शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

विदेशी कम्पनी मैकेन्सकी एण्ड कम्पनी द्वारा शिक्षा तंत्र पर अध्ययन

शिक्षा के विकास में मध्यप्रदेश सर्वश्रेष्ठ राज्य

नई दिल्ली (ब्यूरो)। मध्यप्रदेश को शिक्षा के विकास के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ राज्य घोषित किया गया। विदेशी कम्पनी मैकेन्सकी एण्ड कम्पनी द्वारा 20 देशों में शिक्षा तंत्र पर किये गये अध्ययन पर जारी रिपोर्ट में शिक्षा तंत्र को खराब से बेहतर कैसे बनाया जाए, बेहतर से अच्छा कैसे बनाया जाए और अच्छे से सर्वश्रेष्ठ कैसे किया जाए। यह अध्ययन आर्मीनिया, बोस्टन, चिली, इंग्लैण्ड, घाना, हॉग कॉग, जॉर्डन, लात्विया, लिथुवानिया, कैलीफोर्निया, ब्राजील, ओन्टेरिया, पोलैण्ड, सैक्सोनी, सिंगापुर, सिलोवानिया, दक्षिण कोरिया, वेस्टर्न केप (दक्षिण अफ्रीका) जैसे देशों में किया गया।

मैकेन्सकी एण्ड कम्पनी द्वारा ’विश्व के स्कूल शिक्षा तंत्र को कैसे बेहतर बनायें’ के अध्ययन पर हाल ही में जारी रिपोर्ट में विश्व के लगभग 20 स्कूल तंत्रों पर अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मानकों पर अध्ययन किया गया। जिसमें लगभग 200 लोगों से साक्षात्कार और 600 लोगों से उनके विचार लिये गये।

रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में पिछले दो से चार सालांें के अंदर प्रदेश में साक्षरता और शिक्षित लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही विभिन्न सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग और सम्पन्न वर्गों के बीच की खाई के अंतर में काफी कमी आयी है। मध्यप्रदेश में शिक्षा तंत्र के अनुसार कक्षा 2 से 5 तक जो छात्र गणित में गुणा भाग में दक्ष हो और पठन में कक्षा 2 की पुस्तक को पढ़ सके, के मापदंड रखे गये हैं। इसके अनुसार पिछले 2 से 4 सालों में गणित की दक्षता में 8 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है जबकि राष्ट्रीय औसत सामान्य से घटकर 9 अंक हो गयी है। इसी तरह पढ़ने के क्षेत्र में 9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। जबकि राष्ट्रीय औसत सिर्फ 2 प्रतिशत बढी है।

शिक्षा तंत्र में आये भारी बदलाव प्रदेश में समर्पित नेतृत्व, तय मानकीकरण, शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण और विद्यार्थियों को सामान्य जरूरतों को पूरा करना जिसमें मध्यान भोजन, मुफ्त वर्दी और साइकिल आदि उपलब्ध कराना है।

Latest Report on Education System by Mckinsey & companyNew Delhi, January 14, 2011

Madhya Pradesh Adjudged the Best State in the Field of Education Development



Madhya Pradesh (in India) was adjudged as the best state in the field of education development particularly,Ow does a school system with poor how does a school system with poor performance become good? And how does one good performance become excellent. The study was conducted in the countries like Armenia, Aspire (a US charter school sytem), Boston, Chile, England, Ghana, Hong Kong, Jordon, Latvia, Lithuania, California, Minas Gerais(Brazil) Ontario, Poland, Saxony, Singapore, Slovenia, South Korea and Western Cape (South Africa) by Mckinsey &company .

In its new Report by on How the World's most improved school system keep getting better by Mckinsey and company, 20 school systems from around the World were analyzed, all with improving but differing level of performance, examining how each was achieved significant, sustained, and widespread gains in students outcomes as measured by international and national assessments. Based on over 200 interviews with system stakeholders and analysis of some 600 interventions carried out by these systems. The Report identifies the reform elements that are applicable for school systems elsewhere as they move from poor to fair to good to great to excellent performance.

The Report says that, "even systems starting from low level of performance, such as Madhya Pradesh in India have significantly improved their literacy and numeracy levels within just 2 to 4 years, while making strides in narrowing the achievement gap between students from different socio-economic background. Improvement can start from any student outcome level, whatever the geography, culture or income."

In Madhya Pradesh, the education system aspire from every student in class 2 through 5 to be proficient in reading and mathematics (mathematics is proficiency in division: reading is proficiency in reading standard 2 text). In

mathematics there was 8 per cent increase in proficiency compared to the national average which was minus 9 per cent. As regards reading there was 9 per cent increase in proficiency compared to national level i.e. 2 per cent increased.

The drastic change in the education system is possible because of the committed leadership, standardized, scripted teaching techniques (highly prescriptive curriculum, teaching methods), teachers coaches, data monitoring and basic needs provisions like mid day meal programme, free uniform and bicycles etc.

जनपद सदस्य का चुनाव जीतने के बाद से लालचंद ने अपने ग्राम मे नही रखा है पैर

अनोखा संकल्प लालचंद की गले की फांस बना

महज 3 किलोमीटर सड़क बनाने का संक ल्प नही कर पाया है पूरा *
नेताओ और अधिकारियो के दरवाजो पर माथा टेकने मे निकल गये 1 वर्ष 
* सिवनी विधान सभा की इससे अधिक दुर्दशा की कहानी और क्या होगी

सिवनी आदिवासी विकास खंड छपारा का एक जनपद सदस्य पिछले एक वर्ष से जनपद सदस्य का चुनाव जीतने के पश्चात आज तक अपने ग्राम मे नही पहुंचा है। उस जनपद सदस्य को पूरे ग्राम के व्यक्तियो एवं उसके परिजन उसके समर्थक और जनप्रतिनिधि मना मना कर थक गये है। परन्तु वह अपने संकल्प को जब तक पूरा नही करेगा। तब तक ग्राम मे पैर नही रखेगा। उक्त जनपद सदस्य ने कोई बडा संकल्प नही लिया है। बहुत छोटा सा संकल्प है। परन्तु विकास की गंगा बहाने वाला शिवराज सिंह का शासन उसके उस संकल्प को पूर्णता प्रदान नही कर रहा है। जिससे आदिवासी क्षेत्रो का विकास करने के प्रति सरकार की गति को और मानसिकता को समझा जा सकता है। इस क्षेत्र से बहुत ही संवेदन शील मानी जाने वाली सिवनी विधायक का बड़ा गहरा संबंध है। जनपद सदस्य से अपना राजनैतिक सफर प्रारंभ करने वाली श्रीमति नीता पटेरिया इसी क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य रही फिर ५ वर्ष सांसद भी रही और अब सिवनी विधान सभा क्षेत्र से विधायक होने के साथ ही महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष है। परन्तु इनकी विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाला एक आदिवासी ग्राम जहां से हर वर्ष २५ से ३० लाख रूपये का सीताफल दिल्ली सहित अन्य प्रदेश को लिये निर्यात होता है। ऐसे वन ग्राम मे महज तीन किलोमीटर की सड़क नही बन पा रही है। क्षेत्र के लोगो ने अपने क्षेत्र की सबसे बडी इस समस्या के निराकरण के लिये लालचंद धुर्वे नामक व्यक्ति को जनपद सदस्य निर्वाचित किया छपारा जनपद पंचायत के वार्ड क्र मांक १२ से निर्वाचित जनपद सदस्य लालचंद धुर्वे ने भी बहुत छोटा काम समझकर संकल्प ले लिया कि जब तक उसके ग्राम खैरमटाकोल से बंधानी तक ३ किलोमीटर की पक्की सड़क नही बन जायेगी। वह अपने ग्राम मे पैर नही रखेगा। परन्तु लाल चंद धुर्वे को वह संकल्प बहुत अधिक मंहगा साबित हो रहा है। लगभग १ वर्ष का समय बीत चुका है। वह अपने ग्राम मे पैर नही रख पाया है। महज तीन किलोमीटर की सड़क बनाने के लिये उसने हर सक्षम जनप्रतिनिधि और हर अधिकारी की चौखट पर माथा रगड़ लिया है। परन्तु सड़क बनने का आश्वासन भी अभी तक कही से प्राप्त नही हुआ है। पूरे मध्यप्रदेश की राजनीति मे छायी रहने वाली इस क्षेत्र की दो महान हस्तियां आदिवासी जनपद सदस्य की पीड़ा को नही समझ पा रही है। मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह जो आदिवासियो के हितो के प्रति हमेशा सजग रहते है। और अपने आप को उनका सबसे अधिक हितेषी बताते है। वही छपारा क्षेत्र मे विकास की गंगा बहाने वाली सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया भी अपनी उपलब्धियो का बखान करते रहती है। परन्तु आदिवासी निर्वाचित जनप्रतिनिधि महज तीन किलोमीटर की सड़क बनाने के संकल्प पूरा करने के लिये दर-दर की ठोंकरे खा रहा है जो बडबोले नेताओ की करनी और कथनी को स्पष्ट करता है। मध्यप्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह को ऐसे छोटे मोटे कार्य कराने के लिये केवल आदेश देने की आवश्यकता काम चुटकि मे हो सकता है सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया भी इस काम को कराने मे रूचि ले ले तो कार्य होना कोई मुश्किल नही है। और इस प्रकार के कार्य कराने की उनकी अपनी नैतिक जिम्मेदारी है। क्योकि वे इस क्षेत्र से निर्वाचित विधायक है। हलांकि पहले सांसद भी रह चुकी है। जो संकल्प जनपद सदस्य ने लिया है उसकी आवश्यकता ही नही पड़ऩी थी। सिवनी बालाघाट सांसद के.डी. देशमुख ने भी उक्त जनपद सदस्य की समस्या को टालते हुए सी.सी. एफ के पास पहुंचा दिया जबकि वह सी.सी.एफ के यहां चक्कर काट काट कर अपनी चप्पल घिस चुका है। रोजगार गारंटी योजना, प्रधान मंत्री सड़क योजना, मुख्यमंत्री सड़क एवं वनसुरक्षा समीतियो द्वारा किये जाने वाले विकास कार्यो के मद से इस छोटी सी सड़क निर्माण आसानी से किया जा सकता है परन्तु सड़क निर्माण न होना कही न कही किसी बडे जनप्रतिनिधि की व्यक्तिगत अरूचि का कारण और आदिवासी समाज के प्रति घटिया सोच का परिणाम कहा जा सकता है। विकास अपने क्षेत्र विकास के प्रति संकल्पवान जनप्रतिनिधियो की कैसे दुर्दशा होती और आदिवाासियो के साथ किस प्रकार का दुव्र्यहार हो रहा है यह लालचंद धुर्वे की दशा क ो देखकर अनुमान लगाया जा सकता है। और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जो मंच से यह घोषणा करते नही थक रहे है कि खजाने पर सबसे पहला अधिकार आदिवासियो का है उन्हे इस प्रकार के बाधित कार्यो की समीक्षा अवश्य करना चाहिए।

आर्थिक समानता से सामाजिक और राजनैतिक समानता आयेगी-मिश्रा

आर्थिक समानता से सामाजिक और राजनैतिक समानता आयेगी-मिश्रा
सिवनी -:''बिना सहकार नहीं उद्धारÓÓ यह सहकारिता का उद्घोष है। सहकार भारती ने इसमें संस्कार शब्द जोड़कर सहकारिता को नया रूप प्रदान किया है, भारत के संस्कारों में सहकार की भावना हजारों-हजारों साल से विद्यमान है पाश्चात्य संस्कृति ने आज स्वरूप को विकृत कर दिया है, परंतु जबतक इसे सशक्त नहीं किया जायेगा। भारत की वर्तमान दुर्दशा को सुधारना संभव नहीं है, सहकार में ही भारत की समृद्धि सामाजिक समानता और राजनैतिक समानता का विकास संभव हैं, यह बात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विवादपूर्ण घनश्याम मिश्रा ने आज सहकार भारती के स्थापना दिवस के अवसर पर जिला सहकारी बैंक में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन के दौरान कही। आज जिला सहकारी बैंक कन्द्रीय बैंक के छत पर सहकार भारती का स्थापना दिवस जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष अशोक तेकाम के मुख्य आतिथ्य एवं सहकार भारती के अध्यक्ष राजेन्द्र विश्वकर्मा की अध्यक्षता में मनाया गया कार्यक्रम के प्रारंभ में भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलिति किया गया अतिथि स्वागत के पश्चात मुख्य अतिथि अशोक तेकाम ने अपना संक्षिप्त उद्बोधन दिया और कहा कि सहकारिता का क्षेत्र इतना विशाल है कि इसके माध्यम से हर क्षेत्र में कार्य किये जा सकते और कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं जहां इस क्षेत्र में कार्य कर रोजगार के अवसर तलाशे जा सकते हैं वहीं छोटे-छोटे कार्यो में लगे हुए व्यक्तियों को  शोषण से मुक्त कराकर उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाया जा सकता है। इसके पश््रचात मुख्य वक्ता श्री घनश्याम मिश्रा ने सहकार से राष्ट्र को परम वैभव पर पहुंचाने की अवधारणा को प्रतिपादित करते हुए कहा कि सहकार कोई नई कल्पना नहीं है इस प्रकार की व्यवस्था हमारे वेदो मे भी प्राचीन काल से थी, और इसी कारण भारत का सम्मान विश्व मे रहा है। उच्चकोटि के संस्कार और सामाजिक व्यवस्थाये विश्व के  लिये अनुकरणीय रही हैै। संस्कार युक्त सहकार से ही भारत की समस्याओ का निराकरण संभव है।  उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारतीय अध्यात्म, संस्कार और ज्ञान पर व्याख्यान देकर शिकागो धर्म सभा मे भारतीय दर्शन को उच्च कोटि का स्थान दिलाया था। परन्तु भारत की गरीबी अशिक्षा ने उन्हे बुरी तरह झंकझोर दिया था पं. दीनदयाल उपाध्याय के अनुसार आद्यशंकराचार्य भी हजारो वर्ष पहले आसमानता से व्यथित थे। और उन्होने समाज को एक दूसरे की चिंता करने का संदेश दिया था एक दूसरे का सहयोग करना ही सहकार है। समाज के दबे -कुचले विकास की मुख्य धारा से छुटे हुये व्यक्तियो को विकास की मुख्यधारा से जोडने का सामाजिक प्रयास ही सहकार है। जब तक बेहतर सोच के साथ प्रयास नही होंगे और समाज के व्यक्तियो की रोटी, शिक्षा, मकान की चिंता नही की जायेगी। देश का भला नही हो सकता एक तरफ आधुनिकता की दौड़ बडी-बडी अट्टालिकाऐ और दूसरी तरफ भूखमरी, अशिक्षा और फु टपाथों  पर बड़ी संख्या मे व्यक्ति जीवन यापन कर रहें हैं। यह स्वास्थ्य सामाजिक व्यवस्था नही कही जा सकती भारतीय जीवन दर्शन सभी को एक दूसरे का भाई के रूप मे प्रतिपादित करता है। उसी भावना से हमे अपने जीवन मूल्यो को प्रतिबिंबित करना चाहिए। स्वर्ग मरने के पश्चात ही नही मिलता जहां हम रहते जिस समाज के बीच रहते है। उसे ही स्वर्ग बनाने की भावना से मिलजुलकर काम करे। इसी प्रकार  सहकार से उद्धार की कल्पना की जा सकती है। आर्थिक समानता से सामाजिक समानता और सामाजिक समानता से राजनैतिक समानता आसानी से प्राप्त हो सकती है। जो उपेक्षित और दबा कुचला समाज है उसे पहले आर्थिक रूप से संपन्न करने की आवश्यकता है। और आर्थिक समानता सामाजिक समानता और राजनैतिक समानता लाने मे सक्षम है। यह बहुत दुखद पहलू है कि आज विश्व आधुनिकता के क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है, और उसी क्रम में भारत भी विकास की गति में कमजोर नहीं है, परंतु आज भी, समाज के बहुत बड़े वर्ग का उद्धार नहीं हो पाया है, आज भी अशिक्षा, भूखमरी हमारा पीछा नहंी छोड़ रही है, इस कलंक को धोये बिना सशक्त भारत का निर्माण नहीं हो सकता और इसकी जिम्मदारी आपसी सहयोग से ही संभव है, श्री मिश्रा ने कहा कि अपने आने वाले समय को सुख समृद्धिपूर्ण बनाने के लिए सभी वर्गाे के सम विकास की चिन्ता करना होगी।
कार्यक्रम मे विशेष अतिथि के रूप मे संतोष अग्रवाल एवं अधिवक्ता राजेन्द्र विश्वकर्मा, राजेश उपाध्याय, भूमि विकास बैंक के संचालक प्रहलाद पटेल, भाजपा नगर अध्यक्ष प्रेम तिवारी, समीर अग्रवाल, श्रीमती निर्मलाठाकुर, श्रीमती संगीता उपाध्याय श्रीमती आशा अवस्थी, सुश्री रानीबघेल, श्रीमती शान्ति बघेल, श्रीनिवास मूर्ति, नरेंन्द्र टॉक, आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।  कार्यक्रम का संचालन अजय डागोरिया द्वारा किया गया, कार्यक्रम में सहकार भारती के पदाधिकारी एवं अन्य जन बडी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में रजेन्द्र विश्वकर्मा द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

कृष्णा की बिदाई लगभग तय

शर्मा और सिब्बल हैं विदेश मंत्रालय के दावेदार

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा का मंत्रालय बदलना लगभग तय ही माना जा रहा है।

भारत गणराज्य के नए विदेश मंत्री के लिए वर्तमान वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और मानव

संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल सशक्त दावेदार बनकर उभरे हैं। आनंद शर्मा सोनिया

गांधी तो सिब्बल प्रधानमंत्री की पहली पसंद बताए जा रहे हैं।ं

कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ

रही खबरों के अनुसार विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर की बिदाई के बाद से ही सोनिया गांधी को

कृष्णा की कार्यप्रणाली पसंद नहीं आ रही है। वहीं दूसरी और वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा

द्वारा बिना नागा के हर सप्ताह अंतर्राट्रीय मसलों पर एक सटीक नोट कांग्रेस अध्यक्ष के

सामान्य ज्ञान को बढ़ाने की गरज से पेश कर दिया जाता है, जिससे आनंद शर्मा के नंबर 10

जनपथ में जबर्दस्त तरीके से बढ़ चुके हैं।

बताते हैं कि आनंद शर्मा वैसे भी प्रधानमंत्री को फूटी आंख नहीं सुहाते, इसलिए वजीरे आजम

डॉ.मनमोहन सिंह चाहते हैं कि कृष्णा के स्थान पर कपिल सिब्बल को फिट किया जाए। सियासी

गलियारों कें चल रही बयार के अनुसार दोनों ही स्थितियों में मौजूदा विदेश मंत्री कृष्णा का

जाना तय है। गौरतलब होगा कि पिछले दिनों एस.एम.कृष्णा को मीडिया के सामने स्पष्टीकरण

भी देना पड़ा था कि उनके हाथ से विदेश मंत्रालय कतई नहीं फिसलने वाला है।

पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि पीएम चाहते हैं कि कृष्णा के स्थान पर सिब्बल और सिब्बल
की जगह सलमान खुर्शीद को एचआरडी मिनिस्ट्री की कमान सौंपी जाए। अगर एसा हुआ तब
खुर्शीद के स्थान पर अंतुले जैसे कट्टरपंथी नेता को लाकर अल्पसंख्यक वोट बैंक मजबूत किया
जा सकता है।