मंगलवार, 18 जनवरी 2011

खस्ताहाल है युवराज की जागीर

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

खस्ताहाल है युवराज की जागीर

कांग्रेसियों की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री और युवराज राहुल गांधी समूचे देश में युवाओं को कांग्रेस से जोड़ने का जतन कर रहे हैं, किन्तु उन्हें अपनी जागीर यानी संसदीय क्षेत्र अमेठी की कोई परवाह ही नहीं है। अमेठी का आलम यह है कि वहां न बिजली है, न पानी का ठिकाना है, रही बात उद्योग धंधों की तो लगभग उद्योग विहीन हो चुका है अमेठी। कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के बावजूद भी लगभग सवा लाख गैस कनेक्शन धारकों वाली अमेठी में रसोई गैस का जबर्दस्त संकट है। राजनैतिक कारणों से सदा चर्चा में रहने वाली अमेठी में केप्टन सतीश शर्मा ने सांसद रहते बहादुर पुर में पेट्रोलियम इंस्टीटयूट की घोषाण की थी, 97 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के बाद भी नतीजा ढाक के तीन पात ही है। बतौर सांसद पहले कार्यकाल में राहुल गांधी ने अमेठी को एजूकेशन हब बनाने का सपना दिखाया था, किन्तु न तो इंस्टीट्यूट ऑफ इंफरमेशन तकनालाजी ने यहां डिस्कवरी पार्क बनाया और न ही दिल्ली पब्लिक स्कूल ने ही यहां काम आरंभ किया। मौजूदा हालात में अमेठी की बदहाली को देखकर यहां के नागरिक अपने सांसद पर आंसू ही बहा रहे है। अमेठी में इन दिनों एक पुराना चुटकुला चर्चा में है।

यह है आरटीई का हाल सखे

देश में बच्चों को शिक्षित करने के लिए कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने शिक्षा के अधिकार कानून आरटीई को लागू किया है। गैर कांग्रेसी सरकारों वाले सूबों में आरटीई का परवान न चढ़ पाना समझ में आ सकता है कि वे कांग्रेस के फैसलों को अंगीकार करने से गुरेज कर रहे हों, किन्तु कांग्रेस की ही राजस्थान सरकार द्वारा आरटीई में कोताही समझ से परे है। राजस्थान में बारह लाख से अधिक बच्चों ने स्कूल का मुंह नहीं देखा है। इतना ही नहीं सूबे 72 हजार शालाओं में 23 हजार शिक्षकों की कमी है। राजस्थान में तकरीबन सात लाख 14 हजार कन्याएं ौर चार लाख 77 हजार बालक स्कूल जाने से वंचित हैं। राजस्थान में बालिकाओं के स्कूल से विमुख होने पर खासा आश्चर्य होता है। कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी खुद महिला हैं, देश की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भी महिला हैं, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार भी महिला हैं, फिर कांग्रेस की राजस्थान सरकार द्वारा बालिकाओं की शिक्षा दीक्षा के मामले में कोताही ही बरती जा रही है। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार के द्वारा बच्चों की शिक्षा को लेकर बनाए गए कानून में राज्यों की अनदेखी पर सजा का प्रावधान अवश्य ही होगा, अगर नहीं तो इसमें संशोधन पर प्रावधान करे और केंद्र को उसका उपयोग करना ही चाहिए।

आईटीडीपी में महिला बटालियन

भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने एक नया इतिहास रचते हुए महिलाओं की पहली बटालियन को अपने आप में समाहित कर लिया है। इस बटालियन में देश की 209 महिलाओं को शामिल किया गया है। इस बटालियन में उत्तराखण्ड से 44, राजस्थान की 13, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और दिल्ली की चार चार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की दो दो एवं हिमाचल प्रदेश की एक महिला शामिल है। अर्धसैनिक बलों में अब तक पुरूषों का ही वर्चस्व रहा है, महिलाएं भी किसी से कम नहीं है, यह बात साबित करते हुए देश की महिलाओं ने आईटीबीपी के माध्यम से देश की सेवा करने की ठानी है। इन महिलाओं को प्रशिक्षण के कठिन दौर से गुजरना पड़ रहा है। बावजूद इसके ये महिलाएं अपने आप को इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं। गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जब पूरी तरह से यह बटालियन तैयार हो जाएगी तब इनकी सेवा कैलाश मानसरोवर और नाथुला दर्रे में चुनौतिपूर्ण जवाबदारी भी दी जा सकती है। आने वाले समय में समूची दुनिया ‘भारत की स्त्री शक्ति‘ को सलाम करती नजर आएगी।

फिर केंद्र पर बरसे शिवराज

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लगता है रह रह कर केंद्र सरकार पर बरसने का भूत सताता है। वे अनेक मामलों में केंद्र से पक्षपात का आरोप लगाते हैं फिर दिल्ली आकर मध्य प्रदेश भवन में पत्रकारों को चाय पर बुलाकर अपनी भड़ास निकाल देते हैं। केंद्र सरकार क्या दे रही है क्या नहीं इस बात से शायद उनको बहुत ज्यादा लेना देना नहीं है। मध्य प्रदेश में सड़कों की दुर्दशा को लेकर सूबे की भाजपा ने पहले भूतल परिवहन मंत्री को घेरने की घोषणा की, इसके लिए हस्ताक्षर अभियान और मानव श्रंखला की घोषणा की गई इसके बाद प्रधानमंत्री से मिलने की बात थी। मध्य प्रदेश की भाजपा ने तो यह नहीं किया, कुछ दिनों बाद शिवराज सरकार ने भी भूतल परिवहन मंत्रालय को घेरने की बात कही। शिवराज की हुंकार के बाद भी सरकार ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया। रही बात शिवराज सिंह की दिल्ली में पत्रकार वार्ताओं की तो उसमें भूतल परिवहन मंत्रालय को छोड़ बाकी सभी मंत्रालयों को घेरने में शिवराज सिंह चौहान कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं।

बताएं बापू का आई क्यू लेबल

देश में सूचना का अधिकार कानून क्या लागू हुआ लोगों ने जो मर्जी चाहे वो जानकारी मांगना आरंभ कर दिया है। अहमदाबाद के एक शस्ख ने केंद्रीय सूचना आयुक्त से एक जानकारी मांगी है, जो हैरतअंगेज ही कही जा सकती है। उसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सहित अनेक पूर्व राष्ट्रपतियों के बौद्धिक स्तर (आई क्यू लेबल) के बारे में जानकारी चाही है। उधर केंद्रीय सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्र का मानना है कि इस तरह की सूचनाएं मागने से साफ हो जाता है लोग अब सूचना के अधिकार के नाम पर हदें पार करते जा रहे हैं। बकौल मिश्र यह सूचना के अधिकार दायरे का उल्लंघन है, जिसे रोका जाना चाहिए। वैसे कुछ लोगों ने सूचना के अधिकार कानून के जरिए न जाने कितने लोगों को बेनकाब कर दिया है, और कुछ ने इसके जरिए दुकानदारी भी आरंभ कर दी है। पहले जानकारी मांगो फिर उससे सौदा कर लो। कुछ जगहों पर सूचना के अधिकार के तहत जानकारियां मांगने पर लोगों का कत्लेआम तक मच गया है। कुछ भी हो सूचना का अधिकार कानून है बड़े काम की चीज। सरकार को इसका और अधिक प्रचार प्रसार करना चाहिए, ताकि व्यवस्था को चाक चौबंद बनाया जा सके।

आड़वाणी का ब्लाग भारती नहीं भाया भाजपाईयों को

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पीएम इन वेटिंग एल.के.आड़वाणी बहुत बड़े ब्लागर हो गए हैं। आड़वाणी अब अपनी मंशाएं और पार्टी की अंदरूनी बातें अपने ब्लाग पर लिखाकर सार्वजनिक करते हैं। आड़वाणी बहुत बड़े नेता हैं, और उनके लिए भाजपा का मंच है, फिर भी उन्होंने ब्लाग की दुनिया में जाकर अपने आप को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया है। आड़वाणी ने मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की भाजपा वापसी की मंशा को अपने ब्लाग पर उजागर कर दिया था, उसके बाद से ही भाजपा में उफान आ गया। उमा भारती ने भाजपा में रहते और छोड़ने के बाद जिन जिन लोगों को कोसा था, वे सब लामबंद होकर उमा भारती की वापसी में शूल बोने लगे। पहले लगने लगा था कि जब आड़वाणी ने अपने ब्लाग पर उमा भारती का भविष्य तय कर दिया है तो फिर भला कोई संसदीय बोर्ड में इसका प्रतिकार करने का साहस जुटा पाएगा। उमा विरोधियों ने जमकर सियासत की कहा कि उमा ने टीवी के सामने ही आड़वाणी को जमकर कोसा था, और तो और भाजपा को हराने के लिए एक पार्टी तक बना डाली थी, नतीजा सामने है उमा भारती को अभी वेट करना पड़ रहा है।

एम्स के पानी में हैं लाख बीमारियां

देश का आला दर्जे का चिकित्सालय अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान मरीजों या उसके परिजनों को पानी ही नहीं बीमारियां पिला रहा है। यह सच है, संस्थान के लेबोरेटरी मेडीसिन विभाग की रिपोर्ट यह सब कह रही है। प्रतिवेदन कहता है कि पानी के नमूने लेकर उसकी जांच में पाया गया है कि इसमें पैथोजीन है, जो टाईफाईड, हेपीटाईटिस ए एवं सी के साथ ही साथ पेट की अनेक बीमारियांे का कारक है। इसमें ओपीडी, इंडियन रोटरी केंसर हॉस्पिटल का पानी सबसे ज्यादा दूषित है। उम्दा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विख्यात एम्स में गरीबों के लिए प्रदूषित पानी पिलाया जा रहा है इसमें मरीजों के साथ ही साथ उनकी तीमारदारी में लगे लोग भी प्रभावित हुए बिना नहीं है। वहीं दूसरी ओर पाईवेट वार्डस और व्हीव्हीआईपी क्लीनिक्स में रसूखदारों के लिए आरओ मशीन लगा दी गईं हैं। बहरहाल डिपार्टमंेट द्वारा एम्स निदेशक डॉ.आर.सी.डेक्का को लिखे पत्र में इन बातों का सविस्तार से उल्लेख कर दिया है। अब देखना यह है कि लोगों को भला चंगा करने वाला अस्पताल कब लोगों को साफ सुथरा पानी मुहैया करवाता है।

‘डियर मिनिस्टर‘ का खौफ

केंद्रीय मंत्रियों मंे इन दिनों एक नया खौफ देखने को मिल रहा है। केबनेट सचिव के.एम.चंद्रशेखर ने एक पत्र लिखकर मंत्रियों को हलाकान कर रखा है। कैबनेट सचिव ने केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के एक निर्देश की याद दिलाई है, जिसमें प्रधानमंत्री ने मंशा व्यक्त की थी कि केंद्रीय मंत्री सांसदों का पूरा पूरा ध्यान रखें, उनसे समय समय पर भंेट मुलाकात करें। केबनेट सचिव चंद्रशेखर ने पत्र में प्रधानमंत्री कार्यालय में पदस्थ रहे पूर्व राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के पत्र की याद भी दिलाई है। मंत्री हैरान हैं कि आखिर एक नौकरशाह को मंत्रियों को पत्र लिखकर याद दिलाने की क्या जरूरत पड़ गई। मंत्रियों का कहना है कि एसा प्रतीत होता है कि वे सांसदों की उपेक्षा कर रहे हैं और सांसदों ने जाकर केबनेट सचिव के सामने अपना दुखड़ा रोया है। इसके पहले भी कैबनेट सचिव ने मंत्रियों को अपने अपने महकमों की परफार्मेंस रिपोर्ट तैयार करने संबंधी पत्र लिखा था। गौरतलब होगा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी के कार्यकाल में उनके सचिवों और कंाग्रेस के आला नेताओं द्वारा अपनी इच्छा को राजीव जी की इच्छा बताकर काम साध लिए जाते थे।

बापू को सच्ची श्रृद्धांजली दे रहे हैं अश्विनी

‘रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम‘ अहिंसा के पुजारी मोहन दास करमचंद गांधी जिन्होंने आधी धोती पहनकर उन ब्रितानियों को भारत से खदेड़ दिया था, जिनके बारे में मशहूर था कि उनका सूरज कभी डूबता नहीं है। मौजूदा सियासी हालात देखकर लगने लगा है कि भारत गणराज्य में आज नेताओं के लिए बापू आप्रसंगिक हो गए हैं। आज के समय में सरकारों द्वारा 30 जनवरी को दो मिनिट का मौन रखकर और दो अक्टूबर को सरकारी अवकाश के साथ ही साथ मांस मदिरा की दुकानें बंद करवाकर बापू को श्रृद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं। दिल्ली में संपन्न नौवें प्रवासी भारतीय सम्मेलन में आए महात्मा गांधी के पुजारी सखामित्र अश्विनी ने एक अनोखा संकल्प लिया है। अश्विनी ने बापू के शांति और अहिंसा के संदेश को समूचे विश्व में गुंजायमान कारने का बीड़ा उठाया है। सम्मेलन में लंदन, कनाड़ा, आफ्रीका से आए भारतवंशियों ने उनसे मिलकर इन देशों में बापू के संदेश के प्रचार प्रसार का आग्रह किया है। अश्विन का मानना है कि बापू हमेशा निचले तबके के सहारा माने जाते रहे हैं। फिल्म और थियेटर की दुनिया के सशक्त हस्ताक्षर अश्विनी ने पीस टू जर्नी नामक एलबम के माध्यम से इसका प्रचार प्रसार करने का निर्णय लिया है, यह एलबम इस साल गांधी जयंती पर लांच होने की उम्मीद है।

अब नहीं लगा सकोगे विदेशियों को चूना

जब भी कोई गोरी चमड़ी वाला हिन्दुस्तान की सैर पर आता है, उसे लूटना भारत के आटो चालक अपना धर्म समझते हैं। एक के बदले दस वसूलने के आदी हो चुके महानगरों के आटो चालकों को सबक सिखाने के लिए दुनिया के चौधरी अमेरिका में नायाब मुहिम छेड़ी है। अमेरिका की एक कंपनी ने अपनी वेब साईट पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीआर) सहित अठ्ठारह शहरों के लिए फेयर पोर्टल लांच किया है। टेक्सीआटोफेयर डॉट काम नामक इस वव साईट पर देशी विदेशी पर्यटक अपने रूट मेप, आटो का किराया आदि की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इसमें दिल्ली, एनसीआर के अलावा मुंबई, बंगलुरू, कोलकता, पुणे, अहमदाबाद, अमृतसर, लुधियाना, चंडीगढ़, औरंगाबाद, जयपुर, कोयंबटूर, त्रिवेंद्रम, पटना, मंगलौर, नागपुर शहरों की जानकारी का समावेश किया गया है। अब अमेरिका वालों को कौन समझाए कि आप भले ही पोर्टल पर चाहे जो जानकारी डाल दंे, पर यह हिन्दुस्तान की बिगड़ैल व्यवस्था है, इसमें कोई लगाम नहीं लगा सकता है। यहां नियम कायदे कानून हैं, आटो का किराया भी निर्धारित है, किन्तु उसका पालन करने की फुर्सत न तो आटो चालकों को है, और ना ही यातायात पुलिस के बस की ही बात है।

पुच्छल तारा

स्वच्छ छवि वाले अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार, घपले घोटालों की भरमार देखकर कांग्रेस के आला नेताओं को छोड़कर समूचा देश हैरान परेशान है। इसी मामले में केरल के त्रिशूर से सविता नायर ने ईमेल भेजा है। सविता लिखती हैं कि स्विस बैंक में जमा धन, घपले, घोटाले भ्रष्टाचार में कांग्रेस ने सभी को पीछे छोड़ दिया है। अब तो लोग कहने लगे हैं कि दो सौ सालों में अंग्रेजों ने हमें क्या लूटा होगा जितला महज साठ सालों में ही देश के जनसेवकों और नौकरशाहों ने हमें लूट लिया है।

ये है दिल्‍ली मेरी जान

आवाम ए हिन्‍द 18 जनवरी 2011