शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

बढ़ सकते हैं सीमेंट के दाम

सावधान! मानसून के बाद बढ़ सकते हैं सीमेंट के दाम

मानसून के बाद तेज माल होगा सीमेंट का

प्रति व्यक्ति सीमेंट की खपत 136 किलोग्राम

(लिमटी खरे)

देश के महानगरों के अलावा छोटे मंझोले शहरों में भी अब कांक्रीट जंगल खड़े होना आरंभ हो गए हैं। मकान पक्के हों या कच्चे हर जगह सीमेंट का उपयोग अवश्यंभावी ही है। बिना सीमेंट कोई भी दीवार खड़ी नहीं हो सकती है। यही कारण है कि सीमेंट उद्योग में दिन दोगनी रात चौगनी बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। सत्तर के दशक के उत्तरार्ध से लेकर अस्सी के दशक के आरंभ तक सीमेंट की मांग और उत्पादन में कमी के चलते सीमेंट तक की राशनिंग कर दी गई थी। लोग मकान बनाते वक्त सीमेंट खरीदने के लिए पर्ची बनवाने के लिए रतजगा तक किया करते थे। इस दौर में सीमेंट की कालाबाजारी करने वालों की पौ बारह हो गई थी।

मानसून की बिदाई की बेला आते आते रियल्टी सेक्टर के कदम तालों में तेजी आना आरंभ हो गया है। सितम्बर और अक्टूबर माह में सीमेंट, इंफ्रा और रियल्टी सेक्टर में उफान आने की भविष्यवाणियां होना आरंभ कर दी गई हैं। सीमेंट उत्पादन से जुड़े लोगों का भी मानना है कि अगले माह से सीमेंट के दामों में जबर्दस्त उछाल दर्ज होने की संभावनाएं हैं। त्योहारी मांग को देखकर भी सीमेंट की कीमतों में इजाफे से इंकार नहीं किया जा सकता है।

अमूमन सीमेंट के तीन ही उपभोक्ता होते हैं, इनमें बिल्डर, इंफ्रास्टक्चर संस्थाएं और व्यक्तिगत प्रमुख हैं। एक आंकलन के मुताबिक कुल उत्पादन का चालीस फीसदी हिस्सा व्यक्तिगत तौर पर ही उपयोग में लाया जाता है। वैसे सरकार की इंफ्रास्टक्चर क्षेत्र के प्रति नजदीक और लचीला रवैए के साथ ही साथ त्योहारी आकर्षण में बिल्डर्स द्वारा छूट के साथ मकानों के बेचने की घोषणा के चलते सीमेंट की मांग में तेजी से इजाफा होने का अनुमान है।

वैसे भी मानसून में निर्माण कार्य बाधित ही हुआ करते हैं, यही कारण है कि बारिश के चार माहों में सीमेंट की खपत न्यूनतम ही हुआ करती है। सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में इजाफा किया जा चुका है। पेट्रोल, डीजल, कोयला, लाजिस्टिकल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के चलते सीमेंट की कीमतों में वैसे ही उछाल दर्ज किया जा सकता है। अनुमान तो यह लगाया जा रहा है कि सीमेंट की कीमतों में दस से बीस रूपए प्रति बैग की वृद्धि दर्ज हो सकती है।

आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2008 - 2009 में 18.61 करोड़ टन सीमेंट का उत्पादन किया गया था। इसी वित्तीय वर्ष में 1850 करोड़ डालर का कुल टर्न ओवर था सीमेंट उद्योग का। सीमेंट इंडस्ट्री के माध्यम से इस वक्त दुनिया में चौदह खरब लोग अपने परिवार की क्षुदा शांत कर रहे हैं। रही बात भारत की तो भारत में इस वक्त 365 छोटे और सफेद सीमेंट के प्लांट अस्तित्व में हैं। जिनमें से 148 बड़े सीमेंट प्लांटस हैं।

आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि भारत गणराज्य विश्व में सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक देश है। भारत की सीमेंट इंडस्ट्री की उत्पादन क्षमता वित्तीय वर्ष 2009 - 2010 में बढ़कर 21.9 करोड़ टन हो गई है। देश में इस वक्त कुल 46 कंपनियां सीमेंट उत्पादन के कार्य में लगी हुई हैं। चालू माली साल के बाद वर्ष 2011 - 2012 में सीमेंट इंडस्ट्री का उत्पादन लक्ष्य बढ़ाकर 29.8 करोड़ टन होने की उम्मीद है।

सीमेंट के बढ़ते उपयोग और मांग को देखकर अगले तीन सालों में सीमेंट इंडस्ट्री के दस फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। विश्व के मान से अगर देखा जाए तो प्रति व्यक्ति सीमेंट का औसत उत्पादन विश्व में 250 किलोग्राम होता है, जबकि दुनिया के चौधरी बनने की होड़ में शामिल चीन द्वारा 450 किलोग्राम सीमेंट का उत्पादन प्रति व्यक्ति किया जाता है। भारत में यह औसत 115 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है। जबकि खर्च की दर 136 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है।

एक समय था जब लोग घरों को मिट्टी से बनाया करते थे। उसके पहले दीवारों को खड़ा करने और जोड़ने के लिए मिट्टी के साथ ही साथ अनेक प्राकृतिक चीजों का उपयोग भी किया जाता था। आज के सीमेंट के जोड़ से वे प्राकृतिक चीजों का जोड़ कहीं ज्यादा टिकाउ और मजबूत होता था। कालांतर में मिट्टी का प्रयोग दीवारें खड़ी करने के लिए किया जाने लगा। मिट्टी के बने मकान पूरी तरह पर्यावरण और मौसम के अनुकूल ही हुआ करते थे।

जब से सीमेंट इंडस्ट्री ने अपने पैर पसारे हैं तब से समूचा विश्व इसकी जद में आ गया है। सीमेंट के अत्याधिक प्रयोग के चलते पर्यावरण का असंतुलन भी साफ तौर पर दृष्टिगोचर होने लगा है। सीमंट के बने मकानों में स्वच्छ हवा और रोशनी की कमी के कारण तरह तरह की समस्याओं ने पैर पसारने आरंभ कर दिए हैं।

फोरलेन विवाद का सच ------------------- 17

किसी संस्था द्वारा खवासा में कराई जा रही है वाहनों की गिनती

सात सौ वाहनों की आवाजाही है औसत इस मार्ग पर

सड़क आरंभ हो या न हो पर टोल प्लाजा हो सकता है चालू

गुजरने वालेे वाहनों को आधी अधूरी सड़क का ही देना होगा टोल टेक्स

प्रशासन नहीं है इस प्लाजा के आरंभ करने के पक्ष में

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 27 अगस्त। मध्य प्रदेश महाराष्ट्र सीमा पर खवासा में किसी एजेंसी द्वारा वाहनों की गिनती कराए जाने की बात प्रकाश में आई है। इस बात को लखनादौन के पास उत्तर दक्षिण गलियारे पर निर्मित टोल प्लाजा के चालू होने के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस साल दीपावली के आसपास ही टोल प्लाजा को सरकारी तौर पर आरंभ करवा दिया जाएगा और यहां से गुजरने वाले वाहनों को आधी अधूरी सडक के लिए ही टोल टेक्स देने पर मजबूर होना पड़ सकता है। उधर प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि जिला प्रशासन इस टोल प्लाजा को आरंभ करवाने के पक्ष में कतई दिखाई नहीं पड़ रहा है।

बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से आए किसी कंपनी के मुलाजिमों द्वारा दिन रात बैठकर छोटे, मझोले और बड़े वाहनों को एक्सल के आधार पर गिना जा रहा है। उक्त कंपनी के दो मुलाजिमों में से एक के द्वारा खवासा से नागपुर की ओर जाने वाले तो दूसरे द्वारा खवासा से जबलपुर की ओर जाने वाले वाहनों की गणना की जा रही है। यह गणना चोबीसों घंटे जारी है। उक्त कार्य इन कारिंदों द्वारा विभिन्न ढाबों में बैठकर गुपचुप तरीके से किया जा रहा है, ताकि जनता की नजरों से यह छिपा रहे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले लगभग दो माहों से जारी इस गणना में प्रति दिन का औसत सात सौ वाहनों के आसपास आया है। कहा जा रहा है कि इस साल दीपावली के आसपास लखनादौन के पास बने टोल प्लाजा को आरंभ करवा दिया जाएगा, जिसके बाद यहां से गुजरने वाले हर वाहन (सरकारी, सांसद, विधायकों द्वारा प्रयुक्त वाहनों को छोड़कर) को गुजरने के लिए निर्धारित शुक्ल अदा करना आवश्यक हो जाएगा।

माना जा रहा है कि जल्द ही सिवनी जिले में टोल प्लाजा आरंभ होने वाला है, और संभवतः यही कारण है कि किसी एजेंसी द्वारा वाहनों के यातायात दबाव का विभिन्न श्रेणियों में सर्वे कराया जा रहा है ताकि टोल प्लाजा से होने वाली वास्तविक कमाई का आंकलन किया जा सके। संभावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि किसी एजेंसी को इसका काम देने के लिए उच्चाधिकारियों द्वारा सैद्धांतिक सहमति बना दी गई हो, तभी उक्त कंपनी ने जोर शोर से सारे आंकड़े जुटाए जाकर अनुमान लगाए जाने के काम को अंजाम दिया जा रहा हो।

गौरतलब है कि उत्तर दक्षिण गलियारे में सिवनी जिले में नरसिंहपुर से लखनादौन, जिला मुख्यालय सिवनी होकर खवासा तक के मार्ग का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित था, जिसमें से लखनादौन और सिवनी के बीच बंजारी के पास तथा सिवनी से खवासा के बीच मोहगांव से खवासा तक का मार्ग का निर्माण रोक दिया गया है। विडम्बना है कि एनएचएआई द्वारा अगर यह टोल प्लाजा आरंभ करवा दिया गया तो आने वाले समय में इस सड़क के एक बहुत बड़े हिस्से में गड्ढ़े युक्त सड़क पर से गुजरने के बावजूद भी वाहन चालकों को टोल टेक्स देने पर मजबूर होना पड़ेगा।

उधर जिला प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि जिला प्रशासन का मन इस टोल प्लाजा को आरंभ कराने के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति देने का नहीं है। अगर टोल प्लाजा आरंभ करने की बात अस्तित्व में आती है तो जिला प्रशासन द्वारा इसके लिए अपनी नकारात्मक टिप्पणी के साथ इसे आरंभ कराने के ओचित्य पर प्रश्न चिन्ह लगा सकता है।