सोमवार, 5 सितंबर 2011

टीम अण्णा पर कसने लगा सरकारी शिकंजा

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

टीम अण्णा पर कसने लगा सरकारी शिकंजा
किशन बाबूराव उर्फ अण्णा हजारे की हुंकार पर एकजुट हुए देश से कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की चूलें हिल गईं हैं। सरकार घुटने पर आ गई और अण्णा की बातें मानने के अलावा उसके पास और कोई रास्ता ही नहीं बचा। टीम अण्णा की जीत को कांग्रेस के प्रबंधक पचा नहीं पा रहे हैं। अब कांग्रेस ने टीम अण्णा पर शिकंजा कसना आरंभ कर दिया है। सरकार का पहला निशाना किरण बेदी बनीं। बेदी ने सर पर दुपट्टा ओढ़कर सांसदों की नकल उतारी थी। अण्णा का साथ देने वाले अभिनेता ओम पुरी द्वारा सांसदों को नालायक और गंवार कहना जनसेवकों को नागवार गुजरा। सांसदों ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने का मन बना लिया है। टीम अण्णा का दिमाग कहे जाने वाले अरविंद केजरीवाल पर वित्त मंत्रालय ने शिकंजा कस दिया है। आयकर विभाग ने केजरी वाल पर नौ लाख सत्ताईस हजार रूपए की रिकवरी निकाली है। टीम अण्णा पर लगातार सरकारी हमलों से अण्णा हजारे कुछ खफा तो दिख रहे हैं, पर वे विचलित कतई नजर नहीं आ रहे हैं।

बाबा रामदेव के पास स्काटलेण्ड में एक द्वीप!
प्रवर्तन निदेशालय ने इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव और उनके हरिद्वार स्थित ट्रस्टों के खिलाफ विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन का आरोप मढ़ दिया है। ईडी के अधिकारियों का कहना है कि रिजर्व बैंक की रिपोर्ट और बाबा के इन ट्रस्टों द्वारा किए गए लेन देन में जानकारियों के आाार पर यह मामला दर्ज किया गया है। ईडी के सूत्रों ने एक चौंकाने वाली जानकारी देते हुए बताया कि बाबा रामदेव को उनके एक अनुयाई द्वारा कथित तौर पर स्काटलैण्ड में एक द्वीप भेंट किया गया है। ‘‘जब तक भारत को निरोगी न बना दूंगा, तब तक भारत के बाहर कदम न रखूंगा।‘‘ का कौल लेने वाले बाबा रामदेव ने विदेशों की खासी सैर की है। इतना ही नहीं स्काटलैण्ड में लिटिल कम्बरे आईलैण्ड के मंहगे इलाके में बाबा रामदेव का वैलनेस सेंटर संचालित है जहां धन के लेनदेन को लेकर बाबा के ट्रस्ट चर्चा में रहे हैं।

शेहला मसूद हत्याकाण्ड से भाजपा में उबाल
आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद की हत्या के लगभग एक पखवाड़े बाद भाजपा के सांसद तरूण विजय की उनसे नजदीकी के कारण अब भारतीय जनता पार्टी बचाव की मुद्रा में नजर आ रही है। इस मामले में दो फाड़ों में बंट चुकी भाजपा अब असमंजस में ही नजर आ रही है। भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों पर शक की सुई घूमते घूमते भाजपा सांसद तरूण विजय तक जा पहुंची। एक वेब साईट के अनुसार शेहला ने एमपी के राज्य सभा सदस्य अनिल माधव दुबे के खिलाफ भी आयकर विभाग से सूचना के अधिकार में कुछ जानकारी मांगी थी। कहा जा रहा है कि तरूण विजय और शेहला जल्द ही एक दूजे के होने वाले भी थे। सत्ता के गलियारे में चल रही बयार के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस मामले में अहम खुलासों का अंदेशा पहले से ही था। यही कारण है कि उन्होंने अपना दामन पाक साफ रखने के लिए आनन फानन में हत्यारे पर एक लाख रूपए का इनाम घोषित कर मामले की जांच सीबीआई के हवाले करने की सिफारिश कर दी थी।

सिंह गर्जाना वाले कुम्भकरण
‘‘हमारी सलरी कितनी है, एक झूनियर क्लर्क से भी कम।‘‘ अपना वेतन बढ़वाने के लिए इस तरह की सिंह गर्जना करने वाले इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू प्रबंधन गुरू और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव भले ही समाज सेवी अण्णा हजारे की अनशन के खिलाफ बड़ी बड़ी बातें करें किन्तु संसद के सत्र में जब वे सोते पाए गए तो लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। कहा जा रहा है कि लालू के खुर्राटों से आसपास के सदस्यों को बाधा उतपन्न हो रही थी, कि अचानक ही किसी ने इशारे से लोकसभाध्यक्ष की कुर्सी पर विराजीं मीरा कुमार का ध्यान इशारे से लालू की ओर आकर्षित कराया। फिर क्या था, मुस्कुराते हुए मीरा कुमार ने लालू यादव के ठीक पीछे बैठे राजद सांसद उमाशंकर सिंह को ताकीद किया कि वे लालू यादव को नींद से जगा दें। कहते हैं कि नींद की बीमारी बहुत ही संक्रामक रोग की तरह ही है। यह जब लगती है तो कईयों को एकसाथ अपनी गिरफ्त में ले लेती है। लालू के बाजू वाली सीट पर वैसे अक्सर उंघने वाले एच.डी.देवगोड़ा ही बैठते हैं।

सीएम के निर्देश हवा में
देश के हृदय प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशों पर सूबे के आला अधिकारी ज्यादा कान देना पसंद नहीं करते हैं। सीएम चाहे जो भी कह जाएं, प्रदेश में होता वही है जो अधिकारी चाहते हैं। गौरतलब है कि कुछ दिनों पूर्व बस चालकों के विवाद में जिन्दा जले यात्रियों के हादसे के बाद सीएम ने निर्देश दिए थे कि एक दरवाजे वाली यात्री बस सड़कों पर न दौड़ने दी जाएं। सूबे में सीएम के इन निर्देशों का क्या हाल है इसका अंदाजा मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम से कथित तौर पर अनुबंधित एक दरवाजे वाली यात्री बसें जो दिल्ली आती हैं उन्हें देखकर लगाया जा सकता है। दिल्ली के सराय काले खां अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल पर जर्जर हालत में खड़ी एक दरवाजे वाली बस सीएम के निर्देशों को खुद ही बयान करती हैं। इतना ही नहीं सीएम ने हाल ही में निर्देश दिए हैं कि अपराधिक चरित्र वाले लोगों को बस में चालक परिचालक न बनाया जाए। सीएम के इन निर्देशों को भी धता बताते हुए बिना वर्दी या बैज धारी चालक परिचालक यात्रियों को धमकाते सरेआम नजर आ ही जाते हैं।

व्यवस्था से न्यायपालिका भी कुपित
अण्णा हजारे के आंदोलन ने सरकार को हिला अवश्य ही दिया किन्तु सरकारी नुमाईंदों पर इसका कोई खास असर पड़ता नहीं दिख रहा है। देश में सरकारी सिस्टम में पसरी अराजकता के चलते न्यायपालिका की भवें भी इस पर तिरछी ही नजर आ रही हैं। पिछले दिनों सेवा के एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को अस्पष्ट तौर पर चेतावनी देते हुए कहा कि दस साल और रूको, फिर लोग तुम्हें ही पाठ पढ़ाएंगे। अण्णा के आंदोलन का परोक्ष तौर पर हवाला देते हुए जस्टिस सिंघवी और जस्टिस एच.एल.दत्तु की बैंच ने कहा कि तीन दिन पहले ही आप सभी ने इसका सामना किया है। आने वाले दिनों में होने वाला आंदोलन इससे कहीं उग्र होगा। गौरतलब होगा कि अण्णा के आंदोलन में जब पुलिस और न्यायधीश ने मंच पर से समर्थन दिया तब सरकार के हाथ पांव फूलना स्वाभाविक ही है।

जेम्स बांड की फिल्मों में नजर आएगा भारत
हरदिल अज़ीज़ हो चुके 007 जेम्स बांड की फिल्म श्रंखला की 23वीं फिल्म की शूटिंग हिन्दुस्तान में होगी! जी हां दिल्ली का दरियागंज, सरोजनी नगर मार्केट, अंसारी रोड़ के अलावा मुंबई, अहमदाबाद और गोवा में जेम्स बांड की फिल्मों की शूटिंग की इजाजत भारत सरकार द्वारा दे दी गई है। लगभग एक हजार करोड़ रूपयों की लागत से बनने वाली इस नई फिल्म के हीरो डेनियल क्रेग ही होंगे। बतौर बांड डेनियल की पहली फिल्म केसीनो रायल थी, जिसने बाक्स ऑफिस के अनेक रिकार्ड ध्वस्त किए थे। दुनिया भर में लगभग 22 अरब डॉलर से अधिक का करोबार कर चुकी बांड की फिल्मों की इस 23 वीं फिल्म के ििलए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भारत के चुनिंदा हिस्सों में फिल्माने की अनुमति दे दी है। इसमें अहमदाबाद के टोरंटो पावर लिममिटेडद्व ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कार्पोरेशन, मुंबई और गोवा के दूध सागर सुरंग ओर जुआरी रेल ब्रिज भी फिल्मों में दिख सकते हैं।

अब सांसदों की आवभगत में सूचना केंद्र के अफसरान
मध्य प्रदेश सरकार की जनहितकारी योजनओं को जनता तक पहुंचाने के लिए पाबंद मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग का दिल्ली स्थित सूचना केंद्र एक बार फिर चर्चाओं का केंद्र बन चुका है। कल तक अघोषित तौर पर मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के मीडिया रूम के बतौर काम करने वाले इस कार्यालय ने अब सांसदों का दामन थाम लिया है। आरोपित है कि सूचना केंद्र द्वारा मीडिया को मिलने वाली सुविधाओं को भाजपा के अनुषांगिक संगठनों, सांसद और विधायकों को उपलब्ध करवाई जाती हैं। इतना ही नहीं भाजपा के संगठन के कामों का प्रचार प्रसार भी इसके द्वारा किया जाता है। पिछले दिनों एमपी के जनसंपर्क मंत्री के द्वारा भाजपा के एक प्रोग्राम में दिए गए वक्तव्य और एक अधिकारी के परिजन की कला प्रदर्शनी के समाचार को भी इस कार्यालय द्वारा आधिकारिक तौर पर जारी किया गया था। सूत्रों का कहना है कि अब सुषमा स्वराज के नेतृत्व में महामहिम राष्ट्रपति से मिलने गए प्रतिनिधिमण्डल के समाचार को न केवल इस कार्यालय द्वारा बनाया गया वरन् आधिकारिक तौर पर जारी भी किया गया है।

दिया तले अंधेरा दिख रहा लोकसभा में!
केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के सचिव ए.पी.पाठक को आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में धर दबोचा। सीबाीआई ने पाठक के स्वामित्व वाले दिल्ली और लखनऊ के परिसरों में छापा मारा और तलाशी ली। खबर मिलते ही पाठक को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया है। मूलतः भूतल परिवहन मंत्रालय के कर्मचारी पाठक को लोकसभा कार्यालय में जून में पदस्थ किया गया था। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि विपक्ष द्वारा इसे मुद्दा न बना लिया जाए इसलिए संसद में उनके कक्ष के सामने लगी तख्ती को भी तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। मीरा कुमार की मीडिया सलाहकार राखी बख्शी ने पाठक के हटाए जाने की पुष्टि की है। आय से अधिक संपत्ति का मामला केंद्रीय सतर्कता आयुक्त कार्यालय द्वारा सीबीआई को सौंपा गया था। चर्चा है कि अगर सही जांच हुई तो बात निकली है तो दूर तलक जाएगी की तर्ज पर अनेक लोगों पर शिकंजा कस सकता है।

भूरिया के आरोप और भाजपा की चुप्पी!
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया द्वारा शिवराज सिंह सरकार को सड़कों के मामले में कटघरे में खड़ा किया जा रहा है और सूबे की भाजपा मौन साधे हुए है। इससे पहले नेशनल हाईवे की दुर्दशा के लिए प्रदेश भाजपा द्वारा तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ के खिलाफ पिछले साल इन्हीं दिनों मानव श्रंखला और हस्ताक्षर अभियान की बाकायदा तारीखें घोषित की थीं। अज्ञात कारणों के चलते अभियान परवान नहीं चढ़ पाया। हाल ही में स्टेट हाईवे की दुर्दशा को रेखांकित कर भूरिया ने कहा है कि रायसेन जिले में सौंठिया सनखेड़ी मार्ग पर खराब सड़क के चलते एक प्रसूता वंदना बघेल की असमय मृत्यु से राज्य की सड़कों की हालत साफ हो जाती है। उधर लखनादौन से सिवनी के बीच खराब एनएचएआई के फोरलेन पर बीते दिवस गड्ढ़ा बचाते एक ट्रक पलटने से चालक की हुई मौत के मामले में प्रदेश भाजपा मौन साधे बैठी है। भूरिया का कहना है कि शिवराज की सड़कें और कितनी प्रसूताओं की बली लेंगी? क्या भाजपा कांग्रेसनीत केंद्र सरकार से यह पूछने की जहमत नहीं उठा सकती कि खस्ताहाल नेशनल हाईवे कितने वाहन चालकों की बली लेगी?

. . . तो क्यों ली सरकार से जमीन!
सरकार से रियायती दरों पर जमीन लेते वक्त तो निजी अस्पतालों द्वारा अनुबंध पर हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं किन्तु जब इन अनुबंधों की शर्तों के पालन की बारी आती है तब अस्पताल पीछे हट जाते हैं। न तो केंद्र और न ही राज्यों की सरकारें इन्हें गरीब गुरबों के इलाज के लिए बाध्य करती हैं। देश की महामहिम राष्ट्रपति तक चिकित्सकों से मानव सेवा की अपील कर चुकी हैं। बार बार न्यायालयों की चेतावनी भी इनके लिए बेअसर ही साबित हो रही है। दिल्ली हाईकोर्ट में 2007 में दायर एक पीआईएल की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर.व्ही.रवींद्रन और जस्टिस ए.के.पटनायक की बैंच ने ओपीडी में 25 फीसदी और बिस्तरों में दस फीसदी गरीबो के लिए निशुल्क इलाज की हिदायत दी है। युगल पीठ ने कहा कि अस्पतालों ने सरकार से रियायती जमीन ली ही क्यों? वे सरकार की जमीन वापस करें और निजी जमीन खरीदकर अस्पताल बनाएं। जमीन लेते वक्त किए अनुबंध के पालन पर छटपटाहट कैसी? अस्पताल अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकते।

जहर उगलतीं हिमाचल की पुण्य सलिलाएं
हिमाचल प्रदेश की लाट साहेब उर्मिला सिंह ने एक मर्तबा अपने संबोधन में हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा था। वाकई हिमाचल प्रदेश देव भूमि ही है। सरकारी अनदेखी और मिलीभगत के चलते राज्य की नदियां जहर उगल रहीं हैं। हिमाचल प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के वार्षिक प्रतिवेदन में इस बात का खुलासा हुआ है। हद तो तब हो जाती है जब हिमाचल में पेयजल की आपूर्ति करने वाली नदियां बुरी तरह प्रदूषित पाई गईं। प्रतिवेदन में कहा गया है कि सूबे में चल रहे हाईडल प्रोजेक्ट, औद्योगिक कचरे और शहरों के सीवर से निकलने वाले कचरे के कारण प्रदेश की नदियां प्रदूषण का शिकार हो रही हैं तथा लोग जहरीला पानी पीने मजबूर हैं। आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि प्रदूषण नियंत्रण की महती जवाबदारी संभालने वाला विभाग ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार लोगों के बारे में बताकर अपने आप को ही बेबस साबित कर रहा है। यहां भी सूबे के सांसदों के साथ ही साथ राज्य में विपक्ष का मौन आश्चर्यजनक ही है।

पूर्व सांसद चीची फंसे जान से मारने की धमकी में
रूपहले पर्दे के मशहूर अदाकार गोविंदा के सितारे इन दिनों गर्दिश में ही नजर आ रहे हैं। एक समय रवीना टंडन की शादी क लिए किराए के उड़न खटोले के माध्यम से कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के संपर्क में आए गोविंदा को राजनीति में खींच लिया गया। महाराष्ट्र और उसकी सीमा से लगे मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में 2004 के लोकसभा चुनावों में गोविंदा का जादू सर चढ़कर बोला। इसके बाद गोविंदा को हाशिए पर ही ढकेल दिया गया। उनकी इतनी बुरी गत हुई कि टिकिट के ही लाले पड़ गए। कहते हैं कि अगर गोविंदा ने अमर सिंह का हाथ थामकर राजनीति की होती तो वे आज कहीं और होते। बहरहाल गोविंदा के जीजा और फिल्म निर्माता प्रवीण खन्ना ने उनके खिलाफ 24 अगस्त को आईएमपीपीए की बैठक में गाली गलौच और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज करा दिया है। अब देखना है कि चीची के पालीटिकल कनेक्शन किस हद तक उनकी मदद कर पाते हैं।

पुच्छल तारा
देश अभी भी अण्णा के बुखार से तप रहा है। कहने का तात्पर्य यह कि अण्णा हजारे का बुखार अभी उतरा नहीं है। अण्णा की आंधी आने वाले दिनों में भी जारी ही रहने की उम्मीद है। अण्णा के अनशन के वक्त से अब तक न जाने कितने स्लोगन मार्केट में आ चुके हैं। मध्य प्रदेश से महेश रावलानी ने एक एसएमएस भेजकर इसे रेखांकित किया है। महेश के लिखे स्लोगन इस प्रकार हैं:-

मनमोहन एक काम करो!
चड्डी पहन के डॉस करो!!
सोनिया जिसकी मम्मी है!
वो सरकार निकम्मी है!!
गली का कुत्ता कैसा हो!
कपिल सिब्बल जैसा हो!!
मनमोहन जिसका ताऊ है!
वो सरकार बिकाऊ है!!
देश का युवा जाग गया!
राहुल गांधी भाग गया!!
सरकार की मर गई नानी!
अण्ण लिखेंगे नई कहानी!!
अण्णा देश का भाई है!
कलमाड़ी सरकार का जमाई है!!
जाहिर हुई मनमोहन की सच्चाई!
ए.राजा का निकला भाई!!
देश की धरती करे पुकार!
नहीं चलेगा अब भ्रष्टाचार!!

दीवाली के बाद फिटेंगे शिव के पत्ते

दीवाली के बाद फिटेंगे शिव के पत्ते

नवंबर में हो सकता है एमपी मंत्रीमण्डल में व्यापक फेरबदल

बड़बोले और निष्क्रिय मंत्रियों को दिया जाएगा विश्राम

दिल्ली के आकाओं के देहरियों चूम रहे मंत्री विधायक
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। 2013 में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के पहले शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रीमण्डल में अंतिम और अहम परिवर्तन नवंबर माह में कर सकते हैं। इसमें भ्रष्ट, लोकायुक्त, ईओडब्लू के निशाने वाले, बड़बोले, निष्क्रिय और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने वाले मंत्रियों को चुनाव तक आराम करने को कहा जा सकता है। इस बार नए चेहरों में युवाओं के साथ ही साथ महिलाओं को भी ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।

दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के झंडेवालान स्थित मुख्यालय केशव कुंजके उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि संघ ने मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान को मंत्रीमण्डल फेरबदल के लिए फ्री हेण्ड दे दिया है। दरअसल संघ अभी सामाजिक कार्यकर्ता शेहला मसूद प्रकरण में भाजपा के राज्य सभा सांसद तरूण विजय का नाम आने से बैकफुट पर है, और वह कोई रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है। सूत्रों ने कहा कि संघ चाहता है कि एमपी में मंत्रीमण्डल विस्तार तत्काल हो जाए ताकि लोगों का ध्यान इस मामले से हट सके।

उधर गणेशोत्सव के उपरांत 12 से 20 सितम्बर तक शिवराज चीन यात्रा पर जा रहे हैं। फिर पितरांे की समाप्ति के बाद ही नवरात्र आरंभ हो जाएंगी। नवरात्र के बाद शरद पूर्णिमा फिर दीपावली। इस लिहाज से दीवाली तक सभी पूरी तरह व्यस्त रहेंगे। गौरतलब है कि उज्जैन में पिछले दिनों हुई बैठक के बाद मंत्रीमण्डल फेरबदल की पदचाप सुनाई देने लगी थी।

सूत्रों ने कहा कि संघ के आला नेताओं के पास इस बात की खबरें आ रहीं हैं कि अपनी अपनी कुर्सी बचाने और कुर्सी पर काबिज होने की जुगत लगाने के लिए मंत्री और विधायकों द्वारा संघ मुख्यालय नागपुर के साथ ही साथ दिल्ली में संघ और भाजपा के आला नेताओं की चौखटांे पर नाक रगड़ी जा रही है। यही बात आला नेताओं को नागवार गुजर रही है।

सूत्रों ने कहा कि संघ के आला नेताओं ने शिवराज सिंह चौहान को मशविरा दिया है कि प्रदेश में निष्क्रिय, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने वाले और बड़बोले नेताओं को तत्काल ही घर बिठा दिया जाए। साथ ही पिछले दिनों संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी और शिवराज सिंह चौहान के बीच हुई चर्चा में उक्त पदाधिकारी ने शिवराज को सहकारिता, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण लोक कर्म विभाग, उच्च एवं स्कूली शिक्षा, सहकारिता, कृषि, सिंचाई, पर्यटन जैसे विभागों को मथने की बात भी कही है।

जय वीरू हैं बॉक्स ऑफिस के ‘शहंशाह‘

जय वीरू हैं बॉक्स ऑफिस के शहंशाह

खान ब्रदर्स में सलमान हैं जय वीरू के वारिस

(लिमटी खरे) 

नई दिल्ली। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और ड्रीमगर्ल के शौहर धर्मेंद्र की बादशाहत आज भी बॉक्स ऑफिस पर सर चढ़कर बोल रही है। बॉक्स ऑफिस की दुधारू गाय आज भी जय और वीरू ही हैं। फिल्म शोले में जय और वीरू का किरदार निभाने वाले अमिताभ और धर्मेंद्र की रेंकिग आज भी कमाई के मामले में सबसे आगे है। यह बात हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के बॉक्स ऑफिस पर नजर रखने वाली आईबॉसनामक एजेंसी द्वारा उपलब्ध ऑकड़ों से सामने आई है।

145 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने वाले बिग बी यानी अमिताभ बच्चन ने 94 हिट फिल्में दीं हैं। अमिताभ की फिल्मोें ने बॉक्स ऑफिस पर आठ अरब 13 करोड़ रूपयों का बिजनिस किया है। इसके बाद बारी आती है जट यमला पगला दीवाना यानी धर्मेंद्र की। धरम पाजी ने 219 कुल फिल्में की हैं जिनमें से 98 फिल्में हिट हुईं और इनके माध्यम से बॉक्स ऑफिस पर इनकी फिल्मों ने लगभग इतनी ही कमाई की है।

दोनों के बाद तीसरी पायदान पर हैं दादा ठाकुरयानी दिलीप कुमार। दिलीप साहेब ने अपने काफी लंबे फिल्मी केरियर में महज पांच दर्जन यानी साठ फिल्में ही की हैं। दलीप कुमार की फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर छः अरब तिरेसठ करोड़ रूपए बटोरे। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में धूमकेतू बनकर उभरे खान ब्रदर्स (शाहरूख खान, सलमान खान और आमिर खान) में सलमान ने दोनों खान को पीछे छोड़ दिया है। 78 में से 34 सफल फिल्मों के साथ सलमान ने बॉक्स ऑफिस पर पांच अरब 48 करोड़ रूपए कमाए हैं।

नई भर्ती को तवज्जो देने से नाराज हैं पुराने कांग्रेसी

नई भर्ती को तवज्जो देने से नाराज हैं पुराने कांग्रेसी

समाजवादी पार्टी का चेहरा बनी यूपी कांग्रेस

उत्तर प्रदेश कांग्रेस में उबल रहा जबर्दस्त असंतोष

राहुल दिग्गी को मंहगी पड़ सकती है पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा

आयतित नेता पड़ रहे हैं कांग्रेसियो पर भारी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। दूसरे दलों से नाता तोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाले नेताओं को जिम्मेदार ओहदों पर बिठाने के चलते कांग्रेस के पुराने नेताओं की भवें तनती दिख रही हैं। देश भर विशेषकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस में प्रवेश पाने वाले अन्य दलों के नेताओं को तवज्जो देने से कांग्रेस का सालों साल झंडा उठाने वाले खासे नाराज दिख रहे हैं। कांग्रेसियों का आरोप है कि खालिस कांग्रेसियों के बजाए बाहर से आए नेता मीर बने बैठे हैं। आज उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी पूरी तरह से समाजवादी पार्टी का चेहरा बनकर उभर चुकी है।

नेताओं का आरोप है कि राज्यमे कांग्रेस अपनी पहचान के स्थान पर अब समाजवादी परिदृश्य के लिए पहचानी जाने लगी है। समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस में आई रीता बहुगुणा को सूबे में कांग्रेस की लगाम सौंप दी गई। कांग्रेसियों का प्रश्न है कि क्या सूबे में एक भी कांग्रेस का सदस्य इस पद के लिए योग्य नहीं पाया गया जो सपा से आयतित नेता को बागडोर सौंपनी पड़ी। खालिस कांग्रेसियों का आरोप है कि समाजवादी पार्टी से नेताओं को तोड़कर लाना हो सकता है कि कांग्रेस की रणनति का हिस्सा हो किन्तु इन नेताओं को कांग्रेसियों का सिरमौर बनाना उचित नहीं कहा जा सकता है।

गौरतलब है कि रीता बहुगुणा के अलावा सपा से आए बेनी प्रसाद वर्मा को भी मनमोहन सरकार में मंत्री बना दिया गया है। इतना ही नहीं सिने अभिनेता और सपा के ही राजबब्बर को न केवल सांसद की टिकिट मिली वरन् वे अब कांग्रेस कार्यसमिति का अहम हिस्सा हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय मुख्यालय से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह द्वारा सोनिया और राहुल के संसदीय क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश की हालत एमपी के मानिंद करने का प्रयास किया जा रहा है। यही कारण है कि समाजवादी पार्टी या अन्य दलों से आयात किए गए नेताओं को पुराने कांग्रेसियों के सर पर बिठा दिया गया है।

कांग्रेस द्वारा उत्तर प्रदेश के लिए बनाई गई स्क्रीनिंग समिति में भी छः में से तीन सदस्य आयतित ही हैं। नेताओं का आरोप है कि जिन कार्यकर्ताओं और नेताओं ने अपना जीवन कांग्रेस के लिए न्योछावर कर दिया है वे सभी इन आयतित नेताओं की अगुआई में काम करने में अपने आप को असहज और अपमानित ही महसूस कर रहे हैं।

सिवनी को आवश्यकता एक अन्ना हजारे की ........

सिवनी को आवश्यकता एक अन्ना हजारे की ........

(अभिषेक दुबे)

 पूरे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ शंखनाद कर सरकार को झुकाने वाले अन्ना हजारे का नाम आज हर घर में बच्चे-बच्चे की जुबान पर है। कहा जाता है कि अक्सर कोई भी क्रांति हं-ामा मचाते हुए नहीं बल्कि दबे पांव आती है। पूरे विश्व में जितनी भी क्रांतियां हुई हैं उनमें मुख्य रूप से हिंसा आसानी से देखी जा सकती है किंतु अू दिन तक देश का युवा सड़कों मंे नारे बाजी करता रहा किंतु देश के एक भी कोने से पत्थरबाजी तक की खबर सुनने को नही आयी। जबकि कां-रे
स प्रवक्ता मनीष तिवारी अपनी अल अ-स्त की प्रेस कांफ्रेस मंे द्यल वर्षीय बुर्जु- श्री किशनबाबू राव हजारे उर्फ अन्ना हजारे जी को -ण्डा बता चुके थे। ये पूरे समाज के लिये एक मिसाल बन चुकी क्रांति थी। हमारे हिसाब से तो राजनैतिक दलों को इस पर पीएचडी करनी चाहिए कि अहिंसा के मार्- से भी क्रांति लाई जा सकती है।
    देश में क्रांति लाने का काम तो अन्ना हजारे और उनकी टीम अन्ना ने कर दिया, लेकिन वर्षेा    से अपनी पलकें बिछाए सिवनी की जनता एक अदद अन्ना हजारे की तलाश कर रही है। जनता को न उसकी उम्र से फर्क पडे-ा न उसकी जातपात से न उसके पूरूष होने से फर्क पडे-ा, न उसके महिला होने से। बस वह सिवनी की आवाज दिल्ली तक बुलंद करने वाला होना चाहिए फिर अपने आप ही सीने में सुल-ती ज्वाला लिये जनता उसके पीछे हो चले-ी। इस जिले में अन्याय की कहानी वर्षो से चली आ रही है, विषय चाहे बडी रेल लाईन को हो, पेंच जल परियोजना का हो, फोरलेन का हो, संभा-ीय मुख्यालय का हो, मिनी मेडिकल कॉलेज का हो, यहां तक कि आजतक इस जिले मंे एफएम रेडियो तक नहीं चालू हो पाया है। जबकि पडोसी जिलों में ये सब सुविधाएं वर्षो पहले से प्रारंभ है। आज भी जिले के साथ इतना सौतेला व्यवहार होने के बाद भी खामोशी से जनप्रतिनिधि खुश हैं कि उनका विरोध तो नहीं हो रहा है किंतु यह खामोशी एक बडे तूफान के पहले की खामोशी भी हो सकती है यह उन्हें सोंच लेना चाहिए। वक्त अब दूर नहीं कि जनता सड़कों पर उतरकर फिर से राईट टू रिकाल और राइट टू रिजेक्ट के लिये अपने अधिकार मां-ने ल-े। अ-र ऐसा हुआ तो राजनीति के नाम पर लाखों का इनवेस्टमंेट करके करोड़ो का प्रोफिट पाने वालों की अब खेर नहीं ।
    समस्याएं तो सभी के सामने आ चुकी हैं किंतु कहानी वहीं है कि हर कोई  चन्द्रशेखर आजाद या भ-तसिं- का पडोसी बनना ज्यादा पसंद करे-ा न कि उन्हंे अपने घर में जन्म देना क्योंकि उन्ह तो शहीद होना है और आज की दुनिया में कोई आ आकर शहादत देना नहीं चाहता। अब देखना यह है कि ूअ वीं सदी का चन्द्रशेखर आजाद और भ-तसिं- सिवनी के लिये कोई बने न बनें किंतु अहिंसात्मक मार्- से अन्ना हजारे बनने की पहल कौन करता है।