रविवार, 24 अप्रैल 2011

डीटीसी से प्रेरणा ले एमपी गर्वर्मेंट



. . . एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो

एक दिन की डीटीसी की आय 3.66 करोड़ रूपए

(लिमटी खरे)

दिल्ली की स्थानीय परिवहन व्यवस्था को घुन की तरह खोखला करने वाली किलर ब्लू लाईन बस को सड़कों से विदा करना आसान नहीं था। न्यायालय के आदेश के बाद सड़कों पर ग्रीन और रेड लो फ्लोर बस दौड़ने लगीं हैं। चुनिंदा मार्गों पर ब्लू लाईन अभी भी दौड़ रही हैं। कोर्ट की सख्ती के बाद इस असंभव काम को संभव कर दिखाया है शीला दीक्षित सरकार ने। यह निश्चित तौर पर शीला सरकार का एक एतिहासिक कदम माना जा सकता है।

वैसे तो दिल्ली का स्थानीय परिवहन एक समय तक दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के जिम्मे हुआ करता था। शनैः शनैः राजनेताओं ने अपने लोगों को उपकृत करने के लिए डीटीसी की वाट लगाना आरंभ कर दिया। डीटीसी की बसें खटारा कहलाने लगीं और वे ऑफ रोड़ होने लगीं। इनका स्थान ब्लू लाईन बस ने ले लिया। ब्लू लाईन बस के कब्जे में आ चुकी दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को बड़ा झटका मेट्रो ने दिया। दिल्ली में मेट्रो रेल ने गजब की क्रांति लाई।

मेट्रो में लोगों को घूमने का एक अलग चार्म देखने को मिला। कालांतर में दिल्ली की जीवन रेखा मेट्रो बन गई। वैसे मेट्रो प्रबंधन ने एक बात दिल्ली के साथ ही साथ समूचे देश को सिखा दी कि किस तरह भीड़ को नियंत्रित और व्यवस्थित किया जा सकता है। पीक अवर्स में राजीव चौक में भीड़ चरम पर होती है और उस समय बिना किसी हादसे या भगदड़ के मेट्रो की सेवाएं आज भी निरंतर जारी हैं।

मेट्रो के बाद कामन वेल्थ गेम्स के लिए चमचमाती लो फ्लोर बस सड़कों पर दिखाई दीं। नान एसी बस हरी तो एयर कंडीशन्ड बस लाल रंग की अलग ही आभा लिए होती हैं। इन यात्री बसों में पहले तो दिल्लीवासी चढ़ने से घबराए क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं डीटीसी की बस अपनी आदतानुसार रस्ते में ही न पसर जाएं। धीरे धीरे डीटीसी ने लोगों का भरोसा अंततः जीत ही लिया।

आज दिल्ली में यूरोप के मानिंद ही लुभावनी बसों को देखकर राजधानी वालों का दिल प्रफुल्लित हो जाता है। दिल्ली घूमने आने वालों के लिए भी ये बस और मेट्रो रेल कोतुहल का विषय ही होती हैं। यद्यपि अभी इन बसों की टाईमिंग बहुत ही अनाप शनाप है क्योंकि एक ही मार्ग पर या तो एक एक घंटे तक बस नहीं आती है या फिर आती है तो एक साथ आधा दर्जन बस, फिर भी इसकी आय में होने वाली रिकर्ड बढ़ोत्तरी के लिए शीला सरकार की पीठ हर कोई थपथपाना चाहेगा।

दिल्ली में 5393 बस प्रथम पाली अर्थात सुबह तो चार हजार पांच सौ बस दूसरी पाली में शाम को छोडी जाती हैं। दिल्ली के यात्री बस बेड़े में 6197 यात्री बस हैं जो प्रतिदिन लगभग 11 लाख किलोमीटर का सफर तय करती हैं। 18 अप्रेल का दिन डीटीसी के लिए एक कामयाब दिन था। इस दिन 44 लाख यात्रियों को ढोकर डीटीसी ने तीन करोड़ 66 लाख रूपए की आय अर्जित की।

ज्ञातव्य है कि पिछले साल 01 से 18 अप्रेल के बीच डीटीसी की कमाई 26 करोड़ रूपए थी, जो इसी अवधि में इस साल बढ़कर 55 करोड़ रूपए तक पहुंच गई है। पिछले साल मार्च माह का कुल राजस्व 45 करोड़ रूपए था जो इस साल दुगने से ज्यादा बढ़कर 91 करोड़ रूपए हो गया है। डीटीसी का लक्ष्य सौ करोड़ रूपए करने का है।

कल तक दम तोड़ रही डीटीसी की यात्री परिवहन व्यवस्था आखिर पटरी पर आ ही गई है। निजी तौर पर संचालित होने वाली किलर ब्लू लाईन बस को सरकार ने अनिच्छा से ही सही सड़कों से खदेड़ ही दिया है। इससे साफ हो जाता है कि अगर पीछे से कोई बांस करता रहे और इच्छा शक्ति हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है।

मध्य प्रदेश में कमोबेश यही आलम पसरा हुआ है। निजी तौर पर अवैध तरीके से संचालित होने वाली यात्री बसों की लाबी इतनी हावी हो चुकी है कि मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को बंद ही करना पड़ा। अस्सी के दशक के आरंभ के साथ ही देश के हृदय प्रदेश में टूरिस्ट परमिट के नाम पर यात्रीयों को स्टेट कैरिज में ढोने का काम आरंभ किया गया था। जिला पुलिस, यातायात पुलिस और परिवहन विभाग की मिली भगत से इन यात्री बसों का धंधा खास फल फूल गया।

इस बिजनिस में एमपीआरटीसी जिसे पहले लोग सेेंट्रल प्रोवेन्हसिस ट्रांसपोर्ट सर्विस (सीपीटीएस) कहते थे के कारिंदों की मिली भगत ने सड़क परिवहन निगम में आखिरकार ताला लगवा ही दिया। आज मध्य प्रदेश में चुनिंदा अनुबंधित यात्री बसों के नाम पर अस्सी फीसदी अवैध बस संचालित हो रही हैं। इससे सरकार को तो राजस्व की हानी हो रही है, किन्तु बस मालिक, पुलिस और परिवहन विभाग के कर्मचारियों के साथ ही साथ जनसेवकों की जेबें खासी फूली दिखाई दे रही हैं।

मध्य प्रदेश के नीति निर्धारकों को डीटीसी की पूर्व और वर्तमान हालत से सबक लेना चाहिए। किस तरह आर्थिक और पहचान के संकट से जूझने वाली डीटीसी आज आर्थिक संपन्न और सर उठाकर चल रही है। नीयत साफ होनी चाहिए बस तभी तो कहा गया है -

‘कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता!

एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो‘!!

जहर बुझे तीर एकत्र हो रहे हैं जेतली के खिलाफ

जेतली पर संघ का वरद हस्त

राजनाथ, सुषमा, जोशी के विरोध को दरकिनार किया राममाधव ने

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। राज्य सभा में उपनेता अरूण जेतली का नाम विकिलीक्स खुलासे में आने के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह और मुरलीमनोहर जोशी ने जेतली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, किन्तु जेतली को जहां से एनर्जी मिली है उसकी उन्हंे कतई उम्मीद नहीं थी। जेतली के विरोध का शमन इतनी होशियारी से हुआ कि सांप भी मरा और लाठी भी नहीं टूट पाई।

विकिलीक्स में अरूण जेतली के नाम आने के बाद जेतली विरोधियों ने सरेआम बगावत आरंभ कर दी थी। इसी बीच दिल्ली झंडेवालान स्थित संघ कार्यालय उनके बचाव में आ गया। संघ प्रवक्ता राम माधव ने पत्रकारवार्ता में यह कहकर सभी को चौंका दिया कि संघ जेतली के स्पष्टीकरण से पूरी तरह संतुष्ट है।

उधर संघ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि मोहन भागवत ने जेतली विरोधी नेताओं को बुलाकर नसीहत दी है कि इसे मुद्दा न बनाया जाए, क्योंकि एसा करने से मनमोहन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार की मुहिम पर असर पड़ सकता है। सूत्रों ने यह भी बताया कि भागवत ने विद्रोह करने वालों को मशविरा दिया है कि इस अस्त्र को अभी न चलाकर तब चलाया जाए जब नितिन गड़करी का कार्यकाल समाप्त होगा और जेतली प्रधानमंत्री पद की दावेदारी करेंगे।

फोन कर सरेआम धमका रहे हैं दिल्ली पुलिस के कारिंदे

दिल्ली पुलिस को खरीदा रिलायंस ने!

नई दिल्ली (ब्यूरो)। अंबानी बंधुओं के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्री ने दिल्ली पुलिस को खरीद लिया है। जी हां, यह सच्चाई है, जिससे रिलायंस मोबाईल उपयोग करने वाले उपभोक्ता वाकिफ हो जाएं कि उनकी सेवा प्रदाता कंपनी ने दिल्ली पुलिस को खरीद लिया है।

दिल्ली में निवास करने वाले मध्य प्रदेश के एक बीएसएनएल मोबाईल उपभोक्ता ने बताया कि उनके मोबाईल पर दिल्ली से 011 32090955 नंबर से इक्कीस अप्रेल को अपरान्ह फोन आया जिसमें कहा गया कि वह दिल्ली पुलिस का एक निरीक्षक बोल रहा है, और उस उपभोक्ता के खिलाफ एक प्रकरण दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल किया गया है, जिसकी पेशी 22 अप्रेल यानी गुड फ्रायडे को है। गौरतलब होगा कि 22 अप्रेल को अवकाश है।

उक्त बीएसएनएल उपभोक्ता ने बताया कि उस निरीक्षक द्वारा एक वकील का नाम और उसका नंबर भी बताया गया कि उस वकील से मिलकर मामला सेटल करावा लो नहीं तो उक्त उपभोक्ता के खिलाफ उसके पास वारंट है, और वह उसे गिरफ्तार कर लेगा। घबराए उक्त उपभोक्ता ने अपने वकील से संपर्क कर इसकी शिकायत की। वकील द्वारा इस नंबर पर बार बार फोन लगाने पर फोन बंद ही मिला। बताया जाता है कि उक्त नंबर ज्ञान दत्त, 152, शांति विहार, मण्डी विलेज, दिल्ली 110047 के नाम पर लिया गया है।

उधर रिलायंस कंपनी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों ने एक एजंेसी बनाकर इस तरह का काम आरंभ किया है, जिससे वे दिल्ली पुलिस के निरीक्षक बनकर उपभोक्ताओं को फोन करते हैं और फिर उनके खिलाफ अनाप शनाब बिल बताकर रकम एंठने का काम करते हैं। सूत्रों का कहना है कि जो उपभोक्ता इनके झांसे में आ जाते हैं वे इन्हें नकद पैसा चुकाकर अपनी जान बचाते फिरते हैं।


सब कुछ सामान्य नहीं है भाजपा में

बगावती तेवरों से आलाकमान चिंतित

दिल्ली, जम्मू, झारखण्ड की गुटबाजी सड़कों पर

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भाजपा के निजाम नितिन गड़करी इन दिनों काफी हैरान परेशान दिखाई पड़ रहे हैं, इसका कारण अनेक राज्यों में सूबाई नेतृत्व के प्रति उपजी गुटबाजी है। राजधानी दिल्ली, जम्मू काश्मीर, झारखण्ड, पंजाब, राजस्थान आदि में विद्रोह का बिगुल फुंक चुका है। इन राज्यों में राज्य इकाई के प्रति रोष और असंतोष पार्टी के अंदर तेजी से पनप चुका है। उधर मध्य प्रदेश में एक वरिष्ठतम मंत्री को जल्द ही पदच्युत किए जाने की खबरों ने एमपी भाजपा में भूचाल ला दिया है।

गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि आधा दर्जन राज्यों में भाजपा की राज्य इकाईयों की कार्यप्रणाली के कारण उनका सरदर्द बढ़ता जा रहा है। पार्टी में अंदर ही अंदर पनपने वाले असंतोष को थामने के असफल प्रयासों के परिणामस्वरूप अब विद्रोह सतह पर आ चुका है। गड़करी ने अपने दूतों को असंतोष के शमन के लिए राज्यों में तैनात किया था किन्तु उनकी कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी हैं।

मध्य प्रदेश में मंत्रीमण्डल फेरबदल की आहटों के साथ ही एक वरिष्ठतम मंत्री को सत्ता के गलियारे से बाहर का रास्ता दिखाने की खबरों से पार्टी के अंदर खलबली मची हुई है। वैसे पार्टी अध्यक्ष प्रभात झा द्वारा कांग्रेस के नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष के.एल.भूरिया को नसीहत भरी पांच पेज की पाती को भी पार्टी मंे अच्छी नजरों से नहीं देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि केंद्र पोषित योजनाओं के फ्लेक्स में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के फोटो हैं और झा द्वारा भूरिया को नसीहत दी गई थी कि वे अपने बेनर पोंस्टर न लगवाएं।

दिल्ली में हालात लगभग बेकाबू ही लग रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि मेयर के चुनाव के लिए प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को दी गई खुली छूट से गड़करी की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक रही हैं। भाजपा के नेताओं का आरोप है कि पिछले चार चुनावों से पंजाबी उम्मीदवार को ही मेयर बनाया जा रहा है जिससे अन्य समुदाय के लोगों में असंतोष है।

इसी तरह अमरनाथ आंदोलन में भाजपा की भूमिका के उपरांत राज्य की जनता ने भाजपा पर भरोसा जताते हुए लगभग एक दर्जन उम्मीदवारों को जबर्दस्त जीत दिलवाई थी। इसके बाद सात विधायकों के द्वारा क्रास वोटिंग किए जाने जाने से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सकते में था। इसके पीछे पार्टी के राज्य अध्यक्ष शमशेर सिंह का तुगलकी रवैया ही सामने आ रहा है।

पंजाब में भी पार्टी के गठबंधन के मतभेदों को असंतुष्ट हवा दे रहे हैं। इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री लक्ष्मीकांता चावला के इस्तीफे की खबर से असंतोष दबने की खबरें थीं, किन्तु वह भी संभव नहीं हो सका। झारखण्ड में तो हद ही हो गई। वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा अपनी ही पार्टी के खिलाफ धरने पर बैठ गए। अतिक्रमण हटाने के मसले पर सिन्हा ने अर्जुन मुण्डा को अल्टीमेटम देकर पीडितों के पक्ष में बैठने को भी पार्टी नेतृत्व पचा नहीं पा रही है।

राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पहले पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को नाकों चने चबवाए अब वसुंधरा ने पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख अरूण चतुर्वेदी द्वारा गठित कार्यकारणी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। इसके अलावा उत्तराखण्ड और कर्नाटक में आए दिन पार्टी में टकराव की खबरें आम हो रही हैं।

इन परिस्थितियों में विद्रोह के शमन के लिए नितिन गड़करी को एड़ी चोटी एक करना पड़ रहा है। गड़करी के हरकारे चारों तरफ दौड़ दौड़ कर रोष और असंतोष को थामने का असफल प्रयास कर रहे हैं, किन्तु पार्टी में सब कुछ सामान्य होता नजर नहीं आ रहा है।

टीम भूरिया पर टिकी हैं सबकी निगाहें

दरकती दिख रही है कांग्रेस की एकता!

सिंधिया, नाथ ने गवारा नहीं समझा पीसीसी जाना

मिशन 2013 है भूरिया की पहली प्राथमिकता

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। एक दशक से अधिक समय के उपरांत मध्य प्रदेश के कांग्रेसी क्षत्रपों को एक मंच पर देखकर कांग्रेस के कार्यकर्ता खासे उत्साहित थे, किन्तु जैसे ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूरिया की रैली का समापन हुआ लोगों की जुबाने खुलना आरंभ हो गईं। इस रैली में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय जाए बिना ही वापस दिल्ली उड़ गए। सारे नेता आए तो एक विमान में सवार होकर थे, किन्तु उनकी वापसी अलग अलग विमानों और रास्तों से होना भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

कार्यभार ग्रहण कर दिल्ली पहुंचे प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया दिल्ली लौटने के बाद अब आराम के मूड में दिखाई पड़ रहे हैं। भूरिया को कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के पट्ठे के तौर पर प्रचारित किए जाने की पीड़ा भी उनके चेहरे पर दिखाई पड़ ही जाती है। भूरिया कहते हैं कि वे दिग्विजय नहीं कांग्रेस के सिपाही हैं।

वैसे टीम भूरिया को लेकर उन्हें कोई जल्दबाजी नहीं है। भूरिया के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहते। भूरिया चाहते हैं कि वे अपनी टीम में कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुभाष और अरूण यादव, सुरेश पचैरी, अजय सिंह, हरवंश सिंह आदि क्षत्रपों के समर्थकों को शामिल करें ताकि एसी कार्यकारिणी बने कि किसी को भी शिकायत का मौका न मिले।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अभी ढाई बरस का समय है। इस समय में भूरिया अगर कांग्रेस को जिन्दा कर लेते हैं तो उन्हें अगला मुख्यमंत्री बनाने से कोई रोक नहीं सकता है। इसके लिए भूरिया को सभी गुटों को साधना अत्यावश्यक होगा। यही कारण है कि वे अपनी टीम के गठन में बहुत ज्यादा हड़बड़ी नहीं दिखा रहे हैं।