बुधवार, 10 अगस्त 2011

आदिवासियों को गुमराह करना बंद करे भाजपा: राजूखेड़ी


मंत्री के खिलाफ कांग्रेस ने एससी एसटी आयोग मे खटखटाए दरवाजे

आदिवासियों को गुमराह करना बंद करे भाजपा: राजूखेड़ी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन द्वारा आदिवासी समुदाय के खिलाफ की गई अशोभनीय टिप्पणी के बाद कांग्रेस हरकत में आना आरंभ हो गई है। कांग्रेस ने गत दिवस अनुसूचित जाति जनजाति आयोग में मंत्री बिसेन की शिकायत कर कार्यवाही की मांग की है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कांति लाल भूरिया, एमपी से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, वरिष्ठ सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी सहित एमपी के सांसदों और विधायकों ने इस मामले मं एससी एसटी आयोग के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव को ज्ञापन सौंपा।

सांसद राजूखेड़ी ने बताया कि कांग्रेस द्वारा आयोग को बताया गया कि मध्य प्रदेश में सत्ता में मगरूर सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन द्वारा सिवनी जिले में विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की उपस्थिति में उनके ही विधानसभा क्षेत्र में एक पटवारी को कान पकड़कर सार्वजनिक तौर पर उठक बैठक लगवाई गई। इतना ही नहीं मंत्री ने स्थल पर ही आदिवासी पटवारी से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया गया।

उन्होंने आगे बताया कि कांग्रेस ने जो ज्ञापन आयोग को सौंपा है, उसके अनुसार मंत्री बिसेन ने केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में कलेक्टर कार्यालय में कहा था कि उन्होंने (बिसेन ने) केवलारी में एक आदिवासी अधिकारी से कान पकड़कर माफी मंगवाई थी। बिसेन ने कहा था कि आदिवासी समाज थोड़ा पढ़ लिख तो लेते हैं लेकिन उनमें अक्ल नहीं आती। उनसे काम करवाने के लिए उनकी आरती उतारना पड़ता है।

वरिष्ठ सांसद राजूखेड़ी ने बताया कि ज्ञापन में कहा गया है कि इस तरह से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने और अपमान जनक टिप्पणी करने की शिकायत जिला पुलिस अधीक्षक के पास की जाने पर भी रिपोर्ट दर्ज नहीं किया जाना आश्चर्यजनक है। आयोग के अध्यक्ष ने इस घटना पर चिंता जताते हुए कार्यवाही का आश्वासन दिया है।

इस अवसर पर कांग्रेस की ओर से अध्यक्ष कांति लाल भूरिया, मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, सांसद गजेंद्र सिंह राजुखेड़ी, सज्जन सिंह वर्मा, उदय प्रताप सिंह, प्रेम चंद गुड्डू, मीनाक्षी नटराजन, विधायक बाला बच्चन आदि मौजूद थे।

सड़कों पर केंद्र और एमपी में फिर ठनी


सड़कों पर केंद्र और एमपी में फिर ठनी

लंबे समय बाद फिर सड़कों की सुध आई शिवराज को

एनएच को स्टेट हाईवे बनाने की तैयारी

एमपी केंद्र से वापस मांगने जा रहा दस एनएच

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कमल नाथ के भूतल परिवहन मंत्री रहते हुए सड़कों पर राजनीति करने वाली शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार ने एक बार फिर सड़कों पर सियासत करना आरंभ कर दियाहै। कमल नाथ के इस मंत्रालय के हटते ही शिवराज सिंह ने सड़कों के मामले को हाशिए में डाल दिया था। अब एक बार फिर शिवराज सरकार ने केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए दस राष्ट्रीय राजमार्गों को केंद्र से वापस मांगा है, जिन्हें वापस स्टेट हाईवे में तब्दील किया जाएगा।

मध्य प्रदेश के आवासीय आयुक्त कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि इस कार्यालय को यद्यपि इस तरह का प्रस्ताव अभी प्राप्त नहीं हुआ है, पर राज्य सरकार द्वारा इस आशय के निर्देश अवश्य ही प्राप्त हुए हैं कि जैसे ही प्रस्ताव पहुंचे तत्काल ही उसे आगे बढ़ाकर उस पर कार्यवाही की जाए।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा के चलते अनेक बार राज्य सरकार द्वारा मीडिया के माध्यम से केंद्र पर सौतले व्यवहार का आरोप लगाया जाता रहा है। वहीं दूसरी ओर शिवराज सिंह सरकार द्वारा केंद्र के कुछ मंत्रियों के साथ मिलकर राज्य के कम यातायात दबाव वाले अनेक मार्गों को एनएच बनवाने की कोशिश की गई थी। मध्य प्रदेश की सड़कांें को लेकर शिवराज सिंह द्वारा अनेक बार सूबे में तो सिंह गर्जना की जाती रही है, किन्तु जैसे ही केंद्र में भूतल परिवहन मंत्रियों के सामने वे आए उनकी बोलती ही बंद होती प्रतीत हुई है।

इसका साक्षात उदहारण स्वर्णिम चतुर्भुज के उत्तर दक्षिण गलियारे में लखनादौन से महाराष्ट्र सीमा का हिस्सा ही है, जिसका आधा काम आज भी बंद पड़ा हुआ है। मजे की बात तो यह है कि इस आधे अधूरे बने मार्ग पर पथकर वसूली के लिए भूतल परिवहन मंत्रालय ने बाकायदा निविदा आमंत्रित कर ली है। गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई माह में ही तत्कालीन जिलाधिकारी मनोहर लाल दुबे ने इस आधे अधूरे मार्ग पर पथकर वसूली होने की दशा में इसे स्थगित करने के लिए केंद्र को डीओ लेटर लिखने की बात कही गई थी।

बहरहाल, सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सूबे से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों में से उत्तर प्रदेश सीमा से रीवा, जबलपुर, लखनादौन, ग्वालियर देवास, भोपाल से सागर बरास्ता रायसेन, ग्यारसपुर, जबलपुर भोपाल, व्यावरा से राजस्थान सीमा तक, जबलपुर से मंण्डला, चिल्पी घाटी, इंदौर बैतूल, कटनी शहडोल अनूपपुर, सागर छतरपुर, आदि को केंद्र सरकार से मांगा है, ताकि इन्हें राज्य मार्ग में तब्दील कर इनके संधारण का काम एमपी गर्वमेंट खुद कर सके।

ज्ञातव्य है कि 2003 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार को सड़कों की बदहाली का खामियाजा सत्ता से उतरकर चुकाना पड़ा था। कहा जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान को मशविरा दिया गया है कि अगर सूबे की सड़कों पर ध्यान नहीं दिया गया तो 2013 के चुनावों में जनता द्वारा भाजपा को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। यही कारण है कि एमपी गर्वमेंट अब सड़कों की सुध ले रही है।

सड़कों पर केंद्र और एमपी में फिर ठनी


सड़कों पर केंद्र और एमपी में फिर ठनी

लंबे समय बाद फिर सड़कों की सुध आई शिवराज को

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एमपी केंद्र से वापस मांगने जा रहा दस एनएच

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कमल नाथ के भूतल परिवहन मंत्री रहते हुए सड़कों पर राजनीति करने वाली शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार ने एक बार फिर सड़कों पर सियासत करना आरंभ कर दियाहै। कमल नाथ के इस मंत्रालय के हटते ही शिवराज सिंह ने सड़कों के मामले को हाशिए में डाल दिया था। अब एक बार फिर शिवराज सरकार ने केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए दस राष्ट्रीय राजमार्गों को केंद्र से वापस मांगा है, जिन्हें वापस स्टेट हाईवे में तब्दील किया जाएगा।

मध्य प्रदेश के आवासीय आयुक्त कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि इस कार्यालय को यद्यपि इस तरह का प्रस्ताव अभी प्राप्त नहीं हुआ है, पर राज्य सरकार द्वारा इस आशय के निर्देश अवश्य ही प्राप्त हुए हैं कि जैसे ही प्रस्ताव पहुंचे तत्काल ही उसे आगे बढ़ाकर उस पर कार्यवाही की जाए।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा के चलते अनेक बार राज्य सरकार द्वारा मीडिया के माध्यम से केंद्र पर सौतले व्यवहार का आरोप लगाया जाता रहा है। वहीं दूसरी ओर शिवराज सिंह सरकार द्वारा केंद्र के कुछ मंत्रियों के साथ मिलकर राज्य के कम यातायात दबाव वाले अनेक मार्गों को एनएच बनवाने की कोशिश की गई थी। मध्य प्रदेश की सड़कांें को लेकर शिवराज सिंह द्वारा अनेक बार सूबे में तो सिंह गर्जना की जाती रही है, किन्तु जैसे ही केंद्र में भूतल परिवहन मंत्रियों के सामने वे आए उनकी बोलती ही बंद होती प्रतीत हुई है।

इसका साक्षात उदहारण स्वर्णिम चतुर्भुज के उत्तर दक्षिण गलियारे में लखनादौन से महाराष्ट्र सीमा का हिस्सा ही है, जिसका आधा काम आज भी बंद पड़ा हुआ है। मजे की बात तो यह है कि इस आधे अधूरे बने मार्ग पर पथकर वसूली के लिए भूतल परिवहन मंत्रालय ने बाकायदा निविदा आमंत्रित कर ली है। गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई माह में ही तत्कालीन जिलाधिकारी मनोहर लाल दुबे ने इस आधे अधूरे मार्ग पर पथकर वसूली होने की दशा में इसे स्थगित करने के लिए केंद्र को डीओ लेटर लिखने की बात कही गई थी।

बहरहाल, सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सूबे से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों में से उत्तर प्रदेश सीमा से रीवा, जबलपुर, लखनादौन, ग्वालियर देवास, भोपाल से सागर बरास्ता रायसेन, ग्यारसपुर, जबलपुर भोपाल, व्यावरा से राजस्थान सीमा तक, जबलपुर से मंण्डला, चिल्पी घाटी, इंदौर बैतूल, कटनी शहडोल अनूपपुर, सागर छतरपुर, आदि को केंद्र सरकार से मांगा है, ताकि इन्हें राज्य मार्ग में तब्दील कर इनके संधारण का काम एमपी गर्वमेंट खुद कर सके।

ज्ञातव्य है कि 2003 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार को सड़कों की बदहाली का खामियाजा सत्ता से उतरकर चुकाना पड़ा था। कहा जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान को मशविरा दिया गया है कि अगर सूबे की सड़कों पर ध्यान नहीं दिया गया तो 2013 के चुनावों में जनता द्वारा भाजपा को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। यही कारण है कि एमपी गर्वमेंट अब सड़कों की सुध ले रही है।