बुधवार, 18 नवंबर 2009




क्या महामहिम भारत की नागरिक नहीं हैं




(लिमटी खरे)



भारतीय वायूसेना में अगर किसी महिला को फायटर पायलट बनना हो तो उसे एक तय उम्र तक मातृत्व सुख से वंचित होना पडेगा, वहीं दूसरी ओर 25 नवंबर को देश की सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर की हैसियत से भारत की प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल सुखोई 30 में बैठकर आसमान का सीना चीरेंगी।


भारतीय वायूसेना की इस अजीबो गरीब शर्त से वायू सेना में सेवारत महिला पायलट का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक ही है। इसमें वैवाहिक बंधनों में बंधने की तो छूट दी गई है, किन्तु सेना में 14 साल की सेवा पूरी करने पर ही बच्चे को जन्म देने वाली महिलाएं ही फायटर पायलट बनने की योग्यता रखेंगी।


कितने आश्चर्य की बात है कि एक ओर भारत सरकार का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महकमा और चिकित्सकीय शोध बताते हैं कि अधेडावस्था में मां बनने के अनेक नुकसान हैं, वहीं दूसरी ओर भारतीय वायूसेना महिलाओं को फायटर पायलट बनने के लिए एसी शर्त रख रही है।


अचरज की बात तो यह है कि भारत की तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर एवं भारत गणराज्य की प्रथम महिला महामहिम राष्ट्रपति की सुखोई की आधे घंटे की बहूप्रतीक्षित उडान में महज एक सप्ताह पहले भारतीय वायूसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल पी.के.बारबोरा ने महिलाओं को लेकर इस तरह का बयान दिया है।


अमूमन 23 साल की उम्र में युवतियां भारतीय वायूसेना की फ्लाईंग में नौकरी ज्वाईन कर लेती हैं। भारतीय वायू सेना के इस तुगलकी फरमान के बाद अब महिलाओं को 37 साल की उम्र के उपरांत ही मातृत्व सुख प्राप्त हो सकेगा। भारतीय वायूसेना के उप प्रमुख का कहना सच है कि महिलाएं अगर प्रिगनेंसी लीव लेती हैं तो वे लगभग दस माह के लिए अपने कर्तव्य से हट जाएंगी। वैसे भी एक फायटर पायलट के प्रशिक्षण में लगभग सवा करोड रूपए खर्च हो जाते हैं।


बहरहाल महामहिम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल 74 साल की उम्र में लगभग उन्नीस हजार फिट पर आधे घंटे तक सुखोई का लुत्फ उठाएंगी। इस विमान की गति साधारण व्यवसायिक विमान की तरह 1075 किलोमीटर प्रतिघंटा ही होगी, जबकि सुपर सोनिक की गति 1195 किलोमीटर प्रतिघंटा होना चाहिए, इस लिहाज से महामहिम सुपरसोनिक राष्ट्रपति नहीं बन पाएंगी।


आधुनिकतम विमानों की चौथी पीढी के इस विमान की गति आवाज से तीन गुना तेज है। यह विमान 56 हजार 875 फिट की उंचाई तक उडान भर सकता है। यह विमान एक बार ईंधन भरने के उपरांत लगभग 5500 किलोमीटर तक लगातार उडान भर सकता है।


भारतीय वायूसेना का यह कहना कि सर्वोच्च कमांडर की आयु को देखकर इस उडान को आरामदेह बनाने की गरज से इसे महज 19 हजार फिट पर ही उडाया जाएगा, स्वागत योग्य है। उन्होंने सर्वोच्च कमांडर की उम्र और सेहत को देखकर यह फैसला लिया होगा।


गौरतलब होगा कि जब श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 2007 में भारत की पहली महिला महामहिम राष्ट्रपति का पदभार संभाला था, तब यह कहा जा रहा था, कि भारत की महामहिम राष्ट्रपति सब कुछ कर सकतीं है, सिर्फ फायटर प्लेन की यात्रा के। इसका कारण यह था कि इसके लिए उन्हें अपनी परंपरागत वेशभूषा साडी को छोडकर फायटर पायलट की वेशभूषा पहनना होगा।


आज के आधुनिक युग में महिलाओं ने साडी तो छोड सलवार कमीज को भी तज दिया है। आज की युवतियां शार्टस में मटकतीं नजर आतीं हैं। यहां तक कि कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी, यूपी की निजाम मायावती भी सलवार कमीज को ही ज्यादा पसंद करतीं हैं। भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज, लोकसभा की पहली महिला स्पीकर मीरा कुमार आदि महिलाओं ने साडी के अलावा कोई भी वस्त्र पहनना उचित नहीं समझा, और भारत की प्राचीन परंपरा को सम्मान दिया है।


भारतीय वायूसेना की दो तरह की नीति समझ से परे है। एक तरफ वे फायटर प्लेन उडाने के लिए महिलाओं को मां बनने से रोक रहीं है, वहीं दूसरी ओर प्रतिभा ताई को उसी विमान की यात्रा करवा रहीं हैं। क्या प्रतिभा ताई मां नहीं हैं।


यक्ष प्रश्न तो यह है कि क्या वे भारत की नागरिक नहीं हैं, अगर हैं तो निश्चित तौर पर जो नियम अन्य महिलाओं के लिए वायूसेना द्वारा बनाए जा रहे है, उनका पालन उन्हें भी करना होगा। उनके लिए नियम कायदों में छूट क्यों। अगर एसा नहीं है तो वायू सेना को स्पष्ट करना होगा कि वह सर्वोच्च कमांडर के लिए इन नियमों को शिथिल कर रही है।