रविवार, 9 अक्तूबर 2011

मध्य प्रदेश को नहीं बसों की दरकार


मध्य प्रदेश को नहीं बसों की दरकार

बसों के लिए कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा केंद्र को

छिंदवाड़ा को दी कमल नाथ ने बड़ी सौगात

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार से मिलने वाली इमदाद की मध्य प्रदेश सरकार को दरकार नहीं है। यही कारण है कि केंद्र द्वारा बार बार प्रस्ताव भेजने के अनुरोध के बावजूद भी एमपी गर्वमेंट ने कोई प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा है। केंद्र सरकार को मिले छः राज्यों के प्रस्तावों को उसने मंजूरी दे दी है, जिसमें मध्य प्रदेश का नाम शामिल नहीं है।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा पास किए गए प्रस्तावों में पंजाब, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडू, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक को शामिल किया गया है। गौरतलब होगा कि सूबों की सरकारी या अर्धसरकारी परिवहन व्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली यात्री बसों के लिए केंद्र सरकार द्वारा अब तक कोई मदद नहीं दी जाती थी। पिछले साल मार्च में भूतल परिवहन मंत्रालय के द्वारा एक योजना बनाई थी जिसके मुताबिक अगर सूबों की बसें सूचना प्रौद्योगिकी सुविधाओं से लैस होंगी तो केंद्र सरकार उन्हें मदद उपलब्ध करवाएगा।

सूत्रों का कहना है कि इसके उपरांत केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2010 - 2011 के लिए सूबों से प्रस्ताव मांगे गए थे किन्तु मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव ही नहीं मिला। इसके अलावा सूबों में निरीक्षण एवं मरम्मत केंद्र की स्थापना के लिए भूतल परिवहन मंत्रालय ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि प्रस्ताव मांगे थे, जिनमें से महज हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से ही प्रस्ताव आ पाए हैं।

अत्याधुनिक सुविधाओं से जुड़ सकेंगी यात्री बस
सरफेस ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री द्वारा जिन राज्यों के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है, उसके लिए तीस करोड़ रूपए की राशि चरणों में प्रदान की जाएगी, जिससे बसों में जीपीएस, जीएसएस प्रणाली के अंतर्गत व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम, इलेक्ट्रानिक टिकिट वैंडिग मशीन, आटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम के साथ ही साथ सूचना प्रोद्योगिकी की अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी, जिससे राज्य परिवहन निगम में परिचालन क्षमता बढ़ने के साथ ही साथ वाहनों के रखरखाव में मदद मिलेगी।

छिंदवाड़ा को मिल गया एक सेंटर
तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में दो करोड़ 55 लाख रूपए की लागत से बनने वाले निरीक्षण और मरम्मत केंद्र मंजूर कर दिया गया है, जिसके लिए स्थान की तलाश युद्ध स्तर पर की जा रही है।

चिदम्बरम प्रणव की जंग के पीछे अंबानीज़


चिदम्बरम प्रणव की जंग के पीछे अंबानीज़

अनिल और मुकेश ने साध रखा आला राजनेताओं को

सियासी धुरी घूम रही है अनिल मुकेश के आसपास

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। जीरो से हीरो बनने वाले अंबानीज़ ब्रदर्स के इर्द गिर्द इन दिनों सियासी धुरी घूमती नजर आ रही है। अनिल अंबानी ने पलनिअप्प्म चिदंबरम, कपिल सिब्बल, कमल नाथ और सलमान खुर्शीद को साधा है तो मुकेश सीधे सीधे प्रणव मुखर्जी की गुड बुक्स में हैं। इन दोनों भाईयों के झगड़े की छाया सरकार में भी दिखाई देने लगी है।

गौरतलब है कि धीरू भाई अंबानी के अवसान के उपरांत उनके दोनों ही पुत्रों में घमासान मचा हुआ है। कहते हैं इस विवाद को हवा दी थी एक समाजवादी नेता ने। उन्हीं के कारण भाई भाई के बीच दीवारखड़ी हो गई थी। इस लड़ाई में जब के.जी.बेसिन का मुद्दा सामने आया तब तो दोनों भाई आग बबूला ही हो उठे।

मुकेश अंबानी के करीबी सूत्रों का कहना है कि जब उन्हें यह बताया गया कि इस मामले को हवा देने का काम अनिल कैंप द्वारा किया गया है तब उनके गुस्से का ठिकाना नहीं रहा। प्रणव मुखर्जी से मुकेश की करीबी जगजाहिर है। उधर केंद्र में प्रणव मुखर्जी और पलनिअप्पम चिदम्बरम के बीच रार चल रही है। फिर क्या था दोनों ही भाईयों ने अपने अपने हिसाब से पत्ते फेंके और प्रणव मुखर्जी वर्सेस चिदम्बरम का शुरू हो गया खेल।

जब यह मामला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के दरबार में पहुंचा तब दोनों ही ने अपने अपने तरीके से सोनिया को समझाने की कोशिश की। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि प्रणव ने अपनी शिकायत में सोनिया को बताया कि जब उन्होंने वहां आने से पहले चिदम्बरम से चर्चा की और उसके तुरंत बाद ही दोनों के बीच की चर्चा समाचार चेनल्स पर जस की तस ही दिखाई जा रही है। घर की बातें मीडिया तक न पहुंचाई जाएं तो बेहतर होगा। इशारों ही इशारों में राजनीति के चतुर सुजान प्रणव ने अपनी बात कह ही दी कि वरना बात निकली है तो दूर तलक जाएगी . . . की तर्ज पर कांग्रेस को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है।

दिग्गी ने खीचे मिशन यूपी से हाथ


दिग्गी ने खीचे मिशन यूपी से हाथ

चुनावों में दिग्विजय सिंह की सक्रियता दिख रही कम

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। 2014 में होने वाले आम चुनाव राहुल गांधी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह चुनाव ही उनका भविष्य तय करने में सहायक होंगे। राहुल के अघोषित राजनैतिक गुरू दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश की कमान अपने हाथ में ही रखी थी। अब उनकी पकड़ यूपी पर कमजोर ही दिख रही है। दिग्गी विरोधियों ने एसा दांव मारा है कि दिग्विजय सिंह न उगल पा रहे हैं न निगल पा रहे हैं।

देश को सबसे अधिक प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस द्वारा जारी पहली सूची में दिग्वियज के दामाद का नाम गायब करवा दिया गया। वे राम नगर से चुनावी मैदान में उतरने की मंशा रख रहे थे। अपने ससुर साहेब की 10 जनपथ तक पहुंच देखकर वे भी आश्वस्त थे कि उनकी टिकिट रामनगर से पक्की है और जीत भी। जब सूची जारी हुई तो वे हक्के बक्के रह गए।

दिग्गी के निष्क्रीय होते ही उत्तर प्रदेश में बेनी प्रसाद वर्मा और मोहन प्रकाश धूमकेतू की तरह एकाएक राजनैतिक आकाश पर छाते नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र भी उत्तर प्रदेश में ही है। इस लिहाज से यूपी में कांग्रेस को अपना प्रदर्शन हर हाल में सुधारना ही होगा।

अवकाश पर हैं केंद्रीय मंत्री!


अवकाश पर हैं केंद्रीय मंत्री!

आईपीएल की तैयारियों में जुट गए हैं शुक्ला

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला इन दिनों अवकाश पर हैं! जी हां, इस तरह की बातें इन दिनों सियासी गलियारों में तेजी से चल रही हैं। दरअसल, आईपीएल के अध्यक्ष बनने के बाद राजीव शुक्ला का सारा ध्यान इन दिनों आईपीएल पर ही केंद्रित हो गया है। उनकी प्राथमिकता में आईपीएल पर लगे दाग धब्बे धोने के साथ ही साथ इसकी ओपनिंग सेरेमनी को कामन वेल्थ गेम्स से ज्यादा भव्य बनाने की है।

उनके करीबियों का कहना है कि वे इन दिनों खिलाड़ियों और फ्रेंचाईजी के लिए गाईड लाईन तैयार कर रहे हैं। इस बार क्रिकेट के इस महाकुंभ में महज 9 टीमें ही हिस्सेदारी रखेंगी। इसके अलावा मैच की पूर्व संध्या से मध्य रात्रि तक चलने वाले भोज में खिलाड़ी नहीं शामिल हो सकेंगे। देर रात पार्टी में रहने के कारण खिलाड़ियों के परफार्मेंस पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस लिहाज से अब आने वाले दिनों में फ्रेंचाईजी द्वारा दी गई पार्टी में खिलाड़ी भाग नहीं ले पाएंगे। यहां विशेष तौर पर उल्लेखनीय होगा कि खुद राजीव शुक्ला पेशे से पत्रकार और पेज थ्री पार्टियों के शौकीन रहे हैं।

आईपीएल प्रतियोगिता का शुभारंभ चेन्नई में होना है अतः शुक्ला इन दिनों सरकारी कामकाज से इतर आईपीएल में ही जुटे नजर आ रहे हैं। वे चाह रहे हैं कि आईपीएल का शुभारंभ इतना भव्य और गरिमामय हो कि लोग ओलंपिक या कामन वेल्थ गेम्स को भूल ही जाएं। इसके लिए विदेशी इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों के सतत संपर्क में हैं शुक्ला।

अंकल सैम की नजर में ठग हैं मुलायम सिंह


अंकल सैम की नजर में ठग हैं मुलायम सिंह

विकीलीक्स केबल में हुआ खुलासा

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अमेरिका की नजरों में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ठग हैं। यह खुलासा एक केबल में हुआ है। अमेरिका के तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के सम्मान में आयोजित भोज में उस वक्त के राजदूत डेविड मलफोर्ड ने मुलायम पर इस तरह की भद्दी टिप्पणी की थी।

मलफोर्ड ने कहा था कि मुलायम सिंह यादव देश के सबसे गंदे और लगातार रिश्वत लेने वाले राजनेता हैं। कांग्रेस और अनेक लोग मुलायम सिंह यादव को ठग मानते हैं। मुलायम सत्ता की प्राप्ति के लिए हिंसा को अपनाने में भी गुरेज नहीं करते। वोट के लिए मुलायम सिंह यादव किसी भी स्तर तक जा सकते हैं।

उनके मुख्यमंत्रित्व काल में वे वहां बाहरी निवेश करवाने में पूरी तरह असफल ही साबित हुए हैं। अंबानी, सहारा, गोदरेज जैसे समूहों के प्रमुखों की गोद में खेलने वाले मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश का बंटाधार करने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी।