मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

हिन्‍दी ब्‍लॉगर टंकी पुराण प्रतियोगिता का आयोजन

हिन्‍दी ब्‍लॉगर टंकी पुराण प्रतियोगिता का आयोजन


इस जानकारी को अधिक से अधिक ब्‍लॉगरों तक पहुंचाने के लिए अपने ब्‍लॉग पर पोस्‍ट लगा सकते हैं और चर्चाओं में इसका उल्‍लेख किया जा सकता है


आप स्‍वयं को इस सच्‍चा हिन्‍दी ब्‍लॉगर स्‍वीकार करते हैं तो इस प्रतियोगिता में भाग लेकर अपनी भावना को साबित करने का सुनहरा अवसर है।

इस प्रतियोगिता में ब्‍लॉगर और नॉन ब्‍लॉगर सभी भाग ले सकते हैं परन्‍तु इससे भाग कोई भी नहीं सकता। चाहे वो इस प्रतियोगिता के आयोजन का समर्थन करते हों या नहीं करते हों। जिस प्रकार समर्थन करने के लिए इस प्रतियोगिता में भाग लेना अनिवार्य है उसी प्रकार विरोध करने के लिए भी भाग लेना अनिवार्य है। इसमें भाग लेने से ही आपकी सहमति और विरोध दर्ज किया जाएगा । पोस्‍ट लगाते समय क्रमवार पहले इन प्रश्‍नों के उत्‍तर दें और बाद में सार-संक्षेप और निष्‍कर्ष प्रस्‍तुत करें :-


1. टंकी का प्रादुर्भाव किसने किया
2. टंकी से प्रभावित पहला ब्‍लॉगर
3. टंकी का मौलिक आइडिया किसका था
4. टंकी पर चढ़ने वाले ब्‍लॉगरों की सूची
5. टंकी से उतारने वाले ब्‍लॉगरों की सूची
6. टंकी पर चढ़े ऐसे कोई ब्‍लॉगर जो चढ़ने के बाद उतरे ही न हों
7. टंकी पर सामूहिक रूप में ब्‍लॉगर कभी चढ़े अथवा नहीं
8. टंकी के वे चित्र जो इस दौरान चर्चा में आए
9. टंकी ने जिन ब्‍लॉगर और ब्‍लॉगों को लोकप्रियता प्रदान की
10. टंकी की हिन्‍दी ब्‍लॉगजगत में उपादेयता पर 500 शब्‍दों में एक सारगर्भित विवेचन प्रस्‍तुत कीजिए।


इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए टिप्‍पणी रूपी सीढ़ी मात्र तीन दिन के बाद हटा ली जाएगी क्‍योंकि इस पर टिप्‍पणी नहीं, अपने अपने ब्‍लॉग पर इस प्रतियोगिता में भाग लेने का संदर्भ देते हुए एक पूरी हैवी ड्यूटी पोस्‍ट लगाना अनिवार्य है। जिनकी सूचना avinashvachaspati@gmail.com पर भेज दी जाए। जिनका लिंक http://nukkadh.com/ पर दिया जायेगा और जब न्‍यूनतम एक सौ एक पोस्‍टें अधिकतम की कोई सीमा नहीं है, इस संबंध में प्रकाशित हो जाएंगी तब एक वोट बक्‍सा खोला जाएगा उस वोटिंग के अनुसार जिसकी भी प्रविष्टि/पोस्‍ट सर्वोत्‍तम पाई जाएगी। उस ब्‍लॉगर के ऑनलाईन बैंक खाते में इनाम की राशि जमा कराई जाएगी। इस राशि के प्रायोजक की तलाश भी साथ-साथ चलती रहेगी। यदि सबकी सहमति रही तो इस संबंध में एक टंकी प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा जिसे कि भाग लेने वाले सभी ब्‍लॉगर अपने-अपने ब्‍लॉग पर लगा सकेंगे।
अंतिम तिथि इसमें खोजबीन के श्रम को देखते हुए पूरे एक महीने की घोषित की जा रही है जिसे ब्‍लॉगरों की मांग पर बढ़ाया और घटाया भी जा सकता है। यदि कोई विवाद होते हैं तो उन सभी का निपटारा दिल्‍ली में हिन्‍दी ब्‍लॉगरों के मिलन समारोह में ही किया जाएगा।
इस प्रतियोगिता के संबंध में कोई सुझाव स्‍वीकार्य नहीं होंगे और इसमें लिए गए निर्णयों में किसी का हस्‍तक्षेप लागू नहीं होगा। सभी नियम परिवर्तनशील हैं। इस प्रतियोगिता को चालू रखने, रद्द करने संबंधी सभी अधिकार सुरक्षित हैं और इन पर कोई दावा स्‍वीकार नहीं किया जाएगा।

उमाश्री की वापसी पर असमंजस के बादल बरकरार

उमाश्री की वापसी पर असमंजस के बादल बरकरार
 
मध्य प्रदेश की राजनीति बनी दीवार 
 
नहीं हुई वापसी तो फट सकता है साध्वी का गुस्सा
 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 13 अप्रेल। कभी भारतीय जनता पार्टी की फायर ब्राण्ड लीडर मानी जाने वाली उमाश्री भारती के लिए अब भाजपा में वापसी की राह बहुत आसान नहीं दिख रही है। भले ही राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आडवाणी द्वारा सुषमा स्वराज को रोकने की गरज से उमाश्री को वापस लाने का स्वांग रचा जा रहा हो पर हाल ही में अस्तित्व में आई शिवराज सिंह चौहान और सुषमा स्वराज की जुगलबन्दी के चलते उनकी हर चाल नाकाम होती ही दिख रही है।
 
भाजपाध्यक्ष नितिन गडकरी, संसदीय दल के अध्यक्ष एल.के.आडवाणी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरूण जेतली, पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, राजनाथ सिंह आदि की उपस्थिति में भाजपा मुख्यालय 11 आशोक रोड पर हुई बैठक में भी इस सम्बंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि उमाश्री भारती जैसी बडबोली नेता को भाजपा में वापस लेने को लेकर उभरे मतभेद गहरा चुके हैं। उमा विरोधी गुट ने अपनी भावनाओं से पार्टी आलाकमान को आवगत भी करा दिया है। राजग के पीएम इन वेटिग एल.के.आडवाणी की मण्डली द्वारा उमाश्री की वापसी की पुरजोर वकालत के बावजूद उनके विरोधियों ने आलाकमान को साफ कह दिया है कि अगर उमाश्री की वापसी होती है, तो वे उनके त्यागपत्र स्वीकार करने तैयार रहें। दरअसल उमाश्री ने भाजपा से निकाले जाने पर अटल बिहारी बाजपेयी और एल.के.आडवाणी के खिलाफ जिस तरह की अनर्गल बयान बाजी की थी, उसे ही उनके विरोधी ढाल बनाकर इस्तेमाल कर रहे हैं।
 
सूत्रों ने आगे कहा कि उमाश्री की वापसी की राह में सबसे बडा रोडा दल की मध्य प्रदेश इकाई के द्वारा लगाया जा रहा है। उन्होंने यहां तक बताया कि सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने तो साफ कह दिया है कि अगर उमाश्री को भाजपा में वापस लिया जाता है तो वे तत्काल ही त्यागपत्र दे देंगे। उधर मध्य प्रदेश भाजपा इकाई के अध्यक्ष नरेन्द्र तोमर ने भी उमा के वापस न आने की वकालत की है।
 
उमा विरोधी इस बात को भी हवा दे रहे हैं कि 2003 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने माईनस उमाश्री बहुमत हासिल किया है। इतना ही नहीं भाजपा ने पहली बार उन इलाकों में भी परचम लहराया है जहां लोधी बाहुल्य जनसंख्या है। उधर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतकर इस सूबे को अपनी कर्मभूमि बना लिया है। इस तरह वे भी परोक्ष तौर पर उमाश्री के खिलाफ झण्डा उठाए खडी नज़र आ रहीं हैं। सुषमा के सुर में सुर मिलाने वालों में अब राज्य के प्रभारी महासचिव अनन्त कुमार भी आ खडे हुए हैं।

बढता ही जा रहा है लाल गलियारा 350 वी पोस्ट

देश को परिपक्व गृह मन्त्री की दरकार - - - (4)
   
350 वी पोस्ट

बढता ही जा रहा है लाल गलियारा 
उत्तर भारत में नक्सलियों की बढ रही है पैठ
 
(लिमटी खरे)

भाजपा के नए अध्यक्ष का यह कहना कि नक्सलवाद की पैठ पशुपतिनाथ से लेकर तिरूपति तक है, को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। आज के परिदृश्य को देखकर लगने लगा है कि नक्सलवाद का जहर आधे से अधिक हिस्से को लकवाग्रस्त कर चुका है और देश प्रदेश के शासक नीरो की तरह चैन की बंसी बजा रहे हैं, मानो कुछ हुआ ही न हो। एक के बाद एक जवानों को मौत के घाट उतारा जा रहा है, और देश के शासक कह अपनी भूल मानकर ही कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं। सबसे बडे विपक्षी दल का खिताब हासिल करने वाली भाजपा ने भी इस मामले में एकाध बयान जारी कर अपना कर्म पूरा कर लिया है। जनता मरती है, तो मरती रहे हम तो मलाई काटेंगे की तर्ज पर शासक अपने आवाम का ख्याल रख रही है, जो निन्दनीय ही कहा जाएगा।
 
पहले तो पश्चिम बंगाल, बिहार, उडीसा, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीगढ, आंध्र प्रदेश जैसे सूबों में ही नक्सलवाद का आतंक पसरा हुआ था, अब यह लाल गलियारा तेजी से बढ रहा है। देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए नासूर बन चुकी नक्सली गतिविधयों की उत्ताखण्ड, दिल्ली, पंजाब आदि सूबों में पदचाप सुनाई देने के बाद भी सरकारें सो ही रही हैं। सरकार की कुंभकणीZय निन्द्रा की बानगी था 2006 में 8 और 9 नवंबर को दिल्ली में हुआ नक्सली सम्मेलन। इस दौरान देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में बांटे गए पर्चे और पोस्टर्स में साफ किया गया था कि संसदीय लोकतन्त्र बहुत बडा फ्राड है और इसको समाप्त करने के लिए सशस्त्र क्रान्ति ही इकलौता विकल्प हो सकती है।
 
गृह मन्त्रालय के सूत्र भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि नक्सलियों ने बहुत ही कम समय में पशुपतिनाथ से लेकर तिरूपति तक लाल गलियारे की रेखा खींची जा चुकी है। सूत्रों की मानें तो मार्च 2007 तक नक्सलवादियों ने अपनी गतिविधियां केरल, तमिलनाडू, कर्नाटक में भी बढा लीं थीं। इतना गृह मन्त्रालय को मिलने वाली गुप्तचर सूचनाओं के बावजूद भी तत्कालीन गृह मन्त्री शिवराज पाटिल देश की आन्तरिक सुरक्षा अभैद्य ही होने का दावा करते रहे।
 
नक्सलवाद का गढ बन चुके छत्तीसगढ के बस्तर, दन्तेवाडा, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर, राजनान्दगांव सहित अनेक जिलों के लगभग तीन हजार गांव इसकी चपेट में हैं। इस सूबें में लगभग 15 हजार किलोमीटर के दायरे में पसरी है, नक्सलियों की सल्तनत। सूबे के आला सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ के हालात इतने भयावह हैं कि अनेक इलाकों में शाम पांच बजे के बाद कोई घटना होने पर पुलिस को घटनास्थल पर जाने की मनाही की गई है। अनेक थाना क्षेत्रों में तो नक्सलियों से पुलिस इतनी खौफजदा है कि वह वदीZ के बजाए सिविल यूनीफार्म में ही रहकर अपना काम चलाती है। इतना ही नहीं अतिसंवेदनशील थाना क्षेत्रों में तो पुलिस को थाने से अकेले निकलने पर भी मनाही ही है। सूबे में बडे नक्सलियों नेताओं में कोसा उर्फ बीकेएस रेड्डी का नाम सबसे उपर है।
 
नक्सलवाद को जन्म देने वाले पश्चिम बंगाल में हालात बहुत ही नाजुक हैं। यहां नेता किशनजी खुद प्रेस कांफ्रेंस करते हैं पर अपना चेहरा नहीं दिखाते हैं। इसी तरह झारखण्ड में 18 से अधिक जिलों में नक्सल आतंक गरज रहा है। यहां गणपति और किसन वैंकटेशराव उर्फZ किसन दा का जलजला कायम है। इसी तरह आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश में भी इनका आतंक पसरा हुआ है। मध्य प्रदेश के बालाघाट के साथ ही साथ मण्डला और डिण्डोरी को इन्होंने अपने कब्जे में ले रखा है। राज्य में हालात इतने सगीन हैं कि बालाघाट में शासन द्वारा एक पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी को तैनात कर रखा है। पहले इसका मुख्यालय यहां से ढाई सौ किलोमीटर दूर जबलपुर में रखा गया था फिर इसे बालाघाट स्थानान्तरित कर दिया गया था। नौ साल पहले राज्य के परिवहन मन्त्री लिखीराम कांवरे की गला रेतकर की गई हत्या का प्रमुख आरोपी सूरज तेकाम यहां का सर्वेसर्वा है।
(क्रमश: जारी)