मंगलवार, 26 मई 2009

फिर झुलस गया पंजाब
धर्म का मर्म समझे बिना हिंसा का मार्ग अपनाना दुर्भाग्यपूर्ण
(लिमटी खरे)

आस्ट्रिया की राजधानी वियना के हाल ही में अस्तित्व में आए गुरूद्वारे में एक धर्मगुरू की हत्या के उपरांत वर्षों से शांत पंजाब एक बार फिर हिंसा की चपेट में आ गया है, जिसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जा सकता है। आस्ट्रिया पुलिस का कहना है कि संतों पर हमला पूर्व नियोजित था। इस मामले में पंजाब के झुलसने के पीछे कुछ ठोस कारण समझ में आ रहे हैं।बताते हैं कि गुरूद्वारे में चढावे को लेकर मूल विवाद आरंभ हुआ है। कुछ माह पहले तक वियना में इकलौता गुरूद्वारा था, जिसे खालिस्तान समर्थक सिख चलाया करते थे। इसके उपरांत गुरू रविदास के पथ पर चलने वाले कुछ डेरा सचखड द्वारा उसी गुरूद्वारो के करीब एक और गुरूद्वारे की स्थापना कर दी।हालात देखकर लगता है कि विवाद की शुरूआत यहीं से हुई है। जब गुरूद्वारे में आने वाला मोटा चढावा दो भागों में बंट गया तब नए पंथ प्रमुख निरंजन दास पर खालिस्तान समर्थक सिखों ने कथित तौर पर हमला कर दिया। उनमें से एक धर्मगुरू का अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया तथा दूसरे का इलाज चालू है।इसकी आंच में पंजाब क्यों जलने लगा? इसका कारण दो विभिन्न विचारधारा अपनाने वाले हिन्दुस्तानियों में वर्चस्व की जंग के रूप में ही देखा जा सकता है। गौरतलब होगा कि पूर्व में डेरा सच्चा सौदा को लेकर भी पंजाब में काफी हंगामा हुआ था। वियना में घटी इस घटना के तार कहीं न कहीं पंजाब से अवश्य ही जुडे प्रतीत होते हैं, यही कारण है कि पंजाब में रक्तरंजित आतंक ने फिर एक बार पैर पसारने आरंभ कर दिए हैं। वैसे अभी तक घायल धर्मगुरू या किसी और ने हमलावरों की पहचान नहीं की है, साथ ही साथ हमलावरों का पंजाब से रिश्ता भी रेखांकित नहीं हो सका है, फिर पंजाब में तोडफोड और प्रदर्शन का ओचित्य समझ से परे ही है। दया, पे्रम, बराबरी, भाईचारे का संदेश देने वाले धर्मगुरूओं के उपदेशों का प्रभाव उतना अधिक नहीं पडता है, जितना कि कटुता, रंजिश, अलगाववाद, संकीर्णता आदि के संवाहकों की बातों का। यही कारण है कि अफवाहों के चलते संयम के अभाव में शांत हालात भी पंजाब की तरह बिगड सकते हैं। किसी ने सच ही कहा है -``अफवाहों से बचिए, इनके पर नहीं होते!, ये वो शैतान उडाते हैं, जिनके घर नहींं होते!!``आतंक फैलाने, तोडफोड आदि से क्या हालात काबू मेें आ जाएंगे? क्षणिक उद्वेलना और उन्माद के चलते हमारे देश के ही लोग देश की संपत्ति को किस कदर नुकसान पहुंचाते हैं। क्या राष्ट्रीय संपदा का नुकसान कर शांति सद्भाव और भाईचारे को बिगाडकर कुछ पाया जा सकता है? हमें आस्ट्रिया पुलिस और वहां की न्याय प्रणाली पर भरोसा रखना होगा। भारत सरकार को चाहिए कि जिन लोगों ने वहां धर्मस्थल पर खून खराबा कर भारत की साख पर बट्टा लगाया है, उनके खिलाफ कडी कार्यवाही के लिए आस्ट्रिया सरकार पर दबाव बनाए।आज धर्म को लोगों ने व्यवसाय बना लिया है। धर्मस्थलों के निर्माण के साथ ही उसमें आने वाले चढावे से लोग अपना व्यवसाय चलाने में भी नहीं चूक रहे हैं। देश भर में तेजी से फैलते धर्मस्थलों को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि नराधम और पापी लोग देश विदेश में भोली भाली जनता की भगवान के प्रति आस्था और निष्ठा को भुनाकर धन और प्रसिद्धि पाना चाह रहे हैं।आज समाचार चेनल्स पर बाबाओं की भीड देखते बनती है। कोई राशिफल बता रहा है, तो कोई प्रवचन कर रहा है, तो कोई कुछ ओर। हम इन बाबाओं के खिलाफ कतई नहीं हैं, किन्तु जब निहित स्वार्थों के लिए राजनेता इनका बेजा इस्तेमाल करते हैं, तब जरूर इनकी विश्वसनीयता पर शंका होने लगती है। कुछ प्रवचनकर्ता, एवं कथित धर्मगुरूओं की दुकान चुनावों के आसपास अच्छी चमक जाती है।बहरहाल प्रधानमंत्री डॉ.एम.एम.सिंह ने भी पंजाब के निवासियों से धैर्य और संयम न खोने की अपील की है। आज जरूरत इस बात की है कि पंजाब सरकार सूबे के धार्मिक संगठनों, धर्मगुरूओं आदि को विश्वास में लेकर उनके सहयोग से सुलगते पंजाब को शांत करे, क्योंकि पंजाब के रहवासी न केवल हिन्दुस्तान वरन् समूचे विश्व में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। पंजाब अगर सुलगेगा तो निश्चित रूप से विदेशों में भारत की छवि प्रभावित हुए बिना रहीं रह सकेगी।


. . . मतलब एमपी छग में स्मोकिंग एटीकेट ज्यादा है!
मध्य प्रदेश छत्तीसगढ में सार्वजनिक स्थान पर सिगरेट पीने पर एक भी चालान नहीं हुआ
तमिलनाडु में सर्वाधिक लोगों पर जुर्माना लगा
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। वर्ष 2008 में गांधी जयंती पर केंद्र सरकार ने सार्वजनिक स्थानों में धूम्रपान करने पर पाबंदी लगाई थी, जिसे तोडने पर 200 रूपए चालान का प्रावधान किया गया था। मार्च 2009 तक मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ में एक भी चालान न किए जाने से साफ हो जाता है कि दोनों ही प्रदेशों में लोग धूम्रपान को लेकर बहुत सतर्क हैं।वस्तुत: जमीनी हालात कुछ और बयां करते हैं। केंद्र सरकार के इस नियम के पालन में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ बुरी तरह पिछड चुके हैं। दोनों ही प्रदेशों में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक लगाने हेतु सरकारें कतई भी संजीदा नहीं प्रतीत हो रही हैं।सरकारी सूत्रों के अनुसार धूम्रपान निषिद्ध नियमों के उल्लंघन की शिकायत के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय शुल्क मुक्त हेल्पलाइन नं0 1800-110-456 शुरूआत की है। इस नम्बर पर देश में कहÈ से सप्ताह में सातों दिन कभी भी फोन किया जा सकता है। इस नम्बर पर शिकायत दर्ज करने के अलावा फोनकर्ता संशोधित धूम्रपान मुक्त नियमावली के प्रावधानों, सार्वजनिक स्थान, खुल स्थान, जुमाने की राशि आदि के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। मार्च 2009 तक धूम्रपान नियमों के उल्लंघन की 1600 शिकायतें इस हेल्पलाइन नम्बर पर आई। हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों की सूचना तत्काल संबंधित राज्य को दे दी जाती है जो नियम के तहत उपयुक्त कार्रवाइ करता है।फिलहाल चंडीगढ भा़रत में धूम्रपान मुक्त शहर है। दिल्ली को 2009 तक तथा चेéई, अहमदाबाद और मुम्बई को 2010 तक धूम्रपान मुक्त शहर बनाने का प्रस्ताव है। झारखंड और सििôम जैसे कुछ राज्य भी धूम्रपानमुक्त राज्य बनने का प्रयास कर रहे हैं।दुनिया में तम्बाकू उत्पादों के खपत के मामले में भारत का दूसरा स्थान है। देश में तम्बाकू उत्पाद जहां बीड़ी, सिगरेट, सिगार, चिलम, हुôा आदि के रूप में पीया जाता है, वहÈ गुटका, जर्दा, पान, पानमसाला, ख्ौनी आदि के रूप में चबाया जाता है। राष्ट्रीय परिवार कल्याण स्वास्थ्य सर्वेक्षण तृतीय के अनुसार 57 प्रतिशत पुरुष तथा 10.9 प्रतिशत महिलाएं तम्बाकू उत्पादों का सेवन करती हैं। तम्बाकू उत्पादों का सेवन शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा होता है। पूर्वाेत्तर क्षेत्र इस मामले में सबसे आगे हैं। एक अनुमान के अनुसार 13 से 15 वर्ष आयु के 14.1 प्रतिशत किशोर तम्बाकू उत्पादों का उपभोग करते हैं। देश में हर वर्ष 8 से 9 लाख लोग तम्बाकू जनित बीमारियों से मर जाते हैं। सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन पर रोकथाम तथा वाणिज्य व्यापार, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) अधिनियम 2003 सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पादों के सेवन को निरुत्साहित करने के लिए बनाया गया था। इसके बाद 2 अक्तूबर, 2008 को संशोधित धूम्रपान मुक्त नियमावली लागू किया गया। इसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषिद्ध है। उल्लंघ्न करने पर 200 रुपए का जुर्माना लग सकता है।