रविवार, 9 अगस्त 2009

10 AUGEST 2009

आलेख 10 अगस्त 2009

आखिर क्यों करें हम सच का सामना

(लिमटी खरे)

मीडिया के एक स्वरूप निजी समाचार चेनल्स द्वारा अपनी टेलीवीजन रेटिंग प्वाईंट (टीआरपी) बढ़ाने के चक्कर में न जाने क्या क्या गुल खिलाए जाते हैं। दिन में एक वक्त सभी समाचार चेनल्स अपराध आधारित खबरें दिखातें हैं, तो कभी राशिफल से दर्शकों को लुभाने का प्रयास करते नजर आते हैं। कुछ समाचार चेनल्स तो घंटों तक फूहड़ हंसी मजाक की महफिल को दिखाते रहते हैं। सवाल यह उठता है कि ये समाचार चेनल्स खबरों को दिखाने का काम कर रहे हैं, या फिर टीआरपी बढ़ाने और ज्यादा विज्ञापन बटोरने के चक्कर में समाज के सामने कुछ और परोस रहे हैं।
पहले कहा जाता था कि अखबार समाज का दर्पण होता है। दरअसल उस समय मीडिया का मतलब अखबार ही होता था। उस जमाने में समाचार पत्र से इतर और अन्य साधन नहीं हुआ करते थे। आज समाज में प्रिंट के अलावा इलेक्ट्रानिक मीडिया और अब तो वेब मीडिया की खासी दखल हो चुकी है।
``सच का सामना`` सीरियल का विषय ही कुछ इस तरह का है कि लोगों की दिलचस्पी इसकी ओर बढ़ना स्वाभाविक ही है। सेक्स एक एसा विषय है, जिसके बारे में समाज का हर तबका जानने हेतु जिज्ञासू रहता है। आदि अनादि काल से यह कौतुहल का विषय रहा है। पुरातन काल में सेक्स को शास्त्र का दर्जा दिया गया था, कामदेव इस विधा के देवता माने गए थे।
महषिZ वात्सायन ने कामशास्त्र की रचना कर डाली। चंदेलों के राज में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खजुराहो के मंदिर में उन्मुक्त काम क्रीड़ा मेें रत प्रतिमाएं आज देश और विदेशी सैलानियों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनी हुई है। बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में रजनीश नामक चिंतक ने इसका बखूबी इस्तेमाल किया था।
हमारा उद्देश्य किसी की भावना को ठेस पहुंचाना कतई नहीं है, किन्तु आचार्य रजनीश ने भारत में सेक्स तो पश्चिम में शांति को उकेरा और पूरब और पश्चिम दोनो ही जगहों पर रजनीश को हाथों हाथ लिया गया। कम समय में ही आचार्य रजनीश ने समूचे विश्व में अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया था।
देखा जाए तो सच का सामना सीरियल मूलत: लोगों की निजी जिंदगी में तांकझांक ज्यादा करता है। आज भारत में अधकचरी पश्चिमी सभ्यता ने अपने लिए उपजाउ माहौल अवश्य तैयार कर लिया है, जो बहुत घातक है। भारत में टेलीवीजन पर दिखाए जाने वाले सीरियल ने समाज को गंदे बदबूदार सड़ांध मारते नाले में उतरने को मजबूर कर दिया है, जिसकी केवल निंदा करने से काम नहीं चलने वाला। इसके लिए देश के नीति निर्धारकों को ठोस और सार्थक कदम उठाने की आवश्यक्ता है।
आज आवश्यक्ता इस बात की है कि इन सीरियल के माध्यम से इसके निर्माता निर्देशक समाज को क्या संदेश देना चाहते हैंर्षोर्षो इस पर बहस होनी चाहिए। प्रेरणास्पद सीरियल के बजाए चिटलरी से भरपूर समाज और परिवार को तोड़ने, परस्त्री या पुरूष गमन, या बच्चों के लिए मनोरंजन के बजाए उनके मन मस्तिष्क में जहर घोलने वाले सीरियल पर तत्काल लगाम लगनी चाहिए।
हमें यह कहने में कोेई संकोच नहीं कि सच का सामना सीरियल व्यक्ति की नकारात्मक प्रवृत्तियों को रेखांकित करने वाला है। यह सीरियल स्वस्थ्य मनोरंजन के बजाए आदमी के अंदर की छिपी हुई कमीनगी को ग्लेमरस बनाकर परोसने का साधन मात्र है।
हमारे मतानुसार अगर आपको सच ही स्वीकारना है तो आप किसी पुजारी अथवा पादरी अथवा अपने परिजनों से बात कीजिए। अगर आपमें इतना साहस नहीं है तो डायरी लिखिए, क्योंकि आप समाज में हर व्यक्ति से झूठ बोल सकते हैं, किन्तु अपने आप से नहीं। अपने जिन्दगी के काले सफों को चंद सिक्कों की खनक के लिए जनता के सामने घटिया तरीके से परोसने का ओचित्य समझ से परे ही है।
आने वाले दिनों में इस सच का सामना सीरियल के कारण देश में परिवारोेंं का विघटन आरंभ हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। विडम्बना ही कही जाएगी कि राजीव खण्डेलवाल के इस सीरियल में उनके सामने हाट सीट पर बैठने उनकी मां विजयलक्ष्मी ही तैयार नहीं है। राजीव को सोचना चाहिए कि इस तरह के घिनौने सीरियल के लिए जब उनकी मां ही तैयार नहीं हैं तो वे और देशवासियों की मां बहनों के सामने आखिर क्या परोस रहे हैंर्षोर्षो
हमारी निजी राय में तो इस तरह के घटिया और समाज को दिशाहीन बनाने वाले सीरियल तत्काल बंद कर देना चाहिए साथ ही सरकार को चाहिए कि सामज को दिग्भ्रमित करने वाले सीरियल पर भी रोक लगाए एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय को एक समिति बनाकर सीरियल दिखाने के पहले उसका उद्देश्य और समाज को मिलने वाली दिशा के बारे में तसल्ली होने के बाद ही इन्हें दिखाए जाने की अनुमति प्रदान करे, अन्यथा आने वाले समय में समाज का भयावह स्वस्प होगा और चेनल्स के साथ ही साथ सरकार भी इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार होगी।

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क्या सोनिया कांग्रेस में करेंगी महिला आरक्षण लागू!
0 महिलाओं की भागीदारी 33 फीसदी हो सकेगी कांग्रेस मेंर्षोर्षो
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। सवा सौ साल पुराने कांग्रेस संगठन में बदलाव की अटकलों के बीच अब यह चर्चा भी सियासी गलियारों में तेजी से घुमड़ने लगी है कि भले ही महिला आरक्षण बिल संसद में परवान न चढ़ सका हो पर क्या कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस संगठन में इसे लागू करने की हिम्मत जुटा सकेंगीर्षोर्षो
कांग्रेस में सत्ता और शक्ति के केंद्र 10 जनपथ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि महिला होने के नाते श्रीमति सोनिया गांधी की इच्छा है कि पार्टी स्तर पर महिला आरक्षण को सबसे पहले लागू करवाया जाए। इसके लिए वे अनेक स्तरों पर पार्टी फोरम में चर्चा कर नेताओं के मानस को टटोल रहीं हैं।
सूत्रों ने आगे बताया कि उच्च स्तरीय कोर कमेटी ने इस मुद्दे पर रायशुमारी कर ली है। पार्टी में विर्कंग कमेटी में भी इस बात को लेकर चर्चा हो चुकी है कि भले ही संसद की सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते महिला आरक्षण बिल की सांसे फूल गईं हों पर पार्टी स्तर पर इसे लागू करवाने से कोई रोक नहीं सकता है।
उधर कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड़ में चल रही चर्चाओं के अनुसार अगर पार्टी में 33 फीसदी स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिए जाते हैं तो अनेक स्वयंभू महाबलियों का कद कम हो जाएगा, जिसके लिए वे इस फिराक में जोड़ तोड़ कर रहे हैं कि इसे लागू न किया जाए और अगर लागू होता भी है, तो किस स्वरूप में लागू किया जाए।
सूत्रों ने आगे बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष को यह मशविरा भी दिया गया है कि पार्टी में संविधान संशोधन कर लाटरी सिस्टम के जरिए महिलाओं को पद दिए जाएं इससे अंगद की तरह पैर जमाए नेताओं को एक तरफ आईना दिखाया जा सकेगा, वहीं दूसरी ओर इस लागू करने के साथ ही पार्टी नेतृत्व विवादों से भी परे रह सकेगा।
बताया जाता है कि कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को मशविरा दिया है कि कांग्रेस अपने संविधान में आवश्यक संशोधन कर पार्टी में 33 फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित कर दे। कांग्रेस द्वारा अगर संविधान संशोधन कर लिया जाता है तो फिर अन्य सियासी दलों को भी मजबूरी में अपने अपने संविधान में संशोधन कर महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण करना होगा।

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भाजपा को उसके हाल पर छोड़ा संघ ने
0 चिंतन बैठक से किनारा करने की तैयारी में है संघ
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। भविष्य की रणनीति और लोकसभा में हुई शर्मनाक पराजय के मामले में होने वाली चिंतन बैइक से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने आप को दूर ही रखने का फैसला लिया है। संघ के कोई भी प्रतिनिधि के शिमला में 19 से 21 अगस्त तक आहूत बैठक में शामिल होने की संभावनाएं नहीं हैं।
संघ के विश्वस्त सूत्रो का कहना है कि संघ का शीर्ष नेतृत्व भाजपा को फिलहाल इस बैठक के मामले में उसके हाल पर ही छोड़ने का मानस बना रहा है। संघ अपने किसी भी प्रतिनिधि को इस बैठक में भेजने को राजी नहीं दिख रहा है। स्पून फीडिंग से उलट संघ अब इस मामले में इस रणनीति को अपना रहा है कि भारतीय जनता पार्टी अपनी चुनौतियों से खुद ही जूझे।
उधर भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने संघ से इस बैठक में शिरकत करने का आग्रह किया है। पहले संघ की ओर से सुरेश सोनी के नाम की चर्चा हो रही थी, कि वे इस बैठक में संघ का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, किन्तु बाद में उनका नाम भी वापस ले लिया गया है। भाजपा की ओर से इस बैठक के लिए तय की गई सूची में संघ के किसी सदस्य का नाम न होना भी आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।

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साप्ताहिक डायरी
सोमवार 10 अगस्त को प्रकाशनार्थ

ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)

हुई गति सांप छछूंदर केरी! उगलत निगलत पीर घनेरी!!
राजधानी दिल्ली में इन दिनों मध्य प्रदेश के एक जिले में भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यकर्ता को पार्टी की जिला इकाई द्वारा दिए गए कारण बताओ नोटिस के जवाब के मायने तलाशे जा रहे हैं। दरअसल सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान को प्रेषित एक शिकायत मीडिया की सुिर्खयां बन गई थी। इसके बाद पार्टी की जिला इकाई ने आनन फानन उक्त कार्यकर्ता को नोटिस जारी कर दिया। बताते हैं कि उक्त कार्यकर्ता ने जबाब भी दे दिया है, जिसमें पार्टी की जिला इकाई के अध्यक्ष द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पुतले जलाने, स्थानीय एक विधायक के नामांकन के दौरान चुनौति देने, भाजपा के झंडे बेनर आदि जलाने जैसे संगीन आरोपों से युक्त अपना जवाब दे दिया है। यह जवाब भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में चर्चाओं का केंद्र बन गया है। सच ही है बिना समझे बूझे अगर किसी के कहने पर कोई कदम उठाया जाए तो पुरानी कहावत चरितार्थ हो ही जाती है, ``हुई गति सांप छंछूदर केरी! उगलत निगलत पीर घनेरी!!``

अहमदाबाद विस्फोट के तार छिंदवाड़ा से जुड़े!
गुजरात में अहमदाबाद में हुए विस्फोटों के तार केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ की कर्मभूमि छिंदवाड़ा से जुड़ गए हैं। सुनने में अजूबा जरूर लगता है, किन्तु यह सच है। दरअसल अहमदाबाद बम विस्फोट का एक आरोपी छिंदवाड़ा की जिला जेल में बंद था। पूछताछ के सिलसिले में गुजरात पुलिस उक्त आरोपी को अपने साथ गुजरात ले गई है। बताते है कि अहमदाबाद बम विस्फोट के आरोपी हफीज शेख ताजीउद्दीन पिछले दो माहों से मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की जिला जेल में बंद था। कर्नाटक का रहने वाला हाफिज शेख ताजीउद्दीन अहमदाबाद के बम विस्फोट के मामले में आरोपी है। वह छिंदवाड़ा किस जुर्म के तहत बंद था, इसकी विस्त्रत जानकारी नहीं मिल सकी है।

सुरक्षित नहीं एसी कूपे में यात्रा!
भारतीय रेल में वातानुकूलित कूपे में यात्रा करना अब सुरक्षित नहीं रह गया है। बीते दिनों निजामुद्दीन से हबीबगंज जाने वाली शाने भोपाल एक्सप्रेस में एसी सेकंड क्लास में हुए हादसे ने यात्रियों की सांसे थाम दी थीं। बीते मंगलवार को रात जब यह रेल पलवल से मथुरा सेक्शन से गुजर रही थी, तभी इसके सेकन्ड एसी कूपे में शार्ट सिर्कट के चलते गहरा धुंआ भर गया। नींद में सोए यात्री इससे बेखबर थे, जब उनका दम घुटा तब उन्होंने दरवाजे खोले पर काई लाभ नहीं हुआ। बाद में शीशे तोड़कर ताजी हवा को कूपे में प्रवेश कराया गया तब जाकर यात्रियों की जान में जान आई। आगरा में कूपा बदलने के बाद यह रेल भोपाल के लिए रवाना की गई।

सुषमा का नया अंदाज
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और विदिशा से सांसद सुषमा स्वराज के अंदाज हर पल अलग अलग ही होते हैं। उनके बात करने की अदा से लेकर काम करने की ललक तक सब कुछ कायल कर देने वाला होता है। इस राखी पर भला वे कैसे चूक जातीं। राजधानी दिल्ली में अपने पुराने जानकारों के माध्यम से सुषमा ने कुछ नया करने की ठानी। फिर क्या था, भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल से युक्त राखियों को लेकर वे पहुंच गईं भोपाल। राखी के पावन पर्व पर दिन भर सुषमा स्वराज के भोपाल स्थित आवास पर उनके संसदीय क्षेत्र विदिशा के साथ ही साथ भोपाल के लोगों का तांता लगा रहा। सुषमा बड़ी ही आत्मीयता के साथ एक एक से मिलीं और ``कमल`` वाली रखाी उन्हें बांधी। गद गद भाजपाई सुषमा के इस नए तरीके से अविभूत ही नजर आए।

पंडित बिसेन विवाद की दिल्ली में गूंज
मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री गोरी शंकर बिसेन और सतना के सहकारी बैंक के अध्यक्ष कमलाकर पंडित के बीच हुआ विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। अब इसकी गूंज राजधानी दिल्ली में भी सुनाई पड़ने लगी है। मंत्री जी ने सतना में भाजपा कार्यकर्ताओं को साफ तौर पर कह दिया कि वे प्रदेश सरकार के मंत्री हैं, और पंडित महज अध्यक्ष हैं। मंत्री महोदय के सुरक्षा कर्मी के बयान ने भी इस विवाद में आग में घी का ही काम किया। क्षत्री वंश के सुरक्षा कर्मी रजोल सिंह ने कह दिया कि ब्राम्हणों को जूते की माला पहनानी चाहिए। इससे सतना में ग्रामीण बुरी तरह भड़क गए। बाद में पुलिस ने मंत्री को किसी तरह वहां से निकाला। अब यह मामला दिल्ली दरबार में भी गूंजता दिख रहा है।

राजा ने पढाई पठ्ठे को पट्टी!
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह वाकई में शोध का विषय हैं। सूबे के पूर्व निजाम सुंदर लाल पटवा की यह टिप्पणी गलत नहीं थी। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को उनके उस्ताद दिग्विजय सिंह ने अब सरकारी कामकाज सीखने समझने की पट्टी पढ़ाई है, और उनका पट्ठा राहुल गांधी भी गुरू की बात का अनुसरण करने तुल गया हैै। कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी इन दिनों केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में दिलचस्पी ले रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी द्वारा विभिन्न विभागों के मंत्रियों और उसके आला अधिकारियों से अपने निवास पर गुप्त मंत्रणाएं भी कर रहे हैं। इस मंत्रणा के दौर में राहुल गांधी द्वारा जमीनी हकीकत से आला अधिकारियों और मंत्रियों को रूबरू करवाया जाता है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी सधे कदमों से 7 रेसकोर्स रोड़ (प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) की ओर बढ़ रहे हैं, वह भी दिग्गी राजा की उंगली पकड़कर।

सुषमा और अहलूवालिया में समानता!
कभी राज्यसभा में एक साथ रहने वाले एस.एस.अहलूवालिया और सुषमा स्वराज आज अलग अलग सदनों में भाजपा के उपनेता हैं। एक राज्य सभा में है, तो दूसरा लोकसभा में। सदन अवश्य ही बदल गए हों किन्तु दोनों के बीच समानताएं आज भी जस की तस ही बनी हुई हैं। सुषमा स्वराज की लोकसभा में पहन कर आने वाली साड़ी का रंग राज्यसभा में मौजूद एस.एस.अहलूवालिया की पगड़ी से काफी मेल खाता है। एक ओर सुषमा स्वराज इसे टेलीपेथी का नाम देती हैं तो अहलूवालिया इसे दिन के हिसाब से रंगोे के चयन का मामला बताते हैं। इसके पीछे कारण चाहे जो भी हो पर यह मामला सांसदों के लिए चर्चा का विषय तो बन ही गया है।

प्रधानमंत्री बने थुरूर!
राजनयिक से विदेश राज्यमंत्री बने शशि थुरूर क्या भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री बन गए हैं। यह चर्चा राज्यसभा में एकाएक गुरूवार को होने लगी। दरअसल विदेश राज्यमंत्री शशि थुरूर उस दिन उस सीट पर जाकर बैठ गए जो पहले से ही प्रधानमंत्री डॉ. मन मोहन सिंह के लिए निर्धारित की गई है। प्रधानमंत्री की सीट के पीछे बैठने वाले प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री पृथ्वीराज चौव्हाण इस दृश्य को देखकर शशि थुरूर की ओर आश्चर्य के साथ देखते रह गए। बाद में कांग्रेस के सदस्य राजीव शुक्ला ने थुरूर का ध्यान इस ओर दिलाया कि वे पीएम की सीट पर बैठ गए हैं। अपनी गल्ती भांपते ही थुरूर वहां से उठे और पीछे अपने लिए निर्धारित आसन पर जाकर बैठ गए।

बापू के कलोन की मांग
कांग्रेस के सदस्य चाहते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का क्लोन तैयार किया जाए। यह कोई हवा हवाई बात नहीं, वरन राज्यसभा में हुआ सच्चा वाक्या है। राज्यसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने यह बात कही है। चर्चा के दौरान कांग्रेस के शांताराम लक्ष्मण नाईक ने सवाल पूछा कि क्या महात्मा गांधी को उनके गुणों, ईमानदारी, विचारों, सादगी, प्रतिबद्धता के साथ दोबारा पैदा नहीं किया जा सकतार्षोर्षो सच ही कहा नाईक ने कि आज हम सब रास्ते से भटक गए हैं, हमें बापू के मार्गदर्शन की जरूरत है।

शिव के राज में बेहाल विधायक
मध्य प्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के राज में विधायकों की फजीहत हो रही हैर्षोर्षो क्या यह सच है, जी हां भाजपा के विधायक ही इस तरह का आरोप लगाएंगे तो फिर बाकी का क्या होगार्षोर्षो भोपाल के भाजपा विधायक उमाशंकर गुप्ता ने मध्य प्रदेश विधानसभा में अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि पिछले दो सालों में उन्होंने भोपाल के पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर और संभागायुक्त को सौ से भी ज्यादा पत्र लिखे हैं, पर एक का भी जवाब नहीं आया। दिल्ली स्थित भाजपा के मुख्यालय में लोग उमाशंकर गुप्त के इस कथन पर चटखारे ले रहे हैं कि जब घर के (भाजपाई विधायक) ही ये हाल हैं तो बाकी की कौन कहे!

पुच्छल तारा
उत्तर दक्षिण गलियारा सिवनी जिले से होकर जाएगा या नहीं! अब इस प्रश्न को लोग उतनी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, क्योकि लोगों को लगने लगा है कि बिना राजनैतिक सहयोग और समर्थन के न तो मुख्यमंत्री ही इसमें पहल करेंगे और न ही केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ। लखनादौन, केवलारी, बरघाट और सिवनी विधानसभा से होकर गुजरने वाले इस मार्ग के एक विधायक ठाकुर हरवंश सिंह ने उपर पत्र लिखकर अपनी दिलचस्पी जाहिर कर दी है। सिवनी और बरघाट का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद सदस्य के.डी.देशमुख ने राखी के बाद मुख्यमंत्री से मिलने की बात कही थी, यह समयसीमा कब समाप्त होगी पता नहींर्षोर्षो रही बात परिसीमन में समापत हुई सिवनी लोकसभा सीट की अंतिम सांसद एवं सिवनी विधायिका श्रीमति नीता पटेरिया की तो वे सोमवार 10 अगस्त को मुख्यमंत्री से मिलने वालीं हैं। इससे पहले भी वे सीएम से मिल चुकीं हैं। चर्चा है कि शायद पिछली बार सीएम ने जो उनसे कहा था वह बात वे सुन नहीं पाईं थीं, सो दुबारा मिलकर सुनने का जतन करने वाली हैं। लखनादौन विधायिका श्रीमति शशि ठाकुर, बरघाट विधायक कमल मस्कोले और मण्डला के संसद सदस्य की तंद्रा लगता है, अभी टूटी नहीं है।
साप्ताहिक डायरी
सोमवार 10 अगस्त को प्रकाशनार्थ

ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)

हुई गति सांप छछूंदर केरी! उगलत निगलत पीर घनेरी!!
राजधानी दिल्ली में इन दिनों मध्य प्रदेश के एक जिले में भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यकर्ता को पार्टी की जिला इकाई द्वारा दिए गए कारण बताओ नोटिस के जवाब के मायने तलाशे जा रहे हैं। दरअसल सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान को प्रेषित एक शिकायत मीडिया की सुिर्खयां बन गई थी। इसके बाद पार्टी की जिला इकाई ने आनन फानन उक्त कार्यकर्ता को नोटिस जारी कर दिया। बताते हैं कि उक्त कार्यकर्ता ने जबाब भी दे दिया है, जिसमें पार्टी की जिला इकाई के अध्यक्ष द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पुतले जलाने, स्थानीय एक विधायक के नामांकन के दौरान चुनौति देने, भाजपा के झंडे बेनर आदि जलाने जैसे संगीन आरोपों से युक्त अपना जवाब दे दिया है। यह जवाब भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में चर्चाओं का केंद्र बन गया है। सच ही है बिना समझे बूझे अगर किसी के कहने पर कोई कदम उठाया जाए तो पुरानी कहावत चरितार्थ हो ही जाती है, ``हुई गति सांप छंछूदर केरी! उगलत निगलत पीर घनेरी!!``

अहमदाबाद विस्फोट के तार छिंदवाड़ा से जुड़े!
गुजरात में अहमदाबाद में हुए विस्फोटों के तार केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ की कर्मभूमि छिंदवाड़ा से जुड़ गए हैं। सुनने में अजूबा जरूर लगता है, किन्तु यह सच है। दरअसल अहमदाबाद बम विस्फोट का एक आरोपी छिंदवाड़ा की जिला जेल में बंद था। पूछताछ के सिलसिले में गुजरात पुलिस उक्त आरोपी को अपने साथ गुजरात ले गई है। बताते है कि अहमदाबाद बम विस्फोट के आरोपी हफीज शेख ताजीउद्दीन पिछले दो माहों से मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की जिला जेल में बंद था। कर्नाटक का रहने वाला हाफिज शेख ताजीउद्दीन अहमदाबाद के बम विस्फोट के मामले में आरोपी है। वह छिंदवाड़ा किस जुर्म के तहत बंद था, इसकी विस्त्रत जानकारी नहीं मिल सकी है।

सुरक्षित नहीं एसी कूपे में यात्रा!
भारतीय रेल में वातानुकूलित कूपे में यात्रा करना अब सुरक्षित नहीं रह गया है। बीते दिनों निजामुद्दीन से हबीबगंज जाने वाली शाने भोपाल एक्सप्रेस में एसी सेकंड क्लास में हुए हादसे ने यात्रियों की सांसे थाम दी थीं। बीते मंगलवार को रात जब यह रेल पलवल से मथुरा सेक्शन से गुजर रही थी, तभी इसके सेकन्ड एसी कूपे में शार्ट सिर्कट के चलते गहरा धुंआ भर गया। नींद में सोए यात्री इससे बेखबर थे, जब उनका दम घुटा तब उन्होंने दरवाजे खोले पर काई लाभ नहीं हुआ। बाद में शीशे तोड़कर ताजी हवा को कूपे में प्रवेश कराया गया तब जाकर यात्रियों की जान में जान आई। आगरा में कूपा बदलने के बाद यह रेल भोपाल के लिए रवाना की गई।

सुषमा का नया अंदाज
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और विदिशा से सांसद सुषमा स्वराज के अंदाज हर पल अलग अलग ही होते हैं। उनके बात करने की अदा से लेकर काम करने की ललक तक सब कुछ कायल कर देने वाला होता है। इस राखी पर भला वे कैसे चूक जातीं। राजधानी दिल्ली में अपने पुराने जानकारों के माध्यम से सुषमा ने कुछ नया करने की ठानी। फिर क्या था, भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल से युक्त राखियों को लेकर वे पहुंच गईं भोपाल। राखी के पावन पर्व पर दिन भर सुषमा स्वराज के भोपाल स्थित आवास पर उनके संसदीय क्षेत्र विदिशा के साथ ही साथ भोपाल के लोगों का तांता लगा रहा। सुषमा बड़ी ही आत्मीयता के साथ एक एक से मिलीं और ``कमल`` वाली रखाी उन्हें बांधी। गद गद भाजपाई सुषमा के इस नए तरीके से अविभूत ही नजर आए।

पंडित बिसेन विवाद की दिल्ली में गूंज
मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री गोरी शंकर बिसेन और सतना के सहकारी बैंक के अध्यक्ष कमलाकर पंडित के बीच हुआ विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। अब इसकी गूंज राजधानी दिल्ली में भी सुनाई पड़ने लगी है। मंत्री जी ने सतना में भाजपा कार्यकर्ताओं को साफ तौर पर कह दिया कि वे प्रदेश सरकार के मंत्री हैं, और पंडित महज अध्यक्ष हैं। मंत्री महोदय के सुरक्षा कर्मी के बयान ने भी इस विवाद में आग में घी का ही काम किया। क्षत्री वंश के सुरक्षा कर्मी रजोल सिंह ने कह दिया कि ब्राम्हणों को जूते की माला पहनानी चाहिए। इससे सतना में ग्रामीण बुरी तरह भड़क गए। बाद में पुलिस ने मंत्री को किसी तरह वहां से निकाला। अब यह मामला दिल्ली दरबार में भी गूंजता दिख रहा है।

राजा ने पढाई पठ्ठे को पट्टी!
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह वाकई में शोध का विषय हैं। सूबे के पूर्व निजाम सुंदर लाल पटवा की यह टिप्पणी गलत नहीं थी। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को उनके उस्ताद दिग्विजय सिंह ने अब सरकारी कामकाज सीखने समझने की पट्टी पढ़ाई है, और उनका पट्ठा राहुल गांधी भी गुरू की बात का अनुसरण करने तुल गया हैै। कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी इन दिनों केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में दिलचस्पी ले रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी द्वारा विभिन्न विभागों के मंत्रियों और उसके आला अधिकारियों से अपने निवास पर गुप्त मंत्रणाएं भी कर रहे हैं। इस मंत्रणा के दौर में राहुल गांधी द्वारा जमीनी हकीकत से आला अधिकारियों और मंत्रियों को रूबरू करवाया जाता है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी सधे कदमों से 7 रेसकोर्स रोड़ (प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) की ओर बढ़ रहे हैं, वह भी दिग्गी राजा की उंगली पकड़कर।

सुषमा और अहलूवालिया में समानता!
कभी राज्यसभा में एक साथ रहने वाले एस.एस.अहलूवालिया और सुषमा स्वराज आज अलग अलग सदनों में भाजपा के उपनेता हैं। एक राज्य सभा में है, तो दूसरा लोकसभा में। सदन अवश्य ही बदल गए हों किन्तु दोनों के बीच समानताएं आज भी जस की तस ही बनी हुई हैं। सुषमा स्वराज की लोकसभा में पहन कर आने वाली साड़ी का रंग राज्यसभा में मौजूद एस.एस.अहलूवालिया की पगड़ी से काफी मेल खाता है। एक ओर सुषमा स्वराज इसे टेलीपेथी का नाम देती हैं तो अहलूवालिया इसे दिन के हिसाब से रंगोे के चयन का मामला बताते हैं। इसके पीछे कारण चाहे जो भी हो पर यह मामला सांसदों के लिए चर्चा का विषय तो बन ही गया है।

प्रधानमंत्री बने थुरूर!
राजनयिक से विदेश राज्यमंत्री बने शशि थुरूर क्या भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री बन गए हैं। यह चर्चा राज्यसभा में एकाएक गुरूवार को होने लगी। दरअसल विदेश राज्यमंत्री शशि थुरूर उस दिन उस सीट पर जाकर बैठ गए जो पहले से ही प्रधानमंत्री डॉ. मन मोहन सिंह के लिए निर्धारित की गई है। प्रधानमंत्री की सीट के पीछे बैठने वाले प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री पृथ्वीराज चौव्हाण इस दृश्य को देखकर शशि थुरूर की ओर आश्चर्य के साथ देखते रह गए। बाद में कांग्रेस के सदस्य राजीव शुक्ला ने थुरूर का ध्यान इस ओर दिलाया कि वे पीएम की सीट पर बैठ गए हैं। अपनी गल्ती भांपते ही थुरूर वहां से उठे और पीछे अपने लिए निर्धारित आसन पर जाकर बैठ गए।

बापू के कलोन की मांग
कांग्रेस के सदस्य चाहते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का क्लोन तैयार किया जाए। यह कोई हवा हवाई बात नहीं, वरन राज्यसभा में हुआ सच्चा वाक्या है। राज्यसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने यह बात कही है। चर्चा के दौरान कांग्रेस के शांताराम लक्ष्मण नाईक ने सवाल पूछा कि क्या महात्मा गांधी को उनके गुणों, ईमानदारी, विचारों, सादगी, प्रतिबद्धता के साथ दोबारा पैदा नहीं किया जा सकतार्षोर्षो सच ही कहा नाईक ने कि आज हम सब रास्ते से भटक गए हैं, हमें बापू के मार्गदर्शन की जरूरत है।

शिव के राज में बेहाल विधायक
मध्य प्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के राज में विधायकों की फजीहत हो रही हैर्षोर्षो क्या यह सच है, जी हां भाजपा के विधायक ही इस तरह का आरोप लगाएंगे तो फिर बाकी का क्या होगार्षोर्षो भोपाल के भाजपा विधायक उमाशंकर गुप्ता ने मध्य प्रदेश विधानसभा में अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि पिछले दो सालों में उन्होंने भोपाल के पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर और संभागायुक्त को सौ से भी ज्यादा पत्र लिखे हैं, पर एक का भी जवाब नहीं आया। दिल्ली स्थित भाजपा के मुख्यालय में लोग उमाशंकर गुप्त के इस कथन पर चटखारे ले रहे हैं कि जब घर के (भाजपाई विधायक) ही ये हाल हैं तो बाकी की कौन कहे!

पुच्छल तारा
उत्तर दक्षिण गलियारा सिवनी जिले से होकर जाएगा या नहीं! अब इस प्रश्न को लोग उतनी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, क्योकि लोगों को लगने लगा है कि बिना राजनैतिक सहयोग और समर्थन के न तो मुख्यमंत्री ही इसमें पहल करेंगे और न ही केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ। लखनादौन, केवलारी, बरघाट और सिवनी विधानसभा से होकर गुजरने वाले इस मार्ग के एक विधायक ठाकुर हरवंश सिंह ने उपर पत्र लिखकर अपनी दिलचस्पी जाहिर कर दी है। सिवनी और बरघाट का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद सदस्य के.डी.देशमुख ने राखी के बाद मुख्यमंत्री से मिलने की बात कही थी, यह समयसीमा कब समाप्त होगी पता नहींर्षोर्षो रही बात परिसीमन में समापत हुई सिवनी लोकसभा सीट की अंतिम सांसद एवं सिवनी विधायिका श्रीमति नीता पटेरिया की तो वे सोमवार 10 अगस्त को मुख्यमंत्री से मिलने वालीं हैं। इससे पहले भी वे सीएम से मिल चुकीं हैं। चर्चा है कि शायद पिछली बार सीएम ने जो उनसे कहा था वह बात वे सुन नहीं पाईं थीं, सो दुबारा मिलकर सुनने का जतन करने वाली हैं। लखनादौन विधायिका श्रीमति शशि ठाकुर, बरघाट विधायक कमल मस्कोले और मण्डला के संसद सदस्य की तंद्रा लगता है, अभी टूटी नहीं है।