सोमवार, 22 मार्च 2010

समूचे कुंए में ही घुली है भांग

समूचे कुंए में ही घुली है भांग
महिला बाल विकास के बाद अब रेल्वे ने दिखाया करिश्मा ए विज्ञापन
दिल्ली पाकिस्तान में तो गुजरात में ग्वालियर
बंगाल के चक्कर में हिन्दुस्तान को ही भूलीं ममता
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 22 मार्च। रेल मन्त्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में रेल महकमा किस कदर अलसाया हुआ अंगडाई ले रहा है इसकी एक बानगी है बीते दिनों रेल विभाग द्वारा जारी एक विज्ञापन। इस विज्ञापन में रेल विभाग ने वह कमाल कर दिखाया है जो आज तक काई नहीं कर सका है।
गौरतलब है कि इसके पहले केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग ने अपने विज्ञापन में पाकिस्तान के फौजी अफसर की फोटो छापकर लानत मलानत झेली थी। वह मामला अभी शान्त नहीं हुआ है और अब ममता बनर्जी के इस नक्शे ने बवाल काट दिया है। भारतीय रेल की एन नई रेलगाडी ``महाराजा एक्सप्रेस`` के लिए जारी विज्ञापन में नई दिल्ली से बरास्ता आगरा, ग्वालियर, खजुराहो, बांधवगढ, बाराणसी, गया होकर कोलकत्ता जाना दर्शाया गया है।
मजे की बात तो यह है कि इस नक्शे में दिल्ली को पकिस्तान में ग्वालियर को गुजरात में खजुराहो को माहाराष्ट्र में बाराणसी को उडीसा में कोलकता और गया को अरब महासागर में होना दर्शाया गया है। दिल्ली की राजनैतिक फिजां में चल रही चर्चाओं के अनुसार रेल मन्त्री की नज़र पश्चिम बंगाल के मुख्यमन्त्री की कुर्सी पर ही लगी हुई हैं, यही कारण है कि जब से वे रेल मन्त्री बनी हैं तब से देश भर में सिर्फ कोलकता एक्सप्रेस की सीटी ही सुनाई दे रही है।
ममता बनर्जी ने रेल मन्त्री बनते ही एक फरमान जारी कर दिया था कि त्रणमूल कांग्रेस के मन्त्री अपना ज्यादा से ज्यादा समय पश्चिम बंगाल में दें। बाद में एक और फरमान जारी कर ममता ने पश्चिम बंगाल में रेल्वे के विज्ञापनों से प्रधानमन्त्री डॉ मन मोहन सिंह और कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के नामों को भी हटवा दिया था।
रेल मन्त्री ममता बनर्जी का पूरा का पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों पर है, यही कारण है रेल महकमे में मुगलई मची हुई है। रेल में चलने वाले चल टिकिट परीक्षकों का आलम यह है कि रात की गाडियों में उनके मुंह से शराब की लफ््फार दूर से ही सूंघी जा सकती है। ये टीटीई लोगों की जेब काटने से नहीं चूक रहे हैं। रेल्वे में दुघZटनाओं में जबर्दस्त बढोत्तरी हो चुकी है। महिला एवं बाल विकास विभाग के उपरान्त भारतीय रेल मन्त्रालय के इस तरह के कारनामे को देखकर यही कहा जा सकता है कि मनमोहन सिंह जी पूरे कुंए में ही भांग घुली हो तो फिर अंजाम ए हिन्दुस्तान क्या होगा।

जनसेवकों के `एश` के मार्ग प्रशस्त

ये है दिल्ली मेरी जान 
(लिमटी खरे)
 जनसेवकों के `एश` के मार्ग प्रशस्त
देश के जनसेवकों (विधायक, सांसद, मन्त्री और नौकरशाह) के फाईव स्टार संस्कृति में लौटने के दिन वापस आने ही वाले हैं। कांग्रेसनीत केन्द्र सरकार द्वारा मितव्ययता की निर्धारित सीमा 31 मार्च को पूरी होने वाली है, जनसेवकों के तेवर देखकर अब लगता नहीं है कि एक साल पूरे होने के बाद इसे एक्सटेंशन मिल सके। अगर मितव्वयता और खर्च में कटौती जारी रखना है तो इसके लिए नया आदेश जारी करना होगा। गौरतलब होगा कि इस तरह का आदेश वित्तीय वर्ष 2009 - 2010 के लिए जारी किया गया था। वित्त वर्ष 31 मार्च 2010 को समाप्त होने जा रहा है, और जनसेवकों के एश करने के मार्ग प्रशस्त हो जाएंगे। पिछले साल वैश्विक आर्थिक मन्दी और खराब मानसून के चलते सरकारी खजाने पर बोझ कम करने के उद्देश्य से मितव्ययता की मुहिम चलाई गई थी। यह मुहिम किस कदर औंधे मुंह गिरी यह किसी से छिपा नहीं है। कांग्रेस की राजमाता सोनिया गांधी ने दिल्ली से मुम्बई तक का विमान का सफर इकानामी क्यास में किया किन्तु उनके आसपास की 20 सीट सरकार ने अपने ही खर्च पर बुक करवाईं थीं, जो खाली गईं, इसी तरह कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने भी दिल्ली से चण्डीगढ तक का रेल का सफर शताब्दी एक्सप्रेस की एक पूरी की पूरी बोगी बुक करवाकर की। लोगों ने दोनों ही जनसेवकों की इस मितव्ययता को नमन किया। वैसे भी इकानामी क्लास में सोनिया के सफर करने के तुरन्त बाद ही उनके चहेते विदेश राज्य मन्त्री ने एक सोशल नेटविर्कंग वेव साईट पर इकानामी क्लास को केटल क्लास (मवेशी का बाडा) की संज्ञा भी दे दी थी।
मराठी बनाम बिहारी बनी टीम गडकरी
शिवसेना और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना द्वारा समूचे महाराष्ट्र सूबे में उत्तर भारतीयों विशेषकर बिहारियों के साथ किए गए अत्याचार के बाद अब महाराष्ट्र प्रदेश से उठकर भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में कमान संभलने वाले नितिन गडकरी की नई टीम को मराठा बनाम बिहारी के तौर पर देखा जाने लगा है। टीम गडकरी में बिहार की जिस कदर उपेक्षा की गई है, उससे बिहार के दर्जन भर से अधिक नेता अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे हैं। बिहार मूल के शाट गन शत्रुध्न सिन्हा ने तो टीम गडकरी के खिलाफ तलवार पजा ली है। उन्होंने पहली बार सार्वजनिक तौर पर टीम गडकरी की निन्दा कर डाली है। सी.पी.ठाकुर ने पटना में हुई रैली में शामिल न होकर अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया है। पार्टी के अन्दर बेनामी खतो खिताब का सिलसिला चल पडा है। नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज की उपेक्षा कर नरेन्द्र मोदी के विश्वस्तों को स्थान दिया गया है। उधर यशवन्त सिन्हा, मुख्तार अब्बास नकवी और शहनवाज हुसैन टीम गडकरी में शामिल न हो पाने से खफा हैं। वेकैया नायडू के गुर्गों को स्थान न मिलने से वे भी कोप भवन में हैं। अब जबकि इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव हैं, तब टीम गडकरी में बिहार की उपेक्षा से भाजपा के नए निजाम नितिन गडकरी आखिर क्या सन्देश देना चाह रहे हैं, यह बात समझ से परे ही है।
पचौरी के लिए आसान नहीं है राज्य सभा से एन्ट्री
लगातार चार बार अर्थात 24 साल तक पिछले दरवाजे अर्थात राज्य सभा के संसद रहने के बाद पूर्व केन्द्रीय मन्त्री सुरेश पचौरी को अन्त में अपे्रल 2008 में संसद के गलियारे से मुक्त कर दिया गया। इसके पहले ही उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया गया था। दो साल बीत जाने के बाद अब वे पुन: राज्य सभा के रास्ते संसदीय सौंध तक पहुंचने की जुगत लगाने में लगे हुए हैं। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केन्द्र 10 जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पचौरी राज्यसभा के रास्ते जाने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी छोडने को तैयार हैं। इसी बीच विधानसभा में विपक्ष की नेता तथा एमपी की पूर्व उपमुख्यमन्त्री जमुना देवी ने सुरेश पचौरी के खिलाफ ताल ठोंक दी है। 1952 से लगातार विधायक रहने वाली आदिवासी दबंग महिला की छवि बनाने वाली जमुना देवी ने कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी से मिलकर राज्य सभा में टिकिट की मांग की है। इसके लिए वे विपक्ष के नेता का पद तजने को तैयार हो गईं हैं।  पचौरी की राह में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष राधाकिशन मालवीय भी शूल बो रहे हैं, मालवीय अनुसूचित जाति के हैं, तथा कांग्रेस के सबसे ताकतवर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के विश्वस्त हैंं। वैसे राज्यसभा पर नज़रें गडाने वालों में मध्य प्रदेश बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रामेश्वर नीखरा भी प्रबल दावेदार बनकर उभर रहे हैं। मध्य प्रदेश में राज्यसभा से एक ही सीट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
गृहमन्त्री का अरोप : दलित होना अभिषाप
महाराष्ट्र प्रदेश के गृह राज्य मन्त्री रमेश बागवे का कहना है कि सूबे की पुलिस उनका कहना इसलिए नहीं मानती क्योकि वे दलित हैं। यह बात उन्होने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही। पुणे में महिलाओं के लिए खुली जेल के उद्घाटन के अवसर पर बागवे को आमन्त्रित ही नहीं किया गया। इससे व्यथित होकर उन्होंने अपने दर्द को पत्रकारों के साथ बांटा। बागवे का आरोप है कि दलित होने के कारण सूबे की पुलिस उनके साथ बार बार अपमानजनक व्यवहार करती है। पिछले साल 07 नवंबर को जबसे रमेश बागवे ने गृह राज्य मन्त्री का कार्यभार सम्भाला है तबसे पुणे पुलिस उनके साथ सौतेला व्यवहार ही कर रही है। गृह राज्य मन्त्री की पीडा को समझा जा सकता है, क्योंकि बिना किसी पूर्व सूचना के ही उनके काफिले का पायलट वाहन ही हटा दिया गया। इसके पहले जब वे मन्त्री बने उसके कुछ दिनों बाद ही उनकी सुरक्षा व्यवस्था भी हटा ली गई थी। बागवे के साथ अगर पुलिस के मुलाजिम इस तरह की हरकत कर रहे हैं इससे साफ है कि पुलिस के इन नुमाईन्दों को उपर से ही इस तरह के कुछ कृत्य करने का इशारा किया गया होगा, वरना सूबे के मन्त्री से सूबे के सरकारी कर्मचारी की क्या मजाल कि वह पंगा ले ले।
ब्रन्हलाओं पर मेहरबान एमसीडी
नई दिल्ली महानगर पलिका निगम देश का एसा पहला निकाय होगा जो अपने किन्नर नागरिकों को पैंशन देगा। जी हां दिल्ली नगर निगम ने फैसला किया है कि वह दिल्ली के किन्नरों को एक हजार रूपए की पैंशन राशि देगा। नगर निगम ने इस आशय के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है, यह प्रसताव एक अप्रेल से लागू हो जाएगा। दरअसल निगम की बजट सत्र की बैठक में पार्षद मालती वर्मा ने किन्नरों को पेंशन दिए जाने का मुद्दा उठाया। इस पर एक अन्य पार्षद जगदीश मंमगाई ने वर्मा का समर्थन भी किया। अन्तत: दिल्ली नगर निगम ने यह प्रस्ताव पारित कर ही दिया। गौरतलब होगा कि दिल्ली में लगभग साढे तीन लाख किन्नर रहवास करते हैं। इस प्रस्ताव से दिल्ली नगर निगम पर पडने वाले अतिरिक्त वित्तीय भार की भरपाई कुछ मामलों में करारोपण या करों में बढोत्तरी के द्वारा ही की जाने की संभावना है। वैसे नगर निगम के इस तरह के प्रस्ताव से उमर के अन्तिम पडाव में रोजगार विहीन किन्नरों को बहुत ही राहत मिल सकती है।
जहां मलाई वहां ततैया
बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती ने बहुजन समाज पार्टी के 25 साल पूरे होने पर एक भव्य रैली का आयोजन किया। यह रैली दो कारणों से चर्चा में रही अव्वल तो सुश्री मायावती को पहनाई गई भारी भरकम नोटों की माला, और दूसरे सभा में मधुमिख्यों का हमला। नोटों की माला पहनाकर बसपा कार्यकर्ता ओर पहनकर बहन मायावती ने सरकरी नोट के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के नियम कायादों का सरेआम माखौल उडाया। वहीं अब आला हाकम इस बात की पतासाजी में लगे हैं कि मधुमख्खी जानबूझकर आईं थीं या फिर रैली में खलल डालने की सोची समझी साजिश थी। रैली स्थल अम्बेडकर पार्क के पास स्थित अम्बेडकर विश्वविद्यालय में उठते धुंए ने सभी को चौंकाया था। मधुमिख्खयां सम्भवत: इसी जगह से उडकर आईं थीं। यह तो गनमत थी कि मधुमिख्खयों ने कोई कोहराम नहीं मचाया, फिर भी मायावती को प्रसन्न करने के लिए अब इसकी बहुत बारीकी से जांच में जुटे हैं पुलिस के आला अफसर। किसी ने चुटकी लेते हुए कह ही दिया कि जहां मलाई (नोटों की माला) होगी मधुमख्खी वहां नहीं तो क्या गन्दगी पर बैठेगी।
अनोखे प्रवक्ता रहे हैं चतुर्वेदी
कांग्रेस के निर्वतमान प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी का कार्यकाल अपने आप में अनोखा कहा जा सकता है। अमूमन माना जाता है कि 13 नंबर लोगों के लिए शुभ नहीं होता है, किन्तु चतुर्वेदी 13 नंबर को बहुत ही शुभ मानते थे। 24 अकबर रोड स्थित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में उनके कक्ष का नंबर 13 ही था। पहली बार वे तेरहवीं लोकसभा के लिए ही चुनकर आए थे। मजे की बात तो यह है कि डेढ साल से ज्यादा समय तक पार्टी क प्रवक्ता की जिम्मेदारी सम्भालने वाले सत्यव्रत चतुर्वेदी ने एक बार भी प्रेस ब्रीफिंग नहीं की। उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में पार्टी के किसी फैसले का न तो खण्डन किया और न ही पुष्टि। मीडिया सिर्कल में उन्हें ``शोभा की सुपारी`` कहा जाता था। वैसे प्रवक्ता पद से हटने के बाद उनके जलवे में कमी के बजाए इजाफा ही दिख रहा है। उन्हें अब बैठने के लिए पहले से बडा कमरा दे दिया गया है। यह वही कमरा है जहां पहले मीडिया के लोग बैठा करते थे, और आग लगने के बाद इसे बिढया रंग रोगन कर दिया गया है।
युवराज नहीं उडवाएंगे अपनी हंसी
राखी सावन्त और राहुल महाजन के स्वयंवर के उपरान्त अब हवा उडने लगी थी कि मशहूर क्रिकेटर युवराज सिंह भी टीवी पर रियलिटी शो के तहत अपना स्वयंवर रचाएंगे। युवराज ने एक निजी टीवी चेनल के रियलिटी शो में स्वयंवर से साफ इंकार कर दिया है। युवराज का कहना है कि शादी का ख्याल उनके दिमाग में अभी नहीं है, और उनका पहला प्यार क्रिकेट ही था और यही रहेगा भी। गौरतबल है कि युवराज सिंह का युवतियों में जबर्दस्त क्रेज है। इतना ही नहीं रूपहले पर्दे की आदाकाराओं के साथ उनके प्रेम प्रसंगों की अफवाहें भी जबर्दस्त तरीके से होती आई हैं। हो सकता है राखी सावन्त के स्वयंवर के बाद उनका अपने भावी पति से अलगाव के बाद पिटी राखी की भद्द और मादक पदार्थों के लिए चर्चित हुए प्रमोद महाजन के पुत्र राहुल महाजन के स्वयंवर के बाद अनेक प्रतिभागियों द्वारा न्यूज चेनल्स पर लगाए गन्दे गन्दे आरोंपों से वे घबरा गए हों, और रियलिटी शो की तरफ जाने से उन्होंने तौबा ही कर ली हो।
डीडी के बाद नया सरकारी चेनल!
सरकारी चेनल का नाम आते ही दूरदर्शन का लोगो जेहन में उभरना स्वाभाविक है। इससे हटकर हरियाणा सरकार द्वारा अब अपना सरकारी चेनल आरम्भ करने का मन बनाया है। इलेक्ट्रानिक चेनल की चकाचौंध में हरियाणा ने भी दांव लगाने का फैसला किया हैं इस बारे में हरियाणा सरकार का आवेदन सूचना प्रसारण मन्त्री अंबिका सोनी के पास लंबित है। हरियाणा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि हरियाणा के विकास के क्रम को इलेक्ट्रानिक मीडिया में उचित और पर्याप्त स्थान न मिल पाने के चलते सरकार ने यह कदम उठाया है। वैसे भी हरियाणा सरकार के प्रयासों से पिछले दिनों सरकारी पत्र पत्रिकाओं को नए और आकर्षक क्लेवर में लाने के साथ ही साथ वरिष्ठ पत्रकारों को अनुबंध के आधार पर नौकरी, प्रदेश और जिला स्तर पर जनसंपर्क कार्यालयों का अत्याधुनिकीकरण किया जा चुका है। लगता है हरियाणा सरकार अब देश में अपने आप को स्थापित और अग्रणी बताने के लिए अपने ही मीडिया संसाधनों पर भरोसा कर रही है।
सिब्बल ने झाडे अपने हाथ!
केन्द्रीय मानव संसाधन और विकास मन्त्री कपिल सिब्बल ने केन्द्रीय विद्यालयों में मन्त्री के कोटे को समाप्त कर दिया है। पिछले दिनों हुई बैठक में उन्होंने उनके पास की 1200 सीटों के कोटे से अपने हाथ झाड लिए हैं। सिब्बल का मानना है कि एसा करने से उन लोगों का हक मारा जा रहा है, जो स्थानान्तरित होकर कहीं और जाते हैं। अब मन्त्री के हाथ में तो केन्द्रीय विद्यालय में प्रवेश का कोटा नहीं रहा किन्तु जिले के जिलाधिकारी (जिला कलेक्टर) और उस संसदीय क्षेत्र के सांसद के पास दो दो सीट का कोटा अभी भी मौजूद है। इतना ही नहीं राज्य सभा सदस्य भी अपने निर्वाचन वाले सूबे के किसी भी जिले में सिर्फ दो लोगों के प्रवेश की अनुशंसा कर सकता है। कुछ सालों पहले तक केन्द्रीय विद्यालय के अध्ययन अध्यापन के स्तर में आए सुधार से लोग अपने बच्चों को केन्द्रीय विद्यालय में प्रवेश दिलाना चाहते थे, किन्तु वर्तमान में अनेक केन्द्रीय विद्यालयों का पढाई का स्तर बहुत ही गिर गया है। इसके अलावा इसमें प्रवेश हेतु केटगरी भी बनाई गई है, जिससे गैर नौकरी पेशा लोगों के बच्चों का दाखिला इन विद्यालयों में कैसे हो पाएगा इस बारे में कबिल सिब्बल अगर चिन्ता करते तो देश के भविष्य का कुछ भला हो सकता था।
बेरोजगार पति हकदार है कानूनी लडाई का खर्च पाने को
माना जाता है कि भारतीय कानून अमूमन महिलाओं के साथ ज्यादा संवेदना रखता है। पारिवारिक विवादों के मामले में भी कानून का लचीला रूख महिलाओं के साथ ही होता है। अब तक पारिवारिक विवाद में हर्जा खर्चा पति द्वारा पित्न को ही देने के मामले सामने आए हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में दिए गए एक फैसले में बेरोजगार पति को कानूनी लडाई लडने के लिए हर्जा खर्चा दिलवाया गया है। देश की शीर्ष कोर्ट ने एक बेरोजगार युवक को बैंग्लुरू की परिवार अदालत में अपना केस लडने के लिए उसकी पित्न को दस हजार रूपए की राशि अदा करने के आदेश दिए हैं। इस मामले में युवक की पित्न ने बताया कि वह फ्री लांसर लेखिका है, और उसके पति ने अपने आप को बेरोजगार साबित किया है। अमूमन सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पति को पित्न या उसके माता पिता को तलाक के मुकदमे के दौरान या उसके बाद भी गुजारा भत्ता देना होता है।
पन्ना टाईगर रिजर्व में मिले जानवरों के कंकाल!
बिना सींग के बारहसिंघा हो चुके मध्य प्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व उद्यान में जानवरों के कंकाल मिलने से सनसनी फैल गई है। बिना सींग का बारहसिंघा इसलिए क्योंकि यह उद्यान बाघों के लिए संरक्षित है, और बाघ विहीन ही हो गया है। हाल ही में इस उद्यान में विकास कार्य के लिए की जा रही खुदाई में जानवरों के कंकाल मिले हैं। बताते हैं कि प्रथम दृष्टया तो दो स्थानों पर हुई खुदाई में मिले ये कंकाल भालू के लग रहे हैं, पर इनके परीक्षण के लिए इन्हें फोरेंसिक परीक्षण प्रयोगशाला भेज दिया गया है। यह टाईगर रिजर्व 543 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है और इस पर शिकारियों की नज़रें सालों से हैं, यही कारण है कि यहां एक भी बाघ नहीं बचा है। पिछले दिनों पेंच से एक बाघ यहां स्थानान्तरित किया गया था, वह भी कालर आईडी के साथ। मजे की बात यह है कि कालर आईडी वाला यह बाघ भी जंगल में कहीं खो गया। यह है बाघ संरक्षण वर्ष में हिन्दुस्तान के हृदय प्रदेश का हाल। 

पुच्छल तारा
आर्कमिडीज के सिद्धान्त तो सभी ने पढे होंगे पर 21वीं सदी में इसकी नई प्रकार से व्यख्या की गई है। नागपुर से स्वाति तिवारी ने ई मेल भेजा है -``जब दिल पूरी तरह या आंशिक तौर पर किसी लडकी के प्यार में डूब जाता है तो पढाई में हुआ नुकसान, लडकी की याद में बिताए गए समय के बराबर होता है।``