरह हथिया लें। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि निशंक को मशविरा दिया गया है कि आज नहीं तो कल शहला मसूद मामले में नाम घसीटे जाने के उपरांत राज्य सभा सांसद तरूण विजय को त्यागपत्र देना ही होगा। इसलिए वे अभी से इस सीट के लिए लाबिंग आरंभ कर दें।

भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व और आल नेता निशंक को केंद्र में झेलने की स्थिति में नहीं हैं। अरूण जेतली, सुषमा स्वराज जैसे नेताओं ने निशंक को उत्तराखण्ड में ही घेरकर रखने के प्रयास आरंभ कर दिए हैं। सूत्रों की मानें तो अब निशंक को उत्तराखण्ड विधानसभा का अध्यक्ष बनवाने की मुहिम चलाई जा रही है। मौजूदा विधानसभाध्यक्ष को सरकार में कबीना मंत्री बनाया जा सकता है। दरअसल केंद्रीय नेतृत्व को भनक मिली है कि अगर निशंक को व्यस्त नहीं रखा गया तो बौखलाए निशंक सूबे में विधानसभा चुनावों में एक दर्जन सीटों पर नुकसान करने की स्थिति में हैं। यही बात मुख्यमंत्री खण्डूरी ने आला कमान को बताई हुई है।

दिग्वियज सिंह से बुरी तरह भयाक्रांत हैं मनमोहन


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 9

दिग्वियज सिंह से बुरी तरह भयाक्रांत हैं मनमोहन

दिग्गी राजा के जहर बुझे तीरों की काट नहीं है मन के पास

अहमद पटेल को साधकर मन की मुक्ति के मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं दिग्गी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। घपालों, घोटालों और भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक की अघोषित उपमा पा चुके वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह की बिदाई की बेला नजदीक ही नजर आ रही है। मनमोहन सिंह की बिदाई में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा, सोनिया के सचिव विसेंट जार्ज के अलावा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह महती भूमिका में नजर आ रहे हैं।

कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी के नाक, कान, आंख और मस्तिष्क बने उनके अघोषित राजनैतिक गुरू राजा दिग्विजय सिंह कांग्रेस के लिए भस्मासुर की भूमिका में ही नजर आ रहे हैं। जिस तरह कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश, सोनिया के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल के सूबे गुजरात और राजा दिग्विजय सिंह के गृह प्रदेश मध्य प्रदेश में कांग्रेस का नामलेवा नहीं बचा है उसी तरह अब केंद्र में भी यही हाल होने के संकेत मिले हैं।

अपनी मुखालफत से आहत प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह का खेमा भी अब सक्रिय होता नजर आ रहा है। मनमोहन मण्डली ने अब अपने विरोधियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मनमोहन मण्डली के शब्द बाणों का असर साफ दिखने लगा है। कांग्रेस के अंदखाने में चल रही चर्चाओं के अनुसार अब तो सोनिया, राहुल गांधी, अहमद पटेल और दिग्विजय सिंह से ही यह पूछा जाना चाहिए कि उनके सूबों में कांग्रेस औंधे मुंह क्यों गिरी है? जब वे अपना घर ही नहीं संभाल सकते तो फिर किस मुंह से देश में कांग्रेस का परचम लहराने की बात कर रहे हैं। अब मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के बीच आर पार की लड़ाई आरंभ हो चुकी है।

(क्रमशः जारी)

तकनीकि खराबी से उपजा भ्रम!


उत्तराधिकारी हेतु रथ यात्रा . . . 4

तकनीकि खराबी से उपजा भ्रम!

जेतली हुए बेहोश तो ठाकुर, सुषमा को आई मितली

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। एल.के.आड़वाणी अपनी पुत्री प्रतिभा को राजनीति में स्थापित करने की गरज से रथ यात्रा पर निकले हैं। इस तरह की चर्चाओं का बाजार जमकर गर्मा चुका है। आड़वाणी का रथ पूणे में तैयार करवाया गया था। यह रथ आड़वाणी के छिपे हुए हनुमान प्रकाश जावड़ेकर ने तैयार करवाया था। आड़वाणी की मंशा के अनुरूप इसमें दो जेनरेटर, वाल्वी साउंड सिस्टम, एक लिफ्ट, हाईड्रोलिक दरवाजे आदि से सुसज्जित किया गया है।

दिल्ली की लो फ्लोर बस के मानिंद इसके दरवाजे रथ के चालू होते ही अपने आप बंद हो जाते हैं। रथ यात्रा में अपशकुन तब आया जब इसका एक एक्जास्ट फेन ही टूटकर गिर गया। एग्जास्ट क्या टूटा, जनरेटर का धुंआ एसी की डक्ट से अंदर भरने लगा। धुएं ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया। बताते हैं कि उस वक्त वहां अरूण जेतली सो रहे थे, जो सोते सोते ही बेहोश हो गए। धुंए से सी.पी.ठाकुर और सुषमा स्वराज को मितली आने लगी। उन्होंने रथ के अंदर ही उल्टियां करना आरंभ कर दिया।

रथ के दरवाजे उसके रूकने पर ही खुल सकते थे। आड़वाणी रथ रोकने के पक्ष में नहीं थे। जब हालात काबू से बाहर हुए तो रथ को रूकवाया गया। रथ के साथ एक भी वाहन नहीं था। राजीव प्रताप रूढी जो आगे चल रहे थे वे काफी फासले पर थे। काफी देर बाद चिकित्सकों से संपर्क कर उन्हें मौके पर बुलवाया गया। चिकित्सकों ने जेतली और सुषमा को रात में यात्रा करने की अनुमति नहीं दी। बाद में आड़वाणी को छोड़कर अन्य नेताओं को अलग अलग वाहनों से अलग अलग जगह भेजा गया। रथ में आड़वाणी और उनकी विरासत संभालने वाली प्रतिभा ही बचीं।
(क्रमशः जारी)


जिला प्रशासन की ढील का फायदा उठा रहा है आईडिया


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  6

जिला प्रशासन की ढील का फायदा उठा रहा है आईडिया

बिना आईडी बांटी जा रही हैं सिम

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। निजी क्षेत्र की बड़ी मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी आईडिया द्वारा समूचे देश में जिला प्रशासन की अनदेखी का लाभ सबसे तेजी से लिया जा रहा है। बिना आईडेंटीफिकेशन प्रूफ के ही आईडिया द्वारा सिम बांटी जा रही हैं। यह भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।

गौरतलब है कि यमुना नगर के जिलाधीश कार्यालय द्वारा जारी आदेशों के तहत उन मोबाईल फोन कम्पनियों को चेताया गया है, जो बिना किसी आवासीय प्रमाण, फोटो और ग्राहकों के स्थाई पतों की जांच पड़ताल के बिना ही मोबाइल फोन धारकों को मोबाइल फोन के सिम उपलब्ध करवा रही है। मोबाईल फोन की कम्पनियां अगर ऐसा करेगी तो आदेशों कीअवहेलना करने वाली कंपनियों/सिम बेचने वाले एजेंट के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अतिरिक्त उपायुक्त दिनेश सिंह यादव ने बताया कि जिलाधीश कार्यालय द्वारा पहले से ही जारी किए गए भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि देखने में आया है कि भारतीय दूर संचार निगम लि., एयरटैल, वोडाफोन, आईडिया, रिलायंस, इन्फोकोम व टाटा आदि मोबाईल कम्पनियों के एजेंट लोगों को उनके आवासीय प्रमाण, फोटोग्राफ व उनके आवास के पतों की जांच पडताल करवाए बिना ही ग्राहकों को मोबाइल फोन के सिम उपलब्ध करवा रही है।

ऐसे ग्राहक उक्त मोबाइल फोन का आपराधिक व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में प्रयोग कर रही है। ऐसे समाज विरोधी तत्व इन मोबाइल सिमं के जरिए से समाज में अशांति फैलाते है और लोगों की जान माल के लिए भी खतरा पैदा करते है। अतिरिक्त उपायुक्त ने स्पष्ट किया गया है कि कोई भी मोबाइल कम्पनी लोगों को बिना आवासीय प्रमाण पत्रों के कोई भी मोबाइल सिम कनेक्शन जारी न करे। उन्होंने मोबाईल फोन विक्रेताओं को भी आगाह किया कि वह ग्राहकों से पुराने मोबाइल खरीदते हुए व उन्हे पुराने मोबाइल बेचते हुए भी सावधानी बरतें। उन्होंने एसटीडी बूथ चलाने वाले लोगों से भी अपील की कि वह उनके बूथों से की जा रही कॉल का पूर्ण ब्योरा लिखित रूप में रखें।

बावजूद इसके देश भर के निन्यानवे फीसदी जिलों में जिला एवं पुलिस प्रशासन द्वारा इस तरह का कोई आदेश सार्वजनिक तौर पर जारी नहीं किए जाने से निजी और सरकारी मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा बिना आईडी प्रूफ के ही सिमों का वितरण किया जा रहा है।
(क्रमशः जारी)