गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

कहां जमा हैं 176 लाख करोड़ रूपए?


राजा के बाद नवरत्नों पर भी कसना होगा शिकंजा
 
जनता के पैसों की होली खेलने वालों को सिखाना होगा सबक
 
भ्रष्टाचार का डर समाप्त हो गया है नेताओं, नौकरशाहों में
 
हालात नहीं सुधरे तो जनता उतर सकती है सड़कों पर
 
(लिमटी खरे)
 
अस्सी के दशक के उपरांत भारत गणराज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें तेजी से पनपना आरंभ हुईं थीं। तीस सालों में भ्रष्टाचार का यह बट वृक्ष इतना घना हो चुका है कि इसकी छांव में नौकरशाह, जनसेवक और मीडिया के सरपरस्त सुकून की सांसे ले रहे हैं, किन्तु आम जनता की सांसे इस पेड़ के नीचे सूरज की रोशनी न पहुंच पाने के कारण मचे दलदल में अवरूद्ध हुए बिना नहीं हैं।
 
भारत गणराज्य के अब तक के सबसे बड़े घोटाले अर्थात टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य आरोपी अदिमुत्थू राजा को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने तेरह महीने की लंबी मशक्कत और खोज के बाद गिरफ्तार कर लिया। राजा के खिलाफ सीबीआई ने 21 अक्टूबर 2009 को टूजी मामले में जांच के लिए मामला दर्ज किया था। इसके बाद सहयोगी दलों के दबाव के चलते कांग्रेस नीत केंद्र सरकार ने इस मामले की फाईल को लटका कर रखा। विपक्ष ने जब संसद नहीं चलने दी तब कांग्रेस को होश आया और बजट सत्र में फजीहत से बचने के लिए सरकार ने सीबीआई को इशारा किया और तब जाकर कहीं राजा को सीखचों के पीछे ले जाया जा सका। राजा के साथ पूर्व टेलीकाम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के तत्कालीन निज सचिव आर.के.चंदोलिया को भी सीबीआई ने धर लिया है।
 
टेलीकाम सहित सारे के सारे घपले घोटालों को इतिहास की पाठ्यपुस्तक के अध्याय के तौर पर ही समझा जाए। द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) कोटे के मंत्री दयानिधि मारन के त्यागपत्र के उपरांत 16 मई 2007 आदिमत्थू राजा को वन एवं पर्यावरण से हटाकर संचार मंत्री बना दिया गया। 25 अक्टूबर 2007 को केंद्र ने मोबाईल सेवाओं के लिए टूजी स्पेक्ट्रम की नीलामी की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया। इसके उपरांत 15 नवंबर 2008 को तत्कालीन केंद्रीय सतर्कता आयुक्त प्रत्युष सिन्हा ने अपनी आरंभिक रिपोर्ट में इसमें अनेक खामियों का हवाला देतेह हुए दूरसंचार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की अनुशंसा की थी।
 
जब घोटाला हुआ तब केंद्र की सरकार चिर निंद्रा में लीन थी। इसके बाद बरास्ता नीरा राडिया यह घोटाला प्रकाश मंे आया। 21 अक्टूबर 2009 को सीबीआई ने टूजी स्पेक्ट्रम मामले में जांच के लिए मामला दर्ज कर लिया। इसके अगले ही दिन 22 अक्टूबर को सीबीआई ने दूरसंचार महकमे के कार्यालयों पर छापामारी की। इसके एक साल बाद 17 अक्टूबर 2010 को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दूरसंचार विभाग को अनेक नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया। नवंबर 2010 में विपक्ष ने एकजुट होकर दूरसंचार मंत्री ए.राजा को हटाने की मांग कर डाली। चारों ओर से दबाव में आई केंद्र सरकार को मजबूरन 14 नवंबर को राजा का त्यागपत्र मांगना ही पड़ा। 15 नवंबर को संचार मंत्रालय का कार्यभार कपिल सिब्बल को सौंप दिया गया।
 
राजा पर आरोपों की बौछारें होती रहीं और बिना रीढ़ के समझे जाने वाले देश के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह इतना साहस नहीं जुटा सके कि वे राजा से तत्काल त्यागपत्र मांगकर उन्हें सीखचों के पीछे भेज सकें। यक्ष प्रश्न तो यह है कि अगर एक सौ छियत्तर लाख करोड़ रूपए का नंगा नाच नाचा गया तो वह पैसा गया कहां? राडिया मामले में अनेक मंत्रियों की गर्दन नपना अभी बाकी है। यही आलम कामन वेल्थ गेम्स का रहा। प्रधानमंत्री डॉ.सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की आंखों के सामने जनता के गाढ़े पसीने की कमाई को हवा मंे उड़ा दिया गया, और ये दोनों चुपचाप ही बैठकर जनता के पैसे पर डलते डाके को देखते रहे। अनेक आरोप तो सोनिया गांधी के इटली वाले परिवार पर भी लगे हैं। जब कामन वेल्थ गेम्स आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी पर आरोप लगे तो उन्होंने सरकार को हड़काया कि हमाम में वे अकेले नंगे नहीं हैं। फिर क्या था, कलमाड़ी पर शिकंजा ढीला कर दिया गया। आदर्श हाउसिंग सोसायटी में नाम आने के बाद भी विलासराव देशमुख और सुशील कुमार शिंदे को सोनिया गांधी ने ए रेंक दिया है, जो आश्चर्यजनक है।
सरकार में मंत्रियों के बड़बोलेपन का आलम यह रहा कि संचार मंत्रालय का भार संभालते ही मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने तो सरकार के अब तक निष्पक्ष रहे आडीटर कैग की विश्वसनीयता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा डाले। देशवासी सकते में थे, कि आखिर हो क्या रहा है? क्या सरकारी तंत्र में खोट है या सरकार चलाने वाले नुमाईंदों की नजरों में? अंततः राजा की गिरफ्तारी ने दूध का दूध पानी का पानी कर दिया। अब सिब्बल मुंह छुपाते घूम रहे हैं।
 
अब जबकि राजा सीखचों के पीछे हैं तब केंद्र सरकार के नुमाईंदों पर जनता के धन के अपराधिक दुरूपयोग का मामला चलना चाहिए, क्योंकि सरकार के अडियल रवैए के चलते ही संसद का शीतकालीन सत्र बह गया और देश के गरीबों के खून पसीने के लाखों करोड़ों रूपए उसमें डूब गए। सरकार के नुमाईंदों का तो शायद कुछ न गया हो, उनकी जेबें पहले से अधिक भारी हो गई हों, पर इसका सीधा सीधा बोझ तो आम जनता पर ही पड़ने वाला है।

इसके पहले आजाद भारत में अनेक मंत्रियों को सीखचों के पीछे भेजा जा चुका है। 1991 से 1996 तक संचार मंत्री रहे सुखराम इसकी जद में आ चुके हैं। पूर्व में 16 अगस्त 1996 में तत्कालीन केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम के दिल्ली स्थित आवास पर सीबीआई ने छापा मारकर उनके पास से पोने तीन करोड़ रूपए नकद बरामद किए थे। इनके हिमाचल स्थित आवास से सवा करोड़ रूपए भी मिले थे। इन्हें 18 सितम्बर 1996 को गिरफ्तार किया गया था।
 
तांसी जमीन घोटाले में तमिलनाडू की मुख्यमंत्री रह चुकी जयललिता को अक्टूबर 2000 में चेन्नई की एक अदालत ने सजा सुनाई थी। इसके अलावा अरूणाचल प्रदेश के सीएम रहे गेगांप अपांग को एक हजार करोड़ रूपए के पीडीएस घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर चार हजार करोड़ रूपयों के घोटाले का आरोप है। इन्हें सितम्बर 2009 में गिरफ्तार किया गया था, वे आज भी जेल में ही हैं। कोयला मंत्री रहे शिबू सोरेन को अपने ही सचिव के अपहरण और हत्या की साजिश रचने के आरोप में दोषी ठहराया था। सोरेन पर आरोप था कि उन्होंने अपने सचिव शशिनाथ झा के साथ यह सब किया था। अदालत के फैसले के बाद सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया था। बीसवीं सदी में स्वयंभू प्रबंधन गुरू बनकर उभरे लालू प्रसाद यादव ने तो कमाल ही कर दिया था। चारा घोटाले के प्रमुख आरोपी लालू यादव को 30 जुलाई 1997 को 134 दिनों के लिए, 28 अक्टूबर 1998 को 73 दिन के लिए, फिर पांच अप्रेल 2000 को 11 दिनों के लिए जेल भेजा गया था। इन पर आय से अधिक संपत्ति का मामला है। बावजूद इसके ये सारे नेता आज भी अपनी कालर उंची करके सरकार में शामिल होने लालायित हैं।
 
कहने को तो देश की जांच एजेंसियां भ्रष्टाचारियों, कालाबाजारियों पर कड़ी कार्यवाही का दिखावा करती हैं। याद नहीं पड़ता कि सुखराम के अलावा किसी अन्य का प्रकरण परवान चढ़ पाया हो। एक दूसरे की पूंछ अपने पैंरों तले दबाकर रखने वाले सियासी दलों के नेताओं द्वारा जनता को इस तरह की कार्यवाहियों के जरिए भरमाया जाता है।

केंद्र सरकार इस बात को समझ नहीं पा रही है कि भ्रष्टाचार से आम जनता भरी बैठी है। रियाया चाह रही है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाए जाएं। अगर केंद्र या राज्यों की सरकारांे ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए तो भरी हुई जनता सड़कों पर उतर सकती है, और तब उपजने वाली स्थिति इतनी बेकाबू होगी जिससे निपटना किसी के बूते की बात नहीं होगी।

आड़वाणी, शरद यादव के भरोसे भ्रष्टाचार अभियान


विपक्ष तलाश रहा है सर्वमान्य नेता
नितीश पर लग सकता है दांव
 
देवगोड़ा भी हो गए हैं सक्रिय
 
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली। हर मामले में बिखर चुका राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अब कांग्रेसनीत केंद्र सरकार से भिड़ने के लिए एक सर्वमान्य नेता की तलाश कर रहा है, जिसके रहते विपक्ष अपनी भूमिका को जनता के सामने मजबूती से रख सके। उधर पूर्व प्रधानमंत्री हरदनहल्ली डड्डेगोड़ा देवगोड़ा भी एनडीए और यूपीए के विकल्प बनने की कोशिश में लगे हुए हैं।
भ्रष्टाचार से चौतरफा घिरी कांग्रेसनीत केंद्र सरकार को घेरने में विपक्ष अभी अपने आप को सहज महसूस नहीं कर पा रहा है। भाजपा को लगता है कि सक्षम नेतृत्व के अभाव में केंद्र सरकार को घेरने में विपक्ष पूरी तरह असफल ही रहा है। भाजपा में चल रही बयार के अनुसार अब विपक्ष को एसे सर्वमान्य नेता की तलाश है जिस तरह की भूमिका राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स मामले में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने निभाई थी।
गौरतलब है कि वर्तमान में राजग की ओर से सहयोगी दलों के बीच सामंजस्य बिठाने का काम एनडीए के कार्यकारी संयोजक शरद यादव द्वारा किया जा रहा है। उधर भ्रष्टाचार के मामले में लाल कृष्ण आड़वाणी की बेदाग छवि भी राजग के लिए लाभकारी ही साबित हो रही है। कहा जा रहा है कि आड़वाणी और शरद यादव के बीच सामंजस्य के अभाव के चलते राजग बिखराव की और बढ़ रहा है।
उधर कांग्रेस के अंदरखाने से बाहर आने वाली खबरों में कांग्रेस के रणनीतिकारों के हवाले से कहा जा रहा है राजग के पास कोई योग्य नेता नहीं होने के चलते केंद्र सरकार पर लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों को विपक्ष भुना नहीं पाएगा। कांग्रेस के प्रबंधकों को डर है कि अगर राजग की कमान नितीश कुमार के हाथों चली जाती है तब विपक्ष का हल्ला बोल धारदार तरीके से हो सकता है।
उधर राजग के बिखरने के बाद जद एस के एच.डी.देवगोड़ा ने राजग और संप्रग का विकल्प बनने के अभियान को तेज कर दिया है। देवगोड़ा द्वारा एआईएडीएमके, वाम दल, आईएनएलडी, बीकेडी, आरएलडी जैसे दलों को साथ लेकर तीसरा मोर्चा बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है।

लाल ड्रेगन की नजरें रसाई पर

रसोई पर भी नजरें डाल रहा लाल ड्रेगन
नई दिल्ली (ब्यूरो)। भारतीय अर्थव्यवस्था पर निरन्तर नजर रखकर उसे छिन्न भिन्न करने की फिराम में रहने वाले चीन ने अब गाजर के माध्यम से भारत के लोगों के रसोई में घुसपैठ करनी की कवायद आरंभ कर दी है। नेपाल से लगी खुली सीमा के रास्ते चीन प्रतिदिन लाखों रुपये मूल्य का गाजर भारतीय क्षेत्र में पहुंचा रहा है। आसपास के भारतीय किसानों पर इसका खराब असर दिखाई देने लगा है। चीनी सीमा पर इसकी बिक्री ने धूम मचा दी है, जल्द ही देश के अन्य भागों में भी इसके पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।
ज्ञातव्य है कि इससे पहले चीन द्वारा सेब और प्याज को निर्यात कर भारतीय भारतीय अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने की कोशिश की जा चुकी है। उसके इस कदम से सीमाई इलाकों के किसान हलकान हैं। भारत सरकार ने भी चीन की इस साजिश को को गंभीरता से लिया है, जिसके तहत खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हैं।
नेपाल से लगी लगभग 1751 किमी लंबी सीमा से सटे भारतीय क्षेत्र के जनपदों में इन दिनों चीनी गाजर ने धूम मचा रखी है। बेहद लाल और बड़े आकार वाली यह गाजर भारतीय क्षेत्र में 10 रुपये किग्रा बिक रही है। इसकी अपेक्षा छोटे आकार और मटमैले आकार की भारतीय गाजर को 15 रुपये किलो बिक रही है। उपभोक्ता के बीच चीनी गाजर की भारी मांग है।
भारतीय कृषि क्षेत्र पर चीन का यह आक्रमण नया नहीं है। इसके पहले वह अपने सेब के माध्यम से भारतीय बाजार पर कब्जा करने का प्रयास कर चुका है। आखिर चीन की गाजर की बिक्री का राज क्या हैए इस बारे में जिले के प्रगतिशील कृषक विजय सिंह का कहना है कि भारत सरकार औद्यानिक कृषि को बढ़ावा देने के प्रति उदासीन है, जबकि चीन अपने यहां कृषि को विज्ञान व टेक्नालाजी के बराबर महत्व दे रहा है।
गाजर तस्कर हैं सक्रिय
औसत गाजर से सुर्ख बेहद लाल रंग वाली चाइनीज गाजर चीन तिब्बत, के ल्हासा जिले से होकर नेपाल के खासा जिले में आती है। वहां से तस्करों के माध्यम से भारत नेपाल सीमा पर रात में चोरी छिपे लाकर डंप की जाती है और मौका देखकर उसे भारतीय क्षेत्र में पहुंचा दिया जाता है। चीनी गाजर सामान्यतः उन कच्चे मार्गाे से ट्रैक्टर ट्राली और साइकिल पर लाद कर लायी जाती है, जिनसे भारत से खाद नेपाल पहुंचाई जाती है।

अब निशाना पीएम पर साधा भाजपा ने


जेपीसी पर फिर अड़ी भाजपा

नई दिल्ली (ब्यूरो)। भारतीय जनता पार्टी जेपीसी से कम की मांग पर राजी होती दिखाई नहीं पड़ रही है। भाजपाध्यक्ष ने गुरुवार को कहा कि ए राजा और सुरेश कलमाड़ी को टूजी स्पेक्ट्रम तथा राष्ट्रमंडल खेल घोटालों में बली का बकरा नहीं बनाया जाए और चूंकि सभी फैसले केंद्रीय मंत्रिमंडल और प्रधानमंत्री ने किए हैं इसलिए संयुक्त संसदीय समिति की जाच से ही पूरी सचाई सामने आ सकती है।
पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने यहा कहा कि राजा और अन्य मंत्रियों ने केंद्रीय मंत्रिमंडल और प्रधानमंत्री की अनुमति से ही निर्णय किए। इसलिए देश के सामने इस बात का खुलासा होना चाहिए कि राजा का सरमायादार कौन है और इन घोटालों में और कौन कौन शामिल है। देश की जनता को यह जानने का हक है।
जेपीसी की माग दोहराते हुए उन्होंने कहा, जब तक इससे जाच नहीं कराई जाती है पूरी सचाई सामने नहीं आएगी। गडकरी ने कहा कि जब तक सारी सच्चाई सामने नहीं आती है और अंतिम बिंदु तक की जाच नहीं कराई जाती है राजा की गिरफ्तारी महज ढकोसला होगा।
काग्रेस और संप्रग पर 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में शामिल होने का आरोप लगाते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा इनके बिना इतने बड़े पैमाने पर घोटाले होना संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि राजा और कलमाड़ी को बली का बकरा बना कर अन्य दोषियों की बेदाग छवि बने रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अपनी खाल बचाने के लिए सरकार दूसरों की बलि नहीं दे।
गडकरी ने कहा कि 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन के नीतिगत निर्णय के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि मुख्य सचिव ने मंत्रियों के समूह को लिखा था कि मूल्य प्रावधान को हटा दिए जाने से देश को नुकसान होगा। अगर प्रधानमंत्री ने उस समय इस बात को मान लिया होता, तो शायद यह हालात ही पैदा नहीं होते।

हबीबुल्लाह ने संभाला कार्यभार


हबीबुल्लाह ने संभाला कार्यभार
नई दिल्ली (ब्यूरो)। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह ने गुरुवार को कार्यभार संभाल लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों एवं हितों को सुनिश्चित करना उनकी सर्वाेच्च प्राथमिकता होगी।
कार्यभार संभालने के उपरांत संवाददाताओं से बातचीत में हबीबुल्लाह ने कहा कि संविधान के तहत अल्पसंख्यकों के अधिकारों और हितों के लिए जो भी जरूरी है, वह कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वे अपने सभी सदस्यों के साथ बैठक कर भविष्य की की योजनाएं बनाएंगे।
गौरतलब है कि इससे पहले आयोग के अध्यक्ष मोहम्मद शफी कुरैशी थे, जिनका कार्यकाल बीते साल सितंबर में ही पूरा हो गया था। इसके बाद से यह पद खाली था। आज हबीबुल्लाह के साथ ही केकी एन दारूवाला ने आयोग के सदस्य के रूप में अपना कामकाज संभाला। कवि और लेखक दारूवाला का ताल्लुक पारसी समुदाय से है।
सच्चर कमिटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर हबीबुल्लाह ने कहा कि सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों के बारे में पहले अध्ययन करेंगे तब ही कोई निर्णय ले पाएंगे। मालेगाव विस्फोट के संदर्भ में पकड़े गए मुस्लिम युवकों और स्वामी असीमानंद की ओर से उसमें संलिप्तता स्वीकार कर लिए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि अभी मैं इस बारे में उतना ही जानता हूं, जितना आप लोग जानते हैं। मैं इस बारे में जानकारी हासिल करूंगा।
हबीबुल्लाह देश के मुख्य सूचना आयुक्त रहने के साथ ही कुछ वक्त के लिए जम्मू-कश्मीर के भी सूचना आयुक्त रह चुके हैं। 65 वर्षीय हबीबुल्लाह वर्ष 1968 में भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुए थे। इसके बाद से वह कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारिया निभा चुके हैं।

राजा के बाद जांच एजेंसी की नजरें कलमाड़ी पर


कलमाड़ी पर कस सकता है शिकंजा

नई दिल्ली (ब्यूरो)। भ्रष्टाचार से चौतरफा घिरी कांग्रेसनीत केंद्र सरकार द्वारा संसद का बजट सत्र चलाने और जनता के बीच अपनी छवि ठीक करने की कोशिश में पूर्व संचार मंत्री ए.राजा को सीखचों के पीछे पहुंचा दिया है। सूत्रों ने बताया कि कॉमनवेल्थ ऑॅर्गनाइजिंग कमिटी के अध्यक्ष पद से हटाए गए सुरेश कलमाड़ी को भी जल्दी ही गिरफ्तार किया जा सकता है। उधर कांग्रेस ने दावा किया है कि इस गिरफ्तारी से डीएमके और उसके संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
ज्ञातव्य है कि मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और डीएमके चीफ करुणानिधि के बीच हुई मुलाकात में राजा का भविष्य तय हो गया था। राजा की गिरफ्तारी से डीएमके को तमिलनाडु चुनाव में और कांग्रेस को उसके साथ होने वाले केरल, असम और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में फायदा होने की उम्मीद है। यूपीए की प्रमुख घटक टीएमसी पश्चिम बंगाल के चुनावों को देखते हुए भ्रष्टाचार पर कड़े कदम उठाने की मांग कर रही थी।
सूत्रों के अनुसार करुणानिधि ने राजा को उनकी गिरफ्तारी की जानकारी दे दी थी। सरकार को उम्मीद है कि राजा की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष के तेवर ढीले होंगे और बीजेपी और लेफ्ट में बजट सत्र के नहीं चलने देने के मुद्दे पर असहमति बढ़ेगी। सीपीएम के महासचिव प्रकाश कारत कह चुके हैं कि संसद को ज्यादा समय तक चलने से नहीं रोका जा सकता। बीजेपी और लेफ्ट ने संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलने दिया था।
राजा की गिरफ्तारी के जरिए यूपीए सरकार कई निशाने साधना चाहती है। सरकार की पहली प्राथमिकता बजट सत्र चलाना है। विपक्ष अभी भी जेपीसी की मांग पर अड़ा है। बीजेपी कह रही है कि जेपीसी नहीं तो संसद में काम नहीं। मगर अब लेफ्ट को एहसास हो रहा है कि विपक्ष की सारी जगह बीजेपी घेरती जा रही है। पश्चिम बंगाल के चुनाव उसके लिए भी बड़ी राजनीतिक लड़ाई हैं। बीजेपी के साथ सहयोग से उसकी छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
लोकसभा के नेता और विŸा मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बजट सत्र में विपक्ष का सहयोग मांगने के लिए 8 फरवरी को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सरकार को उम्मीद है कि कड़ी कार्रवाइयों के बाद विपक्ष पर संसद चलने देने का दबाव बढ़ेगा।

एमपी से एक पीडिता का खुला पत्र

एमपी से एक पीडिता का खुला पत्र 


सेवा  मे
        श्रीमान पुलिस महानिरीक्षक महांेदय
        रीवा रेन्ज, रीवा


संदर्भ- श्रीमान् पुलिस महानिरीक्षक महोदय हिदयत के बावजूद आरोपीयो द्वारा पुनः घटना कारित किय जाने के सम्बन्ध वाबत।
मान्यवर,
    प्रार्थिया की याचना निम्नानुसार है।
यह की दिनांक 16.11.2010 से आज दिनांक तक थाना प्रभारी सिविल लाईन द्वारा उच्चाधिकारियो के निर्देश के बाबजूद कोई कार्यवाही नही की गई जब की अरोपियो द्वारा मेरे साथ पांच पांच बार घटना कारित की गई जिसमे लूटपाट डकैती घर मे अपना कब्जा जमाने मारपीट करने भद्दी-भद्दी  गाली गलौज करने जान से मार देने की धमकी देने एवं घर मे घुसकर मेरे साथ मारपीट अभद्रता किया गया जिसके बाद भी थाना प्रभारी सिविल लाईन द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई मामला को दबाने का हर संभव प्रयास किया गया एवं अरोपियो को संरक्षण प्रदान कर उनका हौसला बुलंद किया गया जिसकी सूचना मेरे द्वारा थाना एवं सभी पुलिस अधिकारियेा को दी जा चुकी है। जिनकी छाया प्रतियां आवेदन के साथ संलग्न है।    
1ण्    यह की मेरे एवं मेरे पति के द्वारा दिये गये आवेदनो मे आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नही की गई मामला तक कायम नही किया गया जबकी मामला डकैती लूटपाट कर घर मे अपना कब्जा जमाने का है। जैसा की टी0 आई0 साहब द्वारा दिनांक 29.12.2010 को आई0 जी0 साहब के समक्ष मुख्य आरोपी नितिन प्रताप सिंह के पक्ष मे बोलने मे कोई कसर नही छोडी यहां तक की उनके द्वारा कहा गया की घटना के समय नितिन प्रताप सिंह थाने बैठा था। जबकी यह सरासर झूठ है। जबकी  उसके एवं उसके  साथियेा द्वारा मेरे घर को घेरकर दरबाजा तोड़ने का प्रयास किया गया था। जिसमे आई0 जी0 साहब द्वारा मेरी मदद की गई थी ।
2ण्    यह की थाना प्रभारी सिविल लाईन के द्वारा आज तक कोई कार्यवाही नही की गई मामले को दबाने का हर संभब प्रयास किया गया उनके द्वारा अधिकारियो के समक्ष भी झूठ का सहारा लेकर अरोपियो की हर संभब मदद की गई टी0 आई0 साहब द्वारा अधिकारियो से मामले को सिविल प्रकरण बताया गया । क्या किसी के घर मे डकैती डालकर सारा समान लूट ले जाना और घर मे दबंगइयी से कब्जा कर लेना सिविल प्रकरण है। क्या इस स्थित मे सीधा साधा आदमी सुरक्षित रह पायेगा। जब न्याय देने वाला ही अपराधियेा से मिल जाय।
3ण्    यह की थाना प्रभारी सिविल लाईन द्वारा मेरे और मेरे पति के साथ अरोपियो से मिलकर सणयंत्र किया गया जिसमे दो दिन रूक जाओ कह कह कर लगभग दो माह तक चक्कर लगबाते रहे। उसके बाद  आई0 जी0 साहब के निर्देश के बाद उनके द्वारा एस0 आई0 साकेत एवं अन्य चार पांच सिपाहियो को भेजकर दिनांक 24.12.2010 को ताला तोडबाकर मेरे परिबार को घर मे रूकने को कहा गया और आदेशानुसार दो सुरक्षा गार्ड तैनात किये गयेे। जो रात 10 बजे के बाद हमको एवं हमारे परिबार को अकेला छोड़ भाग खड़े हुए जिसके बाद अरोपियो द्वारा मेरा घर घेर लिया गया और हम लोग किसी तरह जान बचाकर थाना सिविललाईन पहुचे जहां टी0 आई0 साहब मौजूद नही थे जिसके बाद सूचना मेरे पति के द्वारा उनके मोबाईल पर दी गई तब उनके द्वारा यह कहा गया की इसका जिम्मेदार मैं नही हूं और मेरे पास यही बस काम नही है कह कर फोन काट दिया गया। उसके बाद टी0आई0 का दिनांक 25.12.2010 को सुबह करीब 11बजे मेरे पति के पास फोन आया की थाने आजाओ जब मेरे पति थाना सिविललाईन पहुचे तो देखा की मुख्य आरोपी नितिन प्रताप सिहं एवं उसके साथ मे कई लोग मौजूद थे। जिसमे एक पत्रकार महोदय भी सामिल थे। तब टी0आई0 द्वारा मेरे पति के ऊपर दबाब बनाया गया की समझौता करके घर उसके नाम करबादो जिसमे मेरे पति कोई प्रतिक्रिया दिये बगैर वापस आ गये जिसके बाद भी टी0आई0साहब का कई वार फोन आया जिसमे वही बात कही गई जिसमे मेरे पति के द्वारा दिनांक 29.12.2010 को साफ इंकर कर दिया गया जिसके कारण टी0आई0साहब काफी नाराज हो गये उसके बाद मुख्य आरोपी नितिन प्रताप सिंह का फोन आया की अगर तुम रजिस्ट्री नही करबाओगे तेा घर भी जाऐगा और जान भी जाएगी  तब मेरे पति के द्वारा यह कहां गया की क्या तुम जबरदस्ती किसी का घर ले लोगे जिस पर उसके द्वारा फोन पर गाली गलौज की गई और बोला गया अभी तेरे घर जाकर दरबाजा तोड़ डालूगा और जो मिला उसे गोली मार दूगां। अब देखता हूं तुझे और तेरे परिबार को कौन बचाता है और इसके बाद अरोपी नितिन प्रताप सिंह एवं उसके साथियों के द्वारा मेरे घर को घेरकर दरबाजा  तोड़ने का प्रयास किया गया। और भद्दी-भद्दी गालियो का प्रयोग किया गया। उस समय हम औरते घर मे अकेली थी। हमारे अंदर दहसत भर गई किसी तरह मेरे द्वारा आई0जी0 साहब को घटना के बारे मे फोन पर अबगत कराया गया । जिनके द्वारा पुलिस फोर्स भेजकर हमारी सुरक्षा की गई।
4ण्     यह की श्रीमान पुलिश महानिरीक्षक के द्वारा दिनांक 29.12.2010 को मुख्य आरोपी नितिन प्रताप सिंह की फोटो खिचाकर हिदायत दी गई थी की आज के बाद इन्हे किसी प्रकार से परेशान नही करोगे नही तुम्हारे लिऐ अच्छा नही होगा। जिसके वाद आरोपियो द्वारा हिदायत की अबहेलना  कर दिनांक 07.01.2011एवं 08.01.2011 के दर्मियान लगभग राति 12 बजे मुख्य आरोपी नितिन प्रताप सिंह अरूण प्रताप सिंह गुड्रडा सिंह पिंकू सिंह मनोज सिंह एवं अन्य पांच छ अरोपियो द्वारा मेरे घर मे घुसकर दरबाजा तोडकर मारपीट गाली गलौज एवं जान से मार देने का प्रयास किया गया। जिसके बाद हल्ला गोहार मचाने पर किसी तरह से हमारी जान बच पाई और उक्त आरोपी गण मेरे घर से भाग गये । जिसकी सूचना मेरे द्वारा थाना प्रभारी सिविललाईन को दिनांक 08.01.2011 को दी गई है।
5ण्    यह की दिनांक 08.01.2011 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को घटना की सूचना दिये जाने के बाद उनके द्वारा थाना प्रभारी सिविल लाईन को बुलाकर कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया। जिस पर उनके द्वारा यह कथन दिया गया की ये महिला झूठ बोलती है । इस प्रकार की कोई घटना इसके साथ नही घटित हुई। ये सब बनाबटी है। इसी कारण आई0 जी0 साहब द्वारा अपने कार्यालय से इसे डाटकर भगा दिया गया था। जो थाना प्रभारी द्वारा सरासर झूठ बोलकर अधिकारियो को भ्रमित करते है। इस प्रकार की मेरे साथ कभी कोई घटना घटित नही हुई । की किसी अधिकारी द्वारा मुझे डाटकर भगा दिया गया हो। इसके बाद थाना प्रभारी की आरजू मिन्नत एवं निर्देश के बाद मेरे घर जाकर मौका मुआयना किया जा कर मामले की खाना पूर्ति की गई।
6ण्    यह की इस स्थित मे जब थाना प्रभारी ही आरोपियो से मिला हो उन्हे संरक्षण दे रहा हो एवं उनके बचाब मे झूठा कथन दे रहा हो। तो प्रार्थिया को न्याय क्या देगा । मुझे यह संका होती है। की अगर मेरे अथबा मेरे परिबार की आरोपियो द्वारा हत्या भी कर दी जाय तो थाना प्रभारी सिविललाइन द्वारा आरोपियो के पक्ष मे वचाव हेतु कोई कथन दे सकते हैं । और उस स्थित मे भी मुझे न्याय नही मिल पाऐगी ।इस तरह के पुलिस अधिकारियो के खिलाफ बोलना एवं शिकायत करना भी खतरनाक साबित  हो सकता है। उनके द्वारा मुझे एवं  मेरे परिवार का किसी झूठे मामले मुकदमे मे फसाया जा सकता है।
7ण्    यह की मुख्य आरोपी नितिन प्रताप सिंह एवं उसके साथियो के खिलाफ विभिन्न थाने मे मारपीट लूट एवं डकैती के कई मामले पंजीबद्ध हैं। मुख्य आरोपी नितिन प्रताप सिंह के ऊपर जिला बदर एवं 307  जैसे मामले चलाऐ जा चुके हैं । जिसकी जानकारी सभी पुलिसा अधिकारियेां एवं  श्री मान गृह मंत्री तक को हैं। जिनके द्वारा आरेापी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का आदेश भी दिया जा चुका है। जिसके बाद भी उसके खिलाफ कोई कड़ी कार्यवाही नही की गई जिस से उसका मनेाबल काफी बढ़ा हुआ है। और वह कोई घटना कभी भी कारित कर सकता है।
8ण्    यह की मुझे एवं मेरे परिवार को पुलिस सुरक्षा प्रदान कराई जाये एवं मामला कायम कराया जाय । मेरे मामले की जांच किसी उच्चाधिकारी से कराई जाय। जिससे मेरे परिवार की जान माल की  सुरक्षा हो सके। इसके पहले भी मेरे द्वारा पुलिस सुरक्षा की मांग की जा चुकी हैं जिस पर कोई कार्यवाही नही हुई । अगर आपके द्वारा मुझे पुलिस सुरक्षा प्रदान नही की गई तो कभी भी कोई घटना घटित हो सकती है।
    अस्तु उपरोक्तानुसार फरियाद कर प्रर्थना करती हूु की आरोपियो के खिलाफ मामला कायम करा कर मुझे जानमाल की सुरक्षा प्रदान करने की कृपा की जाय।
          रीवा दिनांक 18.01.2011
   प्रार्थिया
        पद्मा मिश्रा
नारेन्द्र नगर मकान नं. 17/208 थाना
सिविल लाइन जिला रीवा म0प्र0)
       हाल निवाश रतहरा पेट्रोल पंप के पास
   माकान नं0 15/1719 रतहरा रीवा (म0 प्र0)